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________________ ( ६२ ) दोस्त हर कस्बे व गावका उनके हाथमें आजावे. और जहां जहां जिस बंदोबस्तकी जरूरत हो उसकी बे महेनत तुरत काररवाई की जावे. इस मुवाफिक अपनी सांसारिक और धार्मिक हालत अपने लोगों को अच्छी तरह मालुम होनेके लिये और फिर उनका यथोचित इंतेजाम करनेके लिये अपनी एक कुल हिंदुस्थानके जैनियोंकी पूरी डीरेक्टरीका तयार होना निहायत जरूरी काम है. इस डीरेक्टरीके तयार होनेसे अपनको अपने हर उमरके मर्द औरतका हाल, उनकी स्थितिका हाल, उनके इल्मका हाल, उनके धंधे रोजगारका हाल, उनके धर्मज्ञानका हाल अच्छी तरह मालुम हो सकता है. इसके साथ साथ अपने परम उपकारी साधु मुनिराज और साधवियोंका हालभी मालुम हो सकता है.. अपने तीर्थोंका, धर्मशालाओं का, पुस्तक भंडारोका, मंदिरोका, जिन प्रतिमाओं का हाल मालुम हो सकता है. मंदिरों की पूजा वगैरहकी कमीवेशीका हाल मालुम हो सकता है. गर्जकी जो बात इस वक्त जैन डीरेक्टररीके अभाव में अंधेरेमें पडी हुई है वह डीरेक्टरीके तयार होनेकी हालत में अच्छी तरह जाहिर हो सकती है. भा वनगर के संघने दूसरी कॉन्फरन्सके प्रस्तावके मुवाफिक भावनगर के जैनियोंकी डीरेक्टरी तयार करनेमें स्तुतिपात्र काम किया है. और उनकी देखरेख हर जगह इस ठराव के मुवाफिक कार्य शुरू होना निहायत जरूरी है. २० आप साहेबोके ध्यानमें यह वात रहनी चाहिये कि, इस महासभा के एकत्र होनेमें हिंदुस्थानके जैनियों का कितना रुपया खर्च होता है. अवल तो जहां पर वह महासभा भरती है. वहांके श्रावकों का, कि जो कई महिनो पहिले से अपना सब काम छोड़कर इसही कार्यमें लग जाते है, हिसाब मासिकका लगाया जावे तो हजारो पर हिसाब पहुंचता है. इसके सिवा भोजन वगैरह कामोमें हजारो रुपये खर्च हो जाते हैं इसही तरहपर नजदीक और दूर देशके संख्याबंद जो डेलीगेट आते है उनके रेलका किराया वगैरह हजारों रुपये खर्च होते है . पण एक महासभाके जलसे में इतना रुपया खर्च होकर हमको क्या प्राप्त होता है. यह बात हर सरूसके विचारनेकी है. सिर्फ तीन चार दिनके मीठे मीठे भाषणोके सुननेसे उस खर्चका बदल| नहीं मिल सकता है. क्यों कि इस कानसें सुनकर उस कान निकाल देना अक्कलमंदोका काम नहीं है. मेरा मत पूरी तौरपर अपने गत वर्षकी महासभा के प्रेसिडन्ट साहेबका मत के साथ मिलता है, कि भोजराजा वगैरह के वक्त में एक Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005585
Book TitleTriji Jain Shwetambar Conferenceno Report
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaganlal Chunilal Vaidya
PublisherReception Committee
Publication Year1906
Total Pages266
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size23 MB
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