________________ EXE 1 1 गुरु-शुचियो प्रकार से पर्यन की गहमे किम्प से। सुषि और माव से शुधि / प्रम्प शुधि मिकी पानी भप्ति भीर मंत्र से हाती मीर माघ शुचि सत्यभार सपमसोती।। तात्पर्प पर फि मिन मिपामो मारा भारम पुरि की बाप, प्र पम क्रिपामों का मामी माघ शुचि / शिप्प-सम्पप रएि गुप पारस करमे से किम फस की - प्राप्ति होती है। गुरु-सम्पग पर्शन से मारमा संसार सागर से पार हो जाता है तपा सम्यग् दर्शन के मादरम्प में प्राचीन कम पर फिपे बात फिर नूतन मिप्याव के कारणों से फर्म " संपय नहीं होता। शिप्प समापिसगान मे किस गुण की प्राप्ति होती! गुरु-समाधि द्वारा राग भीर मेप पप हो जावई मारमा मिज स्वरूप में लीन हो गाना रिसका मन्तिम / परिणाम पाता कि मारमा निझामन्दको प्राप्त होता, हमा निर्धारपर की माप्ति पर सता। शिप्प-पवाबार पालन गरम मे किस गुण की माप्ति - PHONES 43EEEEEI -मन / गुर--भारमा विकास की मार मुरुमे सगाई भीर मन किपामों से दूर हो जाता। शिप्प- पिनय पर मे किम गुण की प्राप्ति होती! गर मम्पता पोम्पना ग्यापशीलता कम्पपापलता मादि गुणों की प्राप्ति माती है। सय जति मनिपारलपरममा फल मिलता।