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मङ्गलाचरणम् *सयलकल्लाण-निलयं, नमिऊणं तित्थनाहपयकमलं ।
परगुणगहण सरूवं, भणामि सोहग्गसिरिजणयं| 91 शब्दार्थ-(सयलकल्लाण-निलयं) समस्त कल्याणमंगलकारक शुभ साधनों के स्थान (आश्रय) रूप (तित्थनाहपयकमलं) तीर्थनाथ-जिनेन्द्र भगवान के चरण कमल को (नमिऊणं) नमस्कार कर (सोहग्गसिरिजणयं) सौभाग्य रूप लक्ष्मी को पैदा करने वाले (परगुणगहणसरूव) परगुण ग्रहण करने का स्वरूप (भणामि) कहता हूँ। *सकलकल्याण-निलयं, नत्वा तीर्थनाथपदकमलम्। परगुणग्रहणस्वरूपं, भणामि सौभाग्य-श्रीजनकम्।।१।।
श्री गुणानुरागकुलक १३