________________ P RXKERAKARAXCXXXXnxKEEXXXX KancaineCXIGIODAImat. प्र०-प्रथलाप्रचला किसे कहते हैं? उ०-घोड़े की तरह चलते फिरते नींद आवेऐसी निद्राको प्र०-स्त्यानगृद्धि निद्रा किसे कहते हैं ? A. उ०-दिन में सोचे हुए कार्य को नींद में ही कर डाले / ऐसी निद्रा को / प्र०-वेदनीय के कितने भेद हैं ? उ०-दो / 1 साता वेदनीय और 2 असाता वेदनीय / प्र०-साता वेदनीय किसे कहते है ? उ०-जिससे साता(सांसारिक सुख)वेदाजाय (भोगा जाय)। प्र०-साता वेदनीय किसे कहते है ? उ०-जिस के कारण से दुःख वेदा जाय (भोगा जाय)। प्र०-मोहनीय के कितने भेद हैं ? उ०-मुख्य दो भेद।१ दर्शन मोहनीय और २चारित्रमोहनीय प्र०-दर्शन मोहनीय किसे कहते हैं ? उ०--यथार्थ श्रद्धा को दर्शन कहते हैं, उस दर्शन को मोहित (विकृत) करे, उसे दर्शन मोहनीय कहते हैं। प्र०-चारित्र मोहनीय किसे कहते हैं ? उ०-जिस के द्वारा आत्मा के चारित्र गुण का घात हो। प्र०-दर्शन मोहनीय के कितने भेद हैं ? उ०-तीन / 1 सम्यक्त्व मोहनीय 2 मिश्र मोहनीय 3 मिथ्यात्व मोहनीय / प्र०-सम्यक्त्व मोहनीय किसे कहते हैं ? उ०-जिस प्रकार कूटे हुए कोद्रव घान्य के छिलकों में पूर्ण मादकशक्ति नहीं होती उसी प्रकार जिस कर्म के द्वारा सम्यक्त्व A mra-TECENTRAXXMAR