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________________ (१९) खेंचाशे अने जैन विद्वान्वर्गमा जुनी बाबतनी शोध खोळ करवानी बुद्धि जागृत थशे. आ संबंधमां एक आखी दरखास्त छे, जेथी विषेश विवेचन करवानी जरुर नथी; पण फक्त ते शोधखोळने अंगे एक लेक्चरशीप स्थापवी ए कहानी अत्रे जरुरीआत छे. आपने एक सामान्य दाखलो आपुं. हालमां हेमचंद्रसूरीना संबंधमां तपास करतां एटली नवीन हकीकत मळी आवी छे के ते संबंधमां आपणे तद्दन अज्ञान हता, हेमचंद्रमरिना उपकारथी आपणी कोम आ स्थितिए रही शकी छे. अने अस्त पामतां जैन धर्मपर तेओए इतिहासना पानापर ना भुंसी शकाय एवा अक्षरोथी जैन धर्मनी जैनीओनी उत्कृष्टता बतावी जे महान कार्य कर्य छ तेनी यादगीरीमां आपणे तेओने माटेज एक लेक्चरशीप स्थापवी जोइए. आवीज रीते बहु विद्वानो थइ गया छे. वळी लेक्चरशीप स्थापवीए विद्वानोने खेंचाण करनारूं तत्व छे अने ते द्वारा घणा अभ्यासीओ वधी शकशे. एक बहु अगत्यनी बाबत तरीके आ बाबत हाथ घरवानी जरुरीआत छे. वर्ष दिवसे पांचसे रुपिआ आ भाषणमाळा माटे काढवामां आवे तो हाल चाली शके तेम छे. - जेम बोर्डिगनी जरुर छे तेमज स्कॉलरशीपनी पण जरुर छे. केटलाक अ. भ्यासमां बोर्डिगनो आश्रय लेवो बनी शके एवं होय नहीं तथा सर्व शेहरोवाळा बोडिंग निभावी शके नहीं त्यारे योग्य विद्यार्थीने स्कॉलरशीपद्वारा मदद करवाथै बहु लाभ थशे. स्कॉलरशीप ए एवा प्रकारचं उत्तेजन छे के, ते मेळववा माटे जो हरीफाइ होय तो तेथी ते मेळववानी महेनतमा एक बहु सारो वर्ग उत्पन्न करी शकाय. आवी हकीकत आपना ध्यानपर लावी गरीब अने मध्यम वर्गना विद्यार्थीओने आ रीते मदद करी तेओने योग्य रस्ते चढाववा ए आपणुं कर्तव्य छे. जेओ केळवणीथी बेनशीब रही कांइ पण कार्य करता नथी तेओ पण आखरे कोमने माथेन पडे छे, अने तेओने नभाववा पडे छे. त्यारे ने खर्च करवामां आवे छे ते तद्दन नकामो अने बदला वगरनो थाय छे. पोतानी कोमना निराश्रितोने नभाववा ए प्रत्येक कोमना आगेवानो पोतानी फरज समजे छे, अने अत्रे जे उपाय बताववानी इच्छा छे ते निराश्रितोने नभाववानी नथी पण निराश्रितो थताज केम अटके ए बताववानी छे. ज्यारे माणसो पोताना पगपर उभा रहेतां शीखे त्यारे तेओ निराश्रित न थाय अने ते केळवणी वगर थवं मुश्केल छे. गया वस्ती पत्रकना मुंबई ईलाकाना Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005585
Book TitleTriji Jain Shwetambar Conferenceno Report
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaganlal Chunilal Vaidya
PublisherReception Committee
Publication Year1906
Total Pages266
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size23 MB
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