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________________ ( ९६ ) निशाणी १०. अमदावादना डॉक्टर जमनादास प्रेमचंदन भाषण. ॥ नमः श्री परमात्मने ॥ प्राकार स्त्रिभिरुतमा सुरगणै संसेविता सुन्दरा सर्वाङ्गै मणिकिडिणी रणरण ज्झङ्काररावैर्वरा ॥ . यस्या नन्यतमा सुभूमिरश्रवद व्याख्यानकालैध्रुवं स श्रीदेवजिने श्वरोऽश्रिमतदौ भूयात्सदा प्राणिनाम् ॥ १ ॥ जे जैन प्रभुनी सभा ( सुभूमि ) निश्चय करीने व्याख्यान समयमा त्रण कोटने लीधे उत्तम, देव समुदायथी संसेवित, सर्वांगोथी मनोहर, मणिमय धुंघरुओना रणरणत झणकारथी करीने श्रेष्ट, अने अनुपम होती हुइ !-श्री जिनेश्वर देव, प्राणिओनां सदा वांच्छित फळने देवावाळा हो ॥ १ ॥ महेरबान प्रमुख साहेब, प्रतिनीधीओ, मानवंता धनाढ्य परोपकारी स्वजाति अने धर्माभिमानी भाइओ तथा बहेनो ! त्रीजी श्वेतांबर जैन कॉन्फरन्सना योग्य बंधारण अने खरी फतेहना ठरावने अनुमोदन आपतां मने अती खुशाली थाय छे. आजे आपणे त्रीजी कॉन्फरन्सनी बेठकोमा पोतपोतानो अमुक भाग भनववा पोतपोताना गाम, नगर, शहेर अने ता. लुका डिस्ट्रीक्ट अने इलाकामांथी आपणा साधर्मीभाइओ तथा बहेनोनुं भलं करवा माटे प्रतिनिधीओ तरीके चुंटाइ आव्या छीए. अर्थात् कहेवान के, बीनी कॉन्फरन्स वखते साक्षेत्रना भला अने उद्धार माटे जे जे आपणा वक्ताओए उद्धारको तरीके ठरावो प्रसार कर्या हता, ते नक्की करेला कामोमाथी केटलां काम थयां ? केटलां थवानां अने थयां तेमने केवी रीते उछेरी मोटां करवां, तेमां सुधारो वधारो करवा माटे शा शा उपायो योजवा, तेना विष खरा अंतःकरणथी ठरावो करी तेमने Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005585
Book TitleTriji Jain Shwetambar Conferenceno Report
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaganlal Chunilal Vaidya
PublisherReception Committee
Publication Year1906
Total Pages266
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size23 MB
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