________________ Sexxxxx XxxxxxxxxxxKIKHAYR HDXEXXEXAXAAOXXXXXXXXXXXRAN ( 35 ) देह से पृथक् अनादि सिद्ध होता है। अनादि तत्त्व का कभी नाश नहीं होता / इस सिद्धान्त को सभी दार्शनिक मानते हैं। गीता में भी कहा है किनासतो विद्यते भावो नाभावो विद्यते सतः। (102 श्लो० 16) इतना ही नहीं, बल्कि वर्तमान शरीर के पश्चात् आत्मा - का अस्तित्व मान विना अनेक प्रश्न हल नहीं हो सकते। ___ बहुत लोग ऐसे देखे जाते है कि वे इस जन्म में तो प्रामाणिक जीवन विताते हैं परन्तु रहते हैं दरिद्री / और वहुत ऐसे भी देखे जाते हैं कि जो न्याय, नीति और धर्म का नाम सुन कर चिढ़ते हैं परन्तु होते है वे सब तरह से सुखी ऐसी अनेक व्यक्तियों मिल सकती हैं, जो हैं तो स्वयं दोषी और उनके दोषों (अपराधों) का फल भोग रहे हैं दूसरे / एक हत्या करता है और दूसरा पकड़ा जाकर फॉसी पर लटकाया जाता है। एक चोरी करता है और पकड़ा जाता है दूसरा। म यहाँ इस पर विचार करना चाहिए कि जिनको अपनी अच्छा l या बुरी कृति का बदला इस जन्म में नहीं मिला, उनकी कृति क्या यों हीविफल हो जाएगी? यह कहना कि कृति विफल होती है, ठीक नहीं। यदि कर्ताको फल नहीं मिला,तोभी उसका असर व समाज के या देश के अन्य लोगों पर होता ही है, यह भी ठीक नहीं। क्योंकि मनुष्य जो कुछ करता है वह सव दूसरों के लिये ही नहीं। रात दिन परोपकार करने में निरत महात्माओं 2 की भी इच्छा दूसरों की भलाई करने के निमित्त से अपना परमात्मत्व प्रकट करने की ही रहती है। EHCRIXXXX.RRXKARXXXKARACamxxxxxxxxKRIXXXXXXXXXXXX