________________ NEELATKARINAMAKIeXKAXXXES MEDIESIDEREKAXXEXEExaxKERAGEEKX फि ईश्वर परमदयालु, सब का प्रेरक, सर्वशक्तिमान् , सर्व न्यापक, सर्वज्ञ, सर्वदर्शी, वेदवक्ता, जगत्स्रष्टा, प्रलय कतो, न्याय शील और स्वतन्त्र है / अतः उस पर दोषारोपण करना युक्ति युक्त नहीं है। उत्तरपक्ष-मित्रवर! यदि आपके कथनानुसार ही उक्त गुण माने जाये तव फिर कर्ता मानने पर उक्त गुण उसमें स्वयमेव नहीं ठहर सकते। पूर्वपक्ष-आप उक्त गुणों के होने पर और फिर कर्ता से मानने पर क्या दोषापत्ति समझते हैं ? जिस के सुनने से हमें भी उन दोषों का बोध हो जाए। उत्तरपक्ष-सुनिये मित्रवर! पहले मैं आपसे यह पूछता HE-क्या ईश्वर में कर्तृत्व गुण नित्य है वा अनित्य ? यदि आप में उक्त गुण नित्य मानेंगे तव तो सृष्टि और प्रलय इन दो कार्यों का कर्ता परमात्मा कदापि सिद्ध न होगा क्योंकि प्रलय काल में श्राप के मानने के अनुसार परमात्मा को निष्क्रिय होकर र येठना पड़ेगा। तब उस का कर्तृत्व स्वतः ही नष्ट हो जायगा। यदि उस काल में भी श्राप कर्तृत्व गुण का सद्भाव रखेंगे तब आप को प्रलय काल नहीं मानना पड़ेगा / यदि श्राप अनित्य / गुण मानेंगे तब तो कर्तृत्व भाव का ही अभाव हो जायगा। फ्योंफि अनित्य गुण गुणी के साथ तदात्म सम्बन्ध वाला नहीं माना जाता / फिर इस विपय में यह भीशंका की जा सकती है कि यदि परमात्मा सर्व व्यापक है तय वह अक्रिय माना जायगा, जैसे-श्राकाश / यदि सर्वव्यापक भी क्रियायुक्त माना जायगा तर यह शफाभी उपस्थित होती है कि क्या वह क्रिया -~~~TAREETTER REETTE RECORNERXXXCORATAXXRAKERLAKAARCONTEXCOXACKR 2 ACTERI .