________________
( ४० ) भणाय छे. जैन शक पहेलां युधिष्ठिरनो शक चालतो हतो एम कहेवाय छे पण ते मानवाने संतोष कारक पुरावो नथी. जैन शक पछी बुद्धनो शक, विक्रमादित्यनो शक अने शालिवाहननो शक एम हिंदुस्थानमां चार शक कर्त्ता थया छे. काळ गणनानी रीतमां ए रीते जैनो पहेला छे. ते चोवीसे वरसनी जुनी वात याद लावी ए छएि त्यारे मालम पडे छे के जैन धर्मनी प्रवर्तना, वधारो अने प्रकाश करवामां जे प्रमुख थया छे ते ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य अने शूद्र ए चार वर्णमाथीन थया छे. ते काळे दरेक वर्णमाथी प्रवर्तको थता हता अने तेमने लोको मान आपता हता.
जैन धर्मनी बौद्ध धर्मथी भिन्नता.. जैन धर्म अने बौद्ध धर्म एकन छ एम यूरोपनाज नहीं पण अहींना पंडितोने पण भ्रांति हती, अने जैन धर्म बौद्ध धर्मनी शाखा छे एम मानता. परंतु वधारे अभ्यासथी अने जूनी बातोना प्रकाशमां आववाथी तेनुं निराकरण थइ गयुं छे. प्राचीन पुस्तको उपरथी मालम पडे छे के, गौतमबुद्ध ए महावीरना शिष्य हता. तेथी महावीर बुद्ध पहेलां थया हशे. वळी केटलाकनो मत छे के, बुद्ध शक अने जैन शकमा २० वर्षनो अंतर छे, तेथी महावीर अने बुद्ध ए बन्ने एक ज हशे; कारण के शक गणवानी रीतमां कांतो जन्मथी अगर मरणथी शक गणे छे, तेथी कदाच एक शक जन्मथी अने बीजो शक समाधिकाळथी शरु थयो होय. बीजो मत एवो छे के, जेम जैनोमां चोवीस तीर्थंकर छे तेम बौद्धोमां पण चोवीस बुद्ध छे, तेथी बन्ने धर्म एकन छे. परंतु आ वात बरोबर नथी.
जैनो अने ब्राह्मणोना टंटा कारण. इ. स. पूर्वे पांचसें छसें वरस पहेलां ज्यारे महावीरे जैन धर्मनुं प्रवर्तन कर्यु त्यारे आपणा देशनी शी स्थिति हती, तेनो विचार करीए. आजे जैन धर्मनु महत्व ब्राह्मण धर्मवाळा बरावर समजता नथी. तेवू वे हजार वरस पहेला नहोतं; ते वखते ब्राह्मणो अने जैनो छूटथी एक धर्ममांशी बीना धर्ममा जता हता. जो के ते वखते ब्राह्मण अने जैन धर्मनी मोटो झगडो हतो, ते वखते मीमांसक एटले यज्ञयाग करवाथी मुक्ति मळे, एवो ब्राह्मण मत चालतो हतो. मेघ दूतमां पशुवधनुं वर्णन करतां कवि कालिदासे कयु छ के, नदीनू पाणी पण वध थयेलां प्राणीओना लोहीथी लाल थइ जाँ. एटलो बधो पशुवध थतो हतो, ते वखते जैनोए अहिंसा
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org