________________ TATEEATMAREExt ANSKRIERIAGEMALERTISEEM - - -- - - - -- - - - -AAR EMEEXXIXXXXXX mor - शिष्य-हे भगवन् / उन परल स्कंधों में घण, और स्पर्श कितने कितने होते है ? गुरु- हे शिष्य ! उन फर्म वर्गणायों के परमाणुओं में राच वणे, पाच रस, दो गध और चार स्पर्श होते है। शिप्य-भगवन् ! उनके नाम बतलाओ। गुरु-हे शिप्य ! सुनो। पांच वर्ण ( काला, पीला, लाल, आर श्वेत), पाच रस (कटक, कसाय, तीक्ष्ण, खट्टा र मधुर), दो गध (सुगंध और दुर्गन्ध), चार स्पर्श (स्निग्ध, रुक्ष. शीत, उपण) है। शिष्य- हे भगवन् ! क्रोध, मान, माया लोभ, राग, द्वेष, | कलह, अभ्याख्यान, रति, परति, माया, मृपा, तथा मिथ्या दर्शन श्रादि पापों के करते समय श्रात्मा के साथ किस वर्णादिम वाले परमाणुओं का सम्बन्ध होता है? / गुरु- हे शिष्य ! अठारह प्रकार के पार्कों के करते समय h श्रात्म प्रदेशों के साथ पाच वर्ण, पांच रस, दो गंध और चार स्पर्श वाले परमाणुओं का बंध होता है। कारण कि वे अत्यन्त सूक्ष्म स्कंध होते हैं। शिप्य--हे भगवन् ! जय अठारह प्रकार के पापों से निवृत्ति की जाती है, उस समय प्रात्मा के साथ किस प्रकार के पररणुओं का वन्ध होता है ? गुरु- हे शिष्य ! निवृत्ति करते समय जीवोपयोग स्वरूप 1 अहेत्यादि-'अवन्नेत्ति' वधादिविरमणानि जीवोपयोगस्वरूपाणि जीवोपयोगश्चामूर्तोऽमूर्त्तत्वाध तस्य पधादि विरमणानाममूर्तत्व तस्माश्चावर्णादित्वमिति / RAIEXXXXRAMAILY . . TAXAXEKAREKARKExamare.... MRIKA