________________ XXRAKERAxexeKER ACHHExaxis माRELESEXSAREEKRIORamaula. श्रय यह प्रश्न उपस्थित होता है कि भाव सत्य किसे कहते है? इस प्रश्न के समाधान में कहा जाता है कि जिस प्रकार के पदार्थ हो उनको उसी प्रकार से माना जाए उसी का नाम भाष सत्य है, जो उन पदार्थों के स्वभाव से विपरीत माना जाए, यही भाव असत्य है। भाव असत्य किसे कहते हैं ? इस प्रश्न के समाधान में कहा जाता है कि भाव असत्य दो प्रकार का वर्णन किया गया है जैसे कि 1 विद्यमान पदार्थों का न मानना और 2 अविद्यके मान का मानना अर्थात् 1 भाव को अमाव मानना और 2 प्रभाव को भाव मानना-यही भाव असत्य है। अब प्रश्न यह उपस्थित होता है कि जब तक उक्त दोनों विपयों की व्याख्या न की जाएगी तव तक थटुत सी अनमिक्ष प्रात्माएँ, भाव असत्य से किस प्रकार से बच सकेंगी? इस प्रश्न के समाधान में कहा जाता है कि यदि जिज्ञासुओं o को व्याख्या से लाभ होसकता है तो मैं संक्षेप से उक्त विषय की व्याख्या कर देता हूँ जिस से पाठक भाव असत्य का परित्याग करके सुगमता पूर्वक भाव सत्य के श्राश्रित हो सके। १भाव को प्रभाव मानना--जैसे आत्मा सत्य पदार्थ है उसको न मानना--तथा आत्म पदार्थ की उत्पत्ति पांच 9 भूतों से मान लेना इसी का नाम भाव को प्रभाव मानना है। a क्योंकि यह यात भली प्रकार मानी गई है कि कारण के सदृश ही कार्य होता है जैसे तन्तुओं से वस्त्र / सो जब पांच भूत ही A आत्म पदार्थ के कारण मान लिये गए तो फिर यह शंका हो / PERIETRICKMATi-Termins