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________________ (१२७) निशाणी १७. डीरेक्टरीनी दरखास्तना टेकामां मि. जीवराव ओघवजी दोशीनुं भाषण. मानवंत प्रेसीडेन्ट साहेब, भाइओ अने व्हेनो, आपणी आर्थिक ( Material ) सांसारिक ( Social ) अने धार्मिक स्थितिना यथावस्थित बोधने अर्थ जैन डीरेक्टरीनी खास आवश्यकता छे. आपणा जाहेर स्थळोनी माहिती अर्थे पण डीरेक्टरीनी तेटलीन आवश्यकता छे. संसार अने धर्म संबंधी चोकस वर्तमान स्थिति जाण्या सिवाय उन्नतिना साधन योजवा तत्पर थर्बु तेवा लुका ( Sand ) रेती-ना पाया उपर इमारत चणवा जेवू छे. दरेक सघरेली प्रजा अने कोमोमां आवा रीपोर्ट बहार पडे छे अने तेओनी उन्न. तिना साधनोद्वाराज शोधी कढाय छे. ... आवी डीरेक्टरी एकज वखत करी अटकवानुं नथी, परंतु अमुक अमुक वरसने आंतरे करवाथी आपणी भूत अने वर्तमान स्थितिनो मुकाबलो करी सकाशे. सरकारी वस्तीपत्रकमां जैन कोम माटे जुई मथाईं राखवामां आवे छे परंतु आग्खा हिंदुस्ताननुं वस्ती पत्रक होवाथी भूलचूक थवानो संभव छे. विशेष आपणने उपयोगी घणा विषयो-मंदिरो ज्ञान भंडार आदि-संबंधी बिलकुल माहीती आपणने तेमांथी मळी शकती नथी. माटे जैन डीरेक्टरी जुदी थवानी खमुस जरुर छे. डीरेक्टरीमां नीचली हकीकत नोंधावानी जरुर जणाय छे: (क) लोको संबंधी. (१) ज्ञाति. ( २ ) गच्छ. ( ३ ) माणसनी कुल संख्या. ( ४ ) पुरुष, स्त्री, छोकरां, छोकरीओ. (५) कुंवारा, वरावेल, परणेल, विधुरस्त्री माटे योग्य शहो. ( ६ ) गुजराननु साधन धंधो, नोकरी. (७ ) केळवणी. व्यवहारिक, धार्मिक. ( ८ ) अन्य रीमार्कस शारीरिक खोड विगेरे. Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005585
Book TitleTriji Jain Shwetambar Conferenceno Report
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaganlal Chunilal Vaidya
PublisherReception Committee
Publication Year1906
Total Pages266
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size23 MB
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