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________________ (१०३) ठकमां थएल पैसानी वृष्टि थी मळेल छे के, ज्यां उदार गणना की जान्थोग वगर मागे पोतानी खुशी अने उमंगथी हजारोनी रकमो कॉन्फरन्सना जूदा जूदा खाताओमां अर्पण करी हती. पण डहापण भरेलुं अने वाजबी ए छे के, वारंवार बधो बोजो आपणा धनाढ्य भाइओ उपर न नांखता बधाओए फंडमां पोतानो यथाशक्ति फाळो आपवो जोइए. जेथी ते कोइना उपर बोजारुप थइ न पडे, जे फाळो हुं सुचववा मांगू छं ते एटलो तो सहेलो अने निर्जीव छे के कोइने ते भारे पडशे नहीं. अहीं आ कवि दलपलरामनी बे लीटी याद करवानी छे. लाखो कीडीपर लाडवो, मूकेथी मरीजाय; भूको करी भभरावीए, सुखेथी सौ खाय. एवो फाळो वे रीते आपी शकाय. ( १ ) जे जैन गृहस्थनी मासिक आवक रुपिया २० के ते उपरनी होय ते दरेक पोतानी वार्षिक आवकमांथी दरेक रुपीए एक पाइ प्रमाणे जे रुपीआ थाय ते दर वर्षे प्रमाणिकपणे पोतानी स्थानिक कमीटी अथवा कॉन्फरन्सनी ऑफिसे मोकली आपे, आ प्रमाणे जो बधा जैनो पोतानी फरज प्रमाणिकपणे अदा करे तो लाखनी पाण ए हिसावे अवश्य फंडमां सारी कायमनी पेदाश थशे अने आ नाणां भेगा करवानी रीत कोइने भारी नहीं पडशे. दाखला तरीके जे माणस दर मासे रुपीआ २० कमातो हशे तेने दर मासे फक्त दोढ आनो आ मतलब सारु जुदो कहाडवो पडशे, अने एवी नानी रकमनी कसर गमे ते रीते घर खरचमां करकसर करवाथी नीकळी आवशे, अने आयंदे कॉन्फरन्सनु मोटुं फंड थइ जशे. __ फंड करवानी बीजी पण रीत छे. कॉन्फरन्सना ठराव प्रमाणे जे जगोए संघ मरण पाछळ न्यातवरा बंध करवाने शक्तिवान थाय त्यां तेवा न्यातवराना खर्च. मांथी जे लोको मुक्त थाय तेओनी पासेथी संघे तेओनी स्थितीना प्रमाणमां अमुक रकम मरनारना धर्म अर्थ कॉन्फरन्सना स्थानिक फंडमां अपाववी. विवाह अथवा बीना पण खुशालीना प्रसंगे अमुक रकम फंडमां आपवामां आवे एवो ठराव थाय तेमां पण कांइ खोटु नथी, तेमां अवश्यकरी मरण पाछळना न्यातवरा बंध थाय त्यां तो फंडने वास्ते आवं कांइक फरजीआत धोरण बांधवं जोइए. आ काम वास्ते भाटीआ मित्रमंडळ दाखलारुप छे, तेनुं अनुकरण आपणे करवू जोइए. Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005585
Book TitleTriji Jain Shwetambar Conferenceno Report
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaganlal Chunilal Vaidya
PublisherReception Committee
Publication Year1906
Total Pages266
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size23 MB
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