________________ CREENSHerREDEEP - - - - पेपर्ण वेदवि सं पाया भया जीवा सपा प्रमेव पेइति / से तेस संतोष // शरण 5 सू०२) मावा-मगपान मौतम स्वामी भीममम मगवान् मा पीर स्वामी से पूरते कि मगवम् ! परमत पाले इस प्रचारपाच पापत् प्रापपा पर फिसर्व प्रापी, सर्व / भूव सर्पसल एकाव कप से जिस प्रकार करते ही रसी मकार न कोही फहरप वेदना मोगते (देवते) Y सोपे कपन कैसे समझ पचर में भीमगवार का किमीतम ! यो मान्य यधिक गह प्रकार से पाते। पिन पकात कप से सस्प नही कर्मों का फस, भनेकान्त कप से अनुमप परमे मैं भाता है इसलिये मैं इस प्रकार कासा फिगोई मापीभूत नीष और सत्व पर्षभूत : सपेरमा मोगत कोई पाती मून ग्रीष'भौर मत ममेक एसप मेरमा मोगते हैं। इस प्रकार करतरको सुनकर गीतम स्वामी ने फिर मम पिपा फिर मगर ! पापण विस प्रकार मे! ब भी ममवार ने प्रतिपापम पिपा फिरे गौतम 'गो प्रापी मूतजीव और सस्प मिस प्रकार कर्म करते उसी प्रकार उनके फलों का मनुमबकरते।तो पास रूप से पपमृत चना मोगवे श्रीरयो मिस प्रकार से परोसी प्रचारमन कमी के फस को भमुमय नाही करतेमनमत परवा मोगतेपोटिकमी का बम्पन जीमों के मानों पर ही निर्मर है।" E /