________________ BERD ERERE ( 72 ) क्योकि-से किसी बोरबोरीपी परिससफोरसकर्मा / नुसार पिपित न किया गया तो फिरपा सकिपा में और प्राधिरेगा तथा प्रम्पमापी मी फिर उसी का अनुकरण करले बाहो मापे / कारण किये विचार पर इसको रसकर्म की कोई शिक्षा नही मिलतीतो फिर सर्म परन का हमको पा रासलिये इस म्पमिवार को पूर करने के लिये भीर उस मास्मा की सुदिपरने के लिये पाप : शीलता की प्रत्पन्त भावपाता है। 2 परिवर (शिक्षा) का भाम मी हिंसा होता तो मुनिषग रेसिपे मापभितपिपान करमे पास समों की रचना क्यों होती! इसलिप इससे स्मता सियो माताहिबास्तब में पाय शीसवा सो पापी उसी का नाम मरिसा। इस नियम को मामाम्प पछि सार समार्फ तवपूर्वक पालन कर सकते। सापही अनयामकारों में पहस्पिोंक मिये परमा प्रतिपादन कर दिया बिगान कर पीर सेक सा करके निरपराधी सीपों की हिंसा का परिस्पाम करें। रिम्नु गो सापरापी ते समको म्यापपूर्पक गिपित करना / उनका धर्म स्पोकिरे परम्प , परस मीरा आपसापुति में तो सापरापी और निरपरापी सममान सतीच मात पोलिमा स्वामी भात मापिनु परस्पों परणाम का निर्धार रमा मालप मा मुम्प निपम पही होता मिरपाभी जीयो की दिमा पापिनमोरमसाप - पिपी को भम्पापपूर्पशिक्षित करें। 4. 4. edule-SERIE. F-जनमा -27 समाजERESTHA