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केळवणीनी बाबतमां आपणी कोम धणीज पछात छे, ते प्रसिद्ध वात छे. सरकारी उंचा हो हा मेळवनाराओमां पण देशी राज्योमां सारी लाग वग धरावना - राओ अथवा स्वतंत्र उत्तम साक्षरो आपणी कोममां कोई नथी. होयतो गण्या गांठ्यान छे, अत्यार सुधीमां आपणी कोमे व्यापार तरफज लक्ष आप्युं छे अने ते बहु सारुं छे. पण व्यापारने अने केळवणीने कोइ विरोध नथी. सारी रीते अभ्यास करीने माणस व्यापारमां जोडाय तो बेवडो लाभ करवा उपरांत पोतानो लाभ बीजाओने पण आपी शके. वळी थोडा विद्वान माणसो बीजी लाइनमां उतरी जइ कळा कौशल्य के देश सेवा बजावे ए इच्छवा जेवुं छे. व्यापारने खास छोडवो नहीं एतो मुख्य उद्देशज छे. आ बन्ने सुत्र ध्यानमा राखी आपणी पछातताने दुर करवानी जरुर छे. आपणी कोम केटली पछात छे ते जाणवानुं साधन आपणी पासें हजी प्राप्त थयुं नथी. छतां हालमां भावनगरवाळाए डीरेक्टरी बहार पाडी छे ते उपरथी जोवाने बनी आवे छे के, ३५०० जेवी जैननी मोटी वस्ती धरावता एक आगेवान शहरमा मात्र ५ ग्रेज्युएटो अने मेट्रीक पास थयेलानी संख्या १७ नीज छे. तेथी उंची केळवणी लेनारा || टका जेटलाज लगभग थवा जाय छे. हवे भावनगरं तो कॉलेजनी सगवड धरावे छे, तथा बीजी पण केटलीक सगवड धरावे छे. तेथी त्यां आटलं पण देखाय छे पण आपणे आखी जैन कोमनी नजरथी जोईए तो आप वधारेमां वधारे २२ प्रेज्युएटो धरावीए छीए. लगभग १० लाखनी वस्तीमां आ केटली ओछी संख्या गणाय ? ४०००० माणसे एक ग्रेज्युएट बहुज ओछु प्रमाण बंधाय. पारसी जेवी सवालाख माणसनी कोममां ओछामां ओछा २००० ग्रेज्युएटो छे. आपणी कोमने माटे आ तदन शरमावनारुं छे.
आटला उपरथी आगे केळवणीनी आवश्यकता अने आपणुं पछातपणुं जोयुं. आपणी राजभाषा अंग्रेजी छे. आपणां दुःखो योग्य अधिकारिओ समक्ष रजु करवा, न्याय मेळववा, राजद्वारी लागवग वधारवा अने कोमनी सामान्य उन्नत्ति करवा आ भाषानुं ज्ञान उपयोगी छे. जैन कोमना उंचा प्रकारनुं साहित्य दुनिया समक्ष मूकवा विद्वान वर्गमां जैन धर्मना मूळ तत्वोनो फेलावो करवा, तेना संबंधमां केटली गेर समजुती छे ते दूर करवा अने बीजा विद्वानोना अभिप्राय जाणवा आमाबाना ज्ञाननी जरुर छे. खगोलविद्या, तर्कशास्त्र, गणित, पदार्थविज्ञानशास्त्र इतिहास विगेरे विषयोना विस्तीर्ण ग्रंथो आ भाषामा छे तेनो लाभ मेळववा आ भाषाज्ञान कामनुं छे अने कोमनी सामान्य उन्नति करवा माटे आ भाषाज्ञान तजी न श
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