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________________ नाणांनी मदद नथी माटे आप सर्वे साहेबोने यथाशक्ति मदद आपवाने विनंती करूं छु. गृहस्थो ! ज्यारे आटला आटला कारणोथी जैनोमां केळवणीनो फेलावो करवाने सौथी पहेली अने अगत्यनी आवश्यकता जणाय छे त्यारे आपणे शा माटे विलंब करवो जोइए ? न्यातवरा करवामां अने मोटा मोटा वरघोडा काढवामां आपणे हजारो रुपीआ खर्चीए छीए पण तेथी आपणा जैन भाइओन लेश मात्र पण श्रेय आपणे करी शकता नथी. संघो जमाडवा करतां खरी स्वामिभक्ति जो आपणे चाहता होइए तो विद्यादान जेवं बीजं कोइ दान नथी. विद्या जेवो अमुल्य अने अखट दोलतनो वारसो जैन बाळकोने आपवाने आपणी पासे बीजो कोइ नथी. माटे भाइओ ! जैनोमां केळवणीनो जोइए तेटलो फेलावो करवाने तन, मन अने धनथी बने तेटली मदद आपी ज्ञाननां द्वार आपणा जैन बाळको अने बाळकीओने माटे खुल्लां करवां जोइए. मने एक वधु दरखास्त मुकवाने सोंपवामां आव्युं छे ते ए छे जे, आपणे सर्वे भाइओए एकदीलीथी श्रीबनारस पाठशाळाना स्थापकने धन्यवाद आपवो. आटलं कही केळवणीनी दरखास्तने पूरेपूरुं अनुमोदन आपी, आप साहेबोए सांभळवाने जे तसदी लीधी छे तेने माटे क्षमा चाही रजा लउं छं. Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005585
Book TitleTriji Jain Shwetambar Conferenceno Report
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaganlal Chunilal Vaidya
PublisherReception Committee
Publication Year1906
Total Pages266
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size23 MB
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