________________ आठवाँ पाठ. .. ExaBER (सस्पषाद) भात्मा को स्वप्प और विकसित करने पासा समाधि का बनेपाम्म सापाप भीरप्पानसम्म कारस भासिता | पार की सिधि में प्रशिवीय कारण प्रस्पेक प्रावीएप में पिनास सत्पथ पर पामा पात और रोद पान को कोर कर धर्म सम्मान में मास्मा को मतिषित करने पाम पराधी स्वरूप को पपापत् निर्मपता पूर्वक करने वाला माहिमा का दित करनपासा पर सत्पवार ीसरे माभिताप प्राली नाना प्रकार सारों से दूरपर निमामला: की प्राप्ति करते है।सत्य प्रत्येक प्राचीसियेमाभपमूल। सत्यवादी मन में न विपार और मपदी सत्पत्र होता चिन्तु सब मन में मारम भीर पंप मौष पने पते / सत्यवादी मन में प्याकुलता और भयाम्ति कमी पत्र मही होती / उस पिच में प्रसन्नता और परोपकार की स्फरसा फुरित होती रातीहै। प्रत्य मासेवीकी पुलिस प्रकार पिकसित होने लगती मिस प्रकार पारी मन: मापसे पुस्प विकसित परते। उस का मा परोपकार की M मोर इस प्रकार से पीरवा मिस प्रकार प्रातकाल में सर्व 5 बर पिस्वत होकर स्वरको महाशित करने लगती मता सत्प पारपरमा अत्यावश्यक है। AFममममममार सपESIDE-E