________________ नाम - - - E. / संगा। और परिणामबा-मब कपी पामापी भर्यात् पर्यादि से युकवा दिय! एक-शिप्य ! सम्पग दियो उच कर सप जीप परिणाम विपदोने से भरपी पॉफिर्म बम्प सम्पग विचारावि से नही होता अपितु राग शेप मप मार्गा मारावी हो सकता।मता ग्रह सब कमरूपी ग्रिम्प-रेमगवन् ! मम किसे करतेभीर मम रूपी पा भरपी! गुरु-रे शिप्पपिस में रामपाप पारणा तपा मन्थप और म्पतिरेक विचारने की शकिो अपपा प्रबस मनन एहि हो रसीको मन करते। मौरपेम्प मन परमारामों के। संप- प रम 2 गम मौर 5 स्पर्श यास शेत। मता मम रूपी मनु मम्पी। पदि पन एफि सपती हो तो मनोयक्ति भी पागातीपरि निर्यसबाप मनोराधि मी मिर्षको गाती है। मन में भरपन्त सम्पों संचार होने से मी मनोएकि मिस परमाती है अता मनको निरपंच भरपो से निबनबनाना चाहिए। शिप्यो मगमम् / पचन पोम पीपा प्रापी ! AL गुस-रे शिम्य ! मापा पाप्ति के कारण से बचन पांग की प्रति होती है। मोम के परमासूमों स्कंध: प्रगत प्रदेशी होने पर मी प रस पीर स्पर्ण पास होते है। अतः पचम पोग का मी सम्पफाया मिरोष करवाचारिप, मिससेशीतीपारम पाम की प्राप्ति होगा। शिम्प- भगवन् / काप पोग की पा मापी Sx-A ATEEमम्ममा peeDF-FILER-3BE-EXEEE-AT PLEASE