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१८ भि. फतेहचंद कपूरचंद लालननुं " आपणो अभ्युदय केम थाय ? ए विषे मंडपमां रात्रे भाषण थयुं हतुं. प्रमुखस्थाने रा. रा.
मि. लालनडे भाषण. ढढ्ढा विराज्या हता. बक्ताए जणां के, जेम सूर्योदय पहेला अरुणोदय थाय छे तेम कॉन्फरन्सनी ऋण बेठको उपरथी थोडा वखतमां आपणो अभ्युदय थवानी आशा रहे छे. आपणे जैन – जिवना पुत्रो छीए. जिननो अर्थ जितनार थाय छे. श्री आपणे जितनारा पुत्र गमाइए. बहारना विजय करता अंतरनो विजय करवो ए कठिन काम छे. राग द्वेषनो विजय करी जगतना जीवो मात्र उपर समभाव राखवाथी खरेखरो आंतरिक विजय थाय छे. गमे ते दर्शननो माणस मोक्ष पानी शंके छे एवो जैन धर्मनो उदार सिद्धांत छे. तेम छतां हालनी दुनियानी पोणा में अब्ज माणसनी वस्तीमा मात्र पंदर लाख जेटली जैनोनी नानी संख्या कम छे ! जवाब ए छे के, जैन धर्मनां तत्वो लोकोना जाणवामां नयी. ते थवा सारे देशावरोमा जैन मिशन मोकलवानी खास जरूर छे. हुं चार वरस अमेरिकामा रह्यो ते दरम्यान माराथी आपणां धर्मवां तत्व जाणी तेओ बहु अजायब थया हता अने आपणे माटे घणो उंचो मत दर्शविता हता. माटे खरेख़रा उदय समभावनी जरूर छे, अने ते माटे आत्मिक क्ळनी खास आवश्यक्ता छे. धनवळ, बाहुवळ, अने बुद्धिबळथी पण आत्मिकवळ उत्कृष्ट छे. धार्मिक केळवणीथी आत्मिकवळमां वचारो थाय छे. त्रिवर्गमां धर्मनी मुख्यता छतां आजकाल ते ऋन बदलाइने काम अने अर्थनी मुख्यता देखाय छे. तेने दूर करवा धार्मिक केळ - चणीनी खास जरूर छे. कर्म अथवा प्रारब्वी पाछा नहि हठवां तेना उपर पण विजय मेळवी जोइए. लोको कहे छे के, कर्म महाबळवान् छे पण जीव तेना करतांए बळवान् छे. बीजी गतियो करतां मनुष्य अवतार श्रेष्ठ छे, तेनुं कारण पण एजले के अहींथी जीव धर्म साधी मुक्ति सुत्री पहोंची शके छे. जो आपणे वीर भगवानना पगले चाली धार्मिक केळवणीनो प्रसार करीए तो आपणो अभ्युदय थाय एमां नवाइ नथी. आ वातनी लोकोना मनपर छाप बेसाडवा माटे तेमणे केलांक हृष्टांतो पण आयां हतां, छेवटे प्रदर्शनमां मूकेला हाथी अने आंधळाना चित्रमांनो उपदेश समजावी जैन फिलॉसॉफीमा नधानो समावेश थाय छे, माटे तेनो पूरतो उदय करवा अर्थ तेतो फैलाव करवानी आग्रह करी पोतानुं भाषण समाप्त कर्यु. हतुं. पछी प्रमुख साहेबे पुष्टिमा केटलुक विवेचन कर्याबाद सभा विसर्जन थइहती.
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