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आनन्द प्रवचन : भाग ८
इसका मतलब है-जीवनयात्री को अपने साथ इस जीवन की और अगले जीवनों की लम्बी यात्रा के लिए सुविचारों और सुसंस्कारों का पाथेय लेना अत्यावश्यक है। गौतमकुलक जीवन यात्रा में पाथेय का काम करता है। आप इस पाथेय को लेकर अपनी जीवन यात्रा करेंगे तो कहीं भी कष्ट नहीं पाएंगे; जीवन की उलझी हुई गुत्थियों को शीघ्र ही सुलझा सकेंगे।
आशा है, आप गौतमकुलक के पाथेय को लेकर अपने जीवन को समझते, परखते और आगे का पथ तय करते हुए आगे बढ़ते जाएँगे, बढ़ते ही जाएँगे, और एक दिन अन्तिम लक्ष्य को पा लेंगे।
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