Book Title: Triji Jain Shwetambar Conferenceno Report
Author(s): Maganlal Chunilal Vaidya
Publisher: Reception Committee
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ त्रीजी श्री जैन श्वेताम्बर कॉन्फरन्सनो रिपोर्ट. बदर For Personal & Private Use Only Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ॥ श्री पंचपरमेष्ठिभ्योनमः ॥ वडोदरामां भरायेली त्रीजी श्री जैन ( श्वेतांबर ) कॉन्फरन्सन रिपोर्ट. अने [ वर्तमानपत्रोना अभिप्रायो . तथा रिसेप्शन कमिटीना रिपोर्ट सहित. ] तथा तैयार करनार मगनलाल चुनीलाल वैद्य. प्रसिद्ध करनार रिसेप्शन कमिटी वडोदरा. ---cur वडोदरा. " लक्ष्मीविलास' एन्ड “ सयाजीविजय " प्रेस. संवत् १९६२. सने ५.. For Personal & Private Use Only Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ For Personal & Private Use Only Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रस्तावना. श्री जैन श्वेताम्बरोनी कॉन्फरन्स मळवा मांडी त्यारथी तेमनामां जे अपूर्व उत्साह आव्यो छे तेनी नोंध आगल्या जमानामा रहे तेने माटे आ रिपोर्टो साधनरुप छे. एवं जाणी दरसाल कॉन्फरन्स पछी शेकडो रुपीआ खर्च करी रिपोर्टो छपाववानो ठराव थयो छे. चालु वखतमां जैनोमां केवा प्रकारना हानिकारक रीवाजो हता, केवा प्रकारनी तेमनी सामाजिक अने धार्मिक पद्धती हती अने तेनी नोंध थइ ते सुधारवा माटे कया नररत्नोए प्रयास कर्यो छे तेनो सामान्य प्रकारे उल्लेख आ रिपोर्टोमां जोवामां आवे छे. मुंबाइमां बीजी कॉन्फरन्सना रिपोर्टमां दरेक कमीटीना रिपोर्टो दाखल करवामां आव्या छे पण अत्रे तेम न करतां ते रिपोर्टनी टुंक हकीकत दाखल करी छे अने आम करी आ रिपोर्टर्नु कद नानु कथु छे पण आ प्रस्तावनामां ने जे गृहस्थोए आ कॉन्फरन्सने फतेहमंद उतारवा प्रयास कयों छे तेमना नामो साथे शुभ कार्योनी टंक नोंध लेवी अनुचित छ एम आप धारशो नहीं. सर्वथी प्रथम सेन्ट्रल कमीटीनें काम शरु थाय छे. आ कमीटीज कॉन्फरन्सन तत्व नेवी छे कारण तेणे विषयो विगेरे नक्की करवानुं अने तमाम लखाणोनु काम करवान होय छे. आ कमिटीना प्रमुख धार्मिक ज्ञानमां कुशळता धरावनार शेठ गो कळभाइ दुर्लभदास तथा सेक्रेटरी वैद्य मगनलाल चुनीलाल जेओ धार्मिक ज्ञान साथे चालु जमानानुं अने इंग्रेजी भाषानुं सारुं ज्ञान धरावनार हता. वास्तविक कहेवाथी आ भाइ मगनलालेज सेक्रेटरीनु तमाम काम कर्यु छे; मतलब प्रथमथी आ कार्यनी शरुवात करी छेवटे आ रिपोर्टने आप सद्गृहस्थोनी रुबरु मूकनार तेज सुज्ञ भाइ छे. महीनाना महीना पोताना कामनी अगवड भोगवी आवी रीते धार्मिक लागणी बतावी श्रीसंधनी तेओए ने भक्ति करी छे ते खरेखर स्तुति पात्र छे अने ते बद्दल तेमनो जेटलो उपकार मानवामां आवे तेटलो थोडो छे. आ मि. मगनलालभाइ साथे तेमना राइट हेन्ड तरीके पादराना वकील For Personal & Private Use Only Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( २ ) रा. रा. मोहनलाल भाइ हेमचंद तथा नंदलालभाई ललुभाइ तेमणे जे अथाक मेहनत लीधी छे तेमनो पण उपकार मानवानो आ खरेखर योग्य प्रसंग छे. जे गृहस्थो धर्मनी लागणीथी पोतानी करणीने पवीत्र करे छे तेथी उभय लोकमां सत संपत्तिने प्राप्त करे तेमां आश्चर्य जेवुं नथी. आ रीपोर्ट तैयार करवामां रा. रा. रुघनाथराव जाधव एमणे जैओ जैन धर्मी न छतो पण दिवसोना दिवसो प्रयास कर्यो छे तेमनों उपकार मानवानुं भुए फरजमा भुल कर्या जेवुं छे. रा. रा. गवरिशंकर प्रभाशंकर एवोश्री पण जैन धर्मी न छतां पण कॉन्फरन्सना कार्यने उत्साहथी मदद आपवा माटे सेन्ट्रल कमीटीमा दाखल थया हता. अने छेवट सुधी तेमणे आ काममा मदद आपी छे ते बद्दल तेमनों उपकार मानवो योग्य छे. आ शिवाय डॉक्टर माणेकलाल अंबाराम तथा मि. चुनीलाल नरोतम विगेरे जे गृहस्थोए आ रिपोर्टना काममां मदद करी छे तेमने धन्यवाद घटे छे. जनरल सुपरवाइजर साहेबो अत्रेना सुप्रसिद्ध सरकारी माजी झवेरी तथा हालना झवेरी कल्याणभाइ अमीचंद अने झवेरी फकीरचंद घेहेलाभाइ एवोए फंड भराववामां तथा पोतानो राज्य साथेनो संबंध होवाथी राज्यनी मदद मेळववामां जे सहाय आपी छे ते पण स्तुतिपात्र छे अने तेथी ते महाषयोनो पण उपकार मानवामां आवे छे. मंडप कमीटीना प्रमुख साहेब झवेरी बाळाभाइ छोटालाल तथा सेक्रेटरी गांधी फत्तेभाइ लालभाइना नामो आपना जोवामां आवशे तथा मंडपना काममां सेक्रेटरीए पोताना ओद्धाने अनुसरीने प्रयास लीधो छे, वळी पोतानी साधारण स्थीति छतां रात दिवस आ मंडपने सुशोभित करवामां अने तेनुं काम संपूर्ण करवामां भाइ मगनलाल रणछोडभाइए जे प्रयास लीधो छे ते बदल तेओ खरेखर धन्यवादने पात्र छे. फंड कमीटीना प्रमुख रा. रा. चुनीलाल इश्वरभाइ तथा सेक्रेटरी गांधी गुलाबचंद काळीदास छे. तेओए पण आ काममां सारी मेहनत लोधी छे तेथी तेओने धन्यवाद घटे छे. For Personal & Private Use Only Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ३ ) उतारा कमीटीना प्रमुख अत्रेना सुप्रसिद्ध वैद्य बापुनाइ हीराभाइ अने से - क्रेटरी गांधी जमनादास जगजीवनदासे जूदा जूदा ग्रहस्थो पासेथी उतारा मेळावामां अने त्यां पधारनार गृहस्थानां सन्मान करवामां अने व्यवस्था साचववामां पोताना शरीर भोगे पण दीर्घ प्रयास कर्यो छे अने उतारा शिवाय बीजा कामोमां पण ओए मदद करी छे. चालु उजागरा अने कामना बोजाथी आ कमीटीना प्रमुखनी प्रकृती बगडी अने ज्यारे तेमने फरजीआत कार्य करतां अचकाववामां आव्या त्यारेज आ गृहस्थे कॉन्फरन्सने बीजे दिवसे आराम लीधो. आ प्रमुख अने तेमना सेक्रेटरीए पोताना कामने माटे तो शुं पण ते शिवाय बीजा कामो पण उत्साहपूर्वक हमेश करता तेथी तेओए खरेखर पून्य उपार्जन कर्त्तुं छे अने उभय लोकमां संघभक्तिथी पोतानो सुयश विस्तारी सत्कार पात्र थया छे. भोजन कमीटीना प्रमुख मि. मोतीलाल लालदास मोदी तथा सेक्रेटरी झवेरी छोटालाल लालचंद छे. जूदा जूदा गृहस्थोनी भोजन संबंधी व्यवस्था राखवानुं नियमित वखत जोड़ती वस्तुओं पूरी पाडी संघनी भक्ति करवानुं काम आ गृहस्थोए जेवी रीते बजायुं छे तेवी रीते तमाम डेलीगेटो तरफथी तेओ स्तुतिपात्र थया हता, अबे अग्रस्थाने खरा तनमनधी आ काममां मदद करनार मि. नेमचंद मलुकचंद तथा बीजा गृहस्थोए खरेखरुं पून्य उपार्जन करी श्रीसंघ तरफथी धन्यवाद मेळव्यो छे. बधाथी सखत काम वॉलंटियरोनुं छे, आ कमीटीमां प्रमुख रा. रा. मणीलाल बालाभाइ तथा सेक्रेटरी गांधी वाडीलाल लालभाइ हता. आ बन्ने भाइए पोतानो ओद्ध तथा पोताना ज्ञान तरफ नजर न करतां जाणे श्रीसंघनी भक्तिथी बने तेलुं विशेष पुन्यउपार्जन करवानी सामाघीमांज होयनी तेम सामान्य वॉलेंटीअरो साथै डेलीगेटोनी सगवड माटे खुरसीओ उचकवानुं काम पण करवामां पोताना मनमां शंका के शरम आणी नथी. खावानो वखत मळे के न मळे तेनी तेओए लेशमात्र पण दरकार करी नथी. पण पूर्ण खंतथी सभ्यताथी अने पोताना ताबामां रहेला विनयी वॉलेटीयरो प्रत्ये विनयभावथी जे वर्तन कर्तुं छे तेथी तमाम वॉलंटीयरो जाणे एक कुटुंबना होय एवी आ बने जणाओ प्रत्ये तेमनी पूज्य लागणी दृष्टीए आवी हती. अने आ रिपोर्टमां तेमनां अने वॉलंटियरोना कार्य संबंधे तेमनी उच्य भावना दर्शावतां जे शब्दो योजवामां आवे तेना करतां तेमनी वृतीओनुं शुभ कार्य चडी जाय तेम छे, माटे अन्य शब्दो के विशेषणानो उपयोग For Personal & Private Use Only Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ न करतां तेओए संघभक्तिथी महत्पुन्य उपार्जन करी पोताना आत्माने निर्मळ कर्यो छे तेम उभय लोकमां शुयश साथे धन्यवाद प्राप्त कर्यो छे. रा. रा. बालाभाइ साहेब महाराजा साहेबनी स्वारीमा हता, पण तेओर्नु मन आ कॉन्फरन्स तरफ हमेश लागेलं तेमना पत्रोथी तथा तेमने धर्म विषयमा जे प्रश्नो काढी लेखो लखेला तेपरथी सुविदत थयुं छे. सत कृत्य, मनथी वचनथी अने कायाथी पण थाय छे ते सुप्रसिद्ध छे तो आवा शुभ चिंतनथी तेओश्री शु. भपुन्योपाजन करे तेमां नवाइ नथी. खास अनीवार्य कारणथी रिपोर्ट मोडो थयो छे ते बद्दल. श्रीसंघ दरगुजर करशे. आ रिपोर्ट छापवाना काममां श्रीसयाजीविजय अने लक्ष्मीविलास प्रेसना मेनेजर साहेबोए बतावेली काळजी माटे तेमनो आ स्थळे आभार मानवामां आवे छे. आ काम उपर दीवेला माहाशयोना प्रयासथी नीविघ्ने समाप्त थयं छे अने केटलाक अत्रे जेमना नामोनो उल्लेख करवामां आव्यो नथी एवा आ कार्यमां मदद करनार तमाम माहाशयोनो उपकार मानी आ प्रस्तावना समाप्त करी रिपोर्ट वांचवानी भलामण करीए छीए. माणेकलाल घेहेलाभाइ. फत्तेभाइ अमीचंद झवेरी. ची. सेक्रेटरी स्वा. मं. प्रमुख, स्वागतमंडळ. For Personal & Private Use Only Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अनुक्रमणिका. ११-१३ १३-१४ १४-१७ १८-१९ २०-२३ रिसेप्शन कमीटी पृष्ट १-४८. रिसेप्सन कमिटीनो रिपोर्ट. उतारा , " भोजन , " तंदुरस्ती " " मंडप , , वॉलंटीयर ,, , लाक्षणिक प्रदर्शन , उपज खर्च रिसेप्शन कमिटीनू लीस्ट. , श्रीमंत महाराजा सयाजीरावने बीन लागते सामान आपवा तथा कॉन्फरन्समां पधारवा करेली अरजी. श्रीमंतनो जवाब. . कुकुंमपत्रिका. मंडपमा लगावेलां हितवचनना बोर्डो. लाक्षणिक प्रदर्शन कमिटीन लीस्ट. , ,, ना सेक्रेटरी झवेरी लालभाइ कल्याण- भाइवें भाषण. छ ,, युवराज फतेसिंहरावे प्रदर्शन खुल्लु मेलती वखते करेलु ज, स्वागत फंडमां नांणा भरनारनी यादि. झ ,, , , ना खर्चनुं तारवणी पत्रक. २४-२६ २७-२८ २९ ३६-३७ भाषण. ४४-४७ For Personal & Private Use Only Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४८-५१ ५२-६३ त्रीजी वार्षिक परिषद् पृष्ट १-२००. स्वागत मंडळना प्रमुखनुं भाषण. नि. १ ३-४ श्रीमंत महाराजा साहेबर्नु भाषण. मे. प्रमुख साहेबर्नु भाषण. नि. २ ५-० रा. ढहाए मानेलो महाराजानो आभार. मि. परमारनुं कवित. दिलसोजीना तारो अने पत्रो. सबजेक्ट कमिटीनी नेमणुक. श्रीमंत महाराजानुं छेवटन भाषण. ठराव १-ना. शेहेनशाह माटे प्रार्थना. ठराव २-श्री. महाराजा साहेबनो आभार. ठराव ३-ज. सेक्रेटरीओने धन्यवाद. राय ४-मर्हम मि. फकीरचंद प्रत्ये दीलसोजी. ठराव ५-पूज्यमुनि महाराजा विगेरेने विनंती. ठराव ६-धार्मिक तथा व्यवहारिक केळवणी. ११-१६ रा. गुलाबचंद ढढ्ढानुं भाषण, पृष्ट १२-१४ मि. मोतीचंद गीरधर कापडीयानु भाषण. , १४ नि. ३ लाला माटु मलजी. , , १४ मि. बालचंद हीराचंद. १५ नि. ४ वकील छोटालाल काळीदास. ,, , १५ मि. मनसुख अनोपचंद. , , १५ नि. ५ मि. मुळचंद नथुभाइ. , , १५ नि. ६ सा. कुंवरजी आणंदजी. , , १५ नि. ७ मि. अनोपचंद मेलापचंद. , , १६ नि. ८ डराव ७-कॉन्फरन्सनुं बंधारण. १६-१९ शेठ. लालभाइ दलपतभाइन भाषण. , नि. ९ मि. लखमसी हीरजी. , , १७-१८ ६४-७० हीराचंद. " ७१-७६ " ७७-७९ ८०-८३ ८४-८६ ८७-९१ ९२-९५ For Personal & Private Use Only Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ " २० डॉ. जमनादास प्रेमचंदनुं भाषण. , १८ नि. १० ९६-१०. मि. जगजीवन मुळजी खनीया. ,, ,, १८ नि. ११ १०१-१०८ लाला माणेकचंद तथा व. हरिवलव. ,, १८ मि. फतेचंद कपुरचंद लालन. ,, , १९ ठराव (-शत्रुजय तीर्थनी आशातना माटे दिलगीरी. ठराव ९-ज. सेक्रेटरीनी जग्या पुरवानी सत्ता. ठराव १०-जीर्ण चैत्योद्धार. , २१-२४ बाबुराय कुमारसिंघजीन भाषण. , २१-२२ बाबु विजयसिंघजी. , , २२-२३ मि. मोहनलाल पुंजाभाइ , , २३ नि. १२१०९-११० मि. फतेचंद कपुरचंद लालन ,, , २३ डेलागोआवेथी कॉन्फरन्सने मदद. २३-२४ ठराव ११-प्राचीन पुस्तकोद्धार. शठे अनुपचंद मलुकचंदनुं भाषण. ,, २४ नि. १३ १११-११४ शा. अमरचंद घेलाभाइ. शा. रवजीभाइ देवराज. . . मि. फतेचंद कपुरचंद. जेसलमेरनो भंडार उघडाववा विषे मि. ढहानो प्रयास. २५ ठराव १२-सधर्मीने आश्रय. २६ ठराव १३-जीवदया. ठराव १४-प्राचीन शोधखोळ. २६-२७ मि. दोलतचंद पुरुषोतम बरोडियानु भाषण. २६ नि. १४ ११५-११७ मि. मनमुख कीरतचंद. २७ नि. १५ ११८-१२४ ठराव १५-डीरेक्टरी. . २७-२९ मि. भगुभाइ फतेहमंद कारभारीनुं भाषण. २७ नि. १६ १२५-१२६ मि. जीवरान ओधवजी दोशी. , २८ नि. १७ १२७-१२८ २४-२५ " २५ For Personal & Private Use Only Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( 8 ) ठराव १६ - हानिकारक रीवाजोनो त्याग. रा. रा. ढढ्ढानुं भाषण. प्रो. नथुभाइ मंछाचंद. फसेचंद कर्पुरचंद. 99 23 श्रीमंत युवराज फतेसिंहरावनुं भाषण. श्रीमंत महाराजा साहेब तथा बीजा राजा महाराजानो मानेलो आभार. प्रमुख साहेबनो मानेलो आभार. वडोदराना आगेवानो तरफथी मे. डेलीगेटोने पानसोपारी. जैन ग्रेज्युएट एसोसीएशननी स्थापना. आचार्य श्रीकमलविजयसूरिनुं व्याख्यान. बाळ गंगाधर टिळकनुं भाषण. मि. लाभशंकर लक्ष्मीशंकरनु भाषण. श्रीमंत महाराजा साहेबे कॉन्फरन्सना फंडमां भरेली रकम. आचार्य श्री कमळ विजयसूरी तथा श्रीमंत महाराजा साहेब एमनो समागम. प्रमुख तथा पत्रकारोना अभिप्राय. डेलीगेटोनुं लीस्ट. कॉन्फरन्स वखते नाणां भरनारनी यादी. २८-१९ २८-२९ २९ ३० ३०-३१ ३२ ३४ ३६-३७ ३७ ३८ For Personal & Private Use Only ३८-४३ ४३-४६ ४७ ४७ १२९-१५५ १५६-१९२ Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भाग पेहेलो. For Personal & Private Use Only Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ For Personal & Private Use Only Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री. त्रीजी जैन श्वेतांबर कॉन्फरन्स. रिसेप्शन कमीटीनो रिपोर्ट. सर्वने सुविदित छे के, श्री जैन श्वेतांबर मूर्त्तिपूजक संघनी व्यवहारिक अने धार्मिक उन्नति करवाना शुभ हेतुथी श्रीफलोधि तीर्थोन्नति मुंबईनी कॉन्फरन्समां वडोदराना डेलीगेटोनुं समाना सेक्रेटरी अने जयपुरना कलेक्टर तथा डिस्ट्रीक्ट जीस्ट्रेट रा. रा. गुलाबचंदजी ढढ्ढा एम. ए. एमणे प्रारंभेला स्तुत्य प्रयासने मान आपी मुंबई खाते भरायली बीजी जैन श्वेतांबर कॉन्फरन्समां वडोदरेथी ११ सद्गृहस्थाने डेलीगेटो तरीके पसंद करी मोकलवामां आव्या हता. जव. २ ते डेलीगेटो अने बीजा प्रेक्षक तरीके सदर कॉन्फरन्समां भाग लेवा पधारेला सद्गृहस्थो तेवा परमपवित्र भारतवर्षीय श्रीसंघना दर्शननो लाभ पोताने त्यांना श्रीसंघने मळी शके तेवा अ त्रीओ कॉन्फरन्स वडो - दरे भरवानुं आमंत्रण. नुकुळ संजोगो जोई छाणी, पाद्रा, दरापुरा विगेरे स्थळेथी पधारेला सद्गृहस्थोनी सलाहपूर्वक त्रीजी कॉन्फरन्स वडोदरे भरवानुं आमंत्रण कहेवडाव्यं हतुं अने ते स्वीकारवामां आव्यानी वात ता. २१ माहे सप्टेंबर सने १९०३ नी बेठकमां जाहेर थतां रा. रा. बापुभाई हीराभाई वैद्ये नीचे प्रमाणे विज्ञप्ति करी हती: 66 शब्दोमां विनंती करवानी ' हुं अमारा वडोदराना श्रीसंघ तरफथी वे रजा लउं हुँ. आ अपूर्व मेळावडानां दर्शनथी अने अहीं जे उत्साह अने एक विचारथी काम थयुं छे तेथी अमे घणो संतोष मानीए छीए. आवती कॉन्फरन्स वडोद रामां भरवानुं अमारुं आमंत्रण स्वीकारवानी जेवी रीते कृपा करी छे तेवीज रीते कॉन्फरन्सनो वखत मुकरर थाय ते वखते पधारवानी कृपा करी आभारी करशेोजी. हिंदुस्ताननां बीजां मोटां शहेरोनी जैन वस्तीना प्रमाणमां वडोदरा कंइज हिसाबमा नथी. तोप अमे अमारी आजुबाजुना गामोना भाइओ साथे मळी आप साहेबनी यथाशक्ति For Personal & Private Use Only Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( २ ) सेवा बजाववा यत्न करीशं; पण जे साहेबोना प्रयासथी आ कॉन्फरन्स पाका पाया उपर स्थापन थई छे तेज साहेबोए ए कॉन्फरन्सना कामने पुष्टि करवाना प्रयत्न करवानो छे. तो आशा छे के, तेओ साहेब पोताना स्थानके रहीने अने पथावर वडोदरे पधारीने शासननी उन्नति करवानी महेरबानी करशे. " ३ ते पछी बीजे दिवसे मुंबईमां झवेरी जेशंगभाई मगनलालनी पेढीमा आमंत्रण करवामां सामेल थयेला सद्गृहस्थो एकठा थया हता स्वागत फंडनी - अने कॉन्फरन्सनुं काम फतेहमंदीथी पार उतारवा माटे नाणांनी पहेली तजवीज करवी जोईए एम सौनी ध्यानमां बेसतां स्वागत फंडनीं शरुवात करवामां आवी हती, जेमां रु. १२३१ तो त्यांने त्यांज भराइ गया हता. यात. दना. 8 सदर डेलीगेटो विगेरे वडोदरे पाछा फर्या त्यारे तेमना मुखथी मुंबईमां थयेला कामकाजनी तथा आमंत्रण विगेरे संबंधी हकीकत सांभळी श्रीसंघे घणी अनुमोदना करी हती, जेना परि नामे रिसेप्शन कमीटी निम्या वगर स्वागत फंडनुं काम श्री संघनी अनुमो आगळ चलाववानुं सुगम थई पड्युं हतुं. श्रसिंघनी प्राथमिक ५ कॉन्फरन्स संबंधी विविध प्रकारनं काम केवी रीते पार पाडवुं ते माटे विचार करवाने श्रीसंघनी प्राथमिक सभा ता. २५ माहे मे सने १९०४ ना रोज जानीशेरीनी धर्मशाळामां बोलाववामां आवी हती. ते सभानुं प्रमुख स्थान रा. रा. फतेभाइ भमचंद झवेरीने आपवामां आव्युं हतुं अने तेमां लायक मेंबरो वधारवा विगेरे नी सत्ता साथ रिसेप्शन कमीटी ( स्वागत मंडली ) नीमवामां आवी हती, तथा श्रीमंत महाराजा साहेबने मदद विगेरे माटे अरजी करवा अने कॉन्फरन्स कया महिनामां भरवी ते संबंधी ठरावो पसार करवामां आव्या हता. सभा. ६ रिसेप्शन कमीटीना प्रमुख, उपप्रमुख, चीफ सेक्रेटरी, जनरल सुपरिटेन्डेन्ट अने ट्रेझरर तरीके कया पुरुषोने पसंद करवामां आव्या हता, तथा स्वागतने लगतुं पत्रव्यवहार विगेरे सर्व साधारण काम, फंड भराववानुं काम, उतारा संबंधी काम, भोजन संबंधी काम, हेल्थ ( तंदुरस्ती ) जाळत्रवानुं काम, मंडप उभो करवानुं काम अने रिसेप्शन कमीटी संबंश्री सामान्य नोंध. For Personal & Private Use Only Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वॉलंटियर संबंधी काम करवा माटे सभासदोने कयी कयी सबकमीटीओमां वहेंची नाख्या हता अने ते सबकमीटीओना प्रमुख तथा सेक्रेटरीनी पदवीओ कोने आपवामां आवी हती ते, आ साथे नि० क नी यादी जोडी छे, तेमां. बताव्युं . सबकमीटीओए जरुर प्रमाणे भेगी थइ करेला ठरावो सांभळी योग्य सलाह अथवा मंजुरी के अनुमोदन आपवा माटे रिसेप्शन कमीटीनी १५ मीटींगो थइ हती, नेमांनी छठ्ठी मीटींग त्रण बेठको सुधी लंबाइ हती. खास महत्त्वना प्रसंगे श्रीसंघने आमंत्रवामां आव्यो हतो. कमीटीए करेलां कामोनी नोंध योग्य स्थळे लेवानुं राखी अहीं एटलुं नणावी देवं जोइए के, केटलाक भाइओए एक करतां बधारे सब कमीटीओना काममां भाग लइ, पोतानो उत्साह प्रदर्शित कर्यो हतो. ___७ श्रीमंत सरकार गायकवाड सयाजीराव महाराजा साहेबने कॉन्फर र समां पधारवा अने राज्य तरफनी हरेक मदद बीन लागते सरकारी सामान ि गेरे बीन लागते मेळववा आपत्रा ता. २९ माहे मे सने १९०४ ना रोज महाबळे. " श्वर स्वारीमा अरजी (नि. ख.) सादर करवामां आवी हती. तेमांनी मांगणीओ मंजूर करवा श्रीमंत महाराजा साहेवे कृपावंत थई करेला फरमान अन्वये ना. दिवान साहेब केरशास्पनी रुस्तमजी दादाचानजी एमणे नं. १४८७ ता. १७ माहे जून सन १९०४ नी यादी (नि. ग.) मोकली हती, अने लाक्षणिक प्रदर्शनमा मूकवा माटे म्युझियमनो तथा सरकारी शाळाओनो सामान आपवानो हुकम को हतो ते माटे ते नामदारनो खास उपकार मानवो उचित छे. ८ सदर हुजूरहुकमनी खुश खवर निवेदन करवा माटे ता. १९ माहे जून श्रीमंत सरकार प्रत्ये सने १९०४ ना रोज श्रीसंघनी सभा बोलाववामां आवी उपकार प्रदर्शक संघनी हती. ते सभामां श्रीसंघे करेली अरजी तथा तेनो सरकार मांथी मळेलो जवाब वंचाया पछी, सभामां विराजमान परमपूज्य आचार्य श्री १०८ श्रीकमल विजयमूरि महाराने ( मरहुम नैनाचार्य श्रीआत्मारामजी महाराजना पट्टधरे ) एवा उद्गारो काढ्या हता के, 'श्रीमंत गायकवाड सरकारे कॉन्फरन्सना संबंधमां वडोदराना संघनी मागणी स्वीकारीने ने माटे तजवीज. सभा. For Personal & Private Use Only Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ४) मान आप्यु छे ते योग्य कर्यु छे. आ मान अहींना संघनेज नहि पण आखा हिंदुस्तानना जैन संघने मळयु छे. राजाओनो ते धर्मज छे. एथी बहु पुण्य थाय छे. पोतानी प्रजाने धर्मादि साधवामां सहाय. करवाथी अने तेमना मनोरथ पूर्ण करवाथी राजा प्रजाप्रिय अने राज्य चिरस्थायी थाय छ, तथा राजा सर्व प्रकारे सुखी रहे छे, संघने पण उचित छ के, श्रीमंत महरानासाहेबनो आ माटे उपकार मानवो. ए विचारने बीजाओगें अनुमोदन यतां श्रीसंघे सर्वानुमते निचलो ठराव पसार को हतो:___ " श्रीमंत सरकार महाराजा साहेब एमणे कृपावंत थई जैन कॉन्फरन्सना प्रसंगे बनी शके तो पधारवान आश्वासन आप्यु छ, तथा पब्लीकवस, खानी, पोलीप्स, फोज विगेरे खातां तरफथी महेरबानी तरीके सर्व प्रकारनी मदद आपवानो हुकम कर्यो छे. ते बद्दल अभे श्रीमंत सरकारनो खरा अंतःकरणथी उपकार मानीए छीए अने आशा राखीए छाए के, श्रीमंत कॉन्फरन्स प्रत्ये एवीज महेरबानी हमेश कायम राखशे. प्रभु कृपाथी श्रीमंत राज्य कुटुंब साथे दीर्घायु भोगवी चिरकाळ धर्मथी प्रजानुं पालन करी सुखसमृद्धि पामो." अत्रे जणावq जोईए के, ए ठरावनी मुद्रित प्रति श्रीमंतनी हुजूरमां मोकलवा माटे नामदार दिवान साहेबने अर्पण करवा एक डेप्युटेशन गयुं हतुं, अन ठरावना साररूपे एक तार पण श्रीमंतने पुना स्वारीमा करवामां आव्यो हतो. ९ कॉन्फरन्सना तथा प्रदर्शनना काममाटे जे सरसामान बहार गामथी ___ आवे ते उपरनी जकातनी माफी पाळवा अने कॉन्फरन्समां नी जकात माफी. " पधारनार साहेबोने पण ते संबंधी हरकत न थाय तेवो हुकम करवा नामदार रोमेशचंद्र दत्त अमात्य साहेबने यादी आपवामां आवी हती. तेना जवाबमां साहेब मोसुफ तरफथी महेरबानी दाखल माफी पाळवानो हुकम कोनी खबर मळी हती, जे माटे तेमनो आभार मानवो योग्य छे. १० त्रीजी कॉन्फरन्सना प्रमुखनुं स्थान कया महाशयने आपq ते बाबतमां . कॉन्फरन्सना चार जनरल सेक्रेटरी साहे वो उपरांत जाणीता कॉन्फरन्सना प्रमुखनी पसंदगी. मुनि महाराजा, शेठशाहुकारो, विद्वानो अने बीजा अग्रेसरोना अभिप्राय मागवामां आव्या हता. तेमां हिंदस्ताननी चारे दिशामां दूरना प्रदेशो सुधी विहार करवाथी घणा नामांकित पुरुषोना समागममां कॉन्फरन्सना सामान For Personal & Private Use Only Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आवेला पूज्य मुनिराज श्रीहंसविजयजी महाराज तथा रा. रा. गुलाबचंदजी ढढा एमणे पूरी पाडेली हकीकत घणी उपयोगी थई पडी हती. ए माटे केटलाक पुण्यशाळी ओनां नामो जूदी जूदी तरफथी सूचववामां आव्यां हतां. ते बधाए प्रायः फॉन्फर न्सना सभापति थवानुं मान मेळववाने लायक छे. पण श्रीअझीमगंन (मुर्शीदाबाद) निवासी राय बहादूर बुधसिंघजी दुधोडियानी पुख्त उमर, धर्मकार्यमा उदारता अने समयानुकुळ प्रवृत्ति विगेरेने लीधे घणानो अभिप्राय आ वखते तेमनेज नीमवा एवो थवाथी तेमनी साथे ए बाबतमा पत्रव्यवहार चलाववामां आव्यो हतो, अने तार पण मूकवामां आव्या हता. तेमना तरफथी स्वीकारनो तार आवतांज ता. २१ ऑगस्ट सन १९०४ ना रोज सभा बोलावी तेमने प्रमुख तरीके पसंद करेला जाहेर करवामां आव्या हता. ११ श्रीफलोधितीर्थे तथा मुंबईमां कॉन्फरन्सनी वेठको भरवा माटे सप्टेंबर ( भादरवा ) महिनो पसंद करवामां आव्यो हतो. पण कॉन्फरन्स भरवाना दिवसर्नु निर्माण. " ते वखत वरसाद विगेरेने लीधे अनुकुळ नहि होवाथी अने विक्रम संवत १९६१ ना कार्तिक वदि ५ ता. २७ नवेंबर सने १९०४ ने दिवसे रविवार ने पुष्य नक्षत्र विगेरे शुभ योगो होवाथी ते तिथि त्रीजी कॉन्फरन्सना पहेला दिवसनी बेठक माटे ता. १७ सप्टेंबर सन १९०४ नी सभामां नक्की करवामां आवी हती. १२ श्रीमंत सरकार सयाजीराव महाराजा साहेबने कॉन्फरन्समां पधार वानुं आमंत्रण महाबळेश्वर स्वारीमां करेलु ते बाबत स्वारी श्रीमंत महाराजा साहेबने आमंत्रण. वडोदरे आव्या पछी कॉन्फरन्स कमीटी साथे विचार करी निर्णय करवा- हुजूर फरमान होवाथी रिसेप्शन कमीटीना प्रमुख अने बीजा नव सद्गृहस्थोनुं डेप्युटेशन ता. २१ सप्टेंबर सन १९०४ ना रोज लक्ष्मीविलास पेलेसमां गयुं हतुं. श्रीमंत महाराजा साहेबे डेप्युटेशनना गृहस्थोनी ओळख लेतां घणी खुशी बतावी हती अने कॉन्फरन्समां पधारवा माटे आश्वासन आपी कॉन्फरन्स भरवानी तारीख अने तेमां चर्चवाना विषयो संबंधी माहिती हुजूर कामदार साहेबने आपवा आज्ञा करी हती. पछी श्रीमंते. कॉन्फरन्सना काममां आपेली मदद माटे आखा हिंदनो जैन संघ श्रीमंत सरकार प्रत्ये आभारनी लागणी दीवे छे विगेरे हकीकत निवेदन करी डेप्युटेशने श्रीमंतनी रजा लोधी हती.. For Personal & Private Use Only Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बत. १३. कॉन्फरन्समा प्रतिनिधियो पसंद करी मोकलवा माटे सर्व श्रीसंघो, ___ सभाओ, पाठशाळाओ, अने पुस्तकालयो उपर विजया दकुंकुम पत्री विगेरे बा शमीथी कुंकुमपत्रीओ (नि. घ) मोकलवानी शरुवात करी हती. कुंकुमपत्री गूजराती तथा हिंदी भाषामा सुवर्णाक्षरे सारा ग्लेझ कागळ उपर छपावेली हती. गायकवाडी राज्यना खानेसुमारीना रिपोर्ट उपरथी जैन वस्तीवाळां गामो तारवी तेनो मुंबईनी रिसेप्शन कमीटींनी नोंध साथे मुकाबलो करतां बीनी कॉन्फरन्स वखते जे गामो कंकोत्री वगर रही गयेलां मालम पड्यां हतां त्यां, अहींथी कंकोत्रीओ लखवामां आवी हती. वधारामां चारे जनरल सेक्रेटरी साहेबो तरफ अहींथी कंकोत्री मोकलेलां गामोनी यादी साथे केटलीक कंकोत्रीओ गामनां नाम भर्या वगर बीडी हती, अने तेमना विभागमांनां ने गामोमां कंकोत्री नहि गयानुं मालम पढे त्यां पहोंचाडवा विनंती करी हती. ए रीते कंकोत्रीओ, पसंद करेला डेलीगेटोनां नाम भरी आठ दिवसमां पाछी मोकलवानी प्रतिनिधि पत्रिकाओ अने प्रतिनिधि पोते कइ तारीखे कइ ट्रेनमां पधारवाना छे ते विगेरे हकीकत, जेमां दीवाळी पहेला जणाववा विनंती करी हती ते यादीओ साथे, रवाना करी हती. कॉन्फरन्सनो वखत शियाळानी रुतुमा होवाथी डेलिगेटोने साथे पथारी लाववा पण सूचना करी हती. कोइ गामवाळाने पोष्टनी कसूरथी किंवा अहींनी भूलना कारणथी कंकोत्री विगेरे न मळे तो क्षमा करी कंकोत्री मंगावी लेवा अगर वर्तमान पत्रोमां प्रसिद्ध थयेली कंकोत्री वांचीने मळेली मानो लइ पाताना गाम के सभाना प्रतिनिधि नीमी खबर आपवा जाहेर विनंती करी हती. ए शिवाय सर्व जैन ग्रेज्युबेटो तथा वडोदरा राजधानीना अने बहारना जाणीता विद्वान, राजमान्य व प्रतिष्ठित पुरुषोने पण कॉन्फरन्समां पधारवा माटे खास आमंत्रण पत्रो मोकलवामां आव्यां हतां अने केटलाक साहेबोने तार पण करवामां आव्या हता. १४ कॉन्फरन्समां कया कया विषयो चर्चवा जेवा छे तथा कया कया विषयो बाबत विद्वाना कया विषयपर बोलवानी उत्कंठा धरावेछे ते विगेरे ___ हकीकत ता. ३० सप्टेंबर सने १९०४ सुधीमा जणाववा माटे ता. २५ ऑगस्ट सने १९०४ थी सर्वत्र नाहेर विज्ञप्तियो मोकलवा मांडी For Personal & Private Use Only Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ हती अने वर्तमानपत्रोमां पण प्रसिद्ध करवामां आवी हती. पछी एकत्र थयेली हकीकत उपरथी चर्चवाना विषयोनी यादी तैयार करीने ता. २९ भक्टोबर सने १९०४ ना रोज प्रसिद्ध करवामां आवी हती. ते यादीमाना विषयो सर्व मुनिमहारानोए अने कॉन्फरन्से निमेली सबजेक्ट कमीटीए पसंद कर्या हता. मात्र कमीटीए यादीमांना १२ विषयो पैकी धार्मिक तथा व्यवहारिक केळवणी, जैन साहित्यनो प्रसार अने जैन शाळोपयोगी पुस्तकमाळा ए त्रण विषयो संबंधी एक समुच्चय ठराव घड्यो हतो अने जैन केळवणी बोर्ड नो विषय तुरतने माटे पज्यो मूक्यो हतो. १५ कॉन्फरन्सना प्रमुख साहेब रायबहादूर बुधसिंघजी दुधोडिया पोताना 1. परिवार साथे टाप्टी व्हेली रेल्वे मारफते पधार्या हता. प्रमुख साहेबनु समैयुं । विगेरे. * रस्तामां अंफलेरश्व स्टेशने मुकाम को हतो. त्यां श्रीसंघ तरफथी डेप्युटेशन तेमना सुखसमाचार लेवाने गयें हतुं. तेमने लेई आवनारी ट्रेन ता. २४ नवेंबर सने १९०४ नी प्रभातमांन अहींना स्टेशन उपर आवी गई हती. परंतु शहरमां विजय मुहूर्त प्रवेश करवानुं ठरेलु होवाथी प्रमुख साहेबे साईडींगमां पोताना सलुननी अंदर रही स्नान पूजा विगेरे नित्य कर्म तथा प्रातरशन करी लीधुं हतं, जे माटे वॉलंटियर तथा भोजन कमीटी तरफथी घटती तजवीज करवामां आवी हती. पछी समय थतां श्रीसंघ समैया माटे सरकारी डंको, निशान, हाथी, घोडा, वगाओ, वाजिंत्रो विगेरे साज साथे स्टेशन उपर दाखल थयो एटले सलुनो प्लेट. फार्म पासे मंगाववामां आवी हती अने प्रमुख साहेबने देखतां बरोबर हर्षना पोकारो सहित पुष्पांजलिथी वधावी लेवामां आव्या हता. हार, कलगी विगेरेनो वेटींग रुममां सत्कार अने परस्पर ओळखाण थया पछी स्वारीना ठाठथी शहरमा प्रवेश कराववामां आव्यो हतो. प्रमुख साहेब तेमना भत्रिना बाबु विजयसिंघजी साथे, दबदबा भरेला पोशाकमां हाथी उपर चांदीनी अंबाडीमां चिराज्या हता. तेमनी पाछळ तेमना बे कुमारो अने मित्रो हाथीना होद्दाआमां शोभता हता. वधूवर्ग मर्यादायुक्त वगीओमां बेठो हतो. रस्तामां मामानी पोळे, जोगीदासविठ्ठलनी पोळे, अने कोठी पोळे श्रीशान्तिनाथजीना देरे दर्शन कर्या पछी, त्यांनी मंडळीओ तरफथी ते सर्वेनो हार कलगी विगैरेथी सत्कार करवामां आव्यो हतो. पछी स्वारी लहेरीपुर दरवाजा नजीकथी न्यायमंदिर थईने तेमना माटे For Personal & Private Use Only Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ( ) मुकरर करेला मदनवागना बंगले पधारी, जे स्थानने वावटा, तोरणो विगेरेथी सारी रीते शणगारवामां आव्यं हतुं. बीजे दिवसे श्री. महाराजा साहेबनी मुलाकात लेवाने प्रमुखसाहेब राजमहल गया हता. त्यां दरबार फिझीशियन डॉक्टर बालाभाईए तेमनी श्रीमंत साथे ओळख करात्री हती. नजराणो थया बाद श्रीमंत तेमने पोतानी साथे बागमां फरवा लई गया हता अने वातचीतमां उभय प्रसन्न थया देखाता हता. प्रमुख साहेबनी तनातमां सरकारी बर्गाओ अने स्वारो राखवामां आव्या हता अने राजमहेल तथा झवेरखानुं विगेरे देखाडवानो खास हुकम करवामां आव्यो हतो. १६. प्रतिनिधि साहेबाने पोताना रोत रीवाज मुजब रहेवानु अनुकुळ पडे तेटला माटे जूदा जूदा उतारा मुकरर करवामां आव्या हता. ते माटे उतारा कमीटीए केटलांक मकानो वगर भाडे अने केलांक भाडेथी मेळव्यां हतां. दरेक उतारे बिछायत, थोडीक पथारीओ. दिशापाणीनी जग्यो, पोवानुं पाणी अने दीवाबती विगेरेनी तजवीज करी हती, पहेरा माटे सिपाई अने बाजुं कामकाज करवा माटे चाकरो राख्या हता. कागल पत्रो लखवानां साधनो पुरां पाडी टपाल विगेरे लाव लइ जवानुं काम वॉलेटीयरो बजावता हता. एकंदर व्यवस्था बराबर रहे छे के नहि तेनी तपास माटे प्रमुख सेक्रेटरी अने सभासदो वखतो वखत जता हता, जेथी करीने मानवंत परोणाओने कोई पण जातनी तकलीफ पडवानो अवकाश नहोतो. उतारा. जनरल सेक्रेटरी मि. ढढ्ढाए चीफ सेक्रेटरी माणकलालभाईने त्यां मुकाम कर्यो हतो. शेठ लालभाई तथा राय कुमारासिंघजी ए बे अमदावादना नगरशेठ त्रिगेरे साथे, मोतीबाग सामेना सरकारी बंगलामां, झवेरी कल्याणभाईना मेमान थया हता. शेठ वीरचंद दीपचंद वाडीमां रा. रा. रामराव मैराळने त्यां उतर्या हता. प्रमुख साहेब माटे शेठ करमाली जुसबनेो मदनबाग, बाबु विजयसिंहजी माटे वरिष्ठ कोर्टना वकील मि. खंडेराव घोटीकरनुं राजमहेलरोड उपरनुं मकान, रायबहादूर सौभाग्यमलजी बढाना चि. कल्याणमलजी विगेरे राजपुताना तरफना भाईओ माटे महंत मथुरदासनं पब्लीकपार्क सामेनुं दिवानखानुं, बंगाळाविगेरे तरफनाभाईओ माटे रा. माधवराव पवारनुं मकान, वॉलंटियरो माटे स्टेशनपरनी कमासाहेब शिरकेनी धर्मशाळा अने परी. मूळजी शांतीवाळानी वाडी, भावनगरी For Personal & Private Use Only Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (९) भाइओ माटे परी. परभुकाशीनी वाडी, अमदावादी भाइओ माटे दीसावालनी वाडी, सुरतथी मुंबई सुधीना भाइओ माटे डभोइयावाडी अने लवारवाडी, काठी आवाड तरफना भाइओ माटे कंसारावाडी, कच्छीभाइओ माटे दरियावाइनो वाडो, मोटा रसोडा माटे दसालाडनी वाडी, अने जरुरीयात प्रमंग माटे विसालाडनी वाडी. रा. भाऊतिधेवाळानी धर्मशाळा, परी• ललु बाधरनी हवेली अने बीनी वाडीयोए रीते मकानो तेमना मालीक अगर वहीवट करनार साहेबो तरफथी वगर भाडे मळ्यां हतां. ए शिवाय पंजाबी भाइओनो उतारो गोलावाडीमां, मारवाडी भाइओनो कुंभार वाडीमां, उत्तर गुजरात भणीना भाइओनो काछीयावाडी अने कैडवावाडीमां, अमदावादी सुरत सुधीना भाइओनो डाळीयावाडी अने विठ्ठलवाडीमां, खानदेश अने दक्षिण तरफना भाइओनो गुजराती सोनीनी वाडीमां, छाणी, पादरा, दरापुरा ने डभोइना भाइओनो दक्षिणी सोनीनी वाडीमां, ए रीते उतारा मुक्रर कर्या हता. ए मकानो अने जरूरना प्रसंग माटे राजमहेल रोड उपरनुं करसन भगवानवाळू मकान भाडेथी राखवामां आव्युं हतुं. सदर मकानो, पलंग, गोदडां अने बिछायती सामान विगेरे मेळवी आपवामां रा. सा. वडोदरा महालना वहि वटदार खंडेराव गणेश वैद्य, रा. सा. सिटी बाहिबटदार माधवराव नारायण गडबोले, परीख जीवणलाल भगवानदास, परीख हीरालाल छोटालाल, खंभातना शेठ पोपटभाई अमरचंद अने उमरेठना शेठ सरु. पचंद छगाभाई विगेरे जे भाईओए कमीटीने सारी मदद आपी हती तथा रा. बा. गोविंदराव दळवी, मुंबाईनी उतारा कमीटीना सेक्रेटरी मि. अमृतलाल केवळदास अने भरुचना रूना दलाल मि. अमरचंद जगजीवनदास विगेरे जेमणे उपयोगी सलाह आपी हती ते सर्वेनो अहीं आभार मानवो जोईए. १७ आ शुभ प्रसंगे वहार गामथी पधारेला जैनभाइओ अने बेनोने न्हावा तथा पूजा करवामाटे शहेरमां श्रीदादापार्श्वनाथना अने महोत्सव विगैरे. श्रीआदीश्वर भगवानना देरे, कोठोपोळे श्रीशांतिनाथना देरे, मामानीपोळे श्रीकल्याणपार्श्वनाथना देरे अने बाबाजीपुरामा श्रीगोडीपार्श्वनाथना देरे सर्व प्रकारनी व्यवस्था करवामां आवी हती. वळी सर्वने आंगीनां दर्शन तथा भावना विगेरेना निमित्तथी परस्पर भेगा थवानं बनी आवे तेटलामाटे श्रीदादापार्श्वनाथना अने श्रीआदीश्वर भगवानना देरामां महोत्सवनो प्रारंभ कर्यों हतो. ता. २८ नवेंबर १९०४ नी सवारे जळयात्रानो मोटो वरघोडो काढ्यो हतो, For Personal & Private Use Only Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (80) मां हिंदना जूदाजूदा भागमांथी पधारेला जैन महाशयो सामेल थवाथी तेनो देखाव अपूर्व लागतो हतो. ता० २९ मीए शांतिस्नात्र भणावयुं हतुं. १८ प्रमुख साहेब विगेरे नामांकित थती हती अने बोजा थी ३० नवेंबर सने भोजन, परोणाओमाटे तेमने उतारे रसोई डेलीगेट साहेबोसारु ता. २६ १९०४ सुधी त्रण मोटां रसोडां उघाड्यां हतां. सौथी मोटुं रसोडुं दसालाडनी वाडी, कॉन्फरन्स मंडपनी ने घणा खरा उतारानी नजीकमां पडवाथी, त्यां कयुं हतुं. बीजुं रसोडुं मकरपुरारोडभणी उतारेला परोणाओमाटे डाळीयावाडीमां अने त्रीजुं पंजाबी धर्मबंधुओ तथा भगिनीओ माटे कुंभारवाडीमां कर्यु हतुं. ए शिवाय एक रसोडुं स्टेशन उपर कमासाहेबनी धर्मशाळामां वोल्टीयरोमाटे ता. २४ नवेंबर सने १९०४ थी उघाडयुं हतु. ता. १९ नवेंबर सने १९०४ ना रोज परगामना जैन मात्रने जमाडवामां आव्या हता. ता. २ डिसेंबर १९०४ ना रोज कॉन्फरन्सनुं स्वागत करवामां सामेल थएला पांच गामना संघमां नोतरां फेरव्यांहतां. दरेक उतारे सवारमां चाह दूधनी जूदी तजवीज थती हती अने पाकुंपाणी वापरनार माटे ते मोटा रसोडेथी ठारी पहोचाडवामां आवतुं हतुं भोजन माटेनुं पक्वान्न सुखडीया पासे खास तैयार कराव्यं हतुं अने बीजी रसोई करवा तथा पीरसवा माटे ब्राह्मणोने रोक्या हता, जेथी जमनारने अनुकुळता थई छांड बिलकुल पडी होती - ए लक्षमां लेवा जेवी बीना छे. १९ प्रतिनिधि साहेवोनी तंदुरस्तीनी तपास करवा माटे हेल्थ कमीटीमा निमायला वैद्य अने डॉक्टर साहेबो सवार सांज दरेक उतातंदुरस्ती. रानी मुलाकत लेता हता अने कोइनी तबीयत सहेज बगडता तुरत वॉल्टीयर जई दरदीनी इच्छा प्रमाणे डॉक्टर के वैद्यने बोलावी लावी सारवार करावता. एकंदरे वीस प्रतिनिधि साहेबोनी प्रकृति साधारण ताव, खांशी, ने पेटना दुखावा अथवा मरडाथी हेरान थई हती. तेमां कोईने पण नुकसान न थतां बधाने आराम थयो हतो. ए काममां कोइपण प्रकारना मोबदला वगर तस्दी लेनार सर्वे वैद्यराजो तथा डॉक्टर साहेधोने, विशेषतः जैन श्वेतांबर घर्मी नहि छतां काळजीथी भाग लेनार डॉ. साहेब सुमंत बटुकराम मेहेता अने मयाचंद मगनलाल शेठ तथा वैद्य भीकाजी गणेश राहुरकर एमने, धन्यवाद घटे छे. For Personal & Private Use Only Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मंडप. २० कॉन्फरन्सना मंडप माटे लक्ष्मीविलास पेलेस सामेनी विशाळ जगा पसंद करी हती. तेनी चारे तरफ कंपाउन्ड करवामां आ व्यो हतो. कंपाउन्डमां पेसवाना रस्ताना मोखरे दिल्ली दरलार वखते श्रीमंत महाराजा साहेबना केम्प माटे तैयार करावेल ट्रायम्फन्ट आर्च ( त्रिपोलियो दरवाजो ) दक्षिणाभिमुख उभो करवामां आव्यो हतो. ते दरवाजाने कपडाथी मढी रंगरोगान तथा चित्रामणथी सुशोभित करवामां आव्यो हतो. तेना उपर ध्वजाओ, जाणे प्रेक्षकोने कॉन्फरन्समां सामेल थवान कहेती होय नहि, तेम फरफर उडती हती अने तेज अर्थनो मंगळसूचक श्लोक पण ते उपर सुवर्णाक्षरे लखवामां आव्यो हतो.. ___दरवाजामा पेसतां जमणी बाजुए श्रीजैन लाक्षणिक प्रदर्शननो मंडप आकर्षण करतो हतो. प्रदर्शन मंडप छोडी आगळ जतां प्रदर्शन ऑफिस, चीफ सेक्रेटरीनी ओफिस, उपहार अने पीवाना पाणीना तथा जनानाना तंबुओ ठोक्या हता. प्रद. शननी एक फरके श्रीमांगरोळ जैन सभानो बुकस्टोल, जैन पत्र अने मुंबई समाचारनी ऑफिसो, चक्षुतिलक विगेरेनी दुकानो लागी हती. प्रदर्शननी पछवाडे मीठाई, भजीआं, पुरी तथा चाह दूध विगेरे खावा पीवानी चीजोनी दुकान। हती. दाबी बाजुए टिकीट ऑफिस, बेन्डस्टेन्ड, श्रीसयाजी विजय प्रेस, मंडप कमीटी, सेंट्रल कमीटी, प्रेस रिपोर्टरो अने डेलीगेटो माटे तंबू उभा का हता. दरवाजामा पेसतां सामे चारे तरफ फरतो पहोळो रस्तो राखी एक नानो सरखो वर्तुळाकारे बगीचो को हतो, अने तेनी पेलीमेर कॉन्फरन्स भरवानो संदर मंडपं आसपास खुल्ली जगो राखीने रच्यो हतो. मंडपनी पछवाडे श्री. महाराजा साहेब अने सौ. महाराणी साहेबनी तथा प्रमुख साहेवनी चेंबरोना तंत्रु लगाडेला हता. आकस्मिक कुदरती हाजतो माटे पछाडीना भागमां जरा छेटे सवड करी हती. मुख्य मंडप १९२ फीट लांबो अने १४ ४ फीट पहोळो हतो. तेने पांच प्रवेश द्वार हतां. मध्य द्वारथी स्टेन ( उच्चासन ) उपर विराजनार मंडळीने अने बीजां द्वारोथी भन्य मंडळीने दाखल करवानी गोठवण राखी हती. स्त्री वर्ग माटे प्रवेश द्वार उत्तरे राख्यु हतुं, अने पूर्व पश्चिम दिशा भणी पण नोकळवानां द्वारो हतां. स्टेज ३६ फीट पहोळाइ अने ४ फीट उंचाइनुं कर्यु हतुं. स्टेजनी मध्यमां श्रीमंत महाराजा साहेब, राजपुत्रो अने प्रमुख साहेब माटे रजतमय मखमलथी For Personal & Private Use Only Page #25 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १२ ) मडेलां कोचो तथा सुप्रसिद्ध डेलीगेटो अने व्हीशीटरोनी १०० खुरशीओ गोठवेली हती. ते बेठकोनी उपर विस्तीर्ण झडपपंखो बाध्यो हतो. जमणी बाजुए रिसेप्शन कमीटीनी अने स्वागत फंडमां नाणां भरनार सद्गृहस्थोनी ३०० बेठको हती अने डाबी बाजुए ५ फीटना अंतरे जूदा पांडेला स्टेज उपर स्त्री वर्ग माटे चकना पडदासानी ४०० बेठको राखी हती. स्टेज अडतो ५ फीटनो अने वचमा १० फांटनो रस्तो मूकी जमणी बाजुए प्रेस रिपोर्टरोनुं टेबल ने खुरशीओ, तेनी नजीकमां जैन ग्रेज्युएटोनी अने ते पछी अर्धवर्तुलाकारे हारबंध डेलीगेटो, रिझर्व्ह व्हिझिटरोनी अने अनरिझर्व्ह व्हिझिटरोनी अनुक्रमे बेठको हती. डाबीबाजुए पण तेन मुजब डेलीगेटो, रिझर्ड व्हिझिटरो अने अनरिझर्व्ह व्हिझिटरो तथा कॉंप्लीमेंटरी टिकीटवाळा एमनी अनुक्रमे गोठवण राखी हती. नीचेना भागमां बने बाजुनी मळीने ए रीते ४००० बेठको हती. बेठकोनी दरेक हारनी वचमां एक माणस फरो शके तेटलो मार्ग राख्यो हतो. डेलीगेटोनी बेठको जिल्लावार मुकरर करवानुं धार्यु इतुं. परंतु प्रतिनिधिपत्रिकाओ वेळासर भरी मोकलवा विनव्या छतां कॉन्फरन्सनी बेठकना पहेला दिवस सुधी आव्या करती हती. ते विगेरे कारणोथी तेम बनी शक्युं नहोतुं, जो के ते माटेनां बोर्डो तो तैयार करावेलां हतां. वक्ताओने भाषण करवा माटे उभारहेवानुं पीठ ( pulpit ) पगर्थी साथे डाबी बाजुए डेलींगेटोनी नजीकमां रच्युं हतुं. ते लांबु फीट १३, पहोकुं फीट ७ अने उंचु फीट १ हतुं तेनी नजीकना बे स्तंभों उपर सामसामे वक्ता - ओने सूचनाओनां बोर्ड चोड्यां हतां. मंडपनी रचना घणे भागे दरबारी टेन्टो अने शामियानाथी करी हती. खुटतो भागज खास बंधाववामां आव्यो हतो. मंडपने झालरो, गालीचा, तकता, कीटसन लेम्प विगेरेथी शणगारवाने बनतुं करवामां आव्युं हतुं. दरेक स्तंभे मुद्रित अक्षरने पण हठावे तेवा वॉटर कलरना अक्षरोथी लखेलयं हितवचनानां बॉर्डो (नि. ङ. ) प्रेक्षको कर्तव्यनुं मान करावतां हतां. मंडपमा एकंदरे ५००० बेठकोनी सवड खुरशीओ सरकारी फरासखानामांथी मळी हती. आणी इती अने १००० खुरशीओ तथा ३०० राखेली हती. तेमाटे ५०० २००० अमदावादी भाडे चा नवीन कराव्या हतां. For Personal & Private Use Only Page #26 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १३ ) मंडपनो समग्र देखाव तेना उपरना सुवर्णमय कळशोथी अने चारैतरफ करकती ध्वजा, पताका, तोरणो विगेरेथी घणाज अलौकिक अने आनंददायी लागतो हतो. मंडपनुं काम पेलेस मिस्त्री मि. कालीदासनी खास देखरेख नीचे थयुं हतुं, मां रा. वा. नायब खानगी कारभारी शिरगांवकर साहेब, रा. बा. म्युनिसीपाल कमीशनर माणेकलाल भाइ, रा. सा. फरासखाना कामदार डॉ. लक्ष्मणराव माने, रा. सा. बंगला सुपरीटेन्डेन्ट ललुभाइ खरादी, खा. सा. आसी. गार्डन सुपरीटेन्डेन्ट तेमुलजी कोठावाला, रा. रा. पेलेस ओव्हरसीयर हीराभाइ अमीन, रा. रा. म्युनिसिपाल ओवरसीयर ठाकोरदास दयाराम, सबओवरसयिर मि. मल्हारराव घोटीकर, अने लाइट इन्स्पेक्टर मी. करपे एमणे किमती सलाह अने सहाय आपो घणीज सरलता करो आपी हती. ते माटे तेमना प्रति अहीं उपकार प्रदर्शित करवामां आवे छे. बॉलटीयर. २१ कॉन्फरन्समां पधारनारा डेलीगेट साहेबोनी भक्ति विगेरे करवा माटे वॉलेटीयर थवाने कमीटी तरफ सुमारे ३०० जैन युवानोए इच्छा दर्शावी हती. ते पैकी २२५ भाइओने कमीटीए पसंद कर्या हता. तेमां८ • वडोदराना, ३६ छाणीना, ३ पादराना, ६ दरापुराना, १८ उभोइना भने बामा बहार गामना हता. वॉल्टीयरोने फेंटा, उतरासण अने फुल कमीटी तरफथी भापवामां आव्यां हतां अने सफेद कोट तथा बनी शके तो सफेद पाटलुन अगर पायनामो पहेरवानी भलामण करी हती. ए वा वॉलंटियरोने तेमनुं ने जे कर्त्तव्य हतुं तेनी समज अने वखतो वखत चेतवणी आपवा माटे प्रमुख अने सेक्रेटरीनी मददमां एक कॅप्टननी योजना करी जूदा जूंदा काममां वहेंची दधिा हता. ४१ वॉलंटियरोने ता. २३ नवेंबर सन १९०४ थी रेल्वे स्टेशन उपर एक सुपरन्टेिंडेंट अने पांच सुपरवाईझरोनी देखरेख नीचे, जे डेलीगेट साहेबो ट्रेनमां पधारे तेमने स्वागत करी ज्यां तेमनो त्यां घोडा गाडीमां बेसाडी विदाय करवा अने तेमना पणे पहोंचाडवानी व्यवस्था करवामाटे, राख्या हता. मंडपना कंपाउन्डमा ट्रायम्फन्ट आर्चपाने, मंडपमा पेसवा निकळवानां द्वारो आगळ अने मंडपनी तथा प्रदर्शननी अंदरनी बाजुए मदद तथा बंदोबस्त माटे ५१ वॉलेटीयरो एक सुपरीटेन्डेन्ट अन उतारो मुकरर थयो होय सरसामान पण सुरक्षित For Personal & Private Use Only Page #27 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१४) चार सुपरवाईझरना तावामा रोक्या हता. तारीख २७ मीनी रातथी स्टेशन उपरनी तुकडीओ पण तेमनी मददमां लागी हती. जूदा जूदा उताराओ उपर अने रिसेप्शन कमीटीना चरमेन, चीफ सेक्रेटरी, जनरल सुपरटेिन्डेट अने सबकमीटीओ पासे मळी ११४ वॉलंटीयरो वळग्या हता. तेमना उपर पण एक सुपरीन्टेन्डेट अने चार सुपरवाईझरो नीम्या हता.. वॉलंटीयरोमांना घणा खराए तेमने जमना हाथ नीचे सोंपवामां आव्या हता तेमनी मरजी प्रमाण खरा अंतःकरणथी काम करी संतोष आप्या हतो. तेनी निशानी ए छ के, प्रमुख साहब पोतानी तयनातनाने अने तमना भत्रिजा बाबु विनयासिंहजीए सारुं काम करनार वधाने पोताना तरफथी चांद (Medal) आपवा माटे सारी रकम आपी हती, जे मुजब व्यवस्था पण थई गई छे. आवी रीते श्री संघनी भाक्तमां तनथी ने मनथी श्रम लेई मोक्ष सुखना बीज रूप विनयने प्रकट करनार तथा तेमन उत्तेनन आपनार साहेबाने शाबासी आपवी जोईए. . २२ आ प्रसंगमां डेलीगेटो तथा प्रेक्षकोने उपयोगी थइ पडे तेवा हेतुर्थी . मंडप कमीटीना जॉइन्ट सेक्रेटरी मि. मोतीलाल नेमचंद मोदीए प्रासंगिक सीटीमेप. ___ वडोदरा सीटीनो मॅप ( नकशो ) खास तैयार करी छपाव्यो हतो. आ कॉन्फरन्सने श्री. महाराजा साहेब जाणे हैयानो हारज मानता होय नहि तेवु बताववा माटे ते नकशाने मथाळे श्रीमंतना सुंदर वस्टने त्रीजी कॉन्फरन्सना आभिधानयुक्त पुष्पमाळा पहेरावी मूक्युं छे. तेनी एक बाजुए मदिरो, उपाश्रयो अने ज्ञान मंदिरना स्थळनिर्देशनी यादी अने बीजी बाजुए त्रण कॉफरन्सना प्रमुखो, जनरल सेक्रेटराओ अने रिसेप्शन कमीटीना पदवीधरोनां नाम लख्यां छे. बे छेडा पर बे स्तंभानी अंदर खुबीथा चर्चवाना बार विषयो दर्शाव्या छे. नीचेना भागमां कॉन्फरन्स तथा प्रदर्शन मंडपानी, अंदरनी रचना साथे आगळना दखावो आपेला छे. ए मॅप कॉन्फरन्सनी कायमनी यादगीरी अने गृहशृंगार तरीके राखवा लायक छ. २३ आ कॉन्फरन्सना प्रसंगे जैन युवक मंडळ (नि. च ) तरफथी रु. १५०० ना खर्चे श्रीजैन लाक्षणिक प्रदर्शन भरवानी श्री जैन लाक्षणिक प्र. योजना करवामां आवी हती. (१ ) ज्ञाननो प्राप्ति माटे ( २ ) दर्शननी शुद्धि अर्थे देवगुरूनी पूजा वगेरेमा अने ( ३ ) चारित्रनी निर्मळता माटे आवश्यक नित्य नैमित्तिक क्रियामां, जे जे साहित्यो दर्शन. For Personal & Private Use Only Page #28 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वपराय छे ते तमाम उपयोग अने हेतु साथे वताववानी तमां गोठवण करी हती. ( ४ ) पूर्वाचार्योए करेलो पारमार्थिक बोध सहेलाइथी समजी शकाय तेवा उषदेशक देखावो, जेने लेइनेन प्रदर्शनने लाक्षणिक प्रदर्शन, नाम आप्युं हतुं ते,तथा जोतां बरोबर आनंद साथे ज्ञान थाय तवी नवाइनी वस्तुओ पण वर्णन साथे त्यां राखी हती. ते शिवाय ( ४ ) त्रस जीवोनी विराधनाथी वनती चीजोने बदले वापरवा लायक तेटलाज गुणवाळी पवित्र वस्तुओ अने (६ ) परदेशी माल साथे हरीफाइ करी शके तेवो देशी माल पण त्यां मूकवानी सगवह करी हती. ए रीते प्रदर्शनना छ विभाग कर्या हता. प्रदर्शनमां मूकेली वस्तुओ शहरमांथो तेमन बहारथी घणी खरी आवी हती. पांच उपदेशक देखावो खास तैयार कराववामां आव्या हता. सरकारी आतसबाजी कामदार रा. लालोपंते तैयार करेलो मधुबिंदुनो देखाव प्रेक्षकोने अजायबी पमाड तेवो थयो हतो. कलाभवनना ड्रॉइंग मास्तर मि. बुधवारकरे धोबीडानी सज्झायनो भावार्थ समजाववा माटे करेलुं चित्र तेमनो उत्तम कारीगरीना आदर्श रूप हतुं. शंकरदीपना योजक मि. घोडगे मास्तर पासे करावेलू वणझाराना स्वाध्यायन चित्र पण आकर्षक बन्युं हतुं. छ लेश्यानुं ने अनेकांत मतनी सिद्धि दर्शावनारुं पांच आंधळा अने हाथी- ए वे चित्र मि. फुलचंद मोदीए तैयार कर्या हता. चार संजीवनी न्यायन चित्र मि. मगनलाल नेमचंद मोदीए मोकली आप्यु हतुं. प्रदर्शन वास्ते कॉन्फरन्सना दरवाजामां पेसतां जमणी बाजुए एक जूदोन मंडप उभो करवामां आव्यो हतो. तेना मध्य द्वार उपर WEL COME अने बे बाजए इंद्रना तथा लक्ष्मीना सुंदर चित्रो उपर सोनेरो अक्षरे लखायलां ज्ञानक्रियाभ्यां मोक्षाः अने सिद्धिःस्याद्वादात् ए वे सूत्रो प्रेक्षकोनु चित्त आकर्षी रह्यां हतां. प्रदर्शन खुल्लु मुकवानो समारंभ ता. २४ नवेंवर सने १९०४ नी प्रभाते श्रीमंत युवराज फत्तेसिंहराव महाराजना मुबारक हस्ते करवामां आव्यो हतो. सर्व कंपाउन्ड ध्वजाओ अने तोरणोथी शणगारवामां आव्यो हतो. सरकारी बेन्ड मधुर ध्वनि करी रह्यं हतुं. श्री. युवराज महाराज, मे. आ. रेसीडेन्ट साहेब, ना. दिवानसाहेब, मे. रोमेशचंद्र दत्त अमात्य साहेब, अने राज्यना बीजा सरदारो For Personal & Private Use Only Page #29 -------------------------------------------------------------------------- ________________ दरकदारो, अमलदारो, अने श्रीसंवना तथा महाननना आगेवान पुरुषो विगेरे सारी संख्यामां हाजर हता. शरुवातमां प्रदर्शन कमीटीना सेक्रेटरी मि. लालभाई कल्याणभाई झवेरीए प्रदर्शन संबंधी संक्षेपमां हकीकत निवेदन करनारुं भाषण ( नि. छ ) वांची संभळावी श्री. युवरान महाराजे आमंत्रणने मान आपी कडी प्रान्तमांथी खास पधारवानी तस्दी लिधी ते माटे अभिनंदन आप्यु अने प्रदर्शन खुल्लु मूकवानी विनंतो करी. पछी श्री. युवराज महाराजे घणुं विद्वत्ता भरेलुं भाषण (नि. ज) करी सभाजनो सहित प्रदर्शन मंडप आगळ पधाया. त्यां दरवाजानी कुंची फेरवतां यांत्रिक गोठवणने लीधे श्रीमंत उपर पुप्पनी वृष्टि थवाना साथे दरवाजो उघडी गयो एटले सर्व अंदर दाखल थई फरवा लाग्या अने उपदेशक देखावो तथा बीजी दरेक वस्तुनी हकीकत उपयोगी समजी आनंद पाम्या पछी मधु बिंदुनुं Model जोई वखाण करता बहार नीकळीने हार कलगी विगेरे सत्कारनो स्वीकार करी विदाय थया हता. श्रीमंत महाराजा साहेब, सौ. श्री. महाराणी साहेब अने अन्य राजपुत्रो पण प्रदर्शननी मुलाकते पधार्या हता. श्रीमंते देरेक बाबतनी बारीक माहिती लीधी हती, विदाय थती वखते धर्म करवानो हेतु संक्षेपमां जाणवानी इच्छा प्रदर्शित करी हती, नेनो मि. मगनलाल वैद्य मननी शुद्धि माटे, के जे विना स्वपरर्नु हित वास्तविक थइ शकतुं नथी एवो खुलासो आप्यो हतो. श्री. महा. राजा साहेब तेथी घणा खुशी थया हता. कॉन्फरन्सना प्रमुख साहेब,चार जनरल सेक्रेटरी साहेब अने बहारथी पधा रेला अन्य विद्वानो तथा शेठशाहुकारोए पण ते जोइने पोतानो संतोष जाहेर को हतो. . आ प्रदर्शन नी योजना करवा माटे ते युवक मंडलने अने सूचनाओ अथवा वस्तुओ विगेरे आपी सहाय करनार परम पूज्य मुनिमहाराजा, अने. सद्गृहस्थो, खा. वा. विद्याधिकारी जमशेदजी दलाल, रा. बा. हरगोविंददास कांटावाला, ग. बा. छगनलाल मोदी, खा. बा. म्युझियम सपरीन्टेन्डंट, प्रोफेसर मसाणी, रा. बा. कलाभवन प्रिन्सीपाल रावजीभाइ पटेल विगेरे एमने धन्यवाद घटेछे. २४ आ कॉन्फरन्सना जूदा जूदा प्रसंगोना फोटो लेवानी तक वडोदराना नामांकित फोटोग्राफरोए जवा दीधी नहोती. श्री युव. फोटोग्राफ. राज फत्तेसिंहराव महाराजे प्रदर्शन खुल्लू मूक्युं ते वखतनो For Personal & Private Use Only Page #30 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १७ ) फोटो रा. रा. चिपळुणकर डॉक्टर एमणे लोधो हतो. प्रमुख साहेबनो स्वारीनो, कॉन्फरन्सना पेहेला दिवसनी बेठकनो, अने श्री. महाराजा साहेब लाक्षणिक प्रद र्शन जोवा पधार्या त्यारे श्रीमंत साथे जैन ग्रेज्युएटोनो फोटो विविधकलामंदिर वाळाए उतार्यो हतो. वॉलंटीयरोनो फोटो मि. मणिलाल छगनलाल मोदीए पाड्यो हतो. मि. माणेकलाल अंबाराम डॉक्टरे आ प्रसंग माटे खास छपावेली सुंदर आल्बममां पण मि. मणिलाले लीधेला केटलाक फोटा बीज रूप हता. ___२५ संसारथी विरक्त थेयेला मुनिमहाराजा हमेश स्वपरना उपकार माटे . विहारादि परिषह सहन करी भव्य जीवोने तारवाने मुनिमहाराजानी सहानुभूति. - उपदेश करे छे. ते मुजब परमपूज्य श्रीकमलविजय रि महाराज शिष्य परिवार साथे विचरता विचरता अहीं पधार्या हता. तेमना प्रौढ प्रताप अने ठरेल विचारथी कॉन्फरन्सना कामने घणीज पुष्टि मळी हती. तेमनी साथे उपाध्याय श्रीवीरविजयजी महाराज हता. तेमना आनंदी स्वभाव अने मधुर वचनोथी पण काम करनाराने घj प्रोत्साहन मळतुं हतुं. कॉन्फरन्सनी त्रणे दिवसनी बेठकोमा गावानां बोधयुक्त गायनो तेमनीन प्रसादीरूप हतां. मुनिराज श्रीहंसविजयजी, पं. श्रीनेमविजयजी अने सन्मित्र मुनि कर्पूर विजयनी एमणे विषयो तथा प्रदर्शननी बाबतमा घणीज अगत्यनी सूचनाओ करी हती. जो के तेमांनी केटलीक अमलमां मूकी शकाई नहोती. प्रवर्तक श्रीकांतिविजयजी महाराजे जाते पधारी भाग लेवानी उत्सुकता देखाडी हती. पण वखतनी प्रतिकुलता तेमनी इच्छा पूर्ण करवामां अंतरायभूत थई हती. ए शिवाय पंन्यास श्रीकमलविजयजी महाराज, पं. श्रीचतुरविजयजी महाराज, पं. श्रीसिद्धिविजयजी महाराज, मुनिराज श्रीअमरविजयजी, मुनिराज श्रीवल्लभविजयजी, मुनिराज श्रीआनंदसागरजी, मुनिराज श्रीबुद्धिसागरजी, आदि मुनिवर्योए पण जूदा जूदा प्रकारे दिलसोजी बतावी हती. ए रीते जे जे मुनिमहाराजोए आ काममा पोतानी सहानुभूति दर्शावी हती ते सर्वेनो अमे खरा अंतःकरणथी उपकार मानी अप्रीति अविनयादि थयो होय ते माटे क्षमा याचीए छीए... For Personal & Private Use Only Page #31 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १८) २६ कॉन्फरन्स संबंधी अरजीओ, जाहेरातो, कंकोत्रीओ, प्रतिनिधि म पत्रिकाओ, विषयनी यादीओ, टिकीटो, भाषणो, विगेरे मुद्रण कामनी कुळता. सर्व मुद्रण काम अहींना जाणीता श्रीसयाजीविजय प्रेसमां कराव्युं हतुं. ते प्रेसना मालीक मि. माणेकलाल अंबाराम डॉक्टर, कॉन्फरन्स जाणे पोताने त्यांज भरावानी होय अने पोते तेना एक अंग रूपन होयनी तेम, कमीटीनी दरेक हीलचालमा उलटयी सामेल थई जरूर पडतां पोतार्नु चालु काम पण नंघ राखीने अने कार्यक्रम विगेरे हेवाल रोजनारोज प्रसिद्ध करी शकाय तेटला माटे खास खरीदेखें ट्रेडलप्रेस मंडपना कंपाउंडमांना तंबुमांज राखीने जे ते काम सारीरीते अनुकुळताथी करी आपता हता.ते बदल खरा अंतःकरणी तेमनो आभार मानी उत्तेजन आपद् घटे छे. .. २७ गमे ते एकाद कोमनो सुधारो पण देशना उत्कर्षनो वखत नजीक ___ लाववामां साधनभूत छ एम मानी तेवा प्रकारनी हील . चालोमां सर्व देशहितेच्छुए बनतो आश्रय आपवो जोईए, एवं कहेवा करतां ते प्रमाणे वर्तीने दाखलो बसाडनारा विरला होय छ. मुंबई समाचार, सांज वर्तमान, नामे विगेरे दैनिक वर्तमानोना, गुजराती, केसरी, सयानो विजय, जैन आदि साप्ताहिक पत्रोना, अने जैनधर्मप्रकाश, आत्मानंदप्रकाश, आत्मानंदपत्रिका प्रमुख मासिकोना अधिपति साहेबोए कॉन्फरन्स संबंधे कमीटींनी हीलचालो, जाहेरातो तथा खबरो प्रसिद्धिमां मूकी मनन करवा योग्य सूचनाओ करी अने कॉन्फरन्सनो हेवाल लेवा माटे पोताना रिपोर्टरो मोकलीने जैन कॉन्फरन्स प्रति जे उदार वलण देखाड्युं छे ते खरेखर स्तुत्य छे. २८ आ काम पार पाडवा माटे मोइता नाणां मेळववाने स्वागत फंड . उघाडवामां आव्युं हतुं. ते भराववामां फंड कमीटीए तेमन उपज. - सदर कमीटी नीमातां अगाउ अने पछीथी पण बीजा घणा सद्गृहस्थोए स्तुत्य प्रयास लीधो हतो. फंडमां एकंदर रु. १०५३५१२-० भराया हता, ते पैकी रु. १२५ शिवाय बधा वसूल थया छे. फंडमां नाणां भरी संघभाक्तिमां पोतानी लक्ष्मीनो सदुपयोग करनार सद्गृहस्थो अने धर्म शोल बानुओनां नामोनी यादी (नि० झ ) आ साथे जोडी छे. For Personal & Private Use Only Page #32 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - खर्च उस ( १९ ) कॉन्फरन्स मंडपमा पोतानी खुशीथी नोवा माटे पधारनार व्हिझिटर माटे टिकीटो काढी हती. पुरुषो माटे रिझडना रु. ३ अने अनरिझर्डना रु. २ राख्या हता. स्त्रीओने नीमे फीथी दाखल करी हती. ए टीकीटोना वेचाण खाते रु २३६१ उपज्या छे अने कमीटीओ हस्तक वधेलो सामान वेचयो तेना रु. २१९९-३-० आव्या छे. २९ हवे कॉन्फरन्स निमित्ते कइ कइ बाबतमा केटलो खर्च थयो ते सम जवा सारु जूदा नदी कमीटीओ तरफथी आवेला हिसाब उपरथी एक तारवणी पत्र (निप्र) तैयार कयों छे, ते अवलोकनमा लईए. तेमां कुल खर्च रु. १४१४३-०-३ नो बताव्यो छे, पण जो तेमाथी प्रेक्षकोनी टिकीटोना तथा वधेला मालना वेचाणना मळी रु. ४५६०-३-० बाद करीए तो नीवल खर्च रु. ९५८२-१३-३ नो एटले फंडनी उपज करतां कमी पयेलो मालम पडशे.. . . .३० उपर जणाव्या प्रमाणे वडोदराना श्रीसंघे नीमेली रिसेप्शन कमीटीए स्वधर्म अने स्वनातिना अभ्युदय माटे जे परिश्रम - उठाव्यो हतो तेनुं परिणाम के शुभ आव्यु हतुं, ते कॉ. न्फरन्सनी बेठकोमा अने पछीथी थयेला कामकाजना हेवाल तथा ते संबंधे नामांकित पत्रकारोए उचारेला अभिप्राय उपरथी निश्चित भइ शकवा जेवु छे. मांट ते. अवलोकनमा लेवानी विनंती करी अने ते महान् मेळावडो परिपूर्ण उतारवामां उमंगथी भाग लेनार सर्वे साहेबोनो उपकार मानी आरिपोर्ट समाप्त करीए समपा कीए. सर्वमङ्गलमाङ्गल्यं । सर्वकल्याणकारणम्॥ प्रधानं सर्वधर्माणां । जैनं जयति शासनम् ॥ १ ॥ For Personal & Private Use Only Page #33 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( २० ) नि० क. रिसेप्शन कमीटीनी यादी. AGORASY प्रमुख. झवेरी फत्तेहभाइ अमीचंद. उपप्रमुख. वैद्य हीराभाइ दलपतभाई. राजवैद्य. झवेरी लीलाभाई रायचंद. चीफ सेक्रेटरीओ. डॉक्टर बालाभाइ मगनलाल. L, M, & s. दुरबार फिझिंश्यन. झवेरी माणेकलाल घेलाभाई. जनरल सुपरिंटेंडंटो. झवेरी फकीरभाइ घेलाभाई. माजी दरबार झवेरी. झवेरी कल्याणभाइ अमीचंद. दरवार झवेरी. ट्रेझरर. झवेरी जेसंगभाई मगनलालनी पेढी. For Personal & Private Use Only Page #34 -------------------------------------------------------------------------- ________________ फंड कमीटी. प्रमुख. झवेरी चुनीलाल ईश्वरदास. सेक्रेटरी. गांधी गुलाबचंद काळीदास. मेम्बरो. झवेरी जेसंगभाइ कंकुचंद. शा. दामोदर नरोतम . कोठारी जमनादास रामदास. पटवां नाथाभाइ नानशा. शा. जेठाभाइ सुरचंद. शा. भुराभाइ मनसुख. शा. छगनलाल मनसुख. शा. बेचरदास घेलाभाइ. शा. अंबालाल केशवलाल. झवेरी सरुपचंद घोळीदास. ( मारवाडी ) शा. गुलाबचंद खेमराज. शा. हीरालाल पन्नालाल. शा. ताराचंद रीखवदास. ( छाणीना ) शा. कीलाभाइ पानाचंद. शा. केशवलाल गरबडभाइ. शा. नगीनदास बापुलाल. शा. जमनादास हीराचंद. ( २१ ) ( डभाइना ) शा. मोहनलाल रूपचंद . शा. चुनीलाल कस्तुरचंद. शा. नेमचंद तलकचंद. शा. दलसुख करमचंद. शा. वजेचंद चुनीलाल. ( पादाना ) शा. कीलाभाई मुळचंद. वकील दलपतभाई ललुभाई. शा. अमरतलाल वनमाळी. ( दरापुराना ) शा. झवेरभाई हीराचंद. गांधी नहालचं काळोदास. शा. खुशालभाई मोहनलाल. सेंट्रल कमीटी. प्रमुख. झवेरी गोकळभाई दुलवदास. सेक्रेटरी. वैद्य मगनलाल चुनीलाल. मेम्बरो. वकील नंदलाल ललुभाई. वकील मोहनलाल हीमचंद. झवेरी शिखरचंद सवइचंद. शा. नगीनदास गरबड. शा. मगनलाल माणेकचंद. शा. नेमचंद बेचरदास. For Personal & Private Use Only Page #35 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( २२ ) उतारा कमीटी. | शा. मोतीलाल वारचंद. प्रमुख. शा. नेमचंद मलुकचंद. वैद्य बापुभाइ हीराभाइ झवेरी छोटेलाल कीलामाई. सेक्रेटरी. झवेरी करमचंद धर्मचंद. गांधी जमनादास मगनविन. शा. जमनादास कोलामाई. मेम्बरो. शा. बापुलाल दामोदर. झवेरी ईश्वरभाई गुलाबचंद. गांधी नरोतम जमनादास झवेरी नगीनभाइ ईश्वरदास. पटवा केवळभाई गुलाबचंद. सवेरी प्रेमचंद घेलाभाई. शा. माणेकलाल हीमचंद. कोठारी गोरधन रामदास. पा. मगनलाल मनसुख. सरैया केशवलाल पानाचंद. मंडप कमीटी. मारवाडी फताजी आयदान. शा. नाथाभाई मनसुख. झवेरी बालामाई छोटेलाल. शा. खीमचंद दीपचंद. सेक्रेटरी. शा. गोरधन दलपत. गांधी फतेभाई लालमाई. 'शा. पानाचंद धर्मचंद. ___ जॉ. सेक्रेटरी. शा. पानाचंद अमथा. मोदी मोतीलाल नेमचंद. . . शा. नानाभाई वेलचंद. मेम्बरो. भोजन कमीटी. झवेरी पुरुषोत्तम केशवलाल प्रमुख. झवेरी उदेचंद सवईचंद . मोदी मोतीलाल लालदास. शा. मगनलाल हरजीवन मोदी मगनलाल रणछोड. सेक्रेटरी. मवेरी छोटेलाल लालभाई. हेल्थ कमीटी. मेम्बरो. प्रमुख. शा. दलपत नगजीवन. वैद्य चुनीलाल हरीभाई. शा. सुरचंद गुलाबचंद. सेक्रेटरी. शा. वाडीलाल खुशालभाई. वैद्य भाइलाल माणेकलाल. For Personal & Private Use Only Page #36 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२३) मेम्बरो. मेम्बरो. डॉ. गोविंदराव दीपाजी. भवेरी भीखुभाइ वीरचंद. डॉ. मणिलाल गीरधर. झवेरी जेसंगभाई फकीरभाई. डॉ. भगवानदास अवरभाई. | झवेरी केसरीचंद देवचंद. वैद्य. माणेकलाल दलपत. झवेरी चंदुलाल पुरुषोत्तम. वैद्य बालुभाई मूळजीभाइ. वैद्य. गुलाबचंद त्रीभौवन. वैद्य मणिलाल बापुभाई. वैद्य. जमनादास चुनीलाल. वैद्य. डाह्याभाई हिंमतभाई. गांधी अमथालाल नानाभाई. गांधी सकरचंद नमजीवन. गांधी सवइचंद जगजीवन. वॉलंटीयर कमीटी. गांधी खुबचंद फत्तेमाई. मोदी मणिलाल मगनलाल. प्रमुख- . . . घीया सरुपचंद गरनड. नाणाक्टी मणिलाल बाळाभाई शा. त्रीकमलाल मगनलाल. B. A. L. L. B. शा. रणछोडमाई मनसुख. शा. केशवलाल वीरचंद. सेक्रेटरी शा. जीवणलाल कीशार. गांधी वाडीलाल लालभाई. शा. हिंमतलाक दामोदर. For Personal & Private Use Only Page #37 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( २४ ) - निख श्रीमंत सरकार सयाजीराव महाराज गायकवाड सेनाखासखेल समशेरबहादूर, वडोदरा राज्य, एमनी हुजूरमां. अमो वडोदराना श्रीजैन संघनी नम्रतापूर्वक विनंति एवी के, सांसारिक, धार्मिक, सामाजिक अने केळवणीनी बाबतमा पोतानी कोममा . सुधारो करी तेने आगळ आणवाना हेतुथी आखा हिंदमां जैन कॉन्फरन्सनी ह वसता जैनोए पोतानी एक श्रीजैन कॉन्फरन्स आजथी ने कीकत. . वरस उपर स्थापी हती, अने धणुं करीने श्री. महाराजा साहेबना स्मरणमां पण हशे के गयेन वरसे ते कॉन्फरन्स मुंबईमां मळी हती, ने वेळा ते कॉन्फरन्से सदर बाबतोमा घणा प्रशंसनीय ठरावो कर्या हता, एटलुन नहीं पण लगभग रु. १५०००० नुं फंड पण तेवी जूदी जूदी बाबतो माटे कयु हतुं. आप नामदार जेवा बाहोश, विद्वान् अने पोतानी प्रजाने बल्के आखा हिंदुस्ताननी प्रजाने हरेक रीते आगळ वधेली जोवानी अ. श्रीमंते ते प्रत्ये बता बता त्यंत उत्कंठा अने दिलसोनी धराबनारा एटलुंन नहीं पण ___ हमेशां ते माटे भाषणो, सूचनाओ, सखावतो अने एवी बीजी मददथी उत्तेजन आपनारा महाराजाने आधी हीलचालथी घणीन खुशी क संतोष थाय ए स्वाभाविक छ; अने अमोने जाणीने घणो हर्ष थयो हतो के श्रीमंते अमो जैनोनी ए हीलचालनी सर्व हकीकत पूर्वं घणान ध्यानथी अने संताषयी वांची हती, एटलून नहीं पण ते माटे पडपूछ पण करी हती. __ हवे आप नामदार जाणो छो तेम ए कॉन्फरन्सनी श्रीजी वार्षिक सभा __ अत्रे ( वडोदरामां) आवता कार्तिक वद ( नवेंबर ) मां कॉन्फरन्स अत्रे भर. वा माटे करेली गोठवण भरावानी छे. तेना खरच माटे अगाउथी पैसा संबंधी करवी जोइती व्यवस्थानी अमोए शरुवात करी छे अने वेली दिलसोजी. For Personal & Private Use Only Page #38 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२५) आप नामदार जाणीने खुशी थशो के, घणे अंशे अमो आप नामदारनी वफादार प्रजा तेने पहोंची वळवा बनतो यत्न करीशुं. आ स्थळे अमारुं एवं कहेवू कदाच आप नामदारनी स्तुति कर्या जेवू गणाय तो पण ए तो नक्कीज छे के, श्री वडोदराना श्रीमंतने कॉन्फरन्समां ना जैन संघ ए कॉन्फरन्स वडोदरामां आ वर्षे भरवान ने आमंत्रण मुंबईमां कर्यु ते आप नामदार जेवा उमंगी राज्यपितानी सहायता उपर आधार राखीनेन कयुं छे. खसुस करीने ने राज्यकर्ता पोतानी दरेक मदद अने जात महेतन एवां कार्य माटे करे ते महाराजाने पोतानीज प्रजाने एवी रीते काम करती जोईने बमणी उर्भि थाय अने तेथी पोतानी पुरती सहाय आपो तेना बळने बम' करे ए निसःशयन छे. माटे हवे आप नामदारने अंगत विनंती ए छे के, आप नामदार कृपा करी कॉन्फरन्समां पधारशो अने अमो प्रजाजनाने योग्य उत्तेजन अने उत्साह आपवा माटे उपदेशना बे शब्दो कहेवा साथे कॉन्फरन्सना कामनी शुभ शरुवात करशो तथा कॉन्फरन्सन काम चाले त्यां सुधी अवकाश प्रमाणे पधारी अमारा कार्यने सहाय अन बळ आपशो. . ए शिवाय बीजी ज ने मदद अने साधनो आप नामदार तरफथीज वगर भाडे अने विन खर्चे मळवा आशा राखीए छोए, ते नीचे राज्य तरफनी वगर भाडे अने बीन खर्चे जोईती मदद. १ आ कॉन्फरन्सना ५००० थी ६००० माणस बेसी शके तेवा मंडप तथा तेने लगतां वीजां कामकानो माटे राजमहेलनी सामेनी बगीखानावाळी विशाळ जगा, ज्यां श्री० युवराज छोटा महाराजा साहेबनां लग्न वेळा जाहेर तमासा थया हता ते जगा कॉन्फरन्सनुं काम चाले त्यां सुधी. २. त्यां तेटला दिवस कीटसन लाइट या वीजळीक लाइट. ३ त्यां अने कॉन्फरन्सना डेलीगेटोना उतारापर वावटा, कमानो, फानसो, ___साफसुफ, छंटकाव, बंबा अन एवीज सुधराइखातानी योग्य लागे ते मदद. ४ मंडपमां लंदोबस्त माटे तेमन ज्यां ज्यां जरूर होय त्यां तेटला दिवस पोलीसनी पुरती मदद. ५ खानगी खातामांथी शमीयाना, तंबुओ, रावटीओ, तेने लगतो सामान, खुरशाओ, दीवा, टेवलो, सोफा वगेरे मळी शके तेटला. For Personal & Private Use Only Page #39 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२६) ६ बहारथी आवेला आशरे १५००-२००० मानवंत परोणाओने उत. . रवा माटे अपाइ शके तेवां सरकारी मकानो, तेमने माटे नवा आववाने बनी शके तेटली घोडा गाडीओ तथा सामान लाववा माटे गाडो, गाडां तेमज एवी खानगीखातानी बीजी मदद. ७ आप नामदार कॉन्फरन्स मंडपमां पधारो ते वेळा तथा कॉन्फरन्सने लगता मेळावडा विगेरे माटे मीलीटरी बेंड. ८ कॉन्फरन्स मंडपनी जगामां पाणीना नळो तथा ६-७ दिवस सुधी रात दहाडो पाणीना नळ उघाडा रहेवानी गोठवण. ९ प्रसंग वशात् कांइ विशेश जरूरियातो जणाइ आवतां आप नामदारने फरी श्रम आपवो न पडे ने ते मळे तेवी व्यवस्था. उपर लखेलां साधनो अही मुंबई विगेरेनी पेठे बीजी रीते दर्मिल छे माटे ते मळवा श्रीमंतनान चरण कमळमां विनंती गुनारी छे तो अमो प्रजाजनोनो शोभा ते राज्यनीज शोमा छे एम राज्यधर्म प्रमाणे मानी ते आपवा माटे हुकम करवानी कृपा थशे. अत्रे अमो मानपूर्वक जणावीशुं के आप नामदार हमेशां राना महारा - जाओ अने एवा मानवंत परोणाओने दरेक रीतनु मान 'श्रीमंतनी एवां सुधारानां कामो माटे हमेशनी सन्मान आपो छो अने आवां प्रजाहितनां कामो करनारने लागणी. पण द्रव्यनी तेमज बीजा साधनोनी मदद आपो छो एटलुंज नही पण ठेठ अमदावाद सुधी जाते पधारी हिंदी काँग्रेस प्रदर्शनने प्रमुखपद स्वीकारी ते देशहितना कार्यने मदद आपी हती. तो आ जैन कॉन्फरन्स ज्यारे आप नामदारनी राजधानीमां श्रीमंत सरकारनी एक वफादार प्रजा तरफथी मराय छे, त्यारे तो आप नामदार अमारी मागणीओ जरूर स्वीकारशो एवी अमोने पूर्ण खात्री छे. छेवटे अमो प्रार्थीए छीए के, आप नामदारना उदार आश्रयथी अमारो ए हीलचाल सफळ थाओ अने आप नामदार दीर्घायु अने ___ अभ्युदय साथे अखंड कीर्ति मेळवो. आज्ञांकित सेवको, ता. २९-५-१९०४. , झवेरी फतेभाई अमीचंद. , वैद हीराभाई दलपतभाई विगेरे. प्रार्थना. वडोदरा, । अवेरी फतेभाई अमीचंद. For Personal & Private Use Only Page #40 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२७) — (नि. ग.) हु. दि. क. जा. नंबर १४८७ १९०३-०४. यादी रा. रा. झवेरी फतेहभाई अमीचंद तथा हीराभाई दलपतभाई विगेरे जैन संघना आगेवानो तरफ दिवान कचेरीथी लस्त्रवानी एवी के, - *आपना तरफथी जैन कॉन्फरन्सना संबंधमां श्रीमंत सरकारमहाराजा साहेबनी . हुजूरमां केटलीक सामान विगैरेनी सवड मेहेरबानी तरीके ज़र अरजी थइ ते उपर मळवा बाबत अरजी थयेली ते संबंधमां श्रीमंत सरकार थयेलुं हुजूरनुं फरमान. महाराजा साहबे कृपावंत थइ नीचे मुजब फरमान कर्यु छे: १ सरकारी सामान आपवानो ते सरकारी कामने कई पण अडचण नहीं आवतां जेटलो सहेलाइथी आपी. शकाय ते आपवामां आवशे. २ पोलीसना पहेरा माटे पण एज प्रमाणे करवामां आवशे. ३ पाणीना नळ तथा लाइट माटे जे नीवळ खरच नळ जोडाणनो, तेमन. लाइट करवानो थाय ते तथा मंडपनी जगा व सरकारी मकान माटे जे विशेष खरच थाय ते कॉन्फरन्स कमीटीए करवानो छे. १ मंडप माटे मागेली जगा तथा बनी शके ते प्रमाणे सरकारी मकान तथा सामान आपवामां आवशे अने तेनी लागतनी स्पेशीयल केस तरीके माफी गणवामां आवशे. ५ श्रीमंत सरकार महाराजा साहेबने कॉन्फरन्समां पधारवा बाबत विनंती करवामां आवी छे, ते बाबत स्वारी वडोदरे आव्या पछी कॉन्फरन्स कमीटी साथे विचार करी नीकाल करवामां आवशे. आ बाबत विचार थइ विनंती मान्य थया पछी पण श्रीमंत सरकार महाराजा साहेब काई अडचणने लीधे जाते पधारी नहींशके तो तेमनी गेर हाजरीने For Personal & Private Use Only Page #41 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( २८ ) लीधे कॉन्फरन्सना कामने अडचण नहीं आववाना हेतुथी बोजो तजवीज जरूर लागे तो करी राखवी. ६ सरकारी सामान तथा जगा तथा बीजी जोड़ती सगवड विगेरे आपवा लेवानी बावतमां सरकाळी कारखानदार अथवा अमलदार अने कमीटी वच्चे कंइ कारणसर वांधो पडे तो तेनो निकाल नामदार दिवान साहेब तरफथी अथवा नामदार साहेब जेने अधिकार आपे तेमना तरफथी थशे अने ते निकाल छेवटनो गणवामां आवशे. आ प्रमाणे फरमान थयुं छे ते जाणवामां आवशे. ९ आपना विनंतीपत्रमां मागणी करेली वाचतो संबंधे पब्लीकवर्क्स, खानगो, पोलीस अने फोजखाता तरफ अहींथी लखवामां आव्युं छे अने ते साथ सदर विनंतीपत्रनी नकल पण मोकलवामां आवी छे. ता. १७ माहे जुन सन १९०४ . विनंतीपत्रमा नमुद करेली बाबतो संबंधी लाग तावळगता खाता तरफ लखवामां आव्युं छ. हुकमधी नगीनभाइ संतोकभाइ सुप्रीन्टेन्डेट. For Personal & Private Use Only Page #42 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२९) नि. घ. कल्याणमन्दिर मुदार मवद्यभेदि देवार्यवीर मवनम्य निवेदयामः ॥ भो भोः प्रमादमवधूय भजध्वमेतं श्रीजैनशासनसरोजदिनेशसङ्क्रम् ॥ १॥ स्वस्ति श्रीपार्श्वजिनं प्रणम्य श्री महाशुभस्थाने पूज्याराध्य, इढधर्मवान्, देवगुरुभक्तिकारक, धर्मप्रभावक, परमप्रीतिपात्र इत्यादि गुणालंकृत श्री अनेक शुभ की खिदमत में यहां श्रीदेव विशेष विज्ञासमुदायकी श्रीबडोदे से लि. श्रीसंघ समस्तके प्रणाम अवधारियेगाजी. गुरूके प्रसाद से क्षेमकुशल है. आपकी कुशलता हमेश चाहते हैं. पना कि एकांतहितकारी सर्वोत्कृष्ट श्रीजैनधर्म ओर जैनधर्मी तक्की के लिये सत्र जायके श्रसिंघ के प्रतिनिधियोंका महामंडळ श्रीफलोधि पार्श्वनाथके तीर्थमें और मुंबई में श्री जैन श्वेतांवर कॉन्फरन्स के नामसे जमे हुवा था. व्हो कॉन्फरन्सकी तिसरी सभा यहां भरनेका आमंत्रण, मुंबई में मिलेली दुसरी कॉन्फरन्सके बख्त, हमारे संघके, तर्फसे किया गया हे. और उस लिये विक्रम संवत १९६१ मार्गशीर्ष ( गुजराती कार्तिक ) वदि ९-६ता. २७-२८-२९ माहे नवम्बर इस्वी सन १९०४ वार रवि, सोम, मंगलके रोज हमने मुक्रर किये हैं. तो उस मुबारक वक्तपे आपके तर्फसे प्रतिनिधि ( डेलीगेट ) के तोर से यहां तशरीफ फरमाने के वास्ते - के आगवानोमेंसे लायक प्रतिनिधियोंकु पसंद करके भेजनेकी महेरबानी करे ओर उन महाशयों के नाम इस सोबत भेजी हुई मुद्रित प्रतिनिधि-पत्रिकामें कुंकुमपत्रिका पहोंचेसे आठ दिनकी मुदत लिख भेजने का करे. बडोदा ( वीरक्षेत्र ) प्राचीन शहर हे श्रीमंत महाराजा सयाजीराव गायकवाड सरकारकी राजधानी है, ओर श्रीजिन मंदिरकी यात्राका ओर परमपूज्य आचार्य महाराज श्री १०८ श्री कमलविजयादि मुनि महाराजके दर्शनका योग हे. शिवाय श्रीजैन धर्मके लाक्षणिक प्रदर्शन देखने का भी मोका है. सो विदित होवे. बडोदें-गुजरात. लि. श्रीसंघ के तरफ से नम्र सेवकों. फत्तेहभाई अमीचंद झवेरी. प्रमुख, कॉन्फरन्स स्वागत मंडळ. विगेरे. विगेरे. आश्विन सुदि १० रोज मंगल. बाळाभाई मगनलाल डॉक्टर. माणेकलाल घेलाभाई झवेरी चीफ सेक्रेटरीओ For Personal & Private Use Only 11 Page #43 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (३०) নি. ङ कॉन्फरन्स मंडपमां लगावेलां हितवचनोनां बोर्डो. सिद्धिः स्याद्वादात् । ज्ञानक्रियाभ्यां मोक्षः | अहिंसा परमो धर्मः । सत्यमेव जयति नानृतम् ॥ पढमं नाणं तओ दया ॥ सर्वे हि सुखिनः सन्तु सर्वे सन्तु निरामयाः । सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद्दुःखमाप्नुयात् ॥ बाह्यप्राणा नृणामर्थो, हरता तं हता हि ते ॥ धर्मस्य त्वरिता गतिः । चतुर्वर्गेऽग्रणी मोक्षो, योगस्तस्य च कारणम् । ज्ञानश्रद्धानचारित्र - रुपं रत्नत्रयी च सः ॥ परोपकाराय सतां विभूतयः ॥ चित्ते वाचि क्रियायां च महतामेकरूपता ॥ कार्यःसंपदि नानंदः, पूर्वपुण्यभिदेहि सा । नवापदि विषादस्तु सा हि प्रारूपापपिष्टये ॥ न्याय्यात्पथः प्रविचलन्ति, पदं न धीराः ॥ विद्यागमार्थं पुत्रस्य, वृसर्थे यतते च यः । पुत्रं सदा साधु शास्ति, प्रीतिकृत्स पिताऽनृणी ॥ यद्यदेव विद्यया क्रियते तत्तदेव वीयवत्तरं त्रवति ॥ जितं जगत् तेन मनो हियेन ॥ गतानुगतिको लोकः न च लोकःपारमार्थिकः ॥ सहसा विदधीत न क्रिया मविवेकः खल्वापदां पदम ॥ पंडितोऽपि वरं शत्रुर्न मूर्खो हितकारक; || बालादपि हितं ग्राह्यम् ॥ For Personal & Private Use Only Page #44 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (૨૨) એક બળથી પણ હિતવચન ગ્રહણ કરવું. જે કરવું તે પહેલું કીજે, કાલની શી વાતો ? તીરથની આશાતના નવિ કરીએ. અતિ લોભ તે પાપનું મૂલ. કડવાં ફળ છે ક્રોધનાં. માને ગુણ જાયે ગળી, પ્રાણી, જેજે વિચારી, રે પ્રાણી મ કરીશ ભાયા લગાર. નિદ મ કરજો કેઇની પારકી રે ! સંતોષી નર સદા સુખી. મન જીત્યું તેણે જગત્ જીત્યું. શીયળ સમું સુખ કે નહિ. ધોરજ મોટી વાત છે. ગાડરિયો પ્રવાહ જેમ ચાલ્યું તેમ ચાલ્યો; પરમાર્થ કઈ જોતું નથી. ટોલટપાની વાતમાં, વખત અમૂલખ જાય; કનક કોટી ધન આપતાં, સમજો પળ નહિ થાય. આ વાત સુણો ને અમારી, તમે તજે સદા પરનારી. ખોટામાં મોટો છે રંગ, મદિરાનો નવ કરશે સંગ. જુગાર સદા કરવા નહીં. વેશ્યા પરસ્ત્રી ગમન કરવું નહીં. કેફી ચીજો વાપરવી નહીં. ત્રણ મારી ચિંતવવા. હાથે તે સાથે, દેશો તેવું પામો, વાવશે તેવું લણશે. શીળ રહિત નર ફુટડા, જેવાં આવળ પૂલ; શીળ સુગંધે જે ભર્યા, તે માણસ બહુ મૂલ. ક્ષમા સાર ચંદન રસે, સિચે ચિત્ત પવિત્ર; દયા વેલ મંડપ તળે, રહે લહે સુખ મિત્ર. સજજન મુખ અમૃત લવે, દુર્જન વિષની ખાણ. સેબત તેવી અસર. જયણું જનની ધર્મની, For Personal & Private Use Only Page #45 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (૨૨) કરમને શરમ નથી. ક્ષણ લાખેણો જાય, જે સાધી શકે તો સાધ. સંવેગ રંગ તરંગ ઝીલે, માગે શુદ્ધ કહે બધા; તેહની સેવા કીજીએ, જેમ પીજીએ સમતા સુધા. સમતાનાં ફળ મીઠાં છે. ખાડો ખોદે તે પડે. પંડિત તે જે નિરભિમાન. ઇચછા રોધન તપ મહાર. છતી શકિત ગેપવે તે ચર. કર્મ કટક જિતે તે જિન, તેથી ત્રાસે તે છે દીન. મૂરખ સાથે ગોઠડી, પગ પગ હોય કેલેશ. અવગુણ પર જે ગુણ કરે, તે વિરલા જગ જેય. હિણાતણે જે સંગ ન તજે, તેહનો ગુણ નવિ રહે; ર્યું જલધિ જળમાં ભળ્યું ગંગા નીર લૂણપણું લહે. સંપ ત્યાં જંપ. કેઇને તુંકાર તોછડે બેલાવવું નહિ.' કન્યાનું દ્રવ્ય લેવું નહિ. ખોટી સહી સાક્ષી કરવી નહિ. વગર તપાસે ફરિયાદી કરવી નહિ. રાજય વિરૂદ્ધ, દેશ, વિરૂદ્ધ સંઘ વિરૂદ્ધ અને ધર્મ વિરૂદ્ધ આચરવું નહિ. હમેશ વહેલા ઉઠી ઉપાધિમુક્ત થવું ને નવકાર મહામંત્રનું મરણ કરવું. માતા, પિતા, દેવ, ગુરૂ ને સંઘની ભકિત કરવી. સશુરૂનું વ્યાખ્યાન સાંભળવું. જ્ઞાનવૃદ્ધ, ક્રિયાવૃદ્ધ અને વૃદ્ધને વિનય કરવો. નીચનો પરિચય કરે નહિ. પરકી આશા, સદા નિરાશા. દરરોજ નવું નવું વાંચવું કે સાંભળવું, ભણેલું For Personal & Private Use Only Page #46 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ૧૨ ) યાદ કરવુ, ને શ’કાઓનું સમાધાન કરી લેવું. પારકી ભૂલ કાઢતાં પહેલાં પોતાની ભૂલ તપાસવી. પેાતાના ઇનસાફ પેાતેજ કરવા. પૂર્વ કે દક્ષિણ તર× માથું રાખી સુવુ. જે સ્વર ચાલતા હૈાય તે બાજુના પગ પહેલાં સૂકવે . ગૃહ કામ કરતાં છતાં, જે રહે અનુભવ દક્ષ; ધ્યાયે સદા જિનેશપદ, થાય મુક્ત પ્રત્યક્ષ. પરપદ માને આપને, તે ભવ ભ્રમણ ન જાય; જો જાણે નિજ રૂપને, તવ પેાતે શિવ થાય. ( સ્રીઓ માટે ખાસ. ) પરશુ પ્રેમેરે ! હસીય ન બેાલીએ. દાંત દેખાડી રે! ગુહ્ય ન ખાલીએ. નવિટ નર શું રે ! નયણ ન જોડીએ. મારગ જાતાં રે ! આવું એઢીએ. વ્યસની સાથે રે ! વાત ન કીજીએ. હાથા હાથે। રે ! તાલી ન લીજીએ, શીયળ પ્રભાવે રે ! જીએ સાળે સતી. ત્રિભુવન માંહે રે ! તેડુ થઇ છતી. जन मन रंजन धर्मको, मूलन एक बदाम ॥ लघुतासे प्रभुता, अरु प्रभुता से प्रभू दूर || नारी चित्त देखना, विकार वेदना । जिनंदचंद देखना, शांतिपावना | ममता रांड भांडकी जाई ॥ રવિ તુનો, તિલો નયન, અંતર માવી પ્રજારા करो धंध सब परिहरी, एक विवेक अभ्यास ॥ जाग, अवलोक निज शुद्धता स्वरूपकी । शोभा नहि कही जात, चिदानंद भूपकी ॥ घट घट अंतर जिन वसे घटघट अंतर जैन । For Personal & Private Use Only Page #47 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (३४) मत मंदिराके पानमें मतवाले समजै न॥ शुद्ध उपयोग ने समताधारी, ज्ञानध्यान मनोहारी। कमे कलंककु दूर निवारी, जीव वरे शिवनारी ॥ जब लग तेरा पुण्यका, पहूचे नहि करार । तबलग तुमको माफ है, अवगुण करो हजार ॥ पुण्य पुरा जब होत है, उदय होत है पाप । दाझे वनकी लाकडी, प्रगटे आपोआप ॥ जिन समरो, जिन चितवो, जिन ध्यावो मन शुद्ध । क्षणमा पामो परम पद, थइ पोते प्रतिबुद्ध ॥ देह गेह धन धान्य ते, पर, जड, पुदल जाण । ज्ञाता दृष्टा आप तुं, चेतन सुख गुण खाण ॥ तुलसी हाय गरीवकी कबून खाली जाय । मुवा ढोरके चामसे, लोह भस्म हो जाय ॥ मन मावत, तन चंचल हस्ति, मस्ती है बलकी। सद्गुरु अंकुश धरो शिरपर, चल मारग सतकी । ज्ञानविना व्यवहारको, कहां बनावत वाच ।। रत्न कहो का काचको, अंत काच सो काच ॥ अंतर लक्ष रहित ते अंध, जानत नाह मोक्ष अरु बंध ॥ दुःखमे सब को प्रभु भजे, सुखमे भजे न कोय । जो मुखमे प्रभुकु भजे, तो दुःख कहांसे होय ॥ कथनी कथे सब कोय, रहणी अति दुर्लभ होय । कथनी साकर सम मीठी, रहिणी अति लागे अनिठी ॥ जननी जणजे भक्त का, का दाता, का शूर । नाहि तो रहेजे वांझणी, मत गुमावै नूर ॥ चालना जरूर जाकु, ताकु कैसा सोवना ॥ बूरा बूरा सब कहे, बूरा न दिसे कोय । जो घट शोधु आपणो, तो मुजसे बूरा न कोय ॥ Let us be then up and doing, With a heart for any fate; Still achieving, still pursuing, Learn to labour and to wait. Example is better than precept. For Personal & Private Use Only Page #48 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ३५ ) नि. च. श्री जैन लाक्षणिक प्रदर्शन कमीटी. प्रमुख. झवेरी लीलाभाई रायचंद. सेक्रेटरी. झवेरी लालभाई कल्याणभाई. मोदी मगनलाल रणछोड, मेंबरो. वैद्य मगनलाल चुनीलाल. वकील नंदलाल लल्लुभाई. झवेरी जेशींगभाई फकीरभाई. गांधी वाडीलाल लालभाई. झवेरी अंबालाल नानाभाई. झवेरी भीखुभाई वीरचंद. वैद्य मणीलाल बापुभाई नाणावटी मणीलाल बालाभाई. झवेरी उत्तमचंद नगीनचंद. झवेरी केशरीचंद बालुभाई. झवेरी नानाभाई जेठाभाई. कोठारी द्वारकादास जमनादास. झवेरी मोतीचंद पानाचंद. झवेरी मगनलाल ताराचंद. झवेरी डाह्याभाई ललुभाई. गांधी शकरचंद जगजीवन झवेरी वाडीलाल सरूपचंद झवेरी ललुभाई परसोत्तम.. झवेरी उदेचंद सवईचंद. वैद्य डाह्याभाई हीमतलाल. झवेरी फुलचंद ललुभाई. मोदी मोतीलाल नेमचंद. झवेरी हिंमतलाल चुनीलाल. झवेरी जेसंगभाई कंकुचंद. शा. नेमचंद बेहेचरदास. वकील मोहनलाल हीमचंद. गांधी सवईचंद जगजीवन. For Personal & Private Use Only Page #49 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ३६ ) नि. छ. श्री जैन लाक्षणिक प्रदर्शनना सेक्रेटरी झवेरी लालभाई कल्याणभाईनु भाषण. श्रीमंत युवराज फत्तेहसिंहराव महाराज अने सद्ग्रहस्थो ! अमारा आमंत्रगने मान आपी आप साहेबोए अत्रे पधारवानी ने तस्दी लोधी ते माटे आपने अमारी कमीटी तरफथी अभिनंदन आपुं छं श्रीजैन श्वेतांबर कोन्फरन्सनी त्रीनी वार्षिक सभा अत्रे आवता रविवारे भरावानी छ. तेने लगतुं एक प्रदर्शन खोलवानी योजना अमारा तरफथी करवामां आवी छे. जे प्रदर्शनो आज सुधीमां भरवामां आव्यां छे, तेथी आ प्रदर्शन कंईक जूदीन ढबथी करवानी योजना छे. जैन धर्ममां बीज, पांचम, आठम, अगीआरस, चौदस, पुनम, अमास ए पर्व तिथियो मानी छे. तेना तथा मोक्षसुख आपनार अरिहंत, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय, साधु, दर्शन, ज्ञान, चारित्र अने तप ए नव पदना अगर ते नव अने बीजां प्रवचन ( संव), तीर्थ. आदि अगीआर मळी वीस स्थानकना आराधन माटे तपस्या करवामां आवे छे; अने ते पूर्ण थाय त्यारे तेने उनववा उनमणुं ( उद्यापन ) करवानो : प्रचार धर्मना सात क्षेत्राने पुष्ट करवा माटे पडेलो छे. तेमां पण कांइक प्रदर्शन जेवो हेतु होय एम लागे छे. अमे प्रदर्शनमां ज्ञान, दर्शन, ने चारित्रनां उपकरणो, पवित्र वस्तुओ अने परदेशी मालनी साथे हरिफाई करी शके तेवो देशी हुन्नरकळानो माल मुकवानी योजना करी छे; अने विशेषमां जैन धर्मना पूर्वाचार्योए करेला उपदेशने आधारे केटलाक देखावो खास तैयार कराव्या छे, जेमां धर्मना सिद्धांतोने कुदरती देखावोना रूप आपी प्रेक्षकोतुं धर्म तरफ ध्यान खंचवा प्रयत्न कर्यो छे. प्रदर्शननी वस्तुना छ जथा कर्या छे. तेमां पहेलो भाग ( जथो ) उपदेशक देखावोनो राख्यो छे, अने तने लईनेन प्रदर्शनने लाक्षणिक प्रदर्शननं नाम आप्यं छे. चार देखावो आवी गया छ, अने बीजा वधु मनहर देखावो कलकत्तेथी तथा जयपुरथी आववाना छे. सौथी ध्यान खेचनारा दखाष जगत् प्रसिद्ध श्राहेमाचार्य महाराने गूर्जरेश्वर सिद्धराज जयसिंहने धर्मसन्मुख करवा माट दोधला उपदश For Personal & Private Use Only Page #50 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ३७ ) उपरथी निपजावेलो चार संजीवनी न्यायनो छे. बीना देखावो अन्य धर्मनी निंदानो परिहार, एकांतवादथी थती मूलो, जनस्वमावनी विचित्रता, गृहस्थीनी मोह दशा, मनःशुद्धि अने खरो मोक्ष मार्ग समजाववा माटे योनेला छे. बोजा ज्ञान विभागमां, जैन धर्मना प्राचीन ग्रंथोना नमुना, मां ताडपत्र उपर अने सोनाना अक्षरे लवेली प्रतो छे. ते पूर्व काळना महा पुरुषोनी दृढ धर्म श्रद्धा बतावी आपे छे. एक प्रततो गृहस्थाश्रममा चित्रकूटना राजाना पुरोहित अने पछीथी जैन धर्मनी दिक्षा अंगीकार कारनार श्रीहरिभद्र सूरिनी रचेली ललितविस्तरा चैत्यस्तववृत्तिनी छे. ए सिवाय बीना उपगरणोमां हाथीदांतनुं उत्तम कारीगरी, चौद स्वप्न- एक पाठं अने साचा मोतीना भरत कामनुं पार्छ पाटली, चाबखी विगेरे अति आल्हादकारी छ; अने बुद्धिवर्धक वस्तुओनो संग्रह विद्याविलासीओने ध्यानमा लेवा योग्य छे. ___ त्रीमा दर्शन विभागमां, तीर्थकर भगवान् जेना उपर विराजी भव्य जोवोने संसार समुद्रमांथी तारनार देशना देता हता, तेना ख्याल आपवा माटे अहींना श्रीसंघे करावेलुं एक चांदीनुं समवसरण, ते सिवाय सम्मेत शिखर विगरे तीर्थना चित्रपटो चित्ताकर्षक छे. चोथा चारित्र विभागमा साधनां उपकरणो विगेरे छ. पांचमां विभागमां, अहिंसा परमो धर्मः ए सिद्धांत प्रमाणे चरबी विगेरेनो स्पर्श न आवे तेवा साबु मणिवत्तीओ विगेरेनो संग्रह छे, जेनो उपयोग मंदिरादि पवित्र स्थानोमां पण करवा हरकत आवे तेम नथी. छेल्ला जथामां, परदेशी मालनी साथे हरीफाई करी शके ते वा देशी मालनो संग्रह करवानी योजना छे. उपर प्रमाणे अमे प्रथम प्रयास कर्यों छे, अने तेने माटे पुरतो वखत मळी शक्यो नथी, तेथी प्रदर्शन जोईए तेवा विस्तारवाळु थई शक्यं नथी. हवे श्रीमंत युवराज फत्तेसिंहराव महाराजे कृपा करी अमाहं आमंत्रग स्वीकार्य अने कडी प्रांतमाथी आ प्रदर्शन उवाडवा माटे खास पधारवानी तस्दी लीधी तेने माटे हुं फरीथी अभिनंदन आपुंछ अने तेओश्रीने आ प्रदर्शन खुल्लु मूकवा माटे विनंती करुं छं. १ श्रीआनंदघनजीमहाराज कृत षड्दर्शन जिन अंगभणीजे ई. स्तवन उपरथी समय पुरुषनो २ पांच आंधळा अने हाथीनो ३ छलश्या कठीआरने आंबानो ४ मधुबिंदुनो ५ धोवीडानी सज्झायनो ६ वणजारानी सज्झायनो. For Personal & Private Use Only Page #51 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (36) â. 7. श्रीमंत युवराज फत्तेहसिंहराव महाराजे श्री जैन लाक्षणिक प्रदर्शन खुल्लू मूकतां करेलुं भाषण. I regret to say that the previously arranged and pres sin g engagements have prevented my father the Maharaja Saheb from presiding at the opening ceremony of your Exhibition; but wishing to show his great sympathy with the movement Maharaja Saheb has asked me to come forward and welcome you to Baroda in his name and in the name of his people. I can assure you that much as I feel my inability to fill adequately the place of my father, I have great pleasure in presiding here to-day; that pleasure is enhanced by the sight of this large assembly which is a sign of the growing unity of India, of the effort made to carry on free enquiry in matters ethical and religious, and of the desire to progress on the part of India's people. It is a source of genuine pleasure to me to learn that you the followers of one of the ancient religions of the world are advancing in a way peculiar to morden times, in making researches into the antiquity and truth of your faith. Europe has once more given us the stimulus in the matter, for historical works of great critical value, have mostly been published there; and scholars like Professors Jacobi, Weber and Leumann have sifted history from beyond the secred books of the Jain religion accessible to the world at large. While I was at Oxford a series of books was published at the Clarendon Press of our University, which made it possible for those, who took general interest in Eastern faiths or a particular interest in some particular faith to study the sacred books of the East. I am glad to find that Indian scholars have followed the lead of European Savants and the learned Doctor Bhandarker For Personal & Private Use Only Page #52 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( 38 ) and Mr. Bhagvanlal Indrajee, who have contributed materially to the store of Literature now available on the subject of the Jain faith; but what has been accomplished is as yet nothing to what still is to be done, for I fear only a hundredth part of the sacred books of the Jains has yet been brought to light. Let us hope that such Conferences and Exibitions as these would induce young Jain scholars to dig deeper into the minds of learning, and bring out valuable ore now burried and hidden, But scholarship and specialization come after a general liberal education and not before it. The problem before you is the same old problem of the future destiny of India, namely education; and I hope that now when every one is looking into the condition of his own house, the Jains will not fail to look minutely into the state of theirs and set right those things which require setting right. Other people may plead poverty in defence of their own ignorance but the enterprizing Jains at least who have acquired a good deal of wealth by the trade cannot be excused on their plea, and specially on the present moment. It is intimately connected with your faith and this is a pleasing aspect of the Exihibition and the Confrence in these days when people with crude notions of the progress think all religion unnecessary or at least redicưle those religions which have had their origin in the Exst. But I wish to say that all religions are at least seeking after truth, the highest and the best of religion of mankind; therefore while having due reverence for your faith, which is really a necessary condition of all time and a deep study, you should not shirk free enquiry and the genuine search after truth. And if in your researches reason forces on you conclusions other than those handed down to you by your predecessors, I trust that you will have the honesty and the courage not to turn away from the truth in order to keep up an old empty formula. * Among the doctrines of your faith, I find the belief that every-thing in Nature is alive and has a soul or Jiva, which is very fascinating. In another form the same idea presents itself in the Pantheism of the Brahmanic faith, in the poetry of worship For Personal & Private Use Only Page #53 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( 80 ) pers of Nature like Wordsworth and Shelly and in the Suffism of the Mussalmans. It is pleasing to turn from reading descriptions of the appalling destructions now going on in Manchuria to the peacefulness of a faith that allows life and sout even to those things which wə generally call inanimate. The belief that we are not entitled to abuse anything in nature, no matter howsoever small or insignificant, should be preached withgreat persist. ence. But I hope I will not offend you if I say that a bene. volent Providence has created things for our benefit, which if properly used can help man, the highest creation of God in working for the perfection of human life. It is not only practically necessary but quite essential that we should derive, due benefit from the good things of this world, for true economy never forbids use, but abuse. In conclusion I shonld like to say that though religion is necessary, bigotry is not. All religions are treading the paths which their votaries believe to lead to Cruth. Let us therefore not forget in the heat of the journey the true syinpathy of fellowtravellers, and the hospitality of the road-side. The search for truth is not a scramble for some exhaustible source of wealth. Truth is vast and inexhaustible; there is enough of it for all races and religions. We should therefore sympathise and respect all men, no matter of what religious persuasion. My father and his Government are aiming at the unity of all our subjects, and I trust, that as loyal subjects and good neighbours, all of yon will join hands with us and bring about unity first in the Baroda Raj and then in all India. If we can accomplish that we can look forward to a general parliament of man and federation of the world. * See foot-note on page 42. (STATE) हुँ कहेवाने दिलगीर छ, के आगमचथो बीजी रोकाण मारा पिताए माथे लीधेली होवाथी तेओ आ प्रदर्शन उघाडवानो क्रियामां हाजर थई शक्या नथी. पण आ हिलचाल साथनी पोतानी दिलसोजी बताववा माटे महाराजा साहेबे, तमने ते नामदारना तथा ते नामदारनी प्रजाना तरफे वडोदरामां For Personal & Private Use Only Page #54 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ४१ ) आवकार आपवामाटे, मने अत्रे हाजर थवाने जणाव्युं छे. जोके मारा पितानी जग्या लायक ते पूरवाने मने पोताने हुं अशक्त समजुं हुं तो पण आटलुं तो खात्रोथी कहुं हुं के आ प्रदर्शनमा प्रमुख स्थान लेवाने मने मोटी खुशाली उपजी छे के, जे खुशालीमा आ मोटी संख्याने हाजर थयेली जोई मोटो वधारो थयो छे. कारण के तमारी हाजरी बतावे छे के, हिंदुस्तानमा हुन्नर उद्योगनी, संसारी, तेमज धार्मिक वाचताना संबंधां स्वतंत्रपणे संशोधन करवाने बघा एकत्र थई शके छे तथा हिंदी प्रजा सुधारानी बाबतमां आगळ वधवानी उत्कंठा राखे छे. आ जोवाथी मने खरेखरी खुशाली उपजे छे के तमो के जे दुनियाना प्राचीन धर्मो पैकी एकने माननारा छां ते तमारा धर्मनी प्राचीनता तथा सत्यताना संबंधमां शोध खोळ चलावी हालना जमानाने अनुसरती रीते आगळ वधवा लाग्या छो. युरोपे ए बाबतमां आपणो उत्साह सतेज कर्यो छे. कारण के, ऐतिहा सिक अति अमूल्य सूक्ष्यावलोकनथी भरपूर पुस्तको घणे अंशे त्यांज प्रगट थयां छे; तथा प्रोफेसरो जेकॉची, वेबर, अने ल्युमॅन जेवा विद्वानोए, जे जैन धर्मनां पवित्र पुस्तको घणे खरे ठेकाणे मळी आवे छे ते सिवाय बीजां ए धर्मनां पवित्र पुस्तकोमाथी खरी हकीकत शोधी काढी छे. हुं ज्यारे ऑक्सफर्डमा हतो त्यारे त्यांनी युनिवर्सिटोना क्लॅरन्डन प्रेसमांथी एवी केटलीक चोपडीओ प्रकट थई हती के जेयी जेओ, पूर्व देशमां उत्पत्ति पामेला धर्मों अथवा तो कोई अमुक धर्मनो विशेष अभ्यास करवानी खाएश राखता होय, तेओ पोतानी खाएश पार पाडी शके. जोईने खुशी के हिंदी साक्षरों, युरोपीयन विद्वानो तथा विद्वान डॉक्टर भंडारकर ने रा. भगवानलाल इंद्रजीना पगले, चाल्या छे के जेमणे जैन धर्मने लगता हालमां हाथ लागेला साहित्यांना संग्रहमा मोटो वधारो कर्यो छे. पण अत्यारसुधी जे करवामां आव्युं छे ते भविष्यमां जे करवानुं बाको छे ते आगळ नहीं जेवुं छे. कारण के मारे मन एम शंका रहे छे के जैन धर्मनां पवित्र पुस्तकोनो मात्र सोमो भाग हजी बहार पाडवा पाम्यो छे. तोपण आपणे एवी आशा राखीए के आवां कॉन्फरन्सो तथा प्रदर्शनो थवाथी युवान जैन विद्वानो विद्यानी खाणांमा वधु वधु उंडा उतरशे, तथा हालना समयमां गुप्तपण भंडारायेल मूल्यवान् द्रव्य प्रसिद्धिमां लावशे. पण विद्वत्ता तथा अमुक विषयमां प्रवीणता, सर्वदर्शी उत्तम पंक्तिनी केलवणी संपादन कर्या थकीज प्राप्त थाय छे. तेना अभावे प्राप्त थती नथी. आपनी आगळ हाल जे सवाल छे, ते हिंदुस्तानना भविष्य माटेनो जे लांबी मुदतथी For Personal & Private Use Only Page #55 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ४२ ) सवाल उभो थएल छे तेज छे. अर्थात् ते केळवणीनो सवाल छे. हवे ज्यारे प्रत्येक माणस पोतपोतानी स्थिति प्रत्ये लक्ष आपवा लागेल छे त्यारे जैनो पोतानी स्थितिनुं बारीक अवलोकन करवा चकशे नहीं तथा ज्यां सुधारानी जरूर जणाय त्यां ते करशे एवी हुं आशा राखंछ. बोनाओ पातानी अज्ञानताना कारणमां गरीबाईन बहानुं बतावी शके; परंतु निदान उत्साही जैनो, के नेमणे व्यापारवडे पुष्कळ धन पेदा कर्य छ, तेमना तरफथा आq कारण, ने खसत करीने आ वेळाए, मान्य करी शकाय नहीं. केळवणी ( ज्ञान ) तमारा धर्ममां एक रत्न गणाय छे अने हालना समयमां, के ज्यारे सुधारा विषे अधुरुं ज्ञान धरावनारा लोको धर्म मात्रने अनुपयोगी गणे छे किंवा जे धर्मोनी उत्पत्ति पूर्वमा थवा पामी छे तेने तो हसी काढे छे त्यारे, प्रस्तुतनी कॉन्फरन्स तथा प्रदर्शनमां धर्म अने ज्ञाननो निकट. संबंध आनंददायी लागे छे. पण मारे अत्रे जणावq जोईए के, सघळा धर्मो सत्यने शाधे छे के जे मनुष्यना धर्ममां सर्वोपरि अने श्रेष्ठ छे. तेथी तमारे तमारा धर्म प्रत्ये यथायोग्य पूज्य बुद्धि, के जे सर्व काळमां होवी आवश्यक छ तथा जे विना उडो अभ्यास थवो दुर्लभ छे, ते राखवी. तो पण तमारे अबाधित शोध करवामां तथा सत्यनी खरा मनथी गवेषणा करवामां पाछा पडवु नहीं; अने जो ते शोधने अंते तमारा पूर्वजोथी चालता आवेला सिद्धांतो करतां अन्य सिद्धांतो यथाथ छे एम तमारी तर्क शक्तिथी तमने लागे तो मारी एवी मान्यता छे के एक निर्जीव जुना सिद्धांतने बाध न आवे एवा विचारथी सत्य तरफ दुर्लक्ष नहीं करवानी हिम्मत तथा प्रमाणिकपणुं धारण करशो. * तमारा धर्मनां सिद्धांतो पैकी एक सिद्धांत ऐवा छे के सृष्टिमां दरेक चीज सचेतन छे, अने तेमां आत्मा अथवा जीव छे. ए सिद्धांत घणो मोहक छे. एज ब्राह्मण धर्ममां सर्व ब्रह्म ए रूपमां अने वर्ड्सवर्थ तथा शेली जेवा कुदरतने पूजनारा कवियोनी कवितामां तथा मुसलमानोना सुफी पंथमां नजरे आवे छे. ( रुशिया तथा जपाननी लढाईना संबंधे ) मंचुरीयामां थती हजारो जानानी खुवारीनुं * जैन धर्ममा संसारी जीव वे प्रकारना मानेला छे. त्रस अने स्थावर पतानी मेळे भयादिना प्रसंग खशी शके ते त्रस, जेमां बे इंद्रियथी मांडीने पंचेंद्रिय सुधीना जीवोनो समावेश थाय छे. जे पोतानी मेळे खसी शके नहि ते स्थावर, जेमां पृथ्वी, पाणी, तेज, वायु अने वनस्पति ए पांच एकेंद्रिय ( मात्र स्पर्श विषययुक्त ) जेमनामां अन्य मत वाळा प्रायः जीव मानता नथी तेवानो समावेश थाय छे. एने लेइनेज श्री. युवराज महाराजे आ इसारो कर्यो लागे छे. जैनो ईश्वरकृत जगत् मानता नथी ते पण ध्यानमा राखवू जोईए. तेमना मते जगत् अनादि छे. For Personal & Private Use Only Page #56 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ४३ ) वर्णन वांचवाने बदले आवा एक शांतिमय धर्म, के जे आपणे जे वस्तुने सामान्यतः निर्जीव गणीए. छाए तेमां पण जीव तथा आत्मा होवानुं माने छे, ते धर्मनो विचार करतां आनंद उपने छे. सृष्टिमां कोइ पण वस्तु गमे एवी सूक्ष्म अथवा नकामी जणाती होय तो पण तेनो अनादार करवा आपणने अधिकार नथी, एवो सिद्धांत आग्रहपूर्वक प्रतिपादन करवो जोइए. तो पण जो हुं एवं कहुं के, परमदयालु ईश्वरे आपणा हित माटे वस्तुओ सरजी छे के जे जो घटित उपयोग करवामां आव तो मनुष्य, जे परमेश्वरे सरजेला प्राणीआमां सर्वोपरि छे, तेने मनुष्य भव सार्थक करवाना प्रयत्नमां साधनभूत थइ पडे एवी छे, तो तमे माटु लगाडशो नहीं. छेवटे हुं जणावीश के, जो के धर्मनी अगत्य छे तो पण आपणे धर्माध बनी जवू जोइत नथी. दरेक धर्मना पंथवाळा एम माने छे के पोताना धर्मे जे मार्ग लीधो छ ते सत्यनो छे. माटे आपणे आपणा पंथना प्रवासनी धुनमां बीजा पंथना आपणा जेवा प्रवासी तरफ दिलसाजी तथा आतिथ्य बताववानुं भली न ज जोईए. सत्य ए विशाळ अने अखूट छे अने. सर्व लोक तथा संप्रदायने पहोंची शके एम छे. ए खोजतां कंइ द्रव्यनी पेठे खूटे एम नथी के जेथी करीने एनी शोधमां धकाधकी करवानी जरूर होय. आथी एक माणस गमे ते धर्म पाळतो होय तोपण आपणे तेना तरफ सहानुभूति तथा आदरभाव राखवो जोईए. मारा पिताश्रीनो तथा एमना राज्धयोरणनो उद्देश पोतानी प्रजामा ऐक्य करवानो छे. हुं आशा राखंछं के, आप बधा राज्यनिष्ठ प्रना के सारा पडोशीओ तरीके अमारी साथे सहायभूत थई प्रथम वडोदरा राज्यमां अने पछी हिंदमां ऐक्यता प्रसरावशो. जो आपणाथी आटलं थाय तो पछी पृथ्वपिरना मनुष्य मात्रनी एक पालामेन्ट ( महासभा ) अस्तित्वम आवेली जोई तेमां सर्व देशनी प्रजानुं सम्मिलन जोवाने भाग्यवान् थईए. For Personal & Private Use Only Page #57 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ४४ ) नि. झ. स्वागत फंड. अथवा. संघ भक्तिमां नाणां भरनारानी यादी. वडोदराना. २०१ झवेरी. वीरचंद रुपचंद. १०१ शा. जगजीवन सुंदर जॉ. २०१ झवेरी अमीचंद माणेकचंद. १०१ कोठारी रामदास हरजीवन. २०१ झवेरी. हीराचंद इश्वरदास. १०१ शा. सु चंद बापूलाल. २०१ गांधी ब्रजलाल गोपालजी. १०१ शा. मनसुखभाई लखमीचंद. २०१ वैद्य. दलपतभाई मोतीचंद. १०१ परी. बेचरदास सुरचंद. २०१ झवेरी. घेलाभाई हीमचंद. १०१ मोदी. मगनलाल माकमचंद. १५१ झवेरी. जेसींगभाई कंकुचंद. २० १ झवेरी. मोतीचंद गुलाबचंद. १५१ मोदी. मोतीलाल लालदास. १७९ झवेरी. ताराचंद चतरांदास. १५० झवेरी. बालाभाई छोटालाल. १७९ झवेरी. लालचंद चतुरांदास. १२६ झवेरी. जेचंद हरखचंद. १५१ झवेरी. मोतीलाल हरखचंद. १२९ झवेरी. केशवलाल धरमचंद १५१ झवेरी. छोटालाल लालभाई. १२५ वैद्य हरीभाई मोतीचदं. १०१ शा. छगनलाल मनसुख. १२५ डॉक्टर वालाभाई मगनलाल. १०१ शा. जेठाभाई सुरचंद. १२५ परी. सामळभाई नथुभाई. १०१ सरैया. केशवलाल पानाचंद, * १२५ झवेरी घेलाभाई काळीदास. १०१ पटवा. नाथाभाइ नानशा. ३०१ शा. ललुभाई त्रीकमभाई. १०१ शा. बापुलाल दामोदर. * आ गृहस्थ तरफथी हजुं नाणां वसूल आव्यां नथी. For Personal & Private Use Only Page #58 -------------------------------------------------------------------------- ________________ *१०१ डॉक्टर गोविंदराव दीपाजी. ४१ शा. मोतीलाल वीरचंद. १०० शा. जमनादास दामोदर. ४१ शा. त्रीभोवनदास काहानजी. १०० शा. हीराचंद राजाराम. | ४१ शा. मोतीलाल देवचंद. ७५ शा. गोरधनभाई हरीभाई. | ४१ भावसार नरोतम घेलाभाई. ७५ शा. केशवलाल हीराचंद. ३५ शा. मगनलाल माणकलाल. ७५ घीआ, गरबड वीरचंद, | ३६ झवेरी सरुपचंद धोळीदास. ७५ वैद्य त्रीभोवन भीखाभाइ, ३६ झवेरी नगीनभाई मनसुख. ७५ शा. वीरचंद भुखणदास. | ३५ मारवाडी वरधीचंद आयदान. ७५ शा. भुराभाइ लालभाइ. ३५ मारवाडी ताराचंद रीखवदास. ७१ झवेरी करमचंद धरमचंद, ३१ झवेरी गोकळभाई दुलवदास. ६१ शा, दामोदर लालचंद ३१ वैद्य डाह्याभाई हीमतलाल. ५१ पटेल हरीवलव नरसीदास. २९ शा. माणेकलाल मथ दास. ५१ शा. खीमचंद दीपचंद. | २९ झवेरी बालुभाई मनमुखभाई. ५१ शा. परसोतम करमचंद. | २७ शा. हरीलाल नानाभाई. ५१ मोदण परधानबाई. २५॥शा. अमथाभाई पानाचंद. ५१ शा. पानाचंद धरमचंद. २६॥ शा. हरीभाई पानाचंद. ५१ मारवाडी गुलाबचंद खेमराज. २९ गांधी. नानाभाई हरजीवन, ५१ गांधी जमनादास हरीवलव | २५ शा. ताराचंद खीमचंद. ५१ शा. मनसुखभाई नरोतम. | २५ शा. नानाभाई वेलचंद. ५१ शा. गोरधनभाई दलपतभाई. २५ शा. मगनलाल हरजीवन. ५१ गांधी. खुशालभाई गलाबचंद. २५ मुकाती. मणीलाल हरगोवन. ५१ मारवाडी फत्तानी आयदान. २५ शा. केशवलाल लालचंद. ५० मारवाडी हीरालाल पन्नालाल. २५ शा. नरसादास अमरचंद. २५ शा. दीपचंद पानाचंद. ५० शा. खुशालभाई देवचंद. २५ मारवाडी मुनीलाल तुलसीदास २५ छोटालाल. २५ मारवाडी चुनीलाल बकता२५ मोतीलाल. वरमळ. * आ गृहस्थ जाते क्षत्रिय मरेठा छे एमणे जैनताकिक तराके प्रसिद्ध अने अंत सुधा श्रीशेवंजय महातीर्थनी आशातना दर करवा माटे मथन करनार मनिराज श्रीदानविज राजना सत्संगथी जैन तत्वादर्श, अज्ञानतिमिरभास्कर अने जैन धर्म विषयिक प्रश्नोत्तर विगेरे ग्रंथो वांची मांस मदिराना त्याग पूर्वक श्रीजैन धर्म स्वीकार्यो छे अने गई सेन्ससमां पण पोताना कुटंबने जैन तरीके नोधाव्युं छे. हमेश श्रीसिद्धचक्रजी नवपदजी महाराजनी सुगंधित वासक्षेप विगेरे उत्तम द्रव्योथी पूजाभक्ति करे छे. नवकार प्रमुख स्तोत्रोनो पाठ करे छे प्रसंगोपांत देरे, उपाश्रये अने यात्रादिके ज़ाय छे अने रात्रिए भाज करतना नथी, For Personal & Private Use Only Page #59 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २५ मारवाडी पुनमचंद रखेंचंद. | ४० शा. नरोतभ अमरचंद २५ मारवाडी वरधीचंद सुगालचंद. २५ शा. सुसालभाइ व्रजलाल २५ मारवाडी जोरजी वनेचंद. ५१ शा. वजेचंद चुनीलाल. २५ शा. त्रिभोवन मोतीचंद. ५० शा. हरोलाल अंबईदास. २५ पटेल दलपतभाई नररेभाई. २५ माणेकलाल. २५ शा. वाडीलाल खुशालभाइं. २५ कस्तु राई. २५ शा पानाचंद अमथाभाई. १५ शा. प्रेमचंद कस्तुरभाई. २५ शा. उत्तमचंद मुलुकचद. | ४१ शा. मनसुख कपुरचंद. २५ शा. लहरूभाई लवजीभाई. ३१ शा. केसर मावजी. २५ शा. हीमचंद पानाचंद. २७ शा. मनसुख डाह्याभाई. २५ शा. हरीलाल नरोत्तम. ( फडीया ). २५ शा. पुनालाल तळ नाभाई.. २६ शा फुलचंद दोलत. २५ शा. काळीदास दलछाराम. २६ शा. परभदास हर जीवन. २५ शा. मणीलाल गुलाबचंद २५ शा. चुनीलाल फुलचंद. __ वगर कहे. २५ शा. दलपत भगवान. १५ पटवा केवलभाई गलाबचंद. २५ शा. त्रीभोवन फुलचंद. १५ मारवाडी. जेताजी सरदारमल २५ शा. दलपत नाराण. १५ मारवाडी पुखराज गुलाबचंद. २५ शा. रणछोड हरजीवन. १२॥मारवाडो लखमीचंद गुलाबचंद २५ शा. नाथाभाई दोलत. १० मारवाडी तेजमल खुवचंद. ९६९। - ७४२५॥ छाणीना. डभोईना. ७५ शा. सवइचंद रूपचंद. १०१ शा. जेचंद भाइचंद. १२५ शा. नेमचंद तलकचंद. ०५ शा. करमचंद मोतीचंद. ५१ शा. वीरचंद जेंचद. ५५ शा. जीवचंद कपुरचंद २०० शा. कीलाभाइ पानाचंद. १५० शा. गरबड लालचंद. १५० शा. नगीनभाई बापुलाल. ६० शा. हरगोविंद ईश्वरभाइ. । ६० शा. जमनादास हीराचंद. ६० शा. शीवलाल भगवान. | ५० शा. जगजीवन भोगीलाल. ५० शा. शीवलाल ईश्वरभाइ For Personal & Private Use Only Page #60 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ४७ ) २५ शा. ईश्वरभाई खुशालभाई पादराना. २५ शा. सांकलचंद दलपतभाई ४१ शा. कीलाभाई मुळचंद. ८९५ ६५ वकील दलपतभाई ललुमाई. ६५ वकील मोहनलाल हीमचंद. दरापुरना. ६१ वकील नंदलाल लल्लभाई. १२५ शा हीराचंद नथुभाई. ३५ शा. तागचंद रतनचंद. १५१ गांधी नहालचंद काळी दास. ३५ शा. वनमाळी साकळचंद. ३५ शा. लल्लुभाइ साकलचंद. १०१ शा. खुशालभाई मोहलाल ७५ शा. खोडाभाई माणेकलाल ३१ शा. वनलाल सांकळ चंद. ५१ शा. हिमतलाल व्रजलाल ३१ शा. लल्लुभाई वीरचंद. ३१ शा. छोटालाल नाहालचंद. ४१ शा. कीलाभाई जेठाभाई ३१ शा. भोगीलाल प्रेमचंद. ४१ शा. कल्याणदास खुशालदास २५ शा. हरगोविंद घेलाभाई २२ शा. भाईचंद जेठाभाई | २५ शा. दीपचंद पीतांबर. २५ शा. नाथाभाई अमीचंद | २५ शा. शीवलाल सौभाग्यचंद. २५ शा. दोलत रायचंद | २५ शा. काळीदास रणछोड. २५ शा. मोतीचंद दुला पीडापाना. ६८५ | ५६१ १०५३९। कुल्ले For Personal & Private Use Only Page #61 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ४८ ) नि० खर्चनो तारवणी पत्र. रुपीया. आना पाइ १७- . - . फंड कमीटीखाते. सेंटल कमीटीखाते. •३७-१२-० २६९-१०-.. १०४-१४-३ १६९--०-९ ५४--६-० पगार तथा इनामना. छपामणना (रिपोर्ट शिवायना) डेड स्टोक कंटीजंटना. टपाल तथा तारना. परचुरण खरचना ९७२ ---८-६ ८३५-११-० उतारा कमीटीखाते ३६९-१४-९ पगार तथा कंटीजेटना १९५-७-६ मकानभ डुं तथा दुरस्तीना २९७-११-६ सरसामनना ३३-२-९ दीवा बत्तीना ७६-४-० परचुरण खरचना ५७७६-१२-३ ९-१२-० ५२६८-७-० ९७२-८-६ भोजन कमीटीखाते हेल्थ कमीटीखाते मंडप कमीटीखाते १७१३-८-. मंडप तथा दरवाजाना २९४३-७-३ खरशीयो, तथा बेंचो, प्रैस टेबलना ३५४-२-६ पगार तथा इनामना १०२-७-६ काउन्ड डेकोरेशनना ८९-४-६ दवाबत्तीना ६५-९-३ परचुरण खर्च ९०४-२-५ ५२६८-७-० वॉलंटीयर कमीटीखाते ६१९-3-३ गाडीभाडु तथा मजूर २१२-१-९ फटा तथा उत्तरासनना ७२-१३-६ परचुरण १२४-५-. ८०-८-० ७६-६-० ३२-०-० ४६-०-० ९०४-२-६ डेलीगेट विगेरेना फलखाते हित वचनोना बॉर्डखाते ट्रेझररना खर्च खाते गायन शाळाखाते प्रमुख साहेबना समैयाना १४१४३-०-३ For Personal & Private Use Only Page #62 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भाग बीजो. For Personal & Private Use Only Page #63 -------------------------------------------------------------------------- ________________ For Personal & Private Use Only Page #64 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन श्वेताम्बर कॉन्फरन्स. त्रीजी वार्षिक परिषद्, वडोदरा. प्रथम दिवस ता. २७-११-०४. मंगल गीत. राग सारंग-ताल चतुश्र जाति त्रिताल मध्य काल मात्रा १६. नमो नमो मंगलमें महावीर, शासनपति वडवीर. नमो नमो. जैन समाज मिलि मनरंगे, चमकत निरमल चीर. नमो नमो. एक एक के अंतरंग की, कैसी बनी ततबीर. नमो नमो. देखो ठाठ ए जैन वरगको, सायर ज्युं गंभीर. नमो नमो. मंगल आनंद आज भयो है, आइ दीलमें धीर. नमो नमो. करी सुधारो धर्म वधारो, पाइ आशा वीर. नमो नमो. मंगलाचरण. शिखरिणी वृत्तम्. शिवौको विश्वेशः समसुरनरेन्द्रैश्च महितो जितद्विट्संदोहः कुगतिपततां वारणपरः ॥ भवाग्नेः शान्तौ यो घनरससरूपो जिनवृषो विधत्ता दादीश स्त्रिभुवननराणां स भविकम् ॥ १ ॥ स्रग्धरा वृत्तम्. दद्या च्छ्रीशान्तिदेवो वरकनकतनुः सारसौख्यानि शश्व द्भक्तानां भक्तिभाजां त्रिभुवननगरे स्फारकोटीरहीरः ॥ For Personal & Private Use Only Page #65 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चार्वाकारः प्रणेता प्रणतहितकरः कामदो मारिवारः सर्वशाख्यातनामा प्रकटितमहिमा प्राप्तकर्मारिपारः ॥२॥ शिखरिणी वृत्तम्. प्रशास्ता लोकानां त्रिभुवननरादुःखदविभु विजेता भावार्यो हतकुनयदर्पोऽन्तिमजिनः ॥ महासंसाराब्धौ पतितमनुजानां प्रवहणं स मोहध्वान्तारि भवतु भविना मिटवरदः ॥ ३ ॥ शार्दूलविक्रीडीतम्. नीरन्धे भवकानने परिगलत्पञ्चाश्रवाम्भोधरे नानाकर्मलतावितानगहने मोहान्धकारोध्दुरे ॥ भ्रान्तानामिह देहिनां स्थिरकृते कारुण्यपुण्यात्मभि स्तीर्थेशैः प्रथितः सुधारसकिरो रम्या गिरः पान्तु वः ॥ ४॥ औदार्यादिगुणावलि विलसति स्वान्तेषु येषां नृणां गोप्तारो भविनां दयोद्यमभृत स्तीर्थादिकार्यस्य च ॥ कायस्वान्तधनैर्विधौ सितकटा दीव्यन्ति यस्मिञ्जनाः संघस्तीर्थकरोऽपि यन्नमनकृज्जीयात्स तेषां चिरम् ॥ ५॥ वीर विक्रम संवत् १९६० ना कार्तिक वदि ५ ता. २७ नवंबर सने १९०४ रविवारनो दिवस वडोदरामा एक महा मांगलिक दिवस श्री वडोदरामां कार्तिक ६. तरकेि पसार थयो हतो. ते दिवसे भारतवर्षना जूदा जूदा नो मांगलिक दिवस. भागमां वसता अने जूदा जूदा रंग तथा घाटनां शिरोभूषण धारण करता जैन संघोना, सभाओना, पाठशाळाओना, अने पुस्तकालयोना प्रतिनिधियो स्वधर्म अने स्वजातिना उत्कर्ष माटे विविध प्रबंधो योजवाने एकत्र थया हता. सहवासीनी उन्नति ते स्वदेशनीज उन्नति छे एवं मानी जैन भाइओना कामने अनुमोदन आपनारा अन्य धर्मीभाइओ पण तेटलान उत्साहथी सामेल थया हता. जाहेर वर्तमानपत्रोना चालकोए पण पोताना रिपोर्टरो सभाना कामकाजनी नोंध लेवा माटे मोकली आप्या हता. सभा मंडप श्रीमंत महाराज साहेब गायकवाड सरकारने रहेवाना लक्ष्मीविलास पेलेस नजीक कलाभवन सामेना विशाळ मेदानमां ५००० बेठकोनी गोठवण साथे उभो करवामां आव्यो हतो. तेनी रचना अंदरथी तथा बहारथी एवी तो भव्य बनी हती के प्रेक्षको ते जोइनेज सानंदाश्चर्य पामता हता. For Personal & Private Use Only Page #66 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ३ ) २ सभानो वखत सवारना ११ वाग्याथी राख्यो हतो पण ते अगाउज प्रतिनिधियो, रिसेप्शन कमटीना सभासदो, राज्यना अमलदारो, सरदारो, दरकदारो, शेठ साहूकारो अने प्रतिष्ठित पुरुषो तथा प्रेक्षकोथी सभास्थान चीकार भराइ गयुं हतुं. प्रमुख अझीमगंज ( मुर्शीदाबाद ) निवासी रायबहादुर बुधसिंहजी दुघोडिया दरबारी बे घोडानी बगीमां पोताना भत्रिजा बाबु विजयसिंहजी अने बे पुत्रो साथै तेमना दरज्जाने शोभता पोषाक अने ठाठमां बराबर वखते पधार्या. तेमनो अने जनरल सेक्रेटरीओनो खुशालीना पोकारो साथ मंडपमां प्रवेश थया बाद श्रीमंत सरकार सयाजीराव महाराजा साहेबनी स्वारी राजकुटुंब साथ पधारी. तेमने सन्मान आपवाने रिसेप्शन कमीटीना चेरमन अने चीफ सेक्रेटरीयो विगेरे साथ सदर मंडळ दरवाजा नजीक हाजर थयुं. दरबारी बेन्ड विगेरेनी सलामी थतां श्रीमंत हसते वदने सर्व समाना हर्षनाद वच्चे मंडपमां दाखल थया अने उच्चासन उपर प्रमुख साहेवनी साथै पोतानी बेठक लीवी. श्रीमती सौभाग्यवती मातोश्री महाराणी साहेब तेमनी डाबी बाजुए यवनिका साथै करेला जूदा उच्चासन उपर प्रमुख साहेबना कुटुंबना वधुवर्ग साथे बिराज्यां हतां. श्रीमंत महाराजा साहेब प्रमुख साहेब अने प्रतिनिधियो विगर्रनुं आगमन. ३ प्रारंभमां श्रीजैन गायन शाळाना विद्यार्थीओए विविध वाजित्रोना नाद मंगल गान अने जैन कॉ. साथे मंगलगीत गाया बाद सेंट्रल कमीटीना सेक्रेटरी रा. ऑल्बमनुं अर्पण. रा. मगनलाल चुनीलाल वैद्ये संस्कृतमां मंगलाच - रण कर्यु हतुं. पछी श्रीसयाजी विजय पत्रना चालक रा. रा. माणेकलाल अंबाराम डॉक्टरे पोते खास तैयार करावेलुं प्रसिद्ध जैन तीर्थो, नामांकित जैन मुनिराजो, श्री. महाराजा साहेब, श्री. युवराज महाराज, कॉन्फरन्सना पुरस्कर्त्ता अने स्वागत मंडलना अग्रेसरो विगेरेनी सुंदर छत्रीओनुं आल्बम श्री. महाराजा साहेबना अने प्रमुख साहेबना हस्तमां अर्पण कर्यु. मंडप कमीटीना जो. सेक्रेटरी मि. मोतीलाल नेमचंद मोदीए आ प्रसंगमां भाग लेवा पधारेलाने उपयोगी थइ पडे तेवा सीटी मेपनो आयनो नजर कर्यो. ४ रा. रा. फतेहभाइ अमीचंद झवेरी स्वागत मंडलना प्रमुखे त्यार पछी तालीओना अवाज वच्चे पोतानु टुंकु पण बोधक भाषण ( नि. १ ) शरू कर्यु हतुं. तेमां तेमणे प्रतिनिधियोनो आभार मानी सन्मान आपवानी साथे श्रीसंवनी स्वागत मंडळना प्रमुख तरफनुं सन्मान. For Personal & Private Use Only Page #67 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( 8 ) उपयुक्तता, संघभक्तिथी थता लाभ, संघभक्ति करनारा संप्रति महाराजा, कुमारपाल महाराज अने वस्तुपाल तेजपाल मंत्री विगेरेनां धर्मकृत्योनी नोंध साथे कुमारपाल विगेरनुं वडोदरामां थयेलुं आगमन, आधुनिक महाराजाना समयमां वडोद - रानी वधेली महत्ता, कॉन्फरन्सनो उद्देश, दरसाल ते भरावानी आवश्यकता, श्रोताओनी ठरावाने अमलमां मूकवानी पहेली फरज, कॉन्फरन्सना हेतुने पुष्टि करनारा मुनि महाराजानो उपकार, स्थानिक कॉन्फरन्स कमीटीओ नीमवानी जरूर, कॉन्फरन्सनी सूचनाओ प्रमाणे बंदोबस्त करनार श्रीसंघोने धन्यवाद, लाक्षणिक प्रदर्शननी योजना अने ते श्री. युवराज फत्तेहसिंहराव महाराजना हस्ते खुल्लुं मुकायानी खबर, चर्चवाना विषयोनी यादी संबंधे खुलासो, श्रीमंत महाराजा साहेबे लीला श्रम अने आपली अनहद मदद माटे अभिनंदन, छाणी, डभोई, पाद्रा ने दरापुराना संकोनी स्वागतमां सामेलगीरी विगेरे मुद्दा उपर सारी रीते विवेचन करी छेवटे श्रीमंत महाराजा साहेबने पोताना अमूल्य बोधक वचनोवडे सभाने कृतार्थ करवा विनंती करी हती. १ श्रीमहाराजासाहेब ते पछी ऊभा थई बोल्या के, “ तमारी मर्जी प्रमाणे आजे आ काम शरू थयेलुं जोई खुशी थाऊ हुँ. आटली मोटी महेनत अने खर्चे तमे जे समारंभ कर्यो छे ते संपूर्ण रीते पार पडे एम ईच्छु छु. श्री. महाराजा साहेवनं भाषण. तमो आ समारंभमां दरेक विषयपर शांतता अने सारी समजथी ठराव करशो अने ते ठरावो संसार व्यवहारमां अमलमां पण लावशो. मारा विचार प्रदर्शित करवा नहीं पण प्रमुख अने बीजा वक्तानां भाषण सांभळवा आव्यो छु. तेथी हुं थोडुं बोलीश तो तमो दिलगीर नहीं थशो. पण खात्रीथी मानशो के मारी तमारा काम तरफ संपूर्ण अनुमति अने तमारी उन्नति माटे पूर्ण आतुरता छे. ( ताळीयो ) जैन धर्म जुनो छे. बौद्ध धर्म करतां पण जुनो छे. बुद्ध पहेला २०० वर्ष उपर *महावीर ( पार्श्वनाथ ? ) नामना पुरुषे आ धर्म स्थापन कर्यो. तेमणे आ धर्म शा माटे शरु कर्यो ते तमे जाणो छो. तो पण मारा जाणवा प्रमाणे मुख्यत्वे * श्री महावीर स्वामी तो बुद्धना समकालीन हता. तेमना पहेला श्री पार्श्वनाथ तीर्थकर थइ गया ते महावीरे प्रवतव्या ते पहेला २२० वर्ष उपर उक्त धर्मनो उपदेश करता निर्वाण पाम्या हुता. तेथी श्रीमंत महाराजा साहेबनो आशय पार्श्वनाथ कवानो होवो जोइए. For Personal & Private Use Only Page #68 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( 9 ) ब्राह्मण धर्मना यज्ञ याग विगेरेमां घणो पशुवध थतो हतो. तेनो अटकाव करवा पोते जूदो मत स्थापन कर्यो छे. बीजुं जात न मानवी ए आ धर्मनो सिद्धांत छे. तेथी तमोने चमत्कार लागशे, पण ते माटे ए मतना जूना ग्रंथ जोई विचार करशो अने ते धोरणो जोइ व्यवहारमां चालशो. आ एवो सादो धर्म छे के जेने हयाती भोगवतां हजारो वर्ष थई गयां अने हजारो मत-पंथ थई गया तो पण ते हयाती भोगवे छे. त्यारे तेमां अवश्य कई उच्चता होवी जोईए. जो तेम न होत तो आजे ते अदृश्य थात. मांस न खावुं तथा अहिंसा परमो धर्मः ए जेनो मुख्य सिद्धांत छे, तेवा धर्मनो तमे तमारा वच्चे मजबुताईथी प्रसार करो एटज़ नहीं पण परदेशमां तेनो प्रसार करवानो यत्न करो. तमारा जैन वर्ग पैकीनो घणो भाग वेपारी छे, अने परमेश्वरे तमने जे कई संपत्ति आपी होय तेनो सदुपयोग करी संसारमां पोतानी अने सर्वनी सारीरीते उन्नति थाय तेम करवुं जोइए. एटलं कही प्रमुख भाषण सांभळवा माटे बेसुं छु. ( ताळीओ. ) "" ६. प्रमुख साहेब राय बहादुर बुधसिंघजीए श्रीमंत -महाराजा साहेबनी इच्छानुसार उभा थई समानो गर्जारव शांत थया पछी पोतानुं हस्तलिखित हिंदी भाषण ( नि. २ ). शरु कर्यु. तेमां ते बाबु साहेबे आत्म लघुता करवानी साथे काळना परिवर्तनथी थती असर, सज्जन पुरुषोना मेलापनी सार्थकता माटे स्वात्मार्पणनी जरूर, प्रारंभेला कार्यमा विजय मळता सुधी ते जारी राखवानी फरज, संपनी आवश्यकता विगेरे बाबतो पुख्त विचारथी विवेचन करी हती. प्रतिनिधियोने धन्यवाद आपवानी साथे कॉन्फरन्सना ठरावो अमलमां मूकवानो आग्रह कर्यो हतो. विद्वान् मुनिमहाराजाना अने सुशील आगवान गृहस्थोना जमानाने अनकुळ उपदेशथी घारेलुं कार्य जलदी अने सारीरीते पार पडी शके छे ते खास ध्यानमां राखवानुं सूचवी गत वर्षमां परलोक पामेला जैन अग्रेसरोना संबंधमां दिलगीरी दर्शावी हती अने छेवटे कॉन्फरन्समां चर्चवा योग्य विषयो संबंधे पोताना अभिप्राय टांकी सबजेक्ट कमीटी नीमवानी भलामण करी हती. प्रमुख साहेबना भाषण - मांनी बाबतो. ७ रा. रा. गुलाबचंदजी ढढ्ढा M. A. कॉन्फरन्सना जनरल सेक्रेटरी ऐमणे पोतानी मधुर अने जुस्सेदार हिंदी वाणीथी श्री . महाराजा साहेब विगेरेने संबोधी जणान्युं के, “ श्री. महाराजा साहेबे अत्रे पधारीने आखा हिंदुस्ताननी नैन रा. रा. गुलाबचंदजी ढड्ढाए मानेला श्री. महाराजनो उपकार. For Personal & Private Use Only Page #69 -------------------------------------------------------------------------- ________________ फोम उपर मोटो उपकार कर्यो छे. जैन धर्म अनादि काळथी चालतो आवेलो छे. तेमां अत्यार सुधीमां ( आ अवसर्पिणी काळमां ) २४ तीर्थकरो थइ गया छे. जैनधर्म स्थापनार प्रथम तीर्थकर श्रीऋषभदेव हता. अने छेल्ला तीर्थंकर श्रीमहावीर स्वामी थइ गया छे, जेने २४३० वर्ष थयां छे. जुना इतिहास उपरथी जणाय छे के, जैन धर्मने मोटा मोटा राजाओ शेठशाहुकारो तथा मंत्रीओए तन मनने धनथी मदद करी हती. तेज प्रमाणे आ शहेरमां आप नामदार महाराजाए कॉन्फरन्समां पधारी जैन कोमना प्रतिनिधियोने तथा तेना समुदायने एशानमंद कर्या छे. भाप नामदार हिंदुस्तानना देशी राजाओमां वीर समान, नररत्न, धर्मज्ञ, अने दरेक धर्म प्रत्ये निष्पक्षपातथी वर्तनार छो. आपने धन्य छे के आप जैनधर्मी नहि छतां ते धर्म प्रत्ये आटली बधी दिलसोजी धरावो छो. ( ताळीओ ) आप साहेबनी पेठे आपना कुंवर साहेब श्रीमंत फत्तेहसिंहराव पण वीर पुरुष छे अने तेमने माटे वर्तमान पत्रोमा में घणीज तारीफ सांभळी छे. जैन लाक्षणिक प्रदर्शन खुल्लू मूकीने तेमणे अमारा उपर मोटो उपकार कर्यो छे. अमारी एवी प्रार्थना छे के, आप महाराजा साहेब जेवी रीते मदद आपता रह्या छो, ते मुजब कुंवर साहेब 'पण करता रहेशे. (ताळीओ) आपना राज्यमां जैन धर्मनां मंदिरो उपाश्रयो विगेरे छे तेनो बचाव अने संरक्षण अच्छी तरेहथी थशे एम आप नामदारना भाषणथी स्पष्ट थयुं छे अने आप नामदार जैन धर्म प्रत्ये जे कृपा बतावो छो ते माटे हुं कुल नैन समुदायना प्रतिनिधि तरफथी उपकार मा छु. ( ताळीओ)" रा. ढदाना वाक्चातुर्यथी प्रसन्न थइ श्रीमंत महाराजा साहेबे तेमना - संबंधमां प्रमुख साहेबने केटलाक प्रश्नो पूछया हता. रा. ढवानो धन्यवाद. " प्रमुख साहेबे तेमने कॉन्फरन्सना उत्पादक विगेरे तरीके ओळखाव्या हता. जेथी श्रीमंते पोतानो संतोष प्रदर्शित करी धन्यवाद आप्यो हतो अने पोताना महेलमां धर्मचर्चा माटे खास आमंत्रण करी बोलाव्या हता. ८ मी० अमरचंद पी० परमारे त्यारवाद नीचे लखेलुं कवित गाइ मी० परमारनुं कवित. सभानु मन रंजन कयु हतुं. धन्य धन्य महाराज, सर सयाजी शोभे. बडोदा नरेशने पधारी. शोभा दीयो हे. घाह आप विद्या शोख, लगनको कानुन कीयो. For Personal & Private Use Only Page #70 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बहु जीवो अमर तपो, गादीको दीपायो है. युवराज फतेसिंह, राजमंडल शोभादी. बाबुराय बुधसिंह, प्रमुख पद पायो है. चाहत जैन प्रजा, तीसरी कॉन्फरन्स, हुरे हुरे बोले लोक, आनंद एक भयो है. ते पछी जनरल सेक्रेटरी रा. ढहाए कॉन्फरन्सना प्रमुख उपर नहि आवी शकवा माटे क्षमा याचना तथा कॉन्फरन्सना कामकाजदिलसोजीना तारो अने पत्रो. " मां सहानुभूति दर्शावनारा तारो तथा पत्रो आव्या हता ते वांची बताव्या; जेमां पूज्य मुनिमहाराजा उपरांत कलकत्ताना रायबहादुर बद्रिदासजी, अजीमगंजना रायबहादुर सीताबचंदजी नहार, अमदावादना शेठ मनसुखभाइ भगुभाइ, खालीयरना शेठ नथमलजी गुलेच्छा, बिकानेरना शेठ पुनमचंदनी सावणसुखा, उदेपुरना राय पन्नालालजी महेता, मुंबईना संघपति शेठ रतनचंद खीमचंद, रा. सा. वसनजी त्रीकमजी, पन्नाथी रा. बा. बालाबाइ मंछाराम, अजमेरथी प्रोफेसर भुरालाल हराि M. A. L. L. B. बजाणाना कारभारी मोहनलाल जीवणलाल Barrister-at law. टोंकना गंभीरमलजी, आमलनेरना भागचंद छगनदास, येवलाना दामोदर बापुशा, सुरतना चुनीलाल छगनलाल, मधुबन-समेतशिखरजीथी सुंदरलाल दोगुड, अजमेरना वकील सीरायमलजी, सटनाना जालीमसिंघजी, जयपुर- जैन ब्रधरहुड, नागपुरनुं गोरक्षिणी कार्यालय, लाहोरना जसवंतराय जैनी, रावलपीडीना जयचंद जैनी, बनारस, राधनपुर, इडर ने खेडानी पाठशाळाओ, मांडले, रंगुन, मुद्रा, अमरेली, सक्कर, आकोट, कलीकट, धुलिया, अमृतसर, दाहोद, मेडता, इचलकरंजी, लालपुर, गोघा, निंगाला, देहगाम अने जेसलमीर, विगेरेना संघोना नामो संमळायां हतां. रा. रा. माणेकलाल घेलाभाई झवेरी रिसेप्शन कमीटीना चीफ सेक्रेटरीए पछी प्रमुखसाहेबनी आज्ञाथी सबजेक्ट कमीटी '". माटे केटलांक नामो सूचव्यां अने बाकीनां वधारे, प्रमुख साहेब अने जनरल सेक्रेटरी साहेबो एक विचारथी नक्की करशे तेमने खबर आपवामां आवशे माटे तेओ साहेबे रात्रे आठ वागे मंडपमां विषयो तथा वक्ताओ नक्की करवा माटे पधारवू एवी विनंती करी. सबजेक्ट कमीटीनी नीमनोक. For Personal & Private Use Only Page #71 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (<) श्रीमंत महाराजा साहेब छेवटे बोल्या के, " मारा संबंधां तथा मारा पुत्रना संबंधमां जे कांइ कहेवामां आव्युं छे ते माटे हुं आपनो उपकार मानुं छु. आ राज्यमां धर्मना संबंधमा कदी पण पक्षपात थयो नथी अने हवे पछी थवानो पण नथी. मारे बधा धर्म समान छे. राजाए दरेक धर्मनुं सदा रक्षण करवुं जरूरनुं छे. हुं जैन धर्मने अमारा धर्म करतां जूदो गणतो नथी. तेथी में जे कइ कर्युछे तेमां वधु कंइ कर्यु नथी. तमोए मारे माटे उद्गारो कहाड्या ते माटे हुं फरीथी तमारो उपकार मानुं छं. "" श्री० महाराजा साहेबनुं छेनुं भाषण. पछी प्रमुखसाहेबना हस्ते श्री० महाराजा साहेब आदि राजमंडळने हार कलगी विगेरे अपायां ते स्वीकारी स्वारी विदाय थया बाद सभा बीजे दिवसे ११ बागे भेगा थवानुं ठरावी विसर्जन थइ. रात्रिना आठ कला के मंडपनी अंदर स्टेज उपर सबजेक्ट कमीटीना सुमारे २०० गृहस्थो एकठा थया हता. प्रमुख साहेबना पधार्या बाद काम शरु थयुं हतुं. प्रथमथी मुकरर करेला बार विषयो पैकी प्रथमना चार विषयो केळवणीना विषय तरिके एकठा करी लेवामां आव्या हता, अने ते विषय तथा कोन्फरन्सना बंधारण संबंधी विषय माटे बीजो दिवस ठराववामां आव्यो हतो. बाकीना ७ विषयो त्रीजा दिवसपर राखवामां आव्या हता. केटलीक चर्चा चाल्याबाद प्रथमनी बे दरखास्तो अक्षरशः मुकरर करवामां आवी हती, अने बाकीनी ७ दरखास्तो तैयार करवानुं वडोदरानी सेंट्रल कमीटीना सेक्रेटरीने सोंप्युं हतुं. दरेक दरखास्तपर बोलनार वक्ताओनां नामो मुकरर करवामां आव्यां हतां तेमज दरेक वक्तामाटे चोकस टाइम ठराववामां आव्यो हतो, अने वक्ताना संबंधना नियमो जाहेर करवामां आव्या हता. सबजेक्ट कमिटीनी मीटींग. आटलं काम बहु थोडा वखतमां पसार करीने १९ वाग्या अगाउ सबजेक्ट कमीटी बरखास्त थइ हती. For Personal & Private Use Only Page #72 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ९ ) बीजो दिवस ता. २८-११-०४. मांगलिक पद. राग पीलु- -ताल चतुश्र जाति त्रिताल मध्य काल मात्रा १३. जीया जैन धरम चित्त धररे, कर धरम करम दुःखहरनपरन. बिन करत फिरत सब धरत रहत, जीया जैन धरम चित्त धररे. धृपद. देखो जैन समाज, बहु मिलत आज, सब करत काज मन लाइरे. जिन चैत्य ठाम बडे बडे हे धाम होय जीर्ण काम करनन झटपट जीया. सबजगआधार सिद्धांतसार, करवा उद्धार वित्त लाईरे. देखो जैन जोर भयो रंग चोल कीयो अतिही शोर खलकत चमकत. जीया. जैन शाला नाम सब पठन काम करे ज्ञान धाम सुखदाइरे, दीये ज्ञानदान जडतिमिरभान जपे वीरनाम क्षणक्षण पलपल -*-- जीया. पहेला दिवस प्रमाणे कॉन्फरन्सना आगेवानो, प्रतिनिधियो, प्रेक्षको विगेरे . नियमित वखते मंडपमा स्वस्थानपर विराजित थया पछी जैन गायनशाळाना विद्यार्थीओए मांगलिक पद सुस्वरे गायुं. त्यारबाद प्रमुख साहेब तरफथी पांच ठरावो सभा समक्ष रजु करवामां आव्या, ते नीचे प्रमाणे: पहेलो ठराव. ना. शहेनशाह माटे प्रार्थना. जे महान् ब्रिटिश साम्राज्यनी शीतळ छायातळे आपणे आपणो धर्म स्वतंत्रपणे पाळी शकीए छीए अने जेनी सर्व धर्म तरफ समान दृष्टिथी जूदा जुदा देशना धर्मीभाईओ धर्म साधी शकीए छीए ते सुखरुप राज्यना शहेनशाह नामदार सातमा एडवर्ड अने शहेनशाहबानु एलेक्झांड्रा दीर्घायुष्य ने आबादी साथै विजय पामो, एवं आ कॉन्फरन्स अंतःकरणपूर्वक प्रार्थे छे. प्रमुख साहेबे रजु करेला पांच ठरावो. For Personal & Private Use Only Page #73 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१०) बीजो ठराव. श्री. महाराजा साहेबनो आभार. गुजरात अने काठीआवाडना विस्तारवाळा भाग उपर राज्यकर्ता श्रीमंत सयाजीराव गायकवाड महाराजा साहेब, जेमना उदार आश्रय नीचे आपणे अहीं एकठा थया छीए, ते नामदारनो आ कॉन्फरन्स अंतःकरणपूर्वक आभार माने छे. ते नामदार जेवा समष्टिवाळा, उदार चित्त अने लोकप्रिय घणा राज्यकर्ताओ थाओ. जीजो ठराव. ज. सेक्रेटरीओने धन्यवाद. आपणी कॉन्फरन्सना चार जनरल सेक्रेटरी साहेबोए पोताना अमूल्य वखतना भोगे स्वधर्म अने स्वधर्मावर्गना हित माटे जे प्रयास लीधो छे ते माटे आ कॉन्फरन्स तेमने धन्यवाद आपे छ अने तेओ साहेबे बहार पाडेलो रिपोर्ट बहाल राखी तेमने ते मानवंत हुद्दा उएर घणी खुशीथीं कायम राखे छे. चोयो ठराव. मर हुम मि. फकीर चंद प्रत्ये दिलसोजी. मुंबईमां मळेली बीजी जैन श्वेतांवर कॉन्फरन्सनी रिसेप्शन कमीटीमा चीफ सेक्रेटरी अने जैन कॉन्फरन्सना जॉइंट जनरल सेक्रेटरो शेठ फकीरचंद प्रेमचंद जे. पी. ना मृत्युनी आ कॉन्फरन्स दिलगीरी साथे नोंध ले छे. पांचमो ठराव. पूज्य मुनि महाराजा विगेरेने विनंती. आपणी आगली कॉन्फरन्से करेला ठरावो जे जे गामो अने शहरोना घंधुओए अमलमा मृक्या छ तेमने आ कॉन्फरन्स धन्यवाद आपछे अने जा For Personal & Private Use Only Page #74 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ११) बधा गामो अने शहेरोना बंधुओने एनुं सत्वर अनुकरण करवा आग्रह करे छे. तेमज आ संबंधमां जे जे पूज्य मुनि महाराजाओए प्रशंसापात्र प्रयास कर्यो छे तेमनो पण आ कॉन्फरन्स आभार माने छे अने भविष्यमां पण तेवो प्रयास चालु राखवा विनंती करे छे. सभाए आ पांचे ठरावो जे ते समयने योग्य मुद्रा धारण करी सर्वानुमते प्रसार कयो हता. रा. गुलाबचंदजी ढढाए पछी केळवणीना विषयने घणी चालाकीथी हाथ धरी नीचे प्रमाणे ठराव करवा माटे समाने केळवणी विषे दरखास्त. विनंती करी: छठो ठराव. धार्मिक तथा व्यवहारिक केळवणी. आपणा जैन वर्गमा धार्मिक तेमज व्यवहारिक केळवणी वृद्धि पामे अने जैन साहित्यनो सर्वत्र प्रचार थाय तेटला माटे, १ व्यवहारिक केळवणी लेनारने योग्य मदद आपी आगळ वधारवा, २ धार्मिक अभ्यास संगीन थइ शके तेवी शाळाओ स्थापवी, ३ कन्या शाळाओ अने श्राविका शाळाओ स्थापवी, ४ धर्म संबंधी पुस्तकालयो स्थापयां, ५ एवी शाळाओ तथा पुस्तकालयो ज्यां होय त्यां तेने योग्य उत्तेजन आपy, ६ जैन साहित्यनो प्रचार थवा माटे घटता उपायो लेवा, ७ जैनी वांचनमाळा तैयार थाय तेने माटे योग्य प्रयत्न करवो, अने ८ जैन समुदायमा व्यापार अने उद्योगनी वृद्धि थवा माटे हुन्नरकळामो प्रवेश कराववोतेनी आ कॉन्फरन्स खास आवश्यकता धारे छे. For Personal & Private Use Only Page #75 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१२) आ ठरावनी पुष्टिमां रा. ढहाए घणुं सरस भाषण कयु हाँ, जे अक्षरशः आपवानुं साधन नहीं होवाथी तेना सारथीन समाधान मानवं योग्य छे. तेमणे नणाव्युं के, " जैन समुदायनी उन्नति करवा माटे धर्मनुं अने दुनियादारीनुं शिक्षण आपवू ए आपणी फरज छे. विद्या विना माणस पशुसमान छे. विद्याथीज माणस मोक्ष पामे छे. विद्या कहो के ज्ञान कहो बधुं एकज छे. श्रीऋषभदेव भगवानथी श्रीमहावीर स्वामी सुधीना दरेक तीर्थंकरे ज्ञानने श्रेष्ट बतावी तेनु पठन पाठन करवा उपदेश कों छे. जो तेमना वचन उपर खरी आस्था होय तो विद्यानो प्रसार कराववो ए आपणी पहेली फरज छे. विद्या बे प्रकारनी छे. सांसारिक अने धार्मिक. आ ठरावमां धार्मिक पहेली राखी छे. ख्याल करशो तो मालुम पडशे के ते व्याजबी छे. अनादिकाळथी मिथ्यास्वमा फसायला जीवने धर्मनी केळवणी मळवी कठिण छे. दरेक गतिमां तेनी जोगवाइ होती नयी. मात्र मनुष्य गतिमांज जीव धर्म सन्मुख थइने मोक्ष सुख पामी शके छे. दुनियामां एवो कोण हशे के मोक्षनी आशा नहीं करतो होय ? हवे आ धर्म शिक्षण केवी रीते हांसल कर, तेनो ख्याल करीए. हरेक धर्मवाळा पोतानो धर्म श्रेष्ठ बतावे छे. आपणा धर्ममां ब्रह्मा, विष्णु, शिव, अगर महावीर जो ते १८ दूषण रहित अने १२ गुण सहित होय तो एक छे. नामथी मतलब नथी पण गुणथी मतलब छे. ___ आपणने सूर्यनी गरमीनी जरूर छे. त्यां दीपकनी गरमीथी केवी रीते सरे ? हाल जे केळवणी शाळाओमां अपाय छे ते दीपक समान छे. ते एकली संसार व्यवहार माटे जेम पुरती रीते उपायोगी नथी, तेम परलोक साधन माटे पण नथी. एटला माटे बधे धर्मन शिक्षण आफ्नारी पाठशाळाओ थवानी जरूर छे. तेमां कन्याशाळाओनी वधारे जरूर छे. आपणी · स्त्रीओ, छोकरीओ-भविष्यनी जैन प्रनानी माताओ सारी केळवाय तोन आपणी कोमनु कल्याण थवानी आशा छे. जेवू बीज हशे तेवून फळ मळशे. स्त्री वर्ग अभण हशे तो तेमनी संतति पण प्रायः अशिक्षितअयोग्य नीवडशे. माटे स्त्रीशिक्षणमा जेटलो विलंब थशे तेटलो आपणो उद्धार पण मोडो थशे. केटलीक निराधार स्त्रीओने खावानी सवड होती नथी माटे तेमना सारु उद्योगशिक्षण साथेनी श्राविकाशाळाओ पण स्थपाववी जोइए. तेम करवाथी आपणी For Personal & Private Use Only Page #76 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्त्रीन शुं थशे तेनी फिकर मटी जशे. स्त्री शिक्षको तैयार करवानी पण तेटलीज़ आवश्यकता छे. धर्म संबंधी पुस्तको पण धोरणवार रचावां जोइए. तेमज लायब्रेरीओ अने पुस्तकशाळाओ पण वधारवी जोइए. तेथी आपणां पुस्तको पठन पाठनमा आवशे अने घणा जीवोने लाभ थशे. खंभात, पाटण, जेसलमीर विगेरे ठेकाणे प्राचीन ज्ञानभंडारो मोजुद छे. तेमना उद्धारनी जरूर छे. पण ते विषय जूदो होवाथी हाल हं वधारे बोलतो नथी. कॉन्फरन्सना प्रतापे आपणे एक संपथी ने उमंगथी काम करवा मांडयुं छे के जे आगळ देखातुं नहोतुं. जैन धर्ममां ज्ञानरूपी हीरा अने मोती छपाइ रह्यां छे. तेनो प्रसार करवाथी जैन प्रजाने तेमज आखा जगतने घणो फायदो थशे. माटे ते दिशामां पण सारो यत्न थवानी जरूर छे. ___ धर्म ज्ञाननी साथे दुनियादारीनी केळवणी नहीं होय तो काम चाली शके नहीं. पण ते माटे वधारे बोलवान नथी. कारण के सरकार तरफथी कॉलेजो विगेरे थवाथी आपणने ते शिक्षण मेळववानी सवड थइ छे. तेम छतां हिंदुस्तानमा १५ लाख जैनोनी वस्तीमां ग्रेज्युएटो तथा उंची डिग्रीवाळा आंगळीना टेरवा उपर गणाय तेटला छे. आ कॉन्फरन्सना सुकानीओने धन्यवाद घटे छ के ग्रेज्युएटोनी लाइन गोठवी तेमना दर्शननो लाभ आप्यो छे. ( ताळीओ ) तेमना जोवाथी बीजा लोको पोताना विद्यार्थीओने शिक्षण आपवाने ललचाशे. पण जणावतां खेद थाय छे के, पांच सात गेज्युएटो आपणान पगमा कुवाडो मारवा तैयार थया छे. ( शरमना पोकार ) सिवीलियन आपणामां कोई नथी. पण डॉक्टर, वकील के बीजी नोकरी करनारा छे. हुं खुद ग्रेज्युएट छं. पण नोकरीने लीधे गुलाम थइ नवं पडयुं छे. उद्योगनी केळवणी मळी होत तो आवी गुलामी हालत होत नहीं. जयपुरमा हाल १०० ग्रेज्युएटो छे. पहेलां ग्रेज्युएटोने ५०० नो पगार मळतो अने हाल दस वर्ष थयां रु. ४०-५० नो पगार मळे छे. हाल गाडरियो प्रवाह चाले छ. नहि तो हुन्नर उद्योगमां पडेला ग्रेज्युएट दर महा रु. १००० नो पगार पाडी शके. माटे आपणी स्थिति सुधारवा अर्थ आपणामां उंचा हुन्नर उद्योगनी केळवणी वधारवी जोइए. बड़े बड़े लंबे पुंछडे होय तो आवरू छे अने व्यापार के हुन्नरमां गुंथायाथी इजत नहीं मळे एम समजवू नहि जोहए. उंची केळवणी साथे हन्नर उद्योगनी वे ळवणीनी खरेखरी जरूर छे. कॉन्फरन्सनी फरज छे के धर्म शिक्षण साथे व्यवहारिक अने उद्योगनी केळवणी आपवा माटे योग्य प्रबंध करलो. तेथी For Personal & Private Use Only Page #77 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१४) घणो फायदो थशे. तेनो टुंको दाखलो जापानीलोकोनो छे. तेओए रुशियनोने थरथरावी नांख्या छे. एन प्रमाणे चालवाथी आपणी कोमनी हालतमां पण घणो सुधारो थशे. श्रीमंत महाराजानी राजधानीमां आपणे मळ्या छीए, ए नामदारे आपणने घणा एशानमंद को छे. श्री. महाराजा साहेवे शाळाना वखतमां थोडोक वखत कहाडी धार्मिक केळवणी आपवानी तजवीज करवा केळवणी खाताना वडाने आज्ञा करी छे. ज्यारे महाराजाए आवी शरुवात करी छे त्यारे मने आशा छे के कॉन्फरन्स आ विषय उपर पुरेपुरु लक्ष आपशे. एज विषयनी जूदी जदी बाबतोने अनुमोदन आपवाने आठ वक्ताओ आगळ आव्या हता. मि. मोतीचंद गीरधर काप. केळवणीना ठरावने अ. दीया B. A. L. L. B. भावनगरनाए इंग्रेजी भाषा नुमोदन. . ज्ञाननी आवश्यकता अने ते माटे बॉर्डिगोनी अनुकुळता यधारवानी जरुर संबंधे असरकारक चर्चा करी हती. जैन फिलोसॉफी तरफ ग्रे. ज्यएटो अने बीजा विद्वानोनुं ध्यान खेंचवा माटे लेक्चरशीपो अगर इनामो काढवानी अने बीजी केटलीक महत्वनी सूचनाओ करी हती. जे तेमनुं साद्यंत भापण (नि. ३ ) अवलोकनमा लीधाथी ध्यानमा आवशे. ' लाला माठु मलजी दिल्लीनाए स्त्रीशिक्षण विष बोलतां जणाव्यं के, स्त्रीओ चार प्रकारनी छे. जेने धर्मनुं ज्ञान होय अने जेनी आज्ञा बधा माने ते देवी, जेनामां तेज होय ते राणी, लडालडी पसंद करे ते राक्षसी, अने तावेदारी शिवाय बीजं न आवडे ते गुलाम. शिक्षणथी स्त्रीओ देवी के राणी जेवी थइ शके छे. हुं तेमने दफतरनें काम करवानू के बी. ए. नुं शिखववा कहेतो नथी. परंतु आपणा शास्त्रमा स्त्रीओ पण मोक्षनी अधिकारी ठरावेली छे, माटे मोक्ष साधवामां अने गृहिणी तरीकेनो धर्म बजाववामां उपयोगी थाय तेवी शिक्षा स्त्रीओने आपवी जोइए. श्री ऋषभदेव भगवाने चलावेलो धर्म आपणे मानीए छीए अने तेमणे पोतानी बे कन्याओने लेखन गणित विगेरे शिखवी सारो दाखलो बेसाड्यो छे. मयणा संदरी प्रमख राजसभामां धर्म चचो करी शकवा जेटली शक्ति धरावतां हता. ते पण स. वना जाणवा बहार नथी. माटे स्त्रीशिक्षण संबंधे सारा प्रकारनो प्रबंध करवो जोइए. For Personal & Private Use Only Page #78 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१५) मि० बालचंद हीराचंद मालेगामनाए पोताना भाषण (नि. ४) मां जैन शाळोपयोगी वांचनमाळानी जरूरियात बतावी ते माटेनी योजना सूचवी हती. मि० छोटालाल काळीदास वकील अमदाबादनाए लोकोने केळवणी लेवाना संबंधमां वधारे उमंगी करवा माटे व्यवहारु मार्ग सूचव्या हता. दरेक श्रीमंत खावा पीवानुं अने पुस्तक विगरे आपी मात्र एकेक ग्रेज्युएट के आर्टि. म्ट बनाववानुं धारे तो वगर फंडे घणं सारुं परिणाम आवी शके. खोटा फरजियात खों अटकावी अमदावादना शेठ चीमनलाल नगीनदासे दशाश्रीमालीनी न्यात खाते लग्न दीठ कंइ रकम लेवान राखी तेमांथी न्यातना तमाम छोकरांने फी पुस्तको विगेरे आपवानी योजना काढी छे. ए रीवाज अनुकरण करवा योग्य छे. केमके तेवा प्रकारनी मदद लेवामां कोईने ओळु आवतुं नथी. मि.मनछुख अनोपद अमदाबादवाळाए लीओने केलवणी लेवानी होश थाय ते माटे भणवाथी शो लाम छे ते तेगना मनपर ठसावधानी जरूरियात दाखला साथे बतावी हती. हाल जैनोमां दर हजारे १७ स्त्रीओ केळवायली छे. अने फिमेल टेनींग कोलेनमाथी ३० वर्ष दरम्यान २६३ स्त्रीओ केळवाइने बहार पडी छे तेमा मात्र त्रज जैन होवार्नु जणाय छे. ते स्थिति सुधारवानुं ध्यान पर लेवा पोताना भाषण (नि. ५ ) मां विनंती करी हती. मि० मुलचंद नथुभाइ वकील भावनगरना एगणे पोताना भाषण ( नि. ६ ) मां जणाव्यं हतं के, ज्यां सुधी कोमळ मगजमां धर्मनां बी ववायला न होय त्यां सधी सारं ज्ञान संपादन थतुं नयी अने आपणामां अत्यारे धार्मिक वीर्य घणु थोड़े छे ते शाळाओ स्थापन करी ज्ञान न लइए, त्यां सुधी खीलवी शकीए नहीं. शा. कुंवरजी आंणदजी भावनगरनाए पण धार्मिक केळवणी वगरनी अंग्रेजी केळवणीनां परिणामे भक्ष्याभक्ष्य अने पेयापेयनो विचार तहन नाश पाम्यो छे. माटे बाल्यावस्थाथी धार्मिक बोध आपवानी अने माताओं के ळवायली होय तो तेमना पुत्रो पण मी. दृड्डा जेवा धर्मात्मा नीकळे छे तेथी तमाम स्त्रीओने धार्मिक केळवणी आपी शकाय तेवी योजना करवानी पोताना भाषण (नि. ७ ) मां सूचना करी हती. For Personal & Private Use Only Page #79 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १६ ) मि० अनोपचंद मेलापचंद शाह B. A. भरुचना छेवटे बोल्या के, धार्मिक अने व्यवहारिक केळवणी आपतां तननी केळवणी भूली जवी न जोइए. केमके ते विना मनने केळवणी आपी शकाती नथी. आपणां बाळको केळवणी मेळववाने भाग्यवान थशे त्यारे तेओ पोतानी मेळे हानिकारक रिवाजो दूर करवाने अने जैन पुस्तकोद्धार तथा जीर्णमंदिरोद्धार करवा बहार पडशे. आपणे तो म्होडेथज वातो करीए छीए, पण तेओ तो करी बतावशे विगेरे दाखला दली - लोथी सिद्ध कर्यु हतुं. एमनुं भाषण ( नि. ८ ) सर्वने पसंद पडवाथी प्रमुखसाहेबे नीमेला वखत करतां वधारे वखत आप्यो हतो, जे मुबारकबादी देवा योग्य गणी ते पछी सदर दरखास्त सर्वानुमते पसार थयेली जाहेर करवामां आवी. शकाय. ( १५ मिनीट विश्रांति ) शेठ लालभाई दलपतभाईए, सभाजनो विगेरे अढी वागे घंट थतां स्वस्थाने बेसी गया पछी कॉन्फरन्सनो कारोबार चलाववा अने तेनुं बंधारण मजबूत करवा माटे निचे प्रमाणे योजना रजू करी हती. कॉन्फरन्सना बंधारणनी योजना. सातमो ठराव. कॉन्फरन्सनुं बंधारण. श्रीजैन श्वेतांबर कॉन्फरन्सनुं बंधारण मजबूत थधा माटे, १ बारे जनरल सेक्रेटरीओए पोतपोताना विभागमां दरेक खाताने मा योग्य खर्च करवो, २ चारे जनरल सेक्रेटरीभए जुदी जुदी ऑफिसो स्थापी योग्य खर्च थी कार्य व्यवस्था करवी, ३ पोताना हाथ नीचे जरुर पडता प्रांतिक अने स्थानिक सेक्रेटरीओ निमी तेमनाथी कॉन्फरन्समां थयेला ठरावोनो अमल कराववा प्रयत्न करवो, ४ प्रांतिक अने स्थानिक सेक्रेटरीओए बनी शके तो प्रांतिक अने स्था निक कॉन्फरन्स कमिटी स्थापी योग्य प्रयत्न करवो, For Personal & Private Use Only Page #80 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १७ ) ५ एक मासिक चोपानीयु काढी दर वखतना कॉन्फरन्ससंबंधी कार्यनी दरेक स्थानके खबर आपवी अने कॉन्फरन्सना ठरावोने पुष्टि मापवी, ६ कॉन्फरन्सनी कायमनी स्थिति दृड करवा माटे चालु उपज थाय तेवी योजना करवी, ७ कॉन्फरन्सना हेतु अने ठरावो दरेक गामे अने शहेरोमां समजाववा प्रयास करवो, ८ दर वर्षे जेम बने तेम ओछा खर्चे कॉन्फरन्स भराइ शके तेम स गवड करवी, ९ डेलीगेटो माटे हवे पछी रु. २ ) अंके बे फी राखवी, अने १० आपणा जैन समुदायमां जेम बने तेम संप वधारवा प्रयास करवो. आ प्रमाणे ठराव पसार करावानी अने अमलमां मूकवानी आवश्यकता आ कॉन्फरन्स माने छे. आ योजनानुं समर्थन करवाने तेमणे आपेला भाषण (नि. ९) मां स्थळे स्थळे तेमनो कॉन्फरन्सना जनरल सेक्रेटरी तरीकेनो अनुभव अने दीर्घ दृष्टि नजरे पडतां हता. परदेश गमनना विकट सवालने पण एवी तो चालाकीथी सेमणे प्रसं. गमा लावीने पोतानो अंगत अभिप्राय दीव्यो हतो के श्रोताओ खुश खुश थइ गया हता अने बीजी कोमोनी हारमा रहेवा माटे परदेश गमननी आवश्यकतानी सज्जड छाप तेमना मन उपर बेसी गई लागती हती. मि. लख नसी हीरजी म्हैसरी B. A. L. L. B. मुंबईना वकील आठरावने टेको आपता स्वराज्य वहीवटनी म्युनीसीपालीटीनो दाखलो आपी कॉन्फरन्सना ठरावो अमलमां मूकवा माटे पगारदार नोकरो राखवानी जरूरियात बतावी बोल्या के, गये वरसे राय बहादुर बद्रिदासजीए पोतानी मुसाफरी दरम्यान चार आनानी सुकृत भंडारनी योजना अमलमां मूकावी हती. आपणे पोताने माटे ३६५ दिवस मच्या रहीए छीए. कोई एवो हशे के ३६४ दिवस मारा ने एक कॉन्फरन्सनो एम गणी पोतानी पेदाशनी मदद करे? एवी दरेक जण प्रतिज्ञा ले तो तेथी मोटो फायदो थाय. ( ताळीओ ). आप भाईओए ताळी पाडी तेथी मारी सूचना अमलमां मेलशो एम जाणी मने घणो आनंद थयो छे. आ योजना तमो तमारा संबंधमां आवनाराओने पण समन For Personal & Private Use Only Page #81 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १८ ) जावशो. आ एक दिवसनी पेदाशमांथी तमो शुं शुं उपार्जित करशो ते धारो. तेमां संघने ज़माडी शकाशे अने एकज माणसे कॉन्फरन्सने भेगु करेलं गणाशे. बीजं, ठरावो दरेक गाममा प्रस।ववा महेनत करवी. मिशनरीओ अत्रे अन्य देशमाथी आपणने वटलाववा माटे मोकलवामां आवे छे. तेम आपणे कोईने वटलावत्रानु नथी पण तेवा आपणा पेड मिशनरीओ देशो देशमा फरी ठरावो अमलमां लावे एवी इच्छा छे. उपदेशको टोकरसी नेणसी अने अमरचंद पी. परमारे अत्यारमधी सारूं काम बजावेलुं छे. आजथी ३६५ दिवस गणवा अने तेमांथी गमे ते एक दिवस पेदाशनो आपवो. आप अत्रे एकठा थया छो ते ठराव करी घेर जइ उंबवा नहीं पण अमल करवा. हुं पण ने न्यातीनो गृहस्थ छु, ते कच्छी दसा ओसवाल न्यातीए घणा ठरावो अमलमा मूक्या छे. पालीताणामां रु. १२५००० ना खर्चे बोर्डिंग स्कूल विगेरे स्थाप्यं छे. संसार सुधारा पण अमलमां मूक्या छे. दरेक ठराव अमलमां मूकवा सघळाए कोशिष करवी जोइए. डॉक्टर जमनादास प्रेमचंद L M.S. अमदावादनाए अनुमोदन आपतां आ ठरावना संप, अक्कल, धन अने व्यवस्था एवा चार विभाग करी दरेक बाबतपर पोताना भाषण (नि. १० ) मां घणु सरस विवेचन कर्यु हतुं अने चूला दीठ दरसाल रु. १ ) आपवा सूचना करी हती. मि. जगजीवन मूलजी बनीया B. A. B. Sc. जामनगरनाए पोतानी ते योजना प्रत्ये संमति दर्शाववा करेला भाषण (नि. ११) मां कॉन्फरन्सनुं काम संगीन करवाने मोटुं फंड, सारी व्यवस्था, डेलीगेटोए लेवो जोइतो श्रम, सारा वक्ता ओनी देशोदेशनी मसाफरी अने त्यां तेमणे आपवानां भाषणो, कॉन्फरन्स तरफन वर्तमानपत्र, हरीफाइना निबंधो विगेरे विपे सारा शब्दोमा इसारो को हतो अने मासिक रु. २०) उपरांतनी पेदाशवाचाए दरवर्षे रुपीये एक पै प्रमाणे कॉन्फरन्सना फंडमां आपवाथी धारेलां बधां कामो एकला धनाढ्यो उपर बोजो पड्या वगर थइ शकवानुं जणावी ऐक्यतानी जरूर उपर बहुज भार मूक्यो हतो. लाला माणेकचंद गुजरानवाला-पंजाबना अने वकील हरीलाल भाई सोजतना एमणे पोतानी अनुमति आप्याबाद प्रमुख साहवे सर्वनो मत लई ए योजनाने बहाल करी हती अने सभा फरीने बीजे दिवसे वपोरे एकत्र थवानो ठराव करी विसर्जन थई हती. For Personal & Private Use Only Page #82 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १९ ) Tr १८ भि. फतेहचंद कपूरचंद लालननुं " आपणो अभ्युदय केम थाय ? ए विषे मंडपमां रात्रे भाषण थयुं हतुं. प्रमुखस्थाने रा. रा. मि. लालनडे भाषण. ढढ्ढा विराज्या हता. बक्ताए जणां के, जेम सूर्योदय पहेला अरुणोदय थाय छे तेम कॉन्फरन्सनी ऋण बेठको उपरथी थोडा वखतमां आपणो अभ्युदय थवानी आशा रहे छे. आपणे जैन – जिवना पुत्रो छीए. जिननो अर्थ जितनार थाय छे. श्री आपणे जितनारा पुत्र गमाइए. बहारना विजय करता अंतरनो विजय करवो ए कठिन काम छे. राग द्वेषनो विजय करी जगतना जीवो मात्र उपर समभाव राखवाथी खरेखरो आंतरिक विजय थाय छे. गमे ते दर्शननो माणस मोक्ष पानी शंके छे एवो जैन धर्मनो उदार सिद्धांत छे. तेम छतां हालनी दुनियानी पोणा में अब्ज माणसनी वस्तीमा मात्र पंदर लाख जेटली जैनोनी नानी संख्या कम छे ! जवाब ए छे के, जैन धर्मनां तत्वो लोकोना जाणवामां नयी. ते थवा सारे देशावरोमा जैन मिशन मोकलवानी खास जरूर छे. हुं चार वरस अमेरिकामा रह्यो ते दरम्यान माराथी आपणां धर्मवां तत्व जाणी तेओ बहु अजायब थया हता अने आपणे माटे घणो उंचो मत दर्शविता हता. माटे खरेख़रा उदय समभावनी जरूर छे, अने ते माटे आत्मिक क्ळनी खास आवश्यक्ता छे. धनवळ, बाहुवळ, अने बुद्धिबळथी पण आत्मिकवळ उत्कृष्ट छे. धार्मिक केळवणीथी आत्मिकवळमां वचारो थाय छे. त्रिवर्गमां धर्मनी मुख्यता छतां आजकाल ते ऋन बदलाइने काम अने अर्थनी मुख्यता देखाय छे. तेने दूर करवा धार्मिक केळ - चणीनी खास जरूर छे. कर्म अथवा प्रारब्वी पाछा नहि हठवां तेना उपर पण विजय मेळवी जोइए. लोको कहे छे के, कर्म महाबळवान् छे पण जीव तेना करतांए बळवान् छे. बीजी गतियो करतां मनुष्य अवतार श्रेष्ठ छे, तेनुं कारण पण एजले के अहींथी जीव धर्म साधी मुक्ति सुत्री पहोंची शके छे. जो आपणे वीर भगवानना पगले चाली धार्मिक केळवणीनो प्रसार करीए तो आपणो अभ्युदय थाय एमां नवाइ नथी. आ वातनी लोकोना मनपर छाप बेसाडवा माटे तेमणे केलांक हृष्टांतो पण आयां हतां, छेवटे प्रदर्शनमां मूकेला हाथी अने आंधळाना चित्रमांनो उपदेश समजावी जैन फिलॉसॉफीमा नधानो समावेश थाय छे, माटे तेनो पूरतो उदय करवा अर्थ तेतो फैलाव करवानी आग्रह करी पोतानुं भाषण समाप्त कर्यु. हतुं. पछी प्रमुख साहेबे पुष्टिमा केटलुक विवेचन कर्याबाद सभा विसर्जन थइहती. For Personal & Private Use Only Page #83 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२०) श्रीजो दिवस ता. २९-११-०४. मांगलिक गीत. एक राग काफी-ताल दीपचंदी. विलंब क ल मात्रा १४. सिद्ध भये सब काज रे ! आज सफल घडी भयो. सिद्ध. चडते रंगे, अति उछरंगे, जीव दयादि काज, जैन मंडल करे, पुण्य भंडार भरे, तरे संसार अनावरे. आज दीन दुःखी जे जगमे प्राणी, जाणी सबको त्रास, खास विचार करे, घटमांही, पुरे मनकी आशरे. आज० पक्ष कदाग्रह दूर तजीने, जापो सब एक सार, निराशी निराधार जीवोमे, भेद न जाणे लगाररे. आज तप जप दानादिक जे किरिया, तब लग सफल न जाण, जब लग जीव दया नहीं घटमे वार वचन प्रमाणरे. आज १९ प्रमुख साहेब, मानवंत प्रतिनिधियो अने प्रेक्षको निमेले वखते स्वस्थाने चि राजतां श्रीजैन गायनशाळाना विद्यार्थी ओ वाजिंत्रनाद प्रमुख साहेब तरफना बे - साथे मांगलिक गीत गाइ रह्या पछी प्रमुख साहेच तर फयी नीचला बे ठरावो रज़ करवामां आया: ठरावो. आठमो ठराव. शत्रुजय तीर्थनी आशातना माटे दिलगीरी. आपणा पवित्र शत्रुजय तीर्थ उपर पालीताणाना ठाकोर साहवे जे महान् आशातना करेली छे ते माटे आ कॉन्फरन्स अत्यंत दिलगीर छ; अने ते संबंधां शेठ आणंदजी कल्याणजी तरफथी जे पगलां भरवामां आवे छे तेने आखा हिंदुस्थानना जैन वर्गना आगेवानोनी मळेली आ कॉन्फरन्स अतःकरणथी संमति आये छे. ठाकोर साहेब एक पछी एक अडचण उभी करे जाय छे, अने शेठ आणंदजी कल्याणजी तरफथी सुलेहशांति जाळक्वा माटे अनेक उपायो लेवामा आवे छे, छतां तेनुं परिणाम ठाकोरसाहेब तरफथी असंतोषमां लाववामां आछे. ते मारे आ कॉन्फरन्स पोतानो खेद प्रदर्शित करे छे, अने उमेद राखे छे के, For Personal & Private Use Only Page #84 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( २१ ) आपणी न्यायी ब्रिटिश सरकार तरफथी आपणने व्याजबी इनसाफ मळशे के जेथी आपणी तमाम अडचणो दूर थशे. नवमी ठराव. ज. सेक्रेटरीनी जग्या पूरवानी सत्ता. हालना चारे जनरल सेक्रेटरीओने हवे पछी कॉन्फरन्स मळे त्यां सुधीने माटे कायम राखेला छे, तेमांथी कोई पण कारणसर कोईनो गेरहाजरी थाय तो बाकीना सेक्रेटरीओने ते जग्या पूरवानी सत्ता आपवामां आवे छे. पहेलो ठराव सभाए उभा थंइने गंभीरताथी पसार करी तेनो अंग्रेजी अनुवाद नामदार मुंबई सरकारने मोकली आपवा माटे प्रमुख साहेबने अधिकार आप्यो अने बीजो ठराव पण सर्वानुमते मंजूर कय. २० त्यार पछी कॉन्फरन्सना जीर्ण मंदिरोद्धार खानाना जनरल सेक्रेटरी बाबु राम कुमारसिंघजीए नीचे लख्या प्रमाणे ठराव चैत्योद्धार विषे दरखास्त. रजु कर्यो : दसमो ठराव. जीर्ण चैत्योद्धार. संसारदावानळी तप्त धयेला जीवोने शांति आपनार बिश्वोपकारी तीर्थंकर महाराजानी चरण रजथी पवित्र थयेल अने तेमना अवदातीने याद लावनार तीर्थोनो तथा भव्य मंदिरोनो उद्धार करवा माटे तथा त्यां थती अशातनाओ दूर करवा माटे विशेष प्रकारे प्रयत्न करवानी जरूर आ कॉन्फरन्स स्वीकारे छे. आ ठरावनी पुष्टिमां राय कुमारसिंघजीए जणान्युं के, आ विषय घणो मोटो छे. जीर्णोद्धार करवानी आपणी पहेली फरज छे. मोक्ष माटे जिने - श्वर भगवाननां वचन अने तेमनी प्रतिमा ए बे आधार छे. एवी प्रतिमावाळां मंदिर For Personal & Private Use Only Page #85 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( २२ ) जीणें होय तो तेने समारवां जोइए. हिंदुस्थानमां ३० थी ३५ हजार जैन देरासरो हशे, छतां ते कायम राखवा माटे आपणे कई पण खर्च नहीं करीए ते केतुं कहेवाय ! प्राचीन चैत्य जोइने आपणा उपर तथा बीना लोको उपर घणी असर थाय छे. तेथी जीर्ण मंदिरोना समार कामनी जरूर छे. आपणे रहेवाना मकानने घणो खर्च करी शणगारीए अने ज्यां साक्षात् भगवान् बिराजे ते मकानने समारीए पण नहि ते शरम भरेलुं गणाय. नवां मंदिर करावया करतां प्राचीन मंदिर समराववामां बहु पुण्य छे. ज्यां जीर्ण मंदिरो होय त्यां दृष्टि पुगाडी तेनो उद्धार करवो ए आपणी पहेली फरज छ, बधां जैन मंदिरो समराववा पाछळ घणो मोटो खर्च करवानी जरूर छे. केटलांक जैन मंदिरोमां घणो खजानो छे, ज्यारे केटलाक मंदिरोमां पूजा पण थती नथी. तो जे मंदिरोमां घणो खजानो होय तेमांथी ते पाछळ खर्च करवो जोइए. ( ताळीओ ) जे ठेकाणे घणी प्रतिमाओ होय त्यांची बीजे ठेकाणे जरूर होय त्यां प्रतिमाओ पण मोकलवी जोइए. केटलेक ठेकाणे वधारे प्रतिमाओ होवाना कारणे पूजा विगेरेनी व्यवस्था बरोबर रही शकती नथी; छतां बीजा मागे छे तेमने आपता नथी एवं मारा समजवामां आव्युं छे. ते बरोबर नथी. हालमां कॉन्फरन्स तरफथी राजगृही, सोरीपुर अने वडगाममां जीर्णोद्धारनी शरुवात थई छे. पण राजगृहीमां धर्मशाळा खाते श्रीमंत गृहस्थोए सारी मदद करवी जोईए छे. तीर्थोद्धारनी पण घणी जरूर छे. मिथिला नगरीमां सीतामढीनुं तीर्थ विच्छेद थइ गयुं छे. तेना उद्धार माटे प्रथम तजवीज करवामां आवी हती; पण ते केलांक कारगोमर सकल थइ शकी नहोती. हालमां कॉन्फरन्स तरफथी महेनत थतां केटलीक जगो ए माटे मळी शकी छे, ते सांभळी आप खुशी थशो. ( ताळीओ ) एटलं का पछी जीर्णोद्धारना काममां मदद माटे पोताना उपर आवेला पत्रो अने पोते आपेलो जवाब वांची बतावी दरखास्त पसार करवा माटे विनंती करी. बाबु विजयसिंघजी अजीमगंज निवासी आ दरखास्तने टेको आपतां बोल्या के, आपणे सवारमां उठतां जेम रोटली खावानी जरूर विचारएि छीए ते For Personal & Private Use Only Page #86 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रमाणे देरासरोनो जीर्णोद्धार करवा तरफ लक्ष आपवानी जरूर छे. आपणा लोकोनी संभाळनी गेरहाजरीमा घणां तीर्थो खराब हालतमा आवी गया छे. तेने सारी स्थितिमा लाववां ए आपणुं कर्तव्य छे. मि. मोहनलाल पुंजाभाई मुंबनी मांगरोल जैन सभाना सेक्रेटरीए ते पछी जैन मंदिरनो अर्थ करी ते बंधाववामां रहेलो पारमार्थिक हेतु अने जीर्ण थवानां कारणो विषे विवेचन करी कॉन्फरन्से आ काम सत्वर केम हाथ धराय तेने माटे बनतुं करवानी जरूर छे, एम कही पोताचं भाषण ( नि. १२ ) समाप्त कर्यु. मि. फतेहचंद कपूरचंद लालन आ दरखास्तने अनुमोदन आपतां एवा मतलबर्नु बोल्या के, शास्त्रमा नवू देरुं बंधावया करतां जीर्णोद्धार कराववानुं पुण्य आठ गणुं बताव्युं छे. आ संसारनी ज्वाळामांथी बळतो जीव देरामां दर्शन करवा जाय छे त्यारे तेने शान्ति थवानी साथे तेनी वृत्ति पुण्य तथा मोक्ष तरफ विशेष जागृत थाय छे अने त्यांनुं वातावरण शुभ भावना युक्त बने छे. हवे एक देरूं एक वरस उपर बंधायलुं छे त्यां आज मुधीमा २००० लोक दर्शने गया हशे एम धारो, अने एक देरुं जेई के राणकपरनुं घणा वर्ष उपर बंधायलं छे त्यां केटला गया हशे तेनो विचार करो. राणकपुर जेवा देरामां आजसुधीमा लाखो माणसो दर्शने गयेलां हशे. तेथी त्यांनुं वातावरण वधारे शान्तिमय अने शुभ भावना युक्त होवं जोइए, अने तेथीज नवीन देरु बंधावीए तेना करतां त्यांना जूना मंदिरनो-तीर्थनो उद्धार करावीए तो आठ गणुं नहि पण तेथीए वधारे पुण्य बंधाय. एम आप मानशो. तेवो लाभ लेवा कदी चूकशो नहि. तीर्थ ए पी. ओ. कंपनीनी स्टीमर करतां पण वधु तारण करनारुं वहाण छे तेना उद्धार माटे चार के पांच लाख रुपिया खर्चवा ते वधु नथी. उपर प्रमाणे ए दरखास्त ने अनुमोदन मळवाथी सर्वनो मत लेई प्रमुख साहेवे ते संबंधी ठराव पसार को. - २१ आ प्रसंगे शा. कुंवरजी आणंदजीए जाहेर कयु के, आपणे अहीं रह्या रह्या कॉन्फरन्स तरफ लागणी बतावीए तेमां कंइ आफ्रिकाना डेलागोआबे- - थी कॉन्फरन्सने मदद. बि. नवाई नथी; पण बहु दूरना देशमां गयेला आपणा जैन बंधुओ अने तेमनी साथे रहेता बीनी कोमना गृहस्थो For Personal & Private Use Only Page #87 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२४ ) पण आपणी आ कॉन्फरन्स तरफ अंतःकरणथी दिलसोजी देखाडे छे ते जाणी आप खुशी थशो. ( ताळीओ) आफ्रिकाना डेलागोआबे खाते गयेला आपणा भाई ओ कॉन्फरन्सना कार्य प्रत्ये पोतानी पसंदगी मात्र शब्दमा दर्शावीने बेसी रह्या नथी. कॉन्फरन्से उघाडेला फंडमां ४५ पौंड ने ३ शिलिंग जेवी सारी रकम मोक ली आपी आपणने आभारी कर्या छे. एम कही त्यांची आवेलो पत्र नाणां भरनारनां बामासह वांची बताव्यो, मा एक नाम पारसीन अने एक मुसलमान हतुं ने सांभळी सभाजनोए घणी खुशी देखाडी हती. २२ शेठ अनुपचंद मलुकचंद भरुचनाए पछी धार्मिक दलीलोथी भरपुर भाषण (नि. १३) साथे प्राचीन पुस्तकोनो उद्धार क. पुस्तकाद्धार विषे दरखास्त. रवा बाबत नाचे प्रमाणे दरखास्त रजु करी:अगीआरमो ठराव. प्राचीन पुस्तकोडार. सर्वोत्कृष्ट श्रीजैन शासननो आधार पूर्वाचार्योए अथाग श्रम लेइ रचेला ग्रंथो उपर छे. हाल ते केटलो संख्यामा विद्यमान छ तेनी पण खबर नथी, अने घणाखरा ज्ञानभंडारोनी स्थिति तो खेद उपजावे तेवी थई गई छे. माटे हस्तलिखित ग्रंथो ज्यां ज्यां विद्यमान होय त्यांनी विगतवार टीप अने जीर्ण थई गयेला तथा दुर्मिल ग्रंथोनी नकलो करावी उद्धार करवानो प्रयत्न चालु राखवो जोइए; तथा ते जलदी शी रीते थई शके ने भविष्यमा तेमनु संरक्षण केवी रीते थाय ते माटेनी योजनाओ खोळी काढी अमलमा मूकवा आ कॉन्फरन्स आग्रह करे छे. उपला ठरावनी पुष्टिना भाषणमां सूत्रादि ग्रंथो केवी रीते कोना मटे रचाया, पुस्तकारूढ कोणे क्यारे कर्या, पुस्तकोथी शुं समजाय छे, पुस्तकोना रक्षण माटे कुमारपाळ राना प्रमुख केवी दृढताथी उद्यम कर्यो, आत्मान मुख्य गुण जे ज्ञान तेनुं आवरण क्षय थवानां साधनो शां छे विगेरे बाबतो सारी रीते दर्शावी हती; अने सूत्रो विगेरे पंचांगी जेनी ते भाषामां ने चरित्रादि ग्रंथोनाज भाषांतर छपाववानी सूचनापूर्वक पुस्तकोद्धारना काममा श्रीमंतोने धनथी अने बीजाओने शरीरथी मदद करवा आग्रह को हतो. छेवटे डेलीगेटोने पोताना तथा आसपासना गामना पुस्तकभंडारोनी टीपो करावी जनरल सेक्रेटरी उपर मोकली आपवा विनंती करी हती. For Personal & Private Use Only Page #88 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( २५ ) शा. अमरचंद घेला भाई भावनगरनाएं आ ठरावने अनुमोदन आपतां सूचव्युं के, ज्ञानपंचमी विगेरेना उजमणामां बीजी रीते हजारो रुपया खर्ची नाखीए छी ना करतां ज्ञान उद्धारमां खर्चीए तो ठीक. शा. रवजीभाई देवराज कोडाय ( कच्छ ) ना टेकामा बोल्या के, आपण पुस्तको बहार लाववा माटे पुस्तक प्रकाशक मंडळ जेवुं खातुं उभुं करबुं नोईए. जो सो सो रुपीया भरनारा १००० गृहस्थो उभा थाय तो जैन धर्मनां तमाम पुस्तकोनां भाषांतर छपावीने पुरां पाडी शकाय. मि. फतेहचंद कर्पूरचंद लालने जगान्युं के तीर्थो तथा देवालयो बधानो आधार भगवाननी वाणी उपर छे तेथी जैन मंदिरो करतां जैन ज्ञान मंदिरनी बारे जरुर छे. छेवढे रा. ढढ्ढाए जेसलमेरनो ज्ञान भंडार उघाडवा अने तेनी टीप तैयार कराववा माटे कॉन्फरन्स तरफथी करवामां आवेली तजवीज अने ते काममां तेमना भाई श्रीयुत लक्ष्मीचंदजी ढढाए लीवेला श्रमविषे इसारो करी कयुं के, जेसलमेर, पाटण, खंभात विगेरे स्थळोनां पुस्तको खवाई गयेलां छे तोपण तेओ जेटलां बच्यां छे तेटलां आपणे जाळवी राखवां जोईए. आ संबंधमां मुख्य मुश्केली ए छे के भंडार अमने खोली बतावता नथी. मुसलमानोना जुलमथी बीजां घणां स्थळोनां पुस्तको जेसलमेर मोकली देवामां आवेलां हतां, तेमने सातसें के आठसें वरसभी हवा के अजवाकुं मळ्युं नथी. तेमनी शी दशा थयेली हशे ? त्यांना बहारना तथा अंदरना बे भंडारोंपैकी बहारना भंडारमा ३५०० पुस्तको छे, जेमांथी १५०० पुस्तकोनी एक पंडित पासे अमे फेरस्ति करावी छे. पालनपुरना भंडारनुं लीस्ट पण अमने मळ्युं छे. ते प्रमाणे बीजा पुस्तक भंडारोवाळा करशे एवी आशा छे. आ दरखास्त सर्वनो मत लेतां पसार ई. २३ पछी प्रमुख साहेबे वे वधु ठरावो, के जेना संबंधां कार्यक्रममां मुकरर करेला वक्ताओने बखत आपवानी अनुकुळता नहोती अने बीजी कॉन्फरन्स वखते जदा जूदा वक्ताओ तरफथी घणुं कहवामां त्र्यं हतुं, ते ठरावो सभा आगळ मंजुर प्रमुख साहेब तरफथी बे वधु ठरावो. थवा माटे रजु करवामां आव्या. ४ For Personal & Private Use Only Page #89 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२६) बारमो ठराव. संधर्मीने आश्रय. मरणांते पण याचना नहि करनार श्रावक श्राविकाओ बाळबच्चा साथे कोह स्थळे सीजाय नहि अने दीनहीन हालतमां धर्मातर थतां अटके ते माटे मोटा पाया उपर फंड थवानी अने तेमने केवा प्रकारे आश्रय आपवाथी वधारे सारं परिणाम आवे तेनो विचार करवानी आ कॉन्फरन्स आवश्यकता स्वीकारे छे. तेरमो ठराव. जीव दया. " आहंसा परमो धर्मः " ए सिद्धांतनु सर्व लोको पालन करे, निरपराधी जीवोने अभयदान मळे, हिंसा ओछी थाय, अने, घातकीपणुं अटकी जनावरो सुखी थाय तेवी विविध योजनाओ शोधी काढी अमलमां मूकवानो आ कॉन्फरन्स सर्वने आग्रह करे छे. ए बे ठरावो तरफ सर्व सभा जनोए पोतानो हाथ उंचो करी संमति दर्शावी पसार कर्यो. २४ मि. दोलतचंद पुरुषोत्तम बरोडिया B. A. जुनागढ हाइस्कुलना __संस्कृत प्रोफेसरे बधं सर्वभक्षी अनद्यतन काळने आधीन प्राचीन शोधखोळ विष छे. माटे आपणी कोमनो अने गूजरात विगेरे देश नो दरखास्त. इतिहास जाळवी राखवा अने तेनापर विशेष अजवाळू पाडवा माटे प्राचीन शिला लेखो, पुस्तको, सिक्काओ, मकानो, ताम्रपत्रो विगैरेनी शोध करी तेमर्नु संरक्षण करवु अने तेनी असल जेवीज नकलो अने भाषांतरो तैयार करावी प्रसिद्धिमा मूकवां जोइए. ते काममां द्रव्यनी खास जरूर छे. श्री शत्रुजय, गिरिनार अने राणकपुर विगरेना लेखो मारी पासे भाषांतर साथे तैयार छे अने श्री आबुजीना शिला लेखो मेळववानी तजवीज जारी छे. तेमां लागता वळग. For Personal & Private Use Only Page #90 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( २७ ) ताए मदद करवानी महेरवानी करवी. ए विगेरे मतलबनू भाषण (नि. १४) करी नीचे लखेलो ठराव पसार करवा माटे सभामां रजु को: चौदमो ठराव. प्राचीन शोधखोळ. जैन धर्मनी कत्तिना आधार अने प्राचीनताना पुरावारूप तीर्थो, मंदिरो अने प्रतिमाजी उपरना लेखो विगेरे शोध खोळ थई प्रसिद्ध थवानी घणी जरूर छे. एथी अनेक अप्रसिद्ध उपयोगी हकीकतो उपर घणुं अजवाळु पडवानो संभव छे, एम आ. कॉन्फरन्स माने छे. मि. मनसुख कीरत्चंद महेता. B. A. मोरबीनाए आ ठरावने अनुमोदन आपतां घणी जाणवा योग्य माहितीथी भरपूर भाषण (नि. १५) कर्यु हतुं. तेमां प्राचीन शोध खोळनी शरुवात करवानं, तेम तेने हिंदमां थोडे घणे अंशे दाखल करवानुं मान यूरोपीयन पंडितोने, एश्याटिक सोसाइटीने तथा केटलाक हिंदु शोधकोने घटे छ, एम कही तेमनां नामो निर्दिष्ट कर्यां हतां. श्रीजैन लाक्षणिक प्रदर्शनमा मूकेला चार संजीविनी न्यायना दृष्टांतनी छबी तरफ ध्यान खेंची नव वर्ष उपर मरहुम डॉक्टर पीटरसने पुना डेकन कॉलेजमा पोताना विद्यार्थीओने भाषण रूपे कहेली ते संबंधी कथा संभळावी हती. अत्यार सुधीमां थयेली शोधो विषे इसारो करी जो पादशाह अकबर तथा जहांगीरना वखतमा मळेलां ताम्रपत्रो आगळ आव्यां न होत तो आपणा पवित्र तीर्थ श्रीसमेतशिखरजी पासे उघ. डेलं चरबीन कारखानं कदाच बंध न थात अने आपणो हक-दयामय हक्क डूबत, ए खास ध्यानपर आणी एवां ताम्रपत्रो, प्राचीन लेखो, शिलालेखो विगेरेनी शोध खोळ विशेष उपयोगी होवानु प्रतिपादन कर्यु हतुं. तेमन ते कार्य शी रीते सिद्धि पामे ते माटे चार उपायो सूचव्या हता, जेमा ए खाते पगारी नोकरो राखवा तथा लेक्चरशीपो स्थापवी एनो पण समावेश को हतो. बाद सर्वानुमते ए दरखास्त प्रसार करवामां आवी हती. २५ मि. भगुभाइ फतेहचंद कारभारी, अमदावादमां प्रसिद्ध थता असा जैन पत्रना मालिके ते पछी टुंकुं भाषण (नि. १६) करी जैन डीरेक्टरी विषे रखास्त. डीरेक्टरीनी आवश्यकता प्रतिपादन करी तेमां केवा प्रकारनी हकीकत दाखल करवी ते विष पोताना विचारो जणावी नीचे प्रमाणे ठराव प्रसार करवा सभाने विनंती करी हती: For Personal & Private Use Only Page #91 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( २८ ) पंदरमो ठराव. डीरेक्टरी. आपणी हरेक प्रकारनी स्थितिनो ख्याल आववा सारु आपणां तीर्थो, मंदिरो, प्रतिमाओ, ज्ञान भंडारो, ग्रंथो, पाठशाळाओ, पुस्तकालयो, सभाओ ( मंडळो ), साधु, साध्वी, श्रावक, अने श्राविकानी संख्या विगेरे बाबतनी एक डीरेक्टरीरूपे वखतो वखत नोंध थवानी आ कॉन्फरन्स घणीज जरूरियात धारे छे. मि. जीवराज ओधवजी दोशी B. A. भावनगरना आ दरखास्तनी पुष्टिमां भाषण (नि. १७ ) करतां बोल्या के, संसार अने धर्म संबंधी चोकंस वर्तमान स्थिति जाण्या शिवाय उन्नतिनां साधन योजवा तत्पर थवुं ते वालुका - रेतीना पाया उपर 1. इमारत चणवा जेवुं छे. माटे आपणी आर्थिक, सांसारिक अने धार्मिक स्थितिना यथावस्थित बोधने अर्थे जैन डीरेक्टरीनी खास आवश्यकता छे. ए विगेरे कही ते माना आसन हेतु साथै सूचव्या हतां. पछी सर्वनो मत लेइ ते ठराव मान्य राखवामां आव्यो हतो. २६ श्रीमंत महाराजा साहेब सुमारे त्रण वागे पोताना युवराज श्री. महाराज साहेब अने साथ कॉन्फरन्समां थतां भाषणो सांभळवा पधार्या ते युवराजनुं आगमन. सभाजनोए हर्षनादथी वधावी लीधा हता. २७ रा. रा. ढढ्ढाए ते पछी पोतानी मनोरंजक वाणीमां जणाव्यं के, आपणे जैनो होवाथी आपणो संसार जैन शासननां फरमान वजनाप्रमाणेज चलाववो जोइए, अन्य दर्शनी ओना सहवासथी जैन धर्म विरुद्धना बणा कुचालो आपणामां पेसी गया छे, ते दूर करवानी जरूर छे. शास्त्रमां जोवन वय थाय त्यारे परष्णाववानुं लखेलुं छे ते विरुद्ध केटलेक ठेकाणे बाळलग्न थाय छे. तेथी घणुं खराब परिणाम आवे छे. ब्रह्मचर्यने हानि पहोंचे छे. प्रजा नबळी थाय छे. श्रीमंत महाराजा साहेबे ए संबंधमां कायदो करी पोतानी प्रजा उपर महड् उपकार कर्यो छे. वृद्ध विवाह निंद्य छे, ते घणे भागे संतान माटे थयेलो जोवामां आवे छे. तेवी वर्षे कन्या मेळवावा पैसानी लालच अपाय छे, जेथी कन्याविकयने पण घणुं उत्तेजन मळे छे. मरण पाछळ हानिकारक त्याग विषे भलामण. For Personal & Private Use Only Page #92 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( २९ ) रडवा कूटवाथी आर्तध्यान थाय छे, अने तेना परिणामे नरकादि दुर्गति प्राप्त थाय छे. मरण पाछळ जमवायूँ तो तद्दन धर्म विरुद्ध छे. लग्नविधि आपणामां मोजुद छतां हजु घणा भाईओ अन्य धर्मनी विधि प्रमाणे लग्न करे छे. तेम थवाथी परणेलां वरवधु जैन धर्मनो महिमा अने जैन शास्त्र प्रमाणे एक बीजा प्रत्येनी फरज समजी शकतां नथी. तेथी करीने पतिपत्नीमां अणबनाव थवाना केटलाक प्रसंग नजरे पडे छे. जो स्वधर्मने मान आपी दरेक जैन बंधु दृढ निश्चय करे तो बीजानी देखादेखी आपणामां जे जे बदीओ घुसी गई छे ते जलदी नाबुद थई जवानी आशा राखी शकाय. ए विगेरे आशयन घj असरकारक भाषण करी नीचे प्रमाणे ठराव पसार करवा सभाने भलामण करी हती. सोळमो ठराव. हानिकारक रीवाजोनो त्याग. सम्यक्त्वने दूषित करनारा अने कोमने अवनतिए लेइ जनारा बाळ लग्न,वृद्ध विवाह, कन्याविक्रय, मरण प्रसंगे जमणवार, मरण पाछळ रडवू कूटवू, फरजीयात खोटा खर्च, अने जैन धर्म विरुद्ध विवाह ( लग्न ) विधि विगेरेनुं सेवन, इत्यादि रीवाजो पैकी ज्यां ज्यां जे जे हानिकारक रीवाजो चालु होय त्यां ते बंध अथवा कमी करवानी आ कॉन्फरन्स मजबूत भलामण करे छे. प्रो. नथुभाई मंछाचंद, जाणीता जैन जादुगर, आ विषयनी पुष्टिमां पाषाण हृदयने पण पीगळावे तेवां वागवाणो फेंकतां बोल्या के, आपणे जीवदया प्रतिपाळ जैनोए बाळलग्नमां सपडातां कमळां बच्चों तरफ अने कन्याविक्रयने भोग पडती गाय जेवी निदोष बाळकीओ तरफ दयानी नजरथी निहाळवू जोईए. बुढो काले तो मरवानो होय तेने मात्र पैसानी खातर थोडो काळ चालोचुडो भोगववाने नानी बाळकी आपवी ते बीजं कंइ नहि पण घातकीपणं छे. काठीयावाडमां अने वीजा भागोमां आपणा केटलाक जैनो कन्याविक्रयनो माठो धंधो धमधोकारे चलावे छे ते तेमनी गरीबाईन सूचन करे छे. माटे तेवा गरीब जैनोने विद्या हुन्नरमां. कामे लगाडवानी जरूर छे. सगां वहालांना मरणथी स्वाभाविक लागणीने लइने अश्रुपात थाय; पण रागडा काढी भररस्ते निर्लजपणे छाती उघाडी मूकी रानीया गावा ने दछळी उछळी धबाधव कुटवू ए फारस नहि तो शुं ? एक माणस गुजरी जतां तेनी For Personal & Private Use Only Page #93 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ३० ) पाछळ तेना आखा कुटुंबनो मरो थाय छे. मरनारनी स्त्री एकनी एक अने तेनी साथे कूटनारां अनेक, तेथी एना धंधानो, सुखनो अने शरीरनो नाश थाय छे. एक तरफ रडवू अने बीजी तरफ लाडवा उछाळवा ए शरम भरेलु. छे माटे बीजा सुधारा करतां पहेलां आवी बाबतमां-आपणा संसारमा आग्रहपूर्वक सुधारो करवो जोईए. मि. फतेहचंद कपूरचंद लालने, त्यारबाद एक सद्वक्ताने छाजे तेवी रमुनी रीते, आपणने रीवाजनी जरूर छे तेनी ना पाडी शकाय नहीं. मात्र खोटा रीवाजो दूर करवा जोईए. एक रीवाज-नियमथी बागमां वहेतुं पाणी वृक्षोने प्रफुल्लित करे छे त्यारे वगर नियमे वहेतुं पाणी घणा प्रकारे नुकसान करे छे. बाळलग्न ते ललन नथी केमके लग्न क्रियामां वरवहुनी संमति लेवाय छे. ते नानां बाळकोमा संभवेज केम ? विगेरे विवेचन कर्यु हतुं. . आ त्रणे वक्ताओनी वाणीमां ते वखते एवो तो रस प्रवाह छूट्यो हतो के जेनो आस्वाद लेतां श्रीमंत महाराजा साहेब जेवा विद्वान् नृपति अने बीजा श्रोताओ साथे रिपोर्टरोनां चित्त पण तेमना तरफ आकर्षा३ तेमनी कलम पण अटकी गइ हती, जेने लीधे उपर जणावेला तेमना सुभाषितना सार मात्रथी संतोष मानवो पडे छे. श्रीमंत युवराज फतेहसिंहराव महाराज आ प्रसंगनो लाम लड़ हिंदना एक महान् सवाल-संसार सुधारा विषे अने तेनी साथे संबंध करता केळवणीना सवाल विषे पोताना विचारो स्वतंत्रपणे जणाववा माटे समाजनोना हर्षनाद बच्चे उभा थया हता. तेमणे दीलगीरी साथे जणाव्युं के, हिंदी युनिवर्सिटीभोमां ( विद्यामंदिरोमां ) मात्र Theoratical-दरेक बाबतना नियमोनी मुख पाठथी केळवणी अपाय छे, पण Practical-व्यवहार ( अनुभव ) मां उपयोगी थइ पडे देवी केळवणी घणी ओछी आपवामां आवे छे. केळवणी प्राप्त कर्या पछी संसार सभारानु पहेलं पगथी\ आपणी स्त्रीओने छूट आपवानुं छे. स्त्रीओने मोइती छूट आपो, अने तेओनेन तेमने पोताने माटे विचार करवा द्यो. हिंदमां सामान्य रीते अनीति वधी गइ छ, एटलुन नहि पण सांसारिक स्थिति पण बगडी गइ छे. बाळलग्नना सवाले अमारा राज्यनी प्रनामां घणी जोस भेर चर्चा चलावी मूकी छ. लग्न योग्य वये थवाने बदले कन्या पारणामां होय अने छोकरो दशगणो मोटो होय तेमनां लग्न थाय, तथा तेधी उलटीज रीते लग्न थाय ते सामे मारो घणोज सख्त वांधो छे. जूदा अदा धर्मो अने जातो वच्चे चालती अदेखाई दूर करवी जोइए. मारो मोटामां मोटो For Personal & Private Use Only Page #94 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (३१) हेतु सर्वने धर्मनु छूटापणु आपवा संबंधे छे, अने दरेक न्यातना अथवा पंचना लोकोए एक बीना साथे जोडाइ जवू जोइए. हुं आशा राखू छु के बीजी कोमो, जन अने आगळ वधेली बीजी ज्ञातोनो दाखलो लई, तेमनी पूठे चालशे अने प्रथम वडोदरा राज्यमां अने पछी आखा हिंदमां ऐक्यता फेलाशे. ( ताळीओ ) ते पछी आपणे हिंदना खरा मित्रो तरीके भविष्यमां वधु सुधारा वधारा करवानी धारणा राखीशं. एवा मतलबनुं अंग्रेजीमा छटादार भाषण करी छेवटे बोल्या के, I am glad to say that you at least the Gujaratis have been following the right path. For Gujarath, we may fairly claim, I think, leads India in intelligence, enlightenments and education. In short, I hope, we shall have the pleasure of seeing many Conferences like this at Baroda, and that each Conference, will be able to place on record that it has cleared up some difficulty and cleared the way a little for future progress. In conclusion, I may add one word more. I may seem partial only to the Gujaratis, but I cannot lielp sympathizing with their religious and social movements as I am proud to say, I am also a Gujarati and also my family who are ruling over them, will not be ashamed to call themselves Gujaratis too. ___" आ एक मने आनंदनी वात छे के तमे गुजरातीओ सीधे रस्ते चडी गया छो. मारा विचार प्रमाणे सफाइभेर हक करी आपणे कही शकीए के बुद्धि, प्रबोध अने केलवणीनी बाबतमां गुजरात आखा हिंदुस्तानने दोरे छे. टुंकामां मने आशा छे के वडोदरामां आजना जेवी घणी कोन्फरन्सो जोइ शकीशुं, तेम दरेक कोन्फरन्से कंइ कंइ मुश्केली दूर कर्यानी अने भविष्यना सुधारा वधाराना रस्ता कर्यानी पोताने दफतरे नोंध लीधार्नु पण जोइ शकीगुं. छेवटे एक वधु शब्द बोलीश. गुजरातीओ तरफ हुं पक्षपात करतो देखाइश, पण तेमनी धार्मिक, अने सांसारिक हीलचालो प्रत्ये हुं दिलसोजी धरावं नही, एम तो बनेज नहीं. कारण के, मगरुबी साथे हुं कहुं हुं के हुं पण एक गुजराती छु अने मारुं कुटुंब के जे तेमना उपर अमल चलावे छे ते पण कहेतां शरमाशे नहीं के तेओ पोते पण गुजराती छे. " ( ताळीओ) For Personal & Private Use Only Page #95 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ३२ ) श्रीमंत युवराज महाराजनुं भाषण पुरुं थतां तेमनो उपकार मानवामां आव्यो हतो अने सोळमा ठरावना संबंधमां मत लेईने ते पसार थयेलो जाहेर करवामां आव्यो हतो. २८ त्यारबाद प्रमुख साहेबनी परवानगीथी श्रीमंत महाराजा साहेब आदिनो आभार मानवा बाबत जूदी जूदी दरखास्तो रजु करवामां आवी हती, अने ते सर्वानुमते पसार करवामां कीरकोळ दरखास्तो. भावी हती. शा. कुंवरजी आनंदजीए जाहेर कर्यं के, श्रीमंत सरकार सयाजीराव बहादुर तथा बीजा जे जे राजा महाराजाओ अने सद्गृहस्थी जीव हिंसा अटकाववाना काममां मदद करे छे अने पोताना राज्यमां चालती हिंसा जेओए अटकावी छे तेमनो आ कॉन्फरन्स आभार माने छे अने बीजाओ तेमनुं अनुकरण करे एम ईच्छे छे. लाला माणेकचंदजीए सदर दरखास्तने समर्थन करतां समाने अपूर्व विनोद पमाडी कह्युं के, श्रीमंत महाराजाहेबनी कीर्ति हुं पंजाब सुधी गाईश. आपणा काममां तेमना जेवा महाराजाओ हमेश मळता रहो एम इच्छु कुं. रा. रा. माणेकलाल घेला भाईए जणान्युं के, श्रीमंत महाराजा साहेबे तथा श्रीमंत युवराजे कॉन्फरन्समां पधारीने तथा बीजी रीते घणी मदद करी छे तेथी तेमनो तथा जे अधिकारी साहेबोए कॉन्फरन्सना काममां मदद करी छे तेमनो तथा कॉन्फरन्सनो हेवाल प्रकट करी मदद आपचा माटे सयाजीविजय, जैन, मुंबइ समाचार अने बीजा पत्रोनो आ कॉन्फरन्स खास उपकार माने छे. रा. रा. कल्याणभाई अमीचंद झवेरी, रीसेप्शन कमीटीना जनरल सुपरीटेन्डेन्ट एमणे आ दरखास्तने टेको आप्यो हतो. रा. रा. माणेकलाल अंबाराम डॉक्टर, श्रीसयाजी विजय पचना अधिपती तेनो जवाब वळतां बोल्या के, मारा पत्रना तेमज मारा भाइबंध पत्रोना मनायला उपकार माटे अमो खास आभारी छीए. वर्तमानपत्रोनी आ. खास फरज छे अने ते अमे तेमज बीजा पत्रकारो जूदी जूदी कोमनी अने जूदी जूदी बाबतोनी For Personal & Private Use Only Page #96 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ३३ ) प्रसंगोपात हीलचालोने उपाडी लइ बजावीए छीए, तेथी आ मान गुजरात काठीयावाडना सर्व वर्तमानपत्रोने सर छे. आ तरफना वर्तमानपत्रोनी स्थीति हनी पछात छ तेम तेनी हजु लोकोने खरी किंमत अने रहस्य जणायुं नथी. एमां दोष कदाच अमे अमारी अगत्य समजावी शकता नहीं होय ए होय, तेम तमो हजु अमो तरफ दृष्टि अने कदर पुरती नथी करता तेथी पण होय; पण वखतना वधवा साथे तमो व. धशो तेम अमो पण आगळ वधीशं तो भविष्यमा युरोपनी पेठे अहींना वर्तमानपत्रो राजा प्रजानी वच्चे लाभकारी अने एक सत्ता ( Power ) जेवां थशे. मारा पत्रनो मनायेलो उपकार खरूं जोतां श्री. महाराजा साहेबनेज घटे छे, कारण के, आ तरफनां कोइ पण देशी राज्यो पोतानी हदमां वर्तमानपत्र काढवा देता नथी. तो अहीं मारुं प्रेस-पेपर तमारी सेवा बजावी शक्यु, तेनुं मान श्रीमंतनेन छ. ( ताळीओ ] अमारा राज्य पिताना हुं वखाण करूं, ते कदाच अयोग्य गणाय, पण मारे कहे जोईए के, अमारा महाराजा अमोने, अमारा राज्यने अने दरेक कोमने दरेक बाबतमा आगळ वधारवा घणीन लागणी अने काळजी राखे छे, ते जोता हुं कही शकुंछ के, शिवाजी न होत तो सुनत होत सबकी. सयाजी न होत तो उन्नत न होत हिंदकी. (ताीओ ) अमारा महाराजा साहेब जे काम उपाडे, तेमां मदद करवानी अमारी फरजें छे. स्वार्थ दरेकने छे तेम मारुं योग्य हिताहित संभाळीने मारा जीवन अने वखतनो बने तेटलो लाभ आ राज्यनी प्रनाना हित माटे या तेवी धारणाथी श्रीमंते उपाडेला काममा हुं खुशीथी आपीश. [ ताळीओ ] केमके मारा वतन सुरतथी विद्यार्थी तरीके आव्या बाद वडोदरावडेज मारी जींदगी हालना रूपमा छे. मोहमेदन कॉन्फरन्स पण वहेली मोडी अहीं आववा संभव छे तो ते वेळा तेमज बीजा धर्मनी कोमोने पण आपणे समान गणी मदद करवी ए फरज छे अने हुँ खुशीथी ते रस्तो शरु करीश. ( ताळीओ ) __ शेठ. लाल भाई दलपतभाईए, कॉन्फरन्त माहेनी ब्रिटिश रैयत तरीके, रोशन कर्यु के, For Personal & Private Use Only Page #97 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (३४) श्रीमंत महाराज साहेबे कॉन्फरन्सने मदद आपी ते माटे तेमनो अने अहीं करवामां आवेला पुष्कळ खर्च तथा प्रयास माटे श्री वडोदराना संघनो, रिसेप्शन कमीटीनों अने निरंतर खडा ने खडा रहेला विनयी वॉलंटीयरोनो आ कॉन्फरन्स आभार मागे छे. २९ श्री वडोदराना संघ तरफथी त्यारबाद प्रतिनिधियोनो आभार मानी .. सेवा भाक्तिमा रहेली खामी माटे क्षमा मागवामां आवी वडोदरामा संघे मागेली क्षमा अने प्रमुख साहेब तर- हती अने प्रमुख साहेब राय बहादर बुधसिंघजी फथी भेट. तरफथी कॉन्फरन्स हस्तकना फंडमां रु. ५००० नी भेट माहेर करवामां आवी, जे खुशालीना अवाजो साथ वधावी लेवामां आवी हती. ___३० अमदावादना नगरशेठ चीमनभाइ लालभाइए ते . __पछी प्रमुख साहेबनो उपकार मानवा नीचली दरखास्त प्रमुख साहेवनो उपकार. " रजु करी:रायबहादुर बुधसिंघजिए कॉन्फरन्सनुं प्रमुख स्थान स्वीकारी पोतानी वृद्ध उमरे दूरने पल्लेथी पधारवानो परिश्रम उठाव्यो अने कॉन्फरन्स कार्य पार उतारवामां पोताना बहोळा अनुभवनो तथा द्रव्यनो लाभ आप्यो, ते माटे आ कॉन्फरन्स तेमनो खरा अंतःकरणथी आभार माने छे अने इच्छे छे के, एमना हाथे आवां अनेक शुभ कार्यो थाओ! शेठ जेसंगभाई हठीसंघे, प्रमुख साहेबनां धर्म कृत्योर्नु टुंकामा विवेवेचन करी सदर दरखास्तने टेको आप्या बाद सभाजनोए ते जयनाद साथे पसार करी हती. ३१ प्रमुख साहेबे त्यारवाद सभान कार्य समाप्त थयेलु जणाववा सूचना समाप्ति. करी ते उपरथी रा. रा. ढदा बोल्या के, मने आशा छे के अत्रे तमे जे वातो ग्रहण करी छे, ते कॉन्फरन्समां मेली चाल्या जशो नहीं. पण तमारा पोताना गामामां के शहेरोमां सभाओ करी, कॉन्फरन्सना ठरावो बधाने संभळावी ते ठरावोनो अमल थाय, एवी कोशिष करशो. हवे पछी कॉन्फरन्स भराय त्यां आवी रीते तमे पधारशो तथा कॉन्फरन्स लरफथी बहार पडवाना पत्रमा लखाणो मोकलता रहेशो, एवी पण For Personal & Private Use Only Page #98 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ३५ ) हुँ आशा राखु छु. तमे आटली महेनत लेई जूदे जूदे स्थळेथी अत्रे पधार्या, ते माटे तमारो बधानो आभार मानुं छु. श्रीमंत महाराजा साहेब आदि राज्यमंडलने प्रमुख साहेबना हाथे अने प्रमुख साहेबने स्वागत मंडळना प्रमुख रा. रा. फतेहभाई अमीचंद झवेरीना हाथे हारकलगीओनो सत्कार थया बाद वाजिंत्रना नाद साथे सलामी गवातां कॉन्फरन्स बरखास्त थई हती. सलामी. राग शंकराभरण-ताल तिश्रजाति जाति एकताल मध्यकाल मात्रा ३. सकल गुणनो निधान श्रीवीर जिनजी है. निशदिन सब संघ उनकी कृपासे आनंद मंगल पावतेज है. For Personal & Private Use Only Page #99 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ३६ ) आनुषंगिक हेवाल. ३२ वडोदराना नगरशेड हरिभक्ति तरफथी ता. २९-११-२४ मंगळवारी रात्रे कॉन्फरन्सना मंडपमां प्रमुख साहेब, जनरल सेक्रेटरीओ अने डेलीगेटो विगेरेना मानमां पानसोपारीनो मेळावडो करवामां आव्यो हतो. तेमां रिसे नगरशेठ तरफथी पानसोमारीनो मेळावडो. प्रशन कमीटीना सभासदाने पण आमंत्रत्रामां आव्या हता. रा. बा. हरगोविंददास कांटावाळाए नगरशेठ साहेब तरफथी शरुआतमां जणाव्युं के, आ कॉन्फरन्सथी जैनो एकलानेज नहीं, पण बीज़ी कोमो मनुं अनुकरण करशे तेटले दरजे तेमने पण लाभ थयो छे. कॉन्फरन्समा भारे खर्च कर्युं छे तेनो बदलो ठरावो अमलमां मूकी वाळवो जोइए. नीति अने धर्मनी केळवणी आपवानो विचार सारो छे. वाणिया वेपार करवा प्रदेश जता नथी तेथी तेमनो वेपार कमी थई गयो छे ए खोटुं नथी. माटे वेपार वधारी हुन्नरशाळाओ काढी आपणी स्थिति सुधारवी जोइए. अने देशी मालने नभावी लई उत्तेजन आपवुं जोइए. हुं इच्छं छं के, जैन कॉन्फरन्स आम दर वर्ष भराती रहे. रा. रा. माणेकलाल अंबाराम डॉक्टर बोल्या के, जैन कॉन्फरन्सनो आ शहेरने लाभ आपी अत्रेना जैन संत्रे प्रजा उपर मोटो उपकार कर्यों छे. कॉन्फरन्से अमारामां घणो उत्साह प्रेय छे. अमदावादमां वैश्य सभा स्थपाई छे ते आ कॉन्फरन्सना उत्साहथी प्रेराइने आवी कॉन्फरन्सो भरवाने उत्तेजाय अने आखरे धर्मनो सवाल बाद करी सांसारिक बाबतोमां एकत्र थई सुधारा करे एवं हुं इच्छु छु. श्रीमंत महाराजा साहेब अमने आगळ वधारवा प्रयास करे छे तेमां आ कॉन्फरन्सथी मळेला उत्साह साथ संपनी सुगंधी फेलाई सुखरूप कार्यों हाथ घरवामां आवे एवी हुं आशा राखुं छु. परीख जीवणलाल भगवानदास, (जोगीदास मोरारजी वाळा ) बोल्या के, परमात्मानी परम कृपाथी आ जैन कॉन्फरन्सनो त्रीजा वर्षनो महोत्सव आप सर्वनी तथा श्रीमंत महाराजा साहेबनी संपूर्ण मददवडे फतेह मंद नीवड्यो छे, के जेने माटे अत्रेना कारोबारीओ विगेरे तेमना उत्साह अने जात महेनत माटे खरेखर बना पात्र छे. आ शुभ प्रसंगे विविध प्रकारनी धर्म अने For Personal & Private Use Only Page #100 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ३७ ) व्यवहार संबंधी आपनी सन्मुख रजु थयेली हकीकत आपे संपूर्ण धैर्य अने लक्षपूर्वक सांभळवा तस्दी लीधी ए खुशी थवा योग्य छे. हं आशा राखं छं के, तेवीज रीते वडोदरामां स्थपायेली हिंद निराश्रित बाळरक्षकाधमनी हकीकत जे आपना आगळ रजु करवामां आवी छे ते तरफ लक्ष आपशो. . रा. रा. माणेकलाल घेलाभाईए जणाव्युं के, आ कॉन्फरन्सने महाजनना गृहस्थोए घणी मदद आपी छे. कॉन्फरन्सने सामान वेचवामां नफो लेवानी लालच राखी नथी. आजे नगरशेठ साहेबे तथा रा. बा. कांटावाळाए आपणने जे मान आप्यु छे ते माटे तेमने धन्यवाद घटे छे. रा. रा. ढढा वडोदराना महाजननो उपकार मानी बोल्या के, नगरशेठ हरिभक्तिए आपणने आ मेळावडो करी जे मान आप्युं छे ते जैन अने वैष्णवो वच्चे ऐक्यता थवानी निशानी रूप छे. ___ पछी हार कलगी अत्तर गुलाब पानसोपारी अपाया बाद मेळावडो विसर्जन थयो हतो. ___३३ मि. गुलाबचंदजी ढढ़ाना प्रमुखपणा नीचे त्यारबाद जैन ग्रेज्यु. जैन श्वेतांबर ग्रेज्यएट एटोनुं मंडळ एकत्र मळ्युं हतुं. तेमां नीचे लखेला ठरावो एसोशीएशननी स्थापना. पसार करवामां आव्या हताः-- १ हिंदना सघळा श्वेतांबर जैन ग्रेज्युएटोनुं एक मंडळ कॉन्फरन्सना संबंधमां उभुं करी तेनुं नाम " जैन श्वेतांबर ग्रेज्युएट्स एसोशाएशन' राखवामां आवे छे तेना प्रमुख तरीके मि. गुलाबचंदजी ढढ्ढा M. A., उपप्रमुख डॉ. बाळाभाई मगनलाल L. M. & S. अने सेक्रटरी मि. मोतीचंद गीरधरलाल कापडीया B. A. L. L. B ने - निमवामां आव्या छे. - २ कॉन्फरन्सना हेतुओ पार पाडवा माटे दरेके प्रयत्न करवो. ३ कॉन्फरन्स तरफथी मि. ढहाना तंत्रीपणा नीचे नीकळनार मेगेझीन (मासिक ) मां दरेके धार्मिक तेमज सामाजिक विषयो लखवा. . ४ पांच वर्ष तथा ते उपरनी मुदतना ग्रेज्युपटोए कॉन्फरन्सना निभाव माटे वार्षिक लवाजम रु. ४ आप. For Personal & Private Use Only Page #101 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ३८ ) ५ पांच वर्षनी मुदतनी अंदरना ग्रेज्युएटोए वार्षिक लवाजम रु. २१ आपकुं. ६ एसोशिएशनना दरेक सभासदने कॉन्फरन्स तरफनुं मासिक वगर लवाजमे मोकलवा कॉन्फरन्सनाज सेक्रेटरीने विनंती करवी. ७ आ ग्रेज्युएट मंडळमां बारीस्टरो, हाइकोर्ट प्लीडरो अने डीस्ट्रीक्ट लीडरोने पण दाखल करवा. उपर प्रमाणे ठरावो पसार कर्या बाद प्रमुखनो उपकार मानी मिटिंग बर - खास्त थई हती. ३४ परम पूज्य आचार्य श्री १०८ श्री कमल विजय सूरि महाराज ता. ३० -११-०४ नी सवारे कॉन्फरन्सना मंडपमा व्याख्यान वांचवाना छे, एवी आगला दिवसनी कॉन्फरन्सनी बेठकमां जाहेरात आपवामां आवी हती ते उपरथी शहेरनुं अने प्रमुख साहेब विगेरे बहारथी पधारेलुं सर्व जैनमंडल त्यां सवारमां एकत्र थयुं हतुं. आचार्य महाराजे प्रसंगने अनुसरतो उपदेश घणीज असरकारक रीते आपी जीव दयाना विषयने वधारे पुष्टि आपी हती. आचार्य श्रीकमल विजय सूरिनुं व्याख्यान. पछी प्रमुख साहेबे, बीना केटलाक भाईओ साथे, चतुर्थ व्रत - ब्रह्मचर्य अंगीकार कर्यु हतुं; अने कॉन्फरन्स हस्तकना फंडमां केटलाक भाईओ तरफथी सारी रकम भरवामां आवी हती. सुनि श्री विनय विजयजीए पछी संसारनी मोहमाया उपर भाषण कर्यु हतुं, जे सांभळी सभाजनो प्रमुख साहेब तरफनी प्रभावना लेई विद्वाय थया हता. ३५ मि. बाळ गंगाधर टिळक पुनाना जाणीता हिंदु विद्वान्, एमनुं ते रात्रे कॉन्फरन्स मंडपमां भाषण अपाववानी योजना करी हती, ने लोकोने ते विषे अगाउथी खबर आपी हती तेथी मि. टिळकनुं भाषण. जैन भाई ओनी साथै अन्य दर्शनी गूजराती दक्षिणी लोको पण मोटी संख्यामां एकत्र थया For Personal & Private Use Only Page #102 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ३९ ) हता. बेसवानी जग्यो नहि मळवाथी घणा लोको एकेक खुरशी उपर बने ए रीते बेसी गया हता. सभानुं प्रमुखस्थान बाबु साहेब विजय सिंघजीने आपवमा आव्युं हतुं, जे तेमणे लीधा बाद मि. टिळक मधुर अने सर्वश्राव्य वाणीमा बोल्या के, सभ्यगृहस्थो ! आप सर्वने विदित हशे के, आपनी आगल भाषण आपनार हुं जैन धर्मी नथी. हुं ब्राह्मण छु अने तेथी ब्राह्मणधर्म पाकुं छं. छतां जैन धर्म उपर विवेचन करवानुं जे मने कहेवामां आव्युं छे ते माटे हुं आपसाहेबनो आभारी हूं. गुजराती भगर हिंदुस्थानी भाषामां मने बोलवानो परिचय नहि होवाथी में मराठीमां अगर अंग्रेजीमा बोलवा दुरस्त धार्युं हतुं; पण घणा लोको अंग्रेजी नहि समजवाथी हुं मारुं भाषण मराठी भाषामा आपवा धारुं लुं. तेम छतां पण मराठी नहि समजनार मने क्षमा बक्षशे. आजे जैन धर्म विषे हुं जे बाबत बोलवा मागुं हुं ते संबंधी माहिती में जैन धर्मना इतिहास तथा बीजां पुस्तको उपरथी अने मुंबइमाना मारा जैन मिबोना सहवासथी मेळवी छे. तेमां कंइ नवीन जेवुं नथी. तेम वळी आजे हुं कइ पण जैन धर्म विरुद्ध बोलवा मागतो नथी. जे कहेवानुं छे ते जैन धर्मने अनुकुकज छे. जैन धर्मना अन्य धर्म साथेना संबंध " विषे हुं तमने कहेवा मागुं छु. 66 जैनो हिंदुथी जूदा नथी. हुं समनुं छं के जैनो हिंदुश्री जूदा नथी. केटलाक एवो भेद पाडवा मागे छे. पण ते भेद कई ख्रिस्ती अने हिंदु धर्म वच्चेना भेद जेवो नथी. जैनो अने हिंदु एक देशना, एकज भाषा बोलनारा अने एकज लोहीना छे. तेओ एकज साधन साधे छे. जैन धर्मनी प्राचीनता. जैन धर्म अनादि काळथी चालतो आव्यो छे, ए तत्व खरुं छे के नहि ए प्रश्न अत्यारे उभो करी तेनो खुलासो करवा हुं इच्छतो नथी. पण आ वात इतिहास सिद्ध छे, के जैन धर्म प्रवर्ताविनार चोवीस तीर्थंकरोमांना छेल्ला तीर्थंकर महावीर इ. स. पूर्वे ५२६ वर्ष उपर थया हता. काळ गणनानी रीत एटले के संवत् अथवा शक गणवानी रीतथी मालम पडे छे के, जेम ख्रिस्तीओनो इसुस्त्रिस्तथी, मुसलमानोनो महमदथी, तेम जैनोनो शक महावीरथी चालतो आव्यो छे. इतिहास उपरथी धर्माचार्यना नामथी शक चलाववानी पहेल जैनोए करेली For Personal & Private Use Only Page #103 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ४० ) भणाय छे. जैन शक पहेलां युधिष्ठिरनो शक चालतो हतो एम कहेवाय छे पण ते मानवाने संतोष कारक पुरावो नथी. जैन शक पछी बुद्धनो शक, विक्रमादित्यनो शक अने शालिवाहननो शक एम हिंदुस्थानमां चार शक कर्त्ता थया छे. काळ गणनानी रीतमां ए रीते जैनो पहेला छे. ते चोवीसे वरसनी जुनी वात याद लावी ए छएि त्यारे मालम पडे छे के जैन धर्मनी प्रवर्तना, वधारो अने प्रकाश करवामां जे प्रमुख थया छे ते ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य अने शूद्र ए चार वर्णमाथीन थया छे. ते काळे दरेक वर्णमाथी प्रवर्तको थता हता अने तेमने लोको मान आपता हता. जैन धर्मनी बौद्ध धर्मथी भिन्नता.. जैन धर्म अने बौद्ध धर्म एकन छ एम यूरोपनाज नहीं पण अहींना पंडितोने पण भ्रांति हती, अने जैन धर्म बौद्ध धर्मनी शाखा छे एम मानता. परंतु वधारे अभ्यासथी अने जूनी बातोना प्रकाशमां आववाथी तेनुं निराकरण थइ गयुं छे. प्राचीन पुस्तको उपरथी मालम पडे छे के, गौतमबुद्ध ए महावीरना शिष्य हता. तेथी महावीर बुद्ध पहेलां थया हशे. वळी केटलाकनो मत छे के, बुद्ध शक अने जैन शकमा २० वर्षनो अंतर छे, तेथी महावीर अने बुद्ध ए बन्ने एक ज हशे; कारण के शक गणवानी रीतमां कांतो जन्मथी अगर मरणथी शक गणे छे, तेथी कदाच एक शक जन्मथी अने बीजो शक समाधिकाळथी शरु थयो होय. बीजो मत एवो छे के, जेम जैनोमां चोवीस तीर्थंकर छे तेम बौद्धोमां पण चोवीस बुद्ध छे, तेथी बन्ने धर्म एकन छे. परंतु आ वात बरोबर नथी. जैनो अने ब्राह्मणोना टंटा कारण. इ. स. पूर्वे पांचसें छसें वरस पहेलां ज्यारे महावीरे जैन धर्मनुं प्रवर्तन कर्यु त्यारे आपणा देशनी शी स्थिति हती, तेनो विचार करीए. आजे जैन धर्मनु महत्व ब्राह्मण धर्मवाळा बरावर समजता नथी. तेवू वे हजार वरस पहेला नहोतं; ते वखते ब्राह्मणो अने जैनो छूटथी एक धर्ममांशी बीना धर्ममा जता हता. जो के ते वखते ब्राह्मण अने जैन धर्मनी मोटो झगडो हतो, ते वखते मीमांसक एटले यज्ञयाग करवाथी मुक्ति मळे, एवो ब्राह्मण मत चालतो हतो. मेघ दूतमां पशुवधनुं वर्णन करतां कवि कालिदासे कयु छ के, नदीनू पाणी पण वध थयेलां प्राणीओना लोहीथी लाल थइ जाँ. एटलो बधो पशुवध थतो हतो, ते वखते जैनोए अहिंसा For Personal & Private Use Only Page #104 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ४१ ) परमोधर्मनुं तत्व बताव्युं हतुं. ब्राह्मण जैनो वच्चेना टंटानुं कारण आ रीते हिंसाज ह. पशुवध करवाथी मोक्ष नथी, एम ठसावी जो कोइए पण दयानी ध्वजा उडावी होय, तो तेनुं मान जैनधर्मने छे. अहिंसा कोण पाळे छे ? हिंसा करवानो बंध एकज जैनधर्ममां नहीं, पण ब्राह्मण, ख्रिस्ती, मुसलमानी, अने दरेक धर्ममा हाल छे. ख्रिस्ती मतमां Don't kill ( वध करता नहीं ), एवं फरमान छे. पण ख्रिस्ती मतानुयायीओए तेनो अर्थ फेरवी मनुष्यनो वध नहीं करवो, मतलब के बीजां प्राणीओनो वध करवामां हरकत नथी एवं ठराव्युं छे. धर्मनो मत बाजुए रह्यो ! हवे लडाइमां लाखो मनुष्योनी हिंसा करे छे, ते माटे पूछतां ख्रिस्ती मीशनरीओ राजानी आज्ञाथी मनुष्य हिंसा करवी, एमां बाघ नथी एवं कहे छे. ए रीते धर्मनो अर्थ फेरवीने स्वार्थने माटे ख्रिस्तीओ जे हिंसाओ करें छे, तेनुं पाप ख्रिस्ती पादरीओए पोताने माथे वहोरी लीधुं छे. बीजा देशोमां पण अहिंसा धर्म पुस्तकोमांज पडी रह्यो छे. बौद्धधर्ममां अहिंसा तत्व मुख्य छतां, बौद्धधर्म पाळनार चीन देशमां तो खोराक तरीके कोइ प्राणीने बातलज राखवामां आवतुं नथी. जो कोइ धर्मना अनुयायीओए अहिंसा तत्व परिपूर्ण रीते पाळ्युं होय तो ते जैनोज छे. जैनो वेद केम मानता नथी ? अहिंसा तत्व काढतां मोटो विवाद जन्म पाम्यो हतो. ब्राह्मणो कहेता के वेदमां पशु यज्ञ करवानी आज्ञा छे ते अमे शी रीते छोडीए ? जैन उपदेशकोए जवाबमां कह्युं के, वेदमां हिंसा होय, तो ते वेद अने हिंसाथी तृप्त थनारा देवताओ पण अमने मान्य नथी. मतलब के, वेदमां पशु यज्ञ फरमावतुं जे श्रौत प्रकरण छे तेथीज जैनोने वेद प्रमाणभूत नहीं मानवानुं कारण मळ्युं छे. जैन धर्मनी अहिंसानी अन्य धर्मो उपर छाप. छेवटे ब्राह्मणोए जैनोनो अहिंसा धर्म स्वीकार्यो अने जैन तथा बौद्धधर्म पछी कुमारील भट्ट शंकराचार्ये वेदांत धर्म स्थाप्यो तेमणे पण जैनोनुं अहिंसा तत्व पोताना सिद्धांतोमां दाखल कर्यु. ते जो तेमणे तेम न कर्तुं होत तो ब्राह्मण धर्म फरीथी स्थपायो होत के नहीं ते कही शकाय नहीं. जैनधर्मनुं तत्वज्ञान जो के ६ For Personal & Private Use Only Page #105 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (४२) आज प्रचारमा नथी, तोपण जैनोना अहिंसादि आचारनी छाप आजे ब्राह्मण धर्म उपर पूर्णपणे बेठेली छे. पंच द्रविड विगेरे ब्राह्मणोमां मांस भक्षण दूर थयुं छे ते जैनोनोज प्रताप छे, अने आजे हुं ने तमो मांस मदिरा वापरता नथी ते माटे एज जैन मतना मोटा आभारी छीए. वैष्णव धर्ममा यज्ञ करती वखते पिष्ट पशु होमवानो प्रकार छे, ते पण जैन धर्मनी ब्राह्मण उपर थयेली असरथी निपजेलं जीवता पशुने बदले पिष्ट पशु- रूपांतर छे. जगतमां अहिंसान तत्व दाखल करतां महावीर स्वामीए जे दृढता बतावी ते अवतारी पुरुष वगर बीजाथी बतावी शकाय नहीं. जैन पछी बौद्धधर्म निकळ्यो तेमा पण अहिंसा तत्व जैन धर्ममाथी लीधुं छे. हुं जैन धर्मने खोटी रीते चडाववा मागतो नथी; पण एटलं तो हुँ कहेवा मागुं हुं के अहिंसा विगेरे बाबतमां जैन धर्म हिंदु धर्म उपर घणीन असर करी छे. ए रीते बीजा धर्मो उपर अहिंसानी छाप बेसाडवामां जय मेळवी जैनोए " जैन " नाम अन्वर्थक कर्यु छे. मोक्ष मेळववानो सर्वने हक्क छे. ब्राह्मण धर्ममां चारे वर्णना सरखा अधिकार न हता. यज्ञ करवाथी मोक्ष मळे छे एम ब्राह्मणो मानता, पण यज्ञनो रस्तो शुद्रोने माटे खुल्लो न हतो. ते वखत राजकीय समानतानो सवाल उभो थयो न हतो. पण परमेश्वरना दरबारमा बधाने समान हक्क छे के नहि ए सवाल उभो थयो हतो. जैन मते धर्मनी बाबतमां माणस माणस वच्चेनो भेद न राखतां ठराव्यु के, वधाने मोक्षनो रस्तो एकज छे. जैन मतनी आ विगेरे बाबतोनी छाप हिंदु धर्म उपर पडी, हिंदु धर्ममां ने अपूर्णता हती, ते पूरी थई छे. अहिंसा परमो धर्मः अने भक्ति योगथी शूद्रो अने स्त्रीओ पण मुक्ति मेळवी शके छे एवां वचनो वेदांतना मुख्य ग्रंथ भगवद्गीतामां दाखल थयां छे. जैन धर्ममां ज्ञान, दर्शन ने चारित्र ए त्रण अमूल्य रत्न मानेलां छे तेने ज्योतिःशास्त्री भास्कराचार्ये पोताना ग्रंथमां धर्मनां तत्वो तरीके जणाव्यां छे. आ बीना पाछळथी जैन धर्मनो अने ब्राह्मण धर्मनो केटलो निकट संबंध थयो छे ते बतावी आपे छे. For Personal & Private Use Only Page #106 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ४३ ) एटलुंज नहि पण जैन बौद्ध बने धर्म हिंदुस्तानमां उत्पन्न थयेला छतां बौद्ध नाबुद थइ गयो अने जैन धर्म केम टकी रह्यो ते विषे पण खुलासा करे छे. परदेशमां जैन धर्मनो प्रसार. जैन धर्मनां आवां उत्तम तत्वानो परदेशमां प्रसार करवाने जैन धर्ममां प्रतिबंध नथी. परदेशमां जइ धर्मनो प्रसार करवो, ए शिक्षण जैन अने बोद्ध धर्मेज आप्यु छे. जैनो हिंदुस्तानना Protestants- धर्म सुधारक छे. ते सुधारो हिंदमांज शामाटे घाली मृकवो जोइए ? हिंदुस्थानमांज हिंसा थती अटकावीने तेमणे शामाटे बेसी रहेवुं जोइए ? युरोपादि देशोमां हिंसा एमनी एम शामाटे थवा देवी जोइए ? आ बाबत केटलाक जैनोए उपाडी लीधी छे, जेमां मरहूम मि. वीरचंद गांधी मुख्य हता, तेमणे अमेरिका जइ जैन मतनो प्रसार कर्यो। छे. श्रीमंत महाराजा साहेबे शरुवातना दिवसे जणाव्या प्रमाणे सर्व देशोमां तमारो मत प्रचलित करवानो प्रयास करवा जोइए. लंडनमां मुसलमानोनी मसीद छे ते प्रमाणे एक जैन मंदिर पण त्यां केम न हो जोइए ? जो जैनो अने ब्राह्मणो बन्ने एक माबापना बे पुत्रोनी पेठे अथवा एकज माणसना डाबा जमणा हाथनी पेठे पोते पसंद करेला अहिंसादि तत्वोनो जगतमां प्रसार करवानुं काम एक विचारथी हाथमां ले तो अहिंसा धर्मनी ध्वजा पृथ्वीपरना सर्व देशोमां फरकाववामां कंइपण हरकत आवे तेम नथी. नामदार अंग्रेज सरकारे आपणा हाथमां हथियार रहेवानी कशी जरुर जोइ नथी. पण आपणने तेनो आ काममां खप नथीं. आपणा धर्मरूपी हथियारोवडे आपणे सर्व देशोमां आपणो विजय करी आपणी उन्नति करी शकीशुं छेवटे, मारी परमकृपाळु परमेश्वर प्रत्ये प्रार्थना छेके जैनोमां अने अन्य हिंदुमां ऐक्य वधे अने तेमना संयुक्त प्रयासथी देशेदेश अने गाभेगाम अहिंसा धर्मनो प्रसार थाय ! ( ताळीओ ). ए रीते अहिंसा तत्वनुं प्रतिपादन करी तेनो प्रसार करवानुं मान जैन धर्म आप्युं ते माटे मि. लाउने भाषणकारनो केटलंक विवेचन करी उपकार मान्यो हतो. ३६ मि. लाभशंकर लक्ष्मीशंकर जुनागढना दया धर्मना प्रसिद्ध उपदेशक, ते पछी ताळीओना अवाजो वच्चे वक्तपीठ उपर मि. लाभशंकरनं भाषण. आवी बोल्या के, For Personal & Private Use Only Page #107 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जीव दया उपर मारा अगाउ मि. बाळ गंगाधर टिळके भाषण आप्युं छे, त्यार पछी हुँ जे कंइ बोलू ते बपोरना अजवाळा आगळ दीवो धरवा जेवू छे. मने आमंत्रण करती वखते मारा अगाउ एज विषय उपर मि. टिळकनुं भाषण थनार छ, एम मने जणाव्युं होत तो हुं अहीं नहींज आववानुं लखी वाळत. हिंसानां पांच कारण. हिंदुस्तानमां पांच कारणथी हिंसा थाय छे. ( १ ) धर्मने नामे, (२) खोराक माटे, ( ३ ) शिकारने खातर, ( ४ ) फेशन सारु-शॉख निमिते. अने (५) सायन्स निमित्ते. दशरानो पशुवध. आमांनी पहेली जातनी हिंसा संबंधी गइ साल मुंबइमां में लंबाणथी भाषण आपेलुं हतुं एटले आजे ते विषे वधारे हुं बोलीश नहीं. तो पण दशराना दिवसे केटलांक देशी राज्योमा पाडा मारवानो जे घातकी वहेम चाले छे ते बंध पाडवा माटे देशी राजाओने दर वरस नम्रतापूर्वक विनंती करवी ए जैन कॉन्फरन्सनी फरज छे, एटलु भार मुकीने हुं आ वखते कहुं छु. सदरहु पाडा वध करतां केवं त्रासदायक घातकीपणुं वापरवामां आवे छे तेनो ख्याल आववा माटे जामनगरमां थयेला वधनं वर्णन ता. ३-१०-०३ ना " मुंबइ समाचार” मांथी वांचवानी भलामण करुं छु. मरकी माटे बलिदान. केटलेक ठेकाणे मरकी, कॉलेरा विगेरे अटकाववाना हेतुथी, पाडा बकरान बळिदान आपवामां आवे छे. पण गृहस्थो माठाचें परिणाम माटुंज आवे, तेम मरकी, कॉलेरा अने भुखमरो उलटो वधतो जाय छे. खोराक माटे थतुं घातकीपणुं. हवे फक्त खोराक माटे आ देशमा केटलं तथा केवू घातकीपणुं थाय छे ते हुं आपने बतावीश तथा ते अटकाववाने हाल सुधी आपणे शुं कर्यु छे तथा हवे आपणे शुं करवू जोइए ते संबंधी मारा विचारो पण आपनी आगळ रजु करीश. माणसना खोराक माटे विचारां जनावरोनां गळां कपाय छे ते पहेला तेमना उपर ने अनेक जातनो त्रासदायक जुलम थाय छे तेना सत्तावार दाखला टाइम्स For Personal & Private Use Only Page #108 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (89) ऑफ इंडिया विगेरे अंग्रेजी वर्तमान पत्रोमांथी उतारीने मारा Good News from the Afficted नामना चोपानियामां प्रसिद्ध कर्या छे. ते उपरथी आपनी खात्री थशे के, कसाइ खानामां जनावरोने कतल करता पहेला त्रण दिवस मुख्यां राखे छे अने गळामां दोरीथी ताणी बांधी अर्धी गुंगळाती स्थितिमां राखवामां आवे छे ने कलाकोना कलाक सुधी तेवुं दुःख दीधा पछी ते बिचारांनां गळां कापवामां आवे छे. आ अने बीजी निर्दयता संबंधी अरज करतां, कहेवाने खुशी उपजे छे के, आवा घातकीपणानो सख्त अटकाव करवानी ना. मुंबइ सरकारे खात्री आपी छे. रेल्वेमां पण जेम मनुष्यो उपर तेम जनावरो अने बीजां प्राणीओ उपर जुलम थाय छे. एक डबामां आठ घोडा अगर दश टटुओ पुरवानो कायदो छतां सतावीश ढोरो एक डबामां पुरी काढे छे. आ रीते रंगुनमां एक डबामांथी सो बकरांनां मडदां नीकळ्यां हतां. कलकत्तानी अंधारी कोटडीनी पेठे बिचारां गुंगळाइ मर्यां हतां. आ बाबतमां रेल्वे कंपनी सामे एक वखत केस उभो कर्यो हतो, पण आफसोस ! हाइकोर्टमाथी ते उडी गयो हतो. आवा बनाव रेल्वेमांज एकला थाय छे एम नथी, पण ज्यां जनावर वेचाय छे त्यां पण थाय छे. मारकीटोमां अणातां नानां पक्षीओनी आंखो फोडी नाखेली तथा पांखो तोडी नांखेली घणे ठेकाणे जोवामां आवे छे. वखते हरणोना पग भागी नाखेला होय छे. यूरोपादिमां घटतो जतो मांसाहार. मांसाहार साथै आवुं त्रासदायक घातकीपणुं जोडायलुं छे तेनी मांसाहारीओने खबर पण होती नथी. तेथी तेमनो बहु वांक काढवा जेवुं नथी. काठियावाडना एक देशी विद्वान् राजा पहेलां मांसाहारी हता. में तेमने डॉ. जेसिया ओल्डफील्डे उतारी लघेला जनावरो उपर गुजरता जुलमना फोटोग्राफोनी चोपडी बतावी. ते जोइ तेमणे मांसाहार छोडी दीघो. केटलाक वखत पछी तेमनी प्रकृति नरम थइ आवतां तेमना डॉक्टरे पाछो वहेम घाली दीघो के मांसाहार तजी देवाथी तमारी तबीयत बगडी छे. एटले तेमणे मांसाहार फरी शरू कर्यो में तेमने Perfect Human Diet - "मनुष्यनो संपूर्ण खोराक " ए नामनुं पुस्तक बताव्यं. आ पुस्तकमां सायन्स - डॉक्टरी विद्याने आधारे मांसाहारनो निषेध कर्यो छे. ते वांची For Personal & Private Use Only Page #109 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तरतज तेमणे मांसाहार बंध कीधो. इंग्लांडना डेवनशायर प्रगणामां एक मेजीस्त्रेटे पण कसाइखानामां तपास करी आव्या बाद, मांस जोइ कंपारी छूटवाथी, मांसाहार छोडी दीधो छे. ए रीते हवे यूरोप अमेरिकामां पण हिंसानो प्रसार घटवा लाग्यो छे. लंडननाज बजारोमा १९०१ नी सालमां तेनी आगली साल करतां छ लाख मण मांस ओछं वेचायुं हतं. अमेरिकामा छत्रीस टका मांसाहार घटी गयो छे अने ए रीते त्रीश लाख जीवो कपाता बच्या छे, अने पंदर हजार माणसोए मांसाहारनो त्याग कर्यो छे. कपातां जनावरोनी उपर कर लइ, सरकार तेनी नोंध राखे छे, ए उपरथी आ आंकडा जणाइ आवे छे.. दयानी रीत. पण तेथी उलटुं आ देशमां दर वरस वधारेने वधारे जनावरोनो वध थाय छे. आपणे लोको कसाइखानेथी जीव बचाववाने लाखो रुपिया खरचीए छीए. छतां ज्यारे ए रीते वधनुं प्रमाण वधतुं ज जाय छे त्यारे आपणी दयानी रीत बराबर नथी एम आप सारी पेठे समजी शकशो. माटे आपने हं अरज करूंछ के, दयाळ अंग्रेजोने पगले चालीने आ देशना मांसाहारी लोकोने तेमना खोराकथी थतुं घातकीपणुं तथा माणसना शरीरने थता भयंकर रोगोनों ख्याल आपवानी योजना करवा महेरबानी करशो. नामदार गायकवाड महाराजे आ कॉन्फरन्स उपर जे असाधारण महेरबानी करी छे ते माटे ते नामदारनो काइक संगीन रीते उपकार मानवानी आपणी फरज छेः आपने दरखास्त करूं लु के, दर वरस मांसाहार विरुद्ध विद्वान् अंग्रेज तथा अमेरिकन डॉक्टरोए लखेली चोपडीओनो आपणी मेडीकल कोलेजोना विद्याथीओ पासे अभ्यास करावी तेनी परीक्षा लइ फतेहमंद उमेदवारोने रु. ५०० नां इनाम आपवानी गोठवण करशो तथा ते इनामोनुं नाम The Sayaji Rao Prizes. एवं राखशो. छेवटे, आप जाणीने खुशी थशो के आ देशमा जे अनेक जातनु घातकीपणु चाले छे ते सामे नामदार हिंदुस्ताननी सरकारने अरजीओ करवा तथा अंग्रेजी वर्तमानपत्रोमा पोकार उठाववा लंडनमां एक इंडियन डीपार्टमेंट त्यांनी ह्युमेनीयेरेयन लीग तरफथी उवडाववामां हुं फतेह पाम्यो छु तथा तेनी काउन्सीलमां सर For Personal & Private Use Only Page #110 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ४७ ) विलियम वेडरबर्न, सर हेनरी कॉटन, मि. दादाभाइ नवरोजी विगेरे केटलाक नामांकित गृहस्थोए जोडावानी महेरबानी करी छे; अने तेनी एक शाखा मुंबईमा स्थपाइ छे तेथी हवे ए काममां आपणे जरूर फतेह पामीरों एवी आशा रहे छे. (ताळीओ) ते पछी रा. रा. ढढ्ढाए बंने वक्ताओनो तथा प्रमुख साहेबनो उपकार मानतां सभा बरखास्त थइ. ३७ श्रीमंत महाराजा साहेबे जैन कॉन्फरन्स प्रत्येनी पोतानी वधु .. दिलसोजी प्रदर्शित करवा माटे कॉन्फरन्सना फंडमां श्रीमंत महाराजा साहेबे कॉन्फरन्स फंडमां भरेली रु. १००० नी रकम खानगी खाता तरफथी मोकली आपी हती जे कॉन्फरन्सना जनरल सेक्रेटरीओए आभार साथे स्वीकारी हती. रकम. ३८ श्रीमंत महाराजा साहेबे पोताना दरबार फिजिश्यन ने कॉन्फरन्स रिसेप्शन कमीटीना चीफ सेक्रेटरी डॉक्टर बाळाभाई आचार्य श्री कमळविजय सूरि अने श्रीमंत महाराजा मगनलाल एमनी पासे आचार्य श्री कमळविजय साहेव एमनो समागम. सूरि महाराजना मुखथी धर्मोपदेश सांभळवानी इच्छा प्रदर्शित करी हती. ते पूर्ण करवा माटे ता. ८ डिसेम्बर सने १९०४ गुरुवारे त्रीजा पहोरे लक्ष्मीविलास पेलेसमा आचार्य महाराज पधार्या हता. श्रीमंत पण मकरपुरा पेलेसथी मोटारकारमा आरूढ थई त्यां दाखल थया हता अने राजाने योग्य अभिगम साचवी आचार्य महाराजने वंदनपूर्वक धर्म संबंधी केटलाक प्रश्नो पूछया हता, जेनो शास्त्रना आधार अने दलीलो साथे उत्तर मळतां श्रीमंते संतोष प्रदर्शित करी महाराजजीए लीधेला श्रम माटे क्षमा मागी हती. For Personal & Private Use Only Page #111 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ४८ ) निशाणी १. स्वागत मंडळना प्रमुख वडोदराना झवेरी फत्तेभाई अमीचंदनुं भाषण. श्रीमंत महाराजा साहेब, जैन बंधुओ, सद्गृहस्थो अने बहेनो , ! ! आजे आप सर्वेने आवकार आपवानुं काम अहींना श्री संच तरफथी स्वागत मंडलना प्रमुख तरीके मने सोंपवामां आव्युं छे, ते माटे हुं श्रीसंघनो उपकार मार्नु छु. महाशयो ! अमारा आमंत्रणने मान आपी आप साहेबोए अमूल्य वखत अने द्रव्यनो व्यय करी अत्रे पधारवानी जे तस्दी लीधी छे, तेने माटे अमे आपना अत्यंत आभारी छीए. पुत्र जन्मनां अथवा विवाहादिनां मंगल तो घेर घेर थाय छे, पण श्रीसंघ, जे सर्वगुणोनुं स्थान छे, जे शासननी वृद्धिनो हेतु छे अने जेमांथनि पंचपरमेष्ठिरूप अमूल्य रत्नो उत्पन्न थाय छे तेवा संघनी पूजा भक्ति करवा रूप मंगल तो भाग्यवंतने घेर थाय छे. आq शास्त्रनुं वचन जेमना हृदयमां रमी रह्यं छे तेओ पोतानुं आंगणुं संघना चरण कमळोनी रजथी क्यारे पवित्र थाय तेनी हमेशां तक जोया करे छे. घरआंगणे स्वामिभाइ पधायो छतां कोने स्नेह न थाय ? जेमनी भक्तिथी तीर्थंकरादिनी पदवी मळी शके तेवा समिना पधारवाथी समकितवंतना आनंदनी सीमाज रहेती नथी. विविध स्थळे जिनभुवनो करावनार, करोड गमे जिन प्रतिमाओ भरावनार अने अनार्य देशोमां मुनियोनो विहार सुगम करनारा संप्रति महाराजाए ( अशोक महाराजना पौत्रे ) गामे गाम स्वामिवात्सल्य कर्यु हतुं. श्रीहेमाचार्य महाराजनो उपदेश सांभळी परमार्हत कुमारपाळ राजाए दरसाल स्वामि वत्सल करवानी प्रतिज्ञा लीधी हती. श्रीआवुनी उपर बार करोड ने त्रेपन लाख द्रव्य खर्ची श्रीनेमिनाथ भगवान्न प्रेक्षणीय देवालय बांधनार वस्तुपाल तेजपाल जेओ महाराज वीरधवलना मंत्री हता तेमणे धोळका आगळ श्रीशत्रुजयनी यात्राए जता संघनी सामे जई मानपूर्वक पूजाभक्ति करी हती. एवा घणा दाखला शास्त्रमा विद्यमान छे. For Personal & Private Use Only Page #112 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ४९ ) सुज्ञो ! हुं अत्रे आप साहेबना ध्यानपर लाववानी रजा मागु छ के, उपर जणावेला कुमारपाळ राजानु देशाटनमा एक वखत श्री वडोदरा शहेरमां पधारवू थयुं हतु, तेमज तेजपाल मंत्रीए गोधराना घुघुल राजाने हरावी पाछा वळतां आ वटपत्तन ( वडोदरा ) मां मुकाम को हतो अने संप्रति महाराजे बंधावेला श्री पार्श्वनाथना मंदिरनो उद्धार कराव्यो हतो. एवा एवा अनेक ऐतिहासिक बनावोथी जाणीतं आ वीरक्षेत्र हालना श्रीमंत महाराजा साहेब, जेमना उपर सरस्वती अने लक्ष्मी बंने प्रसन्न छे, तेमनाथी आखी दुनियामां प्रसिद्ध थयु छे. त्यां पधारेला श्री संघनी भक्ति करवानो वखत आज मळ्यो ते माटे अमे पोताने घणाज भाग्यशाली मानीए छीए. आप साहेबो सत्य धर्मनी उन्नति थाय, पूर्वकाळना राजा, महाराजा अने श्रीमंतोए अगणित द्रव्य खर्ची बंधावेलां भव्य जीवोने तत्वनी रुचि थवाना साधनभूत तीर्थमंदिरो चिरस्थायी रहे, अथाग बुद्धिबळ अने परिश्रमथी पूर्वाचार्योए रचेला ग्रंथोर्नु रक्षण थइ जनकल्याण माटे तेनो उपयोग थाय, सर्व सुधाराना मूलरुप केळबणीनो फेलावो थाय, विद्या कळा अने वेपार हुन्नरनी वृद्धि थाय तेमन कुसंप तथा हानिकारक रिवाजो दूर थई सौ कोई पोतानी मेळे पुरुषार्थोनु साधन करी शके ते माटे शी शी योजनाओ करवी जोईए तेनो विचार करवानाज पवित्र आशयथी परिश्रम उठावी अत्रे पधार्या छो, ते बद्दल आपने धन्यवाद आपी हुं हर्षभर्यो आवकार आपुं छु. वहाला बंधुओ ! ज्यां सुधी धर्म अने संसारमा आपणे उन्नत स्थाने पहोंचीए नहि अने आपणुं धर्मराज्य तथा गृहराज्य सुदृढ अने सुघड करीए नहि त्यां सुधी आपणे उत्तमताना भोक्ता थईए, ए आशा व्यर्थ छे. तेटला माटे आजे आपणे जेवी रीते अहीं भेगा थया छीए तेवी रीते दरसाल निर्णीत स्थळे भेगा थवानी आवश्यकता छे. वळी ज्यां सुधी आपणे उमंगथी जे ठरावो पसार करीए तेनो अमल करवा माटे फरीने कॉन्फरन्स भरवानो वखत आवे त्यां सुधी पण, आपणे भेगा थयेलाज यत्न न करीए तो आपणो बधो परिश्रम निरर्थक जाय एमां शक नथी. ते माटे हं आपने भलामण करवानी रजा लउं छु के, ज्यारे आप आ महासभामां चर्चवाना विषयो नक्की करो त्यारे बीजा विषयो करतां कॉन्फरन्सन बंधारण संगीन करवानी योजनाना विषयने वधारे महत्व आपशो. पूज्य मुनिमहाराजाने ते माटे देशना सर्वे For Personal & Private Use Only Page #113 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (५०) भागोमा विहार करतां, बीजा धर्मोपदेशनी साथे आ कॉन्फरन्से तेओश्रीना अनुमोदन थी हाथ धरेला विषयोना ठरावोनो अमल कराववा माटे आग्रहपूर्वक विनंती करवानी अने जे महात्माओए, ते दिशामा स्तुत्य प्रयास कर्यों छे तेमनो सविनय उपकार मा. नवानी खास जरूर छे. तेजप्रमाणे दरेक ठेकाणेना श्रीसंघने कॉन्फरन्सना संबंधमां हमेशने माटे विचार चलावनारी स्थानिक कमीटी नीमवा सूचना करवानी . आपणी फरज छे. जो तेम थशे तो अत्यारे जे काभ आपणे पुष्कळ द्रव्य अने काळनो व्यय कर्या छतां करी शकता नथी ते सहेलाईथी अने थोडा खर्चे पार पाडी शकीशं. वळी आ प्रसंगे जे गामना श्रीसंथोए गइ कॉन्फरन्सना ठरावोनो अमल को होय तेमना उमंगनी वृद्धि करवा अने बीजाओ तेमनुं अनुकरण करे तेटला माटे तेमने धन्यवाद आपवानी पण आवश्यकता छे. ____वळी आ कॉन्फरन्सना संबंधमां एक उपयोगी प्रदर्शन भरवानी अमोए - योजना करी ते श्रीमंत युवराज फत्तेसिंहरावने मुबारक हस्ते खुल्लु मूकवामां आव्यु छे, ते जोनाराओने ज्ञाननी साथे आनंद आपशे एवी आशा छे. केमके तेमां ज्ञान, दर्शन ने चारित्रनां उपकरणो, उपदेशक देखावो, पवित्र पदार्थो अने परदेशी साथे हरीफाई करी शके एवो देशी माल भेगो करवामां आव्यो छे. प्रिय बांधवो ! आ कॉन्फरन्सनी बेठकोमा चर्चवाना विषयो विगेरेनो निर्णय करवा माटे आप हवे पछी नीमो ते कमीटीनी आगळ रजु करवा सारु अहींना स्वागत मंडळे जे यादी तैयार करी छे, ते संबंधे कंइक खुलासो करवानी जरुर छे. गई कॉन्फरन्समां जे नव विषयो हाथ धर्या हता तेनातेज घणे भागे आ कॉ. न्फरन्समां चर्चवा माटे रजु करवानी धारणा राखी छे. कारण के गइ कॉन्फरन्समां चर्चायला विषयो एवा गंभीर अने व्यापक छे के आपणे हाथ धरवाना लगभग सघळा विषयोनो तेमा समावेश थाय तेम छे. वळी घणी बाबतो एकी वखते उपाडवा जतां एकेनुं सार्थक थई शकतुं नथी अने उलटो घोटाळो थाय छे. तेम छतां केळवणी सर्व प्रकारना सुधारानुं मूळ होवाथी ते उपर वधारे उहापोह थई शके तेटला कारणसर तेनी केटलीक पेटा बाबतोने जूदी पाडी स्ववंत्र विषय तरीके विचार करवा माटे सूचना करी छे. तेवीज रीते प्राचीन शोधखोळने लगता शिला लेखोनी नोंधन काम पण अगत्यन होवाथी जीर्ण मंदिरोद्धारना विषयमांथी ज, पाडबानी भलामण करी छे. For Personal & Private Use Only Page #114 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मित्रो ! हिंदुस्तानना बीजा शहेरोनी जैन वस्तीना प्रमाणमां अहींनी जैन बस्ती धणीज थोडी छे, जे जोतां अमे आखा हिंदना श्रीसंघने आमंत्रण करवानी हिम्मतज करी शकीए नही. परंतु अमारा विद्वान् अने बाहोश श्रीमंत महाराजा साहेब अमो प्रजाजनोनीज नहि पण आखा हिंदनी प्रजानी हरेक रीते औद्योगिक सामाजिक अने धार्मिक उन्नति थाय तेवी उत्कंठा धरावे छे, एटलुज नहि पण ते माटे भाषणो, सूचनाओ अने सखावतो आपी उत्तेजन आपे छे, ते नामदारनी सहायता मळवाना पाका भरोसाथीज अमे आमंत्रण कर्यु हतुं, अने मने नणावतां खुशी उपजे छे के, श्रीमंत सरकारे कृपावंत थइ अमोने अमारा धार्या करतां घणी वधारे मदत आपी छे, जे माटे आपण सर्वे ए नामदार साहेबनो जेटलो आभार मानीए तेटलो ओछो छे. __ मानवंता प्रतिनिधि साहेबो ! मारे अत्रे जणाववं जोइए के, महत्त्वनी धार्मिक बाबतोमां हमेश अमारी जोडे रहीने काम लेनार छाणी, पाद्रा, दरापुरा अने डभोईना जैन भाईओ पण आपणुं स्वागत करवामा सामेल थया छे. हवे आप साहे. बना सत्कार माटे अमे यत्किंचित् योजना करी छे, तेमां न्यूनता लागे तो ते दरगुजर करशो एटली विज्ञप्ति करी फरी आपने हर्ष भर्यो आवकार आपुं छं. सुहृजनो ! हवे श्रीमंत महाराजा साहेब, जेओ हवाफेरे माटे घणा दूरना देशमा विराजता हता, तेमणे खास तस्दी लेई आजना समारंभमां पधारवानी कृपा करी छे तथा आपणुं शुभ कार्य सारी रीते पार पाडवा माटे अनेक प्रकारनी सहायता आपी छे, एटलुज नहीं पण आपणी कॉन्फरन्सना जन्म पहेलां पाटणना प्र. सिद्ध जैन भंडारो जोवामां आवतां भारे खर्च करी तेमांना ग्रंथ रत्नोनी टीप करावी तथा केटलाकनां भाषांतरो करावी आपणने उपकृत कर्या छे, ते मानवंता साहेबने फरीथी अभिनंदन आपी विनंति करूं छु के, तेओश्री कॉन्फरन्सना कामनी पोताना मुबारक हस्ते शुभ शरुवात करशे अने पोताना अमूल्य बोधक वचनोपडे आपणने कृतार्थ करशे. For Personal & Private Use Only Page #115 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१२) निशाणी २. श्री तीसरी जैन श्वेताम्बर कॉन्फरन्सके प्रमुख रायबहादुर बाबुसाहेब बुधसिंघजी दुधोडिया अझीमगंज-मुर्शीदाबाद निवासीका भाषण, अर्हन्तो भगवन्त इन्द्रमहिताः सिद्धाश्च सिद्धिस्थिता । आचार्या जिनशासनोन्नतिकराः पूज्या उपाध्यायकाः श्रीसिद्धांतसुपाठका मुनिवरा रत्नत्रयाराधकाः पंचैते परमेष्ठिनः प्रतिदिनं कुर्वन्तु वो मंगलम् ॥ १ ॥ श्रीमन्त महाराजा साहेब, स्वधर्मि भाइयो, बहेनो, तथा महेरवान साहेबो ! में सविनय आपको प्रणाम करता हूं और साथही साथ आपकी उस कृ. तज्ञता, दयालुता और धर्मस्नेहको अभिनंदन करता हूं कि जिसको भली प्रकारसे मुझको इस श्रीजैनश्वेताम्बर कॉन्फरन्सके तृतीय वार्षिक अधिवेशनका अधिपति चुनकर जाहिर की है. में अच्छी तरह जानता हूं कि इस भारतवर्षके पूजनीय श्रीप्तं घमें मुझसे ज्यादा समझदार, अनुभवी, विद्वान, बुद्धिमान् , श्रीमन्त, इज्जतवाले धर्मात्मा कई भव्य प्राणी मोजुद हैं और उनमें से कोइ योग्य पुरुषपर इस दुर्लभ्य इज्जतका मुकुट रखा जाता तो समयानुसार उचित होता. परन्तु श्रेष्ट जन दुसरेके दूषणो तरफ नजर न डालकर उसके गुणग्राही होते हैं. पारसका स्वभावही यह है कि लोहको अपने साथ लेकर आप जेसा स्वच्छ बना लेता है. इस लिये मेरे हृदयकुंभी संतोष हो गया है कि, यद्यपि में इस भारी बोझ उठानेकुं समर्थ नहीं हूं परंतु आप साहेबोकी मददसें इस कार्यमें उद्यमवन्त बनता हूं और परमात्मासे प्रार्थना करता हूं कि उनकी कृपासे मेरी आशा सफल हो.' २ मेरे प्यारेभाइयो, जमाना हमेशा एक हालत पर नहीं रहेता है, और अपने धर्मोपदेष्टाओने एक कालचक्रके दो विभाग, उत्सार्पणी और अवसर्पिणी, और फिर उन दो विभागो में भी छै छै आरे घटते बढ़ते सुख दुःखके कायम For Personal & Private Use Only Page #116 -------------------------------------------------------------------------- ________________ करके उस स्वाभाविकी बातकों, जो हरचीज में देखी जाती है, अच्छी तरह पुष्ट कर दिया है. हर वस्तुके तीन समय अवश्य होते है. जिस चीजका आदि है उसकी स्थिति हो कर अन्त भी है और पौद्गलिक पदार्थ एक रूपसे नष्ट होकर दुसरा रूप जरूर धारण करता है. प्राचीन इतिहास पर नजर डालनेसें मालुम होता है कि, समय पाकर अपने अपने बलवीर्य और पराक्रमकी कमीवेशीके मुवाफिक और पूर्व संचित शुभाशुभ कर्मानुसार धार्मिक और सांसारिक कृत्योकी व्यवस्था होती रही है. और हर मुल्कमें हर जातमें और हर धर्ममें उन्नति और अवनति जरूर देखनेमें आइ है. अपने देशकी प्राचीन रीतिरिवाज, राज्य, धर्म, दौलत, वैभव पर नजर डालो और इस प्राचीन दशाकी इस समयके साथ मुकाबला करो तो अच्छी तरहसें निर्णय हो जायगा कि थोडेसें कालमें हिंदोलेके पालनेकी जैसे उपरका पालना नीचे और नचिका पालना उपर होगया है. हमारे हिंदुस्थानके मुशील राजा महाराजाओकों तथा धर्मज्ञ शेठ साहुकारोंकों स्वप्नतकमें ख्याल नहीं हो सकताथा कि जिस धर्म और वैभवका वे प्रतिपालन कर रहे थे उसकी यहां तक अवनति होगी. हाथ कंकणकों आरसीकी जरूरत क्या ? प्रत्यक्षमें अनुमानकी जरूरत क्या ? इतिहास इस जमानेकी फेरफारको अच्छी तरह साबित कर रहा है. और इस बात अपनेक मंजूर करनाही पडता है. अपना श्रीमान् श्रद्धालु श्रावक वर्गकी धर्म पर आस्था उन देवमयी महान् अद्भुत अर्बुदाचल, राणकपुर, तारंगा, गिरिनार, सिद्धक्षेत्र, सम्मेत शिखरके मंदिरों और भव्य जिन प्रतिमाओंसे सिद्ध होती है. यह कुल बातें इन बातकी सूचना दे रही है कि प्राचीनकालमें हमारे समुदायकी व्यवस्था उत्तम प्रकारकी थी और इस वख्तकी व्यवस्था वैसी नहीं है. इस लिये स्वात्मार्पण करके अपने अपने कर्त्तव्यमें बन शके उतना प्रयत्न करते रहना चाहिये. ऐसा सज्जन पुरुषोका एकत्र मिलाप जनसमूहके सच्चे हित खातिरही होता है. इस अनुसार अपने महत् पुण्य योगसें प्राप्त हुआ, यह मांगलिक प्रसंग जैन शासनके स्थायी अभ्युदयके लिये होय तोही अपने मिलापका परिणाम और प्रयत्नकी सार्थकता कहलावे. ३ अपने जिस कामको शुरु किया है अगर एक दफे वह काम पूर्ण नहीं हो शके तो निराश होकर मत बैठो, बल्कि फिर प्रयत्न करो और उस कामकों पार पटकनेपर कमर बांधो, फिरबी वह काम पार न पडे तो तीसरी मरतधे प्रयः For Personal & Private Use Only Page #117 -------------------------------------------------------------------------- ________________ त्न करो. इसी तरह पर उस वख्त तक प्रयत्न किये जाओ कि जब तक तुम उस कामको पूर्ण न करलो. इस नसियतके मुवाफिक जो पुरुष या समाज या संघ काम करनेमें लगे ही रहते है वह जरूर अपने विचारे हुए काममें विजयवन्त होते है. कइ सबबोसें संप्रति कालमें अपनी गिरी हुई दशाकुं देखकर उसके सुधारेके लिये इन दिनोमें जो कोशीस अपने स्वामिभाई तन मन धनसे कर रहे हे वे स्तुतिपात्र है. और जो धार्मिक और सांसारिक सुधारों पर लक्ष दीया जाता है वह सब परोपका. रार्थही है. और इस शुभ कामकी नीव डालने और पुष्टि करनेके लिये श्रीफलोधि तीर्थोन्नति सभा और श्रीमुंबईके श्रीसंघने जो प्रयास लिया है और उसकु फलीभूत करनेकी गरजसे बडोदेके श्रीसंघने जो कोशीस कीहै और हिंदुस्थानके कुल प्रांतोके जैन समाजनें हर वख्त अपनी तरफसे प्रतिनिधि भेजकर जो उत्कंठा और उत्साह दिखलाया है इससे मुझे दृढ निश्चय होता है कि गुरुकी कृपासे इस महासभाकी योजनाने जैन भाइयोकों अपने कर्तव्य संबंधमें विचार करनेको प्रवर्तित किया है और मनुष्यों के मुवाफिक अपने धर्मस्थान, धर्मग्रन्थ, धर्मगुरुओ, और स्व. धर्मि भाइयोप्रति अपनी कर्त्तव्यताके तरफ ध्यान खेंचाया है. इस उत्सवके लिये में अपने अंतःकरणसे दिलकी उमंगके साथ कुल जैन समुदायकों धन्यवाद देता हूं और आशा करता हूं कि आप सब साहेब मेरे साथही साथ इस मुबारकबादीमें शामिल होगे. ४ दीर्घ कालसे स्वार्थसाधकताकी लगी हुई बुरी चाल धीमे धीमे दूर क. रना, संघका हित किस तरहसे होवे इसका चिंतन करना, और जो काम करनेकी आवश्यकता है उस काम करनेको प्रवृत्त हो कर इसके फलके वास्ते अधीरा न होना उचित है. हमेशां इस वचनामृतकों याद रखना चाहिये कि, “ हर रस्ता साफ नही है. हर फुल विना कांटां नहीं है." अगरचे इस वख्त जिस रस्तेमें अपन चल रहे है और जिस फुलको अपननें हाथमें धारण किया है वो साफ और बिना कांटाकां मालूम दे रहा है; परन्तु गाफिल रह जानेसे या हो जानेसे वही रस्ता और फुल कांटेदार हो सकता है. और उसको साफ करनेकी फिर कोशीस करनमें बडी अडचन होती है. यद्यपि यह रस्ता इस वरूत साफ दिखलाइ देता है परन्तु आयंदा इसको साफ नही रखोगे तो अपने इच्छित स्थानको हरगिज नहीं पहुंचोगे. इस रस्तमें क्रोध, मान, माया, लोभ, इर्षा, द्वेष, कलह, मिथ्याभिमान, कुसंप व गैरह प्रकृतिवाले खुटेरे बहुत मिलेगे कि जिनसे बच कर चलना और इनको प्रतिबोध दे कर सुमार्गमें For Personal & Private Use Only Page #118 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ५५ ) छाना हर सच्चे जैन धर्मानुयायी भाइकी उत्कृष्ट फरज है. सब काम संप और ऐक्यतासे हो सकता है. जहां संप है वहांही ताकत है. जहां संप नहीं वहां हानि है संप और कुसंपके ऊपर हजारो दृष्टांत है कि जिनसे संपके फायदे और कुसंपके नुकसान सिद्ध होते है. अपने श्रीमंत और धनाढ्य जैनीभाइ गरीब जैनीभाइयो के स्तंभ है और गरीब जैनमाइ धनाढ्य जैनियोके हर वख्त मददगार है. यह दुनिया ही परस्परकी मदद और सहायता से चलती है. तो फिर इस स्वाभाविक नियमको अपन अपने हाथसे क्यों छोडे ? इस जैन समाजरूपी पुरुषको जो जैनी इस वख्त भरतखंड में मोजुद है वह सब अंगोपांग है और सब अपना अपना काम करके इस सामाजिक पुरुषको पुष्टकर रहे है. अगर किसी मनुष्यको अंग या उपांगमें दर्द होता है तो उस मनुष्य के सारे बदन में असर होता है. इसी तरह पर इस जैन समाजके एक अंग या उपांगकोभी तकलीफ हुई तो सारी समाज पर उसका असर पडेगा, और इन तकलीफों और दिक्कतों को मिटाने के लिये ही तो यह जैन श्वेताम्बर महासभा कायमकी गई है. अगर्चे मेनें इस दृष्टांत से आपका बहुत समय रोका है परंतु इस बातकों इस जलसे में पुख्त तौरपर सबके दिलोंमें जमाने की बहुत ही जरूरत है. इस कॉन्फरन्सके कुल कारवाइका परिणाम आपसके संप पर है और यह संप " जैसा दो वैसा लो " यह नीतीको ग्रहण करमे से बढ सकता है. मेरे एक सच्चे दोस्तने इस कॉन्फरन्सकी कायमीके लिये मुझे एक सच्ची नसीयत इन शो में कही है कि जिनको हर जैनी भाईको अपने हृदय में रखनी चाहिये. यह नसीयत यह है, " बडेको बडी धीरज और गंभीरता रखनी चाहिये. बडेको विकार नही होना चाहिये. " यह वृद्ध वचन खरा करना. कॉन्फरन्समें आपको मान जियादा मिले या कमती मिले, आपकी मरजीका सवाल यदि उड गया, यदि चिन मरजी के सवाल पर ठराव हुआ तो उस वरूत लेशमात्र कुंद नहीं होना. अपने न्यायके सवाल पर दृढ रहना. परंतु कॉन्फरन्सकों नुकसान पहुंचे वैसी जिद बिचारना मुनासिब नही है. इस लिये सबसे पहले आप साहेबोसे मेरी यह प्रार्थना है कि, इस सर्व साधारण सामाजिक कार्यकुं आप सब मिलकर फलीभूत करे. इसमें छोटे बडेका या धनाढ्य गरीबका या उत्तर दक्षिणका कुछ भेद भाव नहीं आना चाहिये. बल्कि श्रीमंत अपनी दोलत के बलसें, बुद्धिमान् अपनी बुद्धिके बलसें और शक्तिवान् अपने तनके बलसें इस सर्व साधारण श्रेय काममें तनमनधनसें मदद देकर संपकी वृद्धि करके जैन धर्मकी ध्वजा फरकाते For Personal & Private Use Only Page #119 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ५६ ) रहे. बस एक दुसरेके साथ संपको बढाना इस कॉन्फरन्सका मुख्य काम और हेतु है. इस संपके बढने के साथही साथ धार्मिक और सांसारिक व्यवस्था स्वयमेव उन्नति पाती जावेगी. क्योंकि इस महामंडलमें कुल हिंदुस्थामके श्रीमान्, विद्वान्, बुद्धिमान् , गुणवान् , उत्साही धर्मात्मा संघनायक इकट्ठे हुये है उनके दृढ और उमदा बिचारोसें जो जो ठराव इस महामंडळमें जैन समुदायकी उन्नत्तिके लिये मंजूर होंगे उन सबका समयानुसार अमल होनेसें शुभफल अवश्य होगा.' ५ अपनेको इस महान् प्रयासमें श्रीजिनेश्वर भगवान्की आज्ञानुसार चल. नेमें मुख्यतः विद्वान् मुनि महाराजाका जमानेके अनुकुळ उपदेश जियादे असर कारक हो सकता है. और गृहस्थ जो अपने व्रत नियम पञ्चक्खाण और दुसरे आवश्यक कर्ममें सावधान है, ज्ञान ध्यानमें यथाशक्ति उद्यम कर रहा है, और एक वचनी, प्रामाणिक, सुशील है उनका उपदेशभी उत्तम असर कर सकता है. और अपनेकुं ध्यानमें रखना चाहिये कि हरेक कोमकी उन्नति उसके आगेवानोके निर्मळ हृदय व तदनुसार प्रशंसनीय वर्तनपे आधार रखती है. एसे उमदा विचारमें कटिबद्ध होके शासन प्रभावनाके कामकें घुमनेवाले प्रख्यात शेठजी फकीरचंद प्रेमचंद जे. पी. हमारे इस महा मंडलको कोमल बचपनकी हालतमेंही छोडकर स्वर्ग सिधारे. उनके मृत्युसें उनके वृद्ध पिताहीको शोक नहीं हुवा है, बल्कि तमाम हिंदुस्थानके जैन वर्गको उनके परलोक सिधारनेसें बडा रंज हुआ है. उनके साथही साथ मध्य प्रांत के एक गृहस्थ, कि जिनकों इस कॉन्फरन्सका बड़ा भारी शाख था और जिनोनें मध्य प्रांतमें इस कॉन्फरन्सकी तरफ बडा उत्साह दिखलाया था अगर जिंदगी बाकी रहती तो इस कॉन्फरन्सके एक स्तंभ तरीके काम देते, वह गृहस्थ शेठजी वृद्धिचंद्रजी सिवणी छपराके रहनेवाले, और पंजाब के दो प्रतिष्ठित धर्मात्मा, कॉन्फरन्सके कार्योंमें मदद देनेवाले लाला गुजरमलजी और लाला भगत नथुमलजी हुशीयारपुरवाले और श्रीगिरिनारजीके व्यवस्थापक डॉ. त्रिभुवनदास मोतीचंद शाह उनोंनेभी इसही वर्षमें परलोक सिधारकर इस कॉन्फरन्सके खेररव्हांहोकी संख्या में कमी की है. उन सब सज्जनोकी आत्माको आराम मिले यह हमारी ख्वाहिस है. ६ धार्मिक और व्यवहारिक शिक्षण-आजकल धार्मिक और व्यवहारिक शिक्षणपर बहुत चर्चा चल रही है. और इस विषय पर सबका मत एक रहा है. For Personal & Private Use Only Page #120 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ६७ ) इस वास्ते हर मावापको विवेकके साथ अपनी संतानोको विद्याध्ययन कराना चाहिये. जिस वरूत जैन पाठशाळा वें थी और जैन शिक्षकोके पास जैन छात्रोको विद्याभ्यास कराया जाताथा उस वरूत व्यवहारिक और धार्मिक पृथक् पृथक् विशेषण के साथ शिक्षणकी सूचना करनेकी जरूर नहीं थी. क्योंकि उस वरूपके उपदेशक इन दोनों प्रकारकी शिक्षाको साथ साथ देते थे. परंतु अब वह समथ नहीं रहा है. अब हमारे संतानोकी शिक्षा हमारे हाथमें नहीं रही है. जहां पर उनको शिक्षा मिलती है वहां अपना कुछ अवाज नहीं है. आजकलके जमाने के मुवाफिक केवल व्यवहारिक शिक्षण मिलनेसे अपने धर्मकी कुछ रक्षा नहीं हो सकती है. क्योंकि जब तक ध. मकी रुचि बच्चोंके कोमल हृदयमें नहीं जमाइजावेगी उस वख्त तक उसको धर्मका कुछ ख्याल नहीं होगा. इसलिये व्यवहारिक शिक्षाके साथ अथवा हो सकेतो उससे पहिले धर्मकी शिक्षा जरूर दी जावे. जैन धर्म गूढ और गंभीर है. इसका तत्व बहुत गौर और खोजके साथ महनत करनेसेंही मालुम हो सकता है. केवल व्यवहारिक शिक्षा पानेवाले पहिलेसेंही इसके तरफ ध्यान नहीं देते है. और उपरउपरकी कुछ कुछ बातें देखकर या सुनकर सिधे रस्तेसे विरुद्धमार्गी हो जाते है. इसलिये अपने बालकोकों व्यवहारिक शिक्षणके साथ धार्मिक शिक्षण. का देना बहुत जरूरी है. ७ स्त्री शिक्षण-प्रसंग पाकर में इस मामलेकोंभी आप सब सा. हेबोके पास जाहिर करना चाहता हूं और उमेद करता हूं कि, आप लोग इस पर ध्यान देंगे कि स्त्री शिक्षणके प्रचारसें अपने संतानका धार्मिक शिक्षण आपसें आप शुरु होजावेगा. क्योंकि पुत्र हो या पुत्री हो उसको पांच वर्षकी उमरतक तो रातदिन अपनी माता वगैरहकी सोबत रहती है. और पांच वर्षके उमरके बाद दश वर्षकी उमर तक ज्यादा हिस्सा अपने बख्तका इनही ओरतोंकी सोबतमें निकलता है. और देखकरके उसकी नकल करना प्राणी मात्रका कुदरती स्वभाव है. इनमें सब गुणोंकी जड बुनियाद स्त्री शिक्षा है, ऐसा सिद्ध होता है. इस्को पुष्ट करनेसें अपने विचारे हुवे आधेसेंभी ज्यादे काम स्वयमेव सिद्ध हो सकेंगे. ८ व्यवहारिक केलवणीमें समयानुसार राजभाषा, व्यापार कर्म और हुन्नरकळा यह विषयभी शिखाना चाहिये. For Personal & Private Use Only Page #121 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (५८) ९ जैन साहित्यका प्रसार-जैन धर्मके अनुयायी पर नजर डालनेसे मालुम होता है कि अपनी संख्या बहुत कम है, और धर्मका प्रसारभी मंद है. तीर्थंकर भगवान् तरण तारण हुवे है. खुदने तपश्चर्या करके केवल ज्ञान प्राप्त करके सर्व कोका क्षय कीया है. और दुसरोंको सच्चा मार्ग दिखलाकर इस संसार समुद्रसें तीराया है. जब यह धर्म ऐसा सर्वोत्कृष्ठ है तो फिर उसका प्रसार जितना जिया. दा हो उतनाही भव्य प्राणीयोके वास्ते अच्छा है. उसका जियादा प्रसार होनेसें अपनकों कोई प्रकारकी हानि नहीं पहुंचेगी. बल्कि लाभही पहुंचेगा. जैसे विद्यादान देनेसे दान देनेवालेका विद्याका खजाना खाली नहीं होता है, बल्कि वृद्धि पाताहै ऐसेही इस परमोपकारी धर्मका ज्यादा प्रसार होने से इसकी उन्नति और मजबूती होती रहेगी. जैन साहित्यका प्रचार होनेसे यह बात अवश्यमेव हो सकती है, इस. लिये इसका प्रसार करना यह एक मुख्य कर्त्तव्य इस सभाका है. १० अपने संतानोंको पडाने खातर क्रमवार पुस्तक होनेकी आवश्यकता कीतनी है सो आप साहेबोंको विदित है. इस बारेमें विद्वान् और धनवान् सद्गृह. स्थोंको अवश्य प्रयास करना उचित है. ११ जैन शिक्षण सभा-धार्मिक शिक्षण, व्यवहारिक शिक्षण, स्त्री शिक्षण और धार्मिक साहित्यका प्रसार वगैरह ऐसे विषय है कि जिनके वास्ते मजबूत पायेकी जरूरत है. वह यह है कि, एक जैन शिक्षण सभाकी स्थापना की जावे कि जिसके अंदर विद्वान् साधु मुनिराज तथा अच्छे अच्छे पढे हुवे समझदार धर्मधुरंधर श्रावक शामिल हो. और उनके मतके मुवाफिक शिक्षणादिमें सुधारा वधारा किया जावे. इस तरहपर काररवाइ करनेसे बहुत सुगमताके साथ अच्छे तोर पर सब काम हो सकता है. इस शिक्षण सभासें यहभी फायदा होगा कि कुल पाठशाळा वगैरह उस सभाकी देखरेखमें आजावेगी और उन सबकी एकसरखी रीति हो जावेगी और हर जगह बहुत जल्दि तरक्की होनेका और संभाळ होते रहनेका मोका मिलेगा. इसही विषयसें तालुक रखता हुआ हमारे विचारणीय शाळोपयोगी बुक कमीटीका मुद्दा है. आजकल कॉन्फरन्सके जरियेसे तथा उसके पहिलेसें जगह जगह पाठशाळा वगैरेह तो देखनेमें आती है. परंतु दो बातकी न्यू. नता देखनेमें आती है. एकतो पाठशाळाके लिये उपयोगी पुस्तके देखनेमें नहीं For Personal & Private Use Only Page #122 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ५९ ) आती हे और पढाने के लिये ठीक ठीक माष्टर नहीं मिलते है. इस लिये इसके प्रबंध करने की बहुतही जरूरत है.. १२ प्राचीन पुस्तकोद्धारका मुद्दा ऐसा है कि, जिप्सको सबसे पहिले जगह देनी चाहिये. क्योंकि यह पुस्तकें अपना अपूर्व ज्ञानका अमूल्य खजाना है. अपने धर्ममें कहा है कि ज्ञान आत्माका चक्षु है. जब यह चक्षु पूरे तोरपर खुल जाता है, उसवख्त आत्माको केवल ज्ञान प्राप्त होता है, जिसकी अभिलाषा भव्य जीवोंको हर वख्त बनी रहती है. अब जो ग्रंथ मोजुद है, वह प्राचीन समयके ग्रंथोके प्रमाणमें शतांशभी नहीं है. उन ग्रंथोके कर्त्ता पूर्वाचार्योका अथाम परिश्रम पर नजर डालना चाहिये. उन महात्माओंका परिश्रम ऐसा है कि अगर अपन लोग एक एक अक्षरकी एक एक मोहर खर्च करे तोभी उनका ऋण नहीं अदा कर सकते है. दुष्कालादिक अनेक प्रकारके उपद्रवोमेंसे जो ग्रंथ बचे उनको अपने पूर्वनोनें दूर दूरके देशोमें और निर्भय स्थळोमें भंडारारूढ कीये. जब तक समय प्रतिकुळ था तब तक उन पुस्तकोंको भंडारमें बंध रखकर बचाना बहत जरूरी था. परंतु अब समय अनुकुळ है तो उन पुस्तकोंका पुनरुद्धार करके बचेबचाये ज्ञानको कायम रखना और उसकी वृद्धि कराना निहायत जरूरी है. १३ जीर्ण मंदिरोडार-इस पंचम कालमें जिनेश्वर भगवान के साक्षात् मोजुद न होनेकी हालतमें उनके अभावमें अपन लोगोका आधार उनकी प्रतिमा-स्वरूप और उनकी वाणी पर है. उनकी वाणीको तो पूर्वाचार्योंने पुस्तकारूढ करके अपने वास्ते एक अमूल्य वारसा छोडा है, कि जिसके उद्धारके बाबतमें इस ही वख्त कह चू. काहूं. अब उन भगवानकी प्रतिमा और प्रतिमाके रहने के स्थानका पूरा इंतेजाम करना उसही मुवाफिक जरूरी और उचित है कि जैसे पुस्तकोद्धार. अपने बडे बडे राना महाराजाओंने तथा धर्मात्मा शेठसाहुकारोंने लाखों करोडों बल्कि अन्नों रुपये खर्च करके जो जो भव्य मंदिर बनाये है और उनमें सुंदर प्रतिमायें बिराजमान कराइ है और उनका बदस्तूर कायम रखना, फूट तूटकी मरम्मत करना और सेवा पूजा कराना अपनी फरज है. जिन प्रतिमा जिन सारखी होती है और जो विनय और भक्ति प्रभूकी मोजूदगीमें अपनी करनेका फर्ज है वही विनय और भक्ति उन की प्रतिमाकी अवश्य है. आज कल जो आशातनायें पूजा वगैरहकी देखी जाती है वह दिलको बहुत दुखानेवाली है. परन्तु इसके दो कारण है, एक For Personal & Private Use Only Page #123 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ६ ० ) सो अज्ञानता और दूसरा गरीबी की हालत. परन्तु गरीबी होने परभी बहुतसी आशातना ज्ञान और विवेकके साथ पूजा करनेसे मिट सकती है. इस लिये जीर्ण मंदिरोद्धार करना करानाभी अपना मुख्य कर्तव्य है, मालुम होता देखा गया अपने कोमकी तरक्की के १४ प्राचीन लेखोंका तल्लास – इतिहास के देखनेसे है कि अपने जैन धर्म और जैन समाजका पूरा इतिहास जहां तक नही मिलता है. अपने परम पूज्य महावीर भगवान के पहिले या पीछे किस किस महान् आचार्य वगैरहनें अपने धर्म और लिये क्या क्या महेनत उठाई हैं, कहां कहां अपने हक में अच्छी बातें हुई हैं, कहां कहांसे अपने हक मिले है, इत्यादि जब तक पुरानी शोध खोज नहो कुछ:मालुम नहीं हो सकता. इस अपनी तरक्की - मजबूती के वास्ते प्राचीन लेखोंका तल्लास कराना निहायत जरूरी है. ११ हानिकारक रिवाजोका त्याग - मिथ्यात्व सब पापोंका मूल है. जो प्राणी इसको सेवन करता है वह निश्चय करके इस संसार में परिभ्रमण करता रहेगा, और अशुभ कर्मों के उदयसे हमेशा दुःख पाता रहेगा. मिथ्यात्वको छोडकर सम्यक्त्वको अंगीकार करना ही चतुर आदमियोंका काम है. यह मिथ्यात्व अक्सर अज्ञानतासे पल्ले बंध जाता है. और एक दफे पल्ले बंधने के बाद फिर मुशकिल से छूटता है. क्योंकि जीव इसको अनादिकालसे सेवता हुवा चला आता है, इसलिये यह मिथ्यात्व जीवको प्रिय है. इस मिथ्यात्व के प्रवेश के कई रास्ते है. परन्तु मुख्य रास्ता उन हानिकारक रीति रिवाजोंके जारी रखनेसे हैं, कि जिनकी वजह से चीकणे अशुभ कर्म बंधते है, लोगमें हांसी होती है, और व्यर्थ पैसा खर्च होता है. जो रीतिरिवाज अपने धर्म शास्त्र के हुक्मके विरुद्ध प्रचलित हो गयेहे वेही हानिकारक है. उन रीतिरिवाजको सुधारकर शास्त्रानुसार उनसें प्रवर्तना यहही समझदार मनुष्यों का धर्म है. गत वर्षमें इसबारेमें जो ठराव हुआ है उस बातोंका जो जो स्थलमैं अमल न हुवाहो वहां अमल करना खास जरूरी है. पहिले अलबता कोई पुस्तक जैन रीति से विवाह करनेकी नहीं थी. अब वह पुस्तकभी प्रकट हो गई है. अपने लोगोंको जरूर है कि उस विधि मुवाफिक अपने सन्तानका लग्न करावे. इसके सिवा जो सोलह संस्कार अपने लोगोमें शास्त्र के मुवाफिक होना चाहियें उनको आन लोग छोड और भूल बैठें है. उन सोलह संस्कारों को बालबोधमें लिखकर तत्व For Personal & Private Use Only Page #124 -------------------------------------------------------------------------- ________________ निर्णय प्रासाद ग्रंथमें छपवाकर बहुतही सुगम कर दिया है. उस मुवाफिक अपने सोलह संस्कार जरूर प्रचलित होना चाहिये, और धर्म शास्त्र के आज्ञा विरुद्ध जो हानिकारक रिवाज जारी हो गये है उनको बंद करना चाहिये. १६ सधर्मीको आश्रय--सधर्मी भक्तिके बराबर और कोई भक्ति नहीं है. धर्मी भाईका अपने घरपर आना अच्छा नसीबके उदयसे होता है. क्योंकि अपने लोगोमें यातो राज कारभारी या साहुकार या व्यापारी होते है. इसलिये नकतक समय ठीक रहा अपने अंदर गरीबाई आनेका कोई कारण नहींथा. परन्तु इन दिनोंके अतूट दुर्भिक्षोंने अपने बहुतसे भाइयोंकी, बहेनोकी और बच्चोंकी दुर्दशा बना दी है. और उनको इस वक्त किसी तरहका आश्रय नहीं है. न वह इस लायक है कि खुद अपनी सार संभाल कर सके. इस लिये ऐसे ऐसे जैनियोंकी सारसंभाल करके उनको आश्रय देना बहुतही जरूरी है. १७ जीवदया-इसही विषयके साथ मिलता हुआ जीव दयाका मा. मला है. जिस तरह पर निराश्रितको आश्रय देकर उनको धर्ममे दृढ करना जरूरी है वैसेही अपंग वृद्ध जीवोंका बचाना, उनको खाना पीना देना, उनकी सार संभाल करना अपने दयामयी धर्मका काम है. इसलिये जीव दयाकी तर्फ लक्ष देनामी अपनेको बहुत जरूरी है. सांसारिक व्यवस्थाकी तर्फभी नजर डालनेसे जाहिर होगा कि जीवकी रक्षा करनेसे किस कदर फायदे होते है. १८ कुसंपका त्याग करनेपर और आपसमें मेल बढाकर अपने इच्छित फलोको प्राप्त करने के बारेमें में उपर बहुत कुछ कह आया हूं. इस लिये यहां पर इतनाही कहना बस है कि इसको आपलोग सबसे पहिला स्थान अपने दिलोमें देवेंगे और इसकी जड मजबूत कायम करेंगे. इसके बाद आपके और और विचारे हुवे काम पार पड सकेंगे. १९ जैन डीरेक्टरी-अपने ब्रिटिश गवर्नमेंट और देशी राज्योमें जो हर दस साल लाखो रुपया खर्च करके मनुष्य गणना कीजाती है इसका मतलब यहही है कि इन राज्योके तावेमें रैयतकी संख्या, उनकी पृथक् पृथक् उमर, उनकी इलमिलियाकत, उनका धंधा रोजगारका हाल, उनकी सांसारिक और धार्मिक स्थिति वगैरह वगैरह मालुम होजावे. ताकि इस बात के मालुम होनेपर सर्व For Personal & Private Use Only Page #125 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ६२ ) दोस्त हर कस्बे व गावका उनके हाथमें आजावे. और जहां जहां जिस बंदोबस्तकी जरूरत हो उसकी बे महेनत तुरत काररवाई की जावे. इस मुवाफिक अपनी सांसारिक और धार्मिक हालत अपने लोगों को अच्छी तरह मालुम होनेके लिये और फिर उनका यथोचित इंतेजाम करनेके लिये अपनी एक कुल हिंदुस्थानके जैनियोंकी पूरी डीरेक्टरीका तयार होना निहायत जरूरी काम है. इस डीरेक्टरीके तयार होनेसे अपनको अपने हर उमरके मर्द औरतका हाल, उनकी स्थितिका हाल, उनके इल्मका हाल, उनके धंधे रोजगारका हाल, उनके धर्मज्ञानका हाल अच्छी तरह मालुम हो सकता है. इसके साथ साथ अपने परम उपकारी साधु मुनिराज और साधवियोंका हालभी मालुम हो सकता है.. अपने तीर्थोंका, धर्मशालाओं का, पुस्तक भंडारोका, मंदिरोका, जिन प्रतिमाओं का हाल मालुम हो सकता है. मंदिरों की पूजा वगैरहकी कमीवेशीका हाल मालुम हो सकता है. गर्जकी जो बात इस वक्त जैन डीरेक्टररीके अभाव में अंधेरेमें पडी हुई है वह डीरेक्टरीके तयार होनेकी हालत में अच्छी तरह जाहिर हो सकती है. भा वनगर के संघने दूसरी कॉन्फरन्सके प्रस्तावके मुवाफिक भावनगर के जैनियोंकी डीरेक्टरी तयार करनेमें स्तुतिपात्र काम किया है. और उनकी देखरेख हर जगह इस ठराव के मुवाफिक कार्य शुरू होना निहायत जरूरी है. २० आप साहेबोके ध्यानमें यह वात रहनी चाहिये कि, इस महासभा के एकत्र होनेमें हिंदुस्थानके जैनियों का कितना रुपया खर्च होता है. अवल तो जहां पर वह महासभा भरती है. वहांके श्रावकों का, कि जो कई महिनो पहिले से अपना सब काम छोड़कर इसही कार्यमें लग जाते है, हिसाब मासिकका लगाया जावे तो हजारो पर हिसाब पहुंचता है. इसके सिवा भोजन वगैरह कामोमें हजारो रुपये खर्च हो जाते हैं इसही तरहपर नजदीक और दूर देशके संख्याबंद जो डेलीगेट आते है उनके रेलका किराया वगैरह हजारों रुपये खर्च होते है . पण एक महासभाके जलसे में इतना रुपया खर्च होकर हमको क्या प्राप्त होता है. यह बात हर सरूसके विचारनेकी है. सिर्फ तीन चार दिनके मीठे मीठे भाषणोके सुननेसे उस खर्चका बदल| नहीं मिल सकता है. क्यों कि इस कानसें सुनकर उस कान निकाल देना अक्कलमंदोका काम नहीं है. मेरा मत पूरी तौरपर अपने गत वर्षकी महासभा के प्रेसिडन्ट साहेबका मत के साथ मिलता है, कि भोजराजा वगैरह के वक्त में एक For Personal & Private Use Only Page #126 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एक शिक्षा लाख लाख रुपया देकर खरीद करते थे तो हमभी इतना रुपया खर्च करके यह शिक्षा सीखें तो क्या बड़ी बात है. परन्तु पूर्व कालमें जो लाख लाख रुपया खर्च करके शिक्षा खरीदते थे वह उसके अनुसार चलकर उस लाखकी शिक्षासे कइ लाख पेदा करते थे इसही प्रकार जब तक अपन लोग यहां पर शिक्षा सीखकर उस पर अमल नहीं करेंगे उस वख्त तक सिर्फ तोतावाली कहानीसे काम नहीं चलेगा. इस कथनसे मेरा यह मतलब है कि अपनी योजना या अपने ठराव सिर्फ कागज ही कागजपर नाहीं रहना चाहिये. बल्कि जो जो ठराव अपनी सबकी संमतीसे पास हो उन ठरावो पर अमल करना अपन सबका अव्वल दर्जेका फरज होगा. क्योंकि जिस बातको अपन अच्छी समझकर अंगीकार करने का और बुरी समझकर छोडनेका ठराव करते है उस ठरावके मुवाफिक अमल करनाभी अपना ही फरज है. जब अपन अपने विचारे हुवे कामपर दृढ रहेंगे तो वह काम तुरत पार पडेगा. और अपने अच्छे कामको देखकर अगर शुरुमें कोई विना समझे उस अमल के विरुद्ध होंगे तो अपना अमल अच्छा होनेसे वह तुरत अपने तरफदार हो जावेंगे. इस लिये जो जो ठराव कॉन्फरन्समें हो उनको अपन खुद्दको अमल में लाना चाहिये. और अपने अनुयायियोंकोभी उनपर अमल कराना चाहिये. २१ इन विषयोके चर्चनेके सिवा औरभी बहुत विषय योग्य चर्चनेके है. परन्तु थोडा थोडा मीठा होता है. इस लिये अब ज्यादा कहने की जरुरत नही. २२ अब आपसाहेबोको मुनासिब है कि पृथक् पृथक् जिल्होंसे जो प्रतिनिधि यहां पधारे है उनमें से मुखिया मुखियाओंको चुनकर एक सबजेक्ट कमीटी नीमे जो अपनी इस कॉन्फरन्समें चर्चने लायक विषयोंका निर्णय करे और उसके मुवाफिक अपना काम शुरु किया जावे. २३ आप साहेबो तकलीफ उठाकर इतनी दूर पधारे है और जैन धर्म तथा जैन समुदायकी हालतकी बहेतरी चाहाकर इस महासभामें सामील हुवे है इस लिये में आप लोकोंकु अंतःकरणसे धन्यवाद देता हूं और मैंने कुछ अप्रिय वचन कहा होवे उसके लिये आप साहेबोपास क्षमा चाहाता हूं. और परमात्मासे प्रार्थना करता हूं कि यह महामंडल दिन दिन उन्नतिके साथ बडता रहे तथा श्रीजिनशासन जयवन्ता हो ! ओ३म्. For Personal & Private Use Only Page #127 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ६४ ) निशाणी ३. भावनगरना मि. मोतीचंद गीरधर कापडियानुं भाषण. आप सर्वने अत्र एकत्र मळेला जोई आनंद थाय छे. जैन कोमनी मानसिक उत्कृष्ट स्थिति सूचवनार आ महान् मेळावडाने परिणामे जे जे विचारो करवाना छे तेमां केळवणी ए मुख्य पदे छे. तेनी गंभीर आवश्यकता समजवामां बहु मुश्केली लागे तेवू नथी. केळवणीनी जरुरीआत एटला माटे छे के तेथी दरेक माणस पोतानी जवाबदारी शीखे छे. हुं आपने एक दृष्टांत आपीश एटले आ हकीकत तुरत स्पष्ट थइ जशे. थोडावखत पहेलां मने एक जैन बंधु रस्तामा मळ्यो. स्वभावे सरळ प्रकृ. तिनो अने भाविक हतो. तेणे मने पूछयु के, भाइ कॉन्फरन्से शुं कर्यु ! तमे सर्वेए आ सवाल घणाना मुखमांथी सांभळ्यो हशे. आ एक एवो गुंचवाळो सवाल छे के तेनो जवाब देवामां जरा विचार करवो जोईए. में तेने जवाब आप्यो के भाइ ! तमे कॉन्फरन्स माटे शुं कर्यु? कॉन्फरन्स ए कंइ जुदुं पुतळु जुदी व्यक्ति नथी. आखी कोमप्रत्येक मनुष्य व्यवहारिक, सांपत्तिक, नैतिक, मानसिक, अने शारीरिक बाबतमा सधारो वधारो करे ते बधाओना कार्यनो सरवाळो तेज कॉन्फरन्से करेलं काम समजवू. आ जवाबी ते माणस तो निरुत्तर थइ गयो पण पोताने कॉन्फरन्सथी जूदा समजवायूँ कारण शुं ? आवा प्रकारनी भूल थवानो हेतुं शुं ? आपने तुरतज जणाशे के आवा गंभीर सवालपर ते माणसे पुरतो विचार कर्यो नहोतो. विचार क्यारे कराय ? ज्यारे पोतानी फरज अने जवाबदारी शुं छे ते समजाय त्यारे. पोतानी फरज अने जवाबदारी शुं छे ते क्यारे समजाय ? केलवणी लेवामां आवी होय त्यारे. आटला उपरथी आपने रोशन थशे के, केलवणी लीधाथी पोतानी फरज अने जवाबदारी समजी माणस ते प्रमाणे वर्तन करे छे. ज्यारे दरेक माणस पोतानी फरज शं छे ए समजे त्यारे पछी आवा महान् मेळावडा भरवानी पण जरुर न पडे. ज्ञान भंडारनो जीर्णोद्धार आपोआप थइ जाय, अने आर्यावर्तमां एक पण जीर्ण मंदिर रहे नहीं. बाळलग्गनु नाम निकळी जाय अने रडवाकुटवानुं अ For Personal & Private Use Only Page #128 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ६५ ) गाउन वार्तामा रही जाय. अलबत ज्यांमुधी आ स्थिति प्राप्त थाय नहीं त्यां सुधी दरेक बाचतमां प्रयत्न करवानी जरुरीआत छे अने ते प्रमाणे आपणे करीए पण छीए. खरा अर्थमां केळवणी जो आपवामां आवे तोज सारी स्थिति प्राप्त थाय छे, जे प्राप्त करवी एज दरेक कोमनी अने मनुष्यनी उच्च भावना होवी जोइए. इ. स. १८७१ मां जापानना मीकाडोए ठराव बहार पाड्यो के " हवे पछी केळवणीनो एटलो बोलो फेलावो करवानो इरादो राखवामां आव्यो छे के, आखा राज्यमां एक पण अभण कुटुंब धरावतुं गाम रहेवा पामे नहीं, अथवा तो एक पण अभण इसम धरावतुं कोइपण कुटुंब रहेवा पामे नहीं. " आठरावने परिणामे ३५ वर्षम जापाने जे वधारो कर्यो तेने हाल आखी दुनियाने आश्चर्यमां गरकाव करी नांखी छे. जापानीओ ३५ वर्षमां गुरुना गुरु बनी गया छे. जे कलाकौशल्य तेओ यूरोप - मांथी शीखी आव्या तेनो अभ्यास करवा दरेक वरसे चार लेफटेनंटोने जापान मोकलवानो इंग्लंडनी सरकार ठराव करी चुकी छे एक प्रजाना इतिहासमा ३५ वर्ष कांइ नथी. आवी इच्छा ज्यारे आपणी कोमना प्रत्येक आगेवानना मनमां जागृत थशे त्यारे आपणे घणो वधारो करी शकीशु. जे कोइ पुरुष या जे कोड़ स्त्रीने आगळ वधवुं होय तेणे जापाननो दाखलो भूलवो जोइतो नथी. वळी आ प्रसंगे जणाववुं जोइए के समय बहु अनुकूल छे. शास्त्रकारना कहेवा प्रमाणे वीर परमात्माना स्वर्ग गमन पछी पचीसो वर्ष सुधी भस्म ग्रह छे. तेमां वच्चे बच्चे उदय थाय छे. पण हवे तो ते वखत पण पुरो थइ जवा आव्यो छे ते वखतनी कॉन्फरन्स सूचना करे छे. अने आ सूचना दरेक जणे उपाडी लेवानी जरूर छे. आपणी कोमनो वधारो केळवणीना वधारा उपर आधार राखे छे. केळवणी शमां फक्त स्कुलमां हालमां अपाती केळवणीनो समावेश करवामां आवतो नथी. अमुक पाठो गोखी जवा के परीक्षा पसार करवी ते एकज प्रकारनी केळवणी छे. सर्व देशीय केळवणीमां मगजने पोतानी फरज शुं छे ते विचारतां शीखवतुं . दरेके दरेक नाना प्रसंगोमां पण विचार शक्तिने अवकाश आपी तदनुसार वर्तन करवुं ए केळवणी छे. आवी केळवणी स्कूल छोड्या पछ वास्तविक रीते शरु थाय छे अने आखी जींदगी सुधी चाले छे. मारा आंखा भाषणमां विचार शक्ति जवाबदारी अने फरजनी विचारणा, अने शक्ति नेज के. ळवणी कहेवामां आवशे.. ९ For Personal & Private Use Only Page #129 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ६६ ) केळवणीनी बाबतमां आपणी कोम धणीज पछात छे, ते प्रसिद्ध वात छे. सरकारी उंचा हो हा मेळवनाराओमां पण देशी राज्योमां सारी लाग वग धरावना - राओ अथवा स्वतंत्र उत्तम साक्षरो आपणी कोममां कोई नथी. होयतो गण्या गांठ्यान छे, अत्यार सुधीमां आपणी कोमे व्यापार तरफज लक्ष आप्युं छे अने ते बहु सारुं छे. पण व्यापारने अने केळवणीने कोइ विरोध नथी. सारी रीते अभ्यास करीने माणस व्यापारमां जोडाय तो बेवडो लाभ करवा उपरांत पोतानो लाभ बीजाओने पण आपी शके. वळी थोडा विद्वान माणसो बीजी लाइनमां उतरी जइ कळा कौशल्य के देश सेवा बजावे ए इच्छवा जेवुं छे. व्यापारने खास छोडवो नहीं एतो मुख्य उद्देशज छे. आ बन्ने सुत्र ध्यानमा राखी आपणी पछातताने दुर करवानी जरुर छे. आपणी कोम केटली पछात छे ते जाणवानुं साधन आपणी पासें हजी प्राप्त थयुं नथी. छतां हालमां भावनगरवाळाए डीरेक्टरी बहार पाडी छे ते उपरथी जोवाने बनी आवे छे के, ३५०० जेवी जैननी मोटी वस्ती धरावता एक आगेवान शहरमा मात्र ५ ग्रेज्युएटो अने मेट्रीक पास थयेलानी संख्या १७ नीज छे. तेथी उंची केळवणी लेनारा || टका जेटलाज लगभग थवा जाय छे. हवे भावनगरं तो कॉलेजनी सगवड धरावे छे, तथा बीजी पण केटलीक सगवड धरावे छे. तेथी त्यां आटलं पण देखाय छे पण आपणे आखी जैन कोमनी नजरथी जोईए तो आप वधारेमां वधारे २२ प्रेज्युएटो धरावीए छीए. लगभग १० लाखनी वस्तीमां आ केटली ओछी संख्या गणाय ? ४०००० माणसे एक ग्रेज्युएट बहुज ओछु प्रमाण बंधाय. पारसी जेवी सवालाख माणसनी कोममां ओछामां ओछा २००० ग्रेज्युएटो छे. आपणी कोमने माटे आ तदन शरमावनारुं छे. आटला उपरथी आगे केळवणीनी आवश्यकता अने आपणुं पछातपणुं जोयुं. आपणी राजभाषा अंग्रेजी छे. आपणां दुःखो योग्य अधिकारिओ समक्ष रजु करवा, न्याय मेळववा, राजद्वारी लागवग वधारवा अने कोमनी सामान्य उन्नत्ति करवा आ भाषानुं ज्ञान उपयोगी छे. जैन कोमना उंचा प्रकारनुं साहित्य दुनिया समक्ष मूकवा विद्वान वर्गमां जैन धर्मना मूळ तत्वोनो फेलावो करवा, तेना संबंधमां केटली गेर समजुती छे ते दूर करवा अने बीजा विद्वानोना अभिप्राय जाणवा आमाबाना ज्ञाननी जरुर छे. खगोलविद्या, तर्कशास्त्र, गणित, पदार्थविज्ञानशास्त्र इतिहास विगेरे विषयोना विस्तीर्ण ग्रंथो आ भाषामा छे तेनो लाभ मेळववा आ भाषाज्ञान कामनुं छे अने कोमनी सामान्य उन्नति करवा माटे आ भाषाज्ञान तजी न श For Personal & Private Use Only Page #130 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ६७ ) काय तेवु छे. व्यापारनी वृद्धि अने ज्ञान माटे पण. आ भाषाज्ञाननी पुरेपुरी जरुर छे. टुंकामां आपणी कोमनी अने कोमनी प्रत्येक व्यक्तिना वधारा अने टकाव माटे आ भाषाज्ञाननी पुरेपुरी जरुर छे. आ भाषाज्ञाननी जेटली जरुर छ तेटलीज आपणी कोमनी ते विषयमा पछातला छे ते आपणे उपर जोइ गया छीए. गृहस्थवर्ग केळवणी आपवानी दरकार करतो नथी अने गरीव वर्ग ते लइ शकतो नथी कारण के आ केळवणी बहुज खर्चाळ छे. मोटो भाग तेथी करीने केळवणी लेवाथी बेनसीब रहे छे. कोमना साधनथी जो केळवणी लेवामां आवे तो बीनो ए लाभ थाय छे के, जेओ आ साधनथी केळवणी ले छे तेओ पोते पोताने खर्चे केळवणी बीजाने आपे छे, अने आवी रीते परंपरा चाले छे. बीनी रीते मदद करवाथी ज्यारे गरीब वर्ग वधे छे त्यारे केळवणी आप्याथी परंपराए बहु मोटो वर्ग पोताना पग उपर उभो रहेनारो नीकळी आवे छे. केळवणीने मददनी पुरेपुरी जरुर छ ए आपना जोवामां आव्युं हशे. प्राथ. मिक केळवणी जैनोमां मोटे भागे लेवामां आवे छे तेथी ते दरेक मावाप उपर राखी हाइस्कुल अने कॉलेजनी उंचाप्रकारनी केळवणी आपवामां मदद करवी ए आगवान गृहस्थोनी खास फरज छे. मदद करवी ए खास फरज छे एम सिद्ध थया पछी हाल तुरत कया प्रकारे मदद करवी ए जोवानुं छे. सरकार मोटे खर्चे कॉलेजो चलावे छे, अने तेनी हरीफाइमां मोटो खर्च करी आपणे कॉलेजो नभावी शकीए ए बनी शके एवं नथी. कॉलेज चलाववामां जे मोटो खर्च थाय छे, ते जोतां ए बहु मुश्केल छे तेथी आपणे जे करी शकीए. ते ओछा खर्चे वधारे लाभ मेळववो ए छे. आटला सारूं हालना वखतमा शेनी मदद जोइए, ए विचारवानी जरुर छे. मुंबइ जेवा मोटा शहेरमा भणनाराओने केटली अगवड पडे छे, तेनो अनुभव शिवाय ख्याल आववो मुश्केल छे. जो एक बोर्डिंग स्थापवामां आवे तो तेथी बहु लाभ थाय. एक विद्यार्थी पाछळ जो २०० रुपी आनो खर्च राखवामां आवे तो तेमांथी तेनो भोजन, कपडा, फी अने पुस्तक सर्व खर्च निकळे अने दश हजार रुपियाना खर्ची ५० विद्यार्थीओ निकळी शके.. आ विद्यार्थी भोने दररोज एक कलाक फरजीआत धा. मिक अभ्यास कराववामां आवे तो तेओमां ने कोइवार धर्मपर अनास्थानो आरोप मूकवामां आवे छे, ते दुर थइ जाय अने ५० बोर्डरो साथे पोताने खर्चे भणनाराओ पण जोडाइ शके. आवी रीते दश वर्षमा आपणे आस्तिक जैनोनुं एक मोटं टोळं For Personal & Private Use Only Page #131 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - (६८) मैदा करी शकीए. ज्यारे कॉलेज पाछळ कदाच पचाश हजारनो खर्च राखीए तोपण आ लाभ मेळवी शकीए नहीं. ___ इंग्लीश भाषापर केटलाक आक्षेप थाय छे ते तदन अस्थाने छे. दाखला तरीके धर्मपर अनास्थानो दोष मूकवामां आवे छे ते तदन खोटो छे. केळवणीथी ए थतुं नथी. नानपणथी असंस्कारी मन गमे तेवा विचार करे ए स्वाभाविक छे. आ बाबतमां मावापपर ठपको रहे छे. तेओ जो नानपणथी धर्मपर ध्यान आपे तो नमुनेदार बाळक बनावी शके अने आपणे जोइए छीए के, मि. ढड्डा अने मि. गांधी केळवणीना प्रतापथीज जैनधर्मने दीपावनार तरीके शोभी निकळ्या छे. केळवणीपर आक्षेप करवा, ए वस्तु स्थितिन ओछं ज्ञान बतावे छे. पात्र भेदे कोइवार . विपर्यास थाय छे, पण तेमां केळवणीनो दोष काढवो ए तद्दन खोटं छे. आपणी कोम एकपण हाइकोर्टना जज जेवो होद्दो धरावनार मेळवी शकी नथी. अने खरेखर उंची केळवणीनी बाबतमां मुसलमानोथी पण पछत छे. डीस्ट्रीक्ट जन पण एके नथी. आ बाबत आगेवानोना लक्ष उपर टुंकामां लावी केळवणीना बीना साधनोपर विचार करीए. लायब्रेरी-जैनना आगेवान गणातां शहेरमां फ्री लायब्रेरी स्थापी जेनाथी साहित्य मफत वेचाय ते ज्ञान फेलाववानी जरुर छे. आ रस्ते ओछा खर्चे मोटो लाभ थइ शके तेम छे, आ बाबतमां आप साहेबोन ध्यान खेंचवामां आवे छे. आ कार्य कॉन्फरन्सपर राखवानुं नथी. दरेक गामवाळाओए स्थानिक मुधारो करवानी जरुर छे. लायब्रेरीमां गुजराती, संस्कृत अने धार्मिक पुस्तको राखवामां आवे अने बने तो इंग्लिश पण राखवामां आवे तो बहु लाभ थाय. बोर्डीग-आ संबंधमां अगाउ बहु बोलाइ गयुं छे. विषेश विवेचननी मरुर नथी. फाइलोलॉजीकल लेक्चर शीप-जैनधर्मना विद्वानोना जीवनचरित्रो अने ते विगेरे जुनी शोध खोळनी बाबतमा विल्सन फाइलोलॉजीकल लेक्चरशीप घाले छे, ते धोरण प्रमाणे विद्वान् नैनो पासे दरेक वर्षे एक विषयपर छ सात भाषणो अपाववां अने तेने माटे माटुं इनाम आपq अने भाषणो छपाववां. आथी महात्मा हरिभद्रसूरी, हेमचंद्राचार्य, हीरविजयमरी विगेरे विद्वानोना समयनो अप्रसिद्ध इतिहास प्रसिद्धिमा आवशे. जैन कोमना एतिहासिक बनावोपर विद्वानो ध्यान For Personal & Private Use Only Page #132 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१९) खेंचाशे अने जैन विद्वान्वर्गमा जुनी बाबतनी शोध खोळ करवानी बुद्धि जागृत थशे. आ संबंधमां एक आखी दरखास्त छे, जेथी विषेश विवेचन करवानी जरुर नथी; पण फक्त ते शोधखोळने अंगे एक लेक्चरशीप स्थापवी ए कहानी अत्रे जरुरीआत छे. आपने एक सामान्य दाखलो आपुं. हालमां हेमचंद्रसूरीना संबंधमां तपास करतां एटली नवीन हकीकत मळी आवी छे के ते संबंधमां आपणे तद्दन अज्ञान हता, हेमचंद्रमरिना उपकारथी आपणी कोम आ स्थितिए रही शकी छे. अने अस्त पामतां जैन धर्मपर तेओए इतिहासना पानापर ना भुंसी शकाय एवा अक्षरोथी जैन धर्मनी जैनीओनी उत्कृष्टता बतावी जे महान कार्य कर्य छ तेनी यादगीरीमां आपणे तेओने माटेज एक लेक्चरशीप स्थापवी जोइए. आवीज रीते बहु विद्वानो थइ गया छे. वळी लेक्चरशीप स्थापवीए विद्वानोने खेंचाण करनारूं तत्व छे अने ते द्वारा घणा अभ्यासीओ वधी शकशे. एक बहु अगत्यनी बाबत तरीके आ बाबत हाथ घरवानी जरुरीआत छे. वर्ष दिवसे पांचसे रुपिआ आ भाषणमाळा माटे काढवामां आवे तो हाल चाली शके तेम छे. - जेम बोर्डिगनी जरुर छे तेमज स्कॉलरशीपनी पण जरुर छे. केटलाक अ. भ्यासमां बोर्डिगनो आश्रय लेवो बनी शके एवं होय नहीं तथा सर्व शेहरोवाळा बोडिंग निभावी शके नहीं त्यारे योग्य विद्यार्थीने स्कॉलरशीपद्वारा मदद करवाथै बहु लाभ थशे. स्कॉलरशीप ए एवा प्रकारचं उत्तेजन छे के, ते मेळववा माटे जो हरीफाइ होय तो तेथी ते मेळववानी महेनतमा एक बहु सारो वर्ग उत्पन्न करी शकाय. आवी हकीकत आपना ध्यानपर लावी गरीब अने मध्यम वर्गना विद्यार्थीओने आ रीते मदद करी तेओने योग्य रस्ते चढाववा ए आपणुं कर्तव्य छे. जेओ केळवणीथी बेनशीब रही कांइ पण कार्य करता नथी तेओ पण आखरे कोमने माथेन पडे छे, अने तेओने नभाववा पडे छे. त्यारे ने खर्च करवामां आवे छे ते तद्दन नकामो अने बदला वगरनो थाय छे. पोतानी कोमना निराश्रितोने नभाववा ए प्रत्येक कोमना आगेवानो पोतानी फरज समजे छे, अने अत्रे जे उपाय बताववानी इच्छा छे ते निराश्रितोने नभाववानी नथी पण निराश्रितो थताज केम अटके ए बताववानी छे. ज्यारे माणसो पोताना पगपर उभा रहेतां शीखे त्यारे तेओ निराश्रित न थाय अने ते केळवणी वगर थवं मुश्केल छे. गया वस्ती पत्रकना मुंबई ईलाकाना For Personal & Private Use Only Page #133 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ७० ) रीपोर्ट परथी जणाय छे के, २४ १५३३ जैन पुरुषोमाथी भणनारा फक्त २१६४६ अने लखी वांची जाणे एवा ९४ १०० छे; त्यारे १२५७८७ पुरुषो तद्दन अभण छे. जैन कोमनो अर्ध भाग मारे भाग आवी रीते तदन केळवणीथी बेनशिब रहे छे अने आ वर्गमांथी निराश्रित वर्ग उत्पन्न थाय छे तेओने सुधारवानो उपाय केळवणीने चालु मदद आपी स्कॉलरशीप विगेरे आपवी ऐज छे. आ रस्ते जे पैसा खर्चवामां आवशे ते नहीं तो बीनी रीते पण खर्ववाज पडशे. अने तेटला माटे आ वर्षमा मि. लालभाइ शेठे जे स्कॉलरशीपनी योजना काढी छे ते प्रशंसापात्र छे. अगाउ जणाव्युं तेम आवी स्कॉलरशीपमां वळी हरीफाईन तत्व उमेरवामां आवे तो मोटो लाभ थाय. आ बाबत आपना ध्यानपर लावू छं. बोर्डिंग करवी ए अमुक व्यक्तिने माटे मुश्कल छ, जो के गृहस्थ माटे तेम नथी. आवा माणसाने केळवणी खातामा मदद करवानी होंस होय तो तेणे शुं करवू ? एवो स्वाल थाय छे. आवा शुभ आश्रयवाळा अने कोमर्नु हित हैडे धरवावाळा धार्मिक धुरंधरोने हुं सूचवीश के तेओए अभ्यास करनार विद्यार्थीमाथी एक चालाक अने भविष्यमां सारा निवडवानी आशा आपनारा एक विद्यार्थीने लइ लेवो अने तेने पोताने खर्चे जमाडी कपडां, फी, पुस्तक अने व्याजबी वीजा खर्च आपी प्रिविअसथी ठेठ मुधी तेने अभ्यास कराववो; जेथी थोडा रुपियाथी एक रत्न मेळवी शकाशे अने ते रत्न परंपराए अनेक रत्न उत्पन्न करशे. आ योजना दरेक श्रीमंत गृहस्थे ध्यानमा राखवानी छे. केळवणीन खाएं एवं छे के, तेने बनी शके तेटली मदद एक आनाथी एक लाख के दशलाखसुधी आपी शकाय. परंपरा केवी रीते चाले छे तेनो दाखलो आपने जोवो होय तो भाटीया गृहस्थ शेठ गोकळदास तेजपालने जुओ. ए उपरांत सस्तु साहित्य अने मासिक अने अठवा डिक पत्रोनी जरुर छे. कॉन्फरन्सनी मददथी एक विद्वान ए. डिटर तरफथी एक मासिक के पाक्षिक नियमित रीते बहार पाडवानी जरुर छे. आमां हिंदी, गुजराती अने इंग्लिश ए त्रणे भाषापर लेखो आपवामां आवे तो ते उपयोगी नीवडशे तेमां शो शक नथी. अने तेमां जैन धर्मना सर्व विषयो लेवामां अडचण नथी. फक्त कॉन्फरन्सने लगता विषयोने वधारे अगत्यता आपवी एटलो नियम थाय तो आ मासिकनी हजारो नकलो जैन बंधुओने घेरेघेर वेचाशे. For Personal & Private Use Only Page #134 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ७१ ) निशाणी ४. मि. बालचंद हिराचंद मालेगामवाळानुं भाषण, मानवंता प्रमुख साहेब, आखी जैन कोमना प्रतिनिधेि साहेबो अने मारी सुशील बेहेनो ! शालोपयोगी ग्रंथमाला ए विषय केळवणीनो मोटो भाग छे माटे ते विषयने टेको आपता मने घणो आनंद थाय छे. केळवणी ए विषय एवो महत्वनो ने मोटो छ के, तमाम विषयो एक केळवणी उपरज आधार राखे छे. जो केळवणीनो यथास्थित प्रसार थाय तो आ कॉन्फरन्सना घणा खरा विषयोनी चर्चामां फोगट वखत गाळवानो प्रसंग नहीं आवे. तमाम प्रकारना मुधाराओ एक शिक्षण उपरज आधार राखे छे. शिक्षण, विद्या, के ज्ञान वगर आख अंधारुं छे. आ अपर्व समाजनो मेळावडो ए पण ते उंचा ज्ञाननुं एक शुभ परिणाम छे. बधा पवित्र आचार, आत्मोन्नति विगेरे एक ज्ञाननाज आधारे रहेल छे. बीजा बधा सुधाराओ करतां जो केळवणी तरफन आप वधारे लक्ष आपशो तो मारी खात्री छे के, ते सुधाराओ पोतानी मेळेज आपणी पासे आवी हाजर थशे. एक सुभाषितकार कहे छे के, - विद्या गुरूणां गुरुः विद्या गुरुनी पण गुरु छे. आपणा अंतःकरणनो विकास करवा माटे, आपणं अंतःकरण मो, करवा माटे, विद्यानी खास जरुर छे. विद्या साधननो जे प्रधान मार्ग ग्रंथमाला, कुमळा मगज उपर धर्मनी छाप बेसवा माटे साधनभुत जे पुस्तकमाळा. तेनी आपणामां घणी खोट छे. ते पुरवा माटे आपणे केवी जातना प्रयत्न करवा जोइए ते तरफ विशेषे करी आप साहेबोनुं ध्यान हुँ खेंचु छ.. घणी ठेकाणे हालमां जैन शाळाओनी प्राणप्रतिष्टा थाय छे. केटलीएक शाळाओ शिक्षणना साधनना अभावे नामशेष पण थइ जाय छे; तेमां मुख्य खामी ए छे के, पद्धतसर पुस्तकमाळानी आपणामां रचना थइ नथी. शाळामां शुं शिक्षण आपवु ए एक वणा महत्वनो प्रश्न थइ पडे छे. घणी खरी जगोए प्रतिक्रमण मूलसूत्र For Personal & Private Use Only Page #135 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ७२ ) रुपे भणावे छे, पण प्रतिक्रमण ए क्रिया प्रौढावस्थामां जे नाना प्रकारनां पाप कर्मों थाय छे, तेना पश्चातापरुप होवाने लीधे बालकोने ते क्रियाना पाठ भारभुत थाय छे. ने तेमना कुमळा मगज उपर पाठांतरनो एक वधु बोजो पडवाने लीधे तेओ मंद बुद्धीना थइ जाय छे. अर्थ समज्या वगरना पाठ भणाववा ते केटलुं मुश्केली भरेलु होय छे तेनो अनुभव घणा विद्वान लोकोने हशेज. तेज अभ्यास, वुद्धीनो सारो विकास थया बाद कराववामां आवे तो मारी खात्री छे के, अडधाथी पण ओछ। वखतमां थाय ! जे वेळा कुमळी मन रुपी भुमी उपर विद्यारुप सुगंधयुक्त पुष्प वा. टिकाओनो विकास थाय, विचार रुपी जलनुं तेना उपर सिंचन थाय, अने रफते रफते प्रौढ अवस्थामां कठण उंडा मूळवाळा झाडो तेमां वाववामां आवे तो खरेखर थोडा वखतमां तेना मधुर फळो चाखवाने मळे. माटे नाना बाळको माटे एवा पुस्तको होवा जोइए के, जेमां धर्मना सामान्य तत्वो पद्धतसर बाळकोना मगजनी शक्ति जोइने रचेला होय. आपणा केटलाक बांधवोए आ वाबतनी चर्चा जैन पत्रमा करेली छे ने तेमां हुँ पण एक छं. केटलाएक बांधवोए सूचव्यु के, एकथी सात पुस्तकोमा सामायक, प्रतिक्रमण, जीवविचार, नवतत्व, नवस्मरण विगेरे विषयो दाखल करी संकृत व्याकरणोना पण पाठ दाखल करवा कोइ कहे छ, पुस्तकमाळान रचवी नहीं कारण हालमां चालती पुस्तकमाळा कांइ आपणा धर्मने बाधक नथी. विगेरे जुदा जुदा मतो ए बाबतमां छे. मारी कल्पना प्रमाणे हुं पण एक मांग बताववा मागुं छु. हालनी सरकारी शाळाओमांनी पुस्तकमाळा जैन धर्मने बाधक नथी ए वात खरी छे. पण ते साथेन विचारवानुं छे के, ते जैन धर्मने पोषक पण नथी. आकुं एक देशीय वगर धर्मकल्पनावाडं शिक्षण मळवाथी केटलाएक आपणा बांधवो नास्तिक, जडवादी, Materialist एवा बनेला छे; माटे धमनी लागणी उत्पन्न थवा माटे जैन पुस्तकमाळानी रचना खास थवीन जोइए ए विषेनुं मारुं मत हुं आप सा. हेबोनी आगळ मुकवा चाहुं छं. साहेबो ! आप जाणो छो के, प्रतिक्रमण कांइ आपणुं धर्मतत्व बतावनालं शास्त्र नथी. ए एक क्रिया छे. ते क्रिया समजवानी शक्ति उत्पन्न थतां सुधी आपणा धर्मना मूळ तत्वोनोज अभ्यास कराववो जोइए. आपणे सारी पेठे जाणीए For Personal & Private Use Only Page #136 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ७३ ) छीए के, आपणा धर्मनु सर्व प्रकारचें तत्व बीजा लोकोनी दृष्टीथी पण अहिंसा परमो धर्मः ए एक वाक्यमां छे. ज्यारे अहिंसा व्रत पाळवं छे त्यारे जीवनी ओळखाण पेहेलां थवी जोइए. नव तत्वमां पण जीवनेज आद्यस्थान आपेलुं छे. ते जीवनी ज्यारे आपणे ओळखाण थशे त्यारेज धर्मनी दरेक क्रिया सार्थक थशे. धर्मनी दृष्टी सतेज थवा माटे, दरेक स्थळ जीवोनी श्रणीथी केटलुं आकुल थएलुं छे तेनी पीछाण थवा माटे प्रथम जीवतत्वनीज ओळखाण होवी जोइए. माटे बाळकोना पुस्तकोमा पेहेलां जीव विचार प्रकरण शीखववामां आवे तो हरकत नथी. मात्र ते मुळ नहीं भणावता तेना सार रुप पाठो तैयार करेला होय तो सारं. ते पाठो उपस्थी ज्यारे जीवतत्वनो सारो बोध थशे त्यारे जीवविचार प्रकरण मुळसुत्र भणती वेळा बीलकुल वखत जशे नहीं ने अर्थ खबर होय त्यारे श्लोक मुखपाठ करवाने केटलो वखत लागे छे ते मारा विद्वान बांधवो सारी पेठे जाणे छे, माटे पेहेलांथी सरळ भाषामा जीवना तत्वो समजाववा एज योग्य छे. हवे आपणे प्रतिक्रमण संबंधी विचार करीए. प्रतिक्रमणमां मुख्य क्रिया सामायकनी छे. सामायक ए एक जातनो योग छे. संवरनी ते एक क्रिया छे. त्यारे पेहेलं, बीजं, अथवा त्रीजुं धोरण भणनारा बाळकोने तेनो उपयोग केम थाय ! सात आठ वर्षना बाळकने ए भाररुप थाय एमां संदेह नथी. पांचमा स्टेंडर्डथी पाठांतर शक्ति सारी सतेज थयाबाद जो कदाच सामायकादिक पाठ भणाववामां आवे तो कोइ जातनो वांधी नथी. चोथा वर्गमा हालमा घणा नाना बालको जणाय छ तेमना कुमळा मगज उपर सामायक जेबा उंडा विचारोनी क्रियानो बोजो नाखवा ए कांइ ठीक नथी. आपणे जाणीए छीए के, मोटी उमरना माणसोने पण सामायक करवु केटलं मुश्केल थई पडे छे. केटला लोको नियमथी सामायकनी क्रिया करे छे. भाक्त, भाव विगेरे उत्पन्न थवानो काळ लोको वृद्धावस्थाज समजे छे. अने वृद्धावस्थामांज थोडाक लोको सामायक करवानो विचार करे छे. बाळपणामां के तरुणपणामां सामायक आदि क्रिया करवा, आसरे एक कलाक एकज जगे बेसी रही धर्म ध्यान करवू घणुं भारे थइ पडे छे. अने भाग्येज घणा लोको सामायक करता हशे. बालकोने विचार करवानी शक्ति उत्पन्न थतां वारज जो तेना मन उपर सामायकना उपयोगनी छाप बेसे तो ते धर्म उपर सारी श्रद्धा धरावनारो नीपजे. सामायकनो खरो उपयोग समजी, श्रावकनुं कर्तव्य समजी, जो बालको आ क्रिया उपर भाव लावशे तो सवारमा वेहेला उठी आळसने छोडी आ क्रियामां दाखल १० For Personal & Private Use Only Page #137 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ७४ ) थशे; तो धार्मिक अभ्यास करवाने तेने जुदो वखत आपवानुं कारण नहीं रहे अने तेनुं आगळ जतां घणुं सारं परिणाम आवशे. हालमा सामायकनी क्रिया कोइ करतुं हशे तो वधारे भागमां अमारी जैन महीलाओज करे छे. ते जगे पुरुषवर्ग उपर जो सारं परिणाम थशे तो तेथी घणी जातना फायदा आपणने मळशे. मारो मुख्य केहेवानो मतलब ए छे के, सारासार विचार करवानी शक्ति ज्यारे बालकोने मळे त्यारेज तेमना उपर सामायकादि क्रियानो बोजो नाखवो एटले ते बोजो सहन थइ शके अने ते बोनो विनाकारण नहीं पण आपणा आत्महितार्थे छे, एवी तेमनी खात्री थाय. हवे एवो एक सवाल छे के, संस्कृत व्याकरण क्यारे भणावq ? आपणे सारी पेठे जाणीए छीए के, स्वभाषानुं सारं ज्ञान होवा वगर परभाषा अने ते पण संस्कृत जेवी अघरी भाषा भणवी मुश्केल छे. पेहेलां ऋषिओ, पंडितो जे अभ्यास करावता ते पेहेलाथीज व्याकरणनो आरंभ करावता अने आखा बार वर्षमा बधां शास्त्र भणावी विद्यार्थीने शास्त्र पारंगत करता; पण हालना कालनो ' जीवनार्थ कलह ' घणो कठण थइ पडेलो छे. उदर भरणना पाछळ बधी दुनीया लागेली छे. एवा वखतमां आवा उंडा अभ्यास करी पछी दुनीयाना व्यवहारनुं प्रचलित इतिहास, भगोल, खगोल, रसायन, ज्योतिष, यंत्र, गणीत विगेरे शास्त्रनुं ज्ञान मेळववामां वग्वत गाळी पछी कोइ पण धंधा रोजगारनु ज्ञान मेळववा जेटलो वखत अमारी पासे नथी. हालमां तो घणा थोडा वखतमां अमो पंडित थवा मागीए छीए. अने ने माटेज डा. भांडारकरनी संस्कृत पुस्तकमाळा प्रगट थइ छे. तेमां थोडा वखतमां व्याकरणनु सामान्य तत्व समजी शकाय छे; एवाज प्रकारना व्याकरणो अमो भणी शकीए तेम छे. बनारस पाठशाळा जेवी महाशाळाओमा जे जुनी पद्धती मुजब ज्ञान मेळववा तयार थशे तेमने धन्य छे. पण घणा लोकोने डा. भांडारकर वाळीज योजना पसंद आवशे. सिद्धांत कौमुदी, हम प्रकिया आदी घणा शास्त्रो भणवा जेटलो अमारी पासे वखत नथी, माटे जे वेळा सरकारी शाळाओमां संस्कृत व्याकरण भणाववाने शरु करवामां आवे छे तेज वेळा एटले तेटलो अभ्यास थया बादन शरु करवामां आवे तो बहु सारं. हालमां शाळाओमां भणवाना विषयोनी एटली बधी भीड थइ पडी छे के, धर्मना एक टेक्स्ट बुकनो पण भार थइ पडशे. माटे विद्यार्थीओ उपर वधारे अभ्यासनो बोजो नहीं राखतां अने तेमना मगजने सेहेलाइथी एकेक विषय क्रमवार लेवानी फुरसद आपवाथी घणुं हीत थशे. अने मुख्य विचार करवानी For Personal & Private Use Only Page #138 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ७५ ) बात एछे के, संस्कृत व्याकरण आ कांइ टेक्स्ट बुकनो विषय नथी. ए एक स्वतंत्र विषय छे; माटे स्वभाषानुं पूर्ण ज्ञान थाय त्यारेज संस्कृत व्याकरण भणाववामां maj जोइए. कोइ पण टेक्स्ट बुकमां आज दिवस सुधी संस्कृत व्याकरण अथवा तो कोइ पण भाषानुं व्याकरण लखाएलुं नथी. टेक्स्ट बुकोमां तो मनोरंजन साथै विद्यार्थीना मगजने खीलववानो हेतु राखेलो होय छे. माटेज हालना बीजा टेक्स्ट बुकोमा चीत्रो वधारे प्रमाणमां आपवामां आवे छे. टेक्स्ट बुकनो बीजो एक विषय कविता छे. ए कविता तदन नवीन दाखल करवी ए पण युक्त नहीं गणाय. पेहेली अने बीजी चोपडी माटे जो विद्वान् लोको पासेथी नवी कविताओ सादी अने मधुर भाषामां शुद्ध, एवी रचाय तो तेमांथी पसंद करी दाखल करवी. अने प्राचीन पंडितोनी अने आचार्यांनी रचेली कविता पण ज्यां ज्यां योग्य जणाय त्यां दाखल करवी. तेमां पण छंद, सवैया, ढाळो, उपदेशक चरित्रोमांना उताराओ तरफ वधारे लक्ष आपवुं. शीयलवेल, दान, शील, तप, भाव, ना ढाळीआ एवंती, सुकुमाल, धना शालिभद्र, विगेरेनी ढाळो, सझायो विगेरे वियो दाखल थाय तो बहु सारं. पाठ तैयार करवा तेमां जीवविचार, नवतत्व, वैराग्यना, उपदेशना, नीतीना विगेरे नाना प्रकारना दृष्टांतो विगेरे विषयोनो आधार लेई मनोहर पाठ रचवामां आवे तो बहु सारुं. पांचमां स्टेंडर्डथीज संस्कृत व्याकरणनो आरंभ थाय अने इंग्लीश भणवानुं विद्यार्थी मांडीवाळे तो आगळना केळवणी माटे टेक्स्ट बुको वापरवा ते एवां होवा जोइए के, कोई पण जैन सिद्धांतनो आधार लेइ रचेल भाषांतर के विवेचन रुप होय. हालमां आपणा पुज्य मुनि महाराज श्री अमरविजयजी एवा प्रकारनो एक ग्रंथ रची रहेला छे. अने मारी खात्री छे के, ते ग्रंथ जो विद्यार्थी भणशे तो तेना मनमां जैन धर्मनुं उंहुं बीज उत्तम रीते स्थीर थशे. ते ग्रंथ तत्वार्थ सूत्र छे. तेना दश अध्याय छे, ने तेमांना त्रण चार अध्याय तैयार छे. ते एकेक अध्याय एकेक बुकनुं काम करी शके तेम छे. माटे एवा पुज्य मुनि महाराजाओनी सलाह लेइ पुस्तकमाळा घडवामां आवशे तो खरेखरुं हित थशे. आपणी बनारसनी पाठशाळा ए आपणुं कॉलेज गणी त्यांना विषय ग्रहण करवानी शक्ति पेहेलांथी तयार करी राखत्री जोइए, एटले त्यां विषय भणतां वणुं सुलभ थशे. For Personal & Private Use Only Page #139 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ७६ ) जैन युनिव्हर्सिटी स्थापन थवानो शुभ प्रसंग जो आज आपणे मळशे तो खरेखर ते दिवस आपणा जैन इतिहासमा सुवर्णाक्षरे लखावा जेवा थशे. तेवा भावी कॉलेजना अंदर आपणे उपयोगी थइ पडे तेवाज विषयो भणाववामां आवशे, तो तेथी खरेखर आपणुं कल्याण छे. आपणे हमेश जोइए छीए के, सरकारी कॉलेजोमांथी तैयार थएला विद्यार्थीओ सरकारी नोकरीना पाछळ वळगी शिक्षणनो मूळ हेतू कोरे मुके छे, अने घणा खरा लोको धर्म बाबतमां ने व्यापारी रीतभातमां के व्यापारनी खूबीओथी अजाण होय छे. सरकारी कॉलेजमां तमाम विषय इंग्लीश भाषाद्वारा शीखववामां आवे छे, तेम नहीं करतां आपणी कॉलेजमां तेमांना उपयुक्त विषयोज देशी भाषामां शीखववानो प्रयत्न थाय तो तेथी घणा लाभ थाय. ते साथे व्यापारने लगतुं पण शिक्षण आपणामां प्रसार पामे तो तेथी बहोळो लाभ थवानो संभव होय छे, - ए उपरथी जणाशे के, व्यापारी शिक्षण ए पण आपणा टेक्स्ट बुकोनो एक विषय थवो जोइए.' मारा केहेवानो मुख्य मतलब ए छे के, शाळोपयोगी पुस्तकमाळामां जैन तत्वविचार, बोधदायक दृष्टांत उपदेशपर कविताओ, स्तवनो, सझाओ ने व्यापारने लगती माहेती एवा प्रकारना विषय होवा जोइए. में दर्शावेली बाबतोथी भिन्न बाबतो विद्वान् लोकोना लक्षमां आवे ने ते प्र. माणे तेओ योग्य सुधाराओ करे तेमां मारो वांधो नथी. मारुं कहेवं एटलुंज छे के, फक्त मारा केहेवानो अल्प पण विचार थशे तो हुं मारा परिश्रमनु सार्थक्य गणीश. आपे मारूं कहेवू शांतताथी सांभळ्युं ते माटे आप साहेबोनो आभार मानी हुं रजा छउं छु. ( ताळीओ) For Personal & Private Use Only Page #140 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ७७ ) निशाणी ५. शा. मनसुख अनोपचंद अमदावादवाळानुं भाषण. महेरचान प्रमुख साहेब, स्वधर्मी भाइओ, बहेनो अने प्रेक्षकवर्ग. आपसाहेबोनी समक्ष बोलवानो वखत मळ्यो ते माटे आप सर्वेनो उपकार मार्नु छं. स्त्रीकेळवणीनो विषय खास जुदो शा माटे मूकाव्यो छे ते संबंधे जणाववान के, घणा माणसोनुं एम समजवु छ के, स्त्रीओने रळवा क्यां जवं छे ? के भणवानी जरुर छ ? पण आ मोटी भूल छे. आदि तीर्थंकर श्रीऋषभ देवे पोतानी बे पुत्रीओने लिपिओ ने कळाओ शीखवी हती. आपणामां तो ए रीते पूर्वकाळथी स्त्रीओने भणाववानो चाल छे ने ते अद्यापि पर्यंत प्रवर्तमान छे. स्त्रीओ भणेली होवाथी घणा फायदा छे, तेना थोडा दृष्टांत आप समक्ष कहेवानी रजा मागुं . भोजराजाना दरबारना धनपाळ पंडितनी पुत्री तिलकमंजरीए पितानो करेलो ग्रंथ अन्य धर्मी पंडितोए नाश करवाथी ते पोताना कंठे होवाथी फरीथी उपस्थित कर्यों छे. तेजपाळ मंत्रीनी स्त्री अनुपमादेवीए मंत्रीश्वरोना धनने कोइ ना लूटे तेवी जगाए मूकवानी अर्थात गिरिराज उपर भव्य देरासरो बांधवानी सलाह आपी आखी पृथ्वीना लोकोने आकर्षक आबु वगेरेनां देरा बंधाव्या. श्रीमान् आर्य रक्षित सूरिनी माताए पुत्रने हिंसक धर्मथी बचावी जैन शास्त्र भणवानो उपदेश कर्यो. आम कन्या, स्त्री, ने माता तरीके सुशिक्षित स्त्रीओ लाभकारी छे. बीजी तरफ अशिक्षित स्त्रीओथी केवां नुकसान छे ते विचारीए, घणी मा. ताओ पोतानां बाळकोने हाऊ, भुत, सिपाइ, बावा विगैरेनी बीक बतावी बीकण ने बायलां बनावे छे. पोतानी देराणी जेठाणीथी छोकरांने छान छानुं खवरात्री गुप्त राखवाने छोकरांने जठं बोलतां शीखवे छे. सारं सारं भाइने खावाने । खावा विगेरे वाणीविलासथी अदेखां बनावे छे. एवीज रीते कपट, विश्वासघात For Personal & Private Use Only Page #141 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गेरे अवगुणो ने असभ्य भाषा बोलतां शीखवे छे. भणेली स्त्रीओ सारासारनो विचार करी तेवी वातथी छोकरांने अळगां राखे छे ने सद्गुणी थाय तेवो प्रयत्न करे छे. आ त्रण स्त्रीओ छोकरांनी शरीर संपत्ति सुधारवा करतां खोटां खोटां लाड लडाववाने खावापीवाना नियम उपर काबु नहि राखवाथी नबळा बांधानां बनावे छे ने विवाह मालवानो खोटो लाहवो लेवाने बाळपणमा परणावी देवानी हठ करे छे. विद्या भण्या शिवाय धर्मज्ञान मळतुं नथी, ने धर्मज्ञान पामी ते प्रमाणे व. याशिवाय आत्मानो उद्धार नथी. माटे संसारनां सुख सारुं भणवानी जेटली जरुर छे ते करतां आत्माना सुखसारुं भणवानी अधिक जरुर छे. ते लाभ अभण स्त्रीओने नहि मळवाथी तेमनो मनुष्य भव अलखे जाय छे. ___अभण करतां भणेली स्त्रीओथी लाभ छे पण हाल आपणे शुं जोइए छीए. हींदा कुल स्त्री जातिमाथी सेंकडे २-३ भणेली छे. ने तेमां जैनमां तो सेंकडे १-७ भणेली छे. ज्यारे पारसीओमां सेंकडे ३४ भणेली छे. आपणो उद्धार करवा माटे स्त्रीकेळवणी उपर खास लक्ष आपवानी जरुर छे, केमके तेमना उपर उछरती ओलादनो आधार छे. ज्यां कन्याशाळाओ नथी त्यां छोकरां भेगी ' छोडीओने भणावाय तो पण धार्मिक शिक्षण माटे शिक्षकोनी जरुर छे. स्त्रीकेळवणी वधारवाना कॉन्फरन्सना प्र. यासथी गया वर्षमा घणा गामोमां धर्म शिक्षणना वर्गो ने कन्याशाळाओ नवी नीकळी छे, पण एक मोठं दुःख ए छे के, जोइता शिक्षकोज छे नहि. ते माटे घणे ठेकाणेथी मागणीओ आवेली पण तेनो उत्तर नकारमांज आपवानी जरुर पडी छे. जो विधवा स्त्रीओने शिक्षकना काम माटे तैयार करवानी योजना थाय तो तेथी बेवडो फायदो थाय. विधवाओने आजिविकानुं साधन मळे ने आपणने सोंघा शिक्षको मळे. बाळलग्नथी केळवणीने मोटुं नुकशान छे ते वात आपणे ध्यानपर लेवानी खास जरुर छे. अमदावादमां आ माटे एक श्राविका उद्योगशाळा उघाडवामां आवी छे. तेनो वखत स्त्रीओने अनुकूळ पडे माटे बपोरना १२ थी ३ सुधी राख्यो छे. त्यां तेमने धार्मिक शिक्षण अपाय छ, ने जोडे शीवण, भरत, गुंथण ने रेशमी कपडांनी बांधणी बांधवान काम शिखवाय छे. जेना नमुना जोडेना प्रदर्शनमा मूकेला छे. एथी धर्म ने अर्थ बन्ने सरे छे. कन्याशाळाओमां स्त्रीशिक्षको होय तो मोटी उमरनी दीकरीओ त्यां भणवा जइ शके. For Personal & Private Use Only Page #142 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ७९ ) पण जैन स्त्री शिक्षकोनी केटली तंगी छे ते जुओ. अमदावादनी फीमेल ट्रेनिंग कॉलेजमां गया वर्ष सुधीमां २४९ बाइओ शिक्षकना धंधा माटे तैयार थइ छे. पण तेमां त्रीश वर्षना अरसामां फक्त एकज जैन बाइ हती. आ वर्षमा २ छे. एटले कुल ३ जैन बाइओ शिक्षक तरीके तैयार थइ छे. ख्रिस्ती मीशनवाळा दर वर्षे पुष्कळ स्त्रीशिक्षको तैयार करवा मोकले छे. ते द्वारा ओ जुदी जुदी जगाओए मीशन कन्याशाळाओ काढी पोताना धर्मनो उपदेश करे छे. आपणे पोतानां छोकरांने धर्म शिक्षण आपका एवो प्रयास करवानी खास जरुर छे. हरकोइना सारा दाखलानी नकल करवाथी लाभ छे. छेवट एज कहेवानुं के, स्त्रीओने भणाववाथीज आपणो उद्धार छे. माटे गामे गाम कन्याशाळाओ करवानी जरुर छे ने ते माटे जोइता शिक्षको पण तैयार कर - वानी तेटलीज जरुर छे. ( ताळीओ. ) For Personal & Private Use Only Page #143 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (८०) निशाणी ६. वकील मुलचंद नथुभाई भावनगरनार्नु भाषण. मानवंता प्रमुख साहेब, स्वधर्मी बंधुओ अने सुशील बेहेनो. व्यवहारिक अने धार्मिक केळवणीना विषयनी दरखास्तना संबंधमां मारु अनुमोदन धार्मिक शाळाओ स्थापवाने अंगे छे. दुर्गतिमां पडता आत्माने जे धरी राखे ते धर्म, एवो धर्म शब्दनो अर्थ छे. केटलाएक निरंतर एवो आक्षेप करे छे के, जैनो नास्तिक छे, परंतु जेओ एवं बोले छे, तेओए जाणवू जोइए के, नास्तिक तो तेज केहेवाय के, जे आत्मा के परमात्माने मानता न होय. जैनो कदापि नास्तिक होइ शकेज नहीं, कारण के तेओ आत्मा तथा परमात्माने माने छे एटलुज नहीं; परंतु पुनर्जन्मने पण माने छे. नास्तिको मात्र आ भवनी विभूतिनेज चाहनारा छे अने जेओ आस्तिक होय छे ते. ओतो आ भवनी तेमन परभवनी पण विभूतिने चाहनारा छे; आखरे आत्मानी मुक्ति केवी रीते थाय तेवो प्रयास करनारा छे... आप साहेबोना ध्यानमा हशे के, वर्तमान काळमां धर्म संबंधी केळवणी मेळववा माटे पद्धतिसर साधनो बहुज जुज छे. आपणे जे इंग्रेजी केळवणी हालमां लइए छीए तेमां तो आपणी बाल्यावस्थामांथी, मानवंता मि. ढढ्ढा साहेबनी आ दरखास्तमा तेमना सूचववा प्रमाणे “ God made the world परमेश्वरे आ दुनिया बनावी " एवा बोधवाळा संस्कार मगजमां कोतराइ जाय छे. जेतुं परिणाम ए आवे छे के, आपणे अभ्यास करनाराओ ते संबंधी खरा ज्ञानथी दूर रहीए छीए अने क्वचित कोइने मोटी उमरे ते संबंधी जैन धर्मन सारु ज्ञान थाय छे, तो तेनान मात्र एवा संस्कारो दूर थाय छे. हुं पण ज्यारे हावर्डनी प्राइमर भणतो हतो त्यारे तेमां एवं शिख्यो हतो के For Personal & Private Use Only Page #144 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (८१) " A man has soul, a cow has no soul माणसमां आत्मा छ गायमां आत्मा नथी." हवे तमे विचारी जोशो के, बचपणमां ज्यारे आवा प्रकारनी के. ळवणी लइए त्यारे आपणा ज्ञान तंतुओ उपरना धार्मिक संस्कार तथा दयामणी लागणी केटलां बुठां थइ जाय छे, ते संबंधी ख्याल करवानो छे. तेथी आपणी मुख्य फरज तो ए छे के, आपणुं आ भवनुज मात्र नहीं परंतु परभव, पण जेथी श्रेय थाय तेवी केळवणी लेवानो प्रयास करवो जोइए. नीति शास्त्रमा कयुं छे के, पेहेली उमरमां ते करवू जोइए के जेथी वृद्धा वस्थामा सुखमां रही शकाय अने ज्यांसुधी जीवीए त्यांसुधी एवं करवू जोइए के, जेथी परलोकमां सुख प्राप्त थाय. एतो सारी पेठे सर्वना जाणवामा छे के आ जींदगी- सुख संपादन करवा सारं आपणे व्यवहारिक केळवणी पाछळ जेवू लक्ष आपीए छीए तेवू तो शुं बल्के तेनुं शतांश लक्ष पण धार्मिक केळवणी लेवा पाछळ आपता नथी. हालना जेवी व्यवहारिक केळवणी लेवा माटे निशाळो छे तेवी धार्मिक केळवणी लेवा माटे बिलकुल शाळाओ नथी, एम कहुं तो ते बिलकुल खोटं नथी. तेथी कॉन्फरन्सनं मुख्य कर्तव्यं तो ए छे के, तेणे धार्मिक केळवणी पद्धतिसर बाल्यावस्थामांथी लइ शकाय एवी शाळाओ ठामठाम स्थापवानी योजना करवी जोइए. वळी बाल्यावस्थामांथी धार्मिक केळवणी नहीं लेनारने मोटी उमरे तेवी के. ळवणी लेवानी इच्छा थतों केटली मुश्केली पडे छे. ते वात अत्रे बिराजेलामाथी कंइकना अनुभवमां आवी हशे; तेथी खरा जैनो जेओ मात्र आ जींदगीना सुखना करतां परभवनी अने खरेखर तो मुक्तिना सुखनी वांछा राखनारा होवा जोइए तेओए तो पोताना बच्चांओने तेओनी कुमळी वयमांधीन उंचा प्रकारचें धार्मिक शिक्षण अपाववानी खास काळजी राखवी जोइए. साचु सुख कांइ वस्तुना उपभोगमां नथी परंतु ते वस्तु संबंधी साचा ज्ञानमा छे. साचा ज्ञानथीज गुण संपादन थाय छे. ज्यारे गुण संपादन थाय छे त्यारेज साचुं सुख प्राप्त थाय छे. गुणने अभावे साचा सुखनी प्राप्तिन नथी. तेवा गुणोनो खजानो कहो तो ते बीजो नथी पण मात्र धर्मज छे. जेथी निश्चय एज थाय छे के, मनुष्यने आ भवमां के परभवमां निरंतर सुख आपनार जो कोइ होय तो ते मात्र धर्मज छे. For Personal & Private Use Only Page #145 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ८२ ) ते धर्मने चार विभागमां हुं वेहेंचण करवा मांगुं लुं. ( १ ) धार्मिक श्रद्धा, (२) धार्मिक ज्ञान, ( ३ ) धार्मिक वर्तणुंक, ( ४ ) धार्मिक वीर्य . प्रथम तो धर्मनी श्रद्धा थवी जोइए, अने ते पण शुद्ध धर्मनी श्रद्धा थवी जोइए. ते उत्तम धर्म शिक्षकना सत्संगविना क्वचितज थाय छे. ज्यां सुधी सम्यग् श्रद्धा थती नथी त्यां सुधी धर्मनु ज्ञान गमे तेटलुं प्राप्त थाय तोपण ते अज्ञान याने कुत्सिज ज्ञान सरखुंज छे. शास्त्रमां पण कह्युं छे के, ज्यारे आत्माने सम्यग् दर्शन प्राप्त थाय छे त्यारेज तेनुं ज्ञान सम्यग् ज्ञान केहेवाय छे. तेथी सम्यग् दर्शन याने धार्मिक श्रद्धानी प्राप्ति माटे निरंतर धर्मगुरुना सत्संगमां वा उत्तम धर्म शिक्षकना सहवासमां रेहेवानी जरुर छे. धार्मिक ज्ञान विना आत्मा के परमात्मानी कांइ पण खबर पडती नथी. अज्ञ माटे तो मारुं आ बोलवुंज नथी, परंतु तमो मध्येना जेओ, मात्र अंग्रेजी केळवणी लीला सुज्ञ छो, तेओ पण विचार करशे तो तेओना स्मरणमां आवशे के अंग्रेजी केळवणीनो अभ्यास करताना दरमियान आत्मा के परमात्मा वस्तुतः शुं छे ते संबंधी चिंतवन करवानो तेओए प्रसंग पण लीघेलो नहीं होय. मनुष्यना भवमां जे अवश्य कर्तव्य छे ते नानी उमरमां जे वखते उत्तम संस्कारो थवानो वखते अंधारामां रहे छे, ते खरेखर शोचनीय छे. एवं धार्मिक ज्ञान सत्संगमां रेहेवाथी वा शाळामां धर्मशिक्षक पासेथी वा तेवा थाय छे. संभव छे, से धार्मिक श्रद्धा अने धार्मिक ज्ञान विना उत्तम सद्वर्तन याने धार्मिक वर्तणुक होवानो लेश मात्र संभव नथी. धर्मनां ज्ञान अने श्रद्धाथी दूर रहेला मनुष्यो कदापि सद्वर्तनथी चालता होय तोपण ते मात्र सांसारिक सुखाभिलाषा माटेज चाले छे, एम समजाय छे. आत्मा, परमात्मा थाय एवी धार्मिक वर्त्तणुक, धार्मिक ज्ञानने सद्भावेज थाय छे. क्षमा, कोमलता, सरलता, संतोष इत्यादि गुणोवाकुं जे मुनिनुं असाधारण सद्व्रर्त्तन छे तेज आत्माने परमात्मा बनावे छे. धार्मिक वीर्य तो आ काळमां लुप्तप्राय थइ गयुं छे एस कहूं तो ते विशेष पण सद्गुरुना ग्रंथोद्वारा प्राप्त For Personal & Private Use Only Page #146 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पडतुं नथी. श्रद्धा गमे तेवी सारी होय, ज्ञान गमे तेटलुं निर्मळ होय अने वर्तन पण उंचामां उंचा प्रकार- होय, परंतु ते सर्वे वीर्यने अभावे कार्य साधवामां समर्थ थइ शकतां नथी. हालमांज आप जोशो तो धर्मनी श्रद्धावाळा अनेक जैनो छे. धर्मनुं ज्ञान संपादन करेला अनेक मुनिओ तथा श्रावको छे अने उत्तम चारित्र पाळनारा तथा सद्वर्तनवाळा बहुए साधुओ तथा श्रावको छे, परंतु धार्मिक वीर्यने अभावे, मीठा शङ्कमां कहुं तो मंदताए वर्तमानमा चालता जैनमत समिक्षाना केसमां आपणा श्वेतांबरी भाइओए केटलं तथा केवू शौर्य बताव्युं छे, तेनो स्वतः विचार करी लेशो. For Personal & Private Use Only Page #147 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (८४) निशाणी ७. भावनगरना शा. कुंवरजी आणंदजीनुं भाषण, मेहेरबान प्रेसीडेन्ट साहेब, जैन वर्गना प्रतिनिधिओ अने मायाकु बहेनो ! केळवीना संबंधमां मारी अगाउना वक्ताओ घणुं बोली गया छे, तेथी जो हुं तेने ते बोलुं तो आपने पिष्टपेषण जेवू लागशे. मारो बोलवानो विषय खास धार्मिक केळवणीनो छे. हुं एम मानु के, आ कॉन्फरन्सनु, आपणा जैन समुदायतुं अने आपणी दरेकनी जींदगीन मध्यबिंदु धार्मिक केळवणीज छे. धार्मिक केळणी शिवायनुं बीजु बधु निरर्थक छे. व्यवहारिक केळवणी गमे तेटली ल्यो, मोटी मोटी डीग्रीओ मेळवो, मोटा मोटा होदा मेळवो, मोटा वेपारी बनो, पांच सात मिलो कादो, लाखो रुपिआना रमनारा थाओ, देशमां नाम काढो; पण जो तमे धार्मिक केळवणी लीधी नथी अने आपणा सर्वोत्कृष्ट जैन धर्मनुं स्वरुप समजी तेनापर अंतःकरणथी प्रीति लगावी नथी तो ते बधुं तमारु नकामुं छे; एटलुंज नहीं पण तमारी ते जीदंगी पण नकामी छे. फोगट भारभूत छे अने दुर्गतिमां लई जनारी छे. आपणे अहीं मळ्या छीए ते धार्मिक केळवीन ने धार्मिक लागणीनु परिणाम छे. नहीं के द्रव्यवान् थयार्नु अथवा सांसारिक केळवणीमां आगळ वध्यार्नु आ परिणाम छे. हजु पण आ कॉम्फरन्सने तेओज आगळ वधारशे के जेना हृदयमा धार्मिक लागणी हशे, धर्म उपर प्रीति हशे, बीजी बावतो करतां धर्मने वहालो गणता हशे. आवी लागणी, आवी प्रीति के आवी वहालप, धार्मिक केळवीन उत्पन्न करी शकशे, माटे प्यारा बं. धुओ ! तमे तमारां बाळकोने बाल्यावस्थाथी धार्मिक केळवणी आपो, धर्मज्ञ करो, धार्मिक वृत्तिवाळां करो, जेथी आगळ उपर प्रमाणिक पण तेओज थशे, पापनो भय तेमनेन लागशे, दुराचारथी तेओज अळगा रहेशे, भक्षाभक्ष ने पेयापेयनो विचार तेओनेज रहेशे. आपणे तेवा धार्मिक वृत्तिवाळाओनून काम छे. एवाओ, काम नथी के जेओ अहीं तो शोभाना पुतळा थइने अथवा डाह्याडमरा थइने बेसे, अने बहार जइने भक्षाभक्षनो के पेयापेयनो विचार पण न करे. हालमां इंग्रेजी केळकगीने परिण मे भक्षाभ ने पे यापे पनो विचार तद्दन नाश पाम्यो छे. एवी चोळा, For Personal & Private Use Only Page #148 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चोळ ( विचारणा ) नकामी ( निरर्थक ) गणाई छे, गमे ते खावं, पीवं अने जैनधर्मी कहेवावं एम चालवा लाग्युं छे, पण जैनधर्मना कायदा सख्त छे, एमां तेवं चाली शके तेम नथी. ए कायदा हाल तो जो के तेमने सख्त लागे तेवा छे खरा, पण ते तेमने दुर्गतिमां जता अटकावनारा छे, आगामी दुःखने रोकनारा छे, अने जगत्मां तमारी वास्तविक कीर्तिने फेलावनारा छे. जे कुटुंबमां बाल्यावस्थाथीज धार्मिक बोध अपाय छे तेनी खुबी ओरज छे. तेना दाखला तरीके आपणा मि. गुलाबचंदजी ढढ्ढा नेज जुओ. ए तेमनी मातुश्रीनी सुशिक्षानुं परिणाम छे. आपणे तेवाज नरोनुं काम छे. जन्मवू पण तेवा ओनुज सार्थक छे, बीजाओगें जन्मवू नहींजन्म्या बराबर छे. आपणा वर्गने हि. तकर नथी तेमज तेना आत्माने पण हितकर नथी. बीजी गमे तेटली केळवणी लीधी होय पण धार्मिक केळवणी शिवाय ते मनुष्य पशु समान छे. अखंड प्रकाश धर्मज्ञानरुप दीपकनोन छे, बीजा दीपक अल्पस्थितिवाळा छे, आ दीपक दीर्ध स्थितिवाळो-यावत् जींदगी पर्यंतनो छे. • आ कॉन्फरन्स तरफ सहन पण लागणी धरावनारना हृदयमां तेवा दीपकनो सद्भाव समजवो, अने जेओ आ कॉन्फरन्स तरफ अभाव अप्रीति बतावनारा छे तेओना दिलमां धर्म बुद्धिनोज अभाव समजवो; कारण के, आ कोइ खानगी मंडळ नथी, स्वार्थी मंडळ नथी, पक्षपाती मंडळ नी; मात्र जैनधर्मनी ध्वनी फरकावनार, जैनधर्मनी उन्नत स्थितिनुं सर्वने भान करावनार, जैनशासननो उद्योत करनार मंडळ मेळववा पाछळ करेलो प्रयास अने खर्चेला पैसा पूरेपूरा सार्थकज छे. ___ आवी सर्वोत्तम धार्मिक केळवणी बाल्य वयथी मळेली होय तो तेनु. परिणाम आत्मश्रेयमां आवे छे, ते हुं एक नाना सरखा दृष्टांतथी सिद्ध करी आपीश. ___पूर्वे ऋतुध्वज राजाने मदालसा नामे राणी हती. तेने अनुक्रमे सात पुत्रो थया हता. ते दरेक पुत्र ज्यारे बाल्यावस्थामां पारणामां सुता मुता रोता हता त्यारे मदालसा तेने हिंचकावती हिंचकावती कहेती हती के-मृत्योर्षिभेषी किं बाल ! (हे बाळक ! शुं तुं मृत्युथी व्हीने रुवे छे के हुं जन्म्यो माटे हवे मारे मर पडशे ! ). पण जो ते कारणथी तुं रोतो होय तो तेमां तारी भूल थाय छे. केमके सच भीतं न मुंवति (ते व्हीए तेने मूकी देतो नथी) अर्थात् मृत्युथी बीए तेने पण For Personal & Private Use Only Page #149 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मरवू तो पडेज छे. परंतु एक रस्तो छे; ते ए छे के अजातं नैव गृहणाति (जे जन्मे नहि तेने मृत्यु ग्रहण करी शकतुं नथी) माटे हे पुत्र ! कुरुयत्नं अजन्मनि॥ ( जन्म न लेवो पडे तेवो प्रयत्न कर. ) अर्थात् एवं धर्मसाधन कर के जेथी फरीने जन्मकुंज पडे नहि, अर्थात् आ भवमांज मोक्ष प्राप्त थइ जाय. एवो प्रयत्न एज छे के, ज्ञानदर्शन चरित्रनुं सम्यक प्रकारे आराधन कर, तेथीज प्राणी मोक्ष मेळवी शके छे. बाळकने पण संज्ञा पूरेपूरी होय छे. पोतानी माताना वारंवार बोलेला आवां वचनो उपर इहापो करतां तेना दरेक बाळकने पोतानी बाल्यावस्थामां पारणा. मांज जातिस्मरणज्ञान थयुं, वैराग्य उत्पन्न थयो, अने उमर लायक थये दरेक चारित्र लइ लइने सद्गतीना भानन थया. आ नाना सरखा दृष्टांत उपरथी आपणे बहु धडो लेवानो छे. आवी माताओ पण क्यां छे ! क्याथी होय ! एनी कांइ जुदी खाणो नथी. ए बधुं स्त्री के. ळवणीनुं परिणाम छे. स्त्रीवर्गने विशेष आवश्यकता धार्मिक केळवणीज छे; एवी के. ळवणी लीधेली माताओ पोताना बाळकने आवो उपदेश आपी शके. वखत बहु थोडो मळेलो होवाथी हुं वधारे कहेवा अशक्त छ, पण टुंकामां एटलं जणावू छु के, तमे तमारुं मध्य बिंदु जाळवनो. आ कॉन्फरन्स तमने मोटा व्यापारी थवा, मोटा अमलदार थवा के मोटा धनाढ्य थवा इच्छती नथी, पण त. मने मोटा धार्मिक थवा इच्छे छे. बीजा तो बधा धर्मरुप कल्पवृक्षना डाळां पांदडां छे, धर्मी पुरुषने ए तो बधुं स्वयमेव इच्छाविना प्राप्त थाय छे. माटे मारी छेवटनी प्रार्थना छे के, एकांत अद्वितीय सारभूत धार्मिक केळवणी जाणीने बाइओ ने भाइओ तमे धार्मिक केळवणी ल्यो, अने तमारां बाळकोने धर्मज्ञ करो-धार्मिक केळवणी आपो, के जेथी तमारु अहिक ने आमुष्मिक बने प्रकार- हित थाय. तथास्तु ! . For Personal & Private Use Only Page #150 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (८७) निशाणी ८. भरुचना शा. अनोपचंद मेळापचंदन भाषण. मानवंता प्रमुख साहेब, प्रिय जैनबंधुओ अने बहेनो, केळवणीना विषय उपर मारी अगाउना विद्वान वक्ताओ पासेथी आपणे घणुं सांभळ्युं छे अटले स्वभाविक रीते नवीन कहेवानुं घणुंज थोड़ें छे. केळवणीनी दरखास्तने अनुमोदन आपवाने मने फक्त दश मीनीट आपवामां आवी छ तेथी पण हुं मारी जातने भाग्यशाळी मार्नु छं अने तेटला वखतमां आप महाशयोने ने कंइ हुं कहुं ते महेरबानी करी शांतताथी श्रवण करशो. गृहस्थो! विचार करो के, आजना मांगळिक अवसरे आ महान मंडपमा आखा हिंहुस्ताननो समस्त जैन संघ भेगो थयो छे, विद्वान वक्ताओना भाषणो सांभळी तेने अनुमोदन आपी जैन कोमनी अने जैन धर्मनी उन्नति करवाने आपणे तत्पर थइ रह्या छीए. जे कॉन्फरन्से जैन कोमने झळकाटमां आणी छे, जेना कार्यों विषे लांबो वखत थयां न्युसपेपरद्वारे विवेचन चालु छे ए बधार्नु उपादान कारण शं ? एन उपादान कारण एने जन्म आपनार आपणी सनमुख वीराजेला कॉन्फरन्सना एक जनरल सेक्रेटरी जैन कोमना हीरा, कॉन्फरन्स पिता कहीए तोपण चाले एवा एक विद्वान नररत्न मि. ढढा छे. एमनी उंची केळवणीना प्रतापेज आपणे आ महान कार्य आरंभवाने अने वीजा धनवान अने विद्वानोनी मददी धोदीनप्र तिदीन फतेहमंदीथी पार पाडवाने शक्तिवान थया छीए. आ केळवणांथी थता लाभनो एक प्रत्यक्ष दाखलो छे. महाशयो! दूरना देशो तरफ अने आपणी भाइबंध कोमो तरफ नजर करीशं तो आपणने मालम पडशे के, देशोन्नति, धर्मोन्नति, कोमनी उन्नति अने प्रत्येक कु टुंबना सुखीपणानो आधार केळवणी उपरन छे. ब्रिटीश शहेनशाहत आपणा उपर जे सर्वोपरिसत्ता भोगवे छे ते तेमनी केळवणीनाज प्रतापे. अमेरिका देश धंधा हुन्नरनी For Personal & Private Use Only Page #151 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (८८) खीलवणीथी धनवंत थतो जाय छे. पच्चीश वर्ष उपरनु नानकडं जापान केळवणीनाज बळे वधी जइ महान् रशीअन राजनी सामे टक्कर झीली रयुं छे. पारसी कोम पण केळवणीने लीधेज आजे आगळ वधेली छे. देशसेवा बजावनार मानवता दादाभाई नवरोजजी अने फीरोजशा महेता जेवा नर रत्नो पेदा कर्या छे. जे कुटंबना माणसो केळवाएलां होय छे तेओ पोतानो संसार केवो सुखमां गुजारे छे तेना जोइए तेटला दाखलाओ हरनीश आपणी नजरे पडे छे. . भाइओ! केळवणीनो ज्ञानीओए तृतीय लोचनं अर्थात् त्रीजी आंख कहेली छे. आ बे बाह्यचक्षुवडे तो आपणे फक्त चीजनुं रुपज जोइ शकीए छीए पण केळवणीरुपी अंतर चावडे तो तेनु खरेखरुं स्वरुप जाणी शकीए छीए. केळवणी बे प्रकारनी कहेवामां आवी छे. व्यवहारिक अने धार्मिक, व्यवहारिक केळवणी प्राप्त करवाथी आ संसारना सुखना साधनो आपणे सहेलाइथी मेळवी श. कीए छीए. अर्थ कहेतां पैसो अने काम कहेतां मननी इच्छाओ ए बे पुरुषार्थ केटलाक दरज्जे व्यवहारिक केळवणीथी प्राप्त करी शकीए छीए. धर्मनी केळवणी उपर छेल्ला चार पांच वर्ष थयां ध्यान अपाय छे. पण हजुं जोइए तेवू नहीं. संसारिक सुख व्यवहारिक केळवणीथी मळे छे, पण आत्मिक सुख तो धर्मनी पीछाणवगर मळवू बहु कठण छे. धर्मथीज आपणा आत्मानुं खरू स्वरुप पीछाणवाने आपणे शक्तिवान् थइए छीए, अने निती अने धर्मनो उत्तम मार्ग पकडी आ भवभ्रमणमाथी केटलेक अंशे मुक्त थइए छीए. माटे बाळकोने व्यवहारिक केळवणीनी साथे धर्मनी केळवणी आपवानी खास आवश्यकता छे. बंधुओ ! धर्मनी केळवणीनो समावेश फक्त पोपटनी माफक बे या पांच प्रतिक्रमण जीवविचार, नवतत्व आदी सूत्रो मोढे बोलतां शीखवामां थतो नथी. जैन ते कोण, तीर्थंकर कोने कहीए, आत्मा शुं छे, कर्म शुं छे, श्रावक कोने कहीए, आदी बा. बतोनुं ज्ञान दरेक बाळकने आपQ अने तेथी पोताना धर्मनुं स्वरुप यथाशक्ति समजाय ए धर्म केळवणीनो हेतु होवो जोइए. एवा केटलाक दाखलाओ जोवामां आवे छे के, पांच प्रतिक्रमण मोढे आवडतां होय पण प्रतिक्रमण शामाटे करवू तेनो ख्याल पण न होय. माटे हालमां अपाती धर्म केळवणीनी पद्धत्तिमा विद्वानोनी संमत्तिथी फेरफार करवानी आवश्यकता छे. धर्मनुं संगीन ज्ञान आपवाने शिक्षकोनी खोट छे ते खोट पूरी पाडवाने मुनीमहाराज धर्मविजयजी अने वेणीचंदभाइ आदि For Personal & Private Use Only Page #152 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ८९) श्रावकोए महा प्रयासथी बनारसमां एक मोटी जैन पाठशाळा स्थापी छे. ए पाठशाळामा हालमां चाळीस जैन विद्यार्थीओ धर्मनो अभ्यास करे छे, ज्यारे ए विद्यार्थीओ पोतानो अभ्यास पूर्ण करीने बहार निकळशे त्यारे तेओ ४००० विद्यार्थीओने धर्मनुं खरुं ज्ञान आपी शकशे. हालना जमानामां जैनोनी मोटामां मोटी पाठशाळा आज छे अने एने तन, मन अने धनथी मदद आपवी ए दरेक जैन बंधुनु कर्तव्य छे. जे विद्यार्थीओने मेट्रीक सुधी अभ्यास कर्या पछी उंची केळवणी प्राप्त करवाना साधनो न होय, तेमने बनारस पाठशाळामां रहीने धर्मनो अभ्यास करवाथी अनेक फायदाओ छे एम मारुं मानवू छे. गृहस्थो physical education एटले तननी केळवणी विशे मारी पहे. लांना वक्ताओए कंइ कह्यं नथी. तन मननी साथे घणो घाडो संबंध धरावे छे. जो तन, तंदुरस्त होय तोज मन पोतानुं कार्य घणी सहेलाइथी बजावी शके छे. माटे आपणे आपणा बच्चाओनी तंदुरस्ती जळवाय तेने माटे दरेक रीतनी संभाळ राखवी जोइए. शरुआतथी खोराक अने उघनो नियम तेमने शीखववो अने कसरत कर• वानी अथवा खुल्ली हवामां फरवा जवानी टेव पाडवी. स्त्रीशिक्षणनी पण घणीज जरूर छे. आपणां केटलांक कार्योमां स्त्रीओ मददगार छ अने जो तेओ केळवायली हशे तोज आपणे आपणां धारेलां कार्यो वगर विलंबे पार पाडी शकीशं. देशनो उद्धार केळवायेली माता उपरज छे एक विद्वान कहे छे केः ___“कहे नेपोलीअन देशने, करवा आबादान; सरस रीत तो एज छे, दो माताने शान." ___स्त्रीशिक्षण एटले तेमने बी. ए. अने एम. ए बनाववी एम हुं कहेवा मांगतो नथी. पण ते सरळताथी वांचतां लखतां आवडे, धर्मनुं ज्ञान कंइक थाय, गृहकार्य सारी रीते बनावी शके. एवं शिक्षण आपी एक लायक स्त्री बनाववी ए मारो उद्देश छे. ते उद्देश पार पाडवाने ज्यां कन्याशाळाओ न होय त्यां तेओने माटे कोइ पण प्रकारनी गोठवण करवी. मने बोलवाने १० मिनीट आपवामां आवी हती पण प्रमुख साहेबे बीजी ५ मिनीट वधु आपी छे तेने माटे तेमनो आभार मानी आप साहेबो आगळ बे बोल वधु कहेवा चाहुं छं. For Personal & Private Use Only Page #153 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (९०) भाइओ ! आपणा महान कार्यनो पायो केळवणी उपरज रचवानो छे. एना बीजने धनरुपी जळथी सींची उछेरीशुं तोज एना वृक्षना अमृत फल चाखवाने आ. पणे भाग्यशाली थइशं. एक वृक्षथी बीजा हजारो वृक्ष उत्पन्न थशे अने तेनाज प्रताप आपणे आपणो उद्धार करी शकीशुं. बंधुओ ! अत्रे चर्चावाना विषयोमा केळवणी घणोज अगत्यनो अने महत्वतावाळो विषय छे. केळवणी शिवाय आपणे आपणा जैन मंदीरो तेमां विराजता ति. थंकर भगवानो, जैन धर्मनां पुस्तको अने तेमां समायेलां भगवानना अमृतरुपी वचनो, जीवदया ए जैन धर्मनो मुख्य सिद्धांत छे तेनु खलं. स्वरुप, हानीकारक रीवाजोथी थता गेरलामो अने देव द्रव्य उचापत करवाथी बंधाता चिकत कर्मों आदि बाबतोनुं खरं स्वरुप समजवाने अने तेनी अवनति सुधारवाने आपणे केम शक्तिवान थइशं ? ज्यारे आपणा बाळको केळवणी मेळववाने पूरेपूरा भाग्यवान थशे त्यारेज आपोआप तेमनां अंतःकरणमा जीर्णोद्धार अने पुस्तकोद्धार करवाने तथा हानिकारक रीवाजो दूर करवाने अंकूरो फुटशे, अने जैन कोमनी अने जैन धर्मनी खरेखरी उन्नति तेओ करी बतावशे. केळवणीनी बाबतमा पहेलु कार्य बोर्डिंग हाउसीसं उघाडवानुं एटले विद्यार्थीओने रहेवानी, जमवानी अने अभ्यासनी गोठवण करी आपवानुं छे. हालमां स्कुलो अने कॉलेजो जोइए तेटली छे माटे खास जैन स्कुलो अने कॉलेजो स्थापन करवानी जरुर जणाती नथी. धर्मनी केळवणीने माटे खास बोर्डिंग स्कुलोमां गोठवण राखवी अने ज्यां बोर्डिंग हाउसीस उघाडवानु न बनी शके त्यां स्कुलोमां स्थानिक सरकार मारफते अथवा बीजा कोइ प्रकारे दररोज ओछामा ओछो अडधो कलाक जैन बाळकोने धार्मिक शिक्षण मळे एवी गोठवण करी आपवी. ज्यां आ पण न बनी शके त्यां जैन शाळाओ उघाडवी. जो आपणुं केळवणी फंड घणुंज मोटुं होय अने बोर्डिंग हाउसीसना खरच काढतां बाकी शिलीक रहे तो विद्यार्थीओने स्कॉलरशीपो आपवी अने त्यारबाद जैन स्कुलो अने कॉलेज स्थापवी. मुंबाई नेवा मोटा शहेरमां जैन विद्यार्थीओने बोर्डिंग हाउसनी खास जरुर के एवं चिंतनी शा. मोहनलाल हेमचंदे अतिशय श्रम लइ एक वर्ष थया लालबागमां बोडींग हाउस खोल्युं छे. एनो २५ विद्यार्थीओ लाभ ले छे, एने जोइए तेटली For Personal & Private Use Only Page #154 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नाणांनी मदद नथी माटे आप सर्वे साहेबोने यथाशक्ति मदद आपवाने विनंती करूं छु. गृहस्थो ! ज्यारे आटला आटला कारणोथी जैनोमां केळवणीनो फेलावो करवाने सौथी पहेली अने अगत्यनी आवश्यकता जणाय छे त्यारे आपणे शा माटे विलंब करवो जोइए ? न्यातवरा करवामां अने मोटा मोटा वरघोडा काढवामां आपणे हजारो रुपीआ खर्चीए छीए पण तेथी आपणा जैन भाइओन लेश मात्र पण श्रेय आपणे करी शकता नथी. संघो जमाडवा करतां खरी स्वामिभक्ति जो आपणे चाहता होइए तो विद्यादान जेवं बीजं कोइ दान नथी. विद्या जेवो अमुल्य अने अखट दोलतनो वारसो जैन बाळकोने आपवाने आपणी पासे बीजो कोइ नथी. माटे भाइओ ! जैनोमां केळवणीनो जोइए तेटलो फेलावो करवाने तन, मन अने धनथी बने तेटली मदद आपी ज्ञाननां द्वार आपणा जैन बाळको अने बाळकीओने माटे खुल्लां करवां जोइए. मने एक वधु दरखास्त मुकवाने सोंपवामां आव्युं छे ते ए छे जे, आपणे सर्वे भाइओए एकदीलीथी श्रीबनारस पाठशाळाना स्थापकने धन्यवाद आपवो. आटलं कही केळवणीनी दरखास्तने पूरेपूरुं अनुमोदन आपी, आप साहेबोए सांभळवाने जे तसदी लीधी छे तेने माटे क्षमा चाही रजा लउं छं. For Personal & Private Use Only Page #155 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ९२ ) निशाणी ९. कॉन्फरन्सना जनरल सेक्रेटरी शेठ लालभाई दलपतभाइy भाषण. मे. प्रमुखसाहेब, गृहस्थो अने बहेनो ! मने जे विषय सोंपवामां आव्यो छे ते अति जरुरनो छे अने ते जो आपणे सारी रीते पार उतारी शकीए तो जैन समुदायने आशिर्वाद रुप थइ पडे तेवो छे. ते ए छे के, जैन श्वेतांबर कॉन्फरन्सनुं बंधारण शी रीते मजबूत करवं ? - हालमा आपणे चार सेक्रेटरीओ नीमी काम चलावीए छीए तेमां घणाज सुधारा वधारा करवानी जरुर छे. पण ज्यां सुधी आ खातुं बाल्यावस्थामा छे त्यां सुधी तेम चलाववा शिवाय बीजो उपाय नथी; पण तेमां गइ सालमां अमने नडेली मुश्केली अमे सुधारवा मागीए छीए. अमे चारे जूदे जूदे स्थळे तेमां बे सेक्रेटरीओ घणे दूर होवाथी अमाराथी अमने सोंपेलां खाताने जोइए तेवो इनसाफ आपी शकायो नहोतो. तेथी हवे अमे एवा विचार उपर आव्या छीए के, जे काम करवानां छे ते बधां जे ते विभागना सेक्रेटरीए पोताना विभागमा करवानी तजवीज करवी. ते माटे आ सेक्रेटरीओ प्रोविन्सीयल सेक्रेटरीओ नीमी तेमज ते गृहस्थो बनती कोशीसे कमीटीओ स्थापी कॉन्फरन्सना हेतु पार पाडवानी तजवीज करशे एवी धारणा राखी छे. काम नवं अने घणुंज छे तेथी एकदम बधुं थइ शकशे नहि. पण दरेक जैन भाइ पोताथी बनतुं करे तो मुश्केल नथीज. आ कॉन्फरन्सने मारुं छे एम मानी दरेक जण वर्ते अने सुकृत भंडारनी योजना अमलमां आवे तो बधुं बनवा योग्य छे. . बीजी बाबत कॉन्फरन्स तरफथी एक मासिक बहार पाडवाने लगती छे. तेनुं कद बे फॉर्मन थशे. तेनी अंदर कॉन्फरन्सना हेतुओ अने लगती हकीकतो आवशे; आथी उमेद छे के, आपणा जैन भाइओने कंइक वखतोवखत अवलोकन करवानु मळशे. तेनी फी वरस एकनो टपाल साथे रु. १ राखवामां आवशे. अने मने जणावतां आनंद थाय छे के, ते बहार पाडवानुं तंत्री तरीके काम करवानुं आपणा मि. गुलाबचंदजी ढहाए कबूल कयुं छे. (ताळीओ. ) For Personal & Private Use Only Page #156 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ९३ ) हवे आपणे दर वर्षे आ रीते एकठा थq के नहीं ए सवाल थाय छे. ए संबंधमां कहेवानं घणंज छे. बीजा अने त्रीजा वर्षे तो आपणे आवो आडंबर करी कॉन्फरन्स भेगु कयु. पण दर वर्षे आम बनवू नथी. एमां घणो खर्च अने ते करतां बहुज विकट महेतन रही छे. जो आ मुजब दर वर्ष कर्या गया तो लांबो वखत नभावी शकवाना नथी. आपणामां साधारण रीवाज छे के, जे परोणा बे चार दिवसे जवाना होय तेमने मीठा मीठां भोजन पीरसवां. पण जे घरनां माणस होय अने जाथु रहेनारा होय ते तो सादं जमणज ले छे. कॉन्फरन्सने पण आपणे घरना माणस जेवू बनाववानी जरुर छे. नहितो जाथु नभशे नहि. आपणा गामोमां घॉळ अथवा जथो के चोखलुं भेगुं थाय छे तेमां आवो मोटो खर्च अने असाधारण महेनत लागतां नथी छतां तेओ पोतानुं काम मक्कमपणे लेइ शके छे. आपणे तेमनी रीत शीखवानी जरुर छे. अने कॉन्फरन्सना स्थायीपणाने वधु मदद मळे ते सारूं हवेथी कॉन्फरन्स भरती वखते दरेक डेलीगेट पासेथी वे रुपीया फी लेवानुं नक्की कर, दुरस्त धारुं छं. आपणे ठराव कर्या वगर कोइ गामवाळा ते लेवानी शरुवात करशे नहि; माटे तेवो ठराव जरुर प्रसार करवो जोइए. बे रुपीआ कदाच कोई वधारे पडता गणे पण जे कार्य करवा आपणे उत्सुक छीए तेना प्रमाणमा ते कंइन नथी. ए रीते पैसानी मदद मळशे पण जो संप नहि होय तो आपणे कॉन्फरन्सने नभावी शकवाना नथी. कारण पैसानी मदद करतां पण वधु जरुर संपनी छे. ते खातर आपणे दरेके झीणी झीणी बाबतोना मतभेद दूर करी एकन मुद्दा उपर आवq जोइए. जेमके आपणा परमपवित्र तीर्थो विगेरेन संरक्षण केम थाय अने आपणा समुदायनी स्थिति शी रीते सुधाराय तेनो विचारज मनमां लावी बनतुं करवं. जो आपणने एम लागे के, आपणो अमुक भाइ अमुक चूक करे छे तो तेने ते बताववी ए आपणी फरज छे. तेम करवाथी ते सुधारे तो घणुं सारं अने न सुधारे तो दरगजर करवी; पण ते बाबत विरोध करी तेनाथी जुदा पडवू ते आपणने उचितज नथी. आवा बहोळा विचार शिवाय आपणे कंइ करी शकवाना नथी. एकवार एवी रीते आपणुं मन दृढ थयुं तो पछी कदी पण आपणे समुदायना विचार विरुद्ध वर्तवाने हिंमत करीशुं नहि. आवा बंधारणो उपरज हालना सुधरेला देशोमां राज्य वहिवट चाले छे. इंग्लंडमां मोटी मोटी क्लबो छे, जेमांनी केटलीकमां आपणा नामदार शहेनशाह पोते पण मेंबर छे. त्यां देशकल्याण केम करवं ते विषे विचार चाले छे, आवा समुदायीक काममा अडचणो घणी आववानी पण जो दरेक जण एक कुटुंबना For Personal & Private Use Only Page #157 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ९४ ) मेंबर मुजब वर्ते तो कोइपण वखते गेरसमज नहि थाय. दाखला तरिके गरीब कुटुं. बमां अमुक मतभेद पडतां माणसो रीसाईने जतां रहेतां नथी ने वखते रीसाय छे तो तेने मुरब्बीओ समजावी ले छे. तेज तोरपर आपणे न्यातमां, संघमां अने कॉफरन्समां काम लेइशुं तो कदी पण खेंचताण थशे नहीं अने सदा नभ्या करशे. केटलाक पूछे छे के, कॉन्फरन्सथी फायदो शो ? तेमने मारो एकज जवाब छे. कॉन्फरन्सनो उद्देश आपणो समुदाय पोतानी स्थिति सुधारे ए शिवाय बीजो कंह नथी. केमके ते सुधार्या विना आपणुं एके कार्य थवानुं नथी. ते सुधारवा माटे संप अथवा ऐक्यता थवी जोइए. अने ते थइ तो पछी अमुक व्यक्ति के अमुक वर्ग आखा समुदायतुं हितचिंतव्या शिवाय मनस्वीपणे वर्ते छे एवो प्रसंगज क्वचित् आवशे. कॉन्फरन्सथी तेवो संप थतो जाय छे एम मने देखाय छे. केटलाक तरफथी सूचववामां आवे छे के, जे डेलीगेटो आवे छे ते अत्रेथी जइने पोताना गाममां अमल करी शकता नथी. माटे डेलीगेटो आवे ते पावर लेइने आवे एम ठरावq. आ कहे, तद्दन भूल भरेलुं छे. आप खात्रीथी मानजो के, जे बे हजार डेलीगेटो भेगा थइ हकीकत सांभळी जाय छे तेनी असर कमतीमां कमती पांच छ हजार माणसो उपर थया वगर रहेती नथी. ए असर कंइ नानी सूनी नथी. कोइ कहे छे के, डेलीगेटोनी संख्या वधी जाय छे माटे तेनुं प्रमाण थर्बु जोइए. हुं ते मतथी विरुद्ध छु. हुं इच्छं छं के, हुं एवं कॉन्फरन्स जोवा भाग्यशाळी थाउं के जेमां कमीमां कमी दश हजार जैनभाइओ भेगा थया होय. पण ते साथे आq खर्च कमी थाय ते हुं अंतःकरणथी इच्छु छु के जेथी ते कॉन्फरन्स आपणने बोजारूप थइ न पडे. केटलाक सारा गृहस्थो एवो अभिप्राय धरावे छे के, गमे तेटली माथाझीक करो छो पण थाय छे शुं ? माटे अमे तो ए पसंदन करता नथी. तेवा महेरवानोने मारो जवाव ए छे के, तेटला माटे प्रयत्न बंध करवो ते आपणने उचित नथी. तमारा घरनो माणस तमारा विचारथी फेर वर्ते छे तो तेमे शुं तमे छोडी द्यो छो ? ना. त्यारे आपणा बीजाभाइओ प्रत्ये पण तेमज वर्तो, अगर बीना केटलाक गृहस्थो भावी मानी बेसे छे तेम बेसो. पण तमारी खानगी दिगमिां तेम करवू तमे व्याजवी For Personal & Private Use Only Page #158 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ९५ ) धारता नथी त्यारे शुं आमां तेम करवू व्याजबी छे ? आ कॉन्फरन्सथी जे घणा फायदा थाय छे तेमांनो एक ए छे के, आपणा भाइओ क्या क्यां छे अने ते केवा छे ते जाणवा आपणने तक मळे छे. तेम केटलाक खोटा विचारो पण दूर थाय छे. मारा मित्र मि. ढवा प्रथम आव्या त्यारे गूजराती साथे जमतां विचारमा पडता हता. ते आजेज गूजराती भेगा जम्या छे. आपणा जैनभाइओमां परस्पर घाडी प्रीति थाय तेवो पण आ कॉन्फरन्सनो हेतु छे अने ते फलीभूत थतो जाय छे, ए खुशी थवा योग्य छे. हवे आपणा विद्यार्थीओ घणो खर्च अने महेनत करी अभ्यास करी डी. ग्रीओ मेळवे छे अने पछी नोकरीनां फांफां मारे छे; छतां पत्ते! लागतो नथी. तेमने शी रीते उद्यमे लगाडवा, आ पण एक मुद्दानो सवाल छे. तेनो निर्णय करवामां जमा. नाना बहोळा अनुभव अने सूक्ष विचारनी जरुर छे. मारा अंगत अभिप्राय प्रमाणे बीजी कोमोनी हारमों आपणो दरजो टकावी राखवा माटे वेपार जेम बने तेम आपणे हाथ करवानी जरुर छ अने लेमां वधारो करवा अर्थे तेमज विद्या हुन्नर कळा शीखवा माटे तेवा विद्यार्थीओने परदेश मोकलवानी खास जरुर छे. आ विषय उपर हजु एक मत थयो नथी तेथी हुं वधारे बोलवा इच्छतो नथी; पण हुं धारूं छु के, तमे कबूल करशो के आ त्रीजी कॉन्फरन्सना एक स्तंभ अने रीसेप्शन कमीटीना चीफ सेक्रेटरी डॉक्टर बाळाभाइ मगनलाले पोतानो एक पुत्र जे ग्रेज्यएट छे, तेने वेपार माटे चीन मोकल्यो छे; तथा बीजा पुत्रने पारीस मोकलवा विचार राखे छे, ते माटे तेमने मुबारकबादी घटे छे ( ताळीओ ). तेओ पोताना पुत्रने अधर्मी थवा इच्छे तेवू मानवू पण अशक्य छे. छेवटे हुं मारु भाषण बंध करतां इच्छु छु के, थोडा वखतमा आ आपणी कॉन्फरन्समां पधारेला भाइओ एवा उत्साहथी काम लेशे के, आपणे कॉन्फरन्सने एक संगीन खातुं बनावीने आखी जैन कोमना अभ्युदय माटे प्रयास करी शकीये. ( ताळीओ ). For Personal & Private Use Only Page #159 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ९६ ) निशाणी १०. अमदावादना डॉक्टर जमनादास प्रेमचंदन भाषण. ॥ नमः श्री परमात्मने ॥ प्राकार स्त्रिभिरुतमा सुरगणै संसेविता सुन्दरा सर्वाङ्गै मणिकिडिणी रणरण ज्झङ्काररावैर्वरा ॥ . यस्या नन्यतमा सुभूमिरश्रवद व्याख्यानकालैध्रुवं स श्रीदेवजिने श्वरोऽश्रिमतदौ भूयात्सदा प्राणिनाम् ॥ १ ॥ जे जैन प्रभुनी सभा ( सुभूमि ) निश्चय करीने व्याख्यान समयमा त्रण कोटने लीधे उत्तम, देव समुदायथी संसेवित, सर्वांगोथी मनोहर, मणिमय धुंघरुओना रणरणत झणकारथी करीने श्रेष्ट, अने अनुपम होती हुइ !-श्री जिनेश्वर देव, प्राणिओनां सदा वांच्छित फळने देवावाळा हो ॥ १ ॥ महेरबान प्रमुख साहेब, प्रतिनीधीओ, मानवंता धनाढ्य परोपकारी स्वजाति अने धर्माभिमानी भाइओ तथा बहेनो ! त्रीजी श्वेतांबर जैन कॉन्फरन्सना योग्य बंधारण अने खरी फतेहना ठरावने अनुमोदन आपतां मने अती खुशाली थाय छे. आजे आपणे त्रीजी कॉन्फरन्सनी बेठकोमा पोतपोतानो अमुक भाग भनववा पोतपोताना गाम, नगर, शहेर अने ता. लुका डिस्ट्रीक्ट अने इलाकामांथी आपणा साधर्मीभाइओ तथा बहेनोनुं भलं करवा माटे प्रतिनिधीओ तरीके चुंटाइ आव्या छीए. अर्थात् कहेवान के, बीनी कॉन्फरन्स वखते साक्षेत्रना भला अने उद्धार माटे जे जे आपणा वक्ताओए उद्धारको तरीके ठरावो प्रसार कर्या हता, ते नक्की करेला कामोमाथी केटलां काम थयां ? केटलां थवानां अने थयां तेमने केवी रीते उछेरी मोटां करवां, तेमां सुधारो वधारो करवा माटे शा शा उपायो योजवा, तेना विष खरा अंतःकरणथी ठरावो करी तेमने For Personal & Private Use Only Page #160 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (-९७ ) हमेशां चालती रहेती पाणीरुपी पैसानी शेरथी सिंचवां तत्पर थइ आपणे अहींआ बनीठणी, झेर, वेरभाव, ढोंग, दूर मूकी शोभा तेमज फजेती जोवाना इरादाथी महीं पण खरा दीलथी तन, मन, अने बनता धनथी मदद करी सात क्षेत्रनो उद्धार करवा आज्या छीए, एम आपणे मानवू जोइए. आ हेतु पार पाडवाने आ ठरावमा चार विभाग करूं छु. (१) संप, (२) अक्कल, ( ३ ) धन, ( ४ ) व्यवस्था. आपणा धर्मशास्त्र प्रमाणे जेम तीर्थंकरोनी परिषदमां अनेक जीवो पोताना स्वाभाविक झेर, वेर दूर करी एकदिल थइ व्याख्यान श्रवण करी कर्म मुक्त थवा आवता हता, अने पोतपोताना आशय सुधारवा प्रमाणे कर्म मुक्त थता हता तेम आ कॉम्फरन्सनी बेठकोमा प्रमुख साहेबथी मांडीने ते गरीबमां गरीब जैन भाइए आजना ठरावो कबूल राखी मनमां एम खरा अंतःकरणथी विचारी वर्तवू जोइए के, आ ठरावो मात्र अंहींआ सांभळी अंहींआज कागळपर छोडी न जतां तेमने बनती रीते तन मन अने धनथी पार पाडवाना छे. दाखला तरीके, सुतरना एक तारथी हाथी जेवा मोटा प्राणीने आपणे बांधी शकता नथी पण एवाज अनेक तार एकठा करी तेनुं मोटु दोरडं करीए तो तेनाथी हाथी नेवा मोटा प्राणीने बांधवो काइ मुश्केल नथी. तेनीज माफक आपणे सर्वे जैन भाइओ भिन्न भाव छोडी दइ एक संप थइए तो आपणी आ कॉन्फरन्सने फतेह मळवामां कांइ पण शक रहेतो नथी. आ उरावो पास करवा सहेला छे परंतु पार पाडवा माटे एकतो अक्कल अने बीजो पैसो जरुरनो छे. अक्कलतो मळे पण पैसो क्याय नथी माटे तेनुं दररोज ध्यान क. रवानं छे ते एवी रीतें के, आपणी कोमना धनाढयो आगेवानो अने अग्रेसरो, नायको, अने वीररत्नो जे जे मोटी रकमो आपे छे अने आपशे ते तमारा ठरावेला कामो माटे पुरती नथी एम तमो मारी माफक मानवा चुकशो नहि, कारण के ज्यारे आप, आ सभामां विराजमान थयेला गृहस्थो चर्म चक्षुथी निहाळशो तो एम मालम नहि पडशे के, एवो एक पण धनाढ्य एक्की वखते एक लाख रुपियाथी वधारे खरा मनथी कोमनी दाझ जाणी कोमना उद्धार माटे आपी दे तेवो वीररत्न न होय, अगर तेवो होय एम मानीए अने कदाच उदारताथी आपी दे तो ते केटला वखत सुधी तमारा महत्व ठरावो माटे परता छे ते तमो विचार करी ल्यो. ते रुपिया मात्र एक खाबोचीआना पाणी जेवा छे, तमारे तेथी लोभाइ न जवू, तेम एम पण न मानवू के हवे तमासे For Personal & Private Use Only Page #161 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ९८ ) नसीब उघडी गयुं. तेओ जेवी राजीखुशीथी मोह दूर करी, पोताना सात प्रिय क्षेत्र माटे जे जे रकमो आपे, ते उपकार अने मान साथै तमोए कबुल करवी. पण ते ओए आपणी माफक एमज मानवुं जोइए के, धारेला महत्वना ठरावो माटे टांकाना पाणी रुपी आवी रकमो पुरती नथी. माटे आपणे आपणी यथाशक्तिए खरा तन, मन, अने धनथी मदद करवाना इरादाथी एक सूचनारुसी नहि परन्तु एक ठराव रुपी ठराव तवंगर, मध्यम, तेमज कनिष्ट वर्गमां गणाता सर्व जैन भाइओए पास कवो के, दरेक जैन भाइए पोतपोतानो हिस्सो जरूर कॉन्फरन्सनी हमेशानी फतेह माटे अने खरा पायापर लावी सारा अने भव्य मकानरुपी कॉन्फरन्सना ठरावो अमलमां मूकवा माटे आपको जोइए, जेथी कांकरे कांकरे पाळ बंधाय, अने टीपे टीपे सरोवर भराय ते कहेवाती कहेवत खरी पडे. आ नम्र सूचना आप प्रत्ये कही ब तावी छे ते हवे पछीनी कॉन्फरन्समा ठरावरुपी लाववा चुकशो नहि एकी मारी उमेद छे. सद्गृहस्थो सने १९०१ नी सरकारी गणतरी प्रमाणे श्वेताम्बर जैनो आशरे आठ लाख छे, ने तेमांथी दरेक चूलादीठ दरेक वर्षे एक रुपीओ आपवाथी ओछामां ओछा त्रण लाख रुपीओ एकठा थशे अने आ रीते हमेशा चालती राखशो तो आशरे ३० वर्षमा तमारा धारेला कार्यो जरुर फतेहमंद थशे, एम हुं मानुं हुं. ने आप पण तेने मळता आवशो जेथी तमारे धनाढ्य गृहस्थांने वारेघडीए तस्दी न आपतां तेमज न शरमावतां तमो तमारी हींमतथीज तमारुं काम पार पा डशो. ते काम जो तो खरा दीलमी उपाडी लेशो, तोज तमारी खरी फतेह थइ समजजो. माटे आ काम फतेहमंद करतुं होय तो कम्मर कसी एके अवाजे एवो ठराव करो के, आपणे दरेक चलादीठ जैनकोममाथी गामोगामना अने नगरोनगरना अने शहरोशहरना नगर शेठ अगर आगेवानोए एक रुपी प्रमाणे उघराणुं करी एक बैंकोमा कॉन्फरन्सनी फतेहना फंड माटे मोकलवा अने तेनी व्यवस्था माटे तमारे जोइए तो हालनी चाहती कमीटीने सोपो, अगर तो एक नवी कमीटी नीमी तेनी योजना घडी काढवी. जो तमो एक रुपीओ दरेक वर्षे आपो तो दररोजनी लगभग अरबी पाइ जेटलं पुन्य करी तमारा घणा सीजाता भाइओने तमो मदद करी पुन्य बांधो छो. आ प्रमाणे नहि वर्तो तो हमारे खात्रीथी जाणवु के, पाणीना परपोटानी माफक आ For Personal & Private Use Only Page #162 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (९९) कॉन्फरन्स सुइ नशे. अत्यारथीन आवती कॉन्फरन्स क्यां लइ जवी, कोण लइ जशे अने ते केवी रीते उभी करवी एना विचारमा लोको पड्या छे. ए कांइ थोडी शोकजनक वात नथी; पण मारे अति खुशी साथे जणावतुं पडे छे के, आपणी कॉन्फरन्सना मानवंता चीफ सेक्रेटरी शेठ लालभाइ दलपतभाइए पोताना भाषणमां जणाव्युं छे के, आ कॉन्फरन्सने कोइ पण रीते मरी गयेली जोवा इच्छतो नथी तेवा शब्दो सांभळीने मारी माफक सर्वे जैनभाइओ तथा बहेनोने अति हर्ष थयो हशे. वळी केटलाकनुं मानवं एम छे के, कॉन्फरन्सथी काँग्रेसनी माफक शा शा फायदा थया छे, एवा एवा रोदणां रडवा लाग्या छे पण तेम मानवं अने कहेवु भुल भरेलु, अविचारी, अने हृस्वदृष्टि वाळी वात छे, केमके कॉन्फरन्से केटलुं शुभ काम कयु छे ते बीजी कॉन्फरन्सना वार्षिक रीपोर्ट परथी रोशन थशे. महेरबान साहेबो ! काँग्रेस तो दानीसरकार पासेथी पोताना दुःख दूर करवानी व्याजबी दाद मागे छे ते आपवी न आपवी सरकारना हाथमां छे; परन्तु कॉन्फरन्स तो पोतपोतानो हिस्सो आपी पोताना जाति भाइओनो उद्धार करवा इच्छे छे. गृहस्थो! हवे आपणे अक्कलनो विभाग तपासीए तो आपणी आखी श्वेताम्बर जैन कोम जे सने १९०१ नी सालनी सरकारी वस्तीपत्रकनी गणत्री मुजब आशरे आठ लाख थाय छे. तेमांना मुंबाई इलाकामां उंच केळवणी पामेला गृहस्थो केटला छे ते तपासतां मने नीचे प्रमाणे आंगळीना वेढापर गणी शकाय तेवी, नहिजेवीन शंख्या मालम पडे छे ते नीचे प्रमाणे. बी. ए. आशरे एम. ए. बी. ए. एल्. एल्. बी. बी. ए. एस्. सी. एल. सी. ई. डॉक्टरो. बेरिस्टरो. सॉलिसिटरो. For Personal & Private Use Only Page #163 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१००) स्ट्रीक्ट प्लिडरो. एजन्सि प्लिडरो, मुनसफो. वेटरिनरी सर्जन ( प्राणीओना डॉक्टर ) १ कुल ८० - आ उपरनी जुज शंख्या रजु करतां मने दीलगिरी साथ कहेवू पडे छे के, जैन कोममां उंची केळवणी पामेला गृहस्थो घणाज थोडा छे. __ माटे ओ मारा स्वदेशाभिमानी अने स्वजातिअभिमानी साधर्मिभाइओ अने बहेनो अने बिराजमान थयेला प्रतिनिधिओ! मारी अल्प अने नम्र प्रार्थना के के असली जैनोनी जाहोजलालीवाळो वखत आवे एवी उन्नति माटे खरा दीलथी उठो, जागो, कम्मर कसो अने मदद माटे अक्कल, अने पैसारुपी हथियारो हाथ करी कॉम्फरन्सना अंगे तमारा दुःखी बाळको, बाळाओ, भाइओ, बहेनोने सुःखी करवा तेमज टुंकामां सात क्षेत्रना ठरावो अमलमां लाववा माटे एकदम नहि, पण धिरजथी धीमे धीमे अने पक्के पगले प्रयत्न करो, अने असल वाराना सूर्यो तरीके नाम मेळवी सारा कर्म बांधी शिव मंदीरमा प्रवेश करो-तथास्तु. For Personal & Private Use Only Page #164 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१०१) निशाणी ११. जामनगरना जगजीवन मुळजी बनीयानुं भाषण. आबा कॉन्फरन्स जेवा महान मंडळनी आपणा जैनो माटे अगत्यता छे तेनी कोइ पण ना पाडी शकशे नहीं. आपणो धर्म, आपणु कर्त्तव्य अने आपणी कोम उच्च स्थितीए पहोंचे तेना वास्ते प्रयत्न करवा आपणामां परमार्थी पुरुषो घणा छे. तोपण परमार्थनी अगत्यता समजावनार अने परमार्थ कइ दिशामां केवी रीते करवो जोइए ते नक्की करी आपनार तथा आपणा सकळ संध समुदायनी हाजतो जाहेर करनार आवा कॉन्फरन्सनी आपणा वास्ते खास जरूर छे. धन्य छे एवा मररत्नोने के, जेनी तन, मन अने धननी मददथी जैन श्वेतांबर कॉन्फरन्स जन्म पाम्यु, अने वकी धन्य छे ते पुरुषोने के, जेओ पोताना गाममां आवं महामंडळ भरवाने खंत अने उमंगथी पैसा अने महेनतनो लोभ न करतां दीलोजानथी काम कर्या करे छे. जे चीज आपणा वास्ते जरूर अने अगत्यनी होय छे ते चीन वधारे वखत कैम टकी रहे तेनी आपणे घणी संभाळ राखीए छीए अने तेने साचववाना उपाय लइ राखीए छीए. जैन बंधुओनी उन्नति माटे कॉन्फरन्सनी जरूर अने अगत्य छे माटे ते वधारे वखत केम टके, तेना कामने फतेह केम मळे, तेना वास्ते बनतो दरेक प्रयास करवानी अने हरेक रीते तेने मदद करवानी कोइ पण तक न जवा देवानी दरेक जैनबंधुनी फरज छे, माटे हवे कॉन्फरन्सनुं बंधारण केम संगीन थाय तथा तेनो कारोबार शी रीते व्यवस्थित थाय तेनो विचार करवानी अगत्य छे. कॉन्फरन्सना चालु कामने माटे एक वर्किंग ऑफीस मुंबईमा हाल छे तेमां सुधारो वधारो करी ते कायम राखवी जोइए. तेना वास्ते ऑनररी सेक्रेटरीओ उपरांत एक पगारदार प्रमाणिक अने हुंशीयार आसिस्टंट सेक्रेटरी अने तेना हाथ नीचे For Personal & Private Use Only Page #165 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १०२ ) जरूर प्रमाणे क्लार्को राखवा जोइए. ते सेक्रेटरीए कॉन्फरन्सना दरेक मेळावडामां कॉन्फरन्से गया वर्षमां जे कामकाज करेल होय तेनो रीपोर्ट वांची संभळाववो जोइए. जनरल सेक्रेटरीओना काम उपर चेक राखवाने जरूर जणाय तो एक बोर्ड ऑफ कन्ट्रोल नीमवुं जोइए के जे कॉन्फरन्सने लगता सर्व कामकाज उपर देखरेख राखे. दरेक जगोए आपणी उन्नति संबंधी हिलचाल कायम राखवाने अने आपणने जागृत राखवाने मुंबईनी एक वर्किंग ऑफीस पहोंची शके नहीं. माटे दरेक जग्याए के ज्यां जैनोनी सारी वस्ती होय त्यां स्थानिक कमीटीओ नीमावी जोइए के जेओए त्यां स्थानिक फंड उभुं करी कॉन्फरन्सनी सूचनाओ अनुसार काम लेवा प्रयास करवो. तेवी कमीटी वास्ते कोइ ऑनररी के वॉलंटरी सेक्रेटरी मळी आवे तो ते, नहीं तो एक पगारदार सेक्रेटरी राखी कमीटीना कामकाजनी नोंध तथा आवक जावकनो हिसाब तेनी पासे रखाववो. कमीटीए करवानां काम. ( १ ) दरेक पखवाडीए अथवा दरेक महिने पोताना संघनी सभा बोलावी पोते जे कंइ काम कर्यु होय तथा वर्तमानपत्रो उपरथी अने मुंबइनी कॉन्फरन्सनी ऑफीस तरफथी अन्य जग्याना जैनो संबंधी जे हकीकत आवे ते भेगी करी संघ सन्मुख रजु करवी 'जोइए अने सारा दाखलानुं अनुकरण करवा संघने समजाववुं पछी जे कामकाज के ठराव पोतानी सभामां थाय तेनो हेवाल कॉन्फरन्सनी ऑफीसे मुंबई पहोंचाडवो. ( २ ) स्थानिक सुधारा सगवड, अने व्यवस्थाने माटे स्थानिक फंड उभं करता जवुं. ते सबस्क्रीप्शन अथवा हवे पछी हुं बीजी बेरीत सुचवीश ते प्रमाणे एकटुं करवुं जोइए. ते फंड जो पोताना गामनी हाजतोने पूरतुं न होय तो कॉन्फरन्सनी वडी ऑफीसनी मदद मा गवी. ( ३ ) कया खातामांथी कोने केटली मदद करवी तेना कायदा जरुर जणाय ते प्रमाणे घडी कहाडवा जोइए अने संवनी अक्यताथी काम कर जोइए. आ प्रमाणे बंदोबस्त करवामां चालु खर्च वास्ते पैसानी जरुर छे, अने पैसो आपणा गजवामांथीज कहाडवानो छे. कॉन्फरन्स हजी तेनी बाळ स्थितिमां छे. जे जे फंड थयुं छे ते सर्व स्थळे पहोंची वळवा जेटलुं नथी. तेमां वधारो करवानी जरुर छे. आपणामांना धनाढ्य परमार्थ बुद्धिवाळा पुरुषो फंड उभुं करवा धारे तो तेओ एक मोटुं फंड उभुं करी शके, जेनो पुरावो आपणने गइ कॉन्फरन्सनी बे For Personal & Private Use Only Page #166 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१०३) ठकमां थएल पैसानी वृष्टि थी मळेल छे के, ज्यां उदार गणना की जान्थोग वगर मागे पोतानी खुशी अने उमंगथी हजारोनी रकमो कॉन्फरन्सना जूदा जूदा खाताओमां अर्पण करी हती. पण डहापण भरेलुं अने वाजबी ए छे के, वारंवार बधो बोजो आपणा धनाढ्य भाइओ उपर न नांखता बधाओए फंडमां पोतानो यथाशक्ति फाळो आपवो जोइए. जेथी ते कोइना उपर बोजारुप थइ न पडे, जे फाळो हुं सुचववा मांगू छं ते एटलो तो सहेलो अने निर्जीव छे के कोइने ते भारे पडशे नहीं. अहीं आ कवि दलपलरामनी बे लीटी याद करवानी छे. लाखो कीडीपर लाडवो, मूकेथी मरीजाय; भूको करी भभरावीए, सुखेथी सौ खाय. एवो फाळो वे रीते आपी शकाय. ( १ ) जे जैन गृहस्थनी मासिक आवक रुपिया २० के ते उपरनी होय ते दरेक पोतानी वार्षिक आवकमांथी दरेक रुपीए एक पाइ प्रमाणे जे रुपीआ थाय ते दर वर्षे प्रमाणिकपणे पोतानी स्थानिक कमीटी अथवा कॉन्फरन्सनी ऑफिसे मोकली आपे, आ प्रमाणे जो बधा जैनो पोतानी फरज प्रमाणिकपणे अदा करे तो लाखनी पाण ए हिसावे अवश्य फंडमां सारी कायमनी पेदाश थशे अने आ नाणां भेगा करवानी रीत कोइने भारी नहीं पडशे. दाखला तरीके जे माणस दर मासे रुपीआ २० कमातो हशे तेने दर मासे फक्त दोढ आनो आ मतलब सारु जुदो कहाडवो पडशे, अने एवी नानी रकमनी कसर गमे ते रीते घर खरचमां करकसर करवाथी नीकळी आवशे, अने आयंदे कॉन्फरन्सनु मोटुं फंड थइ जशे. __ फंड करवानी बीजी पण रीत छे. कॉन्फरन्सना ठराव प्रमाणे जे जगोए संघ मरण पाछळ न्यातवरा बंध करवाने शक्तिवान थाय त्यां तेवा न्यातवराना खर्च. मांथी जे लोको मुक्त थाय तेओनी पासेथी संघे तेओनी स्थितीना प्रमाणमां अमुक रकम मरनारना धर्म अर्थ कॉन्फरन्सना स्थानिक फंडमां अपाववी. विवाह अथवा बीना पण खुशालीना प्रसंगे अमुक रकम फंडमां आपवामां आवे एवो ठराव थाय तेमां पण कांइ खोटु नथी, तेमां अवश्यकरी मरण पाछळना न्यातवरा बंध थाय त्यां तो फंडने वास्ते आवं कांइक फरजीआत धोरण बांधवं जोइए. आ काम वास्ते भाटीआ मित्रमंडळ दाखलारुप छे, तेनुं अनुकरण आपणे करवू जोइए. For Personal & Private Use Only Page #167 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १०४ ) कॉन्फरन्सनी मतलबो पार पाडवाने जे जनरल फंड थाय तेमां बधानो लाभ समायलो छे. आ बाबतमां कोइ एम सवाल करे के, फंडनो लाभ तो मात्र गरीबोने छे पण सारी स्थितिवाळाने शी रीते तेनो लाभ मळी शके ? तो जवाब एटलोज छे के, माणसनी हमेशां एकनी एक स्थिति रहेती नथी. तडका पछी छायो अने छाया पछी तडको आव्याज करे छे. कोइ पण माणस खातरीथी एम नहीं कही शकशे के मारी ओलाद पेढीओपेढी आबाद स्थितिमांज रहेशे. अखो कवि कहे छे के, सुखी पलके दुःखीआं थाय, धन तन लज्जा फीटी जाय; रंक हता ते बनीआ राय, अखा एज माया महीमाय. माया एवी चळित छे. आज आपणे सारी स्थितिमां होवाथी कॉन्फरन्स तरफथी मदद लेवानुं आपणने स्वप्नुए न आवतुं होय बलके आपणा हाथे बीजाओनो उद्धार थतो होय, पण काळचक्र के प्रारब्धने योगे आपणने नहीं तो आपणा कुटंबीओने के वंश वारसोने अमुक वखत पछी तेज फंड आवकारदायक अने आशिर्वादरुप थइ पडे, माटे आज आपणे कॉन्फरन्सना फंडमां मदद आपी हशे तो आपणे बीजा तरफ तेमज आपणा अने आपणी ओलाद तरफ आपणी फरज बजावेली कहेवाशे. गृहस्थो ! कॉन्फरन्स तो अमुक विषयो उपर अमुक सूचना करी अमुक ठरावो करशे, पण तेनी मतलब त्यारेज पार पडशे के, ज्यारे ए ठरावो तमे अमलमां मूकशो त्यारे. हम कहतें हें तुम सुनते जाओ, ए प्रमाणे जो आपणे एक कानथी सांभळी बीजे का थी बेदरकारी अने प्रमादथी बधुं काढी नाखीशुं तो कॉन्फरन्सरुपी वृक्षना अमृत फळ चाखवाने आपणे कदी पण शक्तिवान थइशुं नहीं. कॉन्फरन्सना ठरावो अमलमां मूकवानुं काम कॉन्फरन्सना हाथमां नथी, परंतु प्रत्येक संघना अथवा एम कहीए तोपण चाले के प्रत्येक माणसना हाथमां छे. ज्यारे प्रत्येक माणस दृढ मनथी ठराव करे के, फलानो ठराव मारे अमलमां लाववोज त्यारेज कॉन्फरन्सनो हेतु पार पडे. हवे प्रत्येक जैन, कॉन्फरन्सना ठरावना पक्षमां थाय तेने वास्ते जरुरनुं छे के कॉन्फरन्सना खरा हेतु तथा उद्देशथी ते जाणतो होय, ते माटे प्रत्येक माणस कॉन्फरन्समां हाजर थइ शके ए बनवुं अशक्य छे, तेथी ते लोकोनी तेवी जाणने माटे प्रत्येक गामना डेलीगेटोए श्रम लेवो जोइए. For Personal & Private Use Only Page #168 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १०५) तेओए पोताना गाममा संघनी मोटी सभा बोलावी साधु महाराजो समक्ष कॉन्फें. रन्सना उद्देशथी अने तेमां थयेला कामकाजथी बधाने वाकेफ करवा अने तेओने समजावी तेमां थयेला ठरावो पैकी कया कया ठरावो कइ रीते तेओ अमलमां लावा शके, तेनो रस्तो बताववो. ए उपरांत आपणामांथी मि. लालन अने प्रोफेसर नथु मंछाचंद नेवा उत्साही नरोने चूंटी तेमने जूदे जूदे ठेकाणे कॉन्फरन्सना उद्देश अने ठरावो जाहेर करवा तथा ते ठरावो अमलमां मूकवा आग्रह करवा तथा ज्यां ठरावो अमलमां मूकामा होय त्यांना दाखला बतावी जाहेर भाषण करवाने मोकलया जोईए. तेममा वास्ते बधी सगवड कॉन्फरन्सना तरफथी थवी जोईए. कॉन्फरन्स तरफथी वक्ताओ बधी जगोए पहोंची शके नहीं, केमके एटला वधा वक्ताओ आपणामां नथी. तेथी कॉन्फरन्सनो उद्देश तथा तेमां थता कामकाज अने ठरावो बधी जगोए जाहेरमां. मेलवाने कॉन्फरन्स तरफथी एक वर्तमानपत्र काढवानी जरूर छे. ए पत्रद्वारा कॉन्फरन्सने लगती खबरो उपरांत जैन धर्मने लगता विषयो उपर लखाणो तथा तेने लगती हकीकतो कटके कटके दर अंके छपाववी जोईए. जूदी जूदी जगोए जैनोनी सभा मंडळो अने संघनी हीलचाल वगेरेनो पण ते पत्रमा समास थवो जोइए. ए पत्र अठवाडिक अथवा विगतनी न्यूनताने लीधे पखवाडिक थर्बु जोइए. कदी पत्रनुं न बनी शके तो छेवट एक मासिक चोपानियु कॉन्फरन्स तरफथी बहार पाडवू जोइए.. __ आपणामांना नवा उगता जुवानोनी लखवानी अने बोलवानी शक्ति खीलववा तथा जेनामां ते खीलली होय तेने उत्तेजन आपवा अर्थे तेओ पासेथी संसारिक व्यवहारिक अने धार्मिक विषयो पर अमुक निबंधो लखाववा जोइए अने ते लखवा वास्ते इनामो आपी हरीफाइ कराववी. आ प्रमाणे कॉन्फरन्सन काम संगीन करवाने मोटुं फंड, सारी व्यवस्था, डेलीगेटोए लेवो जोइतो श्रम, सारा वक्ताओनी देशोदेशनी मुसाफरी अने त्यां तेमणे आपवानां भाषणो, कॉन्फरन्स तरफथी वर्तमानपत्रनी जरूर, हरीफाइना निबंधों विगेरे विषे में इसारो करेल छे, पण आ बधा करतां प्रथम करवानी एक वात रही जाय छे के, जेनी कॉन्फरन्सनी फतेह वास्ते घणी जरूर छे. ते अगत्यनी वात संप For Personal & Private Use Only Page #169 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १०६ ) अने ऐक्यता छे. ज्यारे आपणा बधा स्वधर्मी भाइओ एक संघमां ऐक्यताथी काम करे छे त्यारे ते संघनुं काम थाय छे. एवीज रीते प्रत्येक संत्र साथ रही काम करशे त्यारे आपणी कॉन्फरन्सनुं काम पार उतरशे. माटे बघा संघोनी ऐक्यतानी जरूर छ तेमज दरेक संघना जूदा जूदा माणसोमां पण संपनी जरूर छे, संप अने ऐक्यता वगर बधुं फोकट छे. कॉन्फरन्सना बंधारणने संगीन करवाना बीजा साधनोनो पण मोटे भाग्ये संप उपरज आधार छे. एटला वास्ते कॉन्फरन्सनी फतेहना बीजा बधा साधनो करतां संप वधारे अगत्यनुं छे. संप विषे थोडं घणुं बोलाई गयुं छे तोपण कॉन्फरन्सनी संगीनताना साधन तरीके हुं ते विषे आंही थोडुं बोलुं तो ते विषयान्तर नहीं कहेवाशे. दरेक मनुष्य, पछी जोइए तो ते राजा होय के रंक होय, जोगी होय के भोगी होय, गमे ते देशनो गमे ते जातनो अने गमे ते दरज्जानो ते होय, जोइए तो ते यूरोपखंडना एक सौथी सुधरेला देशनो गोरो वतनी होय अथवा तो ते आफ्रिकाखंडना एक सौथी जंगली मुलकनो एक हबशी होय, पण ते सुखनो विलासी होय छे. तेना दरेक दरेक प्रयत्ननुं पृथक्करण करतां मालम पडशे के, एनी ताकणी सुख सिवाय बीजी कांइ नथी. आवा सुख वास्ते जे साधनो छे तेमां संप एक मुख्य साधन छे. संप विना सुख अने संपत्ति होयज नहीं, सुखनां बीजां साधनो छे, तेनो पण घणे दरजे संप उपरज आधार छे. ज्यां संप नथी त्यां माणसो पोतानी असली स्थितीमां छे एम समजवं. कुसंप ए क्लेश अने पायमालीनुं घर छे, दुःख अने दरिद्रतानी निशानी छे. कोइ पण मोटुं काम आरंभवामां प्रथम संपनी जरुर छे. ज्यां सुधी दरेक जग्याए रहेता जैन बंधुओमां आपस आपसमा संप अने ऐक्यता नथी, ज्यां सुधी बधा मळी एक मते काम करता नथी, त्यां सुधी कॉन्फरन्सने संगीन फतेह मळवी मुश्केल छे, त्यां सुधी स्थानिक फंड पण थवुं मुश्केल छे अने काम करवावाळा जन पण मळवा मुश्केल छे. पक्षापक्ष थवाथी एकनी वात बीजो तोडवामां रहे छे. कुसंप ए एवो दुर्गुण छे के, ज्यां तेनो वासो होय त्यां न्यायान्याय अने सत्यासत्य जोवातुं नथी. सारुं शुं छे, व्याजत्री शुं छे, लाभ शामां छे तेनी कोइ दरकार करतुं नथी. जे वात तरफ लक्ष मात्र आपवामां आवे छे ते एज के, आपणा सामावाळाओ शुं कहे छे, तेओ शुं करे छे अने तेओ जे कहे के करे तेनाथी आपणे उलर्टुन कहेतुं तथा करकुं. आम एक पक्ष पोते पाछल रहे छे, For Personal & Private Use Only Page #170 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१०७) चीजाने आगळ वधवा देतो नथी. पोते खातो नथी, बीनानुं ढोळी नांखे छे; एवी रीते पक्षो बंधातां बनेने नुकसान थइ लाभ त्रीजाने थाय छे. जे माटे बेबिलाडी तथा वांदरानो दाखलो बंध बेस्तो छे. माटे कुसंप क्यांय पण संघमां न थाय अथवा ज्यां ते पेठो होय त्यांथी तरत ते दूर थाय तेवा उपाय दरेक जैन बंधुए लेवा जोइए. एवं थशे त्यारेज फक्त कॉन्फरन्सना ठरावोरुपी बी संवरुपी खतरमां ववाशे अने योग्य वखतमां तेना फणगा फुटी तेमांथी मनमानतो पाक थशे, माटे दरेक जैन बंधुए हरेक वखते याद राख के, ज्यां सुधी कुसंपना नकामा छोडवा संघना खेतरमांथी दूर नथी थया अने तेओ प्रबळ छे त्यां सुधी कॉन्फरन्सना भाषणो अने ठरावोना पाणीनी गमे तेटली वृष्टि थाय तोपण सुधाराना बी उपर ते पाणी पहोंच्या पहेलां कुसंपना नकामा छोडवाज ते पाणी चुसी जशे. संप अने ऐक्यताने जेटली अगत्य आपीए एटली ओछी छे. अंग्रेजीमां कहे छ के. United we stand, divided we full ( ज्यां सुधी आपणे एकत्र छीए त्यां सुधी आपणे कोइनी पण सामे टक्कर झीली शकीशु, पण जो भा. पणामां : फाटफुट थइ तो आपणी पडती आवी समजवी ). रायथी ते रंक सुधी दरेक माणसने बीजानी गरज पडे छेज. दरेक माणसमां कंइन कंइ करवानी शक्ति होय छे, कोइ पैसाथी मदद करे, तो कोइ ज्ञान के विद्वताथी मदद करे, तो कोइ अंग महेनतथी पोतानी मददनो फाळो आपे. कॉन्फरन्से हाथ धरेल मोटा कामने पार उतारवामां आवा बधा प्र. कारनी मददनी जरुर छे, जेम एक घर के मंडप जूदी जूदी चीजोना साथे मळी रहेवाथी उभा रही शके छे तेम एक महान मंडळ के समाज पण जूदा जूदा माणसोनी नदी नदी जातनी मदद अने सेवाथी टकी शके छे. जे मंडप नीचे हमणां आपणे छीए तेनोज दाखलो लइए. ए मंडप शी रीते तैयार थएल छे अने एनी पडवानी धास्ती केम आपणने नथी ? प्रथम जाडा मजबुत थांभलाओ उभा खोड्या हशे, पछी तेनी आडा वळाओ बांध्या हशे, पछी छापरा वास्ते तेना उपर बीजा झीणा वळाओ तथा वंझीओ वगेरे नाखेल हशे. एम जुदा जूदा जाडा पातळा लाकडांओना भेगा थवाथी मंडप तैयार थयु. कोइ उभा थांभलां बधाथी विशेष वजन उपाडे छे तो कोइ आडा रहीने थोडं वजन उपाडे छे अने केटलाक तो बी. जाने आधारेज पडी रहेला छे अने बीलकुल वजन उपाडता नथी. पण तेनी पण नरुर छे. तेवीन रीते आपणा सकळ संघमां आपणा मुरब्बी लक्षाधिपति गृहस्थो For Personal & Private Use Only Page #171 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१०८) मौटा थांभला छे. बीजा विद्वान अने प्रतिष्ठित गृहस्थो वळाओ छे अने बाकीनी शाणी कोम ए वळाओ अने वंझीओ छे. तेओए दरेके कॉन्फरन्सरुपी मंडप उभुं करी ते कायम राखवा वास्ते पोतानी यथाशक्ति जूदा जूदा प्रकारनी मदद आप. वानी छे. धनाढ्योए पोताना द्रव्यथी, विद्वानोए पोताना भाषणो लखाणो अने समजुतीओथी अने पैसा तथा विद्यारहित बाकीना भाइओए पोतानी जात महेनतथी पोतानी मददनो फाळो आपवानो छे. विशेष सरखामणी पूरी करवा मने कहेवा द्यो के, जेम मंडपना थांभलाओ वळाओ अने वंझीओ छुटा छुटा रही पोत पोतानी मददनो फाळो नथी आपता पण दोरीथी साथे बंधाइने आपे छे, जेथी मंडप पडवानी आपणने धास्ती नथी. तेम आपणा जैन भाइओए पण · अलग अगल रही पोतानी मददनो फाळो आपवानो नथी पण स्नेहरुपी गांठथी साथे बंधाइ पोतपोताथी बनती मदद आपवानी छे, के जेथी कुसंप थवानो भय आपणने रहे नहीं. आ प्रमाणे ज्यारे आपणी जींदगीना वहाणमां संप अने स्नेहरुपी सढ चड्या अने सद्गुणना हाथमा सुकान आव्युं अने कॉन्फरन्सरुपी सवळो पुठेरो पवन वायो एटले जे बंदरे आपणने पहोंचवानुं छे त्यां सहेलथी अने तरतज पहोंची शकीशु. ( ताळीओ. ) . For Personal & Private Use Only Page #172 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१०९) निशाणी १२. मुंबइना मि. मोहनलाल पुंजाभाइy भाषण. मे. प्रमुखसाहेब, प्यारा बंधुओ अने बहेनो ! जे दरखास्त आपणा जनरल सेक्रेटरी मि. रायकुमारसिंहे मुकी छे तेने हुं मारा अंतःकरणथी टेको आपुंछ अने तेना टेकामां नीचेनी वीगतो जणावी आपन योग्य ध्यान खेंचवा रजा लउं छं. मारो विषय जीर्ण मंदिरोद्धारनो छे. अने तेनो ए अर्थ थाय छे के, आपणां ने मंदिरो छे ते जीर्ण थाय छे अने थयां छे तेने समारवा हुं आ मंदिर एटले शुं छे तेना उपर प्रथम ध्यान खेंचीश. आ मंदिर एक सामान्य घर नथी. आ मंदिर राजमहेल नथी, पण आ मंदिर ए छे के जेमां जग. त्ना नाथ तीर्थंकर भगवान् विराजे छे, जेनी आगळ इंद्रादि देवो अने चक्रवर्ती जेवा राजाओ पण हाथ जोडी उभा रह्या छे अने तेनी प्रार्थना करी रह्या छे. आ मं. दिर ते जीन मंदिर कहेवाय छे. अने तेनु कारण ए छे के, जेणे कोइनाथी न जिती शकाय तेवा अष्टकर्म रुपी शत्रुओने हरावी पोते जीनपद धारण करी रह्या छे तेमनी मूर्ति प्रतिमाने रहेवान ए स्थान छे. हवे आ मंदिर बंधाववा माटे केटलो खर्च थाय छे ते आप जाणो छो. बंधावनारनो हेतु पोताना एकला स्वार्थ माटे होतो नथी. मंदिरमां विराजता जीन प्रभुनी दरेक जीव शुद्ध मन वचन अने कायाथी सेवा बजावी मोक्षरुपी नगरीमा प्रवेश करी शके तेने माटे बंधाववामां आव्यां छे. आपणा बधाना एकसरखा लाभने माटे बंधावनारे ते बंधाव्यां छे तेम छतां ते जीर्णवस्थाने केम पाम्यां छे अने केम पामतां जाय छे ते हवे विचारवान छे तेनां मने त्रण कारण देखाय छे. १ रोगादि भयने लीधे केटलांक शहेरो उजड थइ जवाथी. २ मलेच्छादि राजाओना राज्यना जूलमथी. ३ आपणा प्रमादथी. For Personal & Private Use Only Page #173 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ११० ) पहेला बे कारणो माटे कंइ विशेष बोलवानी जरूर नथी पण आपणों पोतानोज प्रमाद छे ते संबंधमां हुं कंइक आपने ध्यान खेंचुं छं. आपणा मंदिरोना जे जे अग्रेसरो होय छे तेओ पोतानुं धणीपणं पुरेपुरुं धरावे छे अने तेनी पेढी पण चलावे छे. वखत जतां केटलाक तो ते पेढीनुं धन स्वाहा करी जाय छे, तेमांथी सट्टा विगेरेना वेपारो थाय छे, ने पोतानी नवळी स्थितीए उपयोग लेवामां आवे छे. पोते वहीवट - दार होय छतां ते मंदिरमां शुं समारकाम छे, केवी रीते जीन प्रतिमानी स्थिती छे, केवी ते तेनो सामान वापरवामां आवे छे ते तरफ तद्दन बेदरकार होय छे. आ उपरांत पोतामां चालतो खानगी द्वेष भावनो कजीओ देराशरंमां लावे छे अने घणी वखत तो झवडामांने झवडामां देरासरना पैशा उडावी नांखी मंदिरने खराब स्थितिमां मूकी दे. छे. आ ते तेना संभाळनार के कोण ? जुओ, आपणा आत्रु उपरनां मंदिरो . ते बंधाव्यां हशे त्यारे तेनी स्वच्छता केवी हशे ? अने हाल तेनी स्थिती शुं छे ? आ जेवा तीर्थनी रक्षा करवा तथा तेने समारकाम करवा माटे ज्यारे सरकारनुं ध्यान खें चायुं छे अने ते केम जळवाई रहे तेने माटे प्रयत्न करे छे, त्यारे आपणे लांबा थइ उंधीए छीए. हुं तो खरेखर कहूं छं के, आपणे पोताना बापने एक सुंदर महलमां बेसाडी तेने आपणे पोतेज सळगावी देवा तैयार थएला तेवा दुष्ट पुत्रो छीए. हाल जे छे तेनो जीर्णोद्धार तो करी शकता नथी अने ज्यां जरूर नहि त्यां नवां नवां बंधाववा बहार नीकळीए छीए ते केवुं कहेवाय ? दिनपर दिन तळीएज बेसतां जवानो ए रस्तो छे. खरूं कहीए तो आ कॉन्फरन्स थवानुं कारण पण आवी आवी बाबतोनो सुधारो करवो ए छे. कॉन्फरन्से केम सत्वर आ काम हाथ घराय तेने मादे बनतुं करवानी जरूर छे. ( ताळीओ ). For Personal & Private Use Only Page #174 -------------------------------------------------------------------------- ________________ निशाणी १३. भरुचना शेठ अनोपचंद मलुकचंदनुं भाषण. सभापतिने नमस्कार. आ देश देशनो मळेलो श्रीसंघ जोइने आनंदित थाउं छु. अने श्रीसंघने नमस्कार करुं छु. मने ज्ञाननो जीर्णोद्धार करवानी बाबतमा जे दरखास्त मूकवानी परवानगी मळी छे ते आपनी आगळ निवेदन करुं छु. श्रुत ज्ञान छे ते भगवंते अर्थरुपे प्ररुप्यु छ अने ते गणधर महाराजे गाथारुपे गुथी द्वादशांगीनी रचना करी छे. अने अंगमांथी उपांग पयन्नादिकनी रचना साधवीजी प्रमुखने सारु मुनि महाराजाओए करी छे. ते सूत्रो तीव्र स्मरण शक्तिथी पूर्वाचार्य महाराजोए कंठे राख्या हता. बार दुकाळीयो पडवाथी ज्यारे विसर्जन थवा लाग्युं त्यारे श्रीदेवर्धि गणि क्षमा श्रमणजी महाराज विगरे ए पुस्तको लख्यां, हाले ते आधारेज धर्म चाले छे. ए पुस्तकोथीज आत्माना गुण शं छे, यथार्थ शुं छे, आत्माने शुं करवा योग्य छे, शुं नहि. करवा योग्य छ, आत्मानो स्वभाव शुं छे, आत्माने विभाग शुं छे, आ. त्माने कर्मनो संजोग हेम पाषाणनी ऐक्यतानी पेठे रह्यो छे ते केम जुदो थाय, केम आत्मानो स्वधर्म प्रगट थाय, ए सर्व बाबतो श्रुतज्ञानथी जणाय छे. अवधिज्ञान अने मनःपर्यवज्ञान ए बे आत्म प्रत्यक्ष छे पण तेथी आत्मानू अरूपी स्वरूप जाणी शकातुं नथी. तेथी क्षपक श्रेणिवंत मुनि महाराज पण शुकल ध्यान श्रुत ज्ञानथी ध्याय छे ने केवळ ज्ञान पामे छे. माटे सर्वे धर्म पामवानुं साधन श्रुत ज्ञान छे. ते श्रुत ज्ञानन जो रक्षण ना करीए तो जे जीवोने धर्म पामवो छे तेनो आधार रहेशे नहि. पूर्वेना आचार्य महाराजे पोतानो अमूल्य वखत काढीने पुस्तको. लख्य. छे अने केटलाएक राजाओए तथा भाग्यशाली धनवंत पुरुषोए धननी मूर्छा उतारी करोडो रुपीआ खर्ची-पुस्तको लखाव्यां छे. जुवो कुमारपाळ राजा, हेमचंद्र आचार्य पासे गया ने त्यां कागळो उपर पुस्तको लखातां जोयां ते वखते हेमचंद्र आचार्ये For Personal & Private Use Only Page #175 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (११२) महाराजने पूछ्युं के, महाराज आ पुस्तक कागळ उपर केम लखावो छो ? ताडपत्र पर केम नथी लखावता ? आचार्य महाराजे कडं जे, हाल ताडपत्र मळता नथी. ते हकीकत सांभळीने कुमारपाळे तुरत नियम कर्यो के, ताडपत्र पूरा न करूं त्यांसुधी अन्न पाणी न लउ. ते वखते प्रधाने का जे ताडपत्र बहु दूर देशथी आवे छे माटे आ नियम आष बंध राखो. पण कुमारपाळ राजाए स्वनियमने विष दृढ रही कां ने मारी प्रतिज्ञा फरे नहि. ज्यारे ताडपत्र पूरा करीश त्यारेज अन्नपाणी लइश. एम निश्चय करी ते बागमा गयो त्यां खडताड हतां ते बधां तेना दृढ निश्चयना प्रभावथी ताडपत्र थइ गयां अने तेना उपर पुस्तक लखायां. जुबो, ज्ञान उपर तेमनो केटलो आदर हतो जे ज्ञानना प्रभावथी तेमणे गणधर पद उपार्जन कर्यु छे. वळी संग्राम सोनीए सोनाना अक्षरे पुस्तको लखाव्यां हतां. आवा आवा अनेक भाग्यशाळा पुरुषोए ज्ञान वृद्धिने अर्थे पुस्तको लखाव्यां अने साचवी राख्यां तो आजे मार्ग चाले छे. जो पूर्व पुरुषोए ए ज्ञान लखाववानी तथा साचववानी उपेक्षा करी होत तो आज जे पुस्तको जोइए छीए ते देखवा वखत पण न आवत. आपणा वखतमां केटलांक पुस्तको जीर्ण थइने नष्ट थइ गयां, केटलांएक पुस्तको मुसलमानोए नष्ट कर्यां ने जज रह्यां तेमांथी एक लाख साडत्रीस हजारने आसरे विलायत गयां. हवे जुन पुस्तक रह्यां छे. तेनो जीर्णोद्धार नहि थाय तो शासन प्रवृति शी रीते चालशे तेनो उंडो विचार करवो जोइए. धर्मनो आधारज शास्त्र छे. माटे ए काम उपर बहुन लक्ष देवान छे. आत्मानो मुख्य गुण केवळ ज्ञान छे. ते गुण अवरायो छे, ते आवरण क्षय थवानां साधन ज्ञान भणवू, ज्ञान भणाव, भणवामां सहाय आपवी, ज्ञानवंत पुरुषोनो विनय करवो, बहुमान करवं, ज्ञान लखाव, ज्ञाननी संभाळ राखवी अने ज्ञान सदाकाळ अवस्थित रहे एम करवं ए छे. एथी ज्ञानावरणीय कर्म क्षय पामशे ने आत्मानो गुण प्रगट थशे. जे जे मुख आ दुनियामां मळे छे ते पण शास्त्र आधारे पूर्वे शुभ करणी करी छे तेनांज फळ छे. हवे पण शास्त्र आधारे करीशं तो फळ मळशे. आवां सुख आपवानां निमित्त जे शास्त्र छे ते शास्त्र आपणने परम प्रियवल्लभ होवां जोइए, तो पछी तेनुं रखोपु करवाने केम मनन थर्बु जोइए. जेने थोडा काळमां ज्ञान थवानुं छे तेने तो ज्ञानना काममां द्रव्य खर्चवानु अवश्य मन थशेज. जेने ज्ञान प्राप्त थवाने लांबो काळ लागवानो हशे तेनेज बीजा काममा खर्चवानु मन थशे. जेनुं चित्त कर्म खपाववा विषे वर्ते छे. ते पुरुष तो पोतानु खर्च For Personal & Private Use Only Page #176 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ११३) काढतां जे पैसा वधशे ते ज्ञानना काममा खर्चशे. खर्च करवो ते पण विधियुक्त करवो जोइए. पुस्तको लखाववां ते शुद्ध लखाववा. पुस्तकोना बालावबोध हाल थाय छे ते अशुद्ध थाय छे. पूर्वाचार्यना अभिप्राय फरी जाय छे. तेवा न्यायना ग्रंथोनां जे तत्व छे ते तत्व फेरफार थइ जाय तो धर्मनुं स्वरुपज फरी जाय. ब्राह्मणो भाषांतर करे छे पण तेमने जो खरां तत्व समजायां होय तो ते अंगिकार केम न करे ? पण खरां समजायां नथी तेथी अंगिकार करता नथी. तो ते लोक भाषांतर पण खरा केम करी शकशे ? माटे आपणां तत्वो जाळववा सारु न्यायना ग्रंथोनां भाषांतर कराववांन नहीं ने करावशो तो लाभने बदले टोटो थशे. चारित्रादिकनां भाषांतर कराववामां मारो विचार कि. रुद्ध नथी. माटे आत्मार्थीओए जरुर जेम सारी रीते ज्ञाननो उद्धार थाय तेम उद्यम करवो. आपणे त्यां वराना प्रसंग आवे छे, त्यारे पासे पैसा नही होता तो देवं क. रीने पण वरो करीए छीए. जो सांसारिक काम करतां आपणने धर्म वल्लभ होय तो ज्ञानना काममां आपणी पासे पैसा होय ते छतां केम न वापरीए ? माटे वल्लभतानी खामी छे. हवे ते खामी काढवी होय तो तन मन अने धनथी ज्ञाननी बहु मानता करवीज जोइए. मारी नानी उमर हती, त्यारथी ज्ञानना काममा पैसा खर्चवानी मने इच्छा थती हती, तेना प्रतापेज आ कांइक बोलवानी शक्ति आवी छे. माटे आप साहेबने विनंती करूं छु के, जे माणस धनवान छे तेमणे धननो व्यय करी ज्ञान वृद्धि थाय तेम करवं अने बीजा माणसो छे तेमणे ज्ञानन रक्षण थाय एवी शरीरनी महेनत करवी. हवे जीर्णोद्धार करवा सारु कॉन्फरन्स ठराव करे छे ते ठरावने अमलमां मूकवा माटे आपणे मदद करवी जरुर छे, माटे जे जे गामना प्रतिनिधियो अत्रे पधारेला छे, तेमणे पोताना गामनां पुस्तकोनी टीप तैयार करवी ने तेमां पुस्तकर्नु नाम, पुस्तक कर्त्तनुं नाम, जे सालमां पुस्तक रचायुं होय ते साल, जे वरसमा पुस्तक लखायुं होय ते साल, जीर्ण थयुं छे के सारी स्थितीमा छे, एवा आसन राखवां अने एवी रीतनां लीष्टो तैयार करावीने जनरल सेक्रेटरी साहेबने मोकली आपशो तो पछी ते सर्व एकत्र करीने एक बुक छापशे. तेथी जे जे देशमा जे जे पुस्तक नहीं हशे ते मंगावीने तेनी नकलो करावी, अगर छपाववी सुगम पडशे. आ फरज डेलीगटोने जरुर बजाववानी छे. माटे आपणा देशमा जइ पोताना गाममां तथा आसपासना गाममा ज्या ज्यां पुस्तको होय त्यां त्यांना लीष्टो तैयार १५ For Personal & Private Use Only Page #177 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (११४) करवाने उजमाल थq जोइए. अने पछी जे जे पुस्तको जीर्ण थयां छे ते लखाववां जोइए. न्यायना ग्रंथो अने सूत्रो मूल तथा नियुक्ति, भाष्य, चूर्णी अने टीका साथेन जे भाषामा छे तेज भाषामां शुद्ध करी छपाय तो ते सारी वात छे. तन मन ने धनथी ज्ञानोद्धारना काममां ने उजमाल थशे ते थोडा काळमां ज्ञानावरणीय कर्म नष्ट करी केवळज्ञान केवळ दर्शन पामी मोक्षनी पदवी मेळवशे. ( ताळीओ.) For Personal & Private Use Only Page #178 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ११५ ) निशाणी १४. जुनागढना मि. दोलतचंद पुरुषोत्तम बरोडीआनं भाषण. श्लोक. स जयति परमात्मा केवळ ज्ञान मूर्त्तिः दलित निखिल कर्मा शाश्वतानंद मग्नः हृदय कमलमन्त र्यः सदालोक्यमानः वितरति च मुमुक्षो मोक्षलक्ष्मी प्रसन्नः आ त्रीजी जैन कॉन्फरन्समां आप साहेबोनी हजुर प्राचीन तथा अर्वाचीन जैन शिलालेखो उपर बे बोल बोलवाने मने श्रीमंत सेनाखासखेल समशेर बहादुर महाराजा शीयाजीरावनी राजधानीमां अवकाश मळ्यो छे तेथी हुं अत्यंत भाग्यशाली तथा आनंदित थयो छं. दुनिआना कोइ पण देशनो इतिहास जाळवी राखवा माटे तेमज तेमां थइ गयेला राज्यादिकना वर्णनमां अजवाळु पाडवा माटे शिलालेखो, पुस्तको, सिक्काओ, मकानो ताम्रपत्रो विगेरे घणांज अगत्यनां साधनो छे. मीसर देशना पीरामीड जेवा गंजावर दुनिआमां नवाइ उत्पन्न करे एवां मकानो पण सर्व भक्षी अनयातने काळने आधीन थाय छे तो बीजां बांधकामोनी तो शी गणना ? पीरा - मीड जेवी पण आश्चर्यकारक वस्तुओ जेने आपणे हाल आ जगत्मां हयाती ध रावती जोइए छीए ते पण हजारो वर्ष पछी जमीनदोस्त थइ जशे अने तेनी एक पण निशाणी रहेशे नहीं. राजाओनी निशाणी ओवाळा सिक्काओ पण दटाइ घसाइ नाश पामे छे. पुस्तको अने लखेलां पानांओ पण काळांतरे काळने वश थइ तेनो पण नाश थाय छे अने तेज प्रमाणे प्राचीन अने अर्वाचीन शिलालेखोनुं पण तेवीज रीते निर्मूलन थवानो संभव छे. अने ताम्रपत्रो पण काळने आधीन थाय छे. आ बाबतमां मनुष्यजात काळ सामे टक्कर झीलवाने माटे गमे तेटला प्रयत्नो करशे तोपण ते बधां निष्फळ थवानां. आ मंडपनी अंदर हजारो भाइओ तथा बहेनोए पोतानी उमदा हाजरी आपली छे तेमांनुं एक पण मनुष्य सो वरस पछी हशे ! For Personal & Private Use Only Page #179 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ११६ ) जे भव्य मंडप आपणे जोइने आपणी आंखोने ठारीए बीए ते मंडपनो थोडा दिवस पछी कंइ पत्तो रहेशे ? हालमां दुनियामां हजारो शेहेर अने लाखो मकानो तेमज करोडो मनुष्योनी स्थिति आजथी पांचेक हजार वरस पछी केवी थशे तेनो चितार आपणा ख्यालमां आवी शकतो नथी. पण एटलुं तो खरुज छे के, धर्म फक्त निश्चळ छे अने धर्मथीज सुखनी प्राप्ति थाय छे अने परंपराए स्वर्ग अने मोक्षनी प्राप्ति थाय छे. शिलालेखोनो जीर्णोद्धार करवो, तेनी नकलो कराववी, तेनां भाषांतर करवा, अने पुस्तकना आकारमां छपाववां ए आपणी फरजोमांनी एक फरज छे. आ शिलालेखोथी आपणी कोमना इतिहासमां तेमज गुजरात आदि देशोना इतिहासमा अने आपणा देरासरो तथा तेमने लाखो अने करोडो रुपियाना खर्चे बंधावनार पुरुषोना इतिहासमां आपणने घणुं जाणवानुं मळे छे, तो आवा शिलालेखोनुं संरक्षण करखं अने तेनी असल जेवीज नकलो अने भाषांतरो तैयार करवां ते जरूरनुं छे. अने मुंबईनी बीजी जैन कॉन्फरन्स तेमज वडोदरानी आ त्रीजी जैन कॉन्फरन्समा मारा भाषणनो पण एज उद्देश छे. गये वर्ष मारा हाथमां लीला विषय विषे में केटलुक विवेचन कर्तुं हतुं तेमज मारी पासे, जे शिलालेखो छे ते बीजी कॉन्फरन्सना प्रमुख साहेबने अने ते वखतनी रिसेप्शन कमीटीना प्रमुख साहेबने अने बीजा आगेवान गृहस्थाने बताववामां आव्या हता अने ते संबंधी मदद आपका केटलाएक उदार सेठीआओए पोतानी इच्छा दर्शावी हती पण अफसोस ! के मरहूम शेठ फकीरचंद प्रेमचंद के जे आपणी जैन कोमनो एक हीरो हतो तेना अचानक परलोक गमनथी मारी आशामां एक मोटुं विघ्न आवी पड्युं तो आशा छे के, बीजा संभावित गृहस्थो आ काममां मने तन, मन अने धनश्री मदद आपशे तो आ काम यथाशक्ति हुं पार पाडी शकीश एवी मारी खात्री छे. कारण के आ विषयमा जो के लेख उतारवामां तेने एकठा करवामां अने भाषांतर करवामां घणां वर्षथी हुँ प्रयत्न करूं छु अने मारी साथ संबंध घरावनारा अनेक सत्पुरुषोनी संपत्ति अने सहायता छे, अने तेओ दिन प्रतिदिन मने उत्तेजन अने अनुमोदन आपता, आव्या छे. तोपण आ काममां द्रव्यनी खास जरूर छे. हालमां मारी पासे श्री शत्रुंजय, गिरनार, राणकपूर विगेरेना शिलालेखो छे अने तेनां भाषांतरो पण में जाते करी मारी पासे तैयार राखेला छे तो तेने छपावी जाहेरातमां लाववाथी घणोज फायदो थशे. माटे आ विषय उपर हुं प्रमुख साहेबनुं, तेमज हिंदुस्तानना जूदा जूदा प्रदेशभांथी आवेला डेलीगेट साहेबोनुं खास ध्यान खंचवानी रजा लई हुं अने अरज गुजारू छं के, हरेक प्रकारे आ काम मी आ For Personal & Private Use Only Page #180 -------------------------------------------------------------------------- ________________ काम जेम बने तेम जलदी पार पडे एवी गोठवण यथाशक्ति करशो. आ वखते मारे आपने जणावयूँ जोइए के, श्रीआबुजीना शिलालेखो मेळववाने माटे में वणो प्रयत्न करेलो छे, अने श्रीआवुनीमां ते लेखोने वांचीने तेनी नकल करवानें काम में उठाव्यु हतुं पण केटलीक अगवडने लीधे ते काम बनी शक्युं नथी. आबुजीना शिलालेखोनी नकलो मेळववा माटे शीरोहीना श्रीसंघने तेमज मरहुम मि. फकीरचंद प्रेमचंद तथा शेठ लालभाई दलपतभाई तथा मि. बाळाभाई मंछाराम आदि सद्गृहस्थोनी मारफत पत्रो लखावी तेमज भलामण करावी में आजसधी मेहेनत करेल छे. तो आशा छे के.ते संबंधी लागतावळगता साहेबो ते शिलालेखोनी नकलो मने मळे एवी मेहेरबानी करशे एवी उमेद राखं छु. ( ताळीओ ). For Personal & Private Use Only Page #181 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ११८) निशाणी १५. ॐ नमो तिथ्थस्स. प्राचीन शोघखोळनी जरूरियात विषे मोरबीवाळा मि. मनसुख कीरतचंदे आपेखें भाषण. मे. प्रमुख साहेब, स्वधर्मी बंधुओ अने बहेनो ! प्राचीन शोघखोळनो विषय जेटलो विकट छे तेटलो अगत्यनो छे. समस्त जैन कोमना प्रतिनिधिनी बनेली आ भव्य महासभामां मारे आ विषयपर कंइ बोलवू पडशे एवो मने स्वप्ने पण ख्याल न हतो. पण ज्यारे पवित्र श्रीसंघनी मने अणचिन्तवी आज्ञा थइ त्यारे ते हुं माथे चडावं छु. अने मने आशा छे के, तीर्थंकरने पण बहु मान्य एवा पवित्र श्रीसंघनी कृपाथी एनी आज्ञा पार पाडी शकीश. बंधुओ ! प्राचीन शोघखोळनी जरूरियात बाबतमां आपणा बंधु मि. बरोडीया दरखास्त लाव्या छे; तेने अनुमोदन आपवा शिवाय बीजं विषेश करवानुं मारे नहि रहे. बंधुओ ! मनुष्यभव बहु दुर्लभ छे, ए दुर्लभ भव कदाच मळे पण तेनुं सार्थक करवं एथी पण दुर्लभ छे. आ देहनी अंदर रहेल आत्मानो कर्मथी मोक्ष करवो, ए आ अमुल्य दुर्लभ मनुष्यदेहर्नु परमसार्थक छे. बंधुओ ! जगतितळ उपर वर्तता बधा धर्मो आवी रीते उपद्देशे छे. अत्रे हुं तत्वज्ञाननी उडी खीणमा उतरवा मागतो नथी; पण आपने कहेवू योग्य छे, अने आप खचीत मानजो के, मनुष्य भवना यथार्थ सार्थक माटे कोइपण धर्म यथार्थ अविरोधी अविच्छिन बोध आपतो होय तो ते पवित्र श्रीजैनधर्म छे. बंधुओ! आवा एक पवित्र धर्मने अंगे रहेली प्राचीन शोध खोळो खंडिएरो, शिलालेखो, हस्तपत्रो, ताम्रपत्रो, शिक्का, मंदिरो, गुफाओ आदिनी शोधखोळो केटली बधी उपयोगी थशे ए आपे विचारवानुं छे. बंधुओ! ए शोध खोळो जैनोनी तेना धर्मनी प्राचीन तवारिख उपर, तेनी स्थिति उपर, जाहोजलाली उपर, खचीत अजवाडं पाडशे. गृहस्थो ! प्राचीन ताम्रपत्रो, शीलालेखो आदि इतिहासिक बाबत जेमां आपणे पछात छीए, तेमां घणो उपयोगी भाग आपशे. तीर्थकर भग For Personal & Private Use Only Page #182 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (११९) वाननी प्रतिमाना पद्मासन निचेना भागपर जे जे लेखो होय छे, लांछन होय छे, ते ते तीर्थकरनी ओळखाण आपवा उपरांत ते बिंब क्यारे भरायां, क्यां भरायां, कोणे भराव्यां, कया आचार्ये, ए आदि विगत पुरी पाडतां होवाथी, आपणने ऐतिहासिक मोटो लाभ थशे. विषेश, बंधुओ ! कागळपत्र उपर लखाएला लेखो एकदम नाश पामे खरा, पण पथ्थर के धातु उपर कोतरेला तेमां पण आरसामां कोतरेला लेखो घणा काळसुधी टके छे, अने तेथी तेओ कागळपर लखाएली नोंधो करतां वधारे उपयोगी होय छे. तो बंधुओ! एवा लेखो आदिनी शोधो कराववी बहु आवश्यक छे. बंधुओ ! ए शोध खोळोथी प्राचीन स्थितीनां ज्ञान उपरांत पुद्गलीक अनित्यतानो ख्याल आवशे; जे परम कल्याणना एक अमोघ कारणरुप थशे. बंधुओ! वळी शोध खोळमाथी घणुं धणुं अवनवं जाणवा, सत्यासत्यना निर्णयनुं बनी आवशे. आ स्थळे मने अत्रे भराएला लाक्षणिक प्रदर्शनमां मूकेली चार संजीवनी न्यायना दृष्टांतनी छबी याद आवे छे. बंधुओ ! आपे बधाए ए छबी जोइ हशे, ए जोवा आपने भलामण करवी योग्य छे. गृहस्थो ! कळीकाळ सर्वज्ञ श्रीमद् हेमचंद्राचार्यने एक वखत गुजरातना राजा महान् सिद्धराज जयसिंहे प्रश्न कर्यु के, महाराज ! जगत्मां आटला बधा धर्मो छे ते बधा धर्मनो ने तत्वनो उपदेश करे छे तो तेमा सत्य तत्व शुं अने ते शामां छे ? श्रीमद् हेमसूरी जे जैनना अनन्य पवित्र आचार्य हता, तेओ धारत तो एकी अवाजे कही शकत के, सत्य तत्व श्रीजैनधर्ममा छे. अने राजा सिद्धराज ए अंगिकार पण करत, पण समयना जाण अने निष्पक्षपात बुद्धिना धणी निरपेक्षी एवा श्रीमद् हेमचंद्राचार्य शंखपुराणमाथी आपने जणावेल चार संजीवनी यशोमतिनी वात कही संभळावी. गृहस्थो ! मरहुम डॉ. पीटरसने पुनानी ढक्कन कॉलेजमां पोताना शिष्योने आ वात लेक्चररुपे नव वरप्त उपर कही हती. कोइ यशोमति नामनी स्त्रीने तेनो धणी तेनी बहेनपणी साथे यथेच्छ वर्तवा दे नहीं, तेथी ते बहेनपणीए तेने पोताना पतिने बळदमां वैक्रिय करवानी औषधि बतावी. यशोमतिए औषधिना प्रयोगथी पोताना पतिने वृषभ करी नांख्यो; पण गमे तेवी तोए पतिपरायण स्त्री होवाथी ते पस्तावा मंडी. वृषभ थएला पोताना पतिने फरी पुरुषनुरुप आपवान ते के तेनी सखी जाणतां न हता. आथी यशोमति बहु बहु खेद पामवा लागी. पछी पत्निधर्म मुजब हमेशा खेद पामती ते पोताना पतिने वनमां चरवा लइ जती. एक दिवस अंतरीक्षमां कोई विद्याधर पोतानी स्त्रीने वात वातमां कहेतो हतो के, आ अमूक झाड तळे औषधि For Personal & Private Use Only Page #183 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१२०) यो छे तेमां एक औषधी एवी छे के, जानवर ते चरे तो मनुष्यरुप कामे.. यशोमतिए आ वात सांभळी लीधी अने पोताना बळद थयेल पतिने ते झाड तळे चरावका लइ गइ. ते झाड तळे रहेल झाडपान चरतां विद्याधरे जणावेल औषधी पण ते बळदना चरवामां आवतां ते पोतार्नु पूर्व पुरुषरुप पाम्यो. तेम जगत्ना बधा धर्मोनू लक्षपूर्वक शोधन दोहन करतां तत्व मळशे. बंधुओ ! श्रीमद् हेमचंद्राचार्ये चार सं. जीवनीनी कथा सिद्धराजने कही तेनो उपनय आपणी शोधखोळनी बाबतने पण घणो उपयोगी छे. शोधखोळथी पण तत्व तरी आवशे. माटे बंधुओ ए अति अगत्यनी छे. प्राचीन शोधखोळनो विषय हिंदुस्तानमां नवा जेवोज गणी शकाय. तेमां पण आपणे जैनो तो ए बाबतमां बहु पछात गणाइए. ए बाबतनी शरुआतनुं तेम तेने हिंदमां थोडं घणुं दाखल कर्याने मान यूरोपियन पंडितोने, एश्याटिक सोसाइटीने अने थोडा घणा हिंदु शोधकने घटे छे. गृहस्थों ! जनरल कनिंगहाम, डॉ. बुलर, लुइराइस, डॉ. वीबर, डॉ. होर्नल, आदि विद्वान पंडितो, आ बधाए प्राचीन शोधखोळोपर घणुं अनवाळु नांख्युं छे. हिंदमांथी पण महूम डॉ. भगवानलाल, डॉ. भाउ दानी, डॉ. भंडारकर, मि. रतिराम दवे, शास्त्री हरि दत्त, महाराज श्री आत्मारामजी, तेमज यूरोपियनोमा, डॉ. पीटरसने आ बाबतमां बहु उपयोगी फाळो आप्यो छे. इन्डियन एन्टीक्वरी बोम्बे एश्याटिक सोसाइटीना रिपोर्टो विगेरे अने डॉ. भाउ दाजीना एन्शन्ट रीसचीस आ वगेरेए प्राचीन इतिहास आदि उपर घणो प्रकाश नांख्यो छे, छतां गृहस्थो! प्राचीन शोध खोळy एटलं बधु बहोकुं अने विशाळ क्षेत्र पडयुं छे,—उपर जणावेली बाबतो तो घणी घणी ओछी गणाय. __गृहस्थो ! मथुरामा एक जीन मंदिरमा जनरल कनिंगहामे एक लेख शोध्यो छे तेमां वीरभगवानना निर्वाण पछीनो तरतनो काळ लखेल छे. श्रीमद् आत्मारामजीए लखेल प्रश्नोत्तरोमां आ आखो लेख आपेल छे. मारवाडमां श्रीवीरप्रभना जीनालयमा एक लेख वीरप्रभुनी पछी सीतेर वरसनो छे अने तेमां कोइ रत्नशेखरसूरिनुं नाम छे, तेमां कांइ उपदेश छे. गृहस्थो ! आ बधी शोधोथी एक बीजो पण अगत्यनो निर्णय अने समाधान थाय एम छे. आपणा स्थानकवासी बंधुओ प्रतिमानो निषेध करे छे, अने प्रतिमा के जीन मंदिर नहीं होवानो घणा लांबा काळनो दावो करे छ; अने कहे छे के, प्रतिमा आराधकतो हमणांज थया छे. तेमने आ लेखो घणा बोधन अने सत्यना निर्णयनु, अने कदाग्रह छोडी दई परम उपकारक एवां प्रति For Personal & Private Use Only Page #184 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १२१ ) माना आलंबननुं निश्चय करावनार कारण थवा योग्य छे. बंधुओ ! शोधखोळ विनाज सहेजे उपली बाबतो मळी आवी छे, तो खास हेतुपूर्वक जो शोधो थाय तो घणो लाभ थाय. बंधुओ ! आपे श्रीभद्रेश्वर ( कच्छ मुद्राथी छ गाउ ) जोयुं हशे; अथवा एनुं नाम सांभळयुं हशे त्रण दायका उपर तो त्यां टींबा टेकरा ने खंडियरो देखातां हतां, पण अनायासे त्यांथी पसार थता कोइ यतिने ए मंदिरनो भाग जोवामां आग्यो, जे खोदावतां हाल एक प्राचीन भव्य मंदिर तेमांथी मळी आव्युं छे. तेमां वीरप्रभुनी प्राचीन भव्य प्रतिमा छे. जीर्ण देरीयो फरती छे ते हाल समरावी छे. मंदिर जमी - नमां उडुं पेसी गयुं छे. गृहस्थो ! पाटण, वळा पूर्वनी कल्याणक भूमि, कावी - गांधार आदि अनेक प्राचीन स्थळो छे के ज्यांथी अवार नवार प्राचीन लेखो प्रतिमाओ शिक्का आदि मळी आवे छे. आवां स्थळोनी शोधखोळ करावी, ते शोधखोळना रिपोर्टों बहार पाडवानी, ते शोधखोळो जाळवी राखवानी, समराववानी बहु बहु अगत्य छे. बंधुओ ! मुंबई पासेनी कॅनेरी केव्झ ( गुफाओ ), अॅल्फन्टा केव्झ, एजन्टा केव्झ, ए वगेरे पण घणो प्रकाश आपे एम छे. मद्रास पासे कोंजेवरमथी ऋण माइल छेटे एक प्राचीन भव्य जीन मंदिर छे. आ मंदिर दिगंबरी छे छतां तत्वनी दृष्टिए दिगंबर श्वेतांबर मां भेद न होवाथी एनी खोळ बहु लाभकारक छे. त्यां विक्रम संवत पहेला सैकामां थइ गएल महान कुंदकुंदाचार्यनां पगलां छे; अने तेना वखतना लेखों छे. त्यां पंदरसो वरसनी जुनी एक श्रीकल्प सूत्रनी प्रत छे. अजायबी जेवुं एछे के हिंदमां आवेलां एवां प्राचीन जैन स्थळनी आपणने हींदी जैनने खबर नथी, ज्यारे ज्यारे त्यां खास जोवा खातर फ्रान्स, अमेरिका, वेर दूरथी अॅन्टी कवेरीयन्स ( शोधखोळ करनारा ) आवे छे. गृहस्थो ! दक्षिणमां तांजोरमां एक प्राचीन पुस्तकालय छे, त्यां छ हजार ताडपत्र उपर लखेला प्राचीन लेखो छे. ते पुस्तकालय बधा माटे खुल्लुं छे. तेनो त्यां उपयोग थइ शके छे; त्यांथी लइ जवा देता नथी. मैसुरमां बेंग्लोर पासे श्रवण बेल्गुल स्थान छे, त्यां श्री बाहुबळ स्वामीनी ( गोमट्टेश्वरनी) अति अद्भुत भव्य महान प्रतिमा ( colossal statue ) छे ते सतिर फीटचौद मांथोडां उंचुं छे. जंगलमां भव्य देखाय छे. ते काउसग मुद्रा छे. तेनी बन्ने बाजुए प्राचीन लेखो छे. ते मैसुर गवर्मेन्टना सेक्रेटरी लुइ राइसे इंग्रेजीमां मूळ साथै प्रगट कर्या छे. गृहस्थो ! जे भव्य प्रतिमानी आपणने खबर नथी. तेना पद्मासनना वचला भागमां उभा रही विदेशी लोको फोटोग्राफ पण पडावे छे. गृहस्थो, ते गोमट्टेश्वरना पगनो अंगुठो नाळीयेर जेवडो छे ए उपरथी आप ख्याल करशो के, ए १६ For Personal & Private Use Only Page #185 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१२२) प्रतिमा ते केवडी भव्य हशे. गृहस्थो ! आतो स्थळ जाणितुं थयुं, पण अणनाण्यां एवा अनेक स्थळ हशे, के जे हजी अंधारामां छे, ते बधानी शोधो करवी आवश्यक छ. बंधुओ ! आ अत्रे भरायेला प्रदर्शनमा केटलाक हस्त लेखो छे ते लगभग १००० वरस उपरांतना छे. ते आपणने एक नवी बाबत शीखवे छे; ते ए के पुस्तको घणा लांवा काळपूर्वे पण लखाता. डॉ. जेकोबीने पण ए शंका थइ छ के, जैनशास्त्रो क्यारे लखायां हशे. बंधुओ ! आनो आपणे कंइ चोकस निर्णय करी शकीये एम नथी, पण आवी शोधखोळो आपणने अमक निर्णय करवामां सहाय थाय छे. प्राचीन शोधखोळो आपणा हक्कमां पण मोटो भाग बजावे छे. अकबर तथा जहांगीरना वखतमां जैनोने मळेला ताम्रपत्रो जो हैयात नहत, अथवा न मळ्यां हत, तो पवित्र तीर्थ श्रीसमेतशिखर पासे उघडेलु चरबीनू कारखानु कदाच बंध न थात, अने जैनोनो हक्क, दयामय हक कदाच त्यां तो डूबत. बंधुओ ! आम प्राचीन लेखो, शीला लेखो, ताम्रपत्रो आदि बहु उपयोगी छे; तेनी शोधखोळो विषेश उपयोगी छे, अने ते शोधखोळ जाळवी राखी तेने समरावq विषेश विशेप उपयोगी छे. गृहस्थो, पूर्वना धनाढ्य पुरुषोए आमज कर्यु छ; जावडशाह, विमलशाह वस्तुपाळ आदिए आज क्रम लीधो के. श्री धंधका ज्यां श्रीमद् हेमसूरि जन्म्या हता, त्यां तेनु पालj ए नामे स्थळ छे; त्यां हाल मसीद छे. श्री खंबातमां एक मंदिर हतुं, तेने बदले हाल मसीदछे; जामनगरमां एक मंदिर बदले शिवालय छे. वढवाणमां पाडावसामां पाडापोळमां एक प्राचीन देरासरनी जग्याए हाल एक मसीद छे. बंधुओ ! आ बधी शोधखोळथी खबर पडी छे. ए जो बने अने उद्वारी शकाय तो कल्याणर्नु कारण छे. आपणे श्री सिद्धाचळ आदि घणां स्थळोनां मंदिरोपर मसीदनो आकार जोइरॉ. आ आपणने आपणा जैन भाइओनां डहापण, समयसूचकता, अने धीरजनो खसुस पुरावो पुरो पाडे छे. ज्यारे एम धार्य के, मुसलमानो मंदिर तोडशे त्यारे समय विचारी तेओए मसीदनी आकृति दाखल करी. गृहस्थो, शोधखोळने अंगे आपणे आ जाणी शकीये छीए. वधुओ ! आम प्राचीन शोधखोळनी अगत्यता, ते जाळवी राखी, ते समराववानी अगत्यता बतावी छे हवे आपणे ए माटेना उपायो सूचववा योग्य छे. गृहस्थो ! आपणा बंधु मि. कापडीयाए गइ काले ' फाइलोलोजीक लेकचरो' अर्थात भाषा आदि संबंधी भाषणो कराववानुं सूचव्यं हत; तेमज ते साथे प्राचीन शोधखोळने लगतां भाषणो अपाववां जरुरनां छे. गृहस्थो ! इंग्लंड यूरोपमा आ For Personal & Private Use Only Page #186 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१२३) विषयतो एटलो बधो अगत्यनो गगाय छे के, ते माटे खास प्रोफेसरो राखे छे. तेने सारा पगार आपी तेओ पासे जाहेर भाषणो करावे छे. आपणामां प्राचीन शोधखोळनो ख्याल पण नथी; पण हवे केळवणीना प्रचारथी एवी कदर आपणे समनता थशं. गृहस्थो ! पाश्चात्य विद्वानो आ बाबतने एटली वधी अगत्यनी गणे छे के नीचेनो एक दासलो आपणने एनो सहन ख्याल आपशे. आपणा मुंबई इलाकानो एक आगलो हाकम सर जेम्स फम्र्यतन खंघातमा कोइ सादा गृहस्थने घेर प्राचीन लेखो मेळवा तथा शोधवा जाते पधार्या हता. आ वात आपणा एक हितैषी डॉ. बल्हरना वखतमां बनी हती. गृहस्थो, आवी अगत्यनी बावत तेओ 'शोधखोळ 'ने गणे छ माटे. ( १ ) प्राचीन शोषखोळनी लेक चर शीपो स्थापवी. ( २ ) जैन विद्वानोने सारा पगारथी खास आ शोधखोळ माटे राखवा, अने तेमनी पासेथी रीपोर्टो करावी तेनां भाषणो आवां तथा ते बाहार पाडवा. ( ३ ) प्राचीन शोधखोळने लगता इनामी निर्वयो लखाववा अने सारा निबंधवाळाने इनाम आपी ते छपावी प्रगट करवा. ( ४ ) छेवटे, बंधुओ ! मुंबई के अत्रे एक प्राचीन शोधखोळने लगतुं तेना साहित्य- एक ' म्युझीयम ' करवं ( Museum for antiquaries archelogy &c. ) गृहस्थो, हिंदमां आवां खातानी बहु खोट छे. यूरोपियन के देशी पांडतने खास हिंदनी प्राचीन बावतोनो अभ्यास करवो होय तो तेने जर्मनी के इंग्लंडमां British Museum नो लाम लेवो पडे छे. अर्थात त्यां हिंदनी प्राचीन बाबतो लगतां एटलां बधां प्रदर्शनो, तथा साहित्यो छे के, खुद हिंदनी बावत माटे त्यां जतां लाभ थाय छे. बंधुओ ! जो के हिंदनी जे जे शोधखोळो करवी जोइए, ते जो थाय तो जे थइ छे, ते काइ लेखामांज न आवे. माटे शोधखोळनी बहु जरूर छे. अने मुंबईमां के नामदार सयाजीरावना आ राजधानीना स्थळ वडोदरामां एक शोव. खोळने लगतुं ' म्युझीयम ' स्थापवानी जरूर छे. नामदार गायकवाड जेवा सुज्ञ विद्याविलासी प्रजाप्रिय सर सीयाजीराव आपणने चोकस मदद आपशे, अने एओश्रीना राज्यमां भरायेल आ कॉन्फरन्सन स्मरण पण रहेशे. माटे एवं — Museum' म्यापवं योग्य छे. गृहस्थो, आम सामान्य उपायो बताच्या छे. केलर पीथी आ बंधु For Personal & Private Use Only Page #187 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१२४) वर आववा योग्य छे. छेवटे आ बधी शोषखोळोनु खरूं सार्थक तो त्यारेज थशे के ज्यारे आ देहमां घणा काळथी संताइ रहेढं आत्म द्रव्य प्रगट थाय, तेनी शोध थाय, अने ते प्राप्त थइ अखंड सुख मेळवी ले. बंधुओ ! प्रभु कृपाथी ए थशे, अने प्राचीन शोधखोळनी जरूरियातना आ मारा अनुमोदनमां आप एकी अवाजे भाग लइ मने बेसी जवा रजा आपशो. ( ताळीओ ) For Personal & Private Use Only Page #188 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१२५) निशाणी १६. डीरेक्टरी विषे मि. भगुभाइ फतेहचंद कारभारीनु भाषण. आजे मारा हाथमां डीरेक्टरीना संबंधनो ठराव कॉन्फरन्सनी विषय मंडळी तरफथी मूकवामां आव्यो छे. गया वरसे आज सवाल में हाथमां धर्यो हतो अने ते वखते डीरेक्टरी एटले वही विगेरे में कयुं हतुं. आवी डीरेक्टरीनी केटली जरुर छे ते पण में ते वखते का हतुं अने ते माटे अत्रे पिष्टपेसण न थाय तेटला सारूं आप साहेबने अहेवाले कॉन्फरन्सनुं पान १६४ तेमन कॉन्फरन्स तरफथी छपाएला रिपोर्टर्नु पार्नु १३३ वांचवा हुं भलामण करुं छं. आपणी कॉन्फरन्स तेमज जैन समान अने जन समाज आवी डीरेक्टरीओनी आवश्यकता विचारवा लागी छे. आ सवाल आजे पंदर मासनो जुनो थयो छे अने आपणी कॉन्फरन्सनी ऑफिस तरफथी आवी आपणी जैन डीरेक्टरी करवा वर्तमानपत्रोद्वारा जाहेर खबरो आपवामां आवी हती अने हुं आशा राखुं छु के, आ कार्य कॉन्फरन्स तरफथी ज. लदी पार पडशे. आपणा प्रेसिडंट साहेबे पोताना आरंभना भाषणमां पण डीरेक्टरीना संबं. धमां का छे अने तेम कहेतां तेमणे भावनगरी भाइओना प्रयासने वखाण्यो छे. अलबतां दरेक गामवाळा आवा प्रयास करे तो ते स्तुत्य छे. पण मारे कहे जो. इए के दरेक गामवार डीरेक्टरी जुदी छपाववानी जरुर नथी केमके आवा नानां चोपानीयां घणो वखत रहेतां नथी अने ते साचववां मुशकेल पडे छे. ते साथे जोइती माहिती मेळववा माटे अनेक चोपानीयां जोवां पडतां होवाथी वखतनो पण लय वधारे थाय छे, आना संबंधमां कॉन्फरन्सद्वारा जे गृहस्थ के गृहस्थो डीरेक्टरी बनावे तेओ तरफ आवा गामो तरफ अमुक फॉरमो मोकलवामां आवे अने ते जो तेओ नमुना प्रमाणे भरी मोकलावे तो आ काम जलदी पार पडे. भावनगर डीरेक्टरी बहार पड्या पछी केटलाक गामोवाळाए आवी डीरेक्टरी For Personal & Private Use Only Page #189 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१२६) पोते तैयार करवानो विचार कर्यो छे. अने तेना संबंधमां साणंद, खेडा विगेरेना केटलाक गृहस्थो मने मळ्या हता. हवे ज्यारे आम छे त्यारे आवी डीरेक्टरीनी जरुरियात निर्विवाद साबीत थाय छे. डीरेक्टरीमा वस्तीतुं प्रमाण हाल जो ते तैयार करवामां आवे तो नक्की करवं मुशकेल छ माटे ते संबंधमां अंदाज वस्तीज मकवी. सली तमाम तीर्थोनी हकीकत तेना वहिवटदारो अने तेना वहीट सन्धी धारण आने लेना अंगे चालतां फंडो, वळी जूदी जूदी सभाओ, तेमना आशय वानी तेमा समावेश थवो जोइए. वळी नदी ज़दी जातना जे जे जैनो तेमा रहेता होय ते संबंधी अने तेमना लग्न वि. गेरेना धाराओनुं टंक वर्णन पण तेमां आन जोइए. वळी धंधावार वर्गणी पण तेमां समाववी जोइए. आ साथे तमाम मुनिराजो, अने तेमना गच्छ विगेरेनी माहिती पण तेमां अवश्य आववी जोइए. वळी आपणा धर्मादा खाताओ, पांजरापोळो वि. गेरेनां फंडो, तेना वहीवटो अने तेना अंगे चालती व्यवस्थानुं सबकं ब्यान आवा पुस्तकमां जरुर जणावq जोइए. आ साथे दरेक गामवार हकीकत तेमां गाम क्यां. छे, तेनी हवा केवी छे अने तेमां व्यापारि स्थिति केवी छे ते विगेरे बतावq. आ बधुं कार्य करवामां एक माणसनु काम नथी पण ते बधी हकीकत मेळववामां बधा भाइओनी जरुर छे अने आवी रीते ज्यारे सहाय थाय तोज आपणो डीरेक्टरीने' बनावनार फतेहमंद नीवडे. वळी आवी डीरेक्टरी मारा समजवा प्रमाणे ८०० पानानी ओछामां ओछी थाय अने ते एकवार छपाया पछी दर वर्षे के अमक वर्षना अंतरे ते बहार पाडवामां आवे तो घणु सुगम अने उपयोगी थाय. छेवट आशा राखं छु के, आपणे चोथी कॉन्फरन्स माटे फरी मळीए ते पहेलां आ डीरेक्टरी बहार पडेली जोवा आपणे भाग्यशाली नीवडीए. आटलुं कही हं तमारी रुबरु नीचे प्रमाणे ठराव रजु करुं छं जे तमो तेने अनुमोदन मळ्या पछी स्वीकारशो. आ. पणी दरेक प्रकारनी स्थितिनो ख्याल आवया सारुं आपणा तीर्थो, मंदिरो, प्रतिमाओ, ज्ञानभंडारो, ग्रंथो, पाठशाळाओ, पुस्तकालयो, सभाओ, मंडळो, साधु, साधवी, श्रावक अने श्राविकानी संख्या विगेरे बाबतनी एक डीरेक्टरीरुपे वखतो वख त नोंध थयानी आ कॉन्फरन्स घणी जरुर धारे छे. ( ताळीओ) - - For Personal & Private Use Only Page #190 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१२७) निशाणी १७. डीरेक्टरीनी दरखास्तना टेकामां मि. जीवराव ओघवजी दोशीनुं भाषण. मानवंत प्रेसीडेन्ट साहेब, भाइओ अने व्हेनो, आपणी आर्थिक ( Material ) सांसारिक ( Social ) अने धार्मिक स्थितिना यथावस्थित बोधने अर्थ जैन डीरेक्टरीनी खास आवश्यकता छे. आपणा जाहेर स्थळोनी माहिती अर्थे पण डीरेक्टरीनी तेटलीन आवश्यकता छे. संसार अने धर्म संबंधी चोकस वर्तमान स्थिति जाण्या सिवाय उन्नतिना साधन योजवा तत्पर थर्बु तेवा लुका ( Sand ) रेती-ना पाया उपर इमारत चणवा जेवू छे. दरेक सघरेली प्रजा अने कोमोमां आवा रीपोर्ट बहार पडे छे अने तेओनी उन्न. तिना साधनोद्वाराज शोधी कढाय छे. ... आवी डीरेक्टरी एकज वखत करी अटकवानुं नथी, परंतु अमुक अमुक वरसने आंतरे करवाथी आपणी भूत अने वर्तमान स्थितिनो मुकाबलो करी सकाशे. सरकारी वस्तीपत्रकमां जैन कोम माटे जुई मथाईं राखवामां आवे छे परंतु आग्खा हिंदुस्ताननुं वस्ती पत्रक होवाथी भूलचूक थवानो संभव छे. विशेष आपणने उपयोगी घणा विषयो-मंदिरो ज्ञान भंडार आदि-संबंधी बिलकुल माहीती आपणने तेमांथी मळी शकती नथी. माटे जैन डीरेक्टरी जुदी थवानी खमुस जरुर छे. डीरेक्टरीमां नीचली हकीकत नोंधावानी जरुर जणाय छे: (क) लोको संबंधी. (१) ज्ञाति. ( २ ) गच्छ. ( ३ ) माणसनी कुल संख्या. ( ४ ) पुरुष, स्त्री, छोकरां, छोकरीओ. (५) कुंवारा, वरावेल, परणेल, विधुरस्त्री माटे योग्य शहो. ( ६ ) गुजराननु साधन धंधो, नोकरी. (७ ) केळवणी. व्यवहारिक, धार्मिक. ( ८ ) अन्य रीमार्कस शारीरिक खोड विगेरे. For Personal & Private Use Only Page #191 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १२८) ( ख ) जाहेर स्थळो. ( १ ) मंदिरो. ( २ ) ज्ञान भंडार. ( ३ ) उपाश्रयोः ( ४ ) जैन शाळाओ. ( ५ ) जैन सभाओ. ( ६ ) धर्म आचार्य. (ग) ( १ ) साधुवर्ग. ( २ ) साध्वीवर्ग. ( ३ ) यतिवर्ग. पहेला खानामां जणावेल हकीकत जाणवाथी आपणी सांसारिक स्थितिर्नु आपणने दिग्दर्शन थशे, अने बीजा खानामां दर्शावेल हककित उपरथी आपणा लोकोपयोगी स्थळोनुं यथायोग्य वर्णन मळवाथी ते गाईडरुपे थई पडशे. जैन डीरेक्टरी- कार्य फतेहमंद उतारवा माटे घणी योजनाओ सूचववामां आवेल छे. परंतु मारा मन प्रमाणे अमल जो केळवायेल अने उत्साही वर्ग माथे ले तो थोडा वखतमां अल्प खर्चे थइ शकशे. भावनगरमां थयेल डीरेक्टरी सभानुं बंधारण खास अनुकरण करवा योग्य छे. आटलं बोली बेसवानी हुँ रजा लउं छु. (ताळीओ) For Personal & Private Use Only Page #192 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वर्तमानपत्रोना अभिप्राय. For Personal & Private Use Only Page #193 -------------------------------------------------------------------------- ________________ For Personal & Private Use Only Page #194 -------------------------------------------------------------------------- ________________ આત્માન પ્રકાશ. માગશર, સંવત. ૧૯૬૧. જૈન કોન્ફરન્સના તતય વિજયનું ગીત | હરિગીત. શ્રી જૈનના જયકાર નાદે ગગન ગાર્યું ગર્વથી, બનિ સુખદ સુંદર સત્સમાજે * સરસ શભા સર્વથી; થઇ વિજય વાણી વિજય વાજા વિજયકારી સાજન, વટપત્તને વટથી બન્યો છે. વિજ્ય જૈન સમાજને. શુભ સંઘ ભારતવર્ષને એકત્ર થઈ આવી રહયે, બુધસિંહજી બહાદુર જેવા પ્રમુખથી ગાજી રહયે; અતિ હર્ષથી ઉત્કર્ષ કીધો જૈનના હિત કાજને, વટપત્તને વટથી બને છે વિજ્ય જૈન સમાજને. રંગે ઉમંગે મંડપે મહારાજ આપ પધારિયા, ગુર્જરપતિ જય ગર્જનાથી પ્રેમ સાથે વધાવિયા, ત્યાં થઈ રહયો જયકાર ગાયકવાડના શિરતાજને, વટપત્તને વટથી બન્યા છે વિજ્ય જૈન સમાજને. યુવરાજ ફત્તેહસિંહરાવતણ સુભાષિત બેધથી, આભારી થઈ આહત સમાજ સ્વધર્મના શુભ શેધથી; આશ્રય મલ્યો યશકારી ઉત્તમ સર્વ ગુર્જર રાજને, વટપત્તને વટથી બને છેવિજય જૈન સમાજને. કરૂણા કરી શ્રી કમલવિજયાચાર્ય આપ પધારિઆ. દિલદાર ડેલિગેટ ભારતવર્ષના સહુ તારિઆ, ઉપદેશથી આભાર માને સર્વ એ મુનિરાજને, વટપત્તને વટથી બન્યો છે વિજય જૈન સમાજને. શ્રી વીરવિજયે તમ વિદારકું ધર્મના સુખદાયકે, જયવંત કીધું જૈન શાસન જગ્નમાં મુનિ પાઠકે For Personal & Private Use Only Page #195 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ૪૨૦) પરિવાર વિજયાનંદને ઉપકારી સર્વ સમાજનો વસ્મત્તને વટથી બન્યો છે. વિજય જૈન સમાજને, ગાયા ગિરાથી ગુર્જરો હિંદી વઘા ઊત્કર્ષથી, સિરાષ્ટ્ર વિરે સુસ્વરે ઉચ્ચાર કરતા હર્ષથી; મરૂવીર ઢ વાણીનો નવરંગ જામ્યો આજન, વટપત્તને વટથી બને છે વિજય જૈન સમાજને, સત્કાર કીધે સ્નેહથી વટપત્તને શ્રાવક જને, સાધમી સેવા આચરી અતિરંગથી ઉજવલ મને; ડંકો બજા દેશમાં કરી ચકિત સર્વ સભાજનો, વટપત્તને વટથી બન્યો છે વિજય જૈન સમાજનો. . ઘડી નિયમ નિર્મલ ઉદય કી જૈનને બહુ સંમતે, સંસારિ ઘાર્મિક ઉન્નતિ કરવા મથે શુભ સંગતે; તે નિયમથી સહુ વર્તજ જિન ભક્ત ભારતના જને, વટપત્તને વટથી બન્યો છે વિજ્ય જૈન સમાજનો. મહનીય મંગલ રૂ૫ શાસન દેવતા જય આપજે, જયવંત જૈન સમાજ કેરા વિગ્ન સર્વે કાજે; અણહિલપાટણમાં થજો અતિ વિજ્ય જૈન સમાજને, વટપત્તને વટથી બન્યો છેવિજય જૈન સમાજને. - : , જૈન. અમદાવાદ તા.૪ ૧૨-૦૪. વડોદરા ખાતે ત્રીજી જૈન શ્વેતાંબર કોન્ફરન્સની ફત્તેહ. જૈન સાસનને વિજય. ગુજરાતના વીરક્ષેત્ર શહેર વડોદરા ખાતે ગયા મહીનાની તા. ૨૭-૨૮-૨૯મી તારીખોએ મળેલી ત્રીજી જૈન શ્વેતાંબર કોન્ફરન્સનો હેવાલ અને અન્ય સ્થળે આપ્યો છે તે ધ્યાન પૂર્વક વાંચવાની અમારા જૈન બંધુઓને ભલામણ કરીએ છીએ. તેમાં થયેલા ઠરાવો તથા અપાયેલાં ભાષણો પૈકી શેઠ લાલભાઈ તથા મી. ગુલાબચંદજી ઢટ્ટાના વિચારશીલ ભાષણે વાંચવાથી હરકોઈ સુજ્ઞ વાંચક તો કોન્ફરન્સની ફતેહ થએલી ગણી જૈન શાસનને વિજયજ થએલો ગણશે. એ અપૂર્વ કેન્ફરન્સમાં સ્વામીભાઈઓની મોટી * સજજન ગૃહસ્થના સમાજમાં. For Personal & Private Use Only Page #196 -------------------------------------------------------------------------- ________________ હોજરી અને ના મહારાજા સયાજીરાવ જેવા નિપુણ રાજ્યકર્તનું પધારવું તથા તે નામદાર જેવા એક કાબેલ નૃપતિનું જૈન ધર્મની પ્રાચીનતા અને શ્રેષ્ટતાને લગતું અભિપ્રાયરૂપ સર્ટીફીકેટ કયા જૈન બંધુને ગર્વીષ્ટ નહીં કરે ? હમણાં સુધી એમજ અંધારામાં કુટાતુ હતું કે જૈન ધર્મ બદ્ધ ધર્મની શાખા છે, અને તે હમણાજ નીકળે છે. પરંતુ ના.. મહારાજા જેવા એક સ્કોલર ગણાતા રાજપતિએ જૈન ધર્મને બૈદ્ધ કરતાં જુનો જણાવી જૈન ધર્મના અભ્યાસિ વિદ્વાનોના મતને પુષ્ટી આપી છે, તેમજ “અહિંસા પરમો ધર્મ આ મહા સુત્ર જે ધર્મનો દ્રઢ સિદ્ધાંત છે તે ધર્મ અનાદિ અને અનુપમ હોઈ હજારો કાળચકની ઉથલપાથલો થયા છતાં જૈન શાસન હજુ તેમનું તેમ પોતાની સ્થીતિમાં કાયમ રહ્યું છે તે તેનો વિજયજ સૂચવે છે. રાજમહેલમાં જ દુનીયાને છેડે માનનારા નહીં પણ યુરોપ અમેરિકા જેવા દેશમાં ભ્રમણ કરી અંગ્રેજી સાહિત્યના મેદાનમાં ખેલનારા એક વિધાન મહિપાલનો આ મત જૈનોને વધુ મગરૂર બનાવવાને વાસ્તે બસ છે. મહારાજા તથા યુવરાજે કોનફરન્સમાં ભાગ લેઈ જૈન શાસન તરફ પોતાની લાગણી બતાવી છે તે દરેક રાજ્યકર્તાએ અનુકરણ કરવા જેવી છે. આ કોન્ફરન્સમાં કેળવણુ અને કોન્ફરન્સના બંધારણના બે મહત્વના સવાલો ઉપર એવું અજવાળું પાડવામાં આવ્યું છે કે તેની નકલ અન્ય કોનફરન્સોને કરવાનો વખત મળશે જ. કેળવણી વિષય એવીતો અચ્છી ઢબમાં વિચારશીલ શૈલીમાં ચર્ચાયો છે કે જે સવાલ આજે ઘણી કોમોનું લક્ષ ખેંચી રહ્યા છે તે સવાલનું વાસ્તવિક નિરાકરણ આ કોન્ફરન્સ કર્યું છે, અને જે ખામી બીજાઓને જણાઈ છે તે ખામી પુરી પાડવાના રસ્તા લેવાનું કોનફરસે મેટા રૂપમાં સ્વીકાર્યું છે. ઉંચી કેળવણી લઈ નોકરીની લાલચમાં ફસાતા ગ્રેજયુએટોને ગુલામીમાં ન બંધાવા અવાજ ઉઠાવી કોમના ગ્રેજ્યુએટોને ચેતવણી આપી છે ને એવા ગ્રેજ્યુએટ માટે વ્યાપાર ને પરદેશ જઈ ધર્મની પ્રવૃત્તિ કરવાને બંધ આપ્યો છે. પરદેશ ગમનને જે સવાલ ઘણાં વર્ષોથી હિંદુ સંસાર સુધારા સમાજે ઉઠાવ્યો છે ને જેનું મનમાનતું છેવટ લાવી શકાયું નથી તે સવાલ આ કોન્ફરન્સમાં એવી તો ઢબમાં ચર્ચા છે કે જેનોને પરદેશ ગમનનો પ્રતિબંધ મુળમાં નડતો નહોતે પણ થોડાઓના મનમાં જે વસવસો ઉત્પન્ન થતો હતો તેનું નિરાકરણ થઈ ગયું છે. સંસાર સુધારા સમાજે બીજા જે સવાલો હાથ ધર્યા છે તે પૈકીના બાળલગ્ન, કન્યાવિય, રડવા કુટવાને રીવાજ, લગ્ન તથા મરણ પછવાડે ખર્ચ કરવાનો રીવાજ વગેરેનો અટકાવ કરવાના ઠરાવ પસાર થયા છે; એટલું જ નહી પણ તેનો અમલ કેટલેક ઠેકાણે થઈ પણ ચુક્યા છે. જૈન કોમ સામાન્ય રીતે સુખી છે પરંતુ જે જૈનબંધુઓ નિરાધાર હોઈ કેળવણી મેળવી શકે નહીં તેઓને મદદ આપવાની જના કરવાનો ઠરાવ પણ કરવામાં આવ્યો છે. કેળવણીના વિષયમાં શિક્ષકો તથા વાંચનમાળાની મોટામાં મોટી મુશ્કેલીનો પણ આ કોન્ફરંસે ફડો કરી નાખ્યો છે, એ બેશક ઘણું ખુશી થવા જેવું છે. જૈન સાહિત્ય કે જે સાહિત્ય આ દેશની પુર્વ સ્થીતિ પર સારૂ અજવાળું નાખે છે તેનો પ્રચાર કરવા અને પ્રાચીન જૈન પુસ્તકોના ભંડાર ઉઘાડી તેનો લાભ લેવાની યોજના અમલમાં મૂકવામાં આવી છે ને તેમાં વધુ મદદ કરવાનું ઠરાવ પસાર થયો છે એ એકલા જેનોએજ નહી પણ આ દેશની તમામ કેમે ખુશી થવાનું છે કારણ કે જૈન સાહિત્યમાં અનેક અમુલ્ય રત્નો છુપાયાં છે તે કાંઈ નવું કહેવાનું નથી. બીજા ઠરાવો જીર્ણોદ્ધાર, દ્ધાર, અને સીલા લેખોને ઉદ્ધાર કરવાને લગતા થયા છે. આ For Personal & Private Use Only Page #197 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (૩૨) દેશના ઇતિહાસમાં શીલા લેખે એ તવારીખ જાણવાનું સબળ સાધન છે, અને શીલા લેખે આપણા જીર્ણ દહેરાસરો દ્વારા મળી આવે છે. આપણાં દેલવાડાનાં વસ્તુપાળ તેજપાળનાં ભવ્ય દેરાસરો સુધારવા તથા તેને તેની જાહોજલાલીમાં રાખવાની ના. લોર્ડ કર્ઝન જેવા હાકેમ જરૂર જોઈ છે ને તેમાં દેરાસરોને કાયમ રાખવાની આપણી આ કોન્ફરન્સ જરૂર સ્વીકારી છે તે કાંઈ ઓછી ખુશીની વાત નથી. શીલા લેખો એ આપણા ધર્મની છુપી ધજાઓ છે જે દેશના દરેક સ્થળમાં ફરકી રહી છે, તે શોધી કાઢી તેને અજવાળામાં લાવવાનું કેન્ફન્સનું આ પગલું ઘણાજ ધન્યવાદને પાત્ર છે. શીલા લેખે જે ભાષામાં લખાયેલા છે તે ભાષાનો પણ આથી ઉદ્ધાર થશે અને આપણું ધર્મ પુસ્તકોના ભંડારની ઉન્નતિ પણ થશે. શીલા લેખોના સંબંધમાં જુદા જુદા વક્તાઓએ આપેલી બાતમી આપણને હરખાવનારીજ છે. હવેથી શીલા લેખો શોધવાનું તથા તેને અજવાળામાં મુકવાનું કામ શરૂ થશે એ ખુશી થવા જેવું છે. માત્ર સરકાર પણ આવું એક ખાતું નભાવે છે ને આપણા તરફથી પણ આવો ઠરાવ પસાર થયો છે જેના એકત્ર પ્રયાસથી જૈન દહેરાસરો અને પ્રાચીન ખંડીયની શોધ થતાં દેશના એકત્ર ઉદયમાં મદદગાર થઇ પડશે આ પત્રના માલેક અને અધિપતિ તરથી જન ડાયરેકટરી બનાવવાની દરખાસ્ત રજુ થઈ હતી જેના સમર્થનમાં તેમણે તેનાં કારણે બતાવ્યાં હતાં. જે દરખાસ્ત સર્વાનુમતે પસાર થઈ ઠરાવ કરવામાં આવ્યો હતો કે એવી એક ડાયરેકટરી બનાવવી કે જેથી આખા જૈન સમુદાયની સઘળી માહિતી મળી શકે. આવા સાધન વગર જનોની સ્થિતિ તથા તેની વસ્તી કયાં અને કેવી હાલતમાં છે ને તેઓને સુધારવા, મદદ કરવા, તથા ઉત્તેજન આપવા કેવાં સાધનો હાથ ધરી શકાય તેની ખબર પડે નહીં. આ પુસ્તક તૈયાર થયા વગર તેની કીમત થઈ શકે તેમ નથી કેમ કે એ એટલું . ઉપયોગી થઈ પડશે કે હાલતાં ચાલતાં તેની મદદ મળી શકશે. સાચું કહીએ તો એ પુસ્તક એક ગાઇડ કે ભોમીયા તરીકે થઈ પડશે, અને તેથીજ કોન્ફરંસે જન કોમના લાભને નજરમાં રાખી આ પુસ્તક તૈયાર કરાવવાની અગત્ય સ્વીકારી છે. નિફરંસનો મુખ્ય હેતુ જન કોમમાં સંપની વૃદ્ધિ કરી સઘળાના અક્ય બળવડે જૈનકોમની તથા જૈન શાસ્ત્રની ઉન્નતિ કરવાનો છે. તે તપાસતાં અમારે આની સાથે કહેવું જોઈએ કે કોન્ફરન્સ જેમ જેમ મોટી થતી જાય છે તેમ તેમ એ હેતું પણ થોડે થોડે અંશે સધાતો જાય છે. એજ તેની અંતીમ ફતેહની અચુક નિશાની છે. પંજાબી, બંગાળી, દખણ, ગુજરાતી, મારવાડી અને સીધી જેન ભાઈઓ એક પ્લેટફોર્મ ઉપર એકજ વિચાર ચલાવતા થયા છે, અને છાશ તજીને એકજ ભાણે જમવા લાગ્યા છે, જે પ્રતાપ કોન્ફરન્સનો જ છે. એક ધર્મ એક નાતને એકજ ભાષા એ એક્યનાં સબળ અંગે છે જે અંગે જેનોમાં પ્રબળ રૂપે પ્રવર્તી છે તેથી જ અમને ખાત્રી છે કે ભવિષ્યમાં જૈન કોમન ઉદ્યરૂપ સૂર્ય શિરોબિંદુએ આવતાં વાર લાગશે નહીં અમે આ સ્થળે એક સૂચના અમારા જૈન બંધુઓને કરવી એગ્ય માનીયે છીએ કે તેઓએ મંડળ મંડળના વાંધા વચકા જૈન સમુદાયરૂપ મહા મંડળમાં લાવવા નહીં, અને જ્યાં મહા મંડળની વાત આવી ત્યાં તો આપણે સઘળા વીર પરમાત્માનાજ તનુજે છઈએ એ વિચાર અગ્રે કરી કામ લેવું જોઈએ ને તેને રસ્તે કામ લેવામાં આવશે તે આપણે ઉદય સમીપમાં થવાની અમે તે ઝાંખી કરી શકીએ છીએ કોન્ફરન્સનું For Personal & Private Use Only Page #198 -------------------------------------------------------------------------- ________________ કામ હાર પાડી તેને વિજયી બનાવવા વડેદરાના નાના સંઘે જે મહાન પરાક્રમ કરી બતાવ્યું છે તે ખાતે તેને ધન્યવાદ આપતાં અમે ગામો ગામના સંધને તેનું અનુકરણ કરવા આગ્રહ કરીએ છીએ. વડોદરાના સંધને જેમ ડભોઈ, પાદરા વગેરેના આજુબાજુના સંઘે મદદ આપેલી છે તેવીજ મદદ આપવા સકળ જન સમાજ વખત મળે તત્પર થશે તો જેનો શું નહી કરી શકે. અશય શબ્દ હીમતે બહાદુરના શબ્દકોષમાં ન હોવો જોઈએ, અને આપણે પણ મહાવીરનાં સંતાનો હોવાથી વી. રવ એ તો આપણું ખમીરજ છે. માટે આવાં કામોમાં ઐકયથી જોડાઈ સકળ જન સમાજને આપણા દાખલાથી ઉત્તેજીત કરવાની આપણે પહેલ કાઢી છે તે તેને સાંગ પાંગ વિજયી બનાવવા વડોદરાના સંઘે જે શ્રમ ઉઠાવ્યો છે તેવો ઉઠાવવા અમારા ઠામે ઠામના જૈન બંધુઓ હમેશાં તત્પર રહેશે એવી અમે આશા રાખીએ છીએ. ગુજરાતી. મુંબઈ તા. ૨૭-૧૧-૯૪. હિંદુસ્તાનની જુદી જુદી પ્રજામાં પોત પિતાની કોમનું હિત આગળ વધારવાનો છે. ઉત્સાહ કેટલોક સમય થયાં પ્રવર્તી છે તેના ફળરૂપ જૈનો તરફથી જન કેનફરન્સ મેળવવામાં આવતી તેમની કોનફરન્સ છે. આગલે વર્ષે એ કોનફ રન્સ મુંબઈમાં ભરવામાં આવી હતી. આ વર્ષે તેનું સદર સ્ટેશન વડોદરામાં નંખાયું છે. ના. ગાયકવાડે આ કોનફરન્સને જોઇતી મદદ આપી છે, અને વડોદરા રાજ્યના જન ગૃહસ્થાએ કોનફરન્સનું કાર્ય નિવિંદને પૂર્ણ થાય તેને માટે જોઈને શ્રમ લીધો છે કોનફરન્સનું કાર્ય આજથી ત્રણ દીવસ ચાલનારૂં છે, અને તેના પ્રમુખ બુદ્ધસિંહજી દુધોડીયા બહાદુરને નિમવામાં આવ્યા છે. પ્રમુખનું મૂળ વતન બંગાળામાં આવેલા મુશિરાબાદ તાબે આછમગજ છે અને તેઓની ઉમર લગભગ ૫૬-૫૭ વરસની છે. જીન ધર્મની તેઓએ ઘણી સારી સેવાઓ બજાવી છે; જુના દેવળાને જણાદ્ધાર કરાવ્યો છે, કેટલાક સ્થળેમાં મૂર્તિઓ પધરાવી છે; ધર્મશાળાઓ બંધાવી છે, અને સદાવત પણ ઉઘાડ્યાં છે. જૈન ધર્મના જે જુના વિચારના પુરૂષો છે તેમાં ના. રાય બુદ્ધસિંહજી એક છે, તે અંગે વળી તેઓ વિધાના ઉપાસક છે અને વિદ્યાના કાર્યમાં સહાય આપનારા પણ કહેવાય છે. એ ગૃહસ્થ વડેદરાની જેમ કોનફરન્સના પ્રમુખાસન પર બિરાજી જૈન ધર્મની અભિરદ્ધી માટે જે કાંઈ ખાસ વિચાર બતાવશે તે જૈન ધર્મીઓને મનન કરવા જોગ તો થઈ પડશેજ. આ કોનફરન્સમાં જે કાર્યક્રમ રાખવામાં આવ્યો છે તે કાર્યક્રમમાં જુના પુસ્તકોના રક્ષણ માટે એક ઠરાવ મુકવામાં આવનાર છે, ને તેના સંબંધમાં અમારે ખાસ સુચના એટલીજ કરવાની છે કે જે જે જૈન ભંડારોમાં જુના પુસ્તકોનો સંગ્રહ છે તે સઘળાઓની એક સંપૂર્ણ સુચી તૈયાર કરાવી. પ્રજાની જાણને માટે મૂકવી. તે કાર્ય સામાન્ય પ્રજાને એટલું બધું ઉપયોગી થઈ પડશે કે હાલની જૈન કોનફરન્સ, જે માત્ર એક દેશી છે તે સર્વ દેશી થઈ પડશે. For Personal & Private Use Only Page #199 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (૧૪) ભરત ખંડની પ્રજા પણ જેને લોકોએ જે ઉપકાર કીધે છે તે ભુલી શકે તેમ નથી. પ્રાચીન ગ્રંથની સાચવણુ કરી મહત્વનું કાર્ય તેઓએ કીધું છે. અને એજ ગ્રંથપરથી મધ્ય કાળના ઈતિહાસનું કંઇક સ્વરૂપ અને રાજાઓના જીવન વૃત્તાંત પ્રજા જાણી ચુકી છે. આ કોનફરન્સના સંબંધમાં એક બાબતનો આ વરસથી વધારે થયો છે અને તે જૈન લાક્ષણિક પ્રદર્શન ઉઘાડવાને લગતો છે. એ પ્રદર્શનમાં જૈન ધર્મને લગતાં કેટલાંક ચિત્રો, તત્વ સુચક ઉપદેશક દેખાવ, પવિત્ર પદાર્થો તથા જેમાં ધર્મ સંબંધી બાધ ન આવે એવા દેશી બનાવટના પદાર્થો મુકવામાં આવેલા છે. તેમજ પ્રાચીન તાડ પત્રો પર તથા સુખડ પત્ર પર લખાયેલા લેખો પણ દાખલ કરવામાં આવેલા છે. જન ભાઈઓએ બહારની પ્રજાને પોતાના આ મેળાવડા તરફ લક્ષ ખેંચવાને આ જે નાનેશે પ્રયત્ન કર્યો છે તે પણ અભિનંદન આપવા જોગ છે. ગયા ગુરૂવારે એ લાક્ષણક પ્રદજૈન યુવરાજ ફતેહસીંહરાવે ઉઘાડયું છે, તે પ્રસંગે તે નામદારે સમયને યોગ્ય એક સુંદર ભાષણ આપ્યું હતું. તેમાં ભરતખંડના ઉદ્યોગ હુન્નરની ચઢતીને માટે તેમજ સંસારીક ધાર્મીક સુધારાના સંબંધમાં કેટલાક અગત્યના વિચારો પણ બતાવ્યા હતા. એ ભાષણમાં તે નામદારે જણાવ્યું હતું કે આ દેશના શોધક પુરૂષોએ અત્યાર સુધીમાં જે કાર્ય બજાવ્યું છે તે એવું છે કે ભવિષ્યના બજાવવાના કાર્ય આગળ નિરજીવ છે, અને તેવું કાર્ય પૂર્ણ કરવા માટે ઉધોગી પુરૂષોએ ખંતથી મંડયા રહેવું જોઈએ, અને જ્યાં સુધારાની જરૂર હોય તે કાર્યમાં પાછળ પડવું જોઈએ નહિ. પ્રિન્સ ફતેહસીંહરાવે છન ધર્મના અહિંસા ધર્મ ની સારી પ્રશંસા કીધી હતી અને જે જીન ધર્મ પ્રત્યેક પદાર્થમાં આત્મતતવ સ્વિકાર્યું છે એવા જીન ધર્મના સિદ્ધાંતને વખાણ્યું હતું. છેવટે સર્વ જન ભાઈઓને બંધ કીધું હતું કે ધર્મીષ્ટ થાઓ પણ ધર્માધ ન થાઓ; કેમકે સર્વ ધર્મ ઈશ્વરનો માર્ગ દેખાડનારા છે તે ભુલી ન જાવ. પ્રત્યેક ધર્મ માને છે કે મારો ધર્મ સાચો છે, તેથી બંધુત્વને ભાવ ભુલી જવા દેશે નહિ-એ વિચાર પર જૈન બંધુઓ સારી રીતે લક્ષ આપશે એવી આપણે આશા રાખીશું. જે ઉત્સાહથી જૈન ભાઈઓ પોતાની કોમને ઉન્નતિના સ્થાનમાં લઈ જવાનો પ્રયત્ન કરે છે, તે જ ઉત્સાહથી સમગ્ર દેશની પ્રજાએ નિર્ધારેલાં ઉન્નતિનાં સ્થાનમાં પ્રવેશવાની જે પેજના કરેલી છે તેમાં પણ એવા જ ઉત્સાહથી સામેલ થશે એવી સંપૂર્ણ આશા સાથે આ ત્રીજી જૈન કાનફરસની અમે ફતેહ ઈચ્છીએ છીએ. તા. ૪-૧૨-૯૪. ગયા રવિવારથી પ્રારંભ થએલી જૈન કેન્ફરન્સની બેઠકો મંગળવારે સમાપ્ત થઈ છે. એ કોન્ફરન્સના મહત્વમાં વધારો કરનારી વાત ખાસ જન કેન્ફરન્સની એર છે; ફરન્સના એજ છે કે મહારાજા ગાયકવાડે પિતાની પ્રજાના એક વિભાસમાપ્તિ. ગના તોષાર્થ, કોન્ફન્સમાં હાજરી આપી એટલું જ નહી પણ કેન્ફરન્સના કાર્ય સંબંધે પિતાના વિચાર બતલાવી, કેટલીક અગત્યની સુચના કરી છે, ઉપરાંત પાટવી કુંવર ફતેહસિંહરાવે સંસાર સુધારા વ્યવહાર સંબંધી કેટલાક વિચારો દર્શાવી જૈનોને સંતુષ્ટ કીધા છે. મહારાજા ગાયકવાડે જે વિચારો દર્શાવ્યા છે તેમાં ખાસ એક વાત પુરા તવેત્તાઓને લક્ષમાં લેવા જોગ છે. અધાપિપર્યત વિદ્વાન વર્ગમાં અને યુરોપી પડીમાં આવી માન્યતા છે કે બુદ્ધ ધર્મમાંથી જૈન ધર્મને પાદુર્ભાવ For Personal & Private Use Only Page #200 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (૧૧૧) થયા છે. મહારાજા શિયાળરાવ જણાવે છે કે તેમ નથી-જીન ધર્મ એથી પણ પુરાતન છે. મહારાજાએ જે વિચાર દર્શાવ્યા છે તેઉપરથી એમ સિદ્ધ કરી શકાતું નથી કે જીત ધર્મની જે વ્યવસ્થા સાંપ્રતમાં પ્રવર્તેલી છે તે અધર્મ પૂર્વેની છે કે જીનધર્મના સિદ્ધાંતા પૂર્વેના છે. જો સિદ્ધાંતે સબધે મહારાજાને નિર્દેશ હાય તા તે ઉપર આપણે સાબીતી માંગીશું નહિ; કારણ કે, વાલ્મિકી રામાયણના અયેાધ્યા કાંડમાંથી તે સિદ્ધાંતાના સુત્રા મળો આવે છે પરતુ સાંપ્રતજીન ધર્મ ની વ્યવસ્થાના નિર્દેશ કીધા હોય,તેા તેને માટે ધણી મજબુત માન્ય રહે તેવી સાબીતીએ જોઇશે પોતાના ભાષણમાં મહારાજશ્રીએ જૈન બ એના કાર્યની પ્રશંસા કરી સાહાનુભુતિ દર્શાવી છે, અને સુચન કીધું છે કે જીનધર્મીઓએ ધર્મના ઉદય સાથે સંસાર વ્યવહાર અને રાજ્ય કાર્યના ઉદયમાં પણ તત્પર રહેવુ જોઇએ. મહારાજાનું ભાષણ સક્ષિપ્તમાં પણ સુચક હતું, ને તેપર જીનધર્મીએ લક્ષ આપશે એવી આશા આપણે રાખીશું. મહારાજાનું ભાષણૢ સ માપ્ત થયા પછી રાય બા, બુદ્ધસિંહજી દુધારીયાએ પ્રમુખ પદપરથી સુંદર ભાષણુ આપ્યુ હતું. ભાષણ ઉત્તમ, ખેાધક, તત્વમય, સારભૂત, અને સંક્ષિપ્ત હતું. જે મુદ્દા પ્રમુખે જીનધર્મીના ઉદય માટે દર્શાવ્યા છે, તે બહુ અંશે માન્ય રાખવા જોગ અને સર્વ દેશી છે; અને કાઇપણુ વર્ગે પોતાના વ્યવહારીક કાર્યમાં કેવી પદ્ધતિથી કામ લેવુ તેના એક ઉત્તમ માર્ગદર્શક જેવું છે. ભાણુ સાર્વજનિક છતાં જીનધર્મના આગમા નેમૂળ સિદ્ધાંતાને અનુસર્ તું હતું. એક ખાસ બાબત એ ભાષણમાં લક્ષ દેવા જોગ છે; અને એજ બાબત કાઇ પ્રસ”મહત્વના કાર્યનું નાશ કરનારી થઇ પડે છે. દરેક વ્યક્તિ એમ સમજે છે કે જનમંડ ળના કલ્યાણના કાર્યમાં કે જ્ઞાતિ સમસ્તના હિતના કાર્યમાં જે વિચાર હું દર્શાવું છું, તેજ વિચાર જનસમાજે માન્ય રાખવા જોઇએ અને તેને સાહનુભૂતિ આપવી જોઇએ. આવા વિચારના મમત્વથી ઘેરાએલી વ્યકિતના વિચાર અમાન્ય થવાથી તે આખા વર્ગને નિદી કાઢી, તેનાથી પ્રતિકુળ થઇ એસે છે, આખા વર્ગના કોઇ પણ કાર્યપર દોષારોપ ધરે છે, આખા વર્ગે આરંભેલું કાર્ય પૂણૅ થવાતું નથી એમ ધારી તેની સામા કમર કસે છે; એટલુ જ નહિ પણ તે કાર્યને તેાડી પાડવાને પણ પ્રયત્નશીળ થાય છે. આ એક બહુ મેટા દોષ છે, પણ્ તે `જત પ્રકૃતિ છે. એ જન પ્રકૃતિને અમલ જૈન સમાજમાં ન થવા પામે તેવા ઉચ્ચ ઉદ્દેશથી રા; બા. દુધારીયાએ બીજા જે જે વિચારે દર્શાવ્યા છે તે તે મતા વયને, અનુભવને, ડાહુપણને અનુકુળ હતા એમ કહેવામાં હરકત નથી. વડેદરા જૈનસમાજે પ્રમુખની જે પસંદગી ક઼ીધી હતી તે યેાગ્ય હતી, ને તેને માટે ખરેખર તેને અભિનંદન જ માપવુ' જોઇએ. દરખાસ્તા. જૈન સમાજમાં જે ઠરાવેા જૈન વર્ગના અભ્યુદયાથૈ મુકવામાં આવ્યા હતા તે બહુ અંશે પસંદ કરેલાજ હતા. જૈનેામાં કેળવણીને ફેલાવા કરવા; રડવા ફુટવાની બધી કરવી; ગ્રંથાના પુનરાહાર કરવા, દેવાલયાના જીર્ણોદ્ધાર કરવા, પરદેશ ગમનના વિચાર કરવા અને પાલીટાણુાના દેવાલયેાના સબંધમાં ત્યાંના સત્તાવાળા સાથે જે ભિન્ન મત ચાલે છે તે સબધે એ આદી ઘણા અગત્યના ઠરાવા સભાજનની સાહનુભુતીથી પસાર થયા હતા. આ ઠરાવેામાંના કેટલાકા સબધે હમે। ગયે વર્ષે એટલી ગયા છીએ, અને તેના સંબધમાં હજુ સુધી જોઇએ તેવા For Personal & Private Use Only Page #201 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ૧૨ ) પ્રથમ વધારાના બધુઓએ કા નથી એ ખેદાક છે. જૈનભાઇઓએ કામ જે કરવાનું છે તે જૈન ડીરેકટરી તૈયાર કરવાને લગતું છે. અને તેને અંગે પ્રાચીન ગ્રંથૈની સુચી પ્રગટ કરવાનું કાર્ય વિશેષ અગત્યનું અને મહત્વનુ છે. આ સંબધી દરખાસ્ત મુંબઇમાં મળેલી જૈનસમાજમાં રજુ થઇ હતી. પણ બાર માસ વિત્યા છતાં એમાં જીવ જેવા વધારા થયા નથી. જૈનભાઇએ ખાસ જાણવું જોઇએ કે જીનેશ્વર ભગવાનની જે અચયતા માન્ય રહી છે અને આજે જે ધર્મ મહત્વની સ્થિતિ ને ધર્મમાં મહત્વનું સ્થાન તે ભાગવે છે તે એ પ્રથાને આભારી છે. તેવા ગ્રંથાને ખારીએ ન નાખતાં, અને ભંડારામાં પડી રહી ઉધાઇનેજ ખાવા ન દેતાં, પ્રજાની જાણુમાં લાવવા સરખું બીજું કોઇ પણ વધારે મહત્વવાળું કાર્ય હાઇ શકે નહિ. આખા ભારતવર્ષના પડીનેા અને તત્વવેત્તાએ, આ અપ્રતિમ ગ્રંથેાના સંબધમાં જૈનસમાજ શુ કરે છે તેના પ્રતિ એક લક્ષી છે; એટલુંજ નહિ પરંતુ પાશ્ચાત્ય પડીતે પણ એ ટલીજ ઇચ્છાથી જોય છે, અને તે તેમની ઇચ્છા જેમ સર્વર પૂર્ણ થાય તેમ કરવાને મેાટે પ્રયત્ન થવા જોઇએ. દિપાંતરગમનની દરખાસ્ત આ જૈન સમાજમાં અધુરી ગઇ છે. એ વિષય સબંધે સંપૂર્ણ ઉહાપાહ કરી એક નિર્ણયપર આવવાની ખાસ જરૂર છે; અને અમે નથી ધારતા કે જે જૈન સમાજ એક પારસીને જીતધર્મના અનુયાયી કરવાનું શાસ્ત્રથી સમત માને છે, તે જૈન સમાજને આ વિષયમાં યત્કિંચિત પણ બાધ નડતા હોય. દિપાંતરગમનના કદાચ કોઈને અધિકાર ન હોય તેા તે ધર્મના આયાર્યાં અને દેવપુજકાને હોય; પરંતુ જે વૈશ્ય વૃત્તિથી આજીવિકા ચલાવનારા છે, તેને માટે પિાંતરગમન નિઃસ શય ખાધકારક નથી એમ જૈન ધર્મશાસ્ત્રપરથી જાણી શકાય છે. ઉપરાંત એ વિષયનુ... નિરાકરણ થવાથી દેશને અને એ વર્ગને પણ વિશેષ લાભકારક હતું. તેથી દિપાંતરગમન સ”બધી ધતા અંકુશે સાથે ખોબસ્ત કરી જૈનબન્ધુને તેની ખુંટી આપી દેવી હતી. એ કાર્યથી જૈતબ સમાજ મેટી કીર્તિને પાત્ર થતે, હજી પણ કંઇ વહી ગયું નથી. ચેાથી જૈન સમાજમાં એ વિષય સબંધે નિર્ણય કરવાની ત્રેવડ જૈન સમાજના લાગતા વળગતા કરશે તે તે પણ તેટલુંજ પ્રશંસાવાળું અને માનપ્રદ ગણાશે. શ્વેતાંબર જૈન ભાઇએ છેવટના ઠરાવ પાલીતાણાના રાજના કાર્યં સંબધે ખેદ દર્શાવનારા કીધા હતા. * * કેસરી. પુř તા- ૨૨-૧૨--૦૪, बडोद्यास भरलेल्या श्वेतांबर जैन परिषदेचें काम मोठ्या थाटानें पार पडलें हो समाधानकारक गोष्ट होय. कायस्थ वैष्णव वगैरे लोकांच्या ज्या आती जाती करितां स्वतंत्र सभा आजकाल होउं लागल्या आहेत त्यांतच जैन परिषदेची गणना आहे. परंतु जैन परिषदेचें काम इतर परिषदांपेक्षां निराळ्या प्रकारचें आहे. जैन लोकांचा हल्ली जो समाज आहे तो प्रायःव्यापारी लोकांचा For Personal & Private Use Only Page #202 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १३७ ) आहे. पूर्वकाळी जैन पंथांत पुष्कळ विद्वान लोक होऊन गेलेले असून व्याकरण, न्याय किंवा तत्वज्ञान त्यांजवर त्यांनी लिहिलेले अनेक ग्रंथ आज उपलब्ध आहेत. परंतु आदि शंकराचार्यांनी वेदांत मत्ताची स्थापना केल्यानंतर जैन लोकांतील विद्वत्व परंपरा नाहीशी झाली, व हल्ली त्यांच्या ग्रंथांचे परिशीलन करणारे विद्वान लोक फारसे आढळून येत नाहीत. धर्मदृष्टया पाहिले ह्मणने ही उणीव दूर करणे हे जैन लोकांचे कर्तव्य होय; व हल्लीच्या काळांत या कामी त्यास ब्राह्मण लोकांचेंहि साह्य मिळणे शक्य आहे. रा. रा. टिळक यांनी भाषणात सांगितल्या प्रमाणे जैन लोकांचे तत्व ज्ञान जरी आज प्रचारांत नसले तरी जैन लोकांच्या अहिंसादि आचारांची छाप आन ब्राह्मण धर्मावर पूर्णपणे बसलेली आहे. शंकराचार्यांनी ब्राह्मण धमाचे जरी पुनः स्थापन के तरी जैन आचारांची ब्राह्मण धर्मावर बसलेली छाप कबूल करूनच त्यांस आपले काम करावे लागले. जैन धर्म आणि ब्राह्मग धर्म यांच्या संबंधाची ही गोष्ट अत्यंत महत्वाची असून जैन व वैदिक धर्मी या दोघांनीही नेहेमी ती लक्षात ठेविली पाहिजे. जैन पंथांत वेद प्रमाण मानीत नाहीत हे खरे आहे. पण त्याचे कारण श्रौत धर्मातील हिंसा होय. वैदिक धर्मपरंपरे बद्दल अनास्था नव्हे हे आह्मी नेहेमी लक्षांत बाळगले पाहिजे. रामायण, महाभारत किंवा पराणे यांतील कथा किंवा देवता आणि योग शास्त्रांतील तत्त्वे जैन लोकांस आमच्या प्रमाणेच मान्य आहेत, किंबहुना जैन धर्मी लोक हे हिंदुस्थानांतील आर्य लोकांचेच भाउबंद आहेत, परकीय देशांताल आलेले नाहीत. एकदा तर अशी स्थिति होती की वैदिक धर्मातील लोक जैन धर्मात आणि जैन धर्मातील लोक वैदिक धर्मांत स्वेच्छेनें केव्हाही जात एत असत. हा प्रकार अद्यापही थोडा बहुत सुरू आहे; व काही जैन वैष्णव आणि कांहीं वैष्णव जैन झाल्याची ताजी उदाहरणे आहत. सारांश जैनधर्म जरी वैदिक धर्माहून भिन्न असला तरी त्यांताल भेद ख्रिस्ती धर्मातील एस्टाब्लिस्डचर्ड ( प्रस्थापित ख्रिस्ती धर्म ) आणि डिसेंटर्स किंवा नॉनकन्फारमिस्ट ( प्रस्थापित झालेला पंथाहून भिन्न ) या दोन भेदा प्रमाणेच राष्ट्रीय दृष्टया गौण होय, हे जैन व वैदिक धर्मी या दोघांनी ही एकसारखेंच लक्षात ठेविले पाहिजे. दोन्ही धर्म एकच शरिराचे उजवा डावा हात आहेत, व दोघांसही पसंत झालेल्या अहिंसादि तत्त्वाचा जगभर प्रसार करण्याचे काम जर एक विचाराने दोघेही हातांत घेतील तर अहिंसा For Personal & Private Use Only Page #203 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १३८) धर्माची ध्वजा पृातील सर्व राष्ट्रांत्र उभी राहण्यास कोणतीही हरकत येणार नाही. एकाकाली हिंदुस्तानांतील या दोन धर्मात थोडासा विरोध होता. पण त्या विरोधाने जी कामगिरी व्हावयाची ती झाली असून हल्लीचा असा काल आला आहे की वैदिक धर्मी लोकही आचाराने जैन धर्मी आणि जैनधर्मी लोकही तत्वज्ञानाने वैदिक धर्मी झालेले आहेत. ही स्थिती लक्षात आणून जर दोघांनीही आपल्या उन्नतीसाठी प्रयत्न केला तर तो अधिक फलद्रूत होईल हे आह्मी सांगावयास पाहिजे असे नाही. अशा दृष्टीने विचार केला म्हणजे जैन परिषदेने काय काम करावयाचे याची दिशा आपोआप ठरली जाते. वैदिक धर्मातील लोकां मध्ये रूढ असले ल्या सामाजिक चाली सुधारण्याचा हल्ली जो प्रयत्न चालु आहे त्यां पैकी वराच भाग जैन लोकांस लागु पडत नाही. बालविवाह किंवा ज्ञातीभेद हे जैन समाजांत रूढ नाहीत. स्त्रीशिक्षण किंवा परदेशगमन यां बद्दल थोडी बहुत चळवळ करावी लागेल; पण त्यांस जैन धर्माचा कोणताहि प्रत्यवाय नाही. उलट पूर्वी पासून या धर्माची शिस्तच अशी आहेकी, दुसऱ्या धर्मातील लोक या धर्मात घेता येतात. परदेशगमन जैन धर्मीयांस निषिद्ध आहे अशी जर कोणाची समजूत असेल तर ती चुकीची आहे; किंबहुना अहिंसातत्त्वाचा सर्व जगभर प्रसार करणे हे जैन धर्माचे, आणि त्यांचा आचार जर वैदिक धर्मीयोर्नी घेतला आहे तर त्यांचेही कर्तव्य होय. या करितां जैन परिषदेस आमची अशी सूचना आहे की, हे काम त्यांनी नेटाने हातांत् घ्यावें. राष्ट्रीय प्रगतीस मांसाहाराची अपेक्षा आहे असें में कित्येकांचे मत आहे ते अगदी चुकीचे आहे. हर्बर्टस्पेन्सर सारखें तत्त्वज्ञानी या सही एकदां अहिंसा तत्त्व मान्य झालेले होते. पण देहास लागलेली पिढीजाद सवय त्यांच्या हातून सुटेना. अहिंसा धर्माची योग्यता एवढ्यावरूनच कळून येणार आहे, व आमची अशी खात्री आहे की, याचा सर्वत्र प्रसार करण्याची जर जैन धर्मी आणि वैदिक धर्मी लोकांनी खटपट केली तर त्यांस यश आल्या खेरीज कधीही राहणार नाही. हिंदुस्थानांतील लोकांस बाटविण्यास रोमन केथोलीक किंवा प्रोटेस्टंट लोक ज्याप्रमाणे एक होतात तसे अहिंसा धर्माचा प्रसार करण्यास जैन व वैदिक धर्मी या दोघानीही एक झाले पाहिजे For Personal & Private Use Only Page #204 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१३९) धर्म ग्रंथांचा उद्धार व अभ्यास, मंदिरांचा जीर्णोद्धार आणि अहिंसा धर्माचा प्रसार या खेरीज जैन परिषदेने हातांत घेण्यासारखा विषय म्हटला म्हणजे व्यापार हा होय. जैनधर्मी लोक हे प्राय:व्यापारी आहेत. हे वर सांगितलेच आहे. व्यापारी असल्यामुळे ह्यांची सांपत्तिक स्थिती ब्राह्मणांपेक्षां पुष्कळ बरी आहे हे खरे पण तेवढ्या वरच त्यांनी संतुष्ट राहून उपयोगी नाही. उद्योग धंदे व व्यापार याचा इंग्रेजी अमलाखाली जो न्हास होत चालला आहे त्या व्हासामुळे जैन लोकांची आज जी सांपत्तिक स्थिती आहे ती पुढे कायम राहिल असा नियम नाही. यासाठी आमची त्यांस अशी सुचना आहे की, जगव्याळ व्यापाराचा भाग अधिकाधिक जितका हातात पडेल . अशा प्रकारची शिक्षण द्वारा किंवा अन्य रितिर्ने त्यांनी तजवीज करण्यास झटले पाहिजे. हा प्रश्न व्यापाराचा आहे, राजकीय नव्हें; करितां राज्यकत्यांकडूनही या कामी मदत व सहानुभूति मिळण्याचा संभव आहे. जैन परिषदेने हल्ली ने विषय हाती घेतले आहेत त्यांत या विषयास जितकें प्राधान्य मिळावयास पाहिजे तितके मिळालेले अद्याप दिसत नाही. करितां ही सुचना आज मुद्दाम आह्मी करित आहो. तसेंच जैन धर्माच्या ग्रंथांचे परिशीलन व उद्धार करण्याच्या कामी जर्मनीतील पंडित जर आज परिश्रम करीत आहेत तर जैन धर्मी ग्र्याजुऐटांनी ही त्याची काही लाज बाळगून आपल्या धर्म ग्रंथांचे आस्थापूवक अध्ययन करण्यास लागावे अशी त्यांसही आमची विनांत आहे. રાસ્ત ગોફતાર તથા સત્ય પ્રકાસ. મુંબાઈ ૪ થી ડીસેમ્બર જૈન સંઘની બલિહારી છે. જ્યાં એક દિલી અને એક સંપ હોય ત્યાં હરકોઈ કેમ ફાવી નિકળે. ઈસ્વી પૂર્વે ૫૦૦ વર્ષ ઉપર બુદ્ધ ધર્મની સ્થાપના થાય તેની પણ પૂર્વેના જૈન ધર્મના આજના ઉપાસકો આજ હડી હજારથી વધારે વર્ષો જેટલા પોતાના પુરાણું ધર્મને તેની પ્રાચીન સાદી સ્થિતિમાં જાળવી રાખી શક્યા છે એ એક ચમત્કાર સમાન વાત છે. જેનો બીજી હિંદી કેમ કરતાં વધારે ધનાઢય છે. વેપારી પ્રકૃતિના હોવાથી એ પ્રજામાં પૈસાનો સાર સંગ્રહ થયો છે, અને એ દ્રવ્ય આખા હિંદ પ્રદેશમાં વહેંચાઈ ગયું છે, કેમકે જેનોની વસ્તી એક શહેર, એક પ્રાંત કે એક ઇલાકામાં નહિ પણ આખા હિંદુસ્તાનમાં - For Personal & Private Use Only Page #205 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ?૪૦ ) તરફ્ કરી વળેલી છે. આ જૈતા જાતે બહુજ દયાળુ છે. જીવદયા તેમના ધર્મના મૂળ પાયા સમાન છે. મહાવિર સ્વામી નામના મહા દયાળુ હિંદુએ આ ધર્મની સ્થાપના બુદ્ધ ધર્મના જન્મતી એ. સદી આગમજ કીધી હતી. આ સ્થાપન્ય આગમજ હિંદુઓમાં પેાતાના સંખ્યા બંધ દેવતાઓને સંતાખવા માટે યજ્ઞરૂપે પ્રાણીવધતા ચાલ હતા. જેને આપણુ સાધારણ રીતે ભેગ આપવા કહીએ છીએ તે ચાલ તે જમાનામાં પ્રચળિત હતા. આ ભાગ બીજા પશુએ જોડે ગાય બળદ જેવાં અતિ ઉપયેગી પ્રાણીને પણ અપાતા હતા, જો કે આ ચાલ હજી સુધી રજપુત વગેરે દેશી રાજ્યેામાં કેથે કેથે ચાલુ છે, પણ પ્રાચિન કાળમાં તે તે હિંદુ પ્રજામાં સામાન્ય હેાય એમ જણાય છે. આ કામને નિર્દય ગણીને મહાવિર સ્વામીએ દયાના કાનુન ઉપર હિંસા વિરૂદ્ધતા પોતાના નવા ધર્મ ચાલુ કીધો, અને ગાયા વગેરેના વધથી થતાં ધાતકીપણાંથી કંટાળી રહેલા હજારા લોકોએ એ જીવદયાના ધર્મ તરફ પ્રસન્નતા બતાવી. આ પછી એ ધર્મના પુસ્તક રચાયાં, નીતિની શીખામણેાના ગ્રો બન્યાં, અને ધર્મ સ’સારની કાયદાપોથીએ હસ્તીમાં આવી. ડામ ડામ કીમતી મદીરા બંધાયાં અને એ દેવાલયે। અતિઉત્તમ કારીગરીનાં તથા તેવીજ ઉમદા વસ્તુઓના બધાને તેમાંની પ્રતિમા એને હજારા અને લાખા રૂપીઆની વસ્તુઓથી ધનવાંન બનાવવામાં આવી. જેતેાની શ્રેષ્ટાઇના સમયમાં બીજા અનેક રૂડાં કામેા થયાં. પણ પાછલથી બુદ્ધ ધર્મનું બળ વધી ગયું અને મુસલમાનેાના અમલથી રીતભાત બદલાઇ ગઇ, ઘુમટા વગેરે ચાલે! જે પ્રથમ ન હતા તે જેતેામાં દાખલ થયા, અને બીજા અનેક કુચાલાએ જન્મ લીધેા. આમ લાંબા કાળ સુધી ચાલ્યું, અને એ અરસામાં પ્રાથમિક જૈન સધર્મમાં ધાએક ભેળ થઇ એ સાદો ધર્મ બિગડવા માંડયેા. મદિરા અને દેહરાંતી અવ્યવસ્થા ચાલી, પુરાણાં પુસ્તકોને અભ્યાસ બંધ પડયા, જુના લેખે। ઇત્યાદી ભૂલાઇ ગયા, અને મામલે તદન ફેરવાઇ ગયા. અવ્યવસ્થા આ કાળ કેટલાક સમય ચાલુ રહ્યા પછી તેામાં પાછું શુર છુટવા માંડયુ. જીવદયા તરફ પાછું લક્ષ દોડયુ. પુરાણાં પુસ્તકોને બચાવવાપર ધ્યાન ખેંચાયું, મદિરા અને દેવાલયાની શેાધ ચલાવી તેમને એદ્ધાર કરવાનુ મનપર લેવાયું. કુચાલા તરફ કામની સારી લાગણી ઉસ્કેરાવા લાગી, અને એ રીતે આજે જનભાઇએ પોતાના પુરાણા સાદા ધર્મને પાછો તેનાં અસલ તેજમાં દીપતા થયલા જોવાને સચેત થયા છે. જૈતે સચેત થયાછે અને પેાતાના પ્રયત્ન તેએએ આજ ત્રણ વર્ષ થયાં કોન્ફરન્સ અથવા સંધ મેળવીને કરવા માંડયા છે. પહેલાં કરતાં બીજા વર્ષનું કૉન્ફરન્સ બહુજ તેહમદ નિવડયું હતું, અને મુબઇ પછી આજે વડાદરા ખાતે ત્રીજી જૈન મંડળ ભેગુ કરવાના પ્રસંગ થયા છે. આ મડળનાં સ્તુતિપાત્ર કામ તરફ અમે ગયે વર્ષે અમારી મેટી પ્રસન્નતા જાહેર કરી હતી, અને આજે તેને પાછી પ્રદિપ્ત કરતાં અમને મેટા સ ંતાષ થાયછે. મુંબઇ, મધરાજ, પંજાબ અને બંગાળ ઈલાકાનાં અનેક શેહરી ખાતેથી શુમારે ૬૦૦૦ જૈન પ્રતિનિધિએ આ મંડળમાં ભેગા થયા હતા, જેનું કામ ત્રણ દિવસમાં અનેક ભાષા, અનેક ઠરાવા, અનેક ભાઇબંધીનાં કાર્યાં પછી ખલાસ થયુ છે. વડાદરાના નામદાદાર ગાયકવાડ સર સયાજીરાવ, યુવરાજ તેહિસ`ગરાવ, દીવાન શેઠ કેરશાસ્પજી દાદા ચાંદજી, અમાત્ય મી રામેશચંદ્ર દત્ત, વિધાધિકારી શેઠ જમશેદજી દલાલ, અને બીજા ઈંગ્રેજ હિંદુ, પારસી તથા મુસલમાન અધિકારીએ અને શેડ સાહુકારાની સમક્ષ આ For Personal & Private Use Only Page #206 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ૪ ) કોન્ફરન્સનું કામ ચાલ્યું છે, અને પુરતી ફતેહ સાથે તેને અંત આવ્યો છે. ઘણું ઘણું ધનવાન જૈનોએ આ મંડળમાં ઠેકઠેકાણેથી હાજર થઈ ભાગ લીધે છે, અને જાહેર થયા મુજબ મુંબઈ, સુરત, ભરૂચ, અમદાવાદ, વઢવાણ, રાજકોટ, જામનગર, ભાવનગર, જુનાગઢ, મોરબી, પાહલનપુર, રાધનપુર, કરાંચી, લાહોર. મુરશીદાબાદ, કલકત્તા, મધરાજ, બરમા વગેરે ઘણાંએક શેહરો ખાતેથી આવીને જૈન પ્રતિનિધિઓ વડોદરા ખાતેનાં આ ત્રીજા જૈન મંડળમાં શામેલ રહ્યા હતા, અને પ્રમુખ રાય બુધસિંગજી બહાદુર અને બીજા ધનાઢય ગૃહસ્થોનાં ભાષણો અને બોધ વચન પછી ધર્મની અને વ્યવહારૂ કેળવણું સ્ત્રી કેળવણી, જૈન સાહિત્યના ઉદ્ધાર, જૈન પાઠમાળા, પુરાણાં પુસ્તકને ફરીથી પ્રગટ કરવા, પુરાણાં મંદિરોને જાળવવા, લેખો વગેરેની શોધ ખેળ ચલાવવા, સંસારી કચાલ સજાવવા, વગેરેના ઠરાવો કરી ઉઠયા હતા. આ ભવ્ય મેળાવડા વેળા મહારાજા સર સયાજીરાવે અને તેમના યુવરાજ ફતેહસિંગર ભાષણ કરી જૈન સંગને ઉપકારી બનાવ્યો, હતો. ગાયકવાડે પોતાના ભાષણમાં જૈન ધર્મની સ્તુતિ કરતાં તેને બુદ્ધ ધર્મ કરતાં બે સદી એટલે પુરાણો જણાવ્યું છે, પણ સાથે એક હર્ષ પેદા કરનારી વાત કહી છે તેથી એકલા જૈનોજ નહિ પણ પારસી જેવી કોમ કે જેમાં ન્યાતજાતનો તફાવત નથી તે પણ ખુશી થયા વિના રેહશે નહિ. ગાયકવાડ મુજબ જૈન ધર્મની બે મુખ્ય ખુબી છે, જેમાંની પેહલી જીવદયાની બે મૂખ્ય ખુબી છે, જેમાંની પેહલી જીવદયાની અને બીજી એ કોમમાં ન્યાતજાતને ફર્ક નથી તે છે. જૈન ધર્મ મુજબ ન્યાતજાતનું જુદાપણું વાજબી નથી. કદાચ આ બીજી ખુબીની વાત ઘણાએક જેનોને અચરત કરશે. પણ સર સયાજીરાવે તેમને આગ્રહ કીધો છે કે આ વાત એમનાં પોતાના પુરાણાં પુસ્તકોમાં છે, માટે તેઓમાં શેધ ચલાવીને તેઓએ પિતાની ખાત્રી કરી લેવી. શોધકબુદ્ધિના જૈનોને આ ભણેલા રાજવંશી તરફનું નોતરૂં છે. અને જે નામદાર ગાયકવાડે જાહેર કરેલી આ વાત સાચીજ હોય તો જૈનની ફર્જ છે કે ચોથી જૈન મંડળ વેળા એક ખાસ ઠરાવ પસાર કરીને તેઓએ ન્યાતજાતનું જુદાપણું કાકડીજ નાખવું. EVIL CUSTOMS AMONG THE JAINS. મહારાજા ગાયકવાડની એક શીખામણ સોનાનાં મૂળની ગણી શકાશે. સર સયાજીરાવે ભેગા મળેળા હજારો જૈનોને ધીલી લાગે એવી વાતો કરતાં કહેવાની હિમત કીધી છે, અને તે વાજબીજ છે, કે તેઓ દોલતમંદ કેમ છે તો ભલે છે, પણ એ કામે પિતાના દ્રવ્યનો સદ ઉપયોગ કરવો જોઈએ. જનકનાં ભલાને માટે તેમજ પોતાની કોમના સંસારી સુધારા વધારાને માટે એ દેલતને ખર્ચ કરવો જોઈએ. અમો ફરીથી કહીશું કે આ લાખ રૂપિયાની શિખામણ છે. ત્રણ ચાર દિવસના વાર્ષિક મેળાવડા પછી ઘરે જઈ બેસવામાં લાભ કશો નથી. હિંદી કોંગ્રેસના પિતા મી. એ. ઓ. હ્યુમ કેંગ્રેસના આવા ત્રણ દિવસના મેળાવડાથી રાજી થતો નથી. જૈન કોન્ફરન્સની વડોદરા ખાતેની આવકાર આપનારી કમિટીના પ્રમુખ મી ફતભાઈ અમીચંદના સંખને પણ એજ મતલબના અમે વાંચ્યા છે. ઠરાવ કરવા માટે ભેગા થવું એ તો સૌ ઠીક જ છે; સુધારા વધારા વગેરે માટે લાંબાં લાંબાં ભાષણો કરવા ઉભા થવું એ બી બહુ ગળ્યું કામ છે; પણ બોલેલાં વચનો અને કરેલા ઠરાવોને ગ્ય રસ્તો આપવો, તે ઠરાવો અને તે વચન પ્રમાણે વર્તન કરવું, એ મુશ્કેલ કામ છે. એ કામ For Personal & Private Use Only Page #207 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ૧૨ ) બજાવવાનો આ સમય છે, મહાવિર સ્વામિને જૈન ધર્મ સ્થાપતાં પડેલી મહેનત અને નડેલી મુશ્કેલીઓ આગળ આજના જૈન સુધારકોની જે હિંમત વિસાત વિનાની ગણાશે. એટલા માટે સંસાર સુધારાના જે ઠરાવે આ જૈન મંડળોમાં કરવામાં આવે છે તે જ્યાં સુધી કાગળ ઉપર નોધાઇને અભડાઈ ઉપર ધુળ ખાતા પડે ત્યાંસુધી મહારાજા ગાયકવાડે આપેલી સોનાના મુળની શિખામણની કીમત બેબદામની પણ અંકાવાની નથી. જે આપણું જૈન બંધુઓએ પિતાનાં ધનનો સદઉપયોગ કરવો જ હોય તો તેઓએ બીજાં અગત્યનાં કામો જોડે સંસાર સુધારાનાં કામોના પોતેજ કરેલા ઠરાવોને અમલમાં મુકવા જોઈએ, કુચાલોને તેડવા જેઇએ, અને કોન્ફરન્સ ભરવાના સુધરેલાં પગલાંને સફળ કરવું જોઈએ. જન વેતાબરની ત્રીજી કાન્ફરન્સનો મહાન મેલાવડે વડોદરામાં મલ્યો હતે. આ સમાજે ધર્મને છાજતા તથા વહેવારીક ઠરાવોકરી જે કામ બજાવેલું છે, તે માન્ય ભરેલું લખાયેલું છે. પ્રમુખ રાય બહાદુર બુદ્ધિસીંગના પ્રમુખ પણ નીચે થયેલા કામકાજને ચતાર બહુ પ્રિય થઈ પડેલો હોવો જોઈએ. આ મહાન મંડળમાં વિવિધ પોષાકના, વિવિધ ભાષા બેલનારા અને વિવિધ વિચારના પ્રતિનિધિએ હાજરી આપી હતી, તે એ સમાજના ભવ્ય દેખાવનું એક ચીન્હ કતું. સમાજ તરફથી જે જે ખાતાં સ્થપાયા છે, તેને સારી સ્થિતિમાં લાવવાને શ્રમ તથા નાણાની અગત્ય છે એ બે વસ્તુઓને પુરી પાડવામાં મંડળના સુકાનિયાએ જે સહાસ ઉઠાવો છે તે ભવિષ્યમાં ફલદાયક નીવડ્યા શિવાય રહેશે નહિ. જૈન સંપ્રદાયમાં વિદ્વાન વર્ગ હસ્તી ધરાવે છે. તેમ એમાં ઘણું લક્ષ્મી પુત્ર પણ છે તેઓની ઉદારતા ભરેલી મહેનત અને સખી હાથને લઈને આ મંડલનું કામ મંગલકારી નીવડ્યા શિવાય રહેશે નહિ. બહુ સંતોષની વાત છે કે, આ મંડલમાં રાય બહાદુર બદ્રીદાસ, રાય બહાદુર બુદ્ધિસંગ અને શેઠ વીરચંદ દીપચંદ સી. આઈ. ઈ. જેવા વૃદ્ધ ગૃહસ્થો આગળ પડતો ભાગ લઈ જે શ્રમ લે છે, તે આ કોન્ફરન્સને વિશેષ ભાગ્યશાળી બનાવવાનું પ્રયોજન સચવાય છે. આ કાન્ફરન્સને જન્મ આપનાર જયપુર રાજ્યના જાણીતા માજીસ્ટ્રેટ મિ. ગુલાબચંદ ઢઢાને ધન્યવાદ આપતાં અમોને સંતોષ ઉપજે છે. તેમણે જે આ પવિત્ર બીજ વાવ્યું હતું, તેના રૂડા ફળને લાભ લેવાનો પ્રસંગ જૈન ભાઈઓને ભલતો જાય છે, એ સંતેષ કંઇ એ છે મનાશે નહિ. વડોદરા નરેસે આ સમાજને જે જોઈતી મદદ આપી છે અને એ નામદારે સમાજના મંદીરમાં પધારી જે ભાષણ કર્યું હતું, તે મેં એક રૂડા રાજ્યપતિને શોભા આપનારૂ મનાશે. અમે આ સમાજને જય ચહાઈએ છીએ. - ગુજરાત મિત્ર તથા ગુજરાત દર્પણ. સુરત તારીખ ૪ થી ડીસેમબર સને ૧૮૦૪. ત્રીજી જૈન શ્વેતાંબર કાનફરન્સ, - વાર્ષીક જેન કાનફરન્સનું કામ વડોદરા જેવા ગુજરાતનાં છત્રપત્રી રાજ્યમાં સરજામ ઉતર્યું છે. ગયે વર્ષ એ કાનફરન્સ મુબઈમાં ભરાઈ હતી; છેલ્લી કાનફરન્સને વડોદરાના For Personal & Private Use Only Page #208 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ૩૪૨ ) મહારાજાશ્રીએ સારી મદદ આપવાથી તેને ઉત્તેજન મળ્યુ છે. એ કાનક્ન્સનુ’ કામ તેના પ્રમુખ રાયબહાદુર બુદ્ધસિહજી દુધેરીયાના પ્રમુખપણા નીચે ગયા રવીવારથી ત્રણ દીવસ ચાલ્યુ` હતું આ પ્રમુખ બ’ગાળના મુર્શીદાબાદના આજીમગજના વતની છે. અને તે ૫૭ વર્ષની વયના છે તથા ધણા ધર્મચુસ્ત જૈન તરીકે વિખ્યાતી પામેલા નર છે, તેમજ વિધાનાં કામને મદદ આપવાની વૃતિ ધરાવનારા છે. આ કાનફરન્સના સબંધમાં જૈન લાક્ષણીક પ્રદર્શન ઉઘાડવાથી તેની મહત્વતામાં વધારા થયા છે. જેમાં જૈન ધર્મનાં ચિત્રા, દેખાવા તથા દેશી બનાવઢના પદાર્થોના સારા સંગ્રહ ભેગા કર્યો છે. એ ચીજો જૈન ધર્મને બાધ નહીં આવે એવી છે. એ પ્રદર્શન વડેદરાના યુવરાજ શ્રી ફતેહસિંહરાવે ખુલ્લુ મુક્યું છે, જેઓએ સમયાનુસાર ભાષણ કરીને હિંદુસ્તાનના ઉદયેાગ હુન્નરની ચઢતીને માટે તેમજ સંસારીક અને ધાર્મીક સુધારા વધારા કરવા માટેના વિચાર। એ ઉછરતા રાજવ`શીએ જણાવ્યા હતા. આ યુવરાજે જૈનધર્મની અહિંસા થતી અટઢાવવાના ધર્મની સ્તુતી કરી હતી. કાનફરન્સમાં મહારાજા શ્રીસિયાજીરાવ, પ્રમુખ, મી॰ ગુલાબચંદ ઢઢા, શેઠ લાલભાઇ દલપતભાઇ, પ્રેાંફેસર નથુ માં મી॰ક્તેહું લાલન અને પાટવી કુંવર શ્રીમંત ક્તેહસી હરાવે અક્યતા, જૈન ધર્મ, કેળવણીની આવશ્યતા, કાનફરન્સને આડંબર છે કરી થેડા ખર્ચે કામ કરવાની જરૂર, બાળલગ્ન, વૃદ્ધ વિવાહ તથા બીજા હાનીકારક રીવાજો દુર કરવાની જરૂર, અને સ્ત્રીઓને છુટાપણાની હીમાયતમાં એધરૂપી કરેલાં ભાષણાથી કાનફ્રન્સમાં હાજર રહેલા ઉપર સારી અસર કરી હતી અને તે વખતે જે લાગણી ફેલાઈ હતી તેવી લાગણી કાનફરન્સ છેાડી જવા પછી પણ જૈને ઉપર ચાલુ રહે તે એ કામમાં સારા સુધારે થવાની આશા રહે છે. કાનફરન્સ ભરવામાં હાલ થતાં આંડબર બનાવનારા ખરચથી કાનકુરન્સ ભવિષ્યમાં ટકી સકશે કે નહીં તે વીશે તેના સુકાની એમાં ચીંતા ઉભી થઇ છે. અને તેથી હવે પછીની કાનરન્સ ક્યાં ભરવી તે સવાલના છેલ્લા દીવસની બેઠક સુધી નિય થઇ શક્યા નહાતા, માટે શેડ લાલભાઇએ કરેલી સુચના મુજબ કાનફરન્સ ભરવાના ખર્ચ ઓછા કરવાથી કાનકુરન્સની જીંદગી ટકી સકશે. દરેક કાર્ય આરભતાં તે માટેની યોજના અગાઉથી થાય છે તેમ કાનફ્રન્સ જેવાં મેઢાં મંડળના બંધારણની જરૂરીયાત ધારી ચાલુ વરસની કાનફરન્સમાં તે માટે એક ઠરાવ પસાર કર્યા છે, ડેલીગેટા માટે હવે પછી રૂ. ૨ ની રી લેવામાં આવશે અને તેથી જે ઉપજ થશે તે કાનફ્રન્સના ખરચમાં મદદ કા થઇ પડશે, અને કાનફરન્સ ભરનારાઓ ઉપર ખરચને વધુ ખેો પડતાં અટકશે, છેલ્લા ૩૦ વર્ષ દરમ્યાન જાપાનીસાએ જે સુધારા વધારા કરી હાલમાં નામના મેળવી છે તેના દાખલા આપી કેટલાક ભાષણકર્તાએ જાપાનીસાની માફક જૈનને સુધારા વધારામાં આગળ પડવાના આગ્રહ કર્યો હતો અને વેપાર તથા ધર્મના ફેલાવા માટે પરદેશ ગમન કરવાની આવશ્યકતા બતાવી હિંદુ સંસાર સુધારા ઉપર સારૂ" અજવાળું પાડયુ છે અને એ સવાલા કાન્ફરન્સમાં રજી થવાથી હવે પરદેશ જઇ આવનારા જૈનેા સંબધો જે મતભેદ ઉડે છે તે નિર્મૂળ થઇ તેનો છુટથી લાભ લેવાના માર્ગ બીજા માટે ખુલ્લા કરી For Personal & Private Use Only Page #209 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ×૪૪ ) આપવામાં આવશે. તે તે દેશને અને એ કામને ભવિષ્યમાં ઘણું લાભ કર્તા થઇ પડશે. એ કામનું અનુકરણ કરી બીજી કામેા પણ પરદેશ ગમન તરફ હાલ જે અભાવની લાગણી ધરાવે છે તે રાતે રફતે દુર થવા પામશે તેા તે કોમા પણ પોતાને ધણા ફાયદો કરી શકશે. કાન્સમાં વૃલગ્ના અને બાળલગ્નને લગતા ધણા ચર્ચાયલે સવાલ હાથ ધરવામાં આવ્યેા હતા અને તેમાં વૃદ્ધ લગ્ને તરફ ખેદ બતાવી પૈસાને ખાતર કેટલાક લેાભી માબાપે પેાતાની બાળકીની જીંદગીના ભવિષ્યના સુખને કેવી રીતે ડેલી મેલે છે તેને સારા ખ્યાલ ત્રાતાએને આપ્યા હતા તેથી એ રીવાજ જેજે ઠેકાણે ચાલુ હાય તે તે ઠેકાણે એ હાનિકારક રિવાજ નાબુદ કરવાને મી॰ નથુ માચંદના જણાવ્યા મુજબ દરેક ન્યાતે બંદોબસ્ત કરવાને મ્હાર પડવાની જરૂર છે. બાળલગ્ના દેશને હાનીકારક હોવાથી શ્રીમ`ત મહારાજા શ્રી ગાયકવાડે પસાર કરેલા કાયદા તરફ પ્રસંશાનો લાગણી બતાવવામાં આવી હતી અને એવા લગ્ન નાબુદ થાય એવી ખાએશ જાહેર થઇ હતી. પણ બાળલગ્નની ઠરાવેલી હ્રદ જોતાં જ્યાં સુધી બાળકોના મનને ખીલવી તેમના મનમાના માઠા વીકારાને નાખુદ કરવાના ઇલાજો લેવાય નહીં ત્યાં સુધી ઉમરની ઠરાવેલી હદનાં લગ્નો શું. પરીણામ નીપજાવી શકે તે સવાલ વીચાર કરવા જોગ થઇ પડેલે જણાવવામાં આવે છે એટલે બાળકાના મનમાન્યા માઠા વીકારેા દુર થાય અને તેમની કૃતિ લાયક ઉમરે પુગતાં સુધી સારી રહે એવા પ્રકારની કેળવણી તેમેને આપવી ધટે છે કે જેથી તેઓ પોતાની ફરજ શું છે તે સ મજતાં થશે ત્યારે બાળલગ્ન અટકાવવાના હેતુ તેની મેળે પાર પડશે એવી દલીલ ઉઠાવવામાં આવે છે. THE GUJARATI PUNCH. AHMEDABAD 4th December 1904. The Jain Conference at Baroda The Third Jain Conference held its sittings at Baroda, in a spacious Mandap opposite the Laxmi Vilas palace. It was presided over by Rai Bahadur Budhsingji. The Conference had the full sympathy of the Baroda state authorities. Prince Fattesingrao in a nice speech opened the Exhibition held in connection with the Conference; while H. H. the Mahraja Gaekwad and H. H. the Mahrani Saheb attended by the state officers graced the assembly with their presence on the opening day. About 2000 delegates attended the Conference, After the President of the reception Committee had finished his address of Welcome, His Highness the Mahraja Gaekwad rose For Personal & Private Use Only Page #210 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १४५ ) to open the proceedings of the Conference in a short but felicitous speech. His Highness felt a great pleasure to attend the Conference; he had come there more to hear the speech of the President-elect, than to make one himself. The Conference had his full sympathy. His Highness felt confident that an attempt would be made to give a practical effect to the resolutions passed by the conference. His Highness remarked that the Jain Religion was a very ancient religion. It was also a simple religion; in fact Jainism was more ancient than Buddhism. Mahavirswami flourished two centuries before Buddhism came into existence-the Jain religion had two outstanding features. The first was that prior to the establishment of the Jain religion, the slaughter of animals was generally in vogue in India by way of sacrifice to the Gods-the Jain faith rightly set itself against the system. The second feature in the opinion of His Highness was that according to the Jain faith the caste system was unjustifiable. That was an astounding statement for the Jains to hear and His Highness himself was not quite sanguine about it. He, however, hoped that the Jains would carry researches about the matter in their ancient religious books and if as a result it should turn out to be a true one they would accept it in practical life. The cardinal princi. ple of the Jain faith that the non-slaughter of animals was the greatest duty of man ( अहिंसा परमोधर्मः ) was a very fascinating one and an attempt should be made to spread it by booklets & preaching. The Jains were a mercantile community and gene. rally in well to-do circumstances. His Highness advised them to use their wealth for the public good and social reform. After His Highness had concluded his speech, the President rose amidst cheers to deliver his address. The address was a very long one and embraced a variety of topics such as religious and secular education-female education-the spread of Jain litera. ture-the publication of ancient Jain works, the preservation of ancient Jain temples, antiquarian researches, the abolition of injurious social customs and the necessity of a Jaina directory, The lecture was full of interest to the Jaina community For Personal & Private Use Only Page #211 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( 889 and will afford them: an ample food for reflection for some time to come. The President said that he trusted that his remarks would be carefully considered by the Jaina community and that they would make progress socially and morally every year, If they forgot the objects and aims of the conference from their minds as soon as the present proceedings had ended, the vaste expenditure incurred in connection with the conference: would be quite useless. The President congratulated several Jaina sanghas npon doing a practical good work during the past year. After the conclusion of the speech by the president the Subject Committee was appointed. & several influential speakers addressed the assembly on various topics. One of the most important speech made in the conference was that of our esteemed citizen Sheth Lalbhai Dalpatbhai who boldly advocated foreign travels. His speech elicited much applause. After passing a number of useful Resolutions the conference was. dissolved. It is, a gratifying sign of the times that our Jaina brothers are wide-awake and alive to the amelioration of their social and religious condition. It is a pleasant spectacle to see delegates from various parts of India meet together once a year, in common harmony and brotherly. Iove to discuss and exchange views for the moral advancement of their own community. The. Conference is certainly to be congratulated upon doing a really useful work; we hope our Jaina brothers will bear in mind the words of Prince Fatehsinrao that “only a hundredth part of the sacred books of the Jaina has yet been brought to light and that such conferences and exhibitions would induce young Jain scholars to dig deeper into the mines of learning and bring out valuable ore now huried and hidden.” ગુજરાતી પંચ, અમદાવાદ, તા. ૪ થી ડીસેમ્બર સને ૧૦૦ ગુર્જર ભૂમિ ઉપર એક વધુ દિગ્વિજય, ચડતી પડતીના ચક્રના ઝપાટામાં આવેલી, સુવર્ણ સમાન લેખાયેલી ગુર્જર ભૂમિનું ભાગ્ય હવે ઉઘડતું જતું જણાય છે દેશ તથા કોમના ઉત્કર્ષ માટે યત્ન કરતા સજજનો For Personal & Private Use Only Page #212 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ગુજરાતમાં હીલચાલ કરવા લાગ્યા છે. આવા પ્રકારના યત્ન કરવાની શરૂઆત આજથી, ૧૨ વર્ષ ઉપર ગુજરાતના પાટનગર તરીકે પ્રખ્યાત થયેલા આ અમદાવાદ શહેરમાં પ્રાંતિક કોન્ફરન્સનો રાજદ્વારી મેળાવડે. ભલઈને થઈ હતી. તે વખતથી ગુજરાત કાંઈ વિશેષ નામના કરશે એવી આશા રાખવામાં આવી હતી અને તે પ્રમાણે લગભગ આઠ નવ વર્ષ એમને એમ વહી ગયાં હતાં એટલામાં આ દિન પત્રે જન્મ લઈ ગુજરાતમાં કોંગ્રેસ ભરવાનો એક ઘણે દુર્ઘટ સવાલ હાથ ધર્યો હતો. તે માટે શરૂઆતમાં તો કઈ કઈ બાજુ તરફથી આ બાલ પત્રની મજાક કરવાનું નિંદાપાત્ર કર્મ કરવામાં આવ્યું હતું પરંતુ અમારે સવાલ સાર્વજનિક હિતનો હોવાથી સમg જનોએ અમારા લેખને લક્ષપૂર્વક વાંચવા માંડ્યા. અને અમારા પત્રમિત્રોએ અમારા કાર્યને પુષ્ટી આપી તથા પરિણામે નેશનલ કોંગ્રેસને મહાન રાજકિય મેળાવડો આ શહેરમાં ભરાઈ તેણે વિજય ઘેષ કરી મૂકે હતો; નવા જમાનામાં ગુજરાતની ખ્યાતિ કરાવનારૂં બીજું કાર્ય સનાતન ધર્મના સંરક્ષણાર્થે કોંગ્રેસની અગાઉ ભરાયેલું પરિષદ ગણીએ તે તેવું ત્રીજું કાર્ય કાંગ્રેસ હતું. તે પછી ચેાથું કાર્ય ગયા અકબર માસમાં આ શહેરમાં મુસલમાન ભાઈઓની મળેલી કેનફરન્સના મંડપમાં કોન્ફરન્સનું કાર્ય પરિપૂર્ણ થયા પછી તૃત જેવી રાજકારી મંડળીની જે સ્થાપના થઈ હતી તે થઇ ના હોત તો કોન્ફરન્સો વિજય રંગ કાંઈ ઓર જ જામત પરંતુ મુસલમાન કોમનો મોટો ભાગ અભણ હોવાથી બેડી બુદ્ધિવાળો છે તેથી તેને સમથનો વિચાર થયો નહીં અને લગ્ન પ્રસંગે રાજીપો ગાય ! તેથી થેકડી થવામાં બાકી રહી નહીં. મુસલમાન કોમમાં કેળવણીનો પ્રસાર થવાની જરૂર કેટલી બધી છે તેનો એ દિલગીરી ભરેલો બનાવ બહુ મઝેનો નમુનો છે તેથી તે કોમની કેળવણી કોન્ફરન્સ બીજી કોઈ હલચાલ હાલ કરવી પડતી મૂકી કેળવણીના પ્રસાર વિષે સૌથી પ્રથમ લક્ષ આપવાની જરૂર છે. સન ૧૮૮૨ થી માંડી સન ૧૯૦૪ સુધીનાં ૧૨ વર્ષની અંદર ગુજરાતમાં આ પ્રમાણે જે જાણવા લાયક ચાર જાહેર મેળાવડા થયા તે તમામ ફક્ત અમદાવાદ શહેરમાં જ થયા હતા. અમદાવાદ શહેર ગુજરાતની રાજધાની હોવાથી સૌથી પ્રથમ પગલું તેણે ભરવું જોઈએ અને પોતાની તે ફરજ તેણે બજાવી તે સંતોષકારક છે. પરંતુ તેથી કાંઈ એમ નથી ઠરતું કે ગુજરાતમાંનાં અન્ય શહેરે એ સુસ્તામાં જ પડી રહેવું. આવાજ કારણને લીધે આ ઇલાકાની પ્રાંતિક કોન્ફરન્સ એક બે વર્ષથી સુરત શહેરમાં ભરવાની ભલામણે થાય છે પરંતુ ગરીબ સુરત–આગ મરકી અને રેલથી પાયમાલ થઈ ગયેલું સુરત ફાંકડું અને રંગીલું સુરત-ઈચ્છા છતાં દેવકાપના સને લીધે ડોક ઉંચી કરી શકતું નથી. સુરતની એ પી સ્થિતિ હોવાથી તેને બાજુ ઉપર મૂકીએ તે આપણી નજર ભરૂચ કે વડેદરા તરફ જાય છે. ભરૂચ-ભ્રગુપુરની અસલની જાહેઝલાલી હવે નાશ પામી છે અને તેની પ્રતિદિન ભાગતી થઈ છે. અને શ્રીમંત સરકાર ગાયકવાડની રાજધાની વડોદરા સુધારા વધારામાં આગળ વધતું જાય છે તેથી ભરૂચના કરતાં વડોદરા તરફથી કાંઈ થવાની આશા પ્રથમ રાખી શકાય તે આશા ગુર્જર ભૂમિના ધન્ય ભાગ્ય અને ઈશ્વર પ્રતાપે આ વર્ષે પાર પાડી છે જૈન કોન્ફરન્સના ત્રીજા વાર્ષિક મહોત્સવને લીધે વડોદરા શહેર કેટલાક દિવસથી હળીમળી રહ્યું હતું અને તેણે ગયા અઠવાડીઆમાં પૂર્ણ ગર્જના કરી છે. તે વિષેના ખાસ હેવાલને ટુંક સાર આજના અંકમાં અન્ય સ્થળે આપેલ હેવા For Personal & Private Use Only Page #213 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ૧૪૮ ) થી અત્રે તેનું પુનરાવર્તન કરવું” અવાસ્તવિક વિચારીએ છીએ પણ સ્પષ્ટ થવાને એટલું તે કહેવાની જરૂર ધારીએ છીએ કે એ કેન્ફરન્સ એકલા શ્વેતાંબરીઓની હતી. કોન્ફરન્સ વખતે પ્રમુખ તથા અન્ય વક્તાઓએ જણાવેલા વિચાર બહુ સારા છે. અને તેમણે કરેલા ઠરાવ પણ સ્વકોમની ઉન્નતિ અર્થે ઘણા ઉપયોગી છે. વડોદરાના મહારાજા શ્રીમંત સયાજીરાવે તથા તેમના પાટવી કુંવર પ્રિન્સ ફિત્તેહસિંહસ કોન્ફરન્સ પ્રત્યે જે ભાવ દર્શાવ્યા છે અને પોતાના વિચારો જાહેરમાં જણાવવાની કૃપા કરવાની તસ્દી લીધી છે તે માટે જન કેમે તે નામદારેના થડા આભારી થવાનું નથી. તે નામદારોનું અનુકરણ કસ્વાનું અન્ય દેશી રાજ્યકર્તાઓ શીખે એજ આપણે ઈચ્છવાનું છે. આ કૅન્ફરન્સની વિશેષ ફત્તેહ તેની સાથે ભરવામાં આવેલા લાક્ષણિક પ્રદર્શનને લીધે થઈ છે. નેશનલ કોગ્રેસ જેવા દેશના રાજકિય પરિષદની સાથે હુન્નર ઉદ્યોગને લગતું પ્રદર્શન ભરવાની રીતિ છેલ્લાં ચાર વર્ષથી શરૂ થઈ છે અને તેમ કરવામાં લાભ સમાયેલે સમજવામાં આવ્યો છે ત્યારે તેવા શુભ માર્ગનું અનુકરણ જૈન કોન્ફરન્સ કર્યું છે તે જોઈ સંતોષ થાય છે. પ્રદર્શન નમાં રજુ થયેલી ચીજો માટે જે થોડા ચાંદ તથા નામ અને સર્ટીફીકેટ આપવામાં આવ્યાં છે તે ઉપર નજર નાંખીએ છીએ ત્યારે તેમાં મી. મોતીલાલ કલચંદ શાહ અને વૈદ્ય રા. જટાશંકર લીલાધર જેવા આ શહેરના નામાંકિત ગૃહસ્થોનાં નામ જોઇને અમને વિશેષ હર્ષ થાય છે. કોન્ફરન્સનું કામ સંપૂર્ણ થયા પછી જૈન ગ્રેજ્યુએટસ એસોસીએશનની થયેલી સ્થાપના અત્રે ભરાયેલી મેહેમદન કેળવણી કોન્ફરન્સ પછીથી સ્થપાયેલા પેલા થોડું યાદ કરવા લાયક મંડળનું સ્મરણ કરાવી બંનેની સરખામણું કરવાને લલચાવી સારા નરસાની પરીક્ષા કરાવે છે, એ પરીક્ષા કરવાનું કામ સહેલું હેવાથી તે વિષયે વિશેષ વિવેચનની આવશ્યકતા નહીં હોવાથી સુજ્ઞ વાચકોને અમે સાથે લઈને ઈરછીએ છીએ કે જે હેતુથી ગ્રેજ્યુએટસ એસોસીએશનની સ્થાપના થઈ છે તે શુભ હેતુઓ પાર પડે અને જૈન બંધુઓનો ઉત્તરોત્તર જય થતો રહે. તોપણ છેવટમાં આ સંબંધમાં જૈન બંધુઓ સમક્ષ બે ટુંકી વિનંતી છે. તેમાંની એક એ છે કે જે કરવું તેમણે કર્યા છે તેમનો અમલ કરવા ઉપર અવશ્ય ધ્યાન આપવું જોઈએ; અને બીજી વિનંતી એ છે કે કોન્ફરન્સ ફક્ત વેતાંબરીઓની નહીં કરતાં દિગંબરીઓને પણ તેમાં સામેલ કરવા જોઈએ. એ બે, બાબતો ઉપર લક્ષ અપાશે તો આ કોન્ફરન્સને “જન કોન્ફરન્સ” કહેવામાં બિલકુલ બાધ આવશે નહીં અને જૈન કેમને ઉત્કર્ષ વિશેષ સારી રીતે કરી શકાશે. દેશમાંની એક કોમનું પણ એ રીતે સંપૂર્ણ કલ્યાણ થાય તો તે ઘણું હર્ષ દાયક થઈ પડશે. For Personal & Private Use Only Page #214 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १४९ ) THE PRAJA BANDHU. AHMEDABAD; Sunday 4th December 1904, The Jain Conference-One of the most important events of the last week of November was the Jain Conference held at Baroda. Respectable Jains from all parts of the country assembled in large numbers, and on the three days of their conference viz,; 27th, 28th, and 29th passed resolutions touching their special religious and social interests. The conference unanimously recognized the necessity of imparting religious instruction to Jain pupils, along with secular education, or prior to it. The second resolution of the conference urged the importance of diffusing the Jain literature. Another resolution affirmed the necessity of having a special series of text books for the use of Jain pupils, and the necessity of forming a Jain religious association of men versed in Jain lore in order that it may direct with additions and improvements the course of religious instruction in Jain schools. The conference fully recognized the necessity of searching for, acquiring and publishing old Jain writings. The necessity of repairing and preserving old Jain temples all over India was also duly acknow ledged. The institution of an archæological research for the purpose of collecting data for the construction of an authentic history of Jainism was next dwelt upon, and the conference unanimously voted its importance. The conference also passed a resolution in favour of collecting funds for the maintenance of poor Jains all over India, remarking that by the tenets of their faith such Jains cannot ask for charity, and that their support should form a charge upon the whole community. The maintenance of institutions like the Pinjrapole where dumb beasts may be treated for diseases and taken care of was unanimously recognized as a duty of the community as laid down by the doctrines of the Jain faith. To promote mutual good will among the members of the community, the preparation of a Jain directory for the whole of India was earnestly recommend For Personal & Private Use Only Page #215 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ell Pgo) eds beloved on the conference also unanimously passed a resolution at certain pernicious social customs should be stopped or discouraged viz., early marriages, the marriages of old persons, the sale of girls 'in marriages, feasts on account of deaths, weeping and beating the breast at deaths and unnecessary expenditure on social ceremonies. The Jain's number about 15 lacs in the whole of India, and by their prominent commercial position, great wealth, and their strong attachment to their faith, they form one of the most important communities of India. Their religion does not recognize caste distinctions, though in practice they obserye them like the orthodox Hindus. The resolutions passed by them do credit to their sound common sense, and many of them are such as other communities may with advantage adopt. With the purely sectarian resolutions, the public at large is not likely to concern itself. Complete toleration and sympathy is the spirit which every educated Indian, be he a Hindu, a Mahomedan, or a Parsee, will show towards them. Though religious tenets are divurgent, truth is one, and all sincere lovers of the latter are now agreed that the interests of truth will be best served, if each religious community honestly looks into the foundations of its faith, their compatibility with other bran. ches of knowledge, and the reason for and against each tenet. There are however other resolutions of the conference, where it is on common ground with the followers of other faiths. The necessity of a proper system of industrial training is one of these, and here the Jains have every thing to gain by making common cause with the rest of India. The education of women is another of these subjects, and here too we think that they cannot detach themselves from the rest of India, In the mat: ter of stopping pernicious customs the Jains are in the same condition as the majority of the people of India, but we think the desired end will be best attained, if they pursue methods which appear to them best calculated to accelerate their pace. One of the prominent speakers at the conference dwelt upon the great importance of physical culture, and here too the Jain For Personal & Private Use Only Page #216 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१५१) is on common ground with the rest of his fellow-subjects in India. The conference was taken as a whole a great success. The presence of the intelligent Ruler of Baroda, and the Yuvraja added to the dignity and importance of the gathering One of the speakers dwelt upon the necessity of husbanding the resources of the community, and on the great expense incurred by these gatherings. While we admit the general weight of the observation, we think it essential to draw the attention of the public to the principal that moral, political and educational, gains are not to be measured by the rupees, annas and pies they cost. The propagation of sound ideas, or the promotion of national union are ends invaluable in themselves, and no sensible person will count the cost in mere rupees without reflecting on the immense moral acquisition we make by such sacrifices. Of course mere pageantry ought to be shunned as also those accessories which simply feed empty vanity, We ought also to remember that public agitation on a large scale has a priceless educational worth and that it promotes general objects in a way which schools and libraries would fail to secure in a generation. We are of course speaking generally; and would not be understood as encouraging extravagance in any form. The Jains are a shrewd practical people, and must be left to decide for themselves, whether their object can be achieved by less costly methods. Some times of their programme are such that nothing but well considered and well organized action is needed. It is for the commanity to decide whether instead of holding a conference next year, they may not with advantage apply their energies for two or three years to the accomplishment or initiation of some of the excellent resolutions they have passed at the late conference. For Personal & Private Use Only Page #217 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (૧૨) પ્રજાબંધુ. અમદાવાદ તા. ૪ થી ડીસેમ્બર સને ૧૯૦૪. વડોદરા ખાતે મળેલી ત્રીજી જૈન શ્વેતાંબર કેન્ફરન્સ, વડોદરા ખાતે ગઈ તા. ૨૭, ૨૮ અને ૨૮ મીએ મળેલી ત્રીજી જૈન શ્વેતાંબર કોન્ફરન્સને મેળાવડે ફરહમંદી સાથે પસાર થયો છે. એ મેળાવડામાં થએલા કામકાજને લગતો હેવાલ અને અન્ય સ્થળે આપેલ છે તે ઉપરથી વાંચક ગણ કહી શકશે કે જેને ભાઈઓએ કોમની અભિવૃદ્ધિ માટે બોલીને જ નહીં પણ કાંઇક કરીને બતાવવાની શરૂઆત કરવા માંડી છે. કોન્ફરન્સની સ્વાગત કમિટીના પ્રમુખનું ભાષણ અંત:કરણની લાગણીનું અને ચચવાના વિષયની પસંદગીનાં કારણે ઉપર અજવાળું પાડે તેવું હતું. તેમાં એક ઠેકાણે એવું જણાવેલ છે કે “વળી ઘણી બાબતો એકી વખતે ઉપાડવા જતાં એકનું સાર્થક થઈ શકતું નથી અને ઉલટા ગોટાળો થાય છે. ” પ્રમુખના આ શબ્દ બહુ ગંભીર છે ને તે તરફ જુદી જુદી કોન્ફરન્સોએ ધ્યાન આપવાની ખાસ જરૂર છે. જેના ભાઈઓ વેપારી કામ લેવાથી. જે બાબતમાં ન મળે તેજ બાબતને હાથ ધરે એ વ્યવહારિક ડહાપણુ તેમણે દ્રષ્ટાંતિક રીતે રજુ કર્યું છે તે ખુશ થવા જેવું છે. આવી કોન્ફરન્સ ભરવાનો મુખ્ય હેતુ લાંબાલચ ભાષણેથી શ્રેતાઓને ખુશ કરવાને નહીં પણ થોડું પણ કામ કરી બતાવી કોમને ફાયદો કરવાનો હોય છે. કોન્ફરન્સના પ્રમુખ રાય બહાદુર બુદ્ધસિંહજીના ભાષણમાં કોન્ફરન્સમાં ચચવામાં આવેલા વિષયોનું દિગ્ગદર્શન કરેલું છે અને તેમાં કેળવણીને મોખરે મૂકવામાં આવી છે એટલું જ નહીં પણ સ્ત્રી કેળવણીને વધુ વજન લાગુ પાડવામાં આવેલ છે. એ લંબાણ ભાષણ ઉપરથી જોઈ શકાય છે. કે કોન્ફરન્સને ખાસ હેતુ જેનોની સામાછક અને ધાર્મિક કેળવણીની ઉન્નતિ કરવાનો છે. અને તેમાં કંઈ પણ વ્યવહારિક પગલાં ન લેવામાં આવે અને માત્ર વાણીવિલાસ જ થતું હોય તે તેનું ફળ શું? એવા વાણીવિલાસને અવકાશ જ ન મળે તેટલા માટે આ વખતની કોન્ફરન્સમાં ગયા વર્ષના અનુભવથી જૈન આગેવાનોએ કાંઇક કરી બતાવવાની પહેલ કરી છે. અમોને જણાવતાં સંતોષ થાય છે કે કોન્ફરન્સનું હાલનું બંધારણ જે ફક્ત ડોળ અને દમામખાતર બાદશાહી ખર્ચ કરાવનારું છે તેને ફેરવી નાખી સારી રીતે અસલના પંચના રીવાજ ઉપર કામ લેવાને ઠરાવ અત્રેના શેઠ લાલભાઈની દરખાસ્તથી કર્યો છે. વ્યવહારિક રીતે દેશી સાદી રીતભાતને વળગી રહીને આવી કોન્ફરન્સ ભરવાની શેઠ મેસુફે હિમાયત કર્યાથી ત્રણ દિવસના મેળાવડા પાછળ ખચંતા હજારે રૂપીઆને બચાવ કરવાનું ડહાપણ આખરે જૈન જેવી કરકસરમાં પાવરધી ગણાતી કોમે જોયું છે જે અન્ય કોમોએ અનુકરણ કરવા જેવું છે. આ કોનફરન્સમાં વધુ ધ્યાન ખેંચનારે બનાવ તે ના. મહારાજા સર સયાજીરાવ તથા તેમના યુવરાજની સામેલગીરી જ છે. કોન્ફરન્સના પહેલા અને છેલ્લા દિવસે આ બન્ને પિતાપુત્રે પધારી સામાજીક તથા ધાર્મિક બાબતોમાં પિતાની પ્રજાને તથા તેમના અન્ય બંધુઓને ઉત્તેજન આપી અન્ય રાજ્ય કર્તાઓને તેઓની ફરજ વિષે જાગૃત કરેલા છે. ના. સર સયાજીરાવ જેવા સુધરેલા વિચારના છે તેનું જ પ્રતિબિંબ તેમના યુવરાજમાં એવી તે આબાદ રીતે પડયું છે કે “બાપતેવા બેટા વગેરે” કહેવત આ ઉપરથી સાચી ઠરે છે.ના. મહારાજાના ભાષણમાંથી તેમ For Personal & Private Use Only Page #218 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (૧૨) ના જેવા અન્ય જોખમદાર રાજકર્તાઓએ એવો બોધ લેવાનો છે કે આ જમાને સર્વ ધર્મ તરફ સમાનતાની નજરથી જોવાનું શીખવે છે. તેવી જ રીતે આ દેશની જુદી જુદી પ્રજા ઓએ પણ ધમધપણું તજી દઈને ભાઈચારાની લાગણીથી વર્તી દેશનું એક્ય કરવાના કામમાં ઉદાર થઈ ઐક્ય વધારવું જોઈએ, કે જે વગર આજે આપણે હાલની સ્થિતિએ આવી ચઢયા છીએ. આ મેળાવડાના છેલ્લા દિવસે યુવરાજ ફતેસિંહરાવે કરેલું ભાષણ સારા વિચારોથી ભરપુર છે. એ જુવાન રાજ્ય કુમારશ્રીએ કેળવણીને પ્રથમ હાથ ધરી, વ્યવહારિક જ્ઞાન આપનારી કેળવણીને વિષે દીલગીરી જણાવી, લોકે એ ખામી જોઈ શક્યા તે માટે આશા બતાવી હતી. બાળલગ્ન, કુરીવાજો નાત જાતનો પ્રતિબંધ, સ્ત્રીઓને છુટ, ઐક્યતા ધર્મનું છુટાપણું, ગુજરાતીઓ અને ગાયકવાડના વંશનો સંબંધ વિગેરે વિષયો ઉપર પ્રસંગોપાત બોલી પોતે પણ ગુજરાતી હોવાની હિમાયત કરી હતી. આ કોનફરન્સનો મેળા વડો ભવિષ્યમાં ઘણાં વર્ષો સુધી યાદ રહેશે, કેમકે આ બન્ને અપક્ષપાત પિતાપુત્રને વખત પહેલાં ગાયકવાડી રાજ્ય મરાઠા અને દક્ષણીઓ માટે હતું. પણ તે સ્થિતિ હવે બદલાઈ ગઈ છે ને એ રાજ્ય કુટુંબ ગુજરાતીનું પણ ગુજરાતી છે એવી આપવામાં આવેલી ખાત્રી માટે આપણે યુવરાજ ફત્તેસિંહરાવનો ઉપકાર માનવો યોગ્ય છે. જૈન કોનફરસનો આ મેળાવડો આ વખતે કાંઈક વાસ્તવિક રીતે કરીને બરખાસ્ત થયો છે તેથી તેને ફતેહમંદ ઉતરેલો કહેવાને કાંઈ હરકત નથી. અને તે માટે તે કોમના આગેવાનો તથા ના મહારા જાને ધન્યવાદ ઘટે છે. જૈન બંધુઓનું અન્ય કોમે અનુકરણ કરશે તેજ આવા મંડળ ભરવાના હેતુઓ બર આવશે ધી કરોનેશન એડવરટાઈઝર. અમદાવાદ તા. ૧ લી ડીસેમ્બર સને ૧૯૦૪, વડોદરા ખાતે મળેલી જન કેનિફરસ. - વડોદરા ખાતે આખા હિંદુસ્થાનના જૈન ભાઈઓની મળેલી કોનફરન્સ ગયા માસની તા. ૨૭ મીએ મળી છેવટના દીવસે પુરી થઈ છે. આ કેનફરન્સ ફત્તેહમદ ઉતારવા માટે જૈન ભાઈઓને ધન્યવાદ ઘટે છે તેની સાથે ભરેલા લાક્ષણિક પ્રદર્શનની શરૂઆત કરી એ કોનફરન્સે પોતાની કોમની જ નહીં પણ એક રીતે દેશની પણ સેવા બજાવી છે. આ કોનફરન્સના પ્રમુખ અજીમગંજવાળા પ્રખ્યાત રાય બુદ્ધસિંહજી બહાદુરને કેનફરન્સ તરફથી જે અસાધારણ આવકાર આપવામાં આવ્યો હતો તે કોનફરન્સ તરફની જેની ભાઈએની ઉલટજ બતાવે છે, અને તેમની એ ઉલટને ઉત્તેજન મળે તેવી દરેક મદદ મહારાજા ગાયકવાડ તરફથી આપવામાં આવેલી હતી. જેનો દાખલો અમારા અન્ય દેશી રાજ્યકર્તાઓ લેશે એવી આશા રખાય છે. લાક્ષણીક પ્રદર્શન યુવરાજ શ્રી ફત્તેહસિંહરાવે ઉઘાડતાં દેશની ઉધોગ હુન્નરની સ્થિતિ તથા તેને મદદ કરનાર આવાં પ્રદર્શનની આવશ્યકતા બતાવી હતી તેની પણ અમારા દેશી રાજ્યકર્તાઓ નોંધ લેશે તે તેઓ દેશના એ કામમાં ધણું કરી શકશે. એ કોનફરન્સમાં મહારાજા ગાયકવાડે પધારી કોનફરન્સના કામને આપેલું વજન તથા ઉત્તેજન ખાસ અન્ય રાજ્ય કર્તાઓએ અનુકરણ કરવા જેવું છે. મહારાજા ગાયકવાડ For Personal & Private Use Only Page #219 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (૨૧૪) પિતાની રઇયતને આગળ પાડવા કેટલું કરે છે તે આ ઉપરથી જોવાનું છે અને જ્યારે દેશી રાજ્યકર્તાઓ આવી રીતે પિતાની પ્રજાને ઉતેજન આપતા થશે, ત્યારે જ દેશદયના કામમાં સહેલાઈ થવા પામશે. હવે આપણે કોનફરન્સમાં થએલા કામકાજની ટુંક નોંધ લેઈશું તો જણાશે કે તેમાં બધા મળીને ૧૮ સવાલો રજુ થયા હતા જે સવાલો અમે ગયા માસની તા. ૩ જીના અંકમાં આપી ગયા છીએ, તેથી તેની આ સ્થળે આવૃત્તિ કરવાની જરૂર નથી પણ એ સઘળા સવાલમાં ક્યા ક્યા સુધારા હાથ ધરવામાં આવ્યા છે તે તપાસવું આવશ્યક છે. પહેલા જ સવાલમાં કેળવણીને ઉતેજન આપી તેને માટે બોર્ડ સ્થાપવામાં આવ્યું છે. બીજી જરૂરીયાત જૈન બાળકો માટેનાં પુસ્તકે સારૂ કમિટી તથા પ્રાચીન પુસ્તકોદ્ધાર કરવાના ઠરાવો થયા છે. જૈન ચૈત્યોદ્ધાર તથા પ્રાચીન શોધખોળનો ઠરાવ પસાર કરવામાં આવ્યો છે. ધર્માદાખાતાનાં હિસાબની ચોખવટ, તથા તપાસણી, આ ઠરાવોથી જૈન કોમમાં સામાન્ય તથા ધાર્મિક કેળવણીનો ફેલાવો કરવાની જરૂરીયાત કોનફરન્સે સ્વીકારી છે, એ ખુશી થવા જેવું છે. કેમકે ધર્મનીતિની કેળવણીને માટે આજે સઘળી કોમે બુમ પાડે છે, કેમકે એવી કેળવણી ન મળી શકવાથી તથા ઈગ્રેજી ભાષાના એક્લા અભ્યાસથી અન્ય પરદેશી ધર્મવાળાઓ ઘણું ફાવી જવા લાગ્યા છે તેને અટકાવવા માટે તથા કામનાં બાળકો દ્વારા ધર્મની રક્ષા કરવા બીજી કોમની માફક જનકોએ પણ આ પગલું સમયોચિતજ ભરેલું છે. સામાજીક સુધારણા કરવા તરફ જૈન કોનફરન્સ આપેલું ધ્યાન બેશક ધન્યવાદને પાત્ર છે, કામમાં ચાલતા હાનીકારક રીવાજો દુર કરવા ઠરાવ પસાર થયો છે તેની સાથે નિરાશ્રીત જૈનોને મદદ આપવાના તથા કોમમાં ઐક્ય વધારી કેમનું કલ્યાણ કેવી રીતે થાય તેવા માર્ગ લેવાના પણ ઠરાવો કરવામાં આવ્યા છે, વળી આ ઠરાવને કાગળ ઉપરજ નહીં રહેવા દેતાં તેને અમલમાં મુકવાની યોજનાને લગતો ઠરાવ પણ થયો છે. જૈન ધર્મનો મૂળ સિદ્ધાંત જે જીવદયા તે વિષે પણ ઠરાવ કરવામાં આવ્યો છે. વળી ઉત્તેજનની ખાતર જે ગામ કે શહેરના જેનોએ બીજી કોનફરન્સના ઠરાવો અમલમાં મુક્યા છે તેઓને ધન્યવાદ આપવાનો ઠરાવ કરી કેનફરન્સે ઉત્સાહીઓને ઉત્સા હ વધે તેવો રસ્તો લીધું છે. જેનોને લગતી તમામ માહિતી મેળવી શકાય તેવી એક જૈન ડાયરેકટરી બનાવવાનો ઠરાવ થયો છે. ત્યાર બાદ ના. શહેનશાહ અને શહેનશાહબાન તરફની વફાદારી દર્શાવનારો તથા આ કોનફરન્સના ઠરાવોને અમલમાં મુકવા જે મુનિમહારાજેએ શ્રમ લીધે હોય તેમને ધન્યવાદ આપવાનો તથા કોનફરન્સના જનરલ સેક્રેટરી શેઠ ફકીરભાઈના મરણને શેક દર્શાવનારો ઠરાવ અમલમાં મુકાયા હતા, ને ગયા વર્ષની કનકરન્સના ઠરાવોને બહાલી આપી આ કોનફરન્સનું કામ ફતેહમંદી સાથે પુરૂ કરવામાં આવ્યું હતું. પસાર થએલી કોનફરન્સમાં જુદા જુદા વકતાઓએ આપેલાં ભાષણો જૈનોની પિતાની કમને આગળ વધારવાની ઉલટ કેવી છે તે દેખાડનારાં હતાં. આ કોનફરન્સમાં એક નવી વાત સાંભળવામાં આવી હતી તે એવી છે કે ખાનદેશમાં પ્રાંતિક જૈન કોનફરન્સ ત્યાંના આગેવાનોએ ભરવાની યોજના કરી છેબેશક આ પગલું વધુ ઉત્તેજનને પાત્ર છે. પણ જે એવી પ્રાંતિક કોનફરન્સો આ મહાન કોનફરન્સના તાબામાં રહીને કામ કરશે તોજ તેનાથી સારું પરિણામ આવશે. પણ જે એવી પ્રાંતિક કોનફરન્સી વખત જતાં મળવા લાગશે અને સ્વતંત્ર રીતે રહી કામ કરવા માંડશે તો તેમાંથી બીજા નવા નવા ફણગા ફુટશે જે આ કોનફરન્સના હેતુની વચ્ચે આવી પડે તે અમોને ભય લાગે છે માટે જ સમજુ જૈન For Personal & Private Use Only Page #220 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ભાઈઓએ પિતાપિતાના વિભાગમાં આ કોનફરન્સની શાખા તરીકે પ્રાંતિક કોનફરન્સો સ્થાપિ કામ કરવામાં જોકે હરકત નથી પણ લક્ષતો આ કોનફરન્સના હેતુઓ બર લાવવા સાથે આ કોનફરન્સને દરેક મદદ આપવાથી કદી પછાત પડવું જોઈતું નથી. પ્રથમ તો કોમનું શક્ય સાધવાને માટે જ સર્વને ઉદ્દેશ હવે જોઈએ અને એ ઉદેશ આ કેનફરન્સથી પાર પાડી શકાય તેવો છે. ડાહ્યા જૈનોને આ બાબતમાં આટલે જ ઇસારે કરવો બસ થશે, પસાર થએલી કોનફરન્સને ફતેહમંદી સાથે પાર ઉતારવા વડોદરાના જૈન સંઘે લીધેલી મહેનત તેમને ધન્યવાદ આપવા જેવી છે. તેવી જ રીતે જૈનકોમના ડેલીગેટોએ જે સંખ્યામાં હાજરી આપી હતી તે પણ પ્રશંસા પાત્ર હતી. આ અંગે અમે એકજ સૂચના કરવા માગીએ છીએ અને તે સૂચના સંબંધમાં કોનફરન્સ ઠરાવ પણ કર્યા છે. તે એ છે કે જમાનાના પવન પ્રમાણે સભાએ, સમાજે વીગેરે મેળવવાને અમુક મંડળ કે કેમ દેખાદેખી અનુકરણ કરવા લાગી છે એ જો કે ખુશીની વાત છે, છતાં આપણે એવી સ્થિતિમાં છઈએ કે વાતો કરવા કરતાં કાંઈક સંગીન કામ નહીં કરીએ તો આપણી ઉલટી હાનીજ થશે, માટેજ કોનફરન્સ કરેલા ઠરાવો અમલમાં મુકવાની યેજના કરવા કોનફરન્સ કરેલા ઠરાવને અમે ઘણી અગત્ય આપીએ છીએ અને એ ઠરાવ તેના અક્ષરે અક્ષરમાં અમલમાં મુકાયેલ જેવાની દરેક જૈન હિતેચ્છને ભલામણ કરીએ છીએ, અને આમ કરવા સારૂ ગામે ગામના જૈન સંઘના આગેવાને એ કોનફરન્સના રૂડા કામોને અમલમાં મુકી કેમ તરફની કાળજી પુરવાર કરવી જોઈએ છીએ. ભાષણે એતો માત્ર એવા રીત રીવાજોનાં સ્વરૂપ તથાતેને દુર કરવાની દલીલો દર્શાવનારાજ છે, અને એ સાંભળ્યા પછી તેનું મનન કરી તેને વહેવાર રૂપમાં મુકવાથી જ હરકોઈ કોમને ફાયદો કરી શકે છે. એ ભુલવું નથી જોઈતું. કેટલાક નઠારા સંસારીક રીતરીવાજે જૈન કોમમાં પણ ઘર કરી પડ્યા છે તેમાં સુધારો કરવા માટે દરેક નાતજાત ને તડાંના વડીલોને આગળ કરી તેમની જ સંમતી સાથે શ્રમ લેવામાં આવશે ત્યારે જ તે બુરા રીવાજો નાબુદ થશે. આ રીવાજોમાં રડવા કુટવાને ચાલ હિંદુ લોકોમાં એક ફારસ જે છે તે પહેલો અટકાવવાની જરૂર છે અને તે અટકાવવા માટે સ્ત્રી કે 11 ણીની ખાસ જરૂર છે જે પાછળ કોનફરન્સે પુરતું ધ્યાન આપવાનું છે, તેજ બલકે ! પણ બુરા કેટલાક જેનામાં બીજી કોની માફક કન્યાવિક્રય કરવાનો જાણે ધંધોજ ૧ , ધે છે તેને અટકાવવાની પણ ઓછી જરૂર નથી અને તે સારૂ ધંધા ઉદ્યોગની ગરીબ જનને જોગવાઈ કરી આપવાની આવશ્યકતા છે. ગુજરાતના કાઠીયાવાડ પ્રાંતમાં આ રીવાજ કાંઈક વધુ જેવામાં આવે છે ને તેનું મુળ ગરીબ હાલતમાંજ છે તે ગરીબાઈ દુર કરવા કેળવણી અને ધંધા ઉપયોગની જોગવાઈ કરી આપવાથી અટકી શકશે ને તે જરૂર પણ કોનફરન્સ સ્વીકારી છે. હદ ઉપરાંતના નાતવર કે લગ્ન પ્રસંગની ધામધુમ પાછળ ખર્ચાતા પૈસામાં નિયમ બાંધવામાં આવે તો કોમની ગરીબાઈ અટકાવવા સહેલાઈથી મદદ કરી શકાય તેવું કંડ થઈ શકે તેમ છે. છેવટે અમે જૈનભાઈઓની ઉતરોત્તર આ કામમાં ફત્તેહ ઈચ્છીએ છીએ અને વડોદરાની કોનફરન્સ ફતેહમંદ ઉતારવા ત્યાંના સંઘે તથા કોનફરન્સના લાગતાવળગતાઓએ જે શ્રમ લીધો છે તેને માટે તેમને ધન્યવાદ આપી તેવાજ ઉત્સાહથી ભવિષ્યમાં કામ લેવાની તમામ જૈનભાઈઓને ભલામણ કરીએ છીએ, કારણ કે હિંદુ કેમરૂપ વૃક્ષની જૈનો માત્ર એક શાખા છે તેથી એ શાખામાં સુધારો થવાથી વૃક્ષની વૃદ્ધિ થવા સાથે બીજી શાખાઓ પણ પોષણ મેળવતી થશે. For Personal & Private Use Only Page #221 -------------------------------------------------------------------------- ________________ त्रीजी जैन श्वेताम्बर कॉन्फरन्समां विराजवा माटे पसंद थयेला प्रतिनिधियोनी यादी. अंकलेश्वर. शा. दलीचंद मुलजंद. माणकचंद कमळचंद 'सोमचंद लालचंद अंगारेश्वर शा. दीपचंद कशलचंद शा. खूबचंद पांनाचंद अणखी. दीपचंद जीवचंद शा. मोतीलाल पीतांवरदास अब्रामा. वीरचंद नथुभाई केराभाई मोरारजी शा. गेलाभाई गोपालजी शा. खमचंद गेलाजी अमदावाद. सेठ चमनभाई लालभाई सेठ बीमलभाई म आभाई सेठ कस्तूरभाई मणीभाई सेठ कालीदास उमाभाई गुजरात. सेठ लालभाई भोगीलाल शेठ मणीभाई दलपतभाई शेठ मणीभाई जयसंगभाई शेठ साराभाई डाआभाई अनोपचंद शेठ मगनभाई माहासुखभाई शा. शा. नेमचंद ललुभाई हाजी भोगी लल ललुभाई शा. हरीलाल प्रेमाभाई शा. ललुभाई रायचंद झवेरी शा. जमनादास सवचंद शेठ मोहोनढाल लुभाई शेठ लालभाई चुनीलाल शेठ दलपतभाई मगनभाई शेठ मोहोला भाई मुळचंदभाई शेठ साकलचंद मोहोलालभाई शेठ अमरतलाल वाडीलाल शेठ लालभाई श्रीकमलाल शा. अमरतलाल चुनीलाल शा. मुलचंद साकळचंद केसवलाल मगनलाल 19 "" साकळचंद रतनचंद ,, बालाभाई नथुभाई For Personal & Private Use Only Page #222 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १९७) ,, मणीलाल बालाभाई डॉक्तर जमनादास प्रेमचंद्र ,, डाह्याभाई उमेदचंद शा. डाह्याभाई नथुभाई , मनसुखराम रवचंद .. ,, हेमचंदभाई जेअचंदभाई ,, रावजी दोलतराम ,, भोगीलाल त्रीकमलाल , सुरजमल मंछाराम , छगनलाल ललुभाई ,, वाडीलाल छगनलाल ,, डाह्याभाई वरजीवनदास ,, हेमचंद हरीलाल ,, मोहोलालभाई मगनलाल ,, डाह्याभाई रणछोडदास हरीलाल मंछाराम ,, नाथाभाई हरगोवनदास ,, पोपटलाल ललुभाई वकील छोटालाल कालिदास | शा. फुलचंदभाई ककलभाई ,, परसोतमदास जेठाभाई ,, उमेदराम दोलतराम ,, रतनचंद छोटालाल ,, डाह्याभाई रतनचंद ,, शाराभाई वाडीलाल ,, डाह्याभाई चुनीलाल महासुखराम ललुभाई ,, मोतीलाल चुनीलाल ,, मफतलाल छोटालाल ,, डाह्याभाई मगनलाल , चुनीलाल गोकल दास भोगीलाल वीरचंद ,, चमनलाल नथुभाई , मंगलदास गगलदास मगनलाल ठाकरशी , छेनाभाई चुनीलाल . , छगनलाल बेहेचरदास ,, लल्लुभाई नथूभाई . चुनीलाल पीतांबरदास ,, डाह्याभाई प्रेमचंद वकील ,, खेमचंद दोलतराम , मनसुखराम उमेदचंद ,, मगनलाल रतनचंद शेठ फतेचंद चकलदास ,, मोहोकमभाई छोटालाल शेठ अंबालालभाई साराभाई शा. हरीलाल मगनलाल कंतरारी ,, मयाभाई नथुभाई ,, वाडीलाल त्रीभोवनदास ,, चमनभाई नगीनदास 1, वाडीलाल रायचंद . शा. नथुभाई दोलतराम ,, वाडीलाल कालीदास ,, प्रेमचंद परसोतमदास ,, गटाभाई चुनीलाल ,, बेहेचरदासं कस्तुरदास शेठ हरसदराय बालाभाई ,, रतनचंद मुळचंद वकील सोमाभाई हिराचंद . ,, वाडीलाल ताराचंद मेहेता चिमनलाल पोपटलाल For Personal & Private Use Only Page #223 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१५८) शा. वखतचंद उमेदचंद दलाल जेसंगभाई साकलचंद शा. मोहोनलाल चुनीलाल मेहेता चिमनलाल मोहोलाल शा. मणीलाल मुळचंद ,, केसवलाल बापुजी ,, छगनलाल भगवानदास फतेचंद प्रेमचंद त्रिभोवनदास धननी ,, डाह्याभाई हीराचंद , सांकरचंद दलसुखराम , भिखाभाई रतनचंद , मोतीलाल उमाभाई शेठ मोहोलालभाई मुळचंदभाई झवेरी साराभाई वाडीलाल मास्तर हीराचंद ककलभाई शा. हठीशंग दामोदरदास. कंट्राक्टर मगनलाल छगनलाल शा. परशोत्तम इच्छाचंद कंट्राक्टर लालाई मगनलाल शा. चुनीलाल जेठासा " डाह्याभाई मनसुखराम , सांकळचंद घेलाभाई , भोगीलाल तलकचंद " छगनलाल कस्तुरचंद . शेठ लालभाई दलपतभाई . गटाभाई मोहोकमलाल लालभाई मुळचंद मणीलाल मोहोलाल केशवलाल त्रीभोवनदास | मणीलाल छगनलालं जेसंगभाई मगनलाल वाडीलाल सांकळचंद हरीलाल मुळचंद धोळीदास दोलतराम केशवलाल गेहेलाभाई शेठ अमरतलाल वाडीलाल ,, केशवलाल मगनलाल ,, कीलाभाई उनमसी चोकसी , लालभाई हीराचंद शा. मंगलदास दोलतराम ,, भीखाभाई रतनचंद ,, रवचंदभाई छगनलाल , भगुभाई चुनीलाल ,, लखमीचंद लल्लुभाई ,, वाडीलाल मनसुखराम केशवलाल छगनलाल शा. बालाभाई हकमचंद ,, बालाभाई फतेचंद ,, मनसुखराम छोटालाल मणीलाल अमरतलाल , उमेदलाल दलीचंद , नानालाल मगनलाल वकील पोपटलाल अमथाभाई शा. चीमनलाल अमथाभाई मी. केशवलाल प्रेमचंद मोदी ,, चीमनलाल परसोतमदास ब्रोकर |, मोहनलाल गोकळदास For Personal & Private Use Only Page #224 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१५९) ,, माणेकलाल प्रेमचंद ,, दलसुखभाई लल्लुभाई , मणीलाल लल्लुभाई | भोळाभाई दलसुखभाई , जमनादास हीराचंद शा. रतनचंद छगनलाल जमनादास चुनीलाल , पोचाभाई गोकळदास , खेमचंद दोलतराम " मनसुखराम हरीलाल ,, डाह्याभाई हठीसंग ,, नाथालाल छोटालाल , पीतांबरदास मगनलाल , त्रीकमलाल हठीसींग , उत्तमचंद पानाचंद जवेरी साराभाई दलसुखभाई , सकरचंद लल्लुभाई मनोरदास शेठ मणीभाई बालाभाई , मणीलाल वाडीलाल ,, हीराभाई हठीसंग , खेमचंद मगनलाल जवेरी मोहनलाल डाह्याभाई , धोळीदास डुंगरसी शा. मोतीलाल रतनचंद ,, छोटालाल काळीदास वकील " भुदरदास उनमसी मनसुखराम नहानचंह ,, वाडीलाल नगीनदास हरीलाल हकमचंद शेठ साराभाई डाह्याभाई भीखाभाई परसोतम शा. लालभाई मगनलाल नगीनदास पानाचंद शा. मोहोनलालं छोटालाल वाडीलाल काळीदास झवेरी परसोतम चमनलाल बावजीभाई कुवरजीभाई शा. जेसंगभाई मगनलाल नगीनदास करमचंद , पोपटलाल कसळचंद सांकळचंद खेमचंद ,, जेसंगभाई छोटालाल फतेचंद दोलतचंद शा. हरगोवनदास ओतमदास. वाडीलाल लल्लुभाई शा. भोगीलाल सांकळचंद. नागजीभाई कुवरजीभाई शा. मोतीलाल ललुभाई. शा. डाह्याभाई नथुभाई शा. पोपटलाल मनसुखराम. ,, प्रेमचंद मनसुखराम शा. छोटालाल वीरचंद. , मोहनलाल मुळचंद शा. पुंजाभाई हीराभाई.. , फुलचंद करमचंद शा. पोपटलाल मोहकमचंद. , जेसंगमाई छगनलाल शा. मनसुखभाई अनोपचंद. , जेसंगभाई चकुभाई शा. बालाभाई ककलभाई. जवेरी छोटालाल लल्लुभाई | ललुभाई सुरचंद सेक्रेटरी. For Personal & Private Use Only Page #225 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१६०) चमनलाल वाडीलाल. शा. मगनलाल हठीसंग शा. जेसंगभाई मोतीलाल अमनगर. सेठ. वखतचंद कस्तुरचंद. शा. डोसल हाथीभाई. गांधी. चुनीलाल अमथाराम. , हकमचंद सीरचंद. शेठ. वाडीलाल मोहनलाल. वोरा. खुशाल पुंजाराम, वखारीआ फतेचंद मोतीचंद. शा. नाथालाल हाथीभाई. ,, मगनलाल केवलदास. , वखतचंद रेवाजी. , पानाचंद केशवजी. आकडोद. शा. बुंला ओटाजी. ,, देवा ओटानी. ,, मोती ओटाजी. ,, तोरा पनाजी. , हीराचंद नाथजी, आखज. शा. हरगोवन अमीचंद. ,, हरचंद अमीचंद. , तरभोवन लखमीचंद. ___ आंकलाव. , मलुकचंद हीराचंद ,, चुनीलाल गेलाभाई ,, जमनादास रागचंद , शुरचंद फुलचंद ,, खेमचंद नालचंद ,, भाईलाल प्रेमचंद ,, नाथा दयचंद ,, मोहनलाल उमेद आंट. | शा. भीखा नानाजी. ,, नेमचंद गोवनजी. " रायचंद भगवानजी. , कशन डाह्याजी... आवलीयारा. शा. रतन बंद हकमचंद काम दार उर्फे कारभारी. शा. अंबालाल गीरधरलाल रेविन्य कामदार. आमोद. नगीनलाल मोतोलाल आसोदर. शा. नागरदास वीरचंद ,, ललुभाई गगनलाल . इडर. वकील वर्धमानदास सरुपचंद हेमचंद छगन दोशी. दोसी छगन वर्धमान शेठ मोहनलाल नाथाभाई ,, दलसुख मुळचंद शा. भाईचंद पदमसी. ,, भवान पदमसी. , हेमचंद छगनलाल ,, वर्धमान सरुपचंद For Personal & Private Use Only Page #226 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १६१) उझा. ओड. शा. नगीनदास छगनलाल शा. बेचर सामळजी. , वाडीलाल नागरदास ,, छोटालाल गोवनजी. ,, चुनीलाल हकमचंद ओलपाड. ,, मूळचंद धरमचंद ,, सरुपचंद जेचंद शा. कस्तुरचंद मंनी. ,, लल्लुभाई मगनचंद ठा. भांडत ,, चुनीलाल मयाचंद तलाटी | वकील मगनलाल परशोतमदास __ बदामी. उनावा. ठा. ओलपाड. शा. माधवजी छगन, शा. हीराचंद गोवनजी. , नाहालचंद माधवजी. ठा. मंदरोई ,, जगजीवन केवलदास. शा. नवलचंद नानचंद. ,, मोहनलाल माधवजी. ठा. दामका. , हरगोवन लीलाचंद. कटोसण. उमता. मूळचंद जेठीदास शा. नगीनदास फतेचंद. लाडकचंद वीरचंद ,, डुंगरसी कस्तुर. त्रीकमलाल गोपाळ ,, परशोतम वखतचंद. मनसुखराम केवळदास उमेटा. मोतीराम जिवणदास शेठ. स्वरूपचंद छगाभाई. कठलाल , सकराभाई केशरीसींग. लक्ष्मीचंद करमचंद मास्तर शा. हाराचंद भाईचंद. कठोर. ,, हरजी हरखचंद, ,, रतनचंद साकरचंद. शा. मोहनलाल लखमीचंद 1, अमीचंद नाहानचंद. डाक्टर शा. छगनलाल उत्तमराम , रतनचंद नरोतम. शा. कपुरचंद नेमचंद शे. फुलभाई मानभाई. शा. चंद कस्तुरचंद शा, नरोतम हेमचंद. चमाराना. कडा ,, डाह्या त्रीभोवन. चमाराना. |, दोलतचंद सुरचंद For Personal & Private Use Only Page #227 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१६२) कडी करबाटीआ पीपळदर. शेठ जेठाभाई मनसुखभाई | मंगळभाई नथुभाई महेता. संघवी चुनीलाल जोइतादास करशमल. शा. नाथालाल दलसुख ललुभाई रायचंद. मणियार बलाखी प्रेमचंद कराडा जुगलभाई मोहनलाल शाह कडोद. फुलचंद जीवणजी. देवचंद नानाजी. शेठ मोतीचंद भलाजी मोतीचंद पेमाजी. , देवचंद जगनाथनी मगनीराम धुरानी. , मोतीचंद खेताजी रायचंद लखाजी... , झवेरचंद भगाजी जवरचंद जेचंद.. , झवरचंद मोतीजी ,, फकीरचंद ओपाजी __कलोल. , मोतीचंद देवचंदनी शेठ. गोवरधन अमुलख. ,, रणछोड भिखाजी मोतीलाल हकमचंद. शा. वीरचंद हकमानी कामरेज. " गुलाबचंद गोवनजी शा. खुशाल भगाजी. " कस्तुरचंद मोतीजी ,, हीराचंद भगाजी. कपडवणज. कालीआवाडी. शेठ प्रेमाभाई केवलभाई शा. रायचंद दुलभजी. मेहेता शंकरलाल छोटालाल गांडा भवानी. शा. वाडीलाल लीवाभाई शा. केसुरचंद प्रेमाजी. दोसी जमनादास खुशालदास , मुलचंद रतनानी. शा. हिराचंद नगीनदास ,, खुमचंद लखमा करजण. ,, फुलचंद चंबानी ,, देवचंद मोतीचंद शा. प्रेमचंद करशनदास , रायचंद वीरचंद , गुलाबचंद अमथा , अमीचंद लखमीचंद कावीठा. , प्रेमंचद जुठा शा. जवेरभाई भगवानदास For Personal & Private Use Only Page #228 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१६३) " रतनचंद लाभाजी काशंदरा. शा. अमथामाई पितांबरदास ., डाह्याभाई मुल चंद कीशनाड शा. मोहनलाल मनोरदास ,, अमरचंद सोमचंद्र कुकडीआ शा. अमथालाल रेवाचंद ,, धरमचंद बेचर ,, माणकचंद रेवानी ,, कालीदासं अमथानी , भाईचंद माणेकचंद __ कुकवाव मेता उकाभाई मानचंद शा. पानाचंद जेचंद - कुंवर डॉक्टर मोतीलाल मंछाचंद शा. न्यालचंद लाडकचंद झवेरी वाडीलाल मंछाचंद ,, जेठाचंद हेमचंद शा. पोपटचंद गोवींदजी कोठ नगर. संगवी हीमचंद परसोतम | शा. उनमशी ठाकरशी ,, हठीसंग गगामाई , जसराज हठीसंग मास्तर मोहनलाल नगीनदास शा. फुलचंद हीमचंद , चतुर गोकळभाई ,, मोहनलाल नगीनदास मास्तर , हरीलाल रतनशी ,, मफतलाल पोपटलाल शा. पोचालाल रघुनी ., उतळीआवाळा हरीलाल खाम__ चंद कोसंबा. शा. छोटालाल मोहनलाल ,, प्रेमचंद नहानचंद ख्वात. नगरशेठ दलपतभाई दीपचंद शेठ पोपटभाई अमरचंद ,, बकोग्दासः पीतांबरदास दीपचंद पानाचंद वखतचंद कशळचंद वीरचंद कस्तुरचंद दीपचंद फुलचंद दलसुखभाई फुलचंद वाडीलाल छोटालालः पोपटचंद मुळचंद देवचंद . रणछोडदास मुळचंद केरवाडा. शा. हरीचंद हरलोचंद ,, रतनचंद सवाईचंद पारेख ,, वमलचंद मलुकचंद पारेख । " नाथा मलुकचंद For Personal & Private Use Only Page #229 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खेडा. खेरालु. ( १६४) पुंजाभाई सुरचंद | शा. भाईलाल सुरचंद मोतीलाल कशळचंद खेरवा. नगीनदास साकळचंद शा. केशवलाल पुंजाभाई ,, रणछोड लालचंद शेठ भाईलाल अमृतलाल ,, मोहनलाल देवचंद शेठ माणेकचंद रतनसी शा. बालाभाई कांनदास शेठ रायचंद केवलसी शठ खेमचंद वीरचंद शा. मोतीलाल फुलचंद मेता टोकरलाल छालाल शेठ बालाभाई भाईलाल शेठ मंगळनी भीखाभाई शेठ रतनशी हरगोवनदास | मेता हठीसंग त्रीभोवनदास शेठ छोटालाल त्रीकमदास शेठ गोपाळ छगनलाल शेठ मोहनलाल प्रभुदास मता पुरशातम लल्लु शेठ चुनीलाल मगनलाल दोसी रवचंद मंगळजी शेठ हरगोवनदास कसनदास मेता फकीरचंद टोकरलाल पटेल वाडीलाल हरगोवनदास । ,, कालीदास लल्लु शेठ नानालाल वीरचंद ,, बाधर हाथी , सोमचंद छोदालाल दोशी नाहलचंद पानाचंद ,, छगनलाल आशाराम महेता शंकरलाल सवचंद , रतीलाल मोहनलाल सेक्रेटरी दोसी मगनलाल मंछाराम , सोमचंद पानाचंद मेता रतनचंद बलाखी , मनसुख जसराजसी गणदेवी. ,, मणीलाल कहानदास शा. माणेकलाल नरोतमदास ,, छगनलाल दीपचंद झवेरी ,, छोटालाल नथुभाई गंभीरा. ,, सकरचंद अचिंद शा. आशाराम फुलचंद , वाडीलाल डाह्याभाई ,, नाथाभाई हरीलाल ,, मोहनलाल मोतीलाल ,, हिराचंद केशवनी , सुरचंद डाह्याभाई , पीतांबर फुलचंद शेठ मोहनलाल कहानदास ,, लालचंद प्रभुदास For Personal & Private Use Only Page #230 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गरा. छगनलाल लखानी शाहा । गवाडा. शा. मोतीलाल हीराचंद ,, मोहनलाल शवचंद वखारीया कालीदास साकळचंद शा. हकमचंद सांकळचंद __ गांगड. शा. दीपचंद हीराचद ,, छगन डुंगरसी वोरा भाखा छगनलाल सलोत डाया झवेरचंद ,, वालनी संघजी शा. सकरचंद चुनीलाल गुंजा. दोसी रायचंद ललुभाई ,, हठीसंग अनोपचंद शा. हकमचंद ललुभाई गुंदी. शा. चतुर गोकळ गेरीता. शा. साकरचंद सुरचंद मोदी त्रीभोवनदास देवचंद । शा. मगवनलाल अखेचंद ,, देवचंद अनोपचंद ,, मंगल नांनचंद गोधावी शा. परशोतम डायाभाई. ,, प्रेमचंद पुनम देसाई ,, पीताबर झवेरचंद , केशवलाल छगनलाल ,, सांकळचंद उमेदचंद ,, प्रेमचंद जोइताराम ,, हरीलाल वीरचंद घडीया. शा. नगीनदास माणेकचंद । ,, पोपटभाई खीमचंद ,, चुनीलाल अमीचंद चांदोद. शा. दोलत पीतांबर जसाणी अमृतलाल मुळचंद चुणेल. शंकरलाल वीरचंद मंगलदास रायचंद कालीदास केवलदास छोटाउदेपुर. शा. छोटालाल चतुरदास ,, पुनमचंद प्रागचंद ,, शंकरचंद अमुलखदास जघडीआ. शा. मोहोलाल हीराचंद ,, छगनलाल कशळचंद For Personal & Private Use Only Page #231 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १६६) जंबुसर. शा. गोरधनदास बेहचरदास " मंगळदास खुबचंद जलसण. शा. छोटालाल रईनीशा , लल्लुभाई वस्ताजी जलालपोर. शा. फुलचंद रामानी ,, डाह्या रामजी ,, नेमचंद रामजी , फुलचंद गोपाळनी जेतलपुर. शा. मगनलाल रायचंद , प्रेमचंद वरधमान झणोर. शा. सुबचंद पानाचंद , ब्रजलाल दीपचंद ,, हिमचंद मोहनलाल झांझरवा. शा. बालचंद रतनशी वोहोरा मगन जेमल टीटोइ. दोशी गुलाबचंद लीलाचंद मोदी मगन त्रीकम पखि मुलचंद खेमचंद गांधी कोदरलाल मुलनी ,, मगनलाल वेणीचंद वहोरा रेवचंद गिरधर टेटुदाणा शा. कालिदास नागरदास ,, सुरचंद उमेदराम ,, कीसोरदास बेहेचरदास ,, मोसनलाल हाथीभाई थान. संघवी उनमशी दलीचंद दासज. गांधी बलाखीदास माणेकचंद शेठ मोहनलाल हकमचंद गांधी मुळचंद माणेकचंद शेठ अंबालाल रवचंद , गोकळदास पुरशोतम दाहोद. नाजर जेसींगभाई ठाकरशी (अम. दाबादवाळा ) . देकावाडा. शा. डोसाभाई हेमचंद देहेगांम. तलाटी मथुरदास छगनलाल शा. वाडीलाल नाथाभाई ,, छगनलाल मोतीचंद कामदार परीख आशाराम नाहालचंद तलाटी छगनलाल खेमचंद शा. नरोतमदास विमचंद ,, चुनीलाल नारायणदास , केशवलाल गुलाबचंद , प्रेमचंद धरमचंद For Personal & Private Use Only Page #232 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नीकोरा. ( १६७ ) ,, हरगोवन गोवरधनदास नार. ,, केशवलाल मगनलाल शा. ललुभाई तलकचंद , चुनीलाल मनसुखदास ,, खीमचंद ओगडचंद देहेज पटेल शंकरमाई जेठाभाई हरीचंद माणकचंद ,, मुळ नीभाई इंगरभाई धरमज. ,, वाघनीभाई शंकरभाई शा. हीराचंद बकोरदास ,, मनोरभाई गणेशजी ,, लल्लुभाई भाईजीभाई , गीरधरभाई गणेशनी ,, भाईलाल दलीचंद शा. तलकचंद पीताम्बर ,, मइजीभाई नरोतमदास , बापुलाल अम्मरचंद ,, मथुरभाई ललुभाई परतापनगर. ,, आशाभाई माणेकचंद शा. मोहोलाल हीराचंद , रायचंद गरबडदास ,, प्रेमचंद नंदलाल नडीयाद. ,, हरीलाल नेमचंद , बेचर हीराचंद मास्तर झवेरभाई गरबडभाई ,, वीरचंद बेचरदास शा. हिराचंद कीलाभाई प्रांतीज. पा. ललुभाई मथुरभाई डाह्यालाल दलपतराम नडोद. मणीलाल चतुरभुन शा. दीपचंद गुलाबचंद पोचालाल डुंगरसी जगा भगवानजी केसवलाल त्रीकमदास शा. पानाचंद खेताजी हीमतलाल फुलचंद मगनलाल गोवरधनदास नरसंडा परीआ शेठ चुनीलाल ताराचंद शा. रायचंद केसुरजी शा. मगनलाल वसराम , वीरचंद पानाजी ,, दलपतभाई मानचंद पाटण. , भाईलाल दलीचंद शे. हेमचंद वस्ताचंद ,, मथूर बापूजी , पुनमचंद करमचंद नापाड. ,, मंगळवंद उतमचंद शा. फुलचंद दीपचंद | शा. हालाभाई मगनचंद For Personal & Private Use Only Page #233 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १६८) ,, रामचंद नगीनचंद पेटलाद. ,, ललुचंद वस्ताचंद शा. खीमचंद कीलाभाइ , पेमुशा उनमचंद ,, चतुभाइ खुवचंद वकील वाडीलाल वीरचंद , पानाचंद लालचंद ,, मगनलाल हरीचंद ,, छोटालाल गुळवंद ,, रतनचंद वस्ताचंद ,, छगनलाल खीमचंद शे. पानाचंद अचंद पेथापूर. ., वाडीलाल पानाचंद मेता केशवलाल हठीचंद शा. वीरचंद रायचंद ,, चंदू बाल हाथीचंद संधवी ललु सरुपचंद वकील डोसलचंद जमनादास शा. चुनीलाल मगन शा. सोमवंद नाहाळ चंद शोडशरा नगीन मगन परी चंदूलाल छोटालाल शा. नगीनचंद झवेरचंद ,, वाडीलाल हीराचंद शा. चुनीलाल गोपाळदास ,, नगीनदास पुनमचंद पालणपुर. | गांधी मणीलाल रवचंद महेताजी हाथीभाई ईश्वर मेता सकर चंद कालीदास कोठारी सोभागचंद वेलुभाइ | मेता मकाभाइ ललुभाई परी. दलछाराम रामचंद कीनखाबवाळा बालाभाइ गटाभाइ मेता अमथालाल टेकचंद दोसी मगनलाल ककलभाई शा. मनसुखभाई रवचंद वकील ककलभाइ लवनीभाइ परी हिरालाल मोतीचंद वकील हाथीभाइ माणकलाल बदरखा. पीडापा. शा. फुलचंद भीखाभाइ काळीदास रणछोड ,, डुंगरभाइ छगनलाल मोतीलाल लल्लु , मणीलाल डाह्याभाइ झवेर छगनलाल पुंजाभाइ झवेर पांपळी. , माधवलाल गोतमदास शेठ वाडीलाल गगाभाइ त्रीभोवन पोपटलाल शा. बकोर प्रेमचंद केसवलाल भीखाभाइ For Personal & Private Use Only Page #234 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १६९ ) बरवाला. वोरा उजमसी लाल बंद मेता वनमाळी झवेर भेता अमृतलाल देवचंद शा. धनजी हीराद बारडोली. शा. जीवण देवाजो ५. कस्तुरचंद लखमानी ,, नरसई हरजी ,, मंछु उमाजी ,, गुलाबचंद केसवनी बारेजा. शा. फकीरचंद केवळदास ,, देवचंद दोलाभाइ ,, चुनीलाल अनोपचंद , खेमचंद मंछारांम ,, गगलभाइ रायचंद ,, वाडीलाल ओघडभाइ 1, चुनीलाल दलीचंदः . . " मगनलाल जेसंग ,, त्रीमोवन पितांबर पारीख छाटालाल बापुभाई शा. मगनलाल जवेरदास ,, भोगीलाल भाईलाल बौधान. गमनानी खुशालनी पेमाजी कसनजी . झवेर जीवाजी मोती चंदाजी पना खुशालनी भरुच. अनुप वेद मलुकचंद माणेकचंद लखमीचंद शा. अमरचंद जगजीवनदास नाहनचंद लखमीचंद दाहाभाई दलपतभाई शा. छगनश्चल खुबचंद ,, छगनलाल नाहनचंद ,, मुलचंद जीवचंद , रतन चंद केसवजी भान्डु. शा. मुलचंद मगनलाल भात. शा. गिरधर मनसुख ,, नागरदास मगनलाल ,, रतनचंद लक्ष्मीचंद भालक. शा. भुदर जीवराम | पटवा सांकळचंद हीरालाल शा. केव दास सुंदरजी बोर सद. सुरञ्चन हरगोवनदास फुलचंद नाथाभाई मनसुख नानद नाथाभाइछगनलाल हरीलाल जेसंगभाई शा. मगनलाल हरगोवनदास ,, कीलाभाई जेठाभाई ,, फकीर चंद त्रीकमदास ,, मोतीलाल हरमोवनदास , मोतीला तलकचंद For Personal & Private Use Only Page #235 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १७० ) शा. नाहलचंद छगन ,, मणीलाल सुरचंद भालेज. शा. बापुजी सीवदास ,, छगनलाल नरोतमदास , द्वारकादास वनमालीदास ,, केवलचंद गीरधरदास गोरधन मगनलाल , केवळदास मुनादास महीज. शा. कचराभाइ नाथाभाइ , छोटालाल कुंवरजीभाइ महुधा. परी ललुभाई मगनलाल शा. जीवाभाई बोधाभाई परी अंबालाल नगीनदास देसाई ठाकरसी डाह्याभाई शा. शंकरलाल पानाचंद दोसी सामलदास मुलजीभाई देसाई अनोपचंद माणेकचंद दोसी बालाभाई वीरचंद परी ललुभाई जेवंदभाई महुवा. शा. बेहेचर दुलवदास महेरवाडा शा. कालीदास हरखलाल , डोसा मगनलाल , मालाल मगनलाल , जीवराम करमचंद , हीराचंद करमचंद ,, पुजीराम बेचर ,, नागरदास भाई चंद बोहरा ललु गुलाबचंद मांगरोलवाधरी. शा. हरजीवन राजाजी ,, सांकर चंद फुलचंद ,, मगनलाल लक्ष्मिचंद ,, छगनलाल झवेरचंद , दुराजी नंदानी . ,, दीपचंद तलकचंद माडोधर. शा. चुनीलाल ललु " सवइ नरोतमदास ,, नगोनदास मोहोलाल माणसा. शा. हाथी मुळ वंद ,, बलाखीदास संरुपचंद , बालचंद अनोपचंद ,, माधा अमथानी , सरुपचंद मया चंद ,, चकालाल जेचंद ,, छगनलाल वाहाळचंद , भुदर अमुलेख ,, छगनलाल गुलाबाचंद , सरुपचंद उगरचंद ,, माणकेलाल नेद , जिवराज रवचंद ,, कालिदास वेणीचंद ,, हीमचंद जेठाराम वकील मनसुखराम मुळचंद For Personal & Private Use Only Page #236 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१७१) के सवलाल साकळचंद शा. जेचंद तरभोनदास , प्रतापचंद फुलचंद ,, माणेकलाल दीपद , पसतोतम हीराचंद मांडल. शेठ. शवचंद धरमशी शा. हीरावंद धरमशी ,, लखमीचंद छगनलाल दोशी मोहन त्रोकम ,, ताराचंद चतुर शा. मगन परशोतम दोशी नाहनचंद नागजी मातर. शा. मनसुख कस्तुरचंद ,, घेलामाइ खुसालदास ,, कालीदास धरमचंद ,, पानाचंद कपुरचंद , फुलचंद पीतांबरदास • मीयांगाम. शेठ नेमचंद पीतांबरदास शा. धरमचंद केवळदास ,, कल्याण चंद पीतांबर ., कीकाभाइ दलसुख दोशी वरजलाल दुलवदास शा. लालचंद वरजलाल ,, हीमचंद भगवान मुजपर. वृजलाल सवचंद हरगोवद रणछोड | गलाबचंद शीवलाल दीपचंद नरसीदास चुनीलाल मोहोलाल मुंढेरा. गांधी मोहनलाल मुलचंद दोशी परशोतम हरचंद मणीआर सवचंद साकरचंद शा. त्रीकमलाल मगनलाल दोशी खेमचंद देवचंद , ललु पानाचंद मेऊ. शा. डुंगरदास देवचंद ,, खोडीदास फतेचंद ,, मगनलाल दीपचंद मेसाणा. परसोमतदास वस्ताराम डाह्याभाइ काळीदास परसोतमदास गोतमदास कस्तुरचंद वीरचंद अमथालाल घेलाभाइ दलीचंद हीराचंद मुलचंद हरगोवनदास उतमचंद परभुदास रवचंद वजेराम ललुभाई किसोरभाई रामचंद्र हरगोवन गलाबचंद बेचरदास हालाभाई उगरचंद परभुदास राअचंद जयचंद दीपचंद For Personal & Private Use Only Page #237 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १७२ ) नाहालचंद माणेकचंद लाडोल. शा. मुलचंद अमथाराम शा. नथुभाई जेठाभाई परीख परभुदास जेसंगदास , चुनीलाल दलीचंद गांधी दलछाराम झवेरदास लींच. शा. ललुभाई उमेद।म शा. हठीसंग रतनचंद , पोपटलाल काळीदासः ,, भायचंद जेठीदास ,, माणकलाल काळीदास ,,रवचंद मानचंद बोहरा छोटालाल माणकचंद ,, मनसुख छगनलाल शा. केणीचंद सुरचंद लिंबोदरा.. ,, कस्तुरचंद वीरचंद शा. प्रेमचंद ताराचंद - अंबालाल मोतीलाल , शरुपचंद ललुभाई , हालाभाइ गुलाबचंद , ललुभाई हरीचंद ,, माणकचंद उगर चंद , नगीनदास गिरधर मोगर. लीभेट. शा. जिवाभाई हरीभाई , भाईचंद कस्तुरचंद शा. झवेरचंद देवानी , केसवलाल भिखाभाई , हीराचंद राजाजी ,, मणीलाल गिरधरभाइ लुणवा. राणपुर. शा. डोसाभाई उगरदास शा. वीरजी कुंवरजी ., नाथालाल जेठाराम " मणीलाल ललुभाई ,, चुनीलाल माधवलाल दोशी पोपटलाल सुर चंद ,, दलछाराम छगनलाल शा. व्रजलाल दीपचंद वटादरा. दोशी. मोहनलाल सुरचंद शा. फल चंद अभेद रांदेर, , सोभाग्य कीशोर शा. फकीरचंद मेलापचंद ,, चुनीलाल मुळजी ,, छगनलाल केवळचंद ,, कपुरचंद कुवरजी ,, छगनलाल डाह्याभाई बडनगर ,, लल्लुभाई डाह्याभाई सेठ फतेचंद सांकळचंद , ताराचंद खुसालचंद । पारी नगीनदास वरधमानद For Personal & Private Use Only Page #238 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १७३ ) वाहांज. मेता भीखाभाई जीवराज शा. नगीनदास जेठाभाई , नरोतमदास मगनलाल ___ वडाली दोसी अखेचंद फुलचंद मेता कोदर गेहेलाभाई धरु डाह्या नरोतम वरण. शा. चतुर फुलचंद वलण. प्रेमचंद नरोतम वलाद. शा. खेमचंद्र पीताम्बरदास ,, नागरदास ताराचंद वसो. शेठ मुलचंदभाई सुरचंद शा. जेठाभाई नरोतमदास ,, डाह्याभाई लालचंद . वालवोड शा. रुगनाथ दीपचंद वावोल सोमचंद भगवानदास केशवलाल भगवानदास ल्हेरचंद मलुकचंद वेदशी झोकम मोतीलाल हकमचंद शा. खुमा लखमानी ,, कपुरा खुशादजी ,, डाहाभाई देवाजी ,, फकीरचंद नानचंद ,, नाथाभाई डाहाभाई ,, लखमां जेठानी विजापुर. ललुभाई जीवराज कालीदास सुरवंद वकील नगीनदास जेठाभाइ शा. मंगळदास मगनलाल .,, छगन मोतीचंद नगीनदास झवरचंद दोसी नथु मंछाचंद शा. रोखवदास अमुलख वकील ,, बेहेचर पुरोतम भीखाभाई ललुभाई .. विरमगाम. शेठ छगनलाल चतुरदास ,, ललुभाई मावजी , परसोतम मलुकचंद ,, डोसाभाई वीरजी , कचराभाई कस्तुरचंद ,, हकमचंद नथुभाई झवेरी उजमशी वीरचंद शा. हकमचंद शांतीदास ,, तलकसी करमचंद ,, केशवजी राजपाळ मास्तर रतनचंद मुळचंद वासद. शा. कालीदास मगनलाल ,, वीरचंद छगनलाल For Personal & Private Use Only Page #239 -------------------------------------------------------------------------- ________________ शिनोर.. ( १७४ ) पारेख छोटालाल त्रीकमलाल | शा. केशवलाल छोटालाल झवेरी धनजीभाई छगनलाल ,, छगनलाल मनसुखराम गांधी वाडीलाल हठीसंग गांधी वाडीलाल काळीदास शा. परसोतम लालचंद शा. दली द बहेवर वोरा वाडीलाल परसोतम , सांकळचंद छगन वीसनगर. साठंबा. शठ मणीलाल गोकळभाइ शा. अमरतलाल नाथजी ,, महासुखभाइ चुनीलाल ,, म नलाल देवचंद ,, मनसुखलाल सुरजराम ,. करसनलाल मोतीलाल शेठ बेचर हरमोवनदास झवेरी मोहनलाल छगनलाल ,, गुलाब चंद मणीराम ,, जमनादास छगनलाल ,, मोतीचंद धरमचंद शेठ नगीनदास केशरीराम ,, नंदलाल लालचंद ,, व्रजलाल छोटालाल ,, गुलाबचंद शीवलाल वेजलपुर. नगर शेठ हरगोवन नरोतम दोशी दलसुख काळीदास शा. नरोतमदास शंकरदास गांधी शंकरलाल दोलत ,, नाथाभाइ नरोतमदास माहासुख नाथजी ,, ललु नरसीदास नाथजी मोरारजी ,, हरगोवन वरधभान गांधी माहासुख मगनलाल ,, हरगोवन नरोतमदास ,, माहासुख वसनजी ,, अमरचंद धरगचंद ,, छोटालाल पाना बंद शा. मगनलाल ललुभाइ ,, माणेकलाल जेचंद ,, नहानचंद हरगोवन रामनी ,, गरबड शीवलाल शा. अमरचंद जेठाभाइ ,, फुलचंद शीवलाल , दलपत लखमीचंद ,, प्रेमचंद नंदलाल साणंद. सरसपुर. शेठ उजमशी मुलचंद गांधी मुळचंद मनसुखराम गोविंदजी उमेदभाई ,, अंबालाल गीरधरलाल मोहनलाल पदमशी ,, झवरलाल भानाभाई मगनलाल हठीसंग For Personal & Private Use Only Page #240 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राघवजी अमृतलाल पदमशी जेठा भाई ता वाडीलाल खुशाल शेठ गुलाबचंद गगलभाई मेता रायचंद रवचद शा. त्रीभोवन मलुकचंद ,, रवचंद कालीदास सरखेज. सा. मगनलाल गुलाबचंद रतनचेद राघवजी जेचंद दलसुखराम सरभोडा. "" "" शेठ जवेरचंद रुपाजी पदमाजी नाथजी "" " गजा प्रेमाजी सांतळपुर संघवी रायचंद सांकळचंद मकनजी फुलचंद प्रेमचंद सांकळचंद सायण "" "" शा. मलुकचंद लखमीचंद पानाचंद नाहानचंद भोगीलाल दलीचंद "" "" सारसा शा. जीभाइ गुलाबचंद भाइ नरोतमदास सीतापुर 97 शा. वाडीलाल मगनलाल " चुनीलाल पुरुषोतम ( १७९ ) सीधपुर. गांधी मुलचंद उमेदराम बेहचर उमेदगम छगन उमेदराम "" 22 पारेख अमथालाल मगनलाल भावसार वीरचंद लवजी सीसोदरा. शा. मोतीचंद दलाजी " सरदारमल अमचंदजी फुलचंद खुसालजी भगवान चंदाजी पेमा वधाजी "" "" "" सुणाव. शा. चुनीलाल जेसंगदात पटेल. उमेदभाइ जेठाभाइ सुरत. डाक्टर पोपट लालभाई सुरचंद परशोतमदास बदामीआ मि. मगनलाल नवलचंद कोका भाई सुरचंद डाह्याभाई चुनीलाल हीरानंद जीवणजी भाईलाल छगनलाल शा. कपुरचंद मेलापचंद रीवाल जेचंद नरोमदास हीराचंद चमनलाल वजेद मोतीचंद ताराचंद दा. अनुपचंद "" शा. नवलचंद मोतीचंद "" 33 शा. गुलाबचंद हीराचंद नवलचंद घेलाभाई हथोडा. शा. मुळचंद फुलचंद पुनमचंद रायचंद "" "2 For Personal & Private Use Only Page #241 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१७६) काठीयावाड. अखी आणा डुंगरशी चतुर्भुज शाह अगत्राइ शा. मेघनी शामजी अजाब शा. जीवण लखमीचंद , रवजी मुरारजी , काआ मणी देवकरण प्रागनी - अमरेली मेता हंसराज मावनी , त्रीभोवन जसराज घरु हेमचंद झीणा शा. वीरचंद जीवाभाइ उबराळा शा. माणकचंद फुलचंद ,, जेठालाल कुवरजी ,, छगन मेराज ,, छगन पीतांबर कुंडळा सा. सामनी सुरचंद रा. मुळनी गोबर दोसी कंवरजो वीर ,, खुसाल श्यामनी जादवजी जेराम __ गोघा. परेख छोटालाल ओधवजी सोनी नीआलचंद लखमीचंद सा. केशवलाल रतनना मी. रायचंद लुभाइ शा. केवळंचद दालतचंद वोरा लालचंद हाराचंद. जामनगर. शा. नाराणजी त्रीकमनी शेठ गलाबचंद संघराज झरी ताराचंद प्रागजी शा. काळीदास मुळनी ,, काळीदाप्त नेमचंद ,, कस्तुः कुशळचंद ,, प्रेमचंद जेचंद ,, डोसाभाई कुवरजी बकील चतुर्भुज गोवींदजी ,, चतु दास घेलाभाई पास्तर जगजीवनदास मुळनी शा. पानाचंद काळीदास मेता खीमचंद हीराचंद ,, वीरजी वारपाल शठ गोविंदनी डोसाभाई जुनागड सा. वीरचंदभाइ त्रीभोवनदास सेठ हरखचंद जेचंद | मास्तर दोलतचंद पुरषोतम कुतीयाणा मोहनलाल गभरुचंद For Personal & Private Use Only Page #242 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आणंदजी हरजीवन वकील नागजी मदजी रा. खुसाल आणंदजी जेसर दोसी जुठा नेमा " 99 "" मो. प्रेमचंद चंद लालचंद काळा मेघजी वेला हीराचंद नागजी M जोडीया मेता रामजीभाइ हंसराज संघवी डाया डामरदास लोरिया माणेकचंद मोरार मेहता मणीलाल वखतचंद सा. प्रेमचंद मुळचंद ठलीआ, दोसी भगवान परसोतम दीपचंद जेराज "" सा. प्रागजी सामजी 23 टीकररणनी महता खोडीदास प्रेमजी सा. माणेकचंद बेचर "" शेठ हरजीवनदास भीखाभाइ शा. हीराचंद ताराचंद केशवलाल मोतीचंद सामजी कलाण तळाजाबंदर त्रापज. वारीया नारण झवेरजी ( १७७ ) धामी हीराचंद धनजी वोरा जसराज हरजी वाया धरमशी झवेर वालजी विठ "" शा. हीराचंद हरजी त्रीभोवन फुलचंद वारीया रणछोड दिपाजी थान संघवी उजमसी दलीचंद कुंवरजी हंसराज दबासंग. सेठ राइसी लाखाणी वीरपाळ हीराणी मेपा पेथराज "" "" 39 79 99 थानगढ कानजी मेपा काळीदास खेतसी जादवजी पानाचंद देवला. दोशी मुळचंद माला शा. केशवजी मोहन दोसी लालचंद ओधवजी "" गोवरधन अमरशी धोराजी. शा. माणकचंद करसनजी ध्रांगधा. वकील उजमसी खीमचंद शा. छगनलाल नानचंद गांधी सुखलाल कस्तुर " भुरा पोपट For Personal & Private Use Only Page #243 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उजमशी भुदर 77 शा. हरीलाल जेठा भाई धोल. शा. माणेकचंद मुळचंद निगाळा. शा. नागर जसराज जेमल चकु 99 भगवान वलभ 99 शा. रायचंद जीवराज पालीताणा. शेठ कीसनचंदजी हरिलालजी शा. कस्तुरचंद वीरचंद शा. वेणीचंद सुरचंद परमानंद मुळचंद बाळाभाई दलसुख धरमसी गोविंदजी नारणजी अमरसी "9 " महासुखलाल परमानंदजी हरीचंद करसन "" "" "" "" "7 "" बालाभाई गीरधर हठीचंद रतनचंद पोरबंदर. नागरदास जगजीवन कल्याणजी मोहनजी रुघनाथ मुळचंद प्रेमजी धरमशी हीराचंद वशनजी शा. वलभजी हीरजी ( १७८) बजाणा. रा. रा. मोहनलाल जीवणलाल अमृतलाल छगनलाल 17 बलदाणु. सा. अमथालाल भाइचंद सामजी देवसी "" बाळंभा. महेता त्रीभोवन कुंवरजी बेला. पारेख डोशाभाइ रामजी दोशी ताराचंद प्रेमचंद बोटाद . बगडीया ललुभाइ भाइचंद सलोत छगनलाल मुलचंद सा. केशवाल वेलसी सा. सवचंद पानाचंद देशाइ हरखचंद चतूर भावनगर. वोरा अमरचंद जसराज हठीसीग झवेरदास " दोशी कुंवरजी आनंदजी शेठ रतनजी वीरजी शा. राइचंद हीराचंद ,, जुठाभाई वालजी वोरा ताराचंद ठाकरशी त्रीभुवनदास भाणजी "" " अमृतलाल परशोतमदास वारा गोवरधन हरखचंद मास्तर नानचंद बहेचरदास For Personal & Private Use Only Page #244 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १७९ ) , मोतीचंद झवेरचंद ,, जीवरान ओधवजी वकाल परभुदास मोतीचंद , मुळचंद नथुभाइ , बकोरदास ककलशा वोरा जुठाभाइ सांकळचंद शा. झवेरभाइ भाइचंद संघवी पोपटलाल नेमचंद शा. जगजीवन वरधमान शेठ दीपचंद गांडा शा. करसनजी डाह्या , फुलचंद मीठा ,, शा. धनजी त्रीकमजी मास्तर लखुभाइ भायचंद शा. मणीलाल हठीसंग वोरा नरोतम गोरधन शा. लीलाधर चांपशी ,, जीवराज भीखाभाइ मास्तर लखुभाई भाईचंद शा. माणेकलाल हठीसंग वोरा नरोत्तम गोरधन शा. लीलाधर चांपसी पारेख शामजी रामजी ,, दुलभजी रुगनाथ शा. दुलभजी हाउजी , नरसीदास गांडाभाई नरसीदास जगजीवन गांधी जमनादास अमरचंद शा. नरोत्तम हरजीवन कापडीया उत्तमचंदं गरिधर शा. रायचंद फतेचंद ,, लक्ष्मीचंद जीवराज कापडीया नेमचंद गीरधर | नानचंद बेचादास दोशी मोतीचंद झवेरचंद मेहेता जिवराज ओधवजी शा. गुलाबचंदनी आणंदनी गांधी वल्लभदास त्रिभोवनदास शा. भाणनी गुलाबचंद शा. प्रेमचंद फतेचंद संघवी मणीलाल धेलाभाई । सलोत जगजीवन फुलचंद वोरा वेलचंद साकरचंद शा. कुंरवनी आणंदजी शा. रतनजी वीरजी शा. अमरचंद घेलाभाइ शा. गीरधरलाल देवचंद मास्तर नानचंद बेचरदास शा. गिरघरलाल आणंदजी मास्तर जिवराज ओधवजी शा. भूवनदास भाणजी ,, मोतीचंद गीरघरलाल ,, मोतीचंद ओधवजी ,, जवेरभाई भाईचंद , डाह्यालाल हकमचंद ,, ठाकरसी पदमसी . , भगवानलाल हरजीवन , परभूदास रामचंद शंघवी नानचंद कुंवरजी वोरा नरोतम हरखचंद . For Personal & Private Use Only Page #245 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १८०) शा. नानचंद हरीचंद , मुळजी रामजी वकील भूळचंद नथुभाई मुळी शा. दामोदरदास हरजीवनदास | शा. जेचंद वेलसी , जगजीवन धरमचंद ,, मगनलाल चतुर वोरा गिरधरलाल गोरधन ,, हरजीवन शामजी ,, जुठाभाई साकरचंद कोठारी भुदर पुरषोतम महवा. दुलभजी जेचंद शेठ गांडालाल आणंदजी माणेकचंद पानाचंद दोशी अभचंद झवेर सांकरचंद मगनलाल , जादवजी वालजी | मोहनलाल फुलचंद घांची भाणजी आणंदनी ___ मोरबी प्रोफेसर नथुभाई मच्छाचंद संघवी काननी सुंदरजी पोरा दुभ लखमीचंद रायचंद लखमीचंद शा. दुर्लभदास प्रागजी राजकोट. वासा लखमीचंद दीयाळ संघवी माणेकचंद हंसराज रा. रा. वकील तुळशीभाइ डाह्याभाइ दोसी कपुरचंद झवेरचंद रा. रा. जसाणी गुळचंद देवसी शा. परमानंददास मुळचंद राणपुर. दोसी परमानंद अभेचंद शा. उजमसीभाइ पुरुषोतमदास , नथु रवनी ,, जगजीवन नेमचंद शा. बेचर कालीदास मोदी छगनलाल त्रीकमदास संघवी नागनी कमळसी शा. डुंगरसी दीपचंद दोसी अमरचंद गलाबचंद ,, मणीलाल वरधमान शा. वनमाळी गंभीर ,, व्रजलाल दीपचंद ,, कला सूरचंद लखतर. मांगरोळ संघवी नेणसी फुलचंद शेठ छोटालाल प्रेमजी मेहेता वल्लभदास नेणसी , प्राणलाल वलभजी लाठीदड. । हेमचंद अमरचंद । संघवी पुरुशोत्तम भुदर For Personal & Private Use Only Page #246 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १८१) वथली. वळा. लालपुर. मोतीचंद पानाचंद लाधाभाई जीवणजी शा. सवनी कचरा लीबडी. गुलाबचंद जीवाभाइ महेता दोसी. केसवलाल लालचंद वांकानेर. शा. पोपट गुलाबचंद मेता खोडीदास बाबजी ,, हरखचंद झवेरचंद शा. अनोपचंद गुलाबचंद परी. भीखाभाइ सोमचंद मेहेता नानचंद मणीचंद शा. अमुलख चंदरभाण बढेरोआ माणेकचंद डुंगरसी वोरा मोहनलाल नानचंद मेता मोहोनलाल अमरचंद पारी. उमेदचंद नानचंद शा. दीपचंद कडवा वकील हरखचंद सुंदरजी | मेता परशोतम जगजीवन वढवाणकांप. मेहेता सोमचंद पुंजाभाई वकील मुलचंद चतुरभाइ 1., रेवाशंकर सोमचंद , जीवणलाल फुलचंद | दीपचंद मकनजी , खसा चंद लखमीचंदभाइ | तेलीया मुळजी नेमचंद , हरखचंद हेमसीभाइ शा. वालम फुलचंद शा. न्याळचंद तीकमलालभाइ ,, जीवराज डुंगरसी वढवाण सीटी. , अमीचंद झीणाभाइ शेठ ओघडदास ठाकरसी मास्तर खेतसी पानाचंद | शा. त्रिभोवनदास मंगळजी कोठारी नागरदास उमेदचंद , ताराचंद नथुभाई ,, छगनलाल जेराज वढवाण शहेर. शेठ ओघडदास खेतसी शा. नारणनी अमरसी दोसी वखतचंद फुलचंद ,, मोहनलाल वाघजी शा. मोतीचंद हंसराज , तेजपाळ घेलाभाइ |, सुखलाल कल्याणजी , उजमसी भुदर | दोसी कानजी वलुभाई , धनजी बोधा | वोरा पनजी कपुरचंद " शविलाल राजपाळ | शा. मुळचंद जशराज For Personal & Private Use Only Page #247 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१८२) सिध. , गोविंदजी मकनजी , झवेरचंद गुलाबचंद " गुलाबचंद वीरपाळ करांची वेरावळ. खेतसी वेलसी शेठ कल्याणजी खुशाल | शेठ भगवानदास नवलमल ,, मेघजी जगजीवन ,, भेरवदास गुमानचंद सायला. शा. डामर नथभाई ,, सोमचंद काळा दक्षिण. वोरा नरसीदास नथुभाई - - अगाशी शा. पानाचंद केवळभाइ कच्छ. , जगजीवन नेमचंद अमलनेर कोडाय शा. छगनदास मंगळदास भोगीलाल रतनचंद शा. रवजी देवराज सोभागचंद छगनदास , गांगनी हेमराज दक्षीण प्रांतीक सभा तरफथी मांडवी शा. चुनीलाल नाहालचंद कोपरगांव शा. हंसरान राजसी हारजी शा. रुपचंद रामचंद __ मोमाइआ. केशवजी लघा गराडे. जीवराज वसाइआ नवलमल खीवराज भोजराज भाणजी नेमीचंद पुनमचंद कुंवरजी भाणनी धीरजमल रूपचंद खीअशी भाणजी धीरजमल खुवचंद वेलजी तेजपाळ नानचंद भगवानदास शामजी गेला मालचंद भीकमचंद | जिवराज किसनदास For Personal & Private Use Only Page #248 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १८३) ,, भुखणदास मोहनचंद नवळीहाल. मेता अखेचंद पदमसी शा. रायचंद अमरचंद मेता काळुचंद रतनजी गांधी धरमचंद मुलचंद नीपाणी. रावजी परमचंद वखारीया भीमचंद माणीकचंद दीवाणी आकाचंद पदूचंद मेता. मेता काबुचंद रतनजी निफाड. टीकाराम मगनीराम लछीराम गुलाबचंद जुनेर. बाळुमाई मानचंद नथूभाई देवचंद तलजाराम हरखचंद बापुलाल लालचंद चुनीलाल रवचंद तळेगाम ढमढेरा. शा. बाळुशा प्रेमचंद , वीरचंद नेमचंद ,, शामचंद केवळचंद ,, चुनीलाल गणेशचंद , वलभदास उमेदराम , अंबाइदास गणेश ,, नमचंद बापु नगीनदास बुधराम मास्तर शा. बाळु रिखवदास ,, वधूशा भुखणदास " ताराचंद भाईचंद ,, मोतीचंद शाकरचंद दौड. शा. चतुर हाथीभाई ,, उमेद नहालचंद धुलीया भोगीलाल गुलाबचंद लाधुराम धनराज शा. उभाचंद राघवजी शा. नथू सीवनी ,, फोजमल बाधमल शेठ धोंडिराम तुकाराम ,, जीवराज पेमराज पाचोरा. शा. छगनलाल भगवानदास शेठ रूपचंद रामचंद | देशपांडे शंकर वामन शेठ मगनलाल भगवानदास शा. लालचंद छगनलाल शठ वछराज रूपचंद ,, आँकारदास हजारीमल ,, भीखचंद दोलतराम ,, नथमलजी भावाजी यती बाळचंदजी मास्तर मोहनलाल अमरसी पालघर. शा. चुनीलाल जेसंगदास पीपळवरी. बाबरभा पीतामर हाथीभाइ दोसी परसोतम जयचंद For Personal & Private Use Only Page #249 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १८४) पारी. सरुपचंद मुळचंद कंकुचंद रायचंद शा. ककलचंद वेणीचंद , मोहनलाल मोतीचंद , लल्लुभाई शोभाराम पुना. , डुंगरशी वीरचंद शेठ. मोतीचंद भगवानदास |शा मानचंद नगाजी , नानचंद भगवानदास , बालचंद लाधाजी ,, चुनीलाल नाहालचंद ,, वीरचंद कृष्णानी छगनलाल गणपतदास , रतनाजी डोंगानी छगनलाल वखतचंद ,, मोतीजी जेताजी छगनलाल नानचंद बहादरपुर ,, बालुभाइ मनछाराम शा. कस्तुरचंद करमचंद ,, भीकुभाइ मुळचंद ,, सोमचंद केशरीचंद ,, मगनलाल लखमीचंद मोहनलाल सोभागचंद मसुर बेचरदास सीवचंद गोवींदभाइ अमुलख , माणेकचंद बलाखीदास मलुकचंद खेमचंद गगलभाइ हाथीभाइ तलकचंद उजमचंद मुळचंद दलछाराम वीरचंद उजम , बालुभाइ पानाचंद बाळाराम अमुलख मगनलाल दीपचंद शा. हरािचंद मनोहर ललुभाइ नथुराम ,, गंगाराम रघनाथ जमनादास मोहकमचंद मालेगांव कीसनदास प्रेमचंद शा. भुषणदास जेठाया , धनजीभाइ प्रेमचंद ,, बालचंद हिराचंद ,, भोगीलाल नगीनचंद ,, मोहनचंद नानचंद , चुनीलाल प्रेमचंद माहीम रतनचंद रामचंद तलकचंद नथानी , नरोतमदास मगनलाल मुबई. ,, दिपचंद मगनलाल | शेठ. रतनचंद खीमचंद मोतीचंद , बाळुभाई भगवानदास , हीराभाई नेमचंद For Personal & Private Use Only Page #250 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १८५) , कल्याणचंद सोभागचंद ,, भोगीलाल वीरचंद ,, डाहाभाई शरुपचंद , वाडीलाल पुनमचंद ,, मोतीचंद रुपचंद , चुनीलाल वोरचंद ,, नानाभाई तलकचंद मास्तर , मणीलाल मोहनलाल , फुलचंद कस्तुरचंद , रतनलाल मंगनलाल ,, ललुभाई ध मचंद ,, रायचंद केसरीचंद ,, हिराचंद मोतीचंद ,, केसरीचंद भाणामाई , रायचंद खुशालचंद ,, मणीलाल बकोरचंद ,, नगीनदास कपुरचंद ,, साराभाई वीरचंद ,, कस्तु भाई झवेरचंद ., दलसुखभाई वाडीलाल ,, नगीनभाई मंछुभाई ,, फतेचंद कपुरचंद ,, साकरचंद माणेकचंद ,, छोटालाल प्रेमजी , देवचंद लालभाई ,, हेमचंद अमरचंद ,, गुलाबचंद धरमचंद ,, मोहनलाल पुजाभाई ,, घेलाभाई उतमचंद , मकनजी जुठा ,, डाहाभाई उतमचंद ,, प्रेमचंद भीमजी ,, झवेरीलाल माणेकलाल ,, हरखवंद वर्धमान ,, हीराभाई मछुभाई ,, मेधजी जगजीवन ,, मगनलाल नगीनभाई ,, अमीलाल जादेवजी ,, रवचंद उनमचंद ,, त्रिभोवन भांणजी ,, अमरतलाल कवळदास ,, रतनचंद जेचंद शा. माणेकचंद कपूरचंद " हरीचंद थामणदास ,, अंबालाल बापुभाई , मोहनलाल खोडीदास ,, चंदुलाल गोकलदास , माणेकचंद हंसरान " लल्लुभाई करमचद ,, मोतीचंद गीरधर वाडीलाल सांकळचद वोरा , नरोत्तम भाणजी , मगनलाल कंकुचंद ,, गणेशमल शोभागमल ,, मोहनलाल चुनीलाल ,, बालचंद कनीराम ,, मोहनलाल हेमचंद , छोगमल अमुलखचंद ,, वीरचंद दीपचंद ,, अमरचंदं पी. परमार For Personal & Private Use Only Page #251 -------------------------------------------------------------------------- ________________ , उनमचंद लखमीचंद ,, रायचंद नानचंद ,, रामचंद्र वीरचंद , चंदलाल खुसाल ,, हरगोवन केशरी ,, नागर खेतची ,, सरुपचंद ललुभाइ ,, ककलभाइ जेसंगभाइ ,, ललुभाइ जेचंद ,, धनराज झवेरचंद परपार , पानाचंद खुसालचंद , जेठाभाइ डोसा ,, उमेदचंद कंकुचंद ,, मुळचंद हीरजी ,, मोहनलाल चुनीलाल ,, हरगोवनदास केशरीप्संग ,, नागरदास खेतसी ,, सीरचंद नानचंद ,, हीरालाल बकोरदास ,, भोगीलाल सांकळचंद ,, वजेचंद ताराचंद ,, मनसुखलाल कचरा , ललुभाइ गुलाबचंद ,, हीराभाइ डाह्याभाइ ,, जेशंगभाइ साराभाइ ,, मंगळदास छगनलाल ,, प्रेमचंद वीरपाल , जवेरभाई गुलाबचंद . ,, बकोरभाई उजमसी ,, केशवलाल रतनचंद ( १८६) , भोगीलाल चुनीलाल , भुदर लवजी ,, मोहनलाल मगनलाल ,, नानचंद केशवलाल ,, गुलाबचंद मलुकचंद ,, जादवजी जेरांम ,, लेरुभाई चुनीलाल ,, महासुखराम घेलाभाई , हाथीभाई कलाणनी ,, दामनीभाई कलाणजी मुंबई. जेठाभाई नरशी केशवजी जेठाभाई दामजी मेगजी देवजी खीअशी शामजी टोकरशी लालजी विसनजी स्यामजी जीवराज खीमजी हीरजी कायाणी टोकरशी नेणसी लोडाया | देवजी खीयशी नागडा काननी करमशी मास्तर जेठामाई आणंदनी देवजीभाई वरसंग जीवराज रतनसी देवजी गोविंदजी हीराजी वधमान | देवजी रागवनजी माणेकजी जेठाभाई वधमान तेजसीह भीअशी दामनी भाणजी भीअशी लखमशी हीरजी मैशरी For Personal & Private Use Only Page #252 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १८७ ) गोविंदनी मुलजी महेपाणी डाह्याभाई फुलचंद धनजी लीलाधर जयचंदभाई मंछुभाई शे. वीरचंद दीपचंद भुरीआभाई जीवणभाई , जेठाभाई दामजी नगीनचंद करमचंद , हीराचंद मोनीचंद लालभाई मगनलाल रतनशी आंमजो शेठ मेघजी खेतसी , बालाभाई गुलाबचंद , गुलाबचंद अमीचंद , ललुभाई करमचंद ,, दामोदर झवेरचंद वारा वाडीलाल सांकळचंद ,, घीया लक्ष्मीचंदजी , कल्याणचंद सौभाग्यचंद , त्रीकमचंद वस्ताचंद ,, बाळाभाई जेचंद ,, परमाणंद रायचंद ,, अमरतलाल केवळदास , जमदास मोरारजी ,, साकरचंद माणेकचंद ,, अमरचंद कानजी शेठ हीराचंद नेमचंद , चत्रभुन गोरधन ,, नगीनचंद फुलचंद ,, देवकरण प्रेमजी ,, नगीनभाई मछुभाई , गंगादाश अंदरशी ,, मणीलाल लहेरचंद , मणीलाल मोहकमचंद ,, केसरीचंद भाईचंद , मणीलाल पानाचंद भाईचंद झवेरचंद शेठ वशनजी त्रीकमजी मगनभाई मंछुभाई ,. त्रिभोवनदास भाणजी सोभाग्यचंद माणेकचंद ,, माणेकलाल घेलाभाई मगनभाई नगीनदास ,, मोतीचंद देवचंद जीवणचंद मानचंद ,, प्रेमचंद रायचंद हीराभाई मंछुभाई ,, डायाभाई सरुपचंद बापुभाइ सरुपचंद वजेचंद ताराचंद फकीरचंद खीमचंद वीठलदास वाडीलाल नेमचंद धरमचंद ,, मोहनलाल हेमचंद बालुभाई मंछुभाई भगवानलाल पन्नालाल प्रेमचंद सरुपचंद ,, नानतजी जेठा फुलचंद कस्तुरचंद ,, रतनलाल मगनलाल झवेरी For Personal & Private Use Only Page #253 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १८८) " रायचंद केशरीचर " गुलाबचंद अमीचंद ,, फतेचंद कपुरचंद प्रेमचंद केशवजी ,, हेमचंद अमरचंद ,, मोहनलाल पुंजाभाई , देवकरण मुळजी ,, मकनजी जुठा , झवेरचंद कल्याणजी ,, नेमचंद भीमजी , मुलचंद हीरजी , नरोतमदास जगजीवन ,, अमीलाल जादवजी ,, केशवजी देवजी ॥ धरमशी गोविंदजी ,, झवेरचंद चंदरजी ,, अमरचंद तलकचंद , मकनजी कानजी , नागजी मोतीचंद , हीराचंद वशननी , हरीचंद थोभणदास , देवराज टोकरशी , लखमीचंद माणेकचंद , रायचंद नानचंद मा. पनाजी भीमाजी ., जिमाजी भीमाजी , देवजी कुवरजी , भिमजी दरजाजी " गुलाबचंद भीमजी शेठ वालुभाई मुळचंद , अमरचंद कलाणचंद , चुनीलाल बालुभाई , नगीनभाई करमचंद , मोतीलाल कशळचंद , फकीरचंद केशरीचंद ,, छोटुभाई भगवानदास , छगनलाल सोमचंद ,, पनालाल ललुभाई शठ धरमशी गोविंदजी ,, मणीलाल परशोत्तम , नेमचंद गोविंदजी , शवचंद नेमचंद , ललुभाई नथु . , जादवजी वारजी , चुनीलाल छगनलाल ,, हरीदास जीवराज मि. मकनजी जठा , नागजी धनजी' ,, वलभदास मोरारजी , त्रिभावनदास पुरुषोतम ,,केशवजी हरीदास ,, धरमशी संदरजी नगीनचंद प्रतापचंद जीवणचंद शाकेरचंद लालभाई नानाभाई तलकचंद छोटुभाई नेमचंद शेठ गुलाबचंद धरमचंद झवेरी. , भगुभाइ हीराचंदमलनी ,, अमरचंद मुलचंद झवेरी ,, चीमनलाल नथुभाइ कापडीया For Personal & Private Use Only Page #254 -------------------------------------------------------------------------- ________________ , हीराचंद नेमचंद ,, हीराभाइ घेहेलामाइ झवेरी ललुमाइ धरमचंद " कस्तुरचंद झवेरचंद , मोतीचंद खुबचंद झवेरी भाइचंद कस्तुरचंद शेठ मोहनलाल हेमचंद , भोगीलाल वीरचंद ,, हेमचंद मोतीचंद ,, दुलमनी कल्याणजी ,, गुलाबचंद मोतीचंद का. ,, शेठ धीरजलाल पानांचंद ,, मगनलाल कंकुचंद , ललुभाइ करमचंद दलाल शा झवरलाल माणेकलाल शेठ मोहनलाल खोडीदास , केशवलाल सांकळचंद , नारणजी अमरसी शाह , पंडीत फ. क. लालन , मोतीचंद गीरधर ,, माणेकलाल त्रीकमलाल शा. नानचंद सामजी झवेरी सुरजमल लेरचंद , चुनीलाल नारणदास शा. मणीलाल पानाचंद शेठ देवजीभाइ वरसंग ,, दामजीभाइ वीरजी ,, नरशीभाइ कल्याणजी ,, दामजी शामजी ,, देवशी सामजी (१८९) ,, कानजी भीमसी , धीरजलाल पानाचंद , अंबुलाल बापुभाइ झवेरी वीरचंद दलाल शेठ फकीरभाइ प्रतापचंद ,, भोगीलाल सांकळचंद ,, जगाभाइ भोगीलाल , भोगीलाल मोहनलाल ,, गुलाबचंद नेमचंद ,, हीरालाल डाह्याभाइ कलाणचंद भाइचंद मोहनलाल मगनभाइ चुनीलाल हीराचंद बाळुभाइ अमरचंद केशवलाल साकलचंद मीठाचंद लाधालाल गोकळभाइ जमनादास झवेरी नगीनदास कपुरचंद झवेरी हीराचंह मोतीलाल मनसुख कीरतचंद तेजशी माअसी. ,, मंगलदास छगनलाल शेठ जीवणचंद धरमचंद ,, मोतीचंद रुपचंद ,, मोहनला हेमचंद शा. मगनल वाधनी ,, हीरालाल मोतीलाल संघवी गोवनजी वीरपाल शा. महासुखभाइ दीपचंद ककलभाइ भुदरदास For Personal & Private Use Only Page #255 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १९० ) , अमरतलाल छगनलाल ,, मगनलाल मेलापचंद शाह परशोतम रतनचंद शा. पेराज लाधाजी ,. वेलाजी नेमचंदनी ,, मुलचंद वेलाजी " नवलराम खुबचंदनी , माधवलाल वेलानी " गुलाबचंद बुदमलजी ,, अशलानी पीताजी ,, वनींगजी गुमनाजी बाइ नानी भ्रतार खेमाजी शा. मनसाराम नथाजी राई भाईदर. प्राणजीवनदास पुरुषोतमदास मोरारजी रुगनांथ येवळा. शा. दामोदर बापु मगनदास लालचंद शा. साकरचंद बाळुसा माणेकचंद वीरचंद संगमनेर. शा. कस्तूरचंद सीरचंद . सोलापुर दलसुखभाई वाडीलाल वीरचंद मणीलाल मोहोलाल चुनीलाल जयचंद चांदा. भट असकरणनी इंदरचांद | मालुणकरण खुबचंद | मा. सधिकरणजी अगरचांद || भ. उदेचंदनी सुगनचंद तेल्हारा. शा हरखचंद गुलाबचंद नरसींगपुर. हजारीमल लुनावत छडेगमल शेखर हमीरमल लुनाव्रत केशरीमल कटारीया नाहरमल कोचर बालापुर. शा. हवशीलाल पानाचंदजी ,, कनयालाल हेमचंदजी , इश्वरदास अमीचंदजी |, लालचंद खुसालचंदजी , मोतीचंद गोतमलालजी ,, मगनचंद जगुलालजी ,, हीगलाल सीवलालनी ,, तीरमकदास मोहनचंदजी बागलाल मनुलालजी खीमजीभाई हीरजी उन्हेळ. नाथुसीहनी मानसींहजी रामनारायण जी चोधरी नानुरामजी जालमसीहजी पनालाल केसरीमलजी मवालालजी नथमल For Personal & Private Use Only Page #256 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मुनालालजी दीपचंदजी वर्चदजी व भोपाळ . गोडीदासजी साहब काट्या हरीलालजी साललवानी रतनलालजी साहब तातेड पुनमचंदजी साहब कक्कड कलयानमलजी साहब भंडारी मुरार. सेठ राजमतजी प्रेमराजजी जोधकर साजी खेमराजजी अजमेर. रायबहादूर सेठ सोभामगल कल्याणमलजी साहिब ढढ्ढा मास्तर भुरालालजी साहिब वकील सीरमलजी साहिब केसरीचंदजी लुणीया धनराजजी काष्टीया हमीरमलजी साह सोभागमलजी हरकावत आबुरोड शा. माणेकचंदजी ," सुराजी उन्हेळ. शा. मानसांहजी रामनारायनजी नानुलालजी ( १९१ ) नाथुसहजी खबचदजी रुपचंदजी हजारीमलजी बिरदीपचंद जेपुर. स्वीमचंद सुजीनमल चांदमल लखमीचंद सीरोही. चोधरी तिलकचंदजी झाली हुकमीचंदजी झाली गुळराजजी बंगाळा. कलकत्ता. बाबुराय कुमारसिंघजी भुकीम अझीमगंज. रायबहादुर बुधसिंघजी दुधोडीआ विजयसिंघजी दुधोडांया बाबु सीतापचंदजी दुगड विगेरे वायव्यप्रांत.. दिल्ही लाला माठुमलजी For Personal & Private Use Only Page #257 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पंजाब मुजरानवाला काला माणकचंदजी विगेरे जालंधर. रत्नाराम चौधरी कालूमल्ल निक्कामल्लभक्त उत्तमचंद्र अमीचन्द्र वा राजाराम विरजलाल झीरा मोलामल दीनाथा खुशीराम ( १९२ ) खुशीराम सोनी अबदुराम देरागाजीखान भाई परतापचंदजी पुज सरुपचंदजी भाई शंभूरामजी ,, रणजीतमलजी मुलतान शेठ ठाकरदासजी सीरसा शामलाल नौका बलुचीस्तान क्वटा शाह जेठालाल डाह्याभाई महेता जसराज देवचंद RAHA MAAYUsia For Personal & Private Use Only Page #258 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री श्रीजी जैन श्वेतांबर कोन्फरन्समां भरायेलां नाणांनी यादी. - नाम. गाम. कोन्फरन्स नी भाव फंड. | पुस्तकोद्धार. जीर्णोद्धार. निराश्रित. जीवदया. | केळवणी. १२५ श्रीमंत गायकवाड सरकार | वडोदरा १००० तरफथी गयबहादुर बुद्धीसींगजी आजीम मंज, ० ५०० ५००५.०५००/५००२५०० रायबहादुर बुद्धीसींगजीनी | " ० ० २५०० ० ० ० २५ पत्नी तरफथी वडोदरा खाते वगर चीठाए रुपीआ आवला जेमना नाम नथी. श्री वडावलीना संघ तरफथी वडावी । अनापचंद थोभणदास अमदावाद हरगोवन वरजीवनदास | गंभीरा झवेरी हीराचंद इश्वरदास वडोदरा साकाचंद फुलचंद वेळाछा खीमचंद दोपचंद गोकळभाइ दुलभदास भवान फतेन्द कागवाड बाई काशीबाई धनजी अनोपचंद शठ हरजीवन वमळचंद | कोसंबा ( भरुच) ; दीपचंद भिमाजी सगरामपुर ( सुरत) ,, ललुभाई वीरजी कोचीआ जेचंद केसुरजी कठार शेठ. उमेदचंद नानचंद लींबडी , केशवलाल लालचंद , हरखचंद झवेरचंद वडोदरा rr ~ r-2002 rrrrr . rrror o » . . . . r ~~ .. ~ ~ . ~ ~ . ~ ~ or م م ه ه ه ه ه ه ه ه ه . बावळा ه or or . . . . . rarror rrrr Mar or or or ه م ه ه ه For Personal & Private Use Only Page #259 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पाछळथी वसुल आवेलानी यादी. । नाम. गाम. कोन्फरन्स निभावा कल. . जिनपुस्तकोद्धार मंदिरोद्धार निराश्रित जिवदया केळवणी ... केळवणी .. . ..:' . . . ..... .. .. २० २० . . . .. ० ० ४० २० २०१०० . . . सेठ लखमीचंद खंगार जामनगर ,, लल्लुभाइ भाइचंद बोटाद बाइ पोपट ते शेठ दलसुख | अमदावाद __ ललुभाइनी पत्नी शेठ कुंदनजी कपुरजी | प्रतापगढ़ , लालचंद परभुदास । | गंभीरा ,, बालाजी चुनीलाल बाइ मणी ते शेठ पोचीलाल गुलाबचंदनी विधवा. शेठ अंबालाल मणीलाल | बारेजा बाइ केशर ते शेठ वाडीलाल अहमदनगर | . हाथीभाइनी पत्नी शेठ कपुरचंद लखमीचंद |वेरावळ ,, नरशीभाइ तेजसीभाइ | पानडी (भुसावळ) श्री पान डीना | संघ तरफथी । शेठ हाथीभाइ झवेरचंद ,, मोताचंद रुपचंद मुंबाइ , भाइचंद फूलचंद वडोदरा , तलकचंद पीतांबर नीकोरा ,, जमनादास सांकळचंद सुरत ,, चुनीलाल दीपद अमदावाद , नरसहिदास हरजीवन गोध्रा ,, डाह्याभाइ नानचंद मालेगाम , चुनीलाल दलछाचंद | रंगुन ,, चुनीलाल रायचंद श्री पाचोराना संघ तरफथी | पाचोरा | ५४ शेठ चुनीलाल दीपचंद | अमदावाद | गांधी लींबाभाइ गुलाबचंद | कपडवंज | | पुना | ९० ९०४५१ ce . . . . . . . . . . ................. ce c. : ... .. ... . ७५/ ५०१००३२९ For Personal & Private Use Only Page #260 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री वडोदरा खाते भरारली त्रीजी जैन श्वेतांबर कॉन्फरन्स वखते नीचे प्रमाणे सदगृहस्थोए पांच खाते नाणां रोकडा भरेला - तेमनी नामवार यादी.. रकम. r नंबर. नाम. गाम. रु. आ. पा. ० मुलतान भोपाळ प्रांतीज ० ० ० ० ० ० ० ० ० ० ० ० ० ० ० ० ० गदरवाडा भीखावडी मुंबाइ खेरलाव बगवाडा ० ० ० | मारवाडी पुनमचंद बळदेवदास भोपाळना डेलीगेटो तरफथी श्री प्रांतीजना डेलीगेटो ,, शेठ धनराजजी डाघा ,, नरसी मलकाभाइ , तेजसीभाइ भीमसीभाइ ,, नरसीभाइ गोवाजी ,, नरसीभाइ डायाजी ,, पनामाइ लखमाजी ,, लुभाइ राजेनी ,, पराग जेताजी ,, दलाभाइ ओधाजी , उमेदचंद खीमचंद ,, मोतीचंद चंद 1, देवचंद जेचंद ,. फकीरभाइ फताजी श्री बोरसदना ओसवाल डेलीगेटो। तरफथी शेठ हरजीवन कुंवरजी , पुंजाभाइ मानचंद ,, छगनलाल धरमचंद ,, बापुभाइ धरमचंद |, फुलचंद ललुभाइ |, चुनीलाल बहचरदास २४ ।, फतेहचंद मनोरदास | खेलवाडा कापली सुरत r rrrrr. ० ० ० ० ० ० ० राता ० ० ० ० अंबाम बोरसद ० ० ० ० ० ० ० गंभीरो खरवा वासद 22. 10.2 चमारा ० ० ० ० ० ० ० बारेजा For Personal & Private Use Only Page #261 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २५ २६ २७ २८ २९ ३० ३१ ३२ ३३ ३४ ३५ ३७ ३७ ३८ ३९ १० ४१ ४२ ४३ ४४ ४५ $ ४७ ४८ ४९ ५० ५१ ५३ ५४ ५५ ५६ देवचंद दोला भाइ अमथाभाइ लखमीचंद आशाराम फुलचंद हरिचंद केशवजी नगीनदास झवेरचंद शाह खाते "" ५७ "" 99 "" "" शेठ नागरदास रामचंद १, रुगनाथदास दीपचंद कुबेर काळीदास " जैचंद वस्ताजी "" प्रेमचंद वस्ताजी "" ·, वृजलाल पीतांबर श्री सागरगच्छना संघ तरफथी शेठ गोतम लीलाचंद 25 "" " "" "" " ,, डाह्याभाई श्रीभोवनदास नरोतम हेमचंद "" 35 साकरचंद रायचंद कचराचंद रायचंद साकरचंद उतमचंद परशोतम लीलाचंद देवचंद लीगचंद सरुपचंद छगाभाइ शेठ महोकमचंद पानाचंद बाइ दीवाळी ५२ शेठ रामदास भुलाभाइ चुरेल संघ श्री माणसाना डेलीगेटो तरफथी शेठ वच्छराज रूपचंद मकनजी फुलचंद रुपचंद सांकळचंद " श्री कुकडीयाना संघ तरफथी शेठ अमथालाल देवाजी 1. भगवानदास अनोपचंद " लाभाइ हाथीचंद अमनगरना संघ तरफथी | शेठ रामचंद कशळचंद् ܘܢ १३ १० ११२ २५ 44 १ می १. १० १५ १०० ११ १५ O For Personal & Private Use Only O ० O ० ० o • ० ० ० ० ० O १५ ० १८ ० Doco ४ ० ० ०० ० ० • • ० o ० ० O ० ० O O Q O ० 19 او गंभीरा 97 पाटण 99 "9 पलतुरा पालवाड "" 99 मयागाम पथापुर गढडा 19 "" "5 " रीता उमता चमारा 19 साजलपुर " ककडीया पाटण कोलाद चुरेल माणसा पाचोरा पुना अमदनगर अमनगर Page #262 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ० ० ० ० ० देगाम संगपुर अंकलेश्वर ० ० ० ० ० रेटीआकरर ० ० ० ० . . | शीनोर | पटलाइ ० अब्राम | पेटलाद जीणा जीरा . ० ० |श्री अमनगरना पंच तरफथी शेठ पदमाजी जेताजी ,, हीराचंद नाथाभाइ ,, भीमाजी राजाजी ,, खबा मोताजी तथा तोरा पनाजी ।, डाह्याभाई भवानीदास श्री. शीनोरना पंच तरफथी ६५ | श्री. पेटलादना डेलीगेटो तरफथी शेठ बीरचंद नथुभाई ,, रायजी वस्ताजी |श्री. पंजाब जीरा जैन सभा तर फथी | शठ गुलाबचंद शविलाल ,, मोहनलाल हीराद ,, साकरचंद अमीचंद , फुलचंद बेहेचरदास त्राकम मोतीचंद छगनलाल आसाराम ,, मुळचंद पानाचंद ,, हरीलाल जुठाभाइ , हीमचंद माणेकचंद , जमनादास खसालदास , ललुभाई मथरभाई ,, छगनलाल देवचंद , रुपचंद शंभुनाथ , रणजीतमल पन्नालाल ० शीनार प्रतापनगर ० खेडा अरणीआव ० Hareray. ९९१४९० ० ० ० 20201299 on 22222. Morror ० ० ० ० खेडा पाटण ध्रांगना महुधा ० कपडवंज ० नडीयाद वडनगर ० देरागाजीखान ० ० ००००० ० ० ० ० ० ० ० ० ० ० ० ० ० | शाह खाते. ० सरमाण (सुरत) ० ० | शेठ गुलाबचंद डाह्याजी " भुदरदास डाह्याजी रा. गु. पे. लक्ष्मीचंद मोहनलाल शेठ बहेचरभाई झवेरभाई , मुळजीभाई खेमचंद ,, बालचंदजी ,, खेमचंद पीतांबरदास !,, हीमतलाल अमरचंद ० ० ०० वरनगर डमोइ (पेटलाद) महुधा ० देरागाजीखान ववाद चमारा ० For Personal & Private Use Only Page #263 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ✓ मगनलाल कसनदास गुलावचंद पीतांबर "" मेता रामजी हंसराज रणनी ठीक्रीम 11 ९३ ९४ २५ शहर मुलतानना गृहस्थ तरफथी शेठ लालचंद्र खंभातवाळा ९६ ९७ शहेर मुलताननी बाईयो तरफथी शेठ ललुभाई भाईचंद ९८ ९९ शाह खाते वेजलपुरना १०० शेठ अमृतलाल नाथजी उपर प्रमाणेना कुल. तेनी वीत. ४ श्री कॉन्फरन्स निभाव फंड खाते श्री पुस्तकोद्धार खाते श्री मंदारोद्धार खाते श्री नीराश्रीत खाते श्री जीवदया खाते. श्री केळवणी खात ४ १० १० १ २० २ O 0 For Personal & Private Use Only O O १४६१ १२ ८५ २७० २८३ २३१ २७२ ० ३२० १२ १४६१ १२ ०० ० ० ० जंबुसर ० लींबडी ० ध्रांगधा ० मुलतान ० खंभात ०मलतान ० ओगणज वेजलपुर ० ० सांठवा ० ० O Page #264 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री आफ्रीका खंडना डेलगोवावेमाथी शेठ कालीदास जेठाभाई तरफथी जुदा जुदा गृहस्थोनो केळवणी खातासारु . चेक मोकल्यो हतो ते नीचे मुजब. - नंबर. नाम. पौंड. शीलींग कीया गाम. काया नाम... . - - दीवबंदरना _anoranor 9 भोमीआवद दीवबदर | अमदावाद लतीपुर जाम. शेठ नथुभाइ वणारसीदास , परसोतम अमरचंदनी कु. नानजी दुलभदासनी कु. धरमसी वीरनंदनी , दुलवदास भगवानदास छाटालाल वाडीलाल काळीदास जेठाभाई पानाद माणेकचंद खुसालचंद आणंदनी मावजी त्रीकमजी नागरदास पानाचद नारणदास त्रीभोवनदास , रायचंद जेज १६, नानजी करसनदास होरमसजी एदलजी कोठारी जटासंकर पानाचंद शेठ नेमचंद नकदास १८,, नरोतम शोभागचंद १९,, सोराबजी एदली २० ,, गोकळदास मुलचंद २१] ,, हुसेनभाई वुलभदास कु. 2000 rrrrror... 000 वणथली . १ भाणवाड १५/ शंखवड दीव उना दीववाळा कोठार(कच्छ) दीव सरधार राज. दाव अंकलेश्वर जामनगर उपर प्रमाणे चेकथी पौड ४५-३ शी.नो आवेलो तेना रु.६७०-१०-० उपज्या हता ने ते केळवणी खाते जमा कर्यां छे. For Personal & Private Use Only Page #265 -------------------------------------------------------------------------- ________________ इन शेफ भाई गांधी जे लीष्ट मोकल्युं हतुं ते विगतवार लष्टि. नाम. रु. नंबर १ शेठ नाथाभाइ मातीचंद केषवलाल गीरधर केषवलाल गीरधर नमाज अमराज हरगोवन अमीचंद ६ नागरदास की नाजी. 59 ७ बाई दीवाळी गाम चाणसरवाळी जेठाराम खुशालदास ३ ४ 19 ११ 99 "" "" 96 फतेहभाइ परसातम देवचंद सवजीभाई "" जे आसामीओनां नाम तथा गाम नहीं मालम पडबाथी लखायां नथी ते ९ " १२,, मनसुखलाल अमरचंद भुभाइ अंबादास १३ " १४ ,, त्रीकमलाल मंगळजी १५ ” नरसींहदास हरजीवन १.६ ” झवेरभाई मुळजा भाइ १७, धरमचंद जगजीवन १९ " दोलतराम नरसहिदास १९, महासुखभाइ झंवर भाइ २० दलसुखभाई बापुजी 99 २१,, मनसुखभाई नथुभाइ २२, कोदरलाल पीतांबर दास २३ ” दलसुखभाइ भाइचंद २४,, मनसुखभाई देवचंद २५ शहेर गोधना परचुरण लो. आवे. २६ | शेठ मुलचंद गीरधरलाल २७, मोतीलाल पाना चंद २८, मोरारजी काळीदास वेलचंद परभुदास श्रीभोवनदास हरगावनदास. "" उपर प्रमाणे श्री कोन्फरन्स निभाव फंड खाते भरायला ते . २९ " ३०. १५ ७ १ १० १ १ १० 9 ५ ३२ ० ० ३ A ५ ४ १ भा. ० ० G ० अमदावाद ० O ० ० ००० ००० O c O O O O ० ० O ·O १२ ० ० ० १.२ ० ० ० Do पा, ० For Personal & Private Use Only O ८ o ० ० " ० पेढीआ ० ० आपज पेढीआ o ० चाणसर ० उनावा मेउ ०० O -O ० ० ० ० गाम. ० " ००० ०० 71 गोधा "" "7 "" 97 "" 19 37 ==== " ० 99 ० पोर "" "9 "" "" ० भीलाड Page #266 -------------------------------------------------------------------------- ________________ For Personal & Private Use Only