________________ OEBQBG05Y. सा। भारमा समता माव वारा कमी का नारा कर सकता म समता मापसेही मास्मिक तस्वों का मसी प्रकार निएप कर / सफता समता मात्र से ही मिस स्वरूप में निमम : सकता है। जिस प्रकार प्रपर मग्नि हिमालय पर्वत पर वाले दिम (बर्फ)का रुप मी नही पिगार साता अंक पसी प्रकार समता वाले पति का नामा प्रकार से होने वात उपसम (कर) मी काही पिगार साते। मता योगी पुरुष रोपोम्प है कि पर समता माप का मामय प्राखरे विप्स से म्यान की एता परे। समता पार करने वाले म्पति का राम ऐप भीर मोर मानिशा परामप महीं कर सकते। जिस प्रकार रूप और रस aa परस्पर सम्मापद यफ उसी प्रकार समता माप और ध्यान का भी परस्पर सम्पम्प / समना मावमाभित पानावस्था भीर प्यानावस्या के मामित समता माप होता है। मरपा मारपस्थित होतापान सिमे प्रकार से पर्गन किये गए इस मन का उत्तर पो मुम्पतपा पान बार मेर बनरिपे गए।से कि-मार्च म्या 2 रौद्र पान / धर्म ग्याम भीर म्यान १पा पान उसे करते है जिससे विम्याकी उत्पत्ति विशेष पर गाय / पोलिभिप पापों का रियोग भोर अप्रिय पापीका सयोग होता प चिता भीरकपर प्रात। गैर पान मे का जिससे (माप) जीपों के, , भिए दानि पिपार सपा किये जाय तपा मन में मरा FEMIERF LIFIERERED.EFER E EEEEEE