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________________ ( ९४ ) मेंबर मुजब वर्ते तो कोइपण वखते गेरसमज नहि थाय. दाखला तरिके गरीब कुटुं. बमां अमुक मतभेद पडतां माणसो रीसाईने जतां रहेतां नथी ने वखते रीसाय छे तो तेने मुरब्बीओ समजावी ले छे. तेज तोरपर आपणे न्यातमां, संघमां अने कॉफरन्समां काम लेइशुं तो कदी पण खेंचताण थशे नहीं अने सदा नभ्या करशे. केटलाक पूछे छे के, कॉन्फरन्सथी फायदो शो ? तेमने मारो एकज जवाब छे. कॉन्फरन्सनो उद्देश आपणो समुदाय पोतानी स्थिति सुधारे ए शिवाय बीजो कंह नथी. केमके ते सुधार्या विना आपणुं एके कार्य थवानुं नथी. ते सुधारवा माटे संप अथवा ऐक्यता थवी जोइए. अने ते थइ तो पछी अमुक व्यक्ति के अमुक वर्ग आखा समुदायतुं हितचिंतव्या शिवाय मनस्वीपणे वर्ते छे एवो प्रसंगज क्वचित् आवशे. कॉन्फरन्सथी तेवो संप थतो जाय छे एम मने देखाय छे. केटलाक तरफथी सूचववामां आवे छे के, जे डेलीगेटो आवे छे ते अत्रेथी जइने पोताना गाममां अमल करी शकता नथी. माटे डेलीगेटो आवे ते पावर लेइने आवे एम ठरावq. आ कहे, तद्दन भूल भरेलुं छे. आप खात्रीथी मानजो के, जे बे हजार डेलीगेटो भेगा थइ हकीकत सांभळी जाय छे तेनी असर कमतीमां कमती पांच छ हजार माणसो उपर थया वगर रहेती नथी. ए असर कंइ नानी सूनी नथी. कोइ कहे छे के, डेलीगेटोनी संख्या वधी जाय छे माटे तेनुं प्रमाण थर्बु जोइए. हुं ते मतथी विरुद्ध छु. हुं इच्छं छं के, हुं एवं कॉन्फरन्स जोवा भाग्यशाळी थाउं के जेमां कमीमां कमी दश हजार जैनभाइओ भेगा थया होय. पण ते साथे आq खर्च कमी थाय ते हुं अंतःकरणथी इच्छु छु के जेथी ते कॉन्फरन्स आपणने बोजारूप थइ न पडे. केटलाक सारा गृहस्थो एवो अभिप्राय धरावे छे के, गमे तेटली माथाझीक करो छो पण थाय छे शुं ? माटे अमे तो ए पसंदन करता नथी. तेवा महेरवानोने मारो जवाव ए छे के, तेटला माटे प्रयत्न बंध करवो ते आपणने उचित नथी. तमारा घरनो माणस तमारा विचारथी फेर वर्ते छे तो तेमे शुं तमे छोडी द्यो छो ? ना. त्यारे आपणा बीजाभाइओ प्रत्ये पण तेमज वर्तो, अगर बीना केटलाक गृहस्थो भावी मानी बेसे छे तेम बेसो. पण तमारी खानगी दिगमिां तेम करवू तमे व्याजवी Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005585
Book TitleTriji Jain Shwetambar Conferenceno Report
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaganlal Chunilal Vaidya
PublisherReception Committee
Publication Year1906
Total Pages266
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size23 MB
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