________________ - -- - -- - - - -- ( 2 ) है।पाकि किसी समय मन में ऐसी कामासने समती है। : कि में नही है हरयादि। परन्तु उनको जानना चाहिये कि चमकी पदपरसनादी मारमाके मस्तित्वको सिमपरती। ज्योकि पति मारमा दीनो तो ऐसी कस्पना का मामाच / से मोनिषेप करापास्वप ही पारमास पात / को भीराचार्य नभपने मझममाप्य में भीमाप एप हि निराका सदेस तस्प स्मरूपम् / / (मा२ पा.६.१५.७) ----.. पानमसन __ यह भी मारमा के स्वतन्त्र अस्तित्व की पुएि परवा।। पाकरता गित् में समी पापीका निरोपी कोई कोई देखागाता से भेषकारमापिरोपी प्रकाश उप्पताका, पिरोपी शेस्प सुषका बिरोपी पुलिसी सराह पपार्ष का विरोधी मी कोई तस्वहोना चाहिये / यो तत्व सर का पिरोभीपही टन मास्मा। स पर पहत किया जा सकता किमाबेसन- दोस्पतंत्र विरोधी तत्व मानने रचित नही किन्न किसी पसी प्रकार के मूल पदार्प में महत्वपबेतमाल-पेपोमा क्रिया माननी अधित हैं। जिस समय चेतनवराति का विनास नेसगतासकीम्पति होतीस समय बवाह का तिरोमा राता है। समी बेवम शहिवासे माखी गर पदार्थक विकास के पी परिणाम पर प्रतिरिक अपना स्वतन्त्र अस्तित्व नही रखते पिता व परिका सोने से शीषमारी कप में रिचाईवे पैसाही मम्तम्पमा मारि भनेक परिसमीप विद्वानों का मी। समाजESLEEx SUESUE-पवस्व