________________ KEEEXXXxxxx Xxxxxxxxxx ( 53 ) / उ०—जैसे पित्त ज्वर के रोगी को ज्वर के कारण दूध 6 श्रादि मीठे पदार्थ कडवे लगते हैं। इसी प्रकार जिस कर्म के / उदय से जिन प्रणीततत्त्व अच्छा नहीं लगता। प्र०-कषाय किसे कहते हैं ? उ०—जो आत्मगुणों को कषै (नष्ट करे) अर्थात् जो जन्म मरण रूपी ससार को बढ़ावे / प्र०-चारित्र मोहनीय कर्म के कितने भेद हैं ? / उ०-दो / एक कषाय मोहनीय और दूसरा नोकपाय / / - मोहनीय। प्र०-कषाय किसे कहते हैं ? ___ उ०—जो अात्म गुणों को कपै (नष्ट करे) अर्थात् जो जन्म मरण रूपी संसार को बढ़ावे / प्र०-नो कपाय किसे कहते हैं ? उ०-कम कषाय को अर्थात् कपाय को उत्तेजित (प्रेरित करने वाले हास्य श्रादि को। प्र०-कपाय के कितने भेद हैं ? / उ०-सोलह / अनन्तानुवन्धी फोघ मान माया लोभ, अप्रत्याख्यानावरण क्रोध मान माया लोम, प्रत्याख्यानावरण क्रोध मान माया लोम, संज्वलन क्रोध मान माया लोभ / प्र०--अनन्तानुवधी चौकड़ी (फ्रोध मान माया लोभ) किसे कहते हैं ? उ०-जो जीव के सम्यक्त्व को नष्ट करके अनन्तकाल पूष्प तक संसार में परिभ्रमण करावे / प्र०-अप्रत्याख्यानावरण चौकड़ी किसे कहते हैं ? NEEKHEENCELEE ... net names RXXXMAXKXICO EXnxxameXXENAXX MERICEXEXXEXEEXXXXEDXXnxxcom 7 - - र