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________________ ( ११६ ) जे भव्य मंडप आपणे जोइने आपणी आंखोने ठारीए बीए ते मंडपनो थोडा दिवस पछी कंइ पत्तो रहेशे ? हालमां दुनियामां हजारो शेहेर अने लाखो मकानो तेमज करोडो मनुष्योनी स्थिति आजथी पांचेक हजार वरस पछी केवी थशे तेनो चितार आपणा ख्यालमां आवी शकतो नथी. पण एटलुं तो खरुज छे के, धर्म फक्त निश्चळ छे अने धर्मथीज सुखनी प्राप्ति थाय छे अने परंपराए स्वर्ग अने मोक्षनी प्राप्ति थाय छे. शिलालेखोनो जीर्णोद्धार करवो, तेनी नकलो कराववी, तेनां भाषांतर करवा, अने पुस्तकना आकारमां छपाववां ए आपणी फरजोमांनी एक फरज छे. आ शिलालेखोथी आपणी कोमना इतिहासमां तेमज गुजरात आदि देशोना इतिहासमा अने आपणा देरासरो तथा तेमने लाखो अने करोडो रुपियाना खर्चे बंधावनार पुरुषोना इतिहासमां आपणने घणुं जाणवानुं मळे छे, तो आवा शिलालेखोनुं संरक्षण करखं अने तेनी असल जेवीज नकलो अने भाषांतरो तैयार करवां ते जरूरनुं छे. अने मुंबईनी बीजी जैन कॉन्फरन्स तेमज वडोदरानी आ त्रीजी जैन कॉन्फरन्समा मारा भाषणनो पण एज उद्देश छे. गये वर्ष मारा हाथमां लीला विषय विषे में केटलुक विवेचन कर्तुं हतुं तेमज मारी पासे, जे शिलालेखो छे ते बीजी कॉन्फरन्सना प्रमुख साहेबने अने ते वखतनी रिसेप्शन कमीटीना प्रमुख साहेबने अने बीजा आगेवान गृहस्थाने बताववामां आव्या हता अने ते संबंधी मदद आपका केटलाएक उदार सेठीआओए पोतानी इच्छा दर्शावी हती पण अफसोस ! के मरहूम शेठ फकीरचंद प्रेमचंद के जे आपणी जैन कोमनो एक हीरो हतो तेना अचानक परलोक गमनथी मारी आशामां एक मोटुं विघ्न आवी पड्युं तो आशा छे के, बीजा संभावित गृहस्थो आ काममां मने तन, मन अने धनश्री मदद आपशे तो आ काम यथाशक्ति हुं पार पाडी शकीश एवी मारी खात्री छे. कारण के आ विषयमा जो के लेख उतारवामां तेने एकठा करवामां अने भाषांतर करवामां घणां वर्षथी हुँ प्रयत्न करूं छु अने मारी साथ संबंध घरावनारा अनेक सत्पुरुषोनी संपत्ति अने सहायता छे, अने तेओ दिन प्रतिदिन मने उत्तेजन अने अनुमोदन आपता, आव्या छे. तोपण आ काममां द्रव्यनी खास जरूर छे. हालमां मारी पासे श्री शत्रुंजय, गिरनार, राणकपूर विगेरेना शिलालेखो छे अने तेनां भाषांतरो पण में जाते करी मारी पासे तैयार राखेला छे तो तेने छपावी जाहेरातमां लाववाथी घणोज फायदो थशे. माटे आ विषय उपर हुं प्रमुख साहेबनुं, तेमज हिंदुस्तानना जूदा जूदा प्रदेशभांथी आवेला डेलीगेट साहेबोनुं खास ध्यान खंचवानी रजा लई हुं अने अरज गुजारू छं के, हरेक प्रकारे आ काम मी आ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005585
Book TitleTriji Jain Shwetambar Conferenceno Report
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaganlal Chunilal Vaidya
PublisherReception Committee
Publication Year1906
Total Pages266
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size23 MB
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