________________ -EBEEEEL प्रा . स ( ज) मावास्यापि मारिसा शाप मति निरिकी का बाप किया जा सकता है। स्पोकि मास्सिा के करने में ममोपोप की मुम्पता मानी जाती।मता मन में पीरों के लिये शामि कर पाते रपापों का प्रत्येपवरमा मारिता है। किसी की परिको रेषकर मन में उसन उत्पम करना और फिर रस को फरमपम होगाप, उसकी पूमि में विन होगाप, इस्पादि मनोपोग द्वारा उपायों का मन्षेपण पना-पे सब माष हिंसा के कारण है / मन में रुपमा द्वारा मस्पेष मासीके नाय करनेके भाव पत्पच करने भीर मन से प्रत्येक मासी से पैर रखना पे सप माष रिसाही कारण। जिस प्रकार मधुम मनोपोग पारण परन से भाषी रिसा होती है ठीक उसी प्रकार मगम पचम योग धारा मी माहिसा होगाती से किसान कर मेरा सपन फर रेमा / तपा युगसी परमा (मामा) इसमादी नहीं किन्तु पस्येक मारी की मिला करते रामा प सब माप रिसा केही कारस। पवन पोगदाप भएम पचनों का प्रयोग करना मिस से माप मारियों की हिंसा रोजाप पा सको मानसिक वना उत्पच हो जाए-4 सरप्राण मावहिंसा के दौरासी / प्रकार कापपोग विपप में भी जानना चाहिए / ठात्पर्य प्रार किजिससा म झाप मान मापा और सोम का सदप म उसी का नाम मापरिसापितु जिस सा में एक कारणों का गप नही बीम्स रिसा। बासाव में पास्सापास में म्यायपूर्ण पर्वावरताए प्राली भी निर्वाणपरमपिकारी समतेविस मसार RAKEXICHAR .. -- FIFTEENIFEFTODIE M - - .-- 3 B