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________________ ( ९५ ) धारता नथी त्यारे शुं आमां तेम करवू व्याजबी छे ? आ कॉन्फरन्सथी जे घणा फायदा थाय छे तेमांनो एक ए छे के, आपणा भाइओ क्या क्यां छे अने ते केवा छे ते जाणवा आपणने तक मळे छे. तेम केटलाक खोटा विचारो पण दूर थाय छे. मारा मित्र मि. ढवा प्रथम आव्या त्यारे गूजराती साथे जमतां विचारमा पडता हता. ते आजेज गूजराती भेगा जम्या छे. आपणा जैनभाइओमां परस्पर घाडी प्रीति थाय तेवो पण आ कॉन्फरन्सनो हेतु छे अने ते फलीभूत थतो जाय छे, ए खुशी थवा योग्य छे. हवे आपणा विद्यार्थीओ घणो खर्च अने महेनत करी अभ्यास करी डी. ग्रीओ मेळवे छे अने पछी नोकरीनां फांफां मारे छे; छतां पत्ते! लागतो नथी. तेमने शी रीते उद्यमे लगाडवा, आ पण एक मुद्दानो सवाल छे. तेनो निर्णय करवामां जमा. नाना बहोळा अनुभव अने सूक्ष विचारनी जरुर छे. मारा अंगत अभिप्राय प्रमाणे बीजी कोमोनी हारमों आपणो दरजो टकावी राखवा माटे वेपार जेम बने तेम आपणे हाथ करवानी जरुर छ अने लेमां वधारो करवा अर्थे तेमज विद्या हुन्नर कळा शीखवा माटे तेवा विद्यार्थीओने परदेश मोकलवानी खास जरुर छे. आ विषय उपर हजु एक मत थयो नथी तेथी हुं वधारे बोलवा इच्छतो नथी; पण हुं धारूं छु के, तमे कबूल करशो के आ त्रीजी कॉन्फरन्सना एक स्तंभ अने रीसेप्शन कमीटीना चीफ सेक्रेटरी डॉक्टर बाळाभाइ मगनलाले पोतानो एक पुत्र जे ग्रेज्यएट छे, तेने वेपार माटे चीन मोकल्यो छे; तथा बीजा पुत्रने पारीस मोकलवा विचार राखे छे, ते माटे तेमने मुबारकबादी घटे छे ( ताळीओ ). तेओ पोताना पुत्रने अधर्मी थवा इच्छे तेवू मानवू पण अशक्य छे. छेवटे हुं मारु भाषण बंध करतां इच्छु छु के, थोडा वखतमा आ आपणी कॉन्फरन्समां पधारेला भाइओ एवा उत्साहथी काम लेशे के, आपणे कॉन्फरन्सने एक संगीन खातुं बनावीने आखी जैन कोमना अभ्युदय माटे प्रयास करी शकीये. ( ताळीओ ). Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005585
Book TitleTriji Jain Shwetambar Conferenceno Report
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaganlal Chunilal Vaidya
PublisherReception Committee
Publication Year1906
Total Pages266
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size23 MB
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