________________ BES-महान्स ( 108 ) -SEP-माम H भासते तथा जिस प्रकार म्प पीस सर्व प्रकार के मपन करने पर मी भर नही दे सकता उसी प्रकार सांसारिफ पार्यों की प्राप्ति में कमी के बिना पुरपार्प सफल नहीं होता / इसलिये कार्य सिदिके वास्ते दोनों मत्पम्त मापायक परन्तु स्मरण रखना चाहिए कि / से पुरुषार्थ पक्षपातीखो कर्म को सत्पच मी कर सकता भीर पप भी कर सकता है। पा पात प्रवास माननीय है कि परमो का मारमा के साप निकाचित पन (पिमा पमोग किए नाश न होने पासा) पर माता तपे कर्म प्रारमा को अवश्यमेव मोगने पड़ते रस समप मारमा परापीन अवश्य होता है किन्तु सस फर्म फस पुगे तब भारमा उन कर्मों की अपेक्षा से। स्पतम्भ हो जाता है।सीलिये सूप में मिला कि कम्मसगे हि समया इस्तिया परेपणा / भमाणसास बोसीस विपिहम्मति पासियो / मर्यात कमी संग से बीच मोजो पुरचित मा रात मेदना पापा।ममुम्प योनि बिमा यामामी। माना प्रकार की पोनियों में अपने विकास के स्थान पर / मिनी होता रहा मतापस गापा मैं पाप कर्मों की। प्रधानता पन की पापास्तव में पुस्पानी पवार गोकमा केपन कोहप भी कर सकता है 1परि पेसा / कायाप पिप्पा पिना कमी से पर्म माप्ति हो सकती है। इस प्रम के समापान में कहा जाता है कि धर्म माहितो नाम -