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________________ ( ६५ ) गाउन वार्तामा रही जाय. अलबत ज्यांमुधी आ स्थिति प्राप्त थाय नहीं त्यां सुधी दरेक बाचतमां प्रयत्न करवानी जरुरीआत छे अने ते प्रमाणे आपणे करीए पण छीए. खरा अर्थमां केळवणी जो आपवामां आवे तोज सारी स्थिति प्राप्त थाय छे, जे प्राप्त करवी एज दरेक कोमनी अने मनुष्यनी उच्च भावना होवी जोइए. इ. स. १८७१ मां जापानना मीकाडोए ठराव बहार पाड्यो के " हवे पछी केळवणीनो एटलो बोलो फेलावो करवानो इरादो राखवामां आव्यो छे के, आखा राज्यमां एक पण अभण कुटुंब धरावतुं गाम रहेवा पामे नहीं, अथवा तो एक पण अभण इसम धरावतुं कोइपण कुटुंब रहेवा पामे नहीं. " आठरावने परिणामे ३५ वर्षम जापाने जे वधारो कर्यो तेने हाल आखी दुनियाने आश्चर्यमां गरकाव करी नांखी छे. जापानीओ ३५ वर्षमां गुरुना गुरु बनी गया छे. जे कलाकौशल्य तेओ यूरोप - मांथी शीखी आव्या तेनो अभ्यास करवा दरेक वरसे चार लेफटेनंटोने जापान मोकलवानो इंग्लंडनी सरकार ठराव करी चुकी छे एक प्रजाना इतिहासमा ३५ वर्ष कांइ नथी. आवी इच्छा ज्यारे आपणी कोमना प्रत्येक आगेवानना मनमां जागृत थशे त्यारे आपणे घणो वधारो करी शकीशु. जे कोइ पुरुष या जे कोड़ स्त्रीने आगळ वधवुं होय तेणे जापाननो दाखलो भूलवो जोइतो नथी. वळी आ प्रसंगे जणाववुं जोइए के समय बहु अनुकूल छे. शास्त्रकारना कहेवा प्रमाणे वीर परमात्माना स्वर्ग गमन पछी पचीसो वर्ष सुधी भस्म ग्रह छे. तेमां वच्चे बच्चे उदय थाय छे. पण हवे तो ते वखत पण पुरो थइ जवा आव्यो छे ते वखतनी कॉन्फरन्स सूचना करे छे. अने आ सूचना दरेक जणे उपाडी लेवानी जरूर छे. आपणी कोमनो वधारो केळवणीना वधारा उपर आधार राखे छे. केळवणी शमां फक्त स्कुलमां हालमां अपाती केळवणीनो समावेश करवामां आवतो नथी. अमुक पाठो गोखी जवा के परीक्षा पसार करवी ते एकज प्रकारनी केळवणी छे. सर्व देशीय केळवणीमां मगजने पोतानी फरज शुं छे ते विचारतां शीखवतुं . दरेके दरेक नाना प्रसंगोमां पण विचार शक्तिने अवकाश आपी तदनुसार वर्तन करवुं ए केळवणी छे. आवी केळवणी स्कूल छोड्या पछ वास्तविक रीते शरु थाय छे अने आखी जींदगी सुधी चाले छे. मारा आंखा भाषणमां विचार शक्ति जवाबदारी अने फरजनी विचारणा, अने शक्ति नेज के. ळवणी कहेवामां आवशे.. ९ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005585
Book TitleTriji Jain Shwetambar Conferenceno Report
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaganlal Chunilal Vaidya
PublisherReception Committee
Publication Year1906
Total Pages266
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size23 MB
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