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भगवतीसूत्र - मंगलाचरण
उपरोक्त पांच पदों को 'पंच परमेष्ठी' कहते हैं ।
'शंका- 'यथाप्राधान्य' न्याय के अनुसार सब से पहले 'सिद्ध भगवान्' को नमस्कार करना चाहिए । इसके बाद क्रमशः अरिहन्त, आचार्य, उपाध्याय और साधुजी को नमस्कार करना चाहिए | क्योंकि सिद्ध भगवान् के आठों कर्म क्षय हो चुके हैं । अतएव वे कृतकृत्य हैं । अरिहन्त भगवान् के अभी चार अघाती कर्म शेष हैं । फिर उन्हें पहले नमस्कार कैसे किया गया ?
समाधान - यद्यपि अरिहन्त भगवान् की अपेक्षा सिद्ध भगवान् प्रधान हैं, तथापि अरिहन्त भगवान् के उपदेश से सिद्ध भगवान् की पहचान होती है, तथा तीर्थङ्कर भगवान् तीर्थ (साधु, साध्वी, श्रावक श्राविका रूप चार तीर्थ) के प्रवर्तक होने से अत्यन्त उपकारी हैं । इसलिए सिद्ध भगवान् से पहले अरिहन्त भगवान् को नमस्कार किया गया है ।
शंका- यदि आसन उपकारी को प्रथम नमस्कार किया जाना चाहिए; तब तो सर्व प्रथम आचार्य को नमस्कार करना चाहिए, क्योंकि किसी समय अरिहन्तों की पहचान भी आचार्य द्वारा कराई जाती है । इसलिए आचार्य अत्यन्त आसन्न उपकारी हैं ।
समाधान- अरिहन्त भगवान् के द्वारा उपदिष्ट आगमों द्वारा ही आचार्य उपदेश देते हैं । स्वतन्त्र उपदेश द्वारा अर्थ ज्ञापन की शक्ति आचार्य में नहीं है । अतः वास्तविक रूप से अरिहन्त भगवान् ही अर्थों के ज्ञापक हैं। आचार्य तो अरिहन्त भगवान् की सभा के सभासद (सभ्य) हैं। इसलिए सर्व प्रथम अरिहन्त भगवान् को ही नमस्कार करना उचित है।
ब्राह्मी लिपि - भगवान ऋषभदेव (आदिनाथ) द्वारा अपनी पुत्री ब्राह्मी को दिया हुआ लिपि का बोध - ' ब्राह्मी लिपि' कहलाता है । ब्राह्मी लिपि को नमस्कार करने का अर्थ है - इस लिपि का बोध देने वाले भगवान् ऋषभदेव को नमस्कार करना । इस लिपि के द्वारा श्रुत को लिपिबद्ध करके चिरकाल तक स्थायी रखा जा सकता है । विस्मृति से बचाया जा सकता है और स्वपर हित साधा जा सकता है ।
श्रुत को नमस्कार - श्रुत शब्द का अर्थ यहाँ द्वादशांगी रूप अर्हत् प्रवचन है। क्योंकि यह श्रुतज्ञान ही ऐसा है जो व्यवहार में आता है । दिया लिया जाता है और लिपिबद्ध
● टिप्पण - कुछ लोग 'अरिहन्त' आदि पदों का विपरीत अर्थ करते हैं, अर्थात् सावदध प्रवृत्ति करने वालों का समावेश इन पदों में करते हैं, परन्तु वह अर्थ जैनागमों के अनुकूल नहीं है। अतः जो अर्थ ऊपर विवेचन में दिया गया है, वही ठीक हैं।
+ ऐसा प्रतीत होता है कि वीर संवत् ९८० में जब देवद्ध गणि क्षमाश्रमण द्वारा सूत्र लिपिबद्ध
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