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मौटा थांभला छे. बीजा विद्वान अने प्रतिष्ठित गृहस्थो वळाओ छे अने बाकीनी शाणी कोम ए वळाओ अने वंझीओ छे. तेओए दरेके कॉन्फरन्सरुपी मंडप उभुं करी ते कायम राखवा वास्ते पोतानी यथाशक्ति जूदा जूदा प्रकारनी मदद आप. वानी छे. धनाढ्योए पोताना द्रव्यथी, विद्वानोए पोताना भाषणो लखाणो अने समजुतीओथी अने पैसा तथा विद्यारहित बाकीना भाइओए पोतानी जात महेनतथी पोतानी मददनो फाळो आपवानो छे. विशेष सरखामणी पूरी करवा मने कहेवा द्यो के, जेम मंडपना थांभलाओ वळाओ अने वंझीओ छुटा छुटा रही पोत पोतानी मददनो फाळो नथी आपता पण दोरीथी साथे बंधाइने आपे छे, जेथी मंडप पडवानी आपणने धास्ती नथी. तेम आपणा जैन भाइओए पण · अलग अगल रही पोतानी मददनो फाळो आपवानो नथी पण स्नेहरुपी गांठथी साथे बंधाइ पोतपोताथी बनती मदद आपवानी छे, के जेथी कुसंप थवानो भय आपणने रहे नहीं. आ प्रमाणे ज्यारे आपणी जींदगीना वहाणमां संप अने स्नेहरुपी सढ चड्या अने सद्गुणना हाथमा सुकान आव्युं अने कॉन्फरन्सरुपी सवळो पुठेरो पवन वायो एटले जे बंदरे आपणने पहोंचवानुं छे त्यां सहेलथी अने तरतज पहोंची शकीशु. ( ताळीओ. ) .
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