SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 105
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (४२) आज प्रचारमा नथी, तोपण जैनोना अहिंसादि आचारनी छाप आजे ब्राह्मण धर्म उपर पूर्णपणे बेठेली छे. पंच द्रविड विगेरे ब्राह्मणोमां मांस भक्षण दूर थयुं छे ते जैनोनोज प्रताप छे, अने आजे हुं ने तमो मांस मदिरा वापरता नथी ते माटे एज जैन मतना मोटा आभारी छीए. वैष्णव धर्ममा यज्ञ करती वखते पिष्ट पशु होमवानो प्रकार छे, ते पण जैन धर्मनी ब्राह्मण उपर थयेली असरथी निपजेलं जीवता पशुने बदले पिष्ट पशु- रूपांतर छे. जगतमां अहिंसान तत्व दाखल करतां महावीर स्वामीए जे दृढता बतावी ते अवतारी पुरुष वगर बीजाथी बतावी शकाय नहीं. जैन पछी बौद्धधर्म निकळ्यो तेमा पण अहिंसा तत्व जैन धर्ममाथी लीधुं छे. हुं जैन धर्मने खोटी रीते चडाववा मागतो नथी; पण एटलं तो हुँ कहेवा मागुं हुं के अहिंसा विगेरे बाबतमां जैन धर्म हिंदु धर्म उपर घणीन असर करी छे. ए रीते बीजा धर्मो उपर अहिंसानी छाप बेसाडवामां जय मेळवी जैनोए " जैन " नाम अन्वर्थक कर्यु छे. मोक्ष मेळववानो सर्वने हक्क छे. ब्राह्मण धर्ममां चारे वर्णना सरखा अधिकार न हता. यज्ञ करवाथी मोक्ष मळे छे एम ब्राह्मणो मानता, पण यज्ञनो रस्तो शुद्रोने माटे खुल्लो न हतो. ते वखत राजकीय समानतानो सवाल उभो थयो न हतो. पण परमेश्वरना दरबारमा बधाने समान हक्क छे के नहि ए सवाल उभो थयो हतो. जैन मते धर्मनी बाबतमां माणस माणस वच्चेनो भेद न राखतां ठराव्यु के, वधाने मोक्षनो रस्तो एकज छे. जैन मतनी आ विगेरे बाबतोनी छाप हिंदु धर्म उपर पडी, हिंदु धर्ममां ने अपूर्णता हती, ते पूरी थई छे. अहिंसा परमो धर्मः अने भक्ति योगथी शूद्रो अने स्त्रीओ पण मुक्ति मेळवी शके छे एवां वचनो वेदांतना मुख्य ग्रंथ भगवद्गीतामां दाखल थयां छे. जैन धर्ममां ज्ञान, दर्शन ने चारित्र ए त्रण अमूल्य रत्न मानेलां छे तेने ज्योतिःशास्त्री भास्कराचार्ये पोताना ग्रंथमां धर्मनां तत्वो तरीके जणाव्यां छे. आ बीना पाछळथी जैन धर्मनो अने ब्राह्मण धर्मनो केटलो निकट संबंध थयो छे ते बतावी आपे छे. Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005585
Book TitleTriji Jain Shwetambar Conferenceno Report
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaganlal Chunilal Vaidya
PublisherReception Committee
Publication Year1906
Total Pages266
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size23 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy