Book Title: Acharang Sutram Part 01
Author(s): Jayprabhvijay, Rameshchandra L Haria
Publisher: Rajendra Yatindra Jainagam Hindi Prakashan
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________________ आप्यो छे, वर्तमान काळमां महाविदेह क्षेत्रमा विहरमान सर्व तीर्थंकरो आचारनो ज सर्व प्रथम उपदेश आपे छे अने भविष्यना सर्व तीर्थंकरो ओ प्रमाणे ज उपदेश आपशे. मोक्षमार्गमा आचारनु केटो बधुं महत्त्व छे ते दावे छे. जैन दर्शन प्रमाणे अध्यात्ममार्गमां दर्शन मोहनीय कर्मना क्षय पछी ज्यां सुधी चारित्र मोहनीय कर्मनो संपूर्ण क्षय थाय नहि त्यां सुधी केवळज्ञान अने मोक्षप्राप्ति थाय नहि. माटे ज आचारनी महत्ता छे. बार अंगोमा आचारांगनुं स्थान पहेलुं छे. तीर्थकर परमात्मा सर्व प्रथम आचारांगनी प्ररूपणा करे छे अने त्यार पछी बाकीनां अंगोनी प्ररूपणा करे छे. श्री भद्रबाहुस्वामीओ 'आचारांग नियुक्ति' मां लख्युं छे के सव्वेसिमायारो तित्थस्स पवत्तणे पढमयाए। सेसाई अंगाई एक्कारस आणुपुटवीए / वळी 'आचारांग' ने बधां अंगोना सार तरीके गणवामां आव्युं छे श्री भद्रबाहुस्वामीओ कह्यु : अंगाणं किं सारो ? आयारो। (बधां अंगोनो सार शुं ? आचारांग) तेओओ वळी कडं छे के आचारांगमां मोक्षना हेतु, प्रतिपादन करवामां आव्युं छे प्रवचननो सार छे. आचारांगनुं ज्ञान मेळव्या पछी ज साचो श्रमणधर्म समजाय छे. गणि थनारे प्रथम आचारधर थर्बु जोइओ. आयारम्मि अहीए णाओ होई समणधम्मो उ। तम्हा आयारधरो भण्णइ पढमं गणिट्ठाणं / / अटले ज प्राचीन काळथी ओवी परंपरा चाली आवी छे के गुरुभगवंत पोताना शिष्योने प्रथम आचारांग सूत्र अध्ययन कराव्या पछी ज बीजा अंगोनुं अध्ययन करावे. प्राचीन काळमां तो अवो नियम हतो के नवदीक्षित साधु ज्यां सधी आचारांगना प्रथम अध्ययन 'शस्त्र परिज्ञा' नो अभ्यास पूरो न करे त्यां सुधी अने वडी दीक्षा आपवामां आवती नहि अने त्यां सुधी अ गोचरी वहोरवा जइ शके नहि. अढार हजार पद प्रमाण 'आचारांग सूत्र' मां बे श्रुतस्कंध छे. अमां पहेलामां नव अध्ययन छे अने बीजामां सोळ अध्ययन छे. आ रीते अमां कुल पचीस अध्ययन छे. अमांथी प्रथम श्रुतस्कंध, 'महापरिज्ञा' नामनुं सातमुं अध्यन विलप्त थइ गयुं छे. आ अध्ययन माटे ओवी जनश्रुति छे के अमां विशिष्ट प्रकारना चमत्कारिक मंत्रो, विद्याओ इत्यादि आपवामां आव्या हता. परंतु काळ बदलातां अनो दुरुपयोग थवानो संभव होवाथी आचार्योओ अनुं अध्ययन कराववाचं बंध करी दीधु अने ओम करतां अ अध्ययन लुप्त थइ गयु. छेल्ला दस पूर्वधर श्री वज्रस्वामीओ आ 'महापरिज्ञा' अध्ययनमांथी आकाशगामिनी विद्या प्राप्त करी हती ओवो उल्लेख शास्त्रग्रंथोमां थयेलो छे.