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हता. बेसवानी जग्यो नहि मळवाथी घणा लोको एकेक खुरशी उपर बने ए रीते बेसी गया हता. सभानुं प्रमुखस्थान बाबु साहेब विजय सिंघजीने आपवमा आव्युं हतुं, जे तेमणे लीधा बाद मि. टिळक मधुर अने सर्वश्राव्य वाणीमा बोल्या के,
सभ्यगृहस्थो ! आप सर्वने विदित हशे के, आपनी आगल भाषण आपनार हुं जैन धर्मी नथी. हुं ब्राह्मण छु अने तेथी ब्राह्मणधर्म पाकुं छं. छतां जैन धर्म उपर विवेचन करवानुं जे मने कहेवामां आव्युं छे ते माटे हुं आपसाहेबनो आभारी हूं. गुजराती भगर हिंदुस्थानी भाषामां मने बोलवानो परिचय नहि होवाथी में मराठीमां अगर अंग्रेजीमा बोलवा दुरस्त धार्युं हतुं; पण घणा लोको अंग्रेजी नहि समजवाथी हुं मारुं भाषण मराठी भाषामा आपवा धारुं लुं. तेम छतां पण मराठी नहि समजनार मने क्षमा बक्षशे. आजे जैन धर्म विषे हुं जे बाबत बोलवा मागुं हुं ते संबंधी माहिती में जैन धर्मना इतिहास तथा बीजां पुस्तको उपरथी अने मुंबइमाना मारा जैन मिबोना सहवासथी मेळवी छे. तेमां कंइ नवीन जेवुं नथी. तेम वळी आजे हुं कइ पण जैन धर्म विरुद्ध बोलवा मागतो नथी. जे कहेवानुं छे ते जैन धर्मने अनुकुकज छे. जैन धर्मना अन्य धर्म साथेना संबंध " विषे हुं तमने कहेवा मागुं छु.
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जैनो हिंदुथी जूदा नथी.
हुं समनुं छं के जैनो हिंदुश्री जूदा नथी. केटलाक एवो भेद पाडवा मागे छे. पण ते भेद कई ख्रिस्ती अने हिंदु धर्म वच्चेना भेद जेवो नथी. जैनो अने हिंदु एक देशना, एकज भाषा बोलनारा अने एकज लोहीना छे. तेओ एकज साधन साधे छे.
जैन धर्मनी प्राचीनता.
जैन धर्म अनादि काळथी चालतो आव्यो छे, ए तत्व खरुं छे के नहि ए प्रश्न अत्यारे उभो करी तेनो खुलासो करवा हुं इच्छतो नथी. पण आ वात इतिहास सिद्ध छे, के जैन धर्म प्रवर्ताविनार चोवीस तीर्थंकरोमांना छेल्ला तीर्थंकर महावीर इ. स. पूर्वे ५२६ वर्ष उपर थया हता. काळ गणनानी रीत एटले के संवत् अथवा शक गणवानी रीतथी मालम पडे छे के, जेम ख्रिस्तीओनो इसुस्त्रिस्तथी, मुसलमानोनो महमदथी, तेम जैनोनो शक महावीरथी चालतो आव्यो छे. इतिहास उपरथी धर्माचार्यना नामथी शक चलाववानी पहेल जैनोए करेली
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