________________ EXICAXXERRORXIXXXCOXXX M HOMEOXXXXXXXXXXXXXXXXXDEHA YKORAAGMATKACOMXXXXmamJALORBAALAS प्र०-पुरुष वेद किसे कहते हैं ? उ०—जिसके उदय से स्त्री के साथ रमण करने की इच्छा हो। प्र०-नपुंसक वेद किसे कहते हैं ? ___ उ०—जिसके उदय से स्त्री और पुरुष दोनों के साथ रमण करने की इच्छा हो। प्र०-द्रव्य वेद किसे कहते हैं ? उ०-नामकर्म के उदय से प्रगट हुए वाह्य चिह्न विशेष को। प्र०-भाव वेद किसे कहते हैं ? उ०-मैथुन करने की अभिलाषा को। प्र०-किस किस की काम वासना किस किस प्रकार की होती है ? उ०-पुरुष की कामाग्नि घास के पूले के समान होती है, स्त्री की कामाग्नि वकरी की लेडी ( मंगणी) के समान और है नपुंसक की कामाग्नि नगर दाह की अग्नि के समान / प्र०-आयु कर्म के कितने भेद हैं ? उ०—चार। नरकायु रतिर्यंचायु ३मनुष्यायु और ४देवायु। प्र०-नाम कर्म की कितनी प्रकृतियाँ हैं ? उ०-तेरानवे।४ गति (देव, मनुष्य, तिर्यच और नारक)५ ' जाति ( एकेन्द्रिय जाति, डीन्द्रिय जाति, त्रीन्द्रिय जाति, चतुरिन्द्रिय जाति, पंचेन्द्रिय जाति)५शरीर (औदारिक, वैक्रिय, आहारक, तैजस और कार्मण) 3 अगोपांग (औदारिक, वैक्रिय To और आहारक) 5 बन्धन (औदारिक शरीर बन्धन, नाम कर्म वैक्रिय शरीर बन्धन, आहारक शरीर बन्धन, तैजस शरीर : बन्धन, कार्मण शरीर वन्धन)५ सघात नाम कर्म (औदारिक,