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________________ ( ३६ ) नि. छ. श्री जैन लाक्षणिक प्रदर्शनना सेक्रेटरी झवेरी लालभाई कल्याणभाईनु भाषण. श्रीमंत युवराज फत्तेहसिंहराव महाराज अने सद्ग्रहस्थो ! अमारा आमंत्रगने मान आपी आप साहेबोए अत्रे पधारवानी ने तस्दी लोधी ते माटे आपने अमारी कमीटी तरफथी अभिनंदन आपुं छं श्रीजैन श्वेतांबर कोन्फरन्सनी त्रीनी वार्षिक सभा अत्रे आवता रविवारे भरावानी छ. तेने लगतुं एक प्रदर्शन खोलवानी योजना अमारा तरफथी करवामां आवी छे. जे प्रदर्शनो आज सुधीमां भरवामां आव्यां छे, तेथी आ प्रदर्शन कंईक जूदीन ढबथी करवानी योजना छे. जैन धर्ममां बीज, पांचम, आठम, अगीआरस, चौदस, पुनम, अमास ए पर्व तिथियो मानी छे. तेना तथा मोक्षसुख आपनार अरिहंत, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय, साधु, दर्शन, ज्ञान, चारित्र अने तप ए नव पदना अगर ते नव अने बीजां प्रवचन ( संव), तीर्थ. आदि अगीआर मळी वीस स्थानकना आराधन माटे तपस्या करवामां आवे छे; अने ते पूर्ण थाय त्यारे तेने उनववा उनमणुं ( उद्यापन ) करवानो : प्रचार धर्मना सात क्षेत्राने पुष्ट करवा माटे पडेलो छे. तेमां पण कांइक प्रदर्शन जेवो हेतु होय एम लागे छे. अमे प्रदर्शनमां ज्ञान, दर्शन, ने चारित्रनां उपकरणो, पवित्र वस्तुओ अने परदेशी मालनी साथे हरिफाई करी शके तेवो देशी हुन्नरकळानो माल मुकवानी योजना करी छे; अने विशेषमां जैन धर्मना पूर्वाचार्योए करेला उपदेशने आधारे केटलाक देखावो खास तैयार कराव्या छे, जेमां धर्मना सिद्धांतोने कुदरती देखावोना रूप आपी प्रेक्षकोतुं धर्म तरफ ध्यान खंचवा प्रयत्न कर्यो छे. प्रदर्शननी वस्तुना छ जथा कर्या छे. तेमां पहेलो भाग ( जथो ) उपदेशक देखावोनो राख्यो छे, अने तने लईनेन प्रदर्शनने लाक्षणिक प्रदर्शननं नाम आप्यं छे. चार देखावो आवी गया छ, अने बीजा वधु मनहर देखावो कलकत्तेथी तथा जयपुरथी आववाना छे. सौथी ध्यान खेचनारा दखाष जगत् प्रसिद्ध श्राहेमाचार्य महाराने गूर्जरेश्वर सिद्धराज जयसिंहने धर्मसन्मुख करवा माट दोधला उपदश Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005585
Book TitleTriji Jain Shwetambar Conferenceno Report
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaganlal Chunilal Vaidya
PublisherReception Committee
Publication Year1906
Total Pages266
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size23 MB
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