________________ CEREBERRESUGEEE. रविदास पाना चाहिए। हाँ पापाव तो निर्विवाद सिरो। कि मारतवर्ष के प्रमोपवन के सम्पकारण सा परस्पर ! छठ परस्पर मेप पो भस्पा प्रत्येक म्पत्ति के साप पका भरी का राम परस्सर ममस्प भाप इत्पादिए / अहिंसा / पहपात भनी प्रकार से मानीको पर महिमा भगवती की पूजा होती पहों पर सीमेम रत्पप होता है और जहाँ मम होता पहा ही परस्पर सहानुभूति होती है। दिम के कारपसे फिर गरमी मी रिपर होगाती / मतपय सिय मा किमोपतम का कारण दिसाम भरिसा / इसलिए भरिसा का स्वरूप प्रत्येक पछि कोसूक्ष्म रिसे भाषण करना चाहिए / भी भमस मगपाम् महावीर "स्सामी का मुम्पोपदेय पाही कि समे पाणापियाउया मासापा दुस्वपरिक्सामाप्पिय : पहा पियनीरिमो मीविठकामा समंसि बीपि पियं / / (मावाग सूत्र मोषी पामा T.-21) मर्प- मय जाब भायुम्प और सुपको बाहते पुन " और मृत्यु पर का प्रमिप है।र एक मिपसीपी और सीने की पत्ति रमत जीना मरो पारा लगता। इम सिगास के माभित होकर कमी मी अम्पाप से म : पत्तमा पारिए पाप कि जब किमी निरपरापी मारमा प्राणीम हिय तो महा इसम परकर चौर भम्पाप स्पा हो सकता! प्रत म्पापपूर्व पत्ताय करते नए भारत 1 सामगपती की भाशा पासम परनी चाहिए रिममे पर्म और देशका भम्युरप हो / BEBEEXEBHEE