________________ Mine METRArmaanाम EXIXESEXEXXEEXXEXIEXXxSEXMEERICEKter ( 105 ) अभिन्न ? रूपी है वा अरूपी ? जड़ है वा चेतन ? यदि दोनों स्वभाव नित्य है तब तो ये दोनों स्वभाव युगपत् सदा 5 प्रवृत्त होंगे? तव तो ईश्वर सदा सृष्टि रचेगा और सदा ही प्रलय करेगा / इस से तो न सृष्टि होगी न प्रलय होगा / जैसे एक पुरुष दीपक जलाता है और फिर दूसरा पुरुप जलाने के समय में ही उसे वुझा देता है तव तो दीपक न जलेगा और नाही बुझेगा / इसी प्रकार ईश्वर का सृष्टि रचने का स्वभाव तो सृष्टि रचेगा ही और फिर ईश्वर का प्रलय करने का स्वभाव उसी समय में ही प्रलय कर देगा? तव तो सृष्टि और प्रलय ये दोनों ही युगपत् होते रहेंगे ? इसलिये प्रथम " विकल्प मिथ्या है। यदि दोनों स्वभाव अनित्य हैं तो क्या ब्रह्म ईश्वर से भिन्न है वा अभिन्न है? यदि भिन्न है तो ईश्वर के ये दोनों स्वभाव नहीं हैं, ईश्वर से भिन्न होने से / यदि अनित्य और अभिन्न है तब तो जैसे स्वभाव उत्पत्ति विनाश धर्मवाले हैं उसी प्रकार फिर ईश्वर भी उत्पत्ति विनाश धर्म वाला मानना चाहिए, स्वभावों से अमिन्न होने से / पर ऐसा मानते नहीं है / इस वास्ते यह पक्ष भी मिथ्या है / यदि स्वभाव रूपी है तब तो ईश्वर भी रूपी होना चाहिए, क्योंकि स्वभाव वस्तु से भिन्न नहीं होता है। तव तो ईश्वर को रूपी होने से जड़ता की आपत्ति होगी? इस वास्ते यह पक्ष भी >> मिथ्या है / यदि दोनों स्वभाव अरूपी हैं तव तो किसी वस्तु के भी कर्ता नहीं हो सकते हैं अरूपित्व होने से श्राकाशवत्। इसलिए यह पक्ष मानना भी मिथ्या है। किन्तु जड़पक्ष रूपी A पक्ष की तरह खंडित हो जाता है। इसी प्रकार चेतन पक्ष में ARRIERRIAnimarar xxARIOMXEXXEXXEXICAXXX x