________________ saxERIXEXXXXXXXCAXEDXSAXEXEREDMRIXEDARXes ( 63 ) / न किसी को रोके और न किसी से रुके ) की प्राप्ति हो। प्र०-अपर्याप्ति नाम कर्म किसे कहते हैं? उ०—जिस कर्म के उदय से जीव पर्याप्ति पूर्ण न करे / / A इसके दो भेद हैं-१ लब्धपर्याप्ति और 2 करणा पर्याप्ति / जिम फर्म के उदय से जीव अपनी पर्याप्ति पूर्ण किये विना ही मरे उसे 'लब्ध पर्याप्ति' कहते हैं और जिसके उदय से श्राहार, शरीर और इन्द्रिय-इन तीन पर्याप्तियों को अभी तक पूर्ण नहीं किया किन्तु प्रागे करने वाला हो, उसे 'करणा पर्याप्ति' कहते हैं। प्र०-साधारण नाम कर्म किसे कहते हैं? उ०—जिस कर्म के उदय से एक शरीर के अनन्त जीव स्वामी हों। प्र०-अस्थिर नाम कर्म किसे कहते हैं ? उ०-जिस कर्म के उदय से कान, भी और जीभ श्रादि अवयव अस्थिर अर्थात् चपल हों। प्र०--अशुभ नाम कर्म किसे कहते हैं ? उ०-जिस कर्म के उदय से शरीर के पैर आदि अवयव अशुभ हों। प्र०-दुर्भग नाम कर्म किसे कहते हैं ? ___ उ०-जिस कर्म के उदय से दूसरे जीव शत्रुता या धैरभाव करें। प्र०--दुःस्वर नाम कर्म किसे कहते हैं ? न उ०—जिस कर्म के उदय से जीव का स्वर कठोर अप्रिय हो।। प्र०-अनादेय नाम कर्म किसे कहते हैं? "Mandir