________________ SAXITERMIREMIERMIRECEMERICERAY Reaxeekl-HLIL / अब इस स्थान पर यह प्रश्न उपस्थित हो सकता है कि अर्थहिंसा और सापराधी किसे कहते है ? इस प्रश्न के समा. धान में कहा जाता है कि किसी प्रयोजन को मुख्य रसफर या किसी प्रयोजन के लिये जो प्रारम्भादि क्रियाएं की जाती है, उन्हीं को अर्थहिंसा कहते है / जैस-सानादि के लिये म जलादि का प्रयोग करना, शालादि बनवाने के लिये उस की सामग्री को एकत्रित करना, अर्थात् सप्रयोजन हिंसा का नाम ही अर्थहिंसा है। किन्तु जो व्यक्ति अपना अपराधी हो है उसी को सापराधी कहते हैं। जैसे किसी व्यक्ति ने किसी र की कोई वस्तु चुराली या किसी को मारा तथा किसी ने किसी स्त्री से बलात्कार किया-इत्यादि अपराधों के सिद्ध हो जाने पर फिर अपराधी को शिक्षित करना उसी को सापराधी शिक्षा कहत हैं। श्रतः गृहस्थी लोगों के लिये निरपराधी और अनर्थ हिंसा a का त्याग प्रतिपादन किया गया है। / जो आत्मा निरपराधी है, अनाथ है, किसी का कुछ भी न नहीं विगाहते, उन जीवों की हिंसा में कटिवद्ध हो जाना यह केवल अन्यायता और अनर्थ हिंसा है / जैसे- श्राखेटक (शिकार) कर्म करना, तथा मास भक्षण करना, वा हास्यादि / ह के वशीभूत होकर जीवहिंसा करना / जिस प्रकार बहुत से बालक अज्ञानता के वश होकर वर्षा ऋतु में मेंडकों को पत्थरों। से मारते हे या पीत तथा लाल वर्णवाले जीवों को मारते है। छु यह सब अनर्थ हिंसा है। यद्यपि द्रव्य हिंसा द्वारा भी बहुत से कर्मों का धन्ध किया / हो शिक्षा का लोगों के