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निशाणी ६. वकील मुलचंद नथुभाई भावनगरनार्नु
भाषण.
मानवंता प्रमुख साहेब, स्वधर्मी बंधुओ अने सुशील बेहेनो.
व्यवहारिक अने धार्मिक केळवणीना विषयनी दरखास्तना संबंधमां मारु अनुमोदन धार्मिक शाळाओ स्थापवाने अंगे छे.
दुर्गतिमां पडता आत्माने जे धरी राखे ते धर्म, एवो धर्म शब्दनो अर्थ छे.
केटलाएक निरंतर एवो आक्षेप करे छे के, जैनो नास्तिक छे, परंतु जेओ एवं बोले छे, तेओए जाणवू जोइए के, नास्तिक तो तेज केहेवाय के, जे आत्मा के परमात्माने मानता न होय. जैनो कदापि नास्तिक होइ शकेज नहीं, कारण के तेओ आत्मा तथा परमात्माने माने छे एटलुज नहीं; परंतु पुनर्जन्मने पण माने छे. नास्तिको मात्र आ भवनी विभूतिनेज चाहनारा छे अने जेओ आस्तिक होय छे ते.
ओतो आ भवनी तेमन परभवनी पण विभूतिने चाहनारा छे; आखरे आत्मानी मुक्ति केवी रीते थाय तेवो प्रयास करनारा छे...
आप साहेबोना ध्यानमा हशे के, वर्तमान काळमां धर्म संबंधी केळवणी मेळववा माटे पद्धतिसर साधनो बहुज जुज छे. आपणे जे इंग्रेजी केळवणी हालमां लइए छीए तेमां तो आपणी बाल्यावस्थामांथी, मानवंता मि. ढढ्ढा साहेबनी आ दरखास्तमा तेमना सूचववा प्रमाणे “ God made the world परमेश्वरे आ दुनिया बनावी " एवा बोधवाळा संस्कार मगजमां कोतराइ जाय छे. जेतुं परिणाम ए आवे छे के, आपणे अभ्यास करनाराओ ते संबंधी खरा ज्ञानथी दूर रहीए छीए अने क्वचित कोइने मोटी उमरे ते संबंधी जैन धर्मन सारु ज्ञान थाय छे, तो तेनान मात्र एवा संस्कारो दूर थाय छे.
हुं पण ज्यारे हावर्डनी प्राइमर भणतो हतो त्यारे तेमां एवं शिख्यो हतो के
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