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________________ ( ४७ ) विलियम वेडरबर्न, सर हेनरी कॉटन, मि. दादाभाइ नवरोजी विगेरे केटलाक नामांकित गृहस्थोए जोडावानी महेरबानी करी छे; अने तेनी एक शाखा मुंबईमा स्थपाइ छे तेथी हवे ए काममां आपणे जरूर फतेह पामीरों एवी आशा रहे छे. (ताळीओ) ते पछी रा. रा. ढढ्ढाए बंने वक्ताओनो तथा प्रमुख साहेबनो उपकार मानतां सभा बरखास्त थइ. ३७ श्रीमंत महाराजा साहेबे जैन कॉन्फरन्स प्रत्येनी पोतानी वधु .. दिलसोजी प्रदर्शित करवा माटे कॉन्फरन्सना फंडमां श्रीमंत महाराजा साहेबे कॉन्फरन्स फंडमां भरेली रु. १००० नी रकम खानगी खाता तरफथी मोकली आपी हती जे कॉन्फरन्सना जनरल सेक्रेटरीओए आभार साथे स्वीकारी हती. रकम. ३८ श्रीमंत महाराजा साहेबे पोताना दरबार फिजिश्यन ने कॉन्फरन्स रिसेप्शन कमीटीना चीफ सेक्रेटरी डॉक्टर बाळाभाई आचार्य श्री कमळविजय सूरि अने श्रीमंत महाराजा मगनलाल एमनी पासे आचार्य श्री कमळविजय साहेव एमनो समागम. सूरि महाराजना मुखथी धर्मोपदेश सांभळवानी इच्छा प्रदर्शित करी हती. ते पूर्ण करवा माटे ता. ८ डिसेम्बर सने १९०४ गुरुवारे त्रीजा पहोरे लक्ष्मीविलास पेलेसमा आचार्य महाराज पधार्या हता. श्रीमंत पण मकरपुरा पेलेसथी मोटारकारमा आरूढ थई त्यां दाखल थया हता अने राजाने योग्य अभिगम साचवी आचार्य महाराजने वंदनपूर्वक धर्म संबंधी केटलाक प्रश्नो पूछया हता, जेनो शास्त्रना आधार अने दलीलो साथे उत्तर मळतां श्रीमंते संतोष प्रदर्शित करी महाराजजीए लीधेला श्रम माटे क्षमा मागी हती. Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005585
Book TitleTriji Jain Shwetambar Conferenceno Report
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaganlal Chunilal Vaidya
PublisherReception Committee
Publication Year1906
Total Pages266
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size23 MB
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