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( ४८ ) निशाणी १.
स्वागत मंडळना प्रमुख वडोदराना झवेरी फत्तेभाई अमीचंदनुं
भाषण.
श्रीमंत महाराजा साहेब, जैन बंधुओ, सद्गृहस्थो अने बहेनो , ! !
आजे आप सर्वेने आवकार आपवानुं काम अहींना श्री संच तरफथी स्वागत मंडलना प्रमुख तरीके मने सोंपवामां आव्युं छे, ते माटे हुं श्रीसंघनो उपकार मार्नु छु.
महाशयो ! अमारा आमंत्रणने मान आपी आप साहेबोए अमूल्य वखत अने द्रव्यनो व्यय करी अत्रे पधारवानी जे तस्दी लीधी छे, तेने माटे अमे आपना अत्यंत आभारी छीए. पुत्र जन्मनां अथवा विवाहादिनां मंगल तो घेर घेर थाय छे, पण श्रीसंघ, जे सर्वगुणोनुं स्थान छे, जे शासननी वृद्धिनो हेतु छे अने जेमांथनि पंचपरमेष्ठिरूप अमूल्य रत्नो उत्पन्न थाय छे तेवा संघनी पूजा भक्ति करवा रूप मंगल तो भाग्यवंतने घेर थाय छे. आq शास्त्रनुं वचन जेमना हृदयमां रमी रह्यं छे तेओ पोतानुं आंगणुं संघना चरण कमळोनी रजथी क्यारे पवित्र थाय तेनी हमेशां तक जोया करे छे. घरआंगणे स्वामिभाइ पधायो छतां कोने स्नेह न थाय ? जेमनी भक्तिथी तीर्थंकरादिनी पदवी मळी शके तेवा समिना पधारवाथी समकितवंतना आनंदनी सीमाज रहेती नथी.
विविध स्थळे जिनभुवनो करावनार, करोड गमे जिन प्रतिमाओ भरावनार अने अनार्य देशोमां मुनियोनो विहार सुगम करनारा संप्रति महाराजाए ( अशोक महाराजना पौत्रे ) गामे गाम स्वामिवात्सल्य कर्यु हतुं. श्रीहेमाचार्य महाराजनो उपदेश सांभळी परमार्हत कुमारपाळ राजाए दरसाल स्वामि वत्सल करवानी प्रतिज्ञा लीधी हती. श्रीआवुनी उपर बार करोड ने त्रेपन लाख द्रव्य खर्ची श्रीनेमिनाथ भगवान्न प्रेक्षणीय देवालय बांधनार वस्तुपाल तेजपाल जेओ महाराज वीरधवलना मंत्री हता तेमणे धोळका आगळ श्रीशत्रुजयनी यात्राए जता संघनी सामे जई मानपूर्वक पूजाभक्ति करी हती. एवा घणा दाखला शास्त्रमा विद्यमान छे.
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