________________ pexempA9AEBP SAIEEEEEER पप प्रविचरति / यो विगो समठे नो बह तस्स मा वायाए माउति॥ (भगवती सन ग्रत्तक सोयीस.२१). रीका--भमपोपामकाधिपाराष"समपोषास" स्यादि भकरणम् / तत्र वसपासमारमे चि प्रसपमा नो बस से वस्स प्रतिवापार मार तिनब तस्प समाचस्प प्रतिपाताप माय मापसते मयत रविन साम्पवयोऽसी सरसम्पादेष नितोऽसी नप तस्प संपन्न राति ना मापतिपरवि मतम् इति / भावार्य-स सूत्र में इस विषय का प्रतिपादन किया पया कि भी गीवम स्वामी जी भी समय भगवान महावीर स्वामी से पचते फि-रे भगपम् ! किसी भमयोपासक में प्रम मावीपम का परित्याग कर दिया कि सरे पछी काय के समारंम का त्याग नही तो फिर उससे किसी ममप पिवी को मनन दुर रसीपारा यदि किसी प्रस जीप की दिमा होगाये नो या फिर रम का नियम होररर मानाम पर के उत्तर में श्रीमगवान् परत करे गीतम' रस का निपम ठीक द मनापोलिसा सपस्स बम गीय माग्ने रामही इसीलिये उसको प्रत में मनियार नदी हगता प्रस- भगपर ' भमणापामा बमति कार - भारमका परािपाग कियाइमा,चिम्नु पूपिनी पायर ममारमका स्पाग माफियामाता एपिसीकापरता , मानिमी सम्पराकम को पानपरतो ! ". -- - -- - -