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परमोधर्मनुं तत्व बताव्युं हतुं. ब्राह्मण जैनो वच्चेना टंटानुं कारण आ रीते हिंसाज ह. पशुवध करवाथी मोक्ष नथी, एम ठसावी जो कोइए पण दयानी ध्वजा उडावी होय, तो तेनुं मान जैनधर्मने छे.
अहिंसा कोण पाळे छे ?
हिंसा करवानो बंध एकज जैनधर्ममां नहीं, पण ब्राह्मण, ख्रिस्ती, मुसलमानी, अने दरेक धर्ममा हाल छे. ख्रिस्ती मतमां Don't kill ( वध करता नहीं ), एवं फरमान छे. पण ख्रिस्ती मतानुयायीओए तेनो अर्थ फेरवी मनुष्यनो वध नहीं करवो, मतलब के बीजां प्राणीओनो वध करवामां हरकत नथी एवं ठराव्युं छे. धर्मनो मत बाजुए रह्यो ! हवे लडाइमां लाखो मनुष्योनी हिंसा करे छे, ते माटे पूछतां ख्रिस्ती मीशनरीओ राजानी आज्ञाथी मनुष्य हिंसा करवी, एमां बाघ नथी एवं कहे छे. ए रीते धर्मनो अर्थ फेरवीने स्वार्थने माटे ख्रिस्तीओ जे हिंसाओ करें छे, तेनुं पाप ख्रिस्ती पादरीओए पोताने माथे वहोरी लीधुं छे. बीजा देशोमां पण अहिंसा धर्म पुस्तकोमांज पडी रह्यो छे. बौद्धधर्ममां अहिंसा तत्व मुख्य छतां, बौद्धधर्म पाळनार चीन देशमां तो खोराक तरीके कोइ प्राणीने बातलज राखवामां आवतुं नथी. जो कोइ धर्मना अनुयायीओए अहिंसा तत्व परिपूर्ण रीते पाळ्युं होय तो ते जैनोज छे.
जैनो वेद केम मानता नथी ?
अहिंसा तत्व काढतां मोटो विवाद जन्म पाम्यो हतो. ब्राह्मणो कहेता के वेदमां पशु यज्ञ करवानी आज्ञा छे ते अमे शी रीते छोडीए ? जैन उपदेशकोए जवाबमां कह्युं के, वेदमां हिंसा होय, तो ते वेद अने हिंसाथी तृप्त थनारा देवताओ पण अमने मान्य नथी. मतलब के, वेदमां पशु यज्ञ फरमावतुं जे श्रौत प्रकरण छे तेथीज जैनोने वेद प्रमाणभूत नहीं मानवानुं कारण मळ्युं छे.
जैन धर्मनी अहिंसानी अन्य धर्मो उपर छाप.
छेवटे ब्राह्मणोए जैनोनो अहिंसा धर्म स्वीकार्यो अने जैन तथा बौद्धधर्म पछी कुमारील भट्ट शंकराचार्ये वेदांत धर्म स्थाप्यो तेमणे पण जैनोनुं अहिंसा तत्व पोताना सिद्धांतोमां दाखल कर्यु. ते जो तेमणे तेम न कर्तुं होत तो ब्राह्मण धर्म फरीथी स्थपायो होत के नहीं ते कही शकाय नहीं. जैनधर्मनुं तत्वज्ञान जो के
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