________________ ExeEEPER EDITIEEEEEमस कारप कि पुरपार्थ जीप का निम गुम। शिप्प-भगवन् ! माकाय पीपा प्ररूपी। गुरु-शिष्य ! प्राकारामापी कारण कि पुमतास्ति फाप ही केपहपीशप धर्म ममम पापभीर सीप प्रम्प सब प्रक्षपी। शिम्प-भगवन् ! पन पाठ (कठिन पायु), पात (मनु बाय) अनारषि और प्रपिषीपन में कित्तने पारि इति / गुर-- शिपमनपापु तनु पाप, मनादपिया रम प्रमादि पिपियों में पांच वर्ष पांच रस दो गम भीर पाठ स्पर्ग हो। शिप्प- भगवन् ! भाड स्पर्य कौन कौन से! गुर-रे शिप्प ! १शीत २रण स्निग्पसमा ठिन सा और गुर-पेमार स्प / शिप-मेरपिक में रितने पर्शरि गुरु-शिप्प ! परिदम मैपिजीब किप और जस परीर पर विचार करते तोपर्ण५रसप भीर स्पर्शासिय होते। परि म काम गरीर पर रिचाररत र पर्स र रस 2 पंप मोर "स्पर्ग सिय ते। परिमगीर की मोर देखते तर तो प्रवर्स प्राम प्रगरम पीर प्रस्पर्य सिसोता।कारण किसीप पास सर्पा मिमता मापी मी प्रभार सप जीविप में जानना पाए। निम्नु मोवारिक और मादारक शरीर में माटीस्प जानम पादि। NE-IL-11- 3 0 मामा"