Book Title: Jain Dharm Shikshavali Part 08
Author(s): Atmaramji Maharaj
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Page 169
________________ म्यान्मम वारहवाँ पाठ (नीतियानपिपप) प्रिय पाठको नीति शाम के मापपन करने से सम्पत्ता भीर पोग्यता की प्राप्ति होती है मतपरये यास प्रत्येक व्यक्ति के पम्न करने पोग्य है।पपपि नीति शास्त्र के नाम पर पति पपरित नीति शास्त्रों की मी पाकित पारनीति सम्प पुरुषों के लिए पदेय नही है। मोदी रिसमीति। सेकतिपप कार्यो की सिरि मी रोगाती है किन्तु सिरि पिर स्थायिनी नही होती उसका अन्तिम परिणाम मीरसम ही निकलता। भता समीति मारा कार्य सिधि करमा भार्प मौर सम्म समान का मुम्प पम्प होना चाहिए। अब पा मम उपस्पित होवापि नीति में दोनों प्रकार के गोद मिसते तो हमें मी दोनों प्रकार की नीतियों सपी कामना चाहिए / इस माम के समापान में कहा जाता किपाडी किन्तु सभ्प समास को कुरित नीति के भाभित कदापि नहीं होना चाहिए। जैसे कि पों में समकार के मासों का मी विपान पापा गाताता स्पा फिर मार्प पुरुप मार्य प्रौषप को बोरकर मांस मास 5 बन करन हग गाकरापि नारी। इसी प्रकार कुरित नीति विषय में भी मानना चाहिए। ESIयमBSexaमजा पाहिए। DESH मिसले स

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