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________________ (९०) भाइओ ! आपणा महान कार्यनो पायो केळवणी उपरज रचवानो छे. एना बीजने धनरुपी जळथी सींची उछेरीशुं तोज एना वृक्षना अमृत फल चाखवाने आ. पणे भाग्यशाली थइशं. एक वृक्षथी बीजा हजारो वृक्ष उत्पन्न थशे अने तेनाज प्रताप आपणे आपणो उद्धार करी शकीशुं. बंधुओ ! अत्रे चर्चावाना विषयोमा केळवणी घणोज अगत्यनो अने महत्वतावाळो विषय छे. केळवणी शिवाय आपणे आपणा जैन मंदीरो तेमां विराजता ति. थंकर भगवानो, जैन धर्मनां पुस्तको अने तेमां समायेलां भगवानना अमृतरुपी वचनो, जीवदया ए जैन धर्मनो मुख्य सिद्धांत छे तेनु खलं. स्वरुप, हानीकारक रीवाजोथी थता गेरलामो अने देव द्रव्य उचापत करवाथी बंधाता चिकत कर्मों आदि बाबतोनुं खरं स्वरुप समजवाने अने तेनी अवनति सुधारवाने आपणे केम शक्तिवान थइशं ? ज्यारे आपणा बाळको केळवणी मेळववाने पूरेपूरा भाग्यवान थशे त्यारेज आपोआप तेमनां अंतःकरणमा जीर्णोद्धार अने पुस्तकोद्धार करवाने तथा हानिकारक रीवाजो दूर करवाने अंकूरो फुटशे, अने जैन कोमनी अने जैन धर्मनी खरेखरी उन्नति तेओ करी बतावशे. केळवणीनी बाबतमा पहेलु कार्य बोर्डिंग हाउसीसं उघाडवानुं एटले विद्यार्थीओने रहेवानी, जमवानी अने अभ्यासनी गोठवण करी आपवानुं छे. हालमां स्कुलो अने कॉलेजो जोइए तेटली छे माटे खास जैन स्कुलो अने कॉलेजो स्थापन करवानी जरुर जणाती नथी. धर्मनी केळवणीने माटे खास बोर्डिंग स्कुलोमां गोठवण राखवी अने ज्यां बोर्डिंग हाउसीस उघाडवानु न बनी शके त्यां स्कुलोमां स्थानिक सरकार मारफते अथवा बीजा कोइ प्रकारे दररोज ओछामा ओछो अडधो कलाक जैन बाळकोने धार्मिक शिक्षण मळे एवी गोठवण करी आपवी. ज्यां आ पण न बनी शके त्यां जैन शाळाओ उघाडवी. जो आपणुं केळवणी फंड घणुंज मोटुं होय अने बोर्डिंग हाउसीसना खरच काढतां बाकी शिलीक रहे तो विद्यार्थीओने स्कॉलरशीपो आपवी अने त्यारबाद जैन स्कुलो अने कॉलेज स्थापवी. मुंबाई नेवा मोटा शहेरमां जैन विद्यार्थीओने बोर्डिंग हाउसनी खास जरुर के एवं चिंतनी शा. मोहनलाल हेमचंदे अतिशय श्रम लइ एक वर्ष थया लालबागमां बोडींग हाउस खोल्युं छे. एनो २५ विद्यार्थीओ लाभ ले छे, एने जोइए तेटली Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005585
Book TitleTriji Jain Shwetambar Conferenceno Report
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaganlal Chunilal Vaidya
PublisherReception Committee
Publication Year1906
Total Pages266
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size23 MB
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